यह एटिका वेल्थ के ईमेल का अनुवादित स्वरूप है।
जिनका स्लोगन मुझे बहुत ही अच्छा लगता है – “What is good for the client is also good for the firm” – T Rowe Price Jr.
IDBI Federal Childsurance Engineer Advertisment –
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म्यूचयल फ़ंड क्या करें, क्या न करें ?
एकदम कमाई की उम्मीद न करें। अपने निवेश को बढ़ने के लिये समय दीजिये। यह बिल्कुल ऐसा है जैसे कि एक पौधा लगाया फ़िर उसकी सिंचाई की और जब तक बड़ा ना हो जाये तब तक इंतजार किया, पौधे को भी पेड़ बनने में समय लगता है, वैसे ही निवेश से कमाई के लिये भी वक्त लगता है। रातों रात कहीं से भी निवेश में कमाई नहीं होती है। साथ ही आपको पर्याप्त अनुमान होना चाहिये कि आपके निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अपने फ़ंड स्कीम के एन.ए.वी. को रोज न देखिये, रोज एन.ए.वी. देखने से अच्छा है कि कुछ समय अंतराल में देखा जाये।
अपने निवेश की सारी जानकारी एक डायरी में लिखें जिसमें कि म्यूचयल फ़ंड स्कीम नाम, फ़ोलियो नंबर इत्यादि सब दर्ज करें।
यह भी सुनिश्चित कर लें कि फ़ंड हाऊस के पास आपके सारे संपर्कों की जानकारी होनी चाहिये, जैसे कि पत्राचार का पता, मोबाईल नंबर, ईमेल पता। अगर इनमें से कुछ भी बदलता है तो फ़ंड हाऊस को एकदम सूचना देनी चाहिये।
अपने सारे निवेशों में नामांकन जरूर करें, साथ ही यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि नामिनी को निवेश के बारे में बतायें या ना बतायें।
म्यूचयल फ़ंड में निवेशक होने से आप अपने निवेश का स्टेटमेंट प्रथम बार निवेश करने के बाद प्राप्त करने के पात्र हैं, और उसके बाद नियमित रूप से कम से कम छ: महीने की अवधि में मिलना चाहिये। अगर आपको कोई स्टेटमेंट नहीं मिला है तो फ़ंड हाऊस के ग्राहक संबंध केन्द्र से थोड़ी पूछताछ करने की चेष्टा करें । आपको स्टेटमेंट आराम से मिल जायेगा।
एक बार फ़ंड हाऊस से मिलने वाले सारे पत्राचार को जरूर देख लें। अगर आपको लगता है कि स्कीम अपने निवेश के मूल रूप से कुछ अलग कर रही है तो अपने वितरक या सलाहकार से विचार विमर्श करके देख लें कि यह बदलाव आपके निवेश के उद्देश्य के अनूकूल है या नहीं। अगर नहीं, तो तुरंत किसी और स्कीम में निवेश करें और जो कि आपके लक्ष्य को पूर्ण करती दिखे और स्कीम बदल लें।
अगर आपके निवेश अपने लक्ष्य प्राप्त कर लें, तो अपने निवेश को निकाल लें, यहाँ तक कि आपको लगे कि आगे आने वाले वर्षों में निवेश काफ़ी अच्छा हो जायेगा तब भी निकाल लें। हमेशा याद रखें कि आप अपने निवेश के प्रति भावुक रहें ना कि अपने स्टॉक और फ़ंड स्कीम के लिये।
अपने म्यूचयल फ़ंड के परिणामों को देखते रहें –
आपके द्वारा निवेशित म्यूचयल फ़ंड का स्टेटमेंट तो आपको नियमित रूप से मिलता ही होगा, जो कि फ़ंड हाऊस के द्वारा सीधे भेजा जाता है। सभी फ़ंड हाऊस अपने सभी निवेशकों को स्टॆटमेंट नियमित रूप से भेजते हैं, अभी हर फ़ंड हाऊस अपने अपने निवेशकों को स्टेटमेंट भेजते हैं, जल्दी ही नियामक द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार अब सारे म्यूचयल फ़ंड के स्टेटमेंट एक ही साथ मिल जाया करेंगे, मतलब कि अलग अलग म्यूचयल फ़ंड हों तब भी आपको एक ही स्टेटमेंट मिलेगा। जिससे निवेशक को अपने निवेश परिणामों को देखने में और रखने में आसानी होगी।
आप अपने निवेश किये गये म्यूचयल फ़ंडों की एन.ए.वी. AMFI की वेब साईट www.amfindia.com पर देख सकते हैं। आप और भी बहुत सारी वेब साईटों पर एन.ए.वी. देख सकते हैं।
आप एन.ए.वी. और उससे संबंधित जानकारी दो प्रमुख रजिस्ट्रारों की वेबसाईट पर भी देख सकते हैं।
कार्वे – www.karvymfs.com
काम्स – CAMS – www.camsonline.com
सभी फ़ंड हाऊस की अपनी वेबसाईट होती है, जहाँ आप अपने निवेशित फ़ंडों के बारे में तो जानकारी ले ही सकते हैं, साथ ही अपने निवेश को के प्रगति भी देख सकते हैं।
निवेश कब और कहाँ करना चाहिये ? निवेश के लिये सबसे अच्छी क्या है ?
इस तरह के बहुत सारे प्रश्न मन में घुमड़ते रहते हैं और हम यही चीज हमेशा ढूँढ़ते रहते हैं।
निवेश सभी जगह करना चाहिये और कहाँ और कैसे करना चाहिये यह पूर्णतया: व्यक्तिगत होता है, यह निर्भर करता है कि निवेशक की उम्र क्या है, उसकी क्या वित्तीय और पारिवारिक जिम्मेदारियाँ हैं और निवेशक की जोखिम लेने की क्षमता ।
जैसे हमें भोजन में रोज अलग अलग व्यंजन चाहिये कोई एक व्यंजन जो हमें अच्छा लगता है उसे हम लगातार नहीं खा सकते, अगर खा भी लिया तो एक समय के बाद उसी प्रिय व्यंजन से चिढ़ हो जाती है, इसलिये सभी व्यंजन का उपभोग करते हैं, वैसे ही निवेश है, अगर कोई एक निवेश की जगह पसंद है तो ये हो सकता है कि आपका जोखिम ज्यादा हो और फ़ायदे की जगह नुक्सान ज्यादा हो जाये या फ़िर साधारण फ़ायदा भी न हो। एक अंग्रेजी की कहावत है कि अपनी फ़लों की डलिया में सभी प्रकार के फ़ल रखें।
उम्र के अनुसार निवेशक को निवेश करना चाहिये, उम्र निवेश के लिये एक बहुत बड़ा कारक है। साधारण सिद्धांत यह है कि जितनी उम्र है उतना प्रतिशत निवेश हमेशा सुरक्षित जमा में करें, जैसे कि पी.पी.एफ़. (PPF), एफ़.डी. (FD), किसान विकास पत्र और इसी प्रकार के अन्य निवेश, इसमॆं अपना पी.एफ़. (PF) भी जोड़ें क्योंकि यह भी एक सुरक्षित निवेश ही है। अपनी उम्र को १०० में से घटा लें, अब जितनी उम्र है उतना निवेश तो सुरक्षित निवेश में ही करना है और बाकी का बचा हुआ अपने जोखिम और जानकारी के अनुसार निवेश करना है, जैसे कि शेयर (Equity), म्य़ूचयल फ़ंड (Mutual Fund), कमोडिटी (Commodity), Metal (सोना, चांदी), जमीन इत्यादि।
अगर एक २२ वर्षीय युवक / युवती कहे निवेश के लिये तो उसे सलाह होगी कि वे अपनी बचत का २२ % निवेश सुरक्षित जमा में करे । और बाकी का ८८ % बाजार में निवेश करे।
परंतु ध्यान रखें व्यक्ति खासकर नौकरी पेशा व्यक्ति को जोखिम ४५ वर्ष तक की आयु तक ही लेना चाहिये उसके बाद उसे अपना निवेश सुरक्षित जगह में ही करना चाहिये, क्योंकि जो जोखिम वाले निवेश हैं उनकी समय सीमा कम से कम १० वर्ष माननी चाहिये तभी ये निवेश अच्छे रिटर्न दे सकते हैं।
कल पद्म जी ने फ़ेसबुक पर लिखा –
खुशखबरी…
बजाज एलाइंज मे एक यूलिप की योजना तीन साल पहले ली थी… तीस हज़ार जमा कर चुका हूँ और मेरा पैसा तीन साल बाद 27 हज़ार हो गया है… अब
यूलिप लेने वाले अधिकतर लोगों के साथ यही कहानी होगी, क्यों सही कह रहा हूँ ना, क्योंकि यूलिप में पहले तीन वर्षों में मोर्टेलिटी चार्जेस ज्यादा होते हैं तो आपकी जमा की गई रकम कम जमा होती है, यकीन ना हो तो अपने पिछले तीन वर्षों के स्टेटमेंट पर नजरें दौड़ा लें, और बीमा अभिकर्ता को पहले तीन वर्षों में ज्यादा कमीशन मिलता है, इसीलिये आपने हमेशा बीमा अभिकर्ता को ये कहते सुना होगा कि केवल पहले तीन वर्षों तक ही पैसा भरिये फ़िर कोई नई स्कीम ले लेंगे।
हम पद्म जी की यूलिप कि बात करते हैं, जैसा कि उन्होंने लिखा है कि पिछले तीन वर्षों में तीस हजार जमा कर चुके हैं परंतु अब पैसा २७ हजार हो गया है, अब तो कुछ किया नहीं जा सकता पर इस यूलिप से होने वाले रिटर्न की गणना कीजिये और देखिये कि इसमें आगे बने रहना क्या लाभदायक है ?
