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सोच थिएटर ग्रुप (Soch Theater Group)

अतिथि ब्लॉग पोस्ट – राजीव कोहली

    सोच थिएटर ग्रुप (Soch Theater Group) को शुरू करने के पीछे बस एक ही मकसद था, इस समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाना और इसके लिए नाटक से अच्छा और कोई माध्यम नहीं हो सकता। खास तौर पर नुक्कड़ नाटक। बस इसी उम्मीद के साथ हम कुछ लोगों ने इस थिएटर ग्रुप की शुरुआत करने की तरफ कदम बढ़ाया।

Doon International School
Doon International School

    सोच थिएटर ग्रुप की स्थापना या कह लीजिये इस थिएटर ग्रुप को शुरू करने के बारे में मैंने पिछले साल नवम्बर में सोचा था। इस सोच को कुछ अपने जैसी ही सोच रखने वाले सहकर्मियों के साथ बांटा तो पता चला की थिएटर में रूचि रखने वाले बहुत से लोग हैं। सोच थिएटर ग्रुप की वहीं से शुरुआत हुयी।

    हालाँकि हम कुछ लोगों ने मिलकर इस ग्रुप की नींव नवम्बर २०१४ में ही रख दी थी लेकिन आम जनता के बीच आकर अपना पहला नाटक करने के लिए हम लोगों को कम से कम दो महीने लग गए। ऐसा इसलिए भी था क्यूँकि हम अपने ग्रुप की शुरुआत एक अच्छे नाटक के साथ और पूरी तैयारी के बाद करना चाहते थे. मुझे आज भी याद है ये नाटक था सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा और हमे इस नाटक का मंचन राहगिरी गुडगाँव में द टाइम्स ऑफ़ इंडिया अखबार के सौजन्य से करने का अवसर मिला।

Doon International School Theatre
Doon International School Theatre

    बस उस दिन के बाद सोच थिएटर ग्रुप ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा, इसके बाद हमने राहगिरी से नाता बनाये रखा और राहगिरी गुडगाँव, कनाट प्लेस, द्वारका में अलग अलग नाटक का मंचन किया जिनमें प्रमुख हैं-

  1. सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा : सड़क पर वाहन के नियमों के पालन करने की महत्वता को दर्शाता हुआ नाटक।
  1. स्वच्छ भारत – एक सुन्दर सच : अपने घर, शहर और भारत देश में सफाई बनाये रखने पर जोर डालता हुआ नाटक।
  1. शिक्षा परमो भ्रम – शिखा प्रणाली में सुधार लाने के लिए एक अपील करता हुआ नाटक।

इतना ही नहीं हमारा थिएटर ग्रुप (Soch Theater Group) कई गैर सरकारी संगठनों (NGOs) के साथ भी जुड़ा है जिनमें प्रमुख नाम हैं –

  1. Naaz foundation – Goal India program
  1. 9People4Change

Naaz foundation के साथ मिलकर हमने इसी साल महिल दिवस के उपलक्ष्य में हमारे नए नाटक “मुझे जीने दो” का मंचन किया, जो की नारी शक्ति पर आधारित है। इस नाटक को काफी सराहा गया और अब सोच थियेटर ग्रुप Naaz foundation के प्रवासी बच्चों को थिएटर वर्कशॉप भी करवाता है ।

9People4Change संस्थान के साथ मिलकर हमें देहरादून के दून इंटरनेशनल और हिम्ज्योती स्कूल में बच्चों के बीच अपने नाटक पेश करने का मौका मिला। सोच थिएटर के कलाकरों के लिए यह अपने आप में एक नया अनुभव था, जब आपके दर्शक मासूम बच्चे हों तो आपको अपने नाटक के बारे में प्रतिक्रिया उसी वक़्त नाटक के चलते हुए ही मिल जाती है और ऐसा ही कुछ हमारे साथ भी हुआ।

यहाँ दिल्ली में भी हमें कई कॉर्पोरेट्स के साथ परफॉर्म करने का मौका मिला जिसमें प्रमुख है makemytrip.com जिनके लिए हमने नए नाटक “Diversity है सही” का मंचन किया। इस नाटक को सभी ने सराहा और इसमें हमने सन्देश दिया हमें अपने ऑफिस में सभी को अपनाना चाहिए और बराबर का मौका देना चाहिए और इस सन्देश को सभी को अपनाना चाहिये।

सोच थिएटर ग्रुप को Zabardast Hit 95FM के प्रोग्राम “मैं भी RJ” में पुरे 3 घंटे का कार्यक्रम पेश करने का मौका मिला। जिसमें हमने आम जनता से अपील की कि वो हमारी इस मुहीम के साथ आकर जुड़ें जिसमें हम चाहते हैं कि थिएटर के माध्यम से हम इस समाज में एक सकारात्मक बदलाव ला सकें. इस प्रयास को सफल बनाने के लिए हम Zabardast Hit 95FM की पूरी टीम , मुख्यत: Ritesh, RJ Panky के आभारी हैं।

