कुल्लू मनाली और बर्फ़ के पहाड़ों की सैर – रोहतांग पास की सैर (स्नोपाईंट) Snowpoint Rohtang Pass


सुबह ५ बजे उठकर कड़ाके की ठंड में नहाकर हम लोग तैयार हो लिये रोहतांग पास (स्नोपाईंट) जाने के लिये। बिल्कुल ६ बजे हम टेक्सी में बैठकर चल दिये पहले तो वो टेक्सी पेट्रोल लेने के लिये लाईन में लगी बहुत बड़ी लाईन थी, नहीं लाईन नहीं थी जिसकी जहां मर्जी वह वहां घुस कर पेट्रोल भरवा रहा था, क्योंकि उस रोड पर वह आखिरी पेट्रोल पंप था इसके बाद फ़िर सीधे लेह में पेट्रोल पंप है।

अब हम चल दिये रोहतांग की ओर, निर्मल धवल श्यामल बर्फ़ के पहाड़ों की ओर । फ़िर लाईन से गरम कपड़े की दुकानें रास्ते में आईं जो कि गर्म कपड़े किराये पर देते हैं, क्योंकि ऊपर बहुत ही बर्फ़ीली हवाएँ चलती हैं और आँखों को जलन से बचाने के लिये चश्मे खरीद लिये, साथ में हमने स्कीईंग और गाईड भी लिया।

थोड़ी दूर जाने पर फ़िर हमने अपनी गाड़ी रुकवा कर नाश्ते के लिये एक ढाबा चुना। पीछे कल कल बहती व्यास नदी और ठंडी हवा ओर गर्म नाश्ता वाह।

अब हम चल दिये स्नोपाईंट के लिये तो कहीं पर रोड था तो कहीं पर बिल्कुल भी नहीं, डबल लेन का काम चल रहा था। बीच बीच में बहुत सारे प्राकृतिक झरने मिले। लगभग ३० किमी के बाद एक ग्लेशियर मिला जिसके बीच में से हमारी टेक्सी निकल रही थी। चूँकि हम सुबह जल्दी निकल लिये थे इसलिये हमें जाम भी नहीं मिला और हम लगभग १० बजे रोहतांग पास जो कि समुद्र तल से लगभग १३,०५१ फ़ीट ऊँचाई पर है जा पहुंचे।




वहां पर दो बड़े बड़े ग्राऊंड थे जहां पर लोग आपस में बर्फ़ से खेल रहे थे, स्कीईंग कर रहे थे, याक ओर घोड़ों की सवारी कर रहे थे, स्लेज भी चल रहे थे, बर्फ़ की मोटर साईकिल भी चल रही थीं। बस सब लोग बर्फ़ के इस अद्भुत लोक में आनंदित हो रहे थे।


हमारे परिवार ने भी जमकर स्कीईंग का मजा लिया और फ़िर स्नोबाईक का। फ़िर थोड़ी ट्रेकिंग की वहीं पर कुछ लड़्के पतंग उड़ा रहे थे तो हमने भी पूछ लिया कि भाई इधर पतंग किधर से ले आये तो जबाब मिला कि लखनऊ वाले हैं हरेक जगह पतंगबाजी का शौक पूरा करते हैं। खूब बर्फ़ से खेले और खूब तो फ़िसले। यहां पर व्यास ‌ऋषि का मंदिर है जहां से व्यास नदी निकल रही है, कहते हैं कि अर्जुन ने बाण मारकर यहां पर जल का स्त्रोत निकाला था।


थकान के बाद सोचा कि चलो अब कुछ खाने पीने का कार्यक्रम हो जाये, यहां टेन्ट में बहुत सारे छोटे छोटे ढाबे लगे हुए थे और खाने में गरम चीजों में मिल रहा था आमलेट और मैगी और चाय। खानपान के बाद करीबन १.३० बजे वापिस चल दिये मनाली के लिये क्योंकि मौसम खराब होने लगा था। और ठंडी हवा से हमें बहुत तकलीफ़ भी हो रही थी।


फ़िर वापिस मनाली आते आते वो बर्फ़ के पहाड़ हमसे दूर होते जा रहे थे। फ़िर हम उसी ढाबे पर रुककर चायपान किया और गर्म कपड़े किराये वाले वापिस किये और चल दिये आराम करने के लिये अपने होटल ।

अगले दिन का प्रोग्राम था कुल्लू रिवर राफ़्टिंग और मनिकरण का।
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10 thoughts on “कुल्लू मनाली और बर्फ़ के पहाड़ों की सैर – रोहतांग पास की सैर (स्नोपाईंट) Snowpoint Rohtang Pass

  1. भाई आप ने तो हमे घर बेठे ही कुल्लू मनाली और बर्फ़ के पहाड़ों की सैर ओर रोहतांग तक की सेर करवा दी, बहुत सुंदर लगी आप की यह यात्रा, ओर सब चित्र.मजा आ गया.धन्यवाद
    लेकिन एक बात समझ मै नही आई कि सभी चित्रो मे बर्फ़ का रंग काफ़ी मटमेला दिख रहा है?क्याबर्फ़ कम थी ,या फ़िर कोई दुसरा कारण ?

  2. @राज जी, बर्फ़ कम नहीं थी पर गंदी थी और कुछ जगहों पर साफ़ थी जहां पर घोड़ों और याक की पहुंच नहीं थी, बर्फ़ मटमैली है उनकी लीद के कारण और कीचड़ के कारण।

  3. दस साल पहले यहाँ गए थे तब ये पास बंद था और गुलाबो वैली तक ही जा पाए थे। अच्छा लगा ये विवरण पढ़ना।

  4. विवेक जी पोस्ट अच्छी लगी, पर आपने इसमें लिखा है कि मनाली के बाद सीधा लेह में पेट्रोल मिलता है, नहीं जी मैं तो लेह तक भी हो कर आया हूँ, रोहतांग से साठ किलोमीटर आगे जाकर टांडी नामक जगह पर भी एक पेट्रोल पम्प है, हाँ टांडी के बाद आप को लेह से पन्द्रह किलोमीटर पहले फ़िर से मिल जायेगा।

  5. KULLU-MANALI-ROHTANG ka trikon india ke best hill stations mein ek hai,rohtang ke sath sath KULLU mein Manikaran aur Bijli Mahadev bhi bahut romaanch dene wale hain..yahan zaroor jana chahiye.

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