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पारिवारिक समय का कत्ल कर रहे है अंतर्जाल और फ़ेसबुकिया दोस्त (Facebook and Internet are killing family time)
अभी कुछ समय से अपने ऊपर ही विश्लेषण कर रहा हूँ कि एक बार लेपटॉप पर कुछ थोड़ा सा कार्य लेकर बैठे तो कार्य तो खत्म हो गया, किंतु बाकी का समय फ़ेसबुक, ट्विटर या ब्लॉग पढ़ने में निकल जाता है, और यह समय किस तेजी से भागता है, यह तो सिस्टम ट्रे की घड़ी और सामने दीवार पर लगी घड़ी दोनों बताते रहते हैं।
वर्षों पहले बचपन की सुनहली तस्वीर सामने आती है, जब न बुद्धुबक्सा था न अंतर्जाल तक पहुँचाने वाला ये तकनीकी यंत्र नहीं था, तब लगभग सभी परिवार अपने आप में बेहद मजबूती से बंधे हुए थे, और सबको एक दूसरे के दुख सुख का अहसास होता था, पता होता था। सामाजिक मूल्यों की परिभाषा अलग होती थी और अब सामाजिक मूल्यों की परिभाषा में बदलाव सहज ही देखा जा सकता है।
कल फ़ेसबुक पर बहुत सारे दोस्तों को जो कि केवल फ़ेसबुक दोस्त थे, जो इसलिये बना लिये गये थे कि उनके और हमारे कुछ कॉमन दोस्त थे, हटा रहे थे। दोस्तों की इतनी भीड़ देखकर दंग था और उनके द्वारा जारी किये गये स्टेटसों को भी देखकर, कुछ तो केवल अपनी भड़ास ही निकाल रहे थे और कुछ केवल समय का कत्ल कर रहे थे, तो हमने सोचा कि ऐसे समय का कत्ल करने वाले दोस्तों से पीछा छुड़ाना ज्यादा ठीक होगा, ठीक है थोड़ा सा अपना पारिवारिक समय का कत्ल होगा।
पीछा छुड़ाने से यह फ़ायदा तो होगा जो वाकई में दोस्त हैं उनके दुख सुख में शामिल तो हो सकेंगे उनकी वर्तमान गतिविधियों को देख तो सकेंगे। कल इतने समय फ़ेसबुक पर शायद पहली बार मैंने वक्त गुजारा और देखा कि कुछ लोग तो केवल दोस्त बनाने की होड़ में लगे हैं और सार्वाधिक दोस्त बनाने की होड़ में लगे हैं। केवल अपने मन को तृप्त करने के लिये ?
समय आ गया है कि थोड़ा अपने समय का कत्ल करके ऐसी चीजों से बचा जाये और बेहतरीन समय प्रबंधन कर परिवार को उचित समय दिया जा सके।
गालों पर तिरंगा.. भ्रष्टाचार..जन्माष्टमी..इस्कॉन..और अमूल बेबी बॉय
शाम को घर से निकले कृष्णजी के दर्शन के लिये तो देखा कि घर के सामने ही चाट की दुकान पर युवाओं की भीड़ उमड़ी हुई है और चाटवाले भैया का हाथ खाली नहीं है, कहीं किसी नौजवान युवक और युवतियों के गालों पर तिरंगा बना हुआ है तो किसी ने तिरंगे रंग की टीशर्ट पहन रखी थी। सब भ्रष्टाचार का विरोध कर के आ रहे थे। बैंगलोर में भ्रष्टाचार का विरोध फ़्रीडम पार्क में हो रहा है जिसके बारे में आज बैंगलोर मिरर में एक समाचार भी आया है कि ऑटो वाले जमकर चाँदी काट रहे हैं, मीटर के ऊपर ५०-१०० रूपये तक माँगे जा रहे हैं और पुलिस वाले चुपचाप हैं और लोगों को कह रहे हैं कि यही तो इनके कमाने के दिन हैं।
बड़ा अजीब लगता है कि लोग ऑटो वालों के भ्रष्टाचार से परेशान हैं और ज्यादा पैसा लेना भी तो जनता के साथ भ्रष्टाचार है और उसके बाद जनता भ्रष्टाचार का विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, “मैं अन्ना हूँ।” और भी फ़लाना ढ़िकाना… पर खुद भ्रष्टाचार खत्म नहीं करेंगे, अरे भई जनता समझो कि भ्रष्टाचार खुद ही खत्म करना होगा।
यहीं घर के पास ही एक कन्वेंशन सेंटर में इस्कॉन बैंगलोर ने जन्माष्टमी के अवसर पर आयोजन किया था, आयोजन भव्य था। दर्शन कर लिये पर पता नहीं चल रहा था कि ये मधु प्रभू वाला इस्कॉन है या मुंबई इस्कॉन वाला, आपकी जानकारी के लिये बता दूँ कि मधु प्रभू वाले राजाजी नगर, विजय नगर वाले मंदिर का इस्कॉन संस्था ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहिष्कार किया हुआ है। इस्कॉन मुंबई ने बैंगलोर में शेषाद्रीपुरम में अपना एक मंदिर बनाया है और अब एच.बी.आर. लेआऊट में एक और मंदिर बन रहा है।
दर्शन करने के बाद महामंत्र “हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे” का श्रवण किया और फ़िर चल दिये प्रसादम की और जहाँ पर हलवा और पुलैगेरा चावल थे दोनों ही अपने मनपसंद बस पेटभर कर आस्वादन किया गया।
घर आये फ़िर न्यूज चैनल देखे तो पता चला कि अन्ना फ़ौज से भगौड़े नहीं हैं जो कि थोड़े दिनों पहले शासन करने वाली राजनैतिक पार्टी के लोग बयान दे रहे थे। अब तो वे बेचारे किसी को मुँह दिखाने लायक भी नहीं रहे, अरे भई बोलो मगर यह तो नहीं कि जो आये मुँह में बोल डालो, सब के सब दिग्विजय सिंह से टक्कर लेने में लगे हैं। वैसे आजकल ये महाशय चुप हैं, और नौजवान अमूल बेबी बॉय मुँह में निप्पल लेकर बैठे हुए हैं, क्योंकि उनको पता है कि अगर उन्होंने अन्ना का नाम भी लिया तो उन्हें मिलेगा गन्ना ।
बेचारे बाबा नौजवानों को अपने साथ लाना चाहते थे और देखकर हर कोई दंग है कि ७४ वर्षीय अन्ना के साथ सारे नौजवान सड़क पर उतर आये हैं, मम्मी अमरीका गई है बाबा की निप्पल बदले कौन ?
भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फ़ूँकना होगा । (Fight against corruption)
आजकल कुछ ठीक नहीं लग रहा है, जो इस काल में देश और समाज में घटित हो रहा है वह सब ठीक नहीं हो रहा है। क्या बतायेंगे हम आने वाली पीढ़ी को कि कैसे भ्रष्टाचार का दीमक हमारे समाज, देश और अर्थव्यवस्था को चाट गया। सरकार और राजनैतिक दल अपना स्वार्थ साधने के लिये शांतिपूर्ण आंदोलनकारियों को विदेशी ताकत का हाथ बताने लगते हैं। क्या ऐसे लोगों को सरकार और उससे जुड़े पदों पर रहने का अधिकार है ?
