आज सुबह के अखबारों में मुख्य पृष्ठ पर खबर चस्पी हुई है, कि दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारी के दौरान ही एक बन रहा पुल गिर गया, और २७ घायल हुए।
इस भ्रष्टाचारी तंत्र ने भारत की इज्जत के साथ भी समझौता किया और भारत माता की इज्जत लुटने से का पूरा इंतजाम कर रखा है, ऐसे हादसे तो हमारे भारत में होते ही रहते हैं, परंतु अभी ये हादसे केंद्र में हैं, क्योंकि आयोजन अंतर्राष्ट्रीय है, अगर यही हादसा कहीं ओर हुआ होता तो कहीं खबर भी नहीं छपी होती और आम जनता को पता भी नहीं होता।
हमारे यहाँ के अधिकारी बोल रहे हैं कि ये महज एक हादसा है और कुछ नहीं, बाकी सब ठीक है, पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम के आयोजन में इतनी बड़ी लापरवाही ! शर्मनाक है। हमारे अधिकारी तो भ्रष्ट हैं और ये गिरना गिराना उनके लिये आमबात है, पर उनके कैसे समझायें कि भैया ये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नहीं चलता, एक तो बजट से २० गुना ज्यादा पैसा खर्चा कर दिया ओह माफ़ कीजियेगा मतलब कि खा गये, जो भी पैसा आया वो सब भ्रष्टाचारियों की जेब में चला गया। मतलब कि बजट १ रुपये का था, पर बाद में बजट २० रुपये कर दिया गया और १९.५० रुपये का भ्रष्टाचार किया गया है।
अब तो स्कॉटलेंड, इंगलैंड, कनाडा, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया ने भी आपत्ति दर्ज करवाना शुरु कर दी है, पर हमारे भारत के सरकारी अधिकारी और प्रशासन सब सोये पड़े हैं, किसी को भारत की इज्जत की फ़िक्र नहीं है, सब के सब अपनी जेब भरकर भारत माता की इज्जत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, अरे खुले आम आम आदमी के जेब से कर के रुप में निकाली गई रकम को भ्रष्टाचारी खा गये वह तो ठीक है, क्योंकि आम भारतीय के लिये यह कोई नई बात नहीं है, परंतु भारत माता की इज्जत को लुटवाने का जो इंतजाम भारत सरकार ने किया है, वह शोचनीय है, क्या हमारे यहाँ के नेताओं और उच्च अधिकारियों का जमीर बिल्कुल मर गया है।
आस्ट्रेलिया के एक मीडिया चैनल ने तो एक स्टिंग आपरेशन कर यह तक कह दिया है कि किसी भी स्टेडियम में बड़ी मात्रा में विस्फ़ोटक सामग्री भी ले जाई जा सकती है, और ये उन्होंने कर के बता भी दिया है, विस्फ़ोटक सामग्री दिल्ली के बाजार से आराम से खरीदी जा सकती है और चोर बाजार से भी।
अगर यह आयोजन हो भी गया तो कुछ न कुछ इसी तरह का होता रहेगा और हम भारत और अपनी इज्जत लुटते हुए देखते रहेंगे, और बाद में सरकार सभी अधिकारियों को तमगा लगवा देगी कि सफ़ल आयोजन के लिये अच्छा कार्य किया गया, और जो सरकार अभी कह रही है कि खेलों के आयोजन के बाद भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही करेगी, कुछ भी नहीं होगा। उससे अच्छा तो यह है कि कॉमनवेल्थ खेल संघ सारी तैयारियों का एक बार और जायजा ले और बारीकी से जाँच करे और सारे देशों की एजेंसियों से सहायता ले जो भी इस खेल में हिस्सा ले रहे हैं, अगर कमी पायी जाये तो यह अंतर्राष्ट्रीय आयोजन को रद्द कर दिया जाये।
हम तो भारत सरकार से विनती ही कर सकते हैं कि क्यों भारत और भारतियों की इज्जत को लुटवाने का इंतजाम किया, अब भी वक्त है या तो खेल संघ से कुछ ओर वक्त ले लो या फ़िर आयोजन रद्द कर दो तो ज्यादा भद्द पिटने से बच जायेगी, घर की बात घर में ही रह जायेगी।
विवेक जी, अब क्या लिखें, इज्जत शेष ही कहाँ छोडी हैं इन नौकरशाहों और राजनेताओं ने। राजनेता तो हम बदल भी सकते हैं लेकिन इन नौकरशाहों को कैसे बदलेंगे? ये तो दीमक की तरह देश को चाटकर खा रहे है।
घर की बात घर में ही रह जायेगी–एक उम्मीद कि साथ छोड़ती नही मुई!!
