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भारत का पैसा विदेशों में क्यों जा रहा है?

भारतीय बाजारों से पैसा भारत के बाहर के बाजारों में जा रहा है। यह रकम बहुत बड़ी है।

सेकेंडरी मार्केट – बाजार में 3 बड़े निजी बैंक जो एडवाइजर का भी काम करते हैं, उनकी सलाह है कि अपने पोर्टफोलियो का 20% विदेशी बाजारों में लगायें, वहीं 3 वर्ष पूर्व उनकी सलाह 0% की थी।

प्राइवेट मार्केट – भारत से सैकड़ों स्टार्टअप विदेश जा रहे हैं। 

क्या असर पड़ेगा –

भारत $5 ट्रिलियन इकोनॉमी करना चाहता है किस्से भारत विश्व की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बन जाये।

लेकिन भारत बहुत से मोर्चों पर असफल है, जैसे बढ़िया टैलेंट, कैपिटल, एंटरप्राइज, और यह एक बहुत बड़ी मुश्किल है।

हमारा सारा टेलेंट, पैसा और स्किल्स बाहर देशों में जा रहा है, उन देशों की इकोनॉमी को उन्नत, कुशल और समृद्ध बनाने में लगा हुआ है।

भारत के लिये यह सर से पानी गुजरने जैसा है और इस नकसीर को यहीं रोकना होगा, वरना तो बहुत देर हो चुकी होगी।

अमेरीका ही क्या कई अन्य देश व्यवस्थित ढंग से लालच देकर पूरे विश्व से अच्छे टैलेंट को चुरा रहे हैं। कितने ही अमेरीका के पॉपुलर पॉडकास्ट लगातार जॉब एक्ट, इमिग्रेशन एक्ट, स्पेशल परपज वीसा पर बातें करते हैं।

हो यह रहा है कि ये कुछ देश विश्व के हर कोने से टैलेंट को अपने यहाँ जगह दे रहे हैं, मतलब की पूरे विश्व के टैलेंट को चूस रहे हैं। भारत के बहुत ही गंभीरता से इस बारे में सोचना होगा और सबसे पहले टैलेंट को चिह्नित करके उनको अपने ही देश में अपने देश की उन्नति के लिये स्वीकार करना होगा। 

राष्ट्रवादी और कट्टर देशभक्त होकर अमेरिका पर ऊँगली उठाना बहुत आसान है कि अमेरिका हमारा पूरा टैलेंट चुरा कर ले जाता है। असली प्रश्न तो यह है कि – भारत ऐसा होने कैसे दे रहा है। गाँधी जी ने भी कहा था कि अगर आप किसी पर ऊँगली उठाते हो तो वो एक ही होती है, परंतु तीन ऊँगलियाँ ख़ुद की तरफ़ उठती हैं।

भारत से पैसा बाहर जाने से रोकने के लिये म्यूचुअल फंड जो कि विदेशी बाज़ारों में निवेश करते हैं उनकी विदेशी मुद्रा की लिमिट ख़त्म हो चुकी है और नया पैसा इस तरह के फंड्स विदेश नहीं जा पा रहे हैं। पर यक़ीन मानिये यह पैसा है, पैसा पानी जैसा होता है, अगर पैसे को बाहर जाना है तो वह अपने तरीक़े ढूँढ लेगा, और बाहर के बाज़ारों में बह जायेगा।

FII Fund Outflow from India

स्टार्टअप को स्केल अप करने के लिये बड़े फंड की ज़रूरत है पर भारत में बड़े बिज़नेस घराने इस तरफ़ बहुत ज़्यादा एक्टिव नहीं हैं। Web3 मीटिंग दिल्ली, बैंगलोर या मुंबई में नहीं हुई यह हुई दुबई में और इसमें 75% प्रतिभागी भारतीय थे बाक़ी के रशिया और यूरोप के थे। अधिकतर स्टार्टअप या तो दुबई में जा चुके हैं या जाने की प्रोसेस में हैं। Web3 इंटरनेट का अगला वर्शन कहा जा रहा है, और उसके लिये दुबई में इसका प्लेटफ़ॉर्म तैयार है जो कि डिसेंट्रलाईज होगा और ब्लॉकचैन पर चलेगा। जबकि भारत में स्टार्टअप अभी भारतीय सरकारी व्यवस्था और उनके नियामकों से जूझ ही रहे हैं, जहाँ नियम कभी भी बदल जाते हैं और उसका किसी को अता पता नहीं होता है। भारत में हर तरफ़ टैक्स की मार भी है।

दरअसल यह बदलाव शुरू हुआ है नवंबर 2021 से, जब क्रिप्टोकरंसी के लिये क्रिप्टो बिल में ज़्यादा टैक्स और कठिन नियमों के चलते दुबई या किसी और देश जा रहे हैं, अब प्रश्न यह नहीं होता है कि “क्या तुम जा रहे हो?” बल्कि प्रश्न होता है कि “कब जा रहे हो?”

स्टार्टअप जब काम करना शुरू करते हैं तो वे आधुनिक तकनीक पर काम करते हैं और वह तकनीक सरकारी अमले को समझाना लगभग असंभव ही होता है और स्टार्टअप को भारतीय नियमों में बँधकर काम करना होता है, जबकि वे तकनीक विश्व के लिये बना रहे होते हैं, जब स्टार्टअप शुरू होते हैं तो प्रोसेस में कई चीजें ऐसी होती हैं कि उन्हें भी नहीं पता होता कि उन चीजों के लिये भारत में सरकार से बार बार हर चीज के लिये परमीशन लेना होगा। अगर किसी ने डिजिटल एसेट्स का ही काम शुरू कर दिया तो उस पर भारत में 30% टैक्स हो और 1% टीडीएस भी। हर स्टार्टअप के अपने प्रोटोकॉल होते हैं और उन्हें ही पता नहीं होता है कि वाक़ई क्या लीगल है और क्या नहीं, आप कोई NFT का उपयोग करना चाहते हैं, या डिजिटल कॉइन लाँच करना चाहते हैं, यह सब तो स्टार्टअप शुरू करते समय पता नहीं होता है।

वैसे भी ऐसा क्यों हो रहा है तो आप ट्विटर पर क्या ट्रेंड कर रहा है, अपने टीवी खोलकर सामने देख लीजिये, या फिर अख़बारों के मुख्य पेज ही देख लें, फिर शायद यह प्रश्न नहीं पूछें।

छोटी बचत पर ब्याज दर कम करके जनता को बताया है कि आप सब फूल हो

कल जैसे ही भारत सरकार का छोटी बचत पर ब्याज दरों पर सर्कुलर आया, व्हाट्सऐप वर्ल्ड में अचानक ही हाहाकार मच गया। मैंने सबसे पहले यही लिखा कि ब्याज दर कम करके जनता को बताया है कि आप सब फूल हो, इसे अप्रैल फूल न समझें कि 2 अप्रैल को भारत सरकार कहे कि आपको तो बेवकूफ बनाया था, दरअसल जनता तो लगातार बेवकूफ ही बन रही है, इसलिये भारत सरकार अब पूर्णरूपेण आश्वस्त है कि यह फूल जनता कुछ कर नहीं सकती है।

ब्याज दर कम होने से सबसे ज़्यादा फ़र्क़ उन लोगों पर पड़ने वाला है जिनकी कोई आय नहीं है व वे लोग केवल ब्याज से मिलने वाली आय से ही जीवन यापन कर रहे हैं, परंतु फिर भी लोगों को भ्रम टूट ही नहीं रहा, वे तब भी ब्याज से ही गुज़ारा करने की सोच रहे हैं, हालाँकि ब्याज दर कम करने से भारत सरकार के आयकर विभाग को भी कम आमदनी होगी, जब ज़्यादा ब्याज ही नहीं मिलेगा तो वित्तीय संस्थान TDS भी नहीं काट पायेगा।

भारत सरकार ने 1 अप्रैल 2004 के बाद पेंशन का प्रावधान तो ख़त्म कर ही दिया था, और जिन नौकरीपेशा लोगों के पास पेंशन का ऑप्शन भी है वे लोग भी अगले २० वर्षों में रिटायर हो जायेंगे, परंतु अगर आज की बात की जाये तो आज की पीढ़ी को पेंशन का कॉनसेप्ट ही नहीं पता होता है, 50 वर्षों के बाद पेंशन शब्द शायद बहुत ही कम सुनने को मिले, क्योंकि तब तो जितने भी पेंशनधारी हैं वे बहुत ही कम रह जायेंगे।

खैर दोस्तों की सबसे पहली प्रतिक्रिया यह रही कि भारत सरकार चाहती है कि जो भी बचत बैंकों में बचत खाता या फिक्सड डिपॉजिट के रूप में ब्लॉक हो गई है, उसे बाज़ार में लाया जाये, अब तो पीपीएफ पर भी ब्याज दर 7.1% से 6.4% कर दी गई है। वरिष्ठ नागरिक बचत भी अब 6.5% कर दी गई है। भारत सरकार चाहती है कि लोग आगे आयें और अपनी बचत को शेयर बाज़ार में लगाकर जोखिम लें, जिसमें यकीनन 95% लोग अपनी मेहनत की कमाई को खोयेंगे क्योंकि हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी है जो यह नहीं सिखाती कि आप अपनी बचत को कैसे रखें।

पूरे भारत को फूल बनने की बधाई।