क्या यह उसी तरह की क्रांति की तस्वीर भारत में उभर रही है जैसी कि सिंगापुर में १९७० के दशक में उकेरी गई थी, हमारी सरकार और राजनैतिक नुमाईंदे बैकफ़ुट पर हैं और जनता हावी होती जा रही है। क्या चुने हुए लोग इतने बेशरम हो गये हैं कि जनता की बात सुनना ही नहीं चाहते हैं, और अगर ऐसा है तो यह तो तय है कि अहिंसक तरीके से जनता आंदोलन कर रही है और अगर आंदोलन ऐसा ही चलता रहा तो सरकार का गिरना तय है, क्योंकि इससे एक बात तो साफ़ हो रही है कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ़ नहीं है और अगर है तो उसे मिटाने की प्रतिबद्धता सरकार में नहीं है।
खैर जनता कितना भी आंदोलन कर ले परंतु ये प्रशासनिक और सरकारी लोग वही करेंगे जो इनको करना होगा या आदेशित होगा। अगले चुनाव में क्या मुँह लेकर जनता के पास जायेंगे ? इससे अच्छा है कि जनता को ही अपने समूह बनाने होंगे और जो भ्रष्टाचार करे उसकी सरेआम बेईज्जती की जाये और मुँह काला कर गधे पर बैठाकर घुमाया जाये। परंतु हमारे संस्कार हमें इस बात की भी इजाजत नहीं देते, हमारे संस्कार कहते हैं कि अगले को सुधरने का पूरा मौका दिया जाना चाहिये।
अब तो जो होना है वह होना है, परंतु गांधीवादी युग से क्या हासिल होगा, जनता का विद्रोह अगर लीबिया जैसा हो गया तब सरकार क्या कर लेगी। जनता को अराजक बताकर अपनी पूरी ताकत इनको खत्म करने में लगा देगी। लेकिन भ्रष्टाचार खत्म करने के लिये कोई ठोस कदम उठाने कि बात नहीं करेगी।
कुछ बातें ठीक लग रही हैं जैसे इलेक्ट्रानिक मीडिया बराबर कवरेज दे रहा है और हो सकता है कुछ चैनलों को तो मजबूरी में टी.आर.पी. के चक्कर में ना चाहते हुए भी कवरेज देना पड़ रहा हो। कुछ बातें ठीक नहीं लग रही हैं क्या पुलिस वाले मानव ह्र्दय नहीं रखते या उनको सही गलत की समझ नहीं होती या फ़िर वे हमेशा अपने ऊपर भ्रष्टाचार का दाग लेकर घूमना चाहते हैं, जो कि सरकार की बातें मान रहे हैं, क्यों सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार के महाआंदोलन में साथ नहीं हैं।
हो सकता है कि आंदोलन के सूत्रधारों की रणनीति ठीक नहीं हो या एजेंडा थोड़ा सा भटका हुआ हो, परंतु है तो भ्रष्टाचार के खिलाफ़ ही, अगर आज उठे नहीं तो कभी उठ नहीं पायेंगे, भ्रष्टाचार मुक्त भारत देश बनाने का सपना साकार करने के लिये यह पहला कदम है, अभी तो इस राह में बहुत सारी क्रांतियाँ हैं।
कैलोरी वजन और व्यायाम जलाओ जलाओ कैलोरी जलाओ.. (Burn Calorie, weight and exercise..)
वजन कम करना भी एक टेढ़ी खीर है, और अब तो यह एक व्यवसाय बन गया है। जिस चौराहे पर देखो उधर वजन कम करने का और कमर कम करने का विज्ञापन दिखाई देता है। विज्ञापन देखकर वजन कम करने के लिये प्रेरित तो होते हैं, परंतु जब वजन कम करने के लिये पसीना बहाना होता है तो अच्छे अच्छों को नानी याद आ जाती है।
१५ मिनिट का व्यायाम भी १५ घंटे के बराबर लगता है, वह एक घंटा बहुत ही मुश्किल से बीतता है, फ़िर हाथ पैरों में जो ऐंठन और दर्द होता है, उसका तो पूछना ही क्या । वजन कम करने के लिये आत्मप्रेरित होना होता है, जब शरीर व्यायाम करता है तो सारे शरीर में खून का प्रवाह ठीक होने लगता है और दिमाग के स्नायु भी अच्छे से कार्य करने लगती हैं। मानसिक उत्पादन बड़ता है और व्यक्ति को भी अच्छा लगता है।
आज सुबह ही प्रवचन (कहाँ से और किस से ना पूछें तो मेहरबानी होगी) में सुन रहे थे कि एक घंटे में धीमी गति से अगर ३.२ कि.मी. चला जाये तो २०० कैलोरी जलती है और अगर तीव्र गति से चला जाये तो ११०० कैलोरी जलती है, एक किलो वजन कम करने के लिये लगभग ८३०० कैलोरी जलाना पड़ती हैं। तो हमने भी झट से एक्सेल में गणना की तो लगा कि बहुत मेहनत का कार्य है यह भी !