सोच थिएटर ग्रुप की टीम इस बात को भली भांति जानती है कि आम जनता से जुड़ने के लिए हमें आम जनता के बीच जाना होगा उनके साथ जुड़ने के सभी सोशल नेटवर्किंग के माध्यमों को अपनाना होगा और इसी पहल के तहत सोच टीम Facebook, Twitter, Instagram पर सक्रिय है। आप भी हमारे साथ जुड़ सकते हैं।

e-mail: [email protected]

Facebook : https://www.facebook.com/sochtheatregroup

Twitter : @sochtheatre

Instagram : Soch Theare Group

यहीं नहीं आप हमारी वेबसाइट के माध्यम से भी हमसे जुड़ सकते हैं हमारी वेबसाइट का पता www.sochtheatregroup.com है ।

सोच थिएटर ग्रुप की नयी पहल है और हम कल्पतरु ब्लॉग के जरिये आप सभी के बीच ये लांच करना चाहते हैं कि जल्द ही सोच थिएटर ग्रुप चंडीगढ़ में भी शुरू हो रहा है, अगस्त के महीने में हम लोग सोच थिएटर ग्रुप चंडीगढ़ और पटियाला में शुरू कर रहे हैं आप सभी लोग चंडीगढ़ की टीम के साथ जुड़ सकते हैं –

Facebook : https://www.facebook.com/sochtheatregroupchd

Twitter : @sochtheatreCHND

यही नहीं आज कल की टेक्नोलॉजी और स्मार्ट फोन के इस्तेमाल को देखते हुए अभी हाल ही में सोच थिएटर ग्रुप ने अपनी तरह की पहली एंड्राइड (ANDROID) app भी लांच की है। आप सभी नीचे दिए गए लिंक के जरिये ये आप अपने फ़ोन पर इंस्टाल कर सकते हैं

https://play.google.com/store/apps/details?id=com.wSochTheaterGroup&hl=en

Soch Theatre Group Android App
Soch Theatre Group Android App

हम आप सभी को अपील करते हैं ज्यादा से ज्यादा संख्या में हमसे जुड़े हमारे थिएटर ग्रुप को ज्वाइन करें ऐसा करने के लिए आप हमें facebook पर मैसेज कर सकते हैं, ट्विटर पर फॉलो कर सकते हैं या फिर e-mail कर सकते हैं। आप हमारी वेबसाइट पर जाकर contact-us पेज पर एक छोटा सा फॉर्म भरकर भी हमें ज्वाइन कर सकते हैं.

Join Soch theatre Group, Be part of the change, be the change !!!

Himjyoti School
Himjyoti School
Join theatre
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95FM
95FM
makemytrip.com
makemytrip.com
Naaz Foundation
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Theatre Plays
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Raahgiri Gurgaon
Shiksha Parmo Brham
Nukkad Natak
Shiksha Parmo Brham Pitampura

जाती है इज्जत तो जाने दो कम से कम भारत की इज्जत लुटने से तो बच जायेगी

    आज सुबह के अखबारों में मुख्य पृष्ठ पर खबर चस्पी हुई है, कि दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारी के दौरान ही एक बन रहा पुल गिर गया, और २७ घायल हुए।

    इस भ्रष्टाचारी तंत्र ने भारत की इज्जत के साथ भी समझौता किया और भारत माता की इज्जत लुटने से का पूरा इंतजाम कर रखा है, ऐसे हादसे तो हमारे भारत में होते ही रहते हैं, परंतु अभी ये हादसे केंद्र में हैं, क्योंकि आयोजन अंतर्राष्ट्रीय है, अगर यही हादसा कहीं ओर हुआ होता तो कहीं खबर भी नहीं छपी होती और आम जनता को पता भी नहीं होता।

    हमारे यहाँ के अधिकारी बोल रहे हैं कि ये महज एक हादसा है और कुछ नहीं, बाकी सब ठीक है, पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम के आयोजन में इतनी बड़ी लापरवाही ! शर्मनाक है। हमारे अधिकारी तो भ्रष्ट हैं और ये गिरना गिराना उनके लिये आमबात है, पर उनके कैसे समझायें कि भैया ये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नहीं चलता, एक तो बजट से २० गुना ज्यादा पैसा खर्चा कर दिया ओह माफ़ कीजियेगा मतलब कि खा गये, जो भी पैसा आया वो सब भ्रष्टाचारियों की जेब में चला गया। मतलब कि बजट १ रुपये का था, पर बाद में बजट २० रुपये कर दिया गया और १९.५० रुपये का भ्रष्टाचार किया गया है।

