यह चेहरा आपने बुद्धु बक्से पर कई बार देखा होगा अरे मेरा नहीं जो मेरे साथ हैं, ये हैं अलबेला खत्री जी, प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवि और हास्य इंटरटेन्मेन्ट व्यक्तित्व।
प्लेट की तरफ़ मत देखिये उसका माल तो हम हजम कर चुके हैं। 🙂
अलबेला जी से बहुत सारी बातें हुईं, भाषा के उपयोग पर भी बहुत सी चर्चा हुई, अगर आज के साहित्यकार आज से ६० वर्ष पहले उपयोग होने वाली हिन्दी लिखेंगे तो शायद ही आज की पीढ़ी पढ़ना पसंद करेगी और अगर करेंगे भी तो कुछ चुनिंदा लोग।
भाषा वह होनी चाहिये जो कि सबको आसानी से समझ में आ जाये । भाषा ज्यादा क्लिष्ट होने पर पाठक या श्रोता कम या गायब हो जाते हैं।
वहीं पर हमारी मुलाकात हुई शंभू शिखर जी से भी वे भी हिन्दी ब्लॉगर हैं और लॉफ़्टर ३ में आ चुके हैं।
जितनी देर हम अलबेला जी के साथ रहे मुंबई में बारिश पुरजोर बरस रही थी, बाहर मुंबईवासी बारिश से तरबतर हो रहे थे और हम ब्लॉगरस में। साथ ही फ़ोन पर हमारी बात हुई पाबला जी से, और वे भी हमारी मुलाकात का हिस्सा बने।
bhai wah
albela jee ke sath mulakaat.. Gajab bhai gajab.
Plate ka mal hajam kar gaye… Sahi tha magar likh ke gajab kar diye.
bahut khoob
प्रोफ़ाईल का फोटो बदलें! कुछ मिस-मैच सा हो जाता है 🙂
प्लेट का माल आप हजम कर गए यह तो ठीक है लेकिन खाली प्लेट दिखाने की क्या ज़रूरत थी? भरी हुई भी तो दिखाई जा सकती थी!
अरे आपके बाल अभी तक आये नहीं ।
और अलबेला जी के बढ़ते जा रहे हैं ।
बालों पर जल्दी ही कुछ लिखना पड़ेगा ।
अरे अलबेला भाई गंजे हो गए …….
और आप तो विग लगाकर एकदम अलबेला खत्री जैसे दिखते हैं ….
आप दोनों की मुलाकात का स्वाद हमें भी आ रहा है , बेशक खाली प्लेट से ही सही ।
खाने पीने के साथ साहित्य में कोई नुकसान नहीं ।
खाली प्लेट दिखा के क्यों जला रहे हो भाई? 🙁
बल्ले बल्ले
bahut aanand aaya vivek ji !
halanki barsaat zoron se ho rahai thi, aap ko vapsi me pareshaani bhi hui hogi, main jaanta hoon……lekin aapke aane se meri shaam sudhar gayi- aapke vichar jaan kar achha laga
dhnyavad !
बढ़िया रहा मुलाकात के बारे में जानना!