धीमी गति से चलने पर | तीव्र गति से चलने पर | |
1 किलो कम करने के लिये कैलोरी | 8300 | 8300 |
1 घंटे में जली कैलोरी | 200 | 1100 |
कुल घंटे एक किलो कम करने के लिये | 41.5 | 7.545454545 |
अब गणना तो कर ली है, सोचते हैं कि खाने में कभी ध्यान नहीं देते हैं, और खाते समय कैलोरी गणना को पाप मानते हैं। जैसे कॉफ़ी पीते हैं तो एक कप में २०० कैलोरी होती है, यह कैलोरी तो कॉफ़ी की होती है और शक्कर की अलग, ऐसे ही चाय की। बिस्किट्स और चिप्स की भी कैलोरी बहुत ज्यादा होती हैं। मिठाई और नमकीन की कैलोरी भी बहुत ज्यादा होती हैं। मैगी, कोल्डड्रिंक्स, मक्खन, चीज में भी भरपूर कैलोरी होती हैं। इसलिये अब कैलोरी का भी ध्यान रखना होगा।
अभी तक जबान के स्वाद के लिये खाते थे, अब कैलोरी खायेंगे और कैलोरी ही निकालेंगे। सुना है ग्रीन टी, गरम पानी, कच्ची सब्जियाँ, उबली सब्जियाँ कम कैलोरी और कैलोरी का नाश करने वाली होती हैं, परंतु बिना स्वाद कैसे यह सब जबान के रास्ते उदर तक पहुँचेगी। खाना भरपूर खाना चाहिये, क्योंकि डायटिंग से कुछ होने वाला नहीं हैं। जरूरत है अपनी खाई गई कैलोरी को जलाने की और अगर उससे ज्यादा जलायेंगे तो थोड़ा वजन भी कम होगा, आगे आगे देखते हैं कि कितनी कैलोरी खा पाते हैं और कितनी जला पाते हैं।
निवेश कब और कहाँ करना चाहिये ? निवेश के लिये सबसे अच्छी क्या है ? (Where and how to Invest ? what is the best investment ?)
निवेश कब और कहाँ करना चाहिये ? निवेश के लिये सबसे अच्छी क्या है ?