    अब तो स्कॉटलेंड, इंगलैंड, कनाडा, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया ने भी आपत्ति दर्ज करवाना शुरु कर दी है, पर हमारे भारत के सरकारी अधिकारी और प्रशासन सब सोये पड़े हैं, किसी को भारत की इज्जत की फ़िक्र नहीं है, सब के सब अपनी जेब भरकर भारत माता की इज्जत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, अरे खुले आम आम आदमी के जेब से कर के रुप में निकाली गई रकम को भ्रष्टाचारी खा गये वह तो ठीक है, क्योंकि आम भारतीय के लिये यह कोई नई बात नहीं है, परंतु भारत माता की इज्जत को लुटवाने का जो इंतजाम भारत सरकार ने किया है, वह शोचनीय है, क्या हमारे यहाँ के नेताओं और उच्च अधिकारियों का जमीर बिल्कुल मर गया है।

    आस्ट्रेलिया के एक मीडिया चैनल ने तो एक स्टिंग आपरेशन कर यह तक कह दिया है कि किसी भी स्टेडियम में बड़ी मात्रा में विस्फ़ोटक सामग्री भी ले जाई जा सकती है, और ये उन्होंने कर के बता भी दिया है, विस्फ़ोटक सामग्री दिल्ली के बाजार से आराम से खरीदी जा सकती है और चोर बाजार से भी।

    अगर यह आयोजन हो भी गया तो कुछ न कुछ इसी तरह का होता रहेगा और हम भारत और अपनी इज्जत लुटते हुए देखते रहेंगे, और बाद में सरकार सभी अधिकारियों को तमगा लगवा देगी कि सफ़ल आयोजन के लिये अच्छा कार्य किया गया, और जो सरकार अभी कह रही है कि खेलों के आयोजन के बाद भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही करेगी, कुछ भी नहीं होगा। उससे अच्छा तो यह है कि कॉमनवेल्थ खेल संघ सारी तैयारियों का एक बार और जायजा ले और बारीकी से जाँच करे और सारे देशों की एजेंसियों से सहायता ले जो भी इस खेल में हिस्सा ले रहे हैं, अगर कमी पायी जाये तो यह अंतर्राष्ट्रीय आयोजन को रद्द कर दिया जाये।

    हम तो भारत सरकार से विनती ही कर सकते हैं कि क्यों भारत और भारतियों की इज्जत को लुटवाने का इंतजाम किया, अब भी वक्त है या तो खेल संघ से कुछ ओर वक्त ले लो या फ़िर आयोजन रद्द कर दो तो ज्यादा भद्द पिटने से बच जायेगी, घर की बात घर में ही रह जायेगी।

दिल्ली को इन चरसियों से मुक्त करवाने के लिये कृप्या सहयोग करें और दिल्ली को सुँदर बनाने में योगदान दें।

मैं रोज आटो से करोलबाग से कनाटप्लेस अपने ओफ़िस जाता हूँ तो पंचकुइयां रोड और कनाटप्लेस की रोड जहाँ मिलती है, उसके थोड़े पहले ही चरसियों की भीड़ फ़ुटपाथ पर लगी रहती है। खुलेआम भारत की राजधानी दिल्ली में चरस का सेवन कर रहे हैं पर कोई भी किसी भी तरह की कार्यवाही करने को तैयार नहीं, कारण शायद यह कि उनसे कमाई नहीं हो सकती !!

वैसे तो रास्ते में बहुत सारी ओर भी चीजें पड़ती हैं रास्ते में, हनुमानजी का बहुत बड़ा मंदिर, थोड़ी ओर आगे जाने पर कबूतरों को दाने खिलाते लोग और कोने में श्मशानघाट और भी बहुत कुछ। पर बरबस ही निगाहें रुक जाती हैं चरसियों को देखकर जब कनाटप्लेस की रेडलाईट पर आटो रुकता है। ये लोग भिखारी, कचरा बीनने वाले जैसे लगते हैं, परंतु ये खुलेआम चरस का सेवन करते हुए दिख जायेंगे कानून का मजाक बनाते हुए। किसी भी कानून पालन करवाने वाले व्यक्ति को ये लोग नहीं दिखते ?

