हम चल दिये ५ दिन के लिये मुंबई से बाहर, बोरिवली स्टेशन से हमारी ट्रेन थी, हम ट्रेन के आने के ठीक १० मिनिट पहले प्लेटफ़ॉर्म पर पहुँच गये, तो चार नंबर प्लेटफ़ार्म से ट्रेन जाती है, और इसी प्लेटफ़ॉर्म से विरार, भाईंदर की लोकल ट्रेनें भी जाती हैं। इन लोकल ट्रेन में पब्लिक को देखते ही बनता है, बाहर की पब्लिक तो इन लोगों को देखकर आश्चर्य करते हैं।विरार भाईंदर की लोकल ट्रेन को देखकर बाहर के लोगों को आप आँखें फ़ाड़ फ़ाड़कर देखते हुए देखे जा सकते हैं ।
विरार भाईंदर लोकल ट्रेन की बहुत सारी खासियत हैं, मसलन ट्रेन की छत पर यात्रा करना, बाहर से खिड़की के ऊपर चढ़कर यात्रा करना, बंद दरवाजे की रेलिंग पर चढ़कर यात्रा करना, गेट पर खड़े हुए हीरो लोग प्लेटफ़ॉर्म पर खड़े हुए लोगों पर फ़ब्ती कसते हैं, डब्बे में इतनी भीड़ होने के बाबजूद और लोगों का चढ़ जाना, और सबसे बड़ी खासियत गुटबाजी अगर आप पहली बार जा रहे हैं तो गेट पर खड़े लोग आपको चढ़ने ही नहीं देंगे, और अगर उतरना है तो उतरने नहीं देंगे।
भले ही बेचारे रेल्वे वाले चिल्ला चिल्लाकर अधमरे हो जायें, कि ट्रेन की छत पर यात्रा न करें २५,००० वोल्ट का करंट बहता है, कई लोग तो निपट भी चुके हैं, पर हीरोगिरी करने से बाज आयें तब न, बस इनको नहीं सुनना है तो नहीं सुनना है, शायद कानून को मजाक समझते हैं ये लोग।
हम अपनी हेयरश्टाईल याने कि टकले थे, (टकलापुराण और टकले होने के फ़ायदे रोज ४० मिनिट की बचत) तो एक फ़ब्ती हमें भी मिली “ऐ टकल्या”, तो हमने पहले अपने आसपास खड़े लोगों को देखा तो पाया कि “केवल अपन ही टकले हैं, और कोई टकला नहीं है”, बड़ा ही आनंद आया कि चलो कोई तो है जो हमको फ़ब्ती कस सकता है।
नैचुरली टकले हैं या नाई जी की कृपा है?
अरे आपने कब देखा मुझे आँखें फाड़ फाड़ कर देखते हुए…….
पिछले महीने पहली बार मुंबई आया था तब मैंने भी ये दृश्य देखा था
पक्के जिगर के हैं भाई हीरो लोग
हा हा हा तो गोया मामला ये कि बालों की कुर्बानी देकर ….
एक पहचान कायम कर ली आपने स्टशन पर ।
प्रोफाइल के फोटो में तो टकले नहीं लगते?
बाकी हाई टेंशन वालों कोच की का छत पर चलना वाकई बाजीगरी है!
बदनाम हुए तो क्या नाम ना हुआ….
जय टकलापुर… टक्कल ज़िन्दाबाद…
(आज कल मैं भी टकला हूं)
भाई रोज ही टकले टकले कह कर चिढाते है एक दिन किसी टकले की फ़ोटो भी तो दिखाओ, फ़िर आप को हम सही टकला मानेगे, आज तक तो बम्बे मै एक ही टकला है… बताईये कोन?
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७.
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.अजी अपना शेटी
यह भी बढ़िया है.
हमारी संस्कृति का एक पक्ष यह भी है.