इस तरह के बहुत सारे प्रश्न मन में घुमड़ते रहते हैं और हम यही चीज हमेशा ढूँढ़ते रहते हैं।
निवेश सभी जगह करना चाहिये और कहाँ और कैसे करना चाहिये यह पूर्णतया: व्यक्तिगत होता है, यह निर्भर करता है कि निवेशक की उम्र क्या है, उसकी क्या वित्तीय और पारिवारिक जिम्मेदारियाँ हैं और निवेशक की जोखिम लेने की क्षमता ।
जैसे हमें भोजन में रोज अलग अलग व्यंजन चाहिये कोई एक व्यंजन जो हमें अच्छा लगता है उसे हम लगातार नहीं खा सकते, अगर खा भी लिया तो एक समय के बाद उसी प्रिय व्यंजन से चिढ़ हो जाती है, इसलिये सभी व्यंजन का उपभोग करते हैं, वैसे ही निवेश है, अगर कोई एक निवेश की जगह पसंद है तो ये हो सकता है कि आपका जोखिम ज्यादा हो और फ़ायदे की जगह नुक्सान ज्यादा हो जाये या फ़िर साधारण फ़ायदा भी न हो। एक अंग्रेजी की कहावत है कि अपनी फ़लों की डलिया में सभी प्रकार के फ़ल रखें।
उम्र के अनुसार निवेशक को निवेश करना चाहिये, उम्र निवेश के लिये एक बहुत बड़ा कारक है। साधारण सिद्धांत यह है कि जितनी उम्र है उतना प्रतिशत निवेश हमेशा सुरक्षित जमा में करें, जैसे कि पी.पी.एफ़. (PPF), एफ़.डी. (FD), किसान विकास पत्र और इसी प्रकार के अन्य निवेश, इसमॆं अपना पी.एफ़. (PF) भी जोड़ें क्योंकि यह भी एक सुरक्षित निवेश ही है। अपनी उम्र को १०० में से घटा लें, अब जितनी उम्र है उतना निवेश तो सुरक्षित निवेश में ही करना है और बाकी का बचा हुआ अपने जोखिम और जानकारी के अनुसार निवेश करना है, जैसे कि शेयर (Equity), म्य़ूचयल फ़ंड (Mutual Fund), कमोडिटी (Commodity), Metal (सोना, चांदी), जमीन इत्यादि।
अगर एक २२ वर्षीय युवक / युवती कहे निवेश के लिये तो उसे सलाह होगी कि वे अपनी बचत का २२ % निवेश सुरक्षित जमा में करे । और बाकी का ८८ % बाजार में निवेश करे।
परंतु ध्यान रखें व्यक्ति खासकर नौकरी पेशा व्यक्ति को जोखिम ४५ वर्ष तक की आयु तक ही लेना चाहिये उसके बाद उसे अपना निवेश सुरक्षित जगह में ही करना चाहिये, क्योंकि जो जोखिम वाले निवेश हैं उनकी समय सीमा कम से कम १० वर्ष माननी चाहिये तभी ये निवेश अच्छे रिटर्न दे सकते हैं।
आज फ़िर भारतीय बाजारों के लिये काला सोमवार है (Today again a Black Monday for Indian Share Market..)
आज फ़िर से भारतीय बाजारों के लिये काला सोमवार है, आज सेन्सेक्स कितना नीचे जाता है यह तो बाजार खुलने के बाद ही पता चलेगा, मगर शेयर बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार सेन्सेक्स १५,००० का लेवल तोड़ सकता है। शनिवार और रविवार यूरोप और भारत के बाजार बंद रहते हैं, परंतु मिडिल ईस्ट के बाजार खुले होते हैं और वहाँ भारी गिरावट देखने को मिली है। मसलन सऊदी अरब, UAE, इस्राइल, कुवैत यहाँ के बाजारों में ७% तक की गिरावट दर्ज की गई है।
