क्योंकि शब्दों से मेरा जीवन जीवन्त है …. मेरी कविता … विवेक रस्तोगी

शब्दों से मेरा जीवन जीवन्त है

नहीं तो सुनसान रात्रि के

शमशान की सन्नाटे की गूँज है

सन्नाटे की सांय सांय में

जीवन भी कहीं सो चुका है

शमशान जाने को समय है

पूरी जिंदगी मौत से डरते हैं

शमशान जाने से डरते हैं

पर एक दिन मौत के बाद

सबको वहीं उसी सन्नाटे में

जाना होता है,

जहाँ रात को सांय सांय

हवा अपना रुख बदलती है

जहाँ रात को उल्लू भी

डरते हैं,

जहाँ पेड़ों पर भी

नीरवता रहती है

मैं जाता हूँ तो मुझे

मेरे शब्द जीवित कर देते हैं

क्योंकि शब्दों से मेरा जीवन जीवन्त है।

7 thoughts on “क्योंकि शब्दों से मेरा जीवन जीवन्त है …. मेरी कविता … विवेक रस्तोगी

  1. क्योंकि शब्दों से मेरा जीवन जीवन्त है। दिल को छू गयी बहुत बहुत बधाई

Leave a Reply to Sunil Kumar Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *