64 कलाओं में से एक में भी थोड़ा बहुत प्रवीण होना, सफलता दिलाता है।

ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं जो लोग बनना चाहते हैं वही बनते हैं, जो करना चाहते हैं वह करते हैं। ऐसा क्यों कभी सोचा नहीं न, क्योंकि हमें अपनी ख़ुद की प्रतिभा का पता नहीं होता है, हमें पता ही नहीं होता है कि हम किस चीज में अच्छे हैं। किसी न किसी केस में अगर पता भी होता है तो वे उसे पढ़ नहीं पाते, उसके लिये कई विघ्न उपस्थित हो जाते हैं कि उस विषय के कोर्स ही बहुत महँगे हैं और उन पर पहुँच नहीं हो पाती।