१० हजार वार्षिक जमा करने के बाद भी बीमा कितना मिला होगा, ज्यादा से ज्यादा २ लाख रूपये का, इससे ज्यादा तो नहीं मिला होगा।
हमेशा गांठ बांधकर रखें कि बीमा और निवेश दो अलग अलग चीजें हैं, इसलिये बीमा और निवेश को आपस में उलझने ना दें।
अगर इसी दस हजार वार्षिक को इस तरह से निवेश किया जाता तो पैसा भी ३० हजार से ज्यादा होता और बीमित भी ज्यादा रकम से होते।
अगले दस वर्षों के लिये अगर देखा जाये तो ५ लाख का टर्म बीमा अगले दस सालों के लिये लगभग २००० रूपये में मिल जाता जिसका कोई रिटर्न उन्हें नहीं मिलता, यह राशि हमने ३६ वर्ष मानकर गणना की है।
और बाकी का 8000 रूपया अगर 700 रूपया महीने के हिसाब से जुलाई 2008 में HDFC Top 200 Growth में SIP से निवेश किया जाता तो इस जुलाई में यह SIP की रकम लगभग 36,153 रूपये हो गई होती।
निम्न तालिका देखें।
Date | NAV (Rs.) | Amount (Rs.) | Units Accrued | Value (Rs.) |
01-07-2008 | 111.825 | 700 | 6.2598 | 700 |
01-08-2008 | 126.743 | 700 | 11.7828 | 1493.39 |
01-09-2008 | 129.16 | 700 | 17.2024 | 2221.86 |
01-10-2008 | 120.227 | 700 | 23.0247 | 2768.19 |
03-11-2008 | 95.928 | 700 | 30.3218 | 2908.71 |
01-12-2008 | 84.587 | 700 | 38.5973 | 3264.83 |
01-01-2009 | 94.479 | 700 | 46.0064 | 4346.64 |
02-02-2009 | 85.752 | 700 | 54.1695 | 4645.14 |
02-03-2009 | 82.213 | 700 | 62.684 | 5153.44 |
01-04-2009 | 93.541 | 700 | 70.1673 | 6563.52 |
04-05-2009 | 113.162 | 700 | 76.3531 | 8640.27 |
01-06-2009 | 140.372 | 700 | 81.3398 | 11417.8 |
01-07-2009 | 145.276 | 700 | 86.1582 | 12516.7 |
03-08-2009 | 158.221 | 700 | 90.5824 | 14332 |
01-09-2009 | 157.155 | 700 | 95.0366 | 14935.5 |
01-10-2009 | 171.852 | 700 | 99.1099 | 17032.2 |
03-11-2009 | 162.803 | 700 | 103.41 | 16835.4 |
01-12-2009 | 178.983 | 700 | 107.321 | 19208.6 |
04-01-2010 | 181.428 | 700 | 111.179 | 20171 |
01-02-2010 | 173.925 | 700 | 115.204 | 20036.8 |
02-03-2010 | 176.554 | 700 | 119.168 | 21039.7 |
01-04-2010 | 184.923 | 700 | 122.954 | 22737 |
03-05-2010 | 186.819 | 700 | 126.701 | 23670.1 |
01-06-2010 | 181.953 | 700 | 130.548 | 23753.6 |
01-07-2010 | 192.971 | 700 | 134.175 | 25891.9 |
02-08-2010 | 201.717 | 700 | 137.646 | 27765.4 |
01-09-2010 | 207.327 | 700 | 141.022 | 29237.6 |
01-10-2010 | 227.948 | 700 | 144.093 | 32845.6 |
01-11-2010 | 229.976 | 700 | 147.137 | 33837.9 |
01-12-2010 | 226.017 | 700 | 150.234 | 33955.4 |
03-01-2011 | 226.586 | 700 | 153.323 | 34740.8 |
01-02-2011 | 202.436 | 700 | 156.781 | 31738.1 |
01-03-2011 | 204.031 | 700 | 160.212 | 32688.2 |
01-04-2011 | 214.836 | 700 | 163.47 | 35119.2 |
02-05-2011 | 213.073 | 700 | 166.755 | 35531.1 |
01-06-2011 | 210.437 | 700 | 170.082 | 35791.5 |
01-07-2011 | 211.831 | 700 | 173.386 | 36728.6 |
28-07-2011 | 208.512 | 173.386 | 36153.1 |
आज सबसे बड़ी समस्या है कि कैसे बेहतर तरीके से अपने धन का निवेश करें, और मेहनत से कमाये गये धन का उपयोग करें। धन अर्जन तो सभी करते हैं, परंतु उस धन को अपने भविष्य के लिये निवेशित करना भी अपने आप में चुनौती है। साथ ही अपने लक्ष्य को कैसे निर्धारित करें, परिवार को आर्थिक रुप से कैसे सुरक्षित रखें, यह सब भी बहुत जरूरी है।
धन को निवेश करने के कुछ नुस्खे जो दिखने में छोटे हैं परंतु भविष्य की योजनाओं के लिये उतने ही कारागार भी हैं –
१. ८० सी आयकर अधिनियम के तहत पूरी बचत करें।
२. ८० डी आयकर अधिनियम के तहत बचत करें (मेडिक्लेम अगर उपयोक्ता ने ना दिया हो या फ़िर कम राशि का हो)
३. २०,००० रुपयों का इन्फ़्रास्ट्रक्चर बांड निवेश जो कि पिछले वित्तीय वर्ष से ही शुरु हुआ है।