दरअसल शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद स्टैंडर्ड् एन्ड पूअर्स (Standard and Poor’s) ने अमेरिका की डेब्ट रेटिंग AAA से AA+ कर दी, अमेरिका की रेटिंग कम होने से उन संस्थाओं पर अब अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर दबाब पढ़ने लगा है जो कि केवल AAA रेटिंग वाले देशों में ही निवेश कर सकते हैं, इसका मतलब यह हुआ कि अब अमेरिका से निवेश निकलकर AAA रेटिंग वाले देशों में याने कि जर्मनी, फ़्रांस, कनाडा और ब्रिटेन में जायेगा। यहाँ तक कि स्टैंडर्ड और पूअर्स ने अमेरिका को यह भी चेताया है कि अगले कुछ दिनों में अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था नहीं सुधरी तो अमेरिका की डेब्ट रेटिंग AA+ से घटाकर AA की जा सकती है।
आज के परिदृश्य में भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक परिस्थितियों का गहन असर पड़ता है। इसलिये आने वाला समय बाजारों के लिये ठीक नहीं है, शेयर बाजार विशेषज्ञों की राय में अभी बाजार में निवेश करने से बचें और निचले लेवलों पर धीरे धीरे निवेश करते रहें, एकसाथ निवेश न करें।
अमेरिका देश की साख दाँव पर लगी है, अब देखते हैं कि ओबामा सरकार इससे कैसे निपटती है या अपने देश की डेब्ट रेटिंग AA या AA- पर आने देती है।
एक बात और स्टैंडर्ड और पूअर्स के चैयरमैन हैं देवेन शर्मा जो कि झारखंड के जमशेदपुर से हैं, और उन्होंने अपनी टीम के साथ ओबामा की छुट्टी कर दी।
स्टैंडर्ड और पूअर्स के बारे में ज्यादा जानने के लिये क्ल्कि करें।
बच्चों की बाल सुलभ हरकतें और मानवीय संवेदनाएँ
बच्चों की बाल सुलभ हरकतें सभी को लुभाती हैं, आज घर वापिस आते समय सामने की सीट पर एक बालक था अपने मम्मी पापा की गोद में, और लगभग ६-८ माह का बालक होगा जो कि खुशी की किलकारियाँ मार रहा था, सभी के मन हर्ष से आह्लादित थे।
एक अन्जाने बालक के लिये अचानक ही इतने सारे लोगों के मन में प्यार उमड़ आना एक स्वाभाविक मानवीय क्रिया है। कभी बालक वोल्वो के काँच पर हाथ लगाकर खुश होता तो कभी माँ की गोदी में तो कभी पिता के हाथों में।
पास ही एक कार जा रही थी जिसे एक लड़की चला रही थी, और बस भी सिग्नल पर रुकी हुई थी, तो बह लड़की भी उस बालक की बाल सुलभ हरकतों को देखकर पुलकित हो रही थी, अचानक ही ताजगी की बयार बहने लगती है।
बस में भीड़ बढ़ती ही जा रही थी और बस का ए.सी. भी अब थोड़ा कम लगने लगा था, तो बस का माहौल भी गरम और दमघोंटू होने लगा, इसी गरमी और दमघोंटू माहौल को उस बालक ने भांप लिया और जोर जोर से रोने लग गया, तो पिता अपनी गोदी में लेकर खड़े हो गये और बालक को ऊपर का डंडा पकड़ा दिया, नयी चीज के मिलते ही वह थोड़ा कुनमुनाया और फ़िर चुप हो गया, परंतु फ़िर २ मिनिट में ही वापिस से रोना शुरू हो गया, खैर उनका बस स्टॉप आ गया और वे उतर गये।
पर हाँ जब बालक रोने लगा था तो बस के लगभग सभी यात्रियों को समझ में आ रहा था कि उसके रोने का क्या कारण है, और अभिभावकों की परेशानी सभी समझ रहे थे। इस दौर से मैं भी कई बार गुजर चुका हूँ और आज भी कई बार जब बेटेलाल जिद पर उतर आते हैं, तो बस!! अभी पिछली बार उनके साथ पूरे सफ़र में खेलते हुए समय निकला तो आसपास के सभी लोग आनंदित हो रहे थे।
इस मानवीय आत्मीयता और संवेदना को आज देखकर बहुत अच्छा लगा। काश कि ये मानवीय संवेदना सभी के दिल में सभी के लिये हमेशा जीवित रहे और संवेदनहीनता खत्म हो जाये।
बीमा और निवेश अलग अलग हैं, समझिये..
कल पद्म जी ने फ़ेसबुक पर लिखा –
खुशखबरी…
बजाज एलाइंज मे एक यूलिप की योजना तीन साल पहले ली थी… तीस हज़ार जमा कर चुका हूँ और मेरा पैसा तीन साल बाद 27 हज़ार हो गया है… अब
यूलिप लेने वाले अधिकतर लोगों के साथ यही कहानी होगी, क्यों सही कह रहा हूँ ना, क्योंकि यूलिप में पहले तीन वर्षों में मोर्टेलिटी चार्जेस ज्यादा होते हैं तो आपकी जमा की गई रकम कम जमा होती है, यकीन ना हो तो अपने पिछले तीन वर्षों के स्टेटमेंट पर नजरें दौड़ा लें, और बीमा अभिकर्ता को पहले तीन वर्षों में ज्यादा कमीशन मिलता है, इसीलिये आपने हमेशा बीमा अभिकर्ता को ये कहते सुना होगा कि केवल पहले तीन वर्षों तक ही पैसा भरिये फ़िर कोई नई स्कीम ले लेंगे।
हम पद्म जी की यूलिप कि बात करते हैं, जैसा कि उन्होंने लिखा है कि पिछले तीन वर्षों में तीस हजार जमा कर चुके हैं परंतु अब पैसा २७ हजार हो गया है, अब तो कुछ किया नहीं जा सकता पर इस यूलिप से होने वाले रिटर्न की गणना कीजिये और देखिये कि इसमें आगे बने रहना क्या लाभदायक है ?
१० हजार वार्षिक जमा करने के बाद भी बीमा कितना मिला होगा, ज्यादा से ज्यादा २ लाख रूपये का, इससे ज्यादा तो नहीं मिला होगा।
हमेशा गांठ बांधकर रखें कि बीमा और निवेश दो अलग अलग चीजें हैं, इसलिये बीमा और निवेश को आपस में उलझने ना दें।
अगर इसी दस हजार वार्षिक को इस तरह से निवेश किया जाता तो पैसा भी ३० हजार से ज्यादा होता और बीमित भी ज्यादा रकम से होते।
अगले दस वर्षों के लिये अगर देखा जाये तो ५ लाख का टर्म बीमा अगले दस सालों के लिये लगभग २००० रूपये में मिल जाता जिसका कोई रिटर्न उन्हें नहीं मिलता, यह राशि हमने ३६ वर्ष मानकर गणना की है।
और बाकी का 8000 रूपया अगर 700 रूपया महीने के हिसाब से जुलाई 2008 में HDFC Top 200 Growth में SIP से निवेश किया जाता तो इस जुलाई में यह SIP की रकम लगभग 36,153 रूपये हो गई होती।
निम्न तालिका देखें।
Date | NAV (Rs.) | Amount (Rs.) | Units Accrued | Value (Rs.) |
01-07-2008 | 111.825 | 700 | 6.2598 | 700 |
01-08-2008 | 126.743 | 700 | 11.7828 | 1493.39 |
01-09-2008 | 129.16 | 700 | 17.2024 | 2221.86 |
01-10-2008 | 120.227 | 700 | 23.0247 | 2768.19 |
03-11-2008 | 95.928 | 700 | 30.3218 | 2908.71 |
01-12-2008 | 84.587 | 700 | 38.5973 | 3264.83 |
01-01-2009 | 94.479 | 700 | 46.0064 | 4346.64 |
02-02-2009 | 85.752 | 700 | 54.1695 | 4645.14 |
02-03-2009 | 82.213 | 700 | 62.684 | 5153.44 |
01-04-2009 | 93.541 | 700 | 70.1673 | 6563.52 |
04-05-2009 | 113.162 | 700 | 76.3531 | 8640.27 |
01-06-2009 | 140.372 | 700 | 81.3398 | 11417.8 |
01-07-2009 | 145.276 | 700 | 86.1582 | 12516.7 |
03-08-2009 | 158.221 | 700 | 90.5824 | 14332 |
