तुम इतने भयानक क्यों थे..! … मेरी कविता … विवेक रस्तोगी

सिसकती खिड़्कियाँ

चिल्लाते दरवाजे

विलाप करते रोशनदान

चीखते हुए परदे

सब तुम्हारी याद दिलाते हैं

मेरे अतीत

तुम इतने भयानक क्यों थे !

38 thoughts on “तुम इतने भयानक क्यों थे..! … मेरी कविता … विवेक रस्तोगी

  1. अरे यहाँ उल्टा हो गया. अतीत के सुखद ख्यालों में लोग खो जाया करते हैं. फिर भी सुन्दर. आभार.

  2. अतीत की भूलभुलैया से बाहर निकल कर वर्तमान मे जीना ज्यादा सुखद होता है।

Leave a Reply to वन्दना Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *