गूढ़ ज्ञान :- हमारे मित्र का उवाच –

मनीष हाड़ा उवाच (द्वितीय)

गूढ़ ज्ञान :-

* फैसला करूँ या न करूँ, ये फैसला है; फैसला कर न सकूँ, ये नाकामी है.
* बेवकूफ अगर अनगिनत हों तो उनकी ताक़त को कम कर के आंकना नादानी है.
* कृत्रिम बुद्धिमत्ता स्वाभाविक मूर्खता का मुकाबला नहीं कर सकती.
* आपके चारों ओर हाहाकार है,लेकिन आप शांत हैं तो इसका मतलब है कि स्थिति की गंभीरता आपके पल्ले नहीं पड़ी है.
* किसी चीज पर लिखा हो कि एक ही साइज़ सबको फिट आता है तो इसका मतलब है वो किसी को फिट नहीं होगा.
* इतना आसान कोई काम नहीं होता कि उसे बिगाड़ा न जा सके.
* खुद न करना पड़े तो कोई काम नामुमकिन नहीं होता.
* अगर आप कामयाब नहीं होते,तो इस बात के सारे सबूत नष्ट कर देना ही श्रेयस्कर होता है कि आपने कोशिश की थी.
* अगर आप कुशल कार्यकर्ता हैं तो सबसे ज्यादा काम आपके पल्ले पड़ेगा, आप अतिकुशल कार्यकर्ता हैं तो ज्यादा काम से पल्ला झाड़ने की जुगत आप यक़ीनन कर लेंगे.

9 thoughts on “गूढ़ ज्ञान :- हमारे मित्र का उवाच –

  1. @बेवकूफ अगर अनगिनत हों तो उनकी ताक़त को कम कर के आंकना नादानी है.
    मेरे ख्‍याल से बेवकूफ एक ही हे तब भी कम उनकी ताक़त को कम कर के आंकना नादानी है.

  2. गूढ़ नहीं ये सहज मन्त्र हैं जीवन के -संकलन के लिए बधाई और बाटने के लिए बधाई!

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