४. अपनी बचत को अपनी जोखिम के अनुसार निवेश करें, अगर ज्यादा जोखिम ले सकते हैं तो शेयर बाजार में और कम जोखिम के लिये म्यूचुअल फ़ंड एस.आई.पी. में निवेश करें, बिल्कुल जोखिम न लेना चाहें तो फ़िर बैंक में सावधि जमा का उपयोग कर सकते हैं, साथ ही एम.आई.पी. डेब्ट फ़ंड भी बहुत सुरक्षित है, बस यहाँ ब्याज दर निश्चित नहीं होती।
५. ८० सी के तहत आयकर बचाने के लिये परंपरागत बीमा में निवेश करने से बचें, टर्म इन्श्योरेन्स लें (अपनी सालाना आय का २० गुना तक ले सकते हैं), परिवार को आर्थिक सुरक्षा दें, और बाकी का बचा हुआ धन ई.एल.एस.एस. म्यूचयल फ़ंड एस.आई.पी. के जरिये निवेश करें।
६. जब भी एस.आई.पी. म्यूचयल फ़ंड शुरु करें चाहें वह ई.एल.एस.एस. हो या किसी ओर स्कीम का जिस पर आयकर की छूट नहीं मिलती हो, आपकी निवेश समय सीमा कम से कम १० वर्ष के लिये होना चाहिये, तभी अच्छे रिटर्न की उम्मीद करें।
७. व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा लें, जो कि आपको और आपके परिवार को अतिरिक्त आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
८. आकस्मिक परिस्थितियों से निपटने के लिये अपने मासिक खर्च का कम से कम तीन गुना धन ऐसे निवेश करें जहाँ से आप एकदम से आहरण कर पायें, जैसे कि सावधि जमा जो कि बचत बैंक खातों से लिंक होती है, जिससे किसी भी आकस्मिक स्थिती में आप धन को ए.टी.एम. से आहरित कर सकते हैं।
९. अपने मासिक खर्च के बराबर का धन ही केवल अपने बचत खाते में रखें बाकी धन सावधि जमा में रखें या फ़िर कहीं और निवेश करें, जैसे कि म्यूचुअल फ़ंड, शेयर बाजार इत्यादि।
१०. क्रेडिट कार्ड का उपयोग करें, सबसे बड़ा फ़ायदा कि आपको महीने भर की खरीदारी का भुगतान एकमुश्त करना होता है, और जब क्रेडिट कार्ड का बिल आता है तब आप देख सकते हैं कि कौन सी गैर जरूरी चीज में आप खर्च कर रहे हैं। परंतु क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते समय ध्यान रखें कि अभी भले ही आपको भुगतान न करना पड़ रहा हो, परंतु एक दिन तो आपको इसका भुगतान करना ही होगा, इसलिये संयम से खरीदारी करें।
११. भविष्य के आर्थिक लक्ष्य निर्धारित करें जैसे कि बच्चों की पढ़ाई, विवाह, कार, घर इत्यादि। और आर्थिक लक्ष्यों के अनुसार अपने निवेश की शुरुआत करें।
१२. निवेश करना जितनी जल्दी शुरु करेंगे उतनी जल्दी आप अपने भविष्य के आर्थिक लक्ष्यों समयबद्ध तरीके से प्राप्त कर पायेंगे।
बचत में हमेशा व्यक्ति को अनुशासित होना चाहिये, तभी आप बचत कर पायेंगे।
बीमा आर्थिक सुरक्षा के लिये होता है ना कि निवेश के लिये, अपनी सोच बदलें और व्यक्तिगत वित्त विषयों के बारे में पढ़कर अपना धन बेहतर तरीके से निवेशित करें।
आज अंधेरी में जागोइन्वेसटर पाठक मिलन था, समय तय किया गया था सुबह १० बजे से दोपहर २ बजे तक । क्लास रुम का जितना भी खर्च आना था वह सबको साझा करना था। सही मायने में वित्तीय प्रबंधन शिक्षा के लिये यह मुंबई में शुरु किया गया एक प्रयास है। जागोइन्वेस्टर.कॉम ब्लॉग मनीष चौहान लिखते हैं।
तो सुबह ९ बजे घर से निकल पड़े थे क्योंकि अंधेरी पहुँचने में पुरे ४५ मिनिट का अनुमान लगाया था। ९ बजे नहीं निकल पाये हम निकल पाये ९.०५ बजे घर से और हाईवे तक पैदल बस स्टॉप पर ९.०८ बजे पहुँच गये। वहाँ जाकर बोरिवली स्टेशन की बस पकड़ी, हमारा अनुमान था कि लगभग ९.१७ बजे तक हम बोरिवली स्टेशान पहुँच जायेंगे।
बोरिवली से कांदिवली ३ मिनिट, कांदिवली से मालाड ४ मिनिट, मलाड से गोरेगांव ४ मिनिट, गोरेगांव से जोगेश्वरी ६ मिनिट और जोगेश्वरी से अंधेरी लगभग ३ मिनिट लगता है, याने कि बोरिवली से अंधेरी २० मिनिट लगते हैं।
और फ़िर हमें टिकट भी लेना था क्योंकि हम रोज लोकल ट्रेन में तो जाते नहीं हैं, हमारे पास रेलकार्ड है, जिसे कि रेल्वे स्टेशन पर लगे टर्मिनल से फ़टाफ़ट टिकट लिया जा सकता है। हमने रिटर्न टिकट लिया मतलब बोरिवली से अंधेरी जाने का और वापस बोरिवली आने का।
फ़िर वहीं लगे उद्घोषणा टीवी पर देखा कि ९.२१ की चर्चगेट स्लो तीन नंबर प्लेटफ़ॉर्म और ९.२५ की चर्चगेट फ़ास्ट दो नंबर प्लेटफ़ार्म पर थी। हम फ़टाफ़ट दौड़ते हुए २-३ प्लेटफ़ॉर्म पर पहुँचे और ब्रिज से ही देखा कि ९.२१ की ट्रेन तो नदारद थी लगा कि चली गई परंतु भीड़ देखकर और इंडिकेटर पर ९.२१ का समय देखकर अंदाजा लगाया कि ट्रेन लेट है। हमें तो अंधेरी तक ही जाना था तो हम ९.२५ की लोकल में चढ़ लिये।
