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शेयर बाज़ार सीखने की शुरूआत कहाँ से करें ?

शेयर बाज़ार सीखने की शुरूआत कहाँ से करें ?

हर कोई शेयर बाज़ार के बारे में जानना चाहता है, हम कहते हैं कि पहले आप शेयर बाज़ार को सीख लें समझ लें और फिर इस क्षैत्र में अपने आप को आज़माये, वरना तो ये सीखने की बहुत महँगी फ़ीस लेता है। जैसे आपको इंजीनियर बनना होता है तो आप 4 वर्ष उसकी पढ़ाई करते हो, डॉक्टर बनना हो तो 5 वर्ष और कुछ करना हो तो 3 वर्ष तो कॉलेज के स्नातक में पढ़ते ही हो। बस बिल्कुल वैसे ही शेयर बाज़ार को सीखने के लिये आपको समय देना होगा, यह भी एक स्किल है जिसे सीखने के लिये आपको कम से कम 2 से 3 वर्ष का समय देना चाहिये, वह भी रोज़ के कम से कम 4-5 घंटे।

इसी चक्कर में लोगों को पता ही नहीं होता है कि शेयर बाज़ार सीखने की शुरूआतें कैसे करें? हम किसी sequence में नहीं सीखे, जैसे जैसे चीजें आती गईं हम सीखते गये, आज तो फिर भी ऑनलाइन बहुत से study material उपलब्ध है, बताने वाले YouTube पर उपलब्ध हैं। बस आपके मन में सीखने की तमन्ना होनी चाहिये बाकी तो आगे वक्त बतायेगा, जब तक कि आप confidently 2-3 वर्ष सीख न लें, तब तक बेहतर है कि शेयर बाजार में हाथ न डालें, बस paper trade ही करें, ये काम बहुत boring होता है, क्योंकि इसमें emotion नहीं होता, जब आपका पैसा किसी deal में लगा होता है, तभी आपका emotion उसमें लगता है और आप बेहतर तरीके से सीखते हैं।

शेयर बाज़ार सीखने के लिये सबसे पहले तो आप concept पढ़ें, कि शेयर क्या होता है? क्यों होता है? कैसे होता है? फिर उसके structure को सीखें, बाजार कैसे काम करता है, Regulator का रोल क्या होता है? Corporate Actions को समझें, जैसे कि Merger, Demerget, Dividend, Bonus etc., और भी बहुत सी basic बातें होती हैं जैसे कि Face Value, Split etc. यहाँ एक बात बता दें कि अगर fundamental investor / trader बनना है तो Balance Sheet, Management Quality, P & L Statement, Cashflow वगैरह व सबसे महत्वपूर्ण खबरों को पढ़ना सीखें। वहीं अगर Technical Investor/ trader बनना है तो Chart पढ़ना आना चाहिये उसके लिये आप candle पढ़ना सीखें, chart पढ़ना तभी सीखेंगे, Moving Average, EMA, MACD, OI, VWAP, AVWAP, Bollinger Band, Super Trend जैसे इंडिकेटर भी पढ़ना सीखें।

उसके बाद इन Indicators से कैसे trade लेते हैं, यह सीखना बेहद जरूरी हैं, बहुत सारी pre-defined methods हैं, अगर आपको अपनी method बनानी है तो आप खुद भी बना सकते हैं, बस यह समझ लीजिये कि ज्ञान पाने के पथ लंबा है। जब एक बार ये बेसिक चीजें सीख लें, फिर उसके बाद आप FnO याने कि Future & Option जी जाने का plan करें। FnO में क्या और कैसे सीखें, इस पर अगली पोस्ट होगी।

आपका कोई प्रश्न हो तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं।

Praveen Tambe

कौन प्रवीण ताँबे

कौन प्रवीण ताँबे फ़िल्म हम परिवार के साथ देख रहे थे, तो उसमें एक समय ऐसा बताया गया है कि प्रवीण रणजी की प्रेक्टिस दिन में करते थे और परिवार चलाने के लिेये रात में बार में वैटर का काम करते थे। एक दिन वहाँ वे पत्रकार आते हैं जो उसे बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं, तो प्रवीण को अपने वैटर होने पर बहुत ही शर्म महसूस होती है और वह बाद में रोता हुआ भी दिखाया है।


इस पर बेटेलाल का कहना था कि इसमें शर्म की क्या बात है, प्रवीण कोई चोरी तो कर नहीं रहा और न ही कोई भीख माँग रहा है, प्रवीण तो शान से अपने परिवार के लिये पैसा कमा रहा है, और ये सब सेक्रिफाईज वो केवल अपने रणजी खेलने के लिये कर रहा है, जब प्रवीण को यह पता है तो उसे शर्म किस बात की करनी चाहिये, यह समझ नहीं आया। शर्म तो उन पत्रकारों को अपने बर्ताव पर आनी चाहिये और उन्हें प्रवीण की इज़्ज़त करनी चाहिये थी।

फ़िल्म में बहुत सी ऐसी बातें हैं जिन्हें गौर से समझने की ज़रूरत है, व्यक्ति जो सोचता है कि वह केवल इसी में comfortable है तो वह ग़लत हो जाता है और सफलता नहीं मिलती, क्योंकि वह अपनी ख़ुद की प्रतिभा को ही नहीं पहचानता, जैसा कि प्रवीण के साथ हुआ, वह ख़ुद को मीडियम पैसा बॉलर समझता था, पर कोच ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और कहा कि तुम लैग स्पिनर अच्छी करोगे, अपनी बॉलिंग बदलो, पहले प्रवीण ने कोच की बात नहीं मानी, पर जब ठोकर लगी तो प्रवीण ने नये जुनून से स्पिनर बॉलर की कला सीखी। यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है, क्योंकि अपने आप में किसी एक समय के बाद बदलाव लाना वो भी बिल्कुल ABCD से बहुत मुश्किल होता है।

फ़िल्म बहुत अच्छी है, अगर न देखी हो तो ज़रूर देखें, अपने अंदर की कुछ कर गुजरने की आग कैसी होनी चाहिये, जुनून क्या होता है, यह देखने को मिलेगा। श्रैयस तलपा़ड़े का अभिनय ज़बरदस्त है, कई बार मेरी आँखों में आँसू आये, और उसके लिये उनका अभिनय ही ज़िम्मेदार है।

आपका मोबाईल लेने का अधिकार पुलिस के पास नहीं है

जी हाँ मैं भी इस समाचार को पढ़कर चौंका कि यह क्या बात हो रही है, कि आपका मोबाईल लेने का अधिकार पुलिस के पास नहीं है, बिल्कुल नहीं है, पर कहाँ ऐसा हो रहा है और क्यों ऐसा हो रहा है, यह जानने के लिये नम्मा बैंगलुरू के ट्विटर हैंडल पर ट्वीट था –

और वहाँ बैंगलोर पुलिस कमिश्नर ने न्यूज़ लॉंड्री की एक न्यूज़ पर ट्वीट किया था –

तो यहाँ पुलिस के लूटने के हैरतअंगेज़ क़िस्से समाचार में भी लिखे हैं और इस ट्वीट के रिप्लाई में भी कई लोगों ने बताया है कि पुलिस फ़ालतू में परेशान करके उनसे पैसे ऐंठने की कोशिश में रहती है, नहीं तो मार पिटाई तक पर उतर आते हैं।

अगर आप बैंगलोर में हैं तो इस तरह के पुलिस वालों से बचकर रहें, ये ऊपर के पुलिस अधिकार याने कि Top Cop केवल ट्विट करेंगे, पर आपके पास उस समय मदद के लिये कोई नहीं होगा, जब आपको पुलिस से बचाने के लिये किसी की मदद की जरूरत होगी। और तो और कोई एवीडेंस भी नहीं होगा। अपनी सुरक्षा अपने हाथ, पुलिस के हाथ नहीं।

आचार्यकुलम

बाबा रामदेव के स्कूल में एडमीशन

यह बात है वर्ष 2014 की जब भारतवर्ष में चुनावी बिगुल बजा हुआ था और बाबा रामदेव खुलेआम भाजपा का समर्थन कर रहे थे व वित्त के क्षैत्र में बहुत से ऐसे ऐसे बयान दे रहे थे, कि हमें भी आश्चर्य होता था कि ऐसा हो ही नहीं सकता और ये व्यक्ति जो कि इतने लोगों की सोच प्रभावित करता है कैसे कह सकता है कि अगर पेट्रोल 30-40 रूपये चाहिये तो भाजपा को जिताओ। इतना प्रचार किया था कि बताया नहीं जा सकता था, उस समय कई फ़ोरम में मैंने अपने विचार रखे तो लोगों ने मुझे पसंद नहीं किया। खैर हम तो इतना जानते हैं कि बाबा रामदेव को सरकार बनने के बाद ही संसद के सामने धरने पर बैठकर सरकार से माँग करनी चाहिये थी कि पेट्रोल 30-40 रूपये प्रति लीटर करो।

हुआ उसका बिल्कुल उलट अब हम 30-40 रूपये पेट्रोल के लिये प्रति लीटर ज़्यादा दे रहे हैं, अब जो बाबा रामदेव कह रहे हैं कि सरकार देश कैसे चलायेगी अगर पेट्रोल सस्ता हो जायेगा। यह बात हमने फ़रवरी 2014 में जब बाबा रामदेव के स्कूल में बेटेलाल का एडमीशन करने के दौरान उनके मैनेजमेंट को भी कही थी।

दरअसल हुआ यह था कि बाबा रामदेव ने हरिद्वार में नया स्कूल खोला था, जिसमें कि वेदों के साथ साथ अंग्रेज़ी में भी पढ़ाई होती है, हमने बैंगलोर में एडमीशन टेस्ट दिलवाया था, फिर सिलेक्शन होने पर कहा गया कि हरिद्वार में उनके स्कूल आचार्यकुलम में 7 दिन बच्चे को रहना होगा, और वे देखेंगे कि बच्चा वाक़ई उनके स्कूल के काबिल है या नहीं। तब हम हरिद्वार गये और बेटेलाल को 7 दिन के लिये स्कूल में छोड़ दिया। जब 7 दिन बाद हम वापिस लेने गये तो उनके आचार्य जी ने कहा कि हमने आपके बेटे की सबसे ज़्यादा अनुशंसा की है क्योंकि बालक मेधावी है। फिर पता चला कि अब अभिभावकों का मैनेजमेंट से साक्षात्कार होगा।

उस समय हमारा भारत के बाहर जाने का प्लान भी बन रहा था, हमसे पूछा कि भारत से बाहर क्यों जाना चाहते हैं। हमने कहा कौन बेहतर विकल्प नहीं अपनाना चाहेगा। फिर पूछा कि आप तो वित्त क्षैत्र से जुड़े हैं तो बताइये कि आप बाबा रामदेव के चुनावी मुद्दों में इकॉनोमिक्स के विचारों को कैसे देखते हैं, तो हमने बिना लाग लपेट के कह दिया कि बाबा रामदेव के विचार अपनी जगह और व्यवहारिक दुनिया में यह संभव नहीं। बाबा रामदेव जिन बातों को समझते नहीं क्यों उन पर अपने विचार रखते हैं। फिर हमसे पूछा गया कि अगर किसी कारण से बाबा रामदेव या स्कूल कहता है कि तत्काल ही 50-70 हज़ार रूपये जमा करवाइये बिना सवाल जबाब के, तो आप करवा पायेंगे। हमने कहा अगर यह रूपये हमारे बालक के किसी कार्य के लिये करवाये जायेंगे व हम उस कारण से पूर्ण रूप से संतुष्ट होंगे तो करवा देंगे।

फिर बाद में एडमीशन की लिस्ट जारी हुई तो हमारे बेटेलाल का नाम उसमें नहीं था, आचार्य जी आये और बोले कहीं कुछ गड़बड़ हुई है, मैं पता करके आता हूँ। वे पता करके आये बोले कि आपका बच्चा तो एडमीशन के लिये पास था, पर आप साक्षात्कार में फेल हो गये, आपने अपने विचार उचित दिशा में नहीं रखे। हम मन ही मन हँसे कि हम तो वैसे भी यहाँ एडमीशन करवाने वाले थे नहीं, पर कम से कम बाबा रामदेव के स्कूल और मैनेजमेंट के मन की खो़ट तो हमें पता चल गई।

