मेरा आसमां …. मेरी कविता …. विवेक रस्तोगी April 10, 2010Uncategorizedमेरी कविताVivek Rastogi Share this... Facebook Pinterest Twitter Linkedin Whatsappमेरा आसमां कितना है रोज नापता हूँ कई दिनों से नाप रहा हूँ पर, कौन मेरे आसमां में है और, कौन नहीं नाप नहीं पा रहा हूँ।
इसी कौन का जवाब तो चाहिये
पर जवाब दे कौन?
इसी बात पर तो
देखिये संसद भी मौन.
har kisi ke aage yah prashn hai khadaa
is prashn ko bakhoobi sanwara hai
….बहुत सुन्दर,प्रसंशनीय रचना!!!
सहज स्वीकरण
यह कोशिश ही बेमानी है,,लेकिन स्वरोक्ति है तो स्वीकार्य भी.
सच है ।