शनिवार ३० जनवरी को शाम को हमने उम्मेद सिंह जी से बात की और अगले दिन सुबह ८.३० बजे हमारे होटल में मिलना तय हुआ, फ़िर पीडी से बात हुई तो पीडी बोले हम तो कभी भी आ सकते हैं, आप चिंता न करें।
सुबह हम लगभग ७ बजे उठे और रोज के उपक्रम से निवृत्त होकर चुके ही थे कि अचानक हमारा मोबाईल फ़ोन घनघनाया, फ़ोन किसी मोबाईल से था तो हमें लग गया जरुर साधक उम्मेद सिंह जी का फ़ोन है, बात हुई तो उधर से साधक उम्मेद सिंह जी की ही आवाज थी। उन्होंने कहा कि हम आपके साथ ज्यादा समय बिताना चाहते हैं जरा जल्दी आ जायें क्या, हमने कहा अरे आपका स्वागत है, बिल्कुल आ जाईये, तो साधक जी बोले फ़िर खोलिये आपके कमरे का दरवाजा हम सामने ही खड़े हैं।
हमने कमरे का दरवाजा खोला तो साधक जी जैसे ही रुबरु हुए, वे बोले “अरे आप तो बहुत सुंदर हैं।”
फ़िर बहुत सारी बातें हुईं गीता, उपनिषद, धार्मिक, साहित्यिक, ब्लॉग जगत और जीवन सभी बातों पर साधकजी की गजब की पकड़ है।
फ़िर अविनाश वाचस्पति जी को फ़ोन लगाया उस समय शायद वो उठे ही थे या हमने उठा दिया था, उनसे भी हमारी और साधकजी की बहुत बातें हुईं।
साधकजी की ब्लॉग के तकनीकी पक्ष की बहुत सारी जिज्ञासाएँ थीं जिसे हमने शांत करने का प्रयास किया और उन्हें बताया कि हम कैसे विन्डोज लाईव राईटर उपयोग करते हैं, और इसमें क्या क्या सुविधाएँ उपलब्ध हैं, लिंक कैसे बनाते हैं, फ़ोटो कैसे लगाते हैं इत्यादि।
तब फ़िर हमने वापस प्रशान्त उर्फ़ पीडी को फ़ोन लगाया तो वे बस उठे ही थे, हमने उन्हें अपना होटल का पता बताया तो पीडी बोले कि हम बस आधे पौने घंटे में पहुँचते हैं, वो बराबर पौने घंटे में आ पहुँचे फ़िर एक बार साधकजी और पीडी के साथ चर्चाओं का दौर शुरु हो गया। तब तक नाश्ते का समय हो चुका था और बहुत जोर से पेट में चूहे कूद रहे थे, तो जाने के पहले हमने बोला कि एक फ़ोटो खींचकर नुक्कड़ पर लगा देते हैं, और साधकजी ने अपनी छ: लाईने लिख दीं।
कुछ फ़ोटो हमारे लेपटॉप से –
फ़िर चल दिये पास ही स्थित सरवाना भवन वहाँ जाकर पहले रसगुल्ला और फ़िर इडली छोटी वाली जो कि प्लेट में १४ आती हैं और फ़िर कॉफ़ी, पर पीडी चाय कॉफ़ी नहीं पीते हैं।
नाश्ता निपटाकर वापिस आये और थोड़ी देर बाहर की हवा में खड़े होकर आनंदित होकर बातें कर रहे थे। साधक जी को शाम को ही जयपुर निकलना था, तो वे हमसे विदा लेकर चल दिये फ़िर मिलने का वादा करके और फ़ोन पर बराबर संपर्क में रहने के बादे के साथ।
मैं और पीडी वापिस कमरे में आये और फ़िर ब्लॉग जगत के बारे में बातें हो ही रही थीं और साथ में पीडी के मिनी लेपटॉप पर उनके फ़ोटो देख रहे थे, कि पाबला जी का फ़ोन आ गया और फ़िर पाबला जी से भी बातें हुईं, जो कि उन्होंने नुक्कड़ की पोस्ट देखकर ही लगाया था।
बहुत सारी अपनी जिंदगी की बातें हुईं, फ़िर पीडी भी दोपहर को विदा लेकर चल दिये कि फ़िर जल्दी ही मुलाकात होगी।
nice
यह मुलाक़ात बहुत अच्छी लगी…
नोट: लखनऊ से बाहर होने की वजह से …. काफी दिनों तक नहीं आ पाया ….माफ़ी चाहता हूँ….