आज भी यह क़िस्सा इसलिये लिख रहा हूँ कि जब एक पत्रकार ने पूछा था कि बाबाजी आपने कहा था कि पेट्रोल 30-40 रूपये हो जायेगा, तो बाबा रामदेव ने कहा तो क्या पूँछ पाड़ेगा मेरी।

आत्मबल और पारिवारिक प्रेम बढ़ाकर ही धनवान बना जा सकता है।

कल केड़ियानॉमिक्स वाले सुशील केड़िया जी को ट्विटर स्पेस पर सुन रहा था।

एक बहुत बढ़िया बात बताई, कि स्टॉक मार्केट में सब पैसा बनाने ही आते हैं पर उनका आत्मबल और पारिवारिक प्रेम इतना कम होता ही कि वे हमेशा घाटा ही खाते हैं। फिर कहते हैं कि अपने तो भाग्य में ही नहीं था।

टेक्निक की अपनी एक जगह है, और जो अनुशासन से अपनी टेक्नीक फॉलो करेगा, वो कभी पारिवारिक जीवन में भी गलत नहीं करेगा। हाँ यह अलग बात है कि एक टेक्नीक हर किसी के लिये काम नहीं करती, सबका मगज अलग अलग है, तो सबकी समझने की, निर्णय लेने की क्षमता भी अलग अलग है।

कहा जाता है कि बड़ा पैसा भाग्य वालों का बनता है, मैं भी इसी में विश्वास करता हूँ, जब आप पैसा कमाते हो, तो जो भी लोग उस पैसे का भोग करने वाले हैं, उनके प्रति आपका प्यार अनुराग कैसा है, उनके कर्म कैसे हैं, इन सब चीजों का अपना एक महत्व है और इस प्यार अनुराग से ही बड़ा पैसा बनता है।हम भले पैसा ज्यादा नहीं कमा सकते, परंतु अच्छा व्यवहार, प्यार, अनुराग ओर अच्छे कर्म करने से तो हमें कोई रोक नहीं सकता।

तो सबसे पहले अपने आपको अच्छा इंसान बनाइये। क्योंकि पैसा आता है बहुत सारी जिम्मेदारियों को भी साथ लाता है।यह सब छोटी छोटी बातें हैं, जिन्हें समझना सोचना शायद बहुत कठिन हो, क्योंकि इसमें कोई टेक्नीक नहीं लगती। इसमें अपना दिल साफ और निस्वार्थ भाव होना चाहिये।

अब मानना न मानना अपने अपने ऊपर निर्भर करता है। बस समस्या यही है कि कोई भी इस बात को मानना ही नहीं चाहता। कोई अच्छा बनना ही नहीं चाहता, कोई अपने मन को शांत रखना ही नहीं चाहता, सभी अपने आपको, अपने मन को हमेशा ही व्यस्त रखना चाहते हैं।

शेयर बाज़ार में टिप्स से नहीं सीखकर काम करिये

कई लोगों का मेरे INBOX में हमेशा यही मैसेज रहता है कि क्या टिप है, कुछ शेयर के नाम बता दीजीये, और कम ही लोग यह पूछते हैं कि शेयर बाज़ार को कैसे सीखें, समझें।


टिप पूछने वाले तो खैर अपने पैर पर ख़ुद ही कुल्हाड़ी मार रहे होते हैं, क्योंकि उनको ही नहीं पता है कि वे क्या ख़रीदने वाले हैं अपनी उस रक़म से जो कि उन्होंने दिन रात काम करके, परिवार के समय के साथ समझौता करके, किसी न किसी अपनी इच्छा को मारकर, किसी ऐसे व्यक्ति के कहने पर कहीं भी पैसा लगाने को तैयार रहते हैं जिन्हें वे मार्केट एक्सपर्ट समझते हैं। यहाँ शेयर बाज़ार में ऐसा कोई नहीं जो कि हमेशा ही लाभ में होता हो, सभी को घाटा होता है, यह भी एक व्यापार ही है।

बस हमें अपने लाभ को घाटे से ज़्यादा रखना होता है, तो हम शेयर बाज़ार में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। नहीं तो जो रक़म गाढ़ी कमाई की है उसे बाज़ार में आकर गँवा देंगे। बाज़ार में कोई भी एक्सपर्ट नहीं है, शेयर बाज़ार सर्वोपरि है, भगवान है, कब क्या हो जाये कोई भी प्रिडिक्ट नहीं कर सकता है।

मैं ख़ुद उतने वर्षों से बाज़ार में रहते हुए, सीखने के लिये लालायित रहता हूँ, जो तरकीबें आज से १० साल पहले काम करती थीं, वे अब काम नहीं करती, बाज़ार में काम करने का तरीक़ा, बाज़ार का ट्रेंड बदलता रहता है, और जब सीखेंगे तभी कुछ अच्छा कर पायेंगे।

बाज़ार को सीखने के लिये रोज़ समय देना होता है, मैं आज भी लगभग रोज़ २ घंटे बाज़ार को सीखने के विश्लेषण करने के देता हूँ, तभी आज थोड़ा बहुत सफल हो पाता हूँ। बाज़ार ऐसी जगह है जहाँ सभी तरह के लोग हैं कोई ट्रेडर है तो कोई निवेशक, सबकी अपनी अपनी ज़रूरत और सीखने की अपनी प्रक्रिया होती है। सीखना एक लंबी प्रक्रिया है, फिर उसे प्रेक्टिस करके, बैकटेस्ट करके ही कुछ सफलता हाथ लग सकती है।

अब तो यूट्यूब चैनल हैं सीखने के लिये, मैं अमूमन जब सीखता हूँ, तो मुझे १ घंटे के वीडियो को ख़त्म करने में ही ४ घंटे से ज़्यादा वक़्त लग जाता है, क्योंकि मैं साथ ही प्रैक्टिस भी करता जाता हूँ। शेयर बाज़ार जितना आसान है, उतना ही मुश्किल। बस एक बात अपनी जोखिम क्षमता को ज़रूर परख लें, और शेयर बाज़ार लत है, रोज़ ट्रेड नहीं करने की आदत भी डालनी चाहिये, मार्केट ट्रेंड के साथ कभी कभी ट्रेड करके अपने पैसे को मात्र ४-५ घंटे में १०-११ गुना भी बनाया जा सकता है, बस आपकी स्टडी अच्छी होनी चाहिये, और सबसे बड़ी बात कि अपनी स्टडी पर ख़ुद को ही कॉन्फ़िडेंस होना चाहिये।

हमारा विकास ज़बरदस्ती करवाया जा रहा है

बैंगलोर में सबसे ज़्यादा रोड टैक्स किसी भी वाहन पर भारत में भरना होता है।मतलब कई बार तो ऐसा लगता है कि इतना टैक्स लेने के बाद शायद यहाँ बेहतर सड़कें मिलेंगी पर ऐसा कुछ है नहीं, हाईवे पर लूट अलग है।जब तक कोई दमदार व्यक्ति किसी सड़के के लिये न कहे, तब तक यहाँ सड़कें नहीं बनतीं। हमें समुद्र बहुत ही पसंद है, पर उसके लिये हमें समुद्र किनारे नहीं जाना पड़ता, जब भी थोड़ी सी बारिश हो, तो बैंगलोर की सारी सड़कें ही समुद्र बन जाती हैं, और बिना पैसे खर्च किये ही मज़ा आ जाता है।

अब रही बात ज़बरदस्ती विकास की, तो जब सब ठीक चल रहा है तो आपका खर्चा नहीं होगा, जब समुद्र बनेगा तो आपकी गाड़ी फँसेगी, आपको गाड़ी निकलवानी पड़ेगी, गाड़ी ख़राब होगी तो मैकेनिक के पास ले जानी पड़ेगी, इस प्रकार से देखिये कितने लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार देने की महती योजना चल रही है।

