तुम इतने भयानक क्यों थे..! … मेरी कविता … विवेक रस्तोगी July 16, 2010कविता, मेरी लिखी रचनाएँमेरी कविता, मेरी जिंदगीVivek Rastogi Share this... Facebook Pinterest Twitter Linkedin Whatsappसिसकती खिड़्कियाँ चिल्लाते दरवाजे विलाप करते रोशनदान चीखते हुए परदे सब तुम्हारी याद दिलाते हैं मेरे अतीत तुम इतने भयानक क्यों थे !
अप दर्शनिया गये हैं । ऐसा तभी होता है।शुभकामनायें
अरे यहाँ उल्टा हो गया. अतीत के सुखद ख्यालों में लोग खो जाया करते हैं. फिर भी सुन्दर. आभार.
सुन्दर रचना ंनकरात्मक भाव की रचना लिखने के लिये वैसा अहसास चाहिये। बधाई।
ओह , इस कदर भयानक ? आज तो अच्छा है ना ?
उम्दा !
अतीत की भूलभुलैया से बाहर निकल कर वर्तमान मे जीना ज्यादा सुखद होता है।
भयानक बीत गया, अब इसी कमरे के अंगों को आनन्द प्रदान करें।
bhut khub bhyaank yaad ke baad undr saa bhvihy saamne he , akhtar khan akela kota rajsthan
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
तुम ज्यादा लगते हो
एक दहशतजदा कविता 🙂 हा हा …
yar hot par kyo nahi jati ye post
yar hot par kyo nahi jati ye post
yar hot par kyo nahi jati ye post
yar hot par kyo nahi jati ye post
कही आप न्र भी हिटलर वाली फ़ोटो तो नही देख ली, बहुत अच्छी लगी आप की रचना
अतीत का भयानाकपन बहुत अच्छे से दर्शाया है आपने….
इतना भयावह!! बाप रे!!