कल जैसे ही भारत सरकार का छोटी बचत पर ब्याज दरों पर सर्कुलर आया, व्हाट्सऐप वर्ल्ड में अचानक ही हाहाकार मच गया। मैंने सबसे पहले यही लिखा कि ब्याज दर कम करके जनता को बताया है कि आप सब फूल हो, इसे अप्रैल फूल न समझें कि 2 अप्रैल को भारत सरकार कहे कि आपको तो बेवकूफ बनाया था, दरअसल जनता तो लगातार बेवकूफ ही बन रही है, इसलिये भारत सरकार अब पूर्णरूपेण आश्वस्त है कि यह फूल जनता कुछ कर नहीं सकती है।
ब्याज दर कम होने से सबसे ज़्यादा फ़र्क़ उन लोगों पर पड़ने वाला है जिनकी कोई आय नहीं है व वे लोग केवल ब्याज से मिलने वाली आय से ही जीवन यापन कर रहे हैं, परंतु फिर भी लोगों को भ्रम टूट ही नहीं रहा, वे तब भी ब्याज से ही गुज़ारा करने की सोच रहे हैं, हालाँकि ब्याज दर कम करने से भारत सरकार के आयकर विभाग को भी कम आमदनी होगी, जब ज़्यादा ब्याज ही नहीं मिलेगा तो वित्तीय संस्थान TDS भी नहीं काट पायेगा।
भारत सरकार ने 1 अप्रैल 2004 के बाद पेंशन का प्रावधान तो ख़त्म कर ही दिया था, और जिन नौकरीपेशा लोगों के पास पेंशन का ऑप्शन भी है वे लोग भी अगले २० वर्षों में रिटायर हो जायेंगे, परंतु अगर आज की बात की जाये तो आज की पीढ़ी को पेंशन का कॉनसेप्ट ही नहीं पता होता है, 50 वर्षों के बाद पेंशन शब्द शायद बहुत ही कम सुनने को मिले, क्योंकि तब तो जितने भी पेंशनधारी हैं वे बहुत ही कम रह जायेंगे।
खैर दोस्तों की सबसे पहली प्रतिक्रिया यह रही कि भारत सरकार चाहती है कि जो भी बचत बैंकों में बचत खाता या फिक्सड डिपॉजिट के रूप में ब्लॉक हो गई है, उसे बाज़ार में लाया जाये, अब तो पीपीएफ पर भी ब्याज दर 7.1% से 6.4% कर दी गई है। वरिष्ठ नागरिक बचत भी अब 6.5% कर दी गई है। भारत सरकार चाहती है कि लोग आगे आयें और अपनी बचत को शेयर बाज़ार में लगाकर जोखिम लें, जिसमें यकीनन 95% लोग अपनी मेहनत की कमाई को खोयेंगे क्योंकि हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी है जो यह नहीं सिखाती कि आप अपनी बचत को कैसे रखें।
पूरे भारत को फूल बनने की बधाई।