आपका कथन शब्दशः ठीक है। इज्जत के चीथड़े उड़ जायेंगे यदि कुछ अप्रिय हो गया।
सवा अरब का मुल्क एक काम ढंग से नहीं कर सकता.. गोली मार देनी चाहिए.. कलमाडी एंड कंपनी को..
भ्रष्टाचार से सने हुए देश के भ्रष्ट नागरिक जैसे होंगे वैसी ही उनकी कार्य-संस्कृति और वैसे ही उनके नेता भी तो होंगे…
रही बात भारत की इज्जत की, तो वह थी ही कब? भारत की इज्जत सिर्फ़ इतनी है कि यहाँ सस्ते और अच्छे मजदूर मिल जाते हैं, तगारी उठाने वाले भी और की-बोर्ड चलाने वाले भी… 🙂 🙂 बाकी भारत के भ्रष्टाचार, यहाँ की कामचोरी, यहाँ की मक्कारी, यहाँ के पाखण्ड सभी कुछ दुनिया के सामने पहले से ही उजागर हैं…
सारी गड़बड़ "चलता है", "जाने दो यार…", "छोड़ो भी, हमे क्या करना है…" वाली संस्कृति के कारण हुई है… जरा एक बार 100-50 सबसे भ्रष्ट अफ़सरों-नेताओं-ठेकेदारों-उद्योगपतियों-व्यापारियों को चौराहे पर लाकर उनके चूतड़ कोड़ों से लाल करो, फ़िर देखो… कैसे सुधार नहीं आता।
सिर्फ़ बातें बनाने और न्याय-न्याय चिल्लाने से अब कुछ नहीं होने वाला, कैंसर से निपटने के लिये क्रोसिन लेने से क्या होगा… 🙂
सही है
क्या कहें ….भ्रष्टाचार पर अब बात करने का कोई मतलब नहीं बचा ….नस नस में घुस चुका है …..!
जिनको जाच करनी थी सजा देनी थी जब उन्होंने ही कह दिया की अब सब कुछ खेलो के बाद होगा अभी तो खेल होने दे तो अब और क्या कहे | असल में तो ये समय दिया गया है उन खिलाडियों को जिन्होंने सारा मॉल डकार है वो इस बीच अपने खिलाफ सारे सबूत मिटाने का खेल खेल ले |
सर जी आप भी भारत की बात कर रहे हैं, अरे इंडिया की बात करिए ग्लोबलाईजेशन की बात करिए इज्जत का क्या है फिर आ जायेगी और नहीं भी आई तो क्या, कम से कम पैसा तो कमाने का मौका फिर नहीं मिलेगा. कोई एक दो करोड़ का नहीं अरबों का खेल है साहब, कमा लेने दो जम कर.
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
देसिल बयना-गयी बात बहू के हाथ, करण समस्तीपुरी की लेखनी से, “मनोज” पर, पढिए!
सुरेश जी से अक्षरशः सहमत हूँ विवेक जी..
गिरने वाले को तो गिरना ही था । शुक्र है पहले ही गिर गया ।
सौ में नब्बे बेईमान, फिरभी अपना देश …..
काश ऎसा ही हो…वर्ना तो इज्जत के तार तार होना निश्चित है ही
ये तो नाक कटवा के छोड़ेंगे…………
अब यह नाक नहीं बच सकती ..आज बी बी सी पर बहुत ही सर्कास्टिक न्यूज थी .सच में जमीर ही नहीं बचा है.
अब यह नाक नहीं बच सकती ..आज बी बी सी पर बहुत ही सर्कास्टिक न्यूज थी .सच में जमीर ही नहीं बचा है.
अब क्या लिखें, इज्जत शेष ही कहाँ छोडी हैं इन नौकरशाहों और राजनेताओं ने। राजनेता तो हम बदल भी सकते हैं लेकिन इन नौकरशाहों को कैसे बदलेंगे? ये तो दीमक की तरह देश को चाटकर खा रहे है।
अब क्या लिखें, इज्जत शेष ही कहाँ छोडी हैं इन नौकरशाहों और राजनेताओं ने। राजनेता तो हम बदल भी सकते हैं लेकिन इन नौकरशाहों को कैसे बदलेंगे? ये तो दीमक की तरह देश को चाटकर खा रहे है।
अच्छी प्रस्तुति।