सेकंड क्लॉस के डिब्बे में बहुत दिन बाद चढ़े थे, अरे लोकल में ही बहुत दिनों बाद चढ़े थे और पीक समय था पर शनिवार होने के कारण चढ़ने को मिल गया था। अंदर घुसते ही पीछे से धक्का पड़ा और आवाज आई “अंदर दबा के चलो …. ” “भाईसाहब जरा धक्का मारकर !!!”, हम हाथ में छाता और अपनी किताब कापी पकड़े भीड़ में दुबके खड़े थे, जो गेट पर खड़े थे वो हर स्टॆशन पर दरवाजे की जनता का बराबर तरीके प्रबंधन कर रहे थे, “ए कांदिवली वालों को चढ़ने दे रे, जगह दे रे…”, “ऐ मालाड चलो आओ रे, ऐ इस तरफ़ से नहीं चढ़ने का” “ चल दबाके अंदर होले…”
फ़िर जोगेश्वरी निकला और हम भी गेट के पीछे की भीड़ में लाईन में खड़े हो लिये और आगे वाले से पूछ कर आश्वस्त हो लिये “अंधेरी….” तो उसने धीरे गर्दन “हाँ” में हिला दी, और बाहर बारिश अपने पूरे जोरों से शुरु हो चुकी थी, ऐसी बारिश मुंबई के लिये थोड़ी अच्छी नहीं होती क्योंकि मुंबई में बारिश का पानी भर जाता है।
जैसे ही अंधेरी स्टेशन आया तो आवाज आई “ऐ चल उड़ी मार उड़ी…” और जब तक ट्रेन स्टेशन पर रुकती तब तक तो हम भी प्लेटफ़ॉर्म पर थे। बारिश पूरे जोरों पर थी, हमने एक ओर पाठक से ९.४५ पर मिलना तय किया था, अंधेरी स्टेशन के एक्सिस बैंक के ए.टी.एम. के पास, वो हैं आशुतोष तिवारी जो कि हिन्दी ब्लॉगर भी हैं उनका ब्लॉग है मेरी अनुभूतियाँ । जोरों की बारिश में हम चल दिये अपने गंतव्य की ओर।
वहाँ जाकर ४ घंटॆ कैसे निकल गये पता ही नहीं चला, गजेन्द्र ठाकुर जो कि सी.एफ़.पी. भी हैं, उन्होंने म्यूचयल फ़ंड पर इतनी अच्छी जानकारियाँ जुटाई थीं, कि समय का पता ही नहीं चला। अब अगली मीटिंग का दिन २८ अगस्त का है जिसमें एस.आई.पी., एस.टी.पी और एस.ड्ब्ल्यू.पी. पर जानकारी साझा की जायेगी।
मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) मुख्यत: डेब्ट उत्पादों पर आधारित योजना है, जिसमें आमतौर पर कोष का ८०% तक डेब्ट उत्पादों में और बाकी का इक्विटी उत्पादों में निवेश किया जाता है।
मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को नियमित रुप से लाभांश के रुप में भुगतान करना होता है, हालांकि यह अनिवार्य नहीं होता है, लाभांश का वितरण फ़ंड हाउस के विवेक और वितरण योग्य धन होने पर निर्भर करता है।
निवेश के उद्देश्य –
मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को नियमित रुप से लाभांश प्रदान करना है जो कि ज्यादातर डेब्ट उत्पादों और एक छोटा हिस्सा इक्विटी में निवेश किया जाता है। ये मुख्यत: यील्ड ब्याज दर के डेब्ट उत्पादों (कमर्शियल पेपर्स, सर्टिफ़िकेट ऑफ़ डिपोजिट, गोवरमेंट सिक्योरिटिज और ट्रेजरी बिल्स) में निवेश करते हैं। डेब्ट उत्पाद पोर्टफ़ोलियो को स्थिरता और निरंतर वापसी की सुनिश्चितता प्रदान करते हैं, जबकि इक्विटी उत्पाद ज्यादा वापसी के लिये सहायक होता है। मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) बाजार से जुड़े रहते हैं (केवल उतने हिस्से के लिये जितने कि इक्विटी में निवेश है)।
जोखिम –
पोर्टफ़ोलियो में डेब्ट उत्पादों के होने से, मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) अर्थव्यवस्था में होने वाले ब्याज दर परिवर्तन प्रभावी होते हैं (क्योंकि अधिकतर उत्पाद डेब्ट उत्पाद होते हैं) ।
जब अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों में कमी आती है तब मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) की एन.ए.वी. बड़ जाती है (बॉन्ड की कीमतों में वृद्धि के कारण)।
और अगर ब्याज दर बढ़ती है तो मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) की एन.ए.वी. कम हो जाती है, इस समय तब अच्छी वापसी के लिये इस उत्पाद को इक्विटी पर निर्भर रहना पड़ता है।