अब बारिश ख़त्म हो गई तो बिल्कुल बारिश ख़त्म होने के पहले सड़कें दोनों तरफ़ से खोद दीं, चौराहों पर, मोड़ों पर भी सड़कें खोद दी गईं, अब सोचो मास्टर माईंड, लोग समझ ही न पाये, एक बारिश हुई और जो खोदने के बाद उसे दिखाने के लिये मिट्टी डाली थी, वह बड़ा गढ्ढा बन गया, कल कई दिनों बाद दीपावली पूजन सामग्री के लिये बाज़ार जाना हुआ, जैसे ही बाज़ार के लिये मुड़े, कार गढ्ढे में, फच्च की आवाज़ आई, एक्सीलरेटर मारने पर कार निकल गई, हमने मन में सोचा कि चलो बचे।

पर बात यहीं ख़त्म नहीं हुई, अब सड़क के दोनों और की खुदाई की परेशानी, बाज़ार है पर बाज़ार में पार्किंग नहीं, तो भई आप या तो सड़क पर गाड़ी खड़ी कर दो और शॉपिंग करो, या फिर चुपचाप गाड़ी घर ले जाओ, शॉपिंग अगले साल कर लेना। गाड़ी बीच सड़क पर खड़ी कर दो तो सफ़ेद वर्दीधारी आकर फट से स्लिप और चिपका के निकल जायेगा। और इसके बाद एक बात और कि सड़क पर ही बीचोंबीच नाले को साफ़ करने के लिये ढक्कन सड़के के ऊपर कम से कम एक फ़ीट ऊँचा करके लगा दिया है, अब अगर जगह न हो, और मजबूरी में गाड़ी उस पर से निकालनी पड़े, तो बस हो गया कार्यक्रम, याने कि ज़बरदस्ती दूसरों का विकास।

फिर गये पटाखे लेने, तो एक टंकी वाला मैदान है जहाँ तरह तरह के मेले लगते रहते हैं, वहाँ पर पटाखों की दुकानें लगी हैं। हमने सोचा चलो पटाखे ले लें, मैदान में जाने का रास्ता पहले समतल हुआ करता था, फिर लॉकडाऊन हुआ तो चढ्ढे वाले गिरोह के लोगों ने वहीं पर एक कमरा बनाकर, उस पर क़ब्ज़ा कर लिया और गेट भी लगा दिया, बीच में लगभग दो फ़ीट ऊँचा कर दिया, अब कल गये तो अंदाज़ा ही नहीं लगा, और बस गाड़ी चेसिस पर फँस ही गई थी, तो अंदर के लोगों ने कहा, मारो एक्सलेरेटर गाड़ी निकल जायेगी, आख़िर निकल गये। हमारी ही नहीं सबकी गाड़ियाँ फँस रही थीं।

जब डैमेज ही नहीं होगा तो आप क्यों ठीक करवाने जाओगे, इसलिये अब यह सब ज़बरदस्ती करवाया जा रहा है, आपको लगे कि गलती हमारी ही है, पर इसके पीछे की ज़बरदस्ती विकास की मंशा को समझना बेहद कठिन है। ऐसा ही कार्यक्रम कई अन्य क्षैत्रों में हो रही है।

शेयर बाज़ार में रोज़ नई चीजें कैसे सीखें

शेयर बाज़ार में लोगों का interest जब से lockdown लगा है, तब से कुछ ज्यादा ही हुआ है। इसी कारण से कोई भी ब्रोकर हो उनके यहाँ रिकार्डतोड़ DMAT account खुल रहे हैं। पर समस्या यह है कि लोगों को पैसा बनाने के लिये टिप चाहिये होती है, सीखने वाले न के बराबर हैं। टिप बहुत बुरी बीमारी है, टिप से व्यक्ति को अपनी risk ही पता नहीं रहती। किसी और के कहने पर अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा अंधी दौड़ के लिये लगाता जाता है।