भई यह आप लोगों की मुलाकात तो अच्ची लग रही है लेकिन बीच मे यह जो सरावना भवन का जिक्र आ जाता है तो मुह मे पानी आने लगता है क्योंकि इस होटेल के व्यंजनो का लुत्फ हमने भी बहुत उठाया है और मेरी बेटी तो हमेशा सरावना भवन को याद करती है ।
शरद कोकस जी से सहमत लेकिन हमने उस होटल का लित्फ़ नही उठाया है अभी तक सो समझ रहे हो ना. बस हमारे मन की हमी जानते है.
ये बर्ड वेरीफ़िकेशन हटा लो मेरे भाई
आपलोगों के मिलन के रिपोर्ट को पढना सुखद रहा !!
पहले रसगुल्ले और फ़िर इडली? लोग तो पहले नमकीन खाते हैं और फ़िर मीठा…ये माजरा क्या है जी?
किसी भी ब्लोगरमीट में जो टेकनिकल जानकारी आपस में बांटी जाये वो हमसे भी शेयर करनी चाहिए जी। इस लिए एक पोस्ट और लिखिए कि टेकनिकल जानकारी क्या क्या मिली और दी गयी
@ अनिता कुमार
सबसे पहले आपसे मुखातिब होता हूं और बतलाता हूं कि आपको जितनी भी तकनीकी जानकारी चाहिये, उसके लिए मैं विवेक रस्तोगी जी को आपके सुपुर्द करता हूं, वे मुंबई में शीघ्र ही आपसे मिलेंगे और जितनी जानकारी उनको कंप्यूटर और ब्लॉगिंग के तकनीकी पक्ष की है, आपको बखूबी सिखलायेंगे।
विवेक जी की साधक जी से मुलाकात और पीडी जी के साथ नाश्ते की सुगंध दिल्ली पहुंच चुकी है। 7 फरवरी 2009 को दिल्ली में होने वाले ब्लॉगर मिलन समारोह में उनकी व्यवस्था की जा रही है। आप सभी को सहर्ष निमंत्रण है।
इस तरह की मिलन सूचनायें वास्तव में हिन्दी ब्लॉगिंग का मनमोहिनी बचपन है। जो पचपन से उपर वालों को बीस से नीचे और उपर वालों से सच्चे मन से मिला रही है।
और पचपन से उपर वालों का भी धमाकेदार प्रवेश हिन्दी ब्लॉगिंग जगत में हो चुका है। आप जानते ही हैं। सीनियर सिटीजन की तर्ज पर सीनियर ब्लॉगजन को अब पोस्टिंग व टिप्पणिंग में वरीयताएं मिलनी शुरू होने जा रही हैं।
सीनियर सिटीजन की तर्ज पर सीनियर ब्लॉगजन को अब पोस्टिंग व टिप्पणिंग में वरीयताएं मिलनी शुरू होने जा रही हैं।
इसका जरा खुलासा कीजिए, बात अपने मतलब की लगती है।
हमें पूरा यकीन है कि विवेक जी आप के विश्वास का मान रखेगें
सरावना भवन!!
लगता है अब पहुँचना ही पड़ेगा 🙂
बी एस पाबला
अच्छा लगा आप लोगों की मुलाकात का विवरण पढकर,वैसे पीडी से बात हुई थी तो सब बातें हुई थी।वैसे मिलने-मिलाने का ये वाला सिस्टम ज्यादा बेहतर है,इसमे सिर्फ़ मुलाकात होती है और लगता है ब्लागर मीट मे तो सिर्फ़ मुक्कालात ही होती है। हा हा हा अच्छा लगा और ये मुलाकातों का सिलसिला जारी रहना चाहिये।
जय ब्लागिस्तान्।
बहुत अच्छा लगा, मुलाकात का विवरण पढ़कर.
bahut badhiya, jari rahe mel milap
मुलाक़ात अच्छी लगी..
भई वाह! मिल गई ट्टिपणियाँ इतनी सारी सी.
मिलन की मिठास याद आती बहुत सारी सी.
बहुत ही सारी बातें आप बता ना पाये.
बच्चे-पत्नी-परिवार की सुना ना पाये.
कह साधक परिवार भाव से सुख बढता है.
ब्लागर मिलें जहाँ भी, सबका सुख बढता है.