पोर्टफ़ोलियो में इक्विटी उत्पाद शामिल से : चूँकि मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) बाजार से जुड़े हैं (जो कि आमतौर पर १५-२०% तक रहता है) । ये बैलेन्सड फ़ंड से कम जोखिम वाले होते हैं (इसमें ६०-७०% तक इक्विटी में निवेश होता है) लेकिन शुद्ध डेब्ट फ़ंडों से थोड़ा जोखिम वाले होते हैं (शुद्ध डेब्ट फ़ंड केवल डेब्ट प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं)।
कोई भी सही सही भविष्यवाणी तो कर नहीं सकता कि कब शेयर बाजार और डेब्ट बाजार अपने उतार चढ़ाव पर होंगे। यह निवेशको के लिये पूँजी कटाव और लाभांश का भुगतान न होने का जोखिम पैदा करता है। अधिकांश मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) के फ़ंड मैनेजर अतीत में कुख्यात रह चुके हैं, डेब्ट निवेश में से ३०% तक का निवेश इक्विटी बाजार में निवेश करने के बाद और बाजार का पूरा मजा लेते हैं जब बाजार अपने पूरे जलवे पर होता है, जिससे इस शेयर बाजार के चढ़ाव का फ़ायदा निवेशक को होता है और एन.ए.वी. काफ़ी बड़ जाता है, पर इसके उलट अगर उतार हो एन.ए.वी. कम हो जाता है यानि के निवेशक को नुकसान।
निवेशक को इक्विटी पोर्टफ़ोलियो का मूल्यांकन कर लेना चाहिये और जोखिम स्वीकार्य होने के बाद ही निवेश करना चाहिये।
रिटर्न – मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) सीमित अस्थिरता के साथ स्थिर रिटर्न देता है, पिछले तीन वर्षों में, अधिकतर मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) ने १२-१३% का औसत रिटर्न दिया है।
अवधि – मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) को कम से कम ३-५ वर्ष के लिये निवेश करना चाहिये।
कर कितना लगेगा – मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) डेब्ट फ़ंड है, पर लाभांश पर लाभांश वितरण कर (१२.८६७%) है।
अगर एक वर्ष के पहले फ़ंड की यूनिट बेचते हैं और उस पर अगर कुछ लाभ है तो उस पर शार्ट टर्म कैपिटल गैन कर लागू होता है, शुद्ध लाभ को आपकी करयोग्य आय में जोड़ दिया जायेगा और जो भी व्यक्तिगत आयकर की स्लैब लागू होगी। और अगर एक वर्ष के बाद बेचते हैं, और लाभ होता है तो लांग टर्म कैपिटल गैन कर लगेगा जो कि १०% होता है (इंडेक्सेशन के बिना) और २०% इंडेक्सेशन लाभ के साथ, जो भी कम हो।
निवेश किसे करना चाहिये –
ज्यादा जोखिम न उठाने वाले निवेशक जो कि बैंक सावधि जमा से ज्यादा अच्छे और सुरक्षित रिटर्न चाहते हैं, उनके लिये मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) अच्छा विकल्प है। हालांकि मासिक रिटर्न की गारंटी नहीं है, स्थिर आय के लिये बैंक के जैसे नहीं है।
स्कीम नाम | एन.ए.वी. | १ वर्ष के रिटर्न | ५ वर्ष के रिटर्न |
HDFC MIP Long Term | 21.997 | 14.6 | 13 |
Reliance MIP | 20.947 | 14.6 | 12.9 |
Canara Robeco | 28.43 | 10.4 | 13.7 |
NAV as on 22 July 2010
मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) के विकल्प –
मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) के विकल्प हैं बैंक की सावधि जमा योजना, पोस्ट ऑफ़िस एम.आई.पी., फ़िक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स।
निष्कर्ष –
मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) आपको हर माह निश्चित राशि नहीं मिलती है। हर मासिक लाभांश ब्याज दर के उतार चढ़ाव और बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर रहता है। लेकिन मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) “नियमित आय उत्पाद” की श्रेणी में सबसे ज्यादा रिटर्न देने के कारण सबसे अच्छॆ हैं और कर में भी।
नियमित आय के लिए म्युचुअल फंड की एमआइपी पर या किसी एक ही उत्पाद पर ही निर्भर नहीं होना चाहिये । अपने निवेशों को हमेशा अलग अलग जगह करना चाहिये जिससे हानि कम से कम हो।
पिछली पोस्ट [स्विप (SWP) क्या है, और ये कैसे सेवानिवृत्ति के बाद के लिये अच्छा उत्पाद है ? (What is Systematic Withdraw Plan)] पर डॉ. महेश सिन्हा जी ने सवाल किया था, क्या सारा पैसा एक ही फ़ंड में लगाना उचित है।
मेरा जबाब है नहीं, अगर सारा पैसा एक ही फ़ंड में लगा दिया और वो अपना प्रदर्शन नहीं कर पाया फ़िर आपके भविष्य का क्या ?
आपका पैसा कम से कम ५ म्यूचुयल फ़ंडों में निवेशित होना चाहिये, जिसमें लार्जकैप डाईवर्सिफ़ाईड फ़ंड, बैलेन्स्ड फ़ंड,स्माल एवं मिडकैप फ़ंड सबमें आपका निवेश होना चाहिये। हाँ आज से ५ वर्ष पहले तक ज्यादा तरीके के म्यूच्यल फ़ंड उपलब्ध नहीं थे, परंतु अब तो जैसा म्यूच्यल फ़ंड चाहिये वैसा मिलता है।
हम पिछले १ वर्ष के रिटर्न की गणना करें स्विप की तो पायेंगे – निवेश तिथि ९ जुलाई २००९ निवेशित रकम १,००,००० रुपये, जिसमें आप अपनी निवेशित रकम में से १२,००० रुपये १२ महीने में निकाल भी चुके हैं, और आज मूल रकम ८८ हजार रुपये है।
कुछ लार्जकैप म्यूचयल फ़ंड –
फ़ंड का नाम | वर्तमान रकम | वापसी |
रिलायंस ग्रोथ – ग्रोथ | 1,33,234.41 | 51.4% |
रिलायंस विजन – ग्रोथ | 1,26,728.40 | 44.1% |
एच.डी.एफ़.सी. टॉप २०० | 1,25,214.84 | 42.29% |
डी.एस.पी. ब्लेकरॉक टॉप १०० | 1,18,900.61 | 35.11% |
कुछ बैलेन्स्ड म्यूचयल फ़ंड –
फ़ंड का नाम | वर्तमान रकम | वापसी |
डी.एस.पी. ब्लेकरॉक बेलेन्स्ड फ़ंड – ग्रोथ | 1,21,010.33 | 37.51% |
बड़ौदा पायोनियर बैलेन्स्ड | 1,06,911.12 | 21.49% |
केनरा रोबेको बेलेन्स | 1,20,934.93 | 37.43% |
एच.डी.एफ़.सी.बेलेन्स्ड फ़ंड | 1,30,369.77 | 48.15% |
कुछ स्मॉल मिडकैप फ़ंड –
फ़ंड का नाम | वर्तमान रकम | वापसी |
डी.एस.पी. ब्लेकरॉक | 1,58,195.10 | 79.77% |
एच.एस.बी.सी. मिडकैप | 1,34,062.97 | 52.34% |
आई.डी.एफ़.सी. | 1,40,779.75% | 59.98% |
डी.एस.पी. ब्लेकरॉक माइक्रो कैप फ़ंड | 1,77,672.85 | 101.9% |
जो म्यूचयल फ़ंड आज अच्छा प्रदर्शन कर रहा है इसका मतलब यह नहीं है कि भविष्य में भी अच्छा प्रदर्शन करेगा, इसके लिये बाजार का ज्ञान होना भी बहुत जरुरी है।
म्यूच्यल फ़ंड हमेशा अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह करके ही खरीदें, आप ऊपर दी गई तालिका में देख सकते हैं, एक गलत निर्णय और आपके निवेश का सत्यानाश, बहुत सारे फ़ंड ऐसे भी हैं जो प्रदर्शन नहीं कर पाये, इससे बेहतर है कि अपने वित्तीय सलाहकार को शुल्क देकर सलाह लेना, तो आप अपने निवेश का बेहतर प्रदर्शन पा सकते हैं।
स्विप (SWP – Systematic Withdraw Plan) ऐसी योजना है जो कि निवेशक अपने म्यूचयल फ़ंड में से कुछ पैसा नियमित अंतराल से निवेश में से निकालने देती है। निकाला गया पैसा किसी ओर योजना में निवेश किया जा सकता है या फ़िर कुछ ओर खर्चों के लिये इसका उपयोग कर सकते हैं। साधारणतया: स्विप को सेवानिवृत्ति के बाद होने वाले नियमित खर्चों को पूरा करने के लिये अच्छे से उपयोग किया जा सकता है।
स्विप से नियमित अंतराल के बाद कुछ नियत राशि या फ़िर variable राशि निकाल सकते हैं। निकासी स्विप से मासिक, तिमाही, छ:माही या वार्षिक कर सकते हैं। इस योजना में समय अंतराल निवेशक को अपनी जरुरत और प्रतिबद्धताओं के अनुसार चुनना चाहिये।
साधारणतया: स्विप में कई लाभ हैं, यह आपके निवेश से एक नियमित समय अंतराल के बाद आपको आपकी चाही गई रकम तो देते ही हैं, साथ में आपकी मूल निवेश की गई रकम सीधे बाजार में निवेश रहती है, तो निवेश पर वापसी बहुत अच्छी होने की उम्मीद होती है, आपका मूल निवेश मुद्रास्फ़ीति से भी दो-दो हाथ करता रहता है और स्विप आपका भविष्य सुरक्षित करने में मददगार साबित होता है।
स्विप में आप शेयर बाजार के उतार चढ़ाव को भी झेल सकते हैं। नियमित अंतराल के बाद रकम निकासी से औसत मूल्य अच्छा मिलता है और निवेशक बाजार के उतार चढ़ाव का आनंद ले सकता है।
स्विप कैसे कार्य करती है – (How SWP working ?)
स्विप म्यूचयल फ़ंड में ही एक योजना है, जिसमें नियमित अंतराल के बाद यह आपको अपने निवेश में से कुछ रकम निकासी की सुविधा देती है।
अब म्यूचयल फ़ंड खरीदते हैं, तो उसे स्विप में ले सकते हैं, जिसमें आपको बताना होता है कि कितना रुपया हर महीने/तिमाही में कौन सी तारीख को चाहिये। जिस दिन म्यूचयल फ़ंड खरीदा जाता है, उस दिन की एन.ए.वी. से आपको आपके निवेश की यूनिट मिल जाती हैं। और फ़िर अगले महीने से आपकी चाही गई रकम उन यूनिटों में से बेचकर आपको दे दी जाती हैं। इससे फ़ायदा यह है कि अगर लंबी अवधि में देखें तो हम बाजार के उतार चढ़ाव बहुत ज्यादा पायेंगे और ये उनसे लड़ने में सक्षम हैं।
एक उदाहरण देखते हैं – एक व्यक्ति वर्ष २००२ में सेवानिवृत्त हुए, उन्होंने वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएँ ली और अपनी सेवानिवृत्ति राशि का २० लाख रुपया स्विप में लगाने का निर्णय लिया। और उन्होंने ९ जुलाई २००२ को रिलायंस ग्रोथ ग्रोथ म्यूचयल फ़ंड लिया। ९ जुलाई २००२ की एन.ए.वी. ३१.१८५ रुपये थी, और उन्हें ६४,१३३.३९७५ यूनिट मिलीं।
अब हर माह उन्हें शुरु की २ तारीख को ही २०,००० रुपये मिल जाते थे, और उन्होंने उसे आज तक जारी रखा है, जैसा कि आप सभी ने देखा है कि इन पिछले आठ वर्षों में बाजार ने अपने कई उतार चढ़ाव देखें हैं और कई बने हैं और कई बर्बाद हुए हैं, आज अगर उनके फ़ंड की उन्नति को देखा जाये तो आप पायेंगे कि पिछले आठ वर्षों में उन्होंने स्विप से १९.२० लाख रुपये तो निकाले ही हैं और आज उनके पास ४५,५७७.८७९२ यूनिट उपलब्ध हैं जिसकी एन.ए.वी. ४५९.८४६८ है, और कुल निवेश की राशि आज हो गई है २ करोड़ से भी ज्यादा जी हाँ बिल्कुल सही पढ़ा आपने उनकी आज की रकम है २,०५,६९,६०२.२५ रुपये। जी २५,६१२% की वापसी।
दूसरा उदाहरण देखिये – एक और व्यक्ति थे उन्होंने अपने राशि बैंक में मासिक आय योजना में रखी थी, और उन्हें ब्याज उस समय मिला लगभग १२% पर आज उनकी मूल राशि तो २० लाख रुपये ही है, जो कि आज की मुद्रास्फ़ीति से लड़ने में असक्षम है।
इस तालिका में देखिये –
निवेश योजना | दिनांक | रकम | आहरित रकम | वर्तमान राशि |
रिलायंस ग्रोथ – ग्रोथ म्यूचयल फ़ंड स्विप योजना | ९ जुलाई २००२ | २०,००,००० | १९,२०,००० | २,०५,६९,६०२.२५ ग्रोथ – २५,६१२% |
बैंक में सावधि जमा मासिक आय योजना | ९ जुलाई २००२ | २०,००,००० | १९,२०,०० | २०,००,००० ग्रोथ – ० % |
तो अब आप ही समझ सकते हैं कि निवेश में किसका निर्णय सही था।
कर कितना देना पड़ता है – (Income Tax !!!)
अभी तक कर का प्रावधान इस प्रकार था –
पहले वर्ष शार्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स देना होता था, जितनी यूनिट आपकी बाजार में बिकी हैं, उस हर यूनिट पर होने वाले फ़ायदे पर और एक वर्ष के बाद लांग टर्म कैपिटल गैन टैक्स से मुक्त था, पर इंडेक्सेशन से कर लगता था।
अब नये कर प्रस्ताव में लांग टर्म कैपिटल गैन टैक्स की फ़िर से बहाली की गई है, जिसमें निवेशक को अब हर यूनिट पर होने वाले फ़ायदे पर अब एक वर्ष की अवधि के बाद भी कर देना होगा और इंडेक्सेशन के ऊपर भी कर देय होगा।
इतने कर देने के बाबजूद भी यह योजना बहुत ही अच्छी है, जोखिमपूर्ण भी है। पर इसकी वापसी की तुलना किसी और वित्तीय उत्पाद से करना बहुत ही मुश्किल है।
वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएँ – ( Services of Financial Planner !!!)
मेरी राय है कि जब आप बाजार आधारित कोई भी उत्पाद खरीदते हैं, और अगर खुद विशेषज्ञ नहीं हैं तो वित्तीय विशेषज्ञ की समय समय पर सेवाएँ जरुर लें जो आपके धन को सुरक्षित रखने में आपकी मदद करेगा।
जैसे पहले उदाहरण में वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएँ केवल निवेश के समय ही ली गईं, अगर नियमित रुप से लेते, तो यही रकम लगभग ४ करोड़ हो गई होती। वित्तीय विशेषज्ञ अपनी सेवाओं के लिये कुछ मामुली सा शुल्क लेते हैं परंतु हमें वह शुल्क ज्यादा लगता है, अगर थोड़ा सा शुल्क देकर आपको अपने निवेश से ज्यादा बेहतर वापसी मिल रही है तो हर्ज ही क्या है।
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