होली के दिन से तबियत नासाज लगनी शुरु हो गई, फ़िर सोचा कि चलो ये मौसम की मार है परंतु फ़िर भी कुछ ठीक नहीं लग रहा था, फ़िर सोचा कि चलो किसी डॉक्टर को दिखा ही लेते हैं, तो पता चला कि थोड़ा सा रक्तचाप बड़ा हुआ है और हमारे मोटापे पर डॉक्टर भी चिल्ला रहा था, और हम सिर झुकाकर चुप्पा लगाकर उनका भाषण सुन रहे थे हम और कुछ कर भी नहीं सकते थे, क्योंकि गलती तो आखिरकार अपनी ही थी, सो बस चुप्पा लगाके सुनते रहे। कि फ़लाना मत खाओ, धुआं मत उड़ाओ पियो मत हम उन्हें बोले कि खाने का तो ठीक है परंतु धुआं और पीने के मामले में आप गलत हैं। बस फ़िर शुरु हो गये कि रोज ४-५ किमी घूमो नहीं तो परेशानी बड़ जायेगी और अगर वजन हाईट के बराबर हो गया तो समझो कि सारी बीमारियां छूमन्तर, अरे भैया हम तो हैरान परेशान हो गये उनकी बातें सुनकर कि इत्ता सारा वजन कम कैसे करेंगे, तभी वे शुरु हो गये डाईट प्लान ठीक करो, मीठा बंद, घी तेल बंद ये बंद वो बंद हमें लगा कि हम क्यों न अपना कान ही बंद कर लें, ये सब भी सुनना रह गया था जीवन में कि कोई तीसरा व्यक्ति हमारी जिंदगी में भगवान के रुप में एन्ट्री ले और बोलेगा कि ये बंद वो बंद हमारी जिंदगी, हमारे खानपान के सारे निर्णय वो ही लेगा।
पर अपने पीछे परिवार को देखकर चुपचाप डॉक्टर के आदेशों पर “जी जी” कहकर सम्मानपूर्वक अमल करने के लिये सोच रहे थे। डॉक्टर भी अपने ठेठ अंदाज में बात कर रहा था ऐसा लग रहा था कि अपन अपने ही देश के किसी डॉक्टर को दिखाने आ गये हैं। एक और आदेश सुना दिया गया कि कुछ पेथालॉजी टेस्ट और सोनोग्राफ़ी भी करवायी जाये, १२-१४ घंटे की फ़ास्टिंग करने के बाद, क्या जुल्म ढ़ाया इस जान पर कि बस कुछ पूछिये ही मत, ठीक नहीं लग रहा था तो सोचा कि आराम कर लिया जाये वह ज्यादा बेहतर है ऑफ़िस का काम भी जरुरी था पर स्वास्थ्य को देखकर इससे जरुरी और कुछ नहीं लगा। शाम को चुपचाप जल्दी खाना खाया और तभी हमारे छोटे भाई थोड़ी देर बाद ही होली की मिठाई जो कि उज्जैन से घर से भेजी गई थी, लेकर प्रकट हुए, पर मिठाई देखकर और फ़ास्टिंग भी करनी है, दुहाई देकर चुपचाप दूसरी ओर देखने लग गये कि उधर जैसे अपना दुश्मन बैठा है। मन तो हो रहा था कि गुझिया और मैसूरपाक भर भर कर खा लें पर तमतमाया हुआ मुस्कराता हुआ चेहरा देखकर हिम्मत नहीं पड़ी। (किसका चेहरा बताने की जरुरत नहीं है, सब समझ गये होंगे)