खैर ज़्यादा भाषण नहीं, तो मुख्य बात यह है कि शेयर बाज़ार में रोज़ नई चीजें कैसे सीखें, यहाँ तक कि बुनियादी बातें, Share market terms कैसे जानें। उसके लिये बहुत ही बढ़िया तरीका है कि आप यूट्यूब पर जाकर आपको जो सीखना है वह सीखना शुरू करें, फिर जो terms आपको समझ न आती हों तो उन terms को लिखकर सर्च करें, इस प्रकार कड़ी से कड़ी जोड़कर आप बहुत सी चीजों को सीख सकते हैं।

मुझे शेयर बाज़ार में काम करते हुए 20 वर्ष से ज़्यादा हो गये, पर अब भी बहुत सी नई चीजें उनके बीच के co-relation पता चलते हैं, तो बच्चे जैसा सीखने के लिये मचल जाता हूँ, और फिर पागलों की तरह की वीडियो देखता रहता हूँ, ब्लॉग पढ़ता हूँ, ट्विटर पर ढूँढता हूँ, साथ ही अपनी कॉपी रखता हूँ, और जो भी महत्वपूर्ण बिंदु होते हैं, उन्हें लिखता जाता हूँ, अगर data उपलब्ध होता है तो हाथों हाथ उन सबकी back testing भी कर लेता हूँ, तथा अगले दिन से paper trade में शामिल कर लेता हूँ।

केवल इसी हैबिट के कारण मुझे पिछले एक महीने से इतना फ़ायदा हुआ कि अब एक डील में weekly expiry के दिन लेता हूँ और Friday बाजार बंद होने के पहले या Monday morning में ही मुझे मेरी लगायी मार्जिन रकम का 1.5 – 2% का रिटर्न मिल जाता है, जिसके लिये मुझे बारबार बाजार भी नहीं देखना होता है। मैं अपना ऑफिस के काम में व्यस्त रहता हूँ, बस किसी एक ब्रेक में डील देख लेता हूँ, जब भी मुझे 1.5-2% के आसपास का फायदा होता है, मैं निकल लेता हूँ। महीने का 8% जो कि साल का 96% याने कि लगभग पैसा दोगुना एक साल में हो जायेगा। अभी तक मेरा profit 2% हर सप्ताह के हिसाब से पिछले 3 सप्ताह से हो रहा है, जिसकी पेपर ट्रेडिंग मैंने लगभग 1 महीना की, फिर मुझे confidence आ गया, क्योंकि मैं बहुत सारे ifs and buts जानता था, अगर trade गलत हो गई तो उसके adjustments भी करना जानता हूँ।

आज कुछ नई बातें MACD, Elliot Waves पर सीखीं, back testing भी करी, अब कल से paper trade करेंगे, अगर यह समझ आ गया तो बस मजा ही आ जायेगा।

शेयर बाज़ार जुआँ सट्टा नहीं है, बहुत सी चीजें technicals पर चलती हैं, बहुत सी नहीं, इसलिये सीखना बहुत है, मेरा तो यही मानना है कि शेयर बाज़ार में आकर मुनाफ़ा कमाना दूर की बात है, पहले आप जो पैसा बाज़ार में लगाने के लिये लाये हैं, पहले उसे बचाना सीख लें, अगर वह सीख लिया तो profit तो झक मारकर आयेगा।

QNET कंपनी से बचकर रहें

QNET कंपनी का टाईम्स ऑफ इंडिया में दो दिन पहले ही पूरे मुख्य पेज का एक विज्ञापन आया था, मैं तो उस विज्ञापन को देखकर ही हतप्रभ था, कि फिर एक बड़ी पैसे घुमाने वाली कंपनी, उत्पादों के सहारे कैसे भारत में एक बड़ी एन्ट्री कर रही है। यह सब पौंजी स्कीम कहलाती है, जिसमें कि आपको कुछ लोगों को अपने नीचे लोगों को जोड़ना होता है, जिसके बदले आपको उन पैसों से कमीशन दिया जाता है जिन पैसों से वे लोग आपके नीचे उस कंपनी के लिये आपसे जुड़ते हैं। अगर उस कंपनी के उत्पाद भी देखेंगे तो आपको पता चल जायेगा कि यह कंपनी उत्पाद के लिये नहीं बल्कि सीधे सीधे मनी रोटेटिंग का काम मल्टी लेवल मार्केटिंग के सहारे कर रही है। Continue reading QNET कंपनी से बचकर रहें