ये लोग वहाँ मैली कुचैली चादर ३-४ के झुँडों में ओढ़कर चरसपान करते रहते हैं और जैसा कि आटो वाले बताते हैं कि यही लोग रात के अँधेरे का फ़ायदा उठाकर लूटपाट भी करते हैं और पुलिस वाले इनको इसलिये पकड़ के नहीं ले जाते हैं कि इनसे उन्हें कोई भी (धन संबंधी) फ़ायदा नहीं होता है। उल्टा उनकी सेवा करना पड़ती है।

दिल्ली को इन चरसियों से मुक्त करवाने के लिये मेरा ब्लाग पढ़कर कोई बंधु जो यह अधिकार रखता हो या मीडिया में हो तो कृप्या सहयोग करें और दिल्ली को सुँदर बनाने में योगदान दें।

दिल्ली सुधारो पर पहले दिल्ली वालों को सुधारो

अभी हाल ही में अविनाशजी की एक पोस्ट आयी थी दिल्ली सुधारो। पर हमें लगता है कि उसे होना चाहिये दिल्ली वालों को सुधारो। उस पोस्ट में अविनाशजी ने बताया था कि कैसे दिल्ली के आटो वालों से निपटा जाये मतलब ज्यादा किराया मांगने पर उनकी शिकायत कहाँ की जाये।

अब हमें तो रोज कनाट प्लेस से आटो चालकों से झिकझिक करनी पड़ती है, क्योंकि कोई भी मीटर से चलने को तैयार नहीं होता और अगर मीटर से चलने को कहो तो इस अजीब तरह से हमें देखेगा कि जैसे हम अजायबघर से आये हों, फ़िर वही मोलभाव करो। अब कल का किस्सा बतायें आटो चालकों से झिकझिक कर रहे थे समय था रात के ११.२५ बजे का चूँकि आखिरी मेट्रो जा चुकी थी इसलिये आटो से ही जान पड़ेगा, जितने भी आटो वाले थे सब पूरे डबल पैसे माँग रहे थे और हम वीरता के साथ ईमानदारी (ज्यादा रुपये न देने के लिये) का झंडा लिये करीबन ३०-४० आटो वालों से पूछ चुके थे।

वहाँ पर दिल्ली पुलिस की पीसीआर वैन खड़ी थी, उस पर लिखा था दिल्ली पुलिस की चलती फ़िरती पुलिस चौकी और वो किन बातों पर एक्शन लेते हैं वो तीन बातें क्रमबद्ध तरीके से लिखी हुई थीं। हमने उनसे मदद लेने की कोशिश की तो जबाब मिला ये हमारा काम नहीं है ये ट्राफ़िक पुलिस का काम है। अरे भाई पुलिस तो होती है कानून का पालन करवाने के लिये पर यहाँ तो मामला ही उलट था, हमने भी उनसे पूछा कि देखो भाई वो एक्शन में तीसरे नंबर पर लिखा है कि क्राइम होने पर आप काम आयेंगे तो जबाब मिला कि अरे भाई ये भी कोई क्राइम है तब हमें आभास हुआ कि क्राइम का मतलब भी अलग हो गया है या हमने शायद उनके कार्यकौशलता पर संदेह किया है वे लोग तो वहाँ बंदूकवाले आतंकवादियों से लड़ने के लिये बैठे हैं न कि अपने देश के अंदर होने वाले इस तरह की छोटी छोटी मानसिक आतंकवादी गतिविधियों से लड़ने के लिये।

फ़िर याद आया कि अरे अविनाश भाई ने एक नंबर दिया था ट्राफ़िक पुलिस का, हमने मोबाईल से नंबर डायल किया और उसे शिकायत की तो उसका जबाब सुनकर हमें लगा कि हमारा फ़ोन लगाना उसे पसंद नहीं आया और गलती से फ़ोन उठा लिया है। हमने बताया कि कोई भी आटो वाला तय किराये पर जाने को तैयार नहीं है क्या किया जाये। ज्यादा हील हौल करने पर उधर से डिमांड आयी कि आटो का नंबर बता दीजिये कार्य़वाही की जायेगी तो हमने एक बचकानी सी बात पूछी “तो क्या ३०-४० आटो के नंबर आपको देने पड़ेंगे यहां पर तो कोई भी तय भाव से जाने को तैयार ही नहीं है”, तो उधर से जबाब आया तो क्या हरेक आटो वाले पर कार्यवाही करें क्या, अब मैं क्या जबाब देता क्योंकि वो खुद ही असहाय नजर आया। हमने फ़ोन काट दिया फ़िर १५-२० आटो वालों से पूछा और तय भाव से थोड़ा ज्यादा देकर, मोलभाव कर अपने गंतव्य पहुँच गये।

तो हमें लगा कि दिल्ली सुधारो पर पहले दिल्ली वालों को पहले सुधारो, पुलिस वालों को उनके कार्यक्षैत्र का पता होना चाहिये, खुलेआम लूट को रोकना चाहिये जैसे कि कोल्ड ड्रिंक या बोतलबंद पानी पर पूरे कनाट प्लेस में २ से ३ रुपये ज्यादा लिये जाते हैं, झिकझिक करो तो वो हाकर कहता है कि ये पुलिस वालों को चार्ज देना पड़ता है यहाँ खड़े होने के लिये।