सुबह उठकर तैयार होकर अपने बेटे को स्कूल की बस में बिठाकर चल दिये पेथालॉजी टेस्ट के लिये, पेथालॉजी क्या थी एक १ बी.एच.के. के फ़्लेट में व्यापार था, ढ़ेर सारे टेस्ट बताये गये थे, जो कि यूरिन और ब्लड के थे। ब्लड इत्ता सारा निकाला कि बस हम तो धक ही रह गये इत्ता ब्लड तो बनाने के लिये पता नहीं कितना समय लगेगा इसी बीच लेब का दरवाजा खुला और सामने एक वृद्ध सज्जन खड़े थे जिन्हें कुछ काम था, शक्ल जानी पहचानी लगी फ़िर दिमाग पर जोर दिया तो याद आया उन सज्जन का नाम सुधीर दलवी है, जो कि टीवी सीरियल और फ़िल्मों में काम कर चुके हैं।
फ़िर चले सोनोग्राफ़ी के लिये वो दुकान अलग थी, वहाँ देखा कि पहले से ही अच्छी खासी भीड़ जमा थी, और दरवाजे के बाहर ही लिखा था कि जूते चप्पल बाहर न उतारें और अंदर लेकर आयें। पर हमारे यहाँ की भारतीय जनता उसका उल्टा मतलब ही निकालती है, और सारी जनता अपने जूते चप्पल बाहर उतारकर अंदर आ रही थी, हमें थोड़ा पढ़ा लिखा होने का अहसास सा था सो हम चल दिये अपने सैंडल के साथ अंदर, सभी लोग अपनी घोर आश्चर्यमयी नजरों से हमें घूर घूर कर देख रहे थे, जैसे १४११ बाघ होने के जिम्मेदार हम अकेले ही हैं। हमें बोला गया कि इंतजार करिये हमने पूछा कि कितना समय लगेगा हम घर जाकर पानी पी आते हैं, तो उत्तर मिला कि आप इत्ते बजे आ जाइये, और हम उनका एक खाली पर्चा जिसपर उस लेबनुमा दुकान का फ़ोन नंबर लिखा था लेकर अपने घर की ओर चल दिये। सोचते हुए कि यही अगर उज्जैन होता तो कितना समय लगता और मिन्नत अलग करना पड़ती, मुंबई में तो हरेक चीज फ़ोन पर ही मिल जाती है, शायद सबको समय की कीमत पता होगी। सब्जी से लेकर किराना, आईसक्रीम, दूध और भी जाने क्या क्या सब फ़ोन करो ओर हाजिर, उज्जैन में तो ये सब सोचना सपना जैसा ही लगता है।
जब सोनोग्राफ़ी की दुकान पर वापिस पहुंचे तो देखा कि भीड़ और भी ज्यादा बड़ी हुई थी, हमने पूछा कि हमारा नंबर कितनी देर में आयेगा, उत्तर मिला कि बस आने ही वाला है हम वहीं एक बेंच पर जगह तलाशकर बैठ गये और इंतजार करने लगे अपने नंबर के आने का, इसी बीच जितने मरीज उतने घटनाक्रम देखने को मिल रहे थे, और सोच रहे थे कि सबकी अपनी अपनी राम कहानी है पर दुकान वालों को तो इसकी आदत पड़ गयी है। कोई चाल का रहने वाला था तो कोई ब्लेकबैरी मोबाईल का उपयोग करनेवाला, शायद भगवान के दर के बाद ये ही एक ऐसा दर है जहाँ अमीरी गरीबी का अंतर नहीं रह जाता है। पर सब जगह ऐसा नहीं है।
जब हमारा नंबर आया तो लेडी डॉक्टर जो सुंदर भी थीं, और अधेड़ थीं, और बैकग्राऊँड में पुराने सदाबहार गाने चल रहे थे, “तेरा प्यार है तो फ़िर क्या कमी है….” अब अपना सामान्य ज्ञान गाने में बहुत कमजोर है इसलिये अपने को पता ही नहीं किसने गाया और कब कौन सी फ़िल्म के लिये गाया। और वो डॉक्टर चुपचाप हमारे ऊपर सोनोग्राफ़ी करने लगी और हम सामने वाले मानिटर में होने वाली गतिविधियों को समझने वाली दृष्टि से देखने लगे, समझ में नहीं आया ये अलग बात