मोर्निग सोशल नेटवर्किये

मोर्निग सोशल नेटवर्किये सुबह उठे और सोच रहे थे कि आज कुछ पुराने लेख जो क्रेडिट कार्ड और डेरिवेटिव पर लिख रहा था उन्हें पूरा लिख दूँगा, परंतु सुबह उठकर हमने मोबाईल हाथ में क्या ले लिया जुलम हो गया, फेसबुक और ट्विटर तो अपने अपडेट हमेशा ही करते रहते हैं, किस किस ने क्या क्या लिखा है और उनके मन में क्या विचार थे। दिल कह रहा था कि क्या टाईम पास लगा रखा है, अपना काम करो, परंतु मन जो था वो अपनी रफ्तार से भागता जा रहा था और कह रहा था नहीं पहले दूसरे के विचार पढ़ो और उनके स्टेटस पर अपनी टिप्पणी सटाओ। फिर दिनभर तो तुम्हें समय मिलने वाला है नहीं, रात को 9 बजे तो मुँह फटने लगता है। हम भी मन के बहकावे में आ गये और आज पूरी सुबह मोर्निग सोशल नेटवर्किये हो गये।

Morning Social Networker
Morning Social Networker

आजकल फेसबुक और ट्विटर पता नहीं कौन से वीडियो फार्मेट में दिखाते हैं कि नेट की रफ्तार कम हो या ज्यादा पर वीडियो अपने आप ही चलने लगता है। और अब वीडियो भी इस तरह के ही बनने लगे हैं कि आपको आवाज सुनने की जरूरत ही न पड़े, कुछ लोग या तो अपने एक्शन से ही समझा देते हैं या फिर वीडियो में टाइटल लगा देते हैं। अब बिना आवाज के वीडियो  भी देखा जाना मुझे वैसा ही जबरदस्त चमत्कार लगता है जैसा कि बिना आवाज के टीवी देखते थे कि किसी को पता नहीं चले हम टीवी देख रहे हैं, बस समस्या यह होती थी कि टीवी में रोशनी ज्यादा होती थी तो पूरे कमरे में अंधेरे में फिलिम जैसी दिखती थी और रोशनी कम ज्यादा होने से हमेशा ही पकड़े जाने की आशंका बनी रहती थी। पर मोबाइल में यह सुविधा आने से यह समस्या लगभग खत्म सी हो गई है।

अपना मोर्निग सोशल नेटवर्किये होने का भी एक कारण है कि अपने को सुबह ही समय मिल पाता है, बाकी दिनभर जीवन के दंद फंद चलते रहते हैं और हम उनमें ही उलझे रहते हैं। कई बार फेसबुक या ट्विटर पर कुछ अच्छे शेयर पढ़ने को मिल जाता है जो हमारी विचारधारा को बदल देता है, हमेशा ही निगाहें कुछ न कुछ ऐसा ढ़ूँढती रहती हैं कि पढ़ने पर या देखने पर कुछ ज्ञान बढ़े तो आत्मा को शांति भी मिल जाये। मोर्निग सोशल नेटवर्किये होने का एक और फायदा है कि हम विभिन्न विचारधारा के व्यक्तियों से जुड़े होते हैं और उनके विचारों में कई अच्छे तो कई बुरे होते हैं, उन विचारों के मंथन के लिये दिनभर हमें मिल जाता है।

मोर्निग सोशल नेटवर्किये होने का एक मुख्य नुकसान है कि हम हमारी तय की गई गतिविधि से भटक जाते हैं और हम कुछ और ही कर लेते हैं बाद में पछताते हैं कि हमने अपना बहुत सारा समय व्यर्थ ही गँवा दिया, काश कि हम मन पर थोड़ा संयम रख लेते तो हम अपने उस समय का अच्छा उपयोग कर लेते परंतु हम शायद ही मन से कभी जीत पायें, मन हमेशा ही दिल की बातों पर भारी होता है और हमेशा ही जीतता है।