01-09-2009 | 157.155 | 700 | 95.0366 | 14935.5 |
01-10-2009 | 171.852 | 700 | 99.1099 | 17032.2 |
03-11-2009 | 162.803 | 700 | 103.41 | 16835.4 |
01-12-2009 | 178.983 | 700 | 107.321 | 19208.6 |
04-01-2010 | 181.428 | 700 | 111.179 | 20171 |
01-02-2010 | 173.925 | 700 | 115.204 | 20036.8 |
02-03-2010 | 176.554 | 700 | 119.168 | 21039.7 |
01-04-2010 | 184.923 | 700 | 122.954 | 22737 |
03-05-2010 | 186.819 | 700 | 126.701 | 23670.1 |
01-06-2010 | 181.953 | 700 | 130.548 | 23753.6 |
01-07-2010 | 192.971 | 700 | 134.175 | 25891.9 |
02-08-2010 | 201.717 | 700 | 137.646 | 27765.4 |
01-09-2010 | 207.327 | 700 | 141.022 | 29237.6 |
01-10-2010 | 227.948 | 700 | 144.093 | 32845.6 |
01-11-2010 | 229.976 | 700 | 147.137 | 33837.9 |
01-12-2010 | 226.017 | 700 | 150.234 | 33955.4 |
03-01-2011 | 226.586 | 700 | 153.323 | 34740.8 |
01-02-2011 | 202.436 | 700 | 156.781 | 31738.1 |
01-03-2011 | 204.031 | 700 | 160.212 | 32688.2 |
01-04-2011 | 214.836 | 700 | 163.47 | 35119.2 |
02-05-2011 | 213.073 | 700 | 166.755 | 35531.1 |
01-06-2011 | 210.437 | 700 | 170.082 | 35791.5 |
01-07-2011 | 211.831 | 700 | 173.386 | 36728.6 |
28-07-2011 | 208.512 | 173.386 | 36153.1 |
देखो ऑटो में जवानी उछल रही है
रोज रात्रि भोजन के पश्चात अपनी घरवाली के साथ एकाध घंटा घूम लेते हैं, जिससे बहुत सारी बातें भी हो जाती हैं, और पान खाना भी हो जाता है।
वैसे तो यहाँ बैंगलोर में हमने जितने जवान लोग भारत के हरेक हिस्से से आये हुए देखे हैं, उतने शायद ही किसी और शहर में होंगे, क्योंकि बैंगलोर आई.टी. हब है। पर यहाँ लोगों को (जवान लोगों) अपनी मर्यादा में ही देखा था, परंतु आज जब हम मैन आई.टी.पी.एल. (ITPL is a IT Park in Bangalore) रोड होते हुए घर की ओर जा रहे थे, तो अचानक एक ऑटो पर नजर पड़ गयी, उस ऑटो में एक जवान जोड़ा बैठा हुआ था और अचानक बात करते करते लड़की लड़के के सीने से चिपट गई। और हमारे मुंह से निकल गया “देखो ऑटो में जवानी उछल रही है”।
बैंगलोर में यह हमारे लिये नया सा है, क्योंकि यहाँ का वातावरण उतना स्वच्छंद नहीं है जितना कि मुंबई का। मुंबई में तो दो जवान दिलों का मिलन कहीं भी हो जाता है, और ऑटो में तो ये समझ लीजिये कि बस यही होता है, अगर जवान जोड़ा है तो, वहाँ यह सब साधारण सा लगता था, परंतु जब यहाँ आये तो थोड़ा कसा हुआ वातावरण पाया, इसलिये आज थोड़ा ठीक नहीं लगा। इसका कारण यह भी हो सकता है कि कभी हमें यह मौका नहीं मिला।
मुंबई में तो ऑटो वाले खुद ही कई बार चिल्लाकर ऐसी सवारियों को दूर कर देते हैं, परंतु जवान दिलों को कोई रोक सका है ?