तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – ६ [शीघ्र दर्शनम की लाईन में..] (Hilarious Moment of Deity Darshan at Tirupati Balaji.. Part 6)[In quick darshan Que…]

    अपना मोबाईल बंद करके टैक्सी में अपने बैग में ही रख छोड़ा, फ़िर चल पड़े तिरुपति बालाजी देवस्थानम दर्शन करने के लिये। अपने सैंडल भी टैक्सी में ही रख दिये केवल कुछ नकद और क्रेडिट कार्ड लेकर चल दिये।

    ध्यान रखें पर्स, बेल्ट इत्यादि चीजें न ले जायें तो बेहतर होगा, यहाँ किसी भी मंदिर में इलेक्ट्रानिक उपकरण और मोबाईल ले जाना निषेध है। इसलिये पहले ही इन सब चीजों को हटा दें। जिससे अगर गलती से भी चली जायें तो खोने का या लॉकर में रखने की दिक्कतों से बच सकते हैं। फ़िर हमने अपनी टैक्सी के पास ही फ़ोटो खिंचवा लिया।

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    बहुत जोर से पेट में चूहे कूद रहे थे, तो पार्किंग के पास ही शापिंग कॉम्पलेक्स में इडली, बड़ा और सांभर चटनी मिल गये, थोड़ा खाया तृप्ति मिल गई।

    फ़िर चल पड़े वापिस उसी रास्ते पर जिधर केश देने के लिये हाल में गये थे, रास्ते में छोटी छोटी दुकानें लगी हुई थीं। वहीं पर तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट की मुफ़्त भोजनशाला भी थी। और वहीं एक और बोर्ड लगा हुआ था, कि लोकल, एसटीडी काल करने के लिये इधर जायें, व्यवस्था देवस्थानम की ओर से है, एवं इसका कोई शुल्क नहीं है।

    तिलक लगाने वाले बहुत सारे लोग घूम रहे थे जो कि बालाजी की स्टाईल में तिलक लगा रहे थे। वहीं पास ही टोपियों की दुकान भी थी, जो नये नये टकले हुए थे, जिनके लिये टकलाना नया अनुभव था, उन्हें ठंड लग रही थी। हालांकि हम भी टकलाने के मामले में पुराने तो नहीं थे परंतु नये भी नहीं थे। इसलिये टकलाना बहुत ही अच्छा लग रहा था।

    वहीं पर ३०० रुपये के शीघ्र दर्शनम टिकट का बोर्ड दिखा जो हमारा मार्गदर्शन कर रहा था, हम भी बोर्ड देखते हुए चले जा रहे थे। फ़िर एक सुरक्षाकर्मी को हमने पूछा कि और कितना दूर है, वो बोला और आगे जाईये और पहली लाईन में लग जाईये। वहाँ सेवक भी खड़े थे, जैसे ही हम वहाँ पहुँचे फ़िर से हमने उनसे पूछ लिया कि भैया यह ३०० रुपये के टिकट वाली लाईन ही है न, वो बोले बिल्कुल लग जाईये लाईन में। हम सबसे पीछे लगे थे लाईन में। हमने पूछा कि कितना समय लगेगा, तो वो सेवक जी बोले आज रविवार का दिन है, और बहुत भीड़ है, १-२ घंटे में दर्शन हो जायेंगे। हम लाईन में लग लिये, और महामंत्र “हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे” का जाप करने लगे। कुछ लोग “ऊँ वेंकटेश्वराय नम:” का जाप कर रहे थे, कुछ समूह में लोग थे जो “गोविंदा गोविंदा” कहकर ध्यान आकर्षित कर रहे थे। पास की लाईन ५० रुपये के सुन्दरसन टिकट की लाईन थी, बड़ी ही जल्दी आगे बड़ रही थी, पर हमें बताया गया कि यहाँ केवल दिख रहा है कि ये जल्दी जल्दी आगे जा रहे हैं पर इनको दर्शन के लिये ५-६ घंटे लगने वाले हैं।

    हमारे आगे लाईन में एक फ़ैमिली थी, जो कि दक्षिण भारतीय थे और पीछे हिन्दी भाषी फ़ैमिली थी उससे लगा कि दिल्ली तरफ़ के हैं। हम आसपास का वातावरण के साथ साथ लोगों को महसूस भी कर रहे थे और महामंत्र का जाप भी कर रहे थे। तभी पास में से ५-६ टकले लोगों की टोली याने कि जिन्होंने केशदान किये थे निकले जो अलग ही लग रहे थे, क्योंकि उन्होंने सर पर चंदन लगाया हुआ था। और सिर पीले रंग से अलग ही चमक रहे थे। हमें तो उनको देखकर ही ठंड लगने लगी क्योंकि चंदन में ठंडक होती है, और वातावरण में पहले ही इतनी ठंडक थी। ऊपर प्लास्टिक की चद्दरों का शेड था जिसमें से सूर्य भगवान की हल्की सी तपिश आ रही थी, बड़ा अच्छा लग रहा था।

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18 thoughts on “तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – ६ [शीघ्र दर्शनम की लाईन में..] (Hilarious Moment of Deity Darshan at Tirupati Balaji.. Part 6)[In quick darshan Que…]

  1. @खुशदीप जी,

    मेरे भाई से मैं वीडियो चैट कर रहा था, जिस दिन तिरुपति से वापस आया था उसी दिन, उसने भी बिल्कुल यही कहा था।

    "शाकाल खुश हुआ"

  2. @ दराल साहब

    बिल्कुल ये मैं ही हूँ, बालाजी के लड्डू बहुत ही स्वादिष्ट थे, शायद ही इस प्रकार के लड्डू हमने कभी खाये होंगे।

    वजन तो बड़ ही रहा है बहुत ही ज्यादा गंभीरता से सोचने के साथ कुछ करना भी पड़ेगा 🙂

  3. विवेक भाई हम भी वंही टकले भी हुये थे और मूछों के साथ दाढी भी मुंडवा ली थी और ज़ोर से चिल्लाये थे गोविंदा-गोविंदा।

  4. विवेक भाई हम भी वंही टकले भी हुये थे और मूछों के साथ दाढी भी मुंडवा ली थी और ज़ोर से चिल्लाये थे गोविंदा-गोविंदा।

  5. विवेक भाई हम भी वंही टकले भी हुये थे और मूछों के साथ दाढी भी मुंडवा ली थी और ज़ोर से चिल्लाये थे गोविंदा-गोविंदा।

  6. विवेक भाई हम भी वंही टकले भी हुये थे और मूछों के साथ दाढी भी मुंडवा ली थी और ज़ोर से चिल्लाये थे गोविंदा-गोविंदा।

  7. @ अनिल भाई,

    टकले होने का अपना अलग ही आनंद है, और अगर बालाजी में हों तो मजा बड़ जाता है|

  8. जय तिरुपति बालाजी। बहुत ही लाभदायक एवं ज्ञानप्रद जानकारी। निश्चित रूप से यात्रिओं लिए मार्गदर्शक जानकारी है।

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