जब मेरी शादी पक्की हुई थी, उस समय मोबाईल तो आ गये थे पर इनकमिंग पर भी चार्ज था और आऊटगोइंग बहुत महंगी थी। उस समय तो घर पर लेंडलाईन से भी आऊटगोइंग करने पर ज्यादा चार्ज था और आमदनी कम।
मेरी शादी पक्की होने के छ: महीने बाद हुई थी पर फ़ोन महंगा पड़ता था। खत का सहारा लेकर अपने दिल की बात एक दूसरे को पहुँचाते थे और उस समय ग्रीटिंग कार्ड को साथ में भेजने का फ़ैशन था। घंटों तक खत लिखते और फ़िर घंटों तक कार्ड गैलेरी में जाकर कार्ड चुनते और अपने दिलदार को भेजते। हम उनके खत का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करते थे और वो हमारे खत का। खत में अपने दिल के प्यार से भर देते और अपने दिलदार के खत को गुलाब के फ़ूल के साथ और कुछ अच्छे ग्रीटिंग कार्ड साथ में भेज देते। फ़िर वे खत हम बारबार पढ़कर कुछ नया पढ़ने की कोशिश करते थे।
आज की मोबाईल पीढ़ी खत के मिठास के बारे में क्या जाने वो तो बस दिन रात मोबाईल पर चिपके रहते हैं, और पल पल की जानकारी एक दूसरे से बांटते रहते हैं कि क्या कर रहे हो, ओफ़िस कैसे जा रहे हो, क्या खा रहे हो, क्या पी रहे हो इत्यादि इत्यादि। इन लोगों के पास इन यादों को सहेजने का कोई तरीका मौजूद नहीं है और हमारे पास आज भी वो यादें हमारे साथ हैं, जिसे कभी कभी हम आज भी पढ़ लेते हैं।