है, पर हम डॉक्टर के कम्पयूटर ज्ञान को देखकर आनंदित हो गये, उनका कम्पयूटर थोड़ा अलग किस्म का था और वो फ़टाफ़ट हाथ चला रहीं थीं, बिल्कुल माहिर हों जैसे, खैर माहिर तो होंगी ही उनका व्यापार ही वही था। पूरे पेट पर मशीन घुमाघुमाकर देखने के बाद हमें बोला गया कि हो गया शाम को आकर रिपोर्ट ले जाइयेगा। तभी हमने डॉक्टर से पूछ लिया कि “Anything Serious ?” तो वो बोलीं “Its like ok…” तो समझ में आ गया कि पेथालॉजी वाले डॉक्टर से पूछो तो हमेशा ऐसा ही जबाब मिलता है, असल में तो अपना डॉक्टर ही बतायेगा कि क्या समस्या है। बस अब शाम का इंतजार कर रहे हैं, रिपोर्ट के लिये…।
ab ham to yahi kahenge ki in daktaron ke jhanjhat se bachna hai to parhej kar hi liye 🙂 get well soon.
अरे भाई कुछ नहीं हुआ -मस्त रहिये ! शुभकामनायें !!
रिपोर्ट तो ठीक ही आनी है जी!
और ये मसूरपाक, गुझिया अकेले भर भर खाने की मत सोचना! हमारा भी कुछ ख्याल रखिएगा 🙂
वैसे आपकी चुहल बाज़ी पसंद आई -लेडी डॉक्टर जो सुंदर भी थीं और अधेड़ थीं 🙂
बी एस पाबला
shubhkamnae………….
अरे विवेक जी , कहाँ होली पर डॉक्टर के चक्कर में पड़ गए । आराम से खाते पीते , फिर दो चार दिन बाद टेस्ट कराते । खैर , रिपोर्ट तो ठीक ही होगी। लेकिन बीबी की मानो या न मानो , डॉक्टर की बात तो माननी ही चाहिए।
शुभकामनाएं….आप जल्दी ही पूरी तरह स्वस्थ हो जायेंगे…हाँ डॉक्टर की बातों पर ध्यान दीजिये
अरे! आप अभी तो होली वाले दिन बहत अच्छे थे….कितने खुश थे….
जब हमारा नंबर आया तो लेडी डॉक्टर जो सुंदर भी थीं, और अधेड़ थीं, और बैकग्राऊँड में पुराने सदाबहार गाने चल रहे थे, "तेरा प्यार है तो फ़िर क्या कमी है…."
काश! मैं आपके साथ होता….. ?
सब ठीक हो जायेगा ,शुभकामनायें
रिपोर्ट आने तक महाकालेश्वर के दरबार की शरण लें…:) फिर पोस्ट लिखें जब रिपोर्ट मिल जाये!!
आल इज़ वेल 🙂
Are jab sab theek hai to kitna theek ho jaayega..
bekaar ki baat mat sochiye..jhat dani khush ho jaayiye…
haan nahi to…!!
Nishchint rahiye sab kushal mangal hi hoga jisake sath itane sare logo ki duaae aur ashirwaad ho use bhala kya ho sakata hai…!! yakin maaniye ashirwaad ke aage honi bhi kamzor pad jaati hai…….Aapke uttam swastya ke liye dhero shubhkamnae!
आपकी तबियत कब ठीक हो गई .. हम समझ गये.. रिपोर्ट का क्या है आती रहेगी ।
मस्त रहिये और विवेक रस्तोगी से आकर हमारी आज की पोस्ट पर मिलिये.
रामराम.
ab takto report mil gayi hogi aur sab theek bhi hoga….jitna vehem hoga uti pareshani badhegi lekin zyadalaparwah hona bhi theek nahi
आशा है अब आप स्वस्थ होंगें.