स्पीड पोस्ट के भाव देखकर होश उड़ गये ?

    अभी बहुत दिनों बाद कूरियर और स्पीडपोस्ट करने की जरूरत पड़ी, तो बदले हुए भाव देखकर होश उड़ गये, भाव इतने बड़े हुए हैं कि अच्छे अच्छों के होश उड़ जायें।

    Indiapost कूरियर सेवा शुरू हुए भारत में लगभग २ दशक हो चले हैं, परंतु कूरियर ने पिछले एक दशक से जो जोर पकड़ा है वह ऐतिहासिक है और कूरियर सेवाओं ने डाक विभाग को हाशिये पर ला खड़ा किया है। आज भारत में कुकुरमुत्तों की तरह जाने कितनी ही कूरियर सेवाएँ हैं, कूरियर सेवाएँ निजी हैं तो यह विश्वास करना लाजिमी है कि सेवाएँ अच्छी होंगी, परंतु यह सत्य नहीं है। कूरियर सेवा किसी हद तक जनता का विश्वास जीतने में कायम तो रहीं, परंतु जो लोग डाक विभाग की सेवाओं का उपयोग करते रहे उनको डिगा नहीं पायी।

    कूरियर सेवा की अपनी एक पहुँच होती है, वह ज्यादा से ज्यादा जिला स्तर तक या तहसील स्तर तक ही अपनी सेवाएँ प्रदान करते हैं, और भारतीय डाक विभाग की सेवाएँ पूरे विश्व में सबसे बड़ी हैं, भारतीय डाक विभाग की सेवाएँ छोटे से छोटे गाँव तक में मौजूद हैं।

Post Box     एक जगह स्पीड पोस्ट करना था तो मजबूरी में हमें पोस्ट ऑफ़िस जाना पड़ा तो पता चला कि शनिवार को १२.३० बजे ही पोस्ट ऑफ़िस बंद् हो जाता है, फ़िर सोमवार को घरवाली को भेजना पड़ा, तो पता चला कि लाईन लगी हुई थी, और लगभग सभी लोग टेलीफ़ोन का बिल जमा करने के लिये लाईन में लगे हुए थे, अब बताईये डाक जो कि डाकविभाग का मुख्य कार्य है उसे हाशिये पर डाक विभाग ने धकेल दिया है और टेलीफ़ोन बिल जमा कर रहा है। हाँ यह है कि टेलीफ़ोन विभाग से डाक विभाग को कमीशन मिलता है, तो क्या डाक विभाग अपने मुख्य कार्य को प्राथमिकता से करना छोड़ देगा। अब पोस्ट ऑफ़िस के लाल डिब्बे भी हर चौराहों पर नहीं दिखते हैं।

India post cargo     परंतु एक बात अच्छी लगी जो शायद सबको अच्छी लगे कि उतने ही वजन के कूरियर के और उतनी ही दूरी पर भेजने के कूरियर सेवा ने ५० रुपये लिये और जबकि स्पीडपोस्ट सेवा ने २५ रुपये लिये। दोनों ही सेवाओं में लगभग ४८ घंटों से ज्यादा का समय लगता है, परंतु अगर आप अपने कूरियर या स्पीडपोस्ट को ट्रेक करना चाहते हैं, तो यहाँ पर भी स्पीडपोस्ट की बेहतर ट्रेकिंग विश्वस्तर की है और कूरियर सेवाओं को इसमें भी मात करती है। यहाँ तक कि कई विश्वस्तर कूरियर कंपनियाँ भी इस तरह की जबरदस्त ट्रेकिंग का इस्तेमाल नहीं करती हैं।

    उसके बाद हमने सोचा कि आखिर क्यों डाक विभाग की सेवाओं से लोग भागने लगे हैं, तो पाया कि कूरियर सर्विसेस लगभग हर गली चौराहों के नुक्कड़ पर किसी न किसी दुकान में मिल जाती है, और लगभग पूरे समय आप कभी भी कूरियर कर सकते हैं, जबकि डाक विभाग का सरकारी समय निर्धारित है, और उस पर भी आपको लाईन में लगना पड़ता है तो आजकल समय किस के पास है, जो लाईन में लगे और डाक विभाग की सेवाओं का उपयोग करे।

    ६-७ वर्ष पहले उज्जैन में डाक विभाग ने कार्यालयों के लिये एक सेवा शुरू की थी, जिसके तहत शाम के समय डाकविभाग से कर्मचारी आता था और सारी डाक ले जाता था, अब पता नहीं कि वह सेवा उपलब्ध है या नहीं, परंतु उस समय लगभग हर बैंक और सरकारी कार्यालयों ने इसे तत्काल प्रभाव से उपयोग करना शुरू कर दिया था। अब शायद यह सेवा नहीं है, क्यूँकि अभी जब उज्जैन गये थे तो बैंकों में वापिस से कूरियर सेवाओं ने अपनी जड़ें जमा ली थीं, परंतु अन्य सरकारी कार्यालयों का पता नहीं है।

    कूरियर में एक अच्छी बात यह है कि आप फ़ोन कर दो वह आपके स्थान से ही आपकी डाक पिक अप कर लेगा और आप निश्चिंत हो जायेंगे, परंतु डाकविभाग के साथ ऐसा नहीं है, डाकविभाग को अपने तंत्र को प्रभावी रूप से इस्तेमाल करना होगा और उन्हें व्यावसायिक बुद्धि का परिचय देते हुए ठोस कदम उठाने होंगे। कुछ अच्छी सेवाएँ ग्राहकों के लिये देना होंगी, जिससे डाकविभाग के मजबूत तंत्र का फ़ायदा आम जनता को हो।

7 thoughts on “स्पीड पोस्ट के भाव देखकर होश उड़ गये ?

  1. एकदम सही कह रहे हैं आप मुझे तो लगभग रोज ही अपने विद्यार्थियों को सी.डी. भेजनी पडती है तो वी.पी.पी. से मात्र ७०-८० रु. में कार्य हो जाता है, स्पीड पोस्ट से २५-३५ रु. का खर्च आता है

    प्राइवेट कूरियर कंपनी तो वी.पी.पी. की सुविधा ही नहीं देतीं तथा वही सी.डी. मुम्बई से पूना भेजने में ही ७० रो. ले लेती हैं 🙁

    पोस्ट ऑफिस में सिर्फ एक ही परेशानी का सामना करना पड़ता है वी.पी.पी. करना सभी कर्मचारियों को नहीं आता 🙂

  2. प्राइवेट मीडिया की ये भी बहुत बड़ी देन है कि हमेशा याद रखो -" जो कुछ भी सरकारी है वह बहुत बुरा है"

  3. Buzz Comment –

    विष्‍णु बैरागी – निजी कूरीयर सेवाऍं विश्‍वसनीय नहीं हैं। पत्र (आर्टिकल) पर बुकिंग की तारीख नहीं लिखी जाती और पावती (एक्‍नॉलेजमेण्‍ट) तो मिलता ही नहीं। पत्र न मिलने की शिकायत करो तो उसका निदान पाने के लिए पुनर्जन्‍म लेना पड जाता है। मुम्‍ब्‍ई भेजे एक पत्र की प्राप्ति क प्रमाण में ऐसे आदमी के हसताक्षर बताए गए जो उस पते पर रहता ही नहीं। मेरी सुनिश्चित धारणा है कि उत्‍कृष्‍टतक निजी कूरीयर सेवाओं के मुकाबले निकृष्‍ट डाक सेवाऍं अधिक विश्‍वसनीय हैं।10:01 am

    सजीव सारथी – lijiye daak vibhaag kii taazi shuruaat ka bhi jayaka lijiye http://epostoffice.gov.in/

  4. स्‍पीड पोस्‍ट की ट्रेकिंग सुविधा से लाभान्वित हुआ हूं और इसी कारण यह मेरी पहली पसंद है.

  5. विष्‍णु बैरागीजी से सहमत…डाकविभाग अब बैंकर बनने की भी तैयारी कर रहा है…ऐसे में सचमुच इसकी अच्‍छी सेवाएं हाशिए पर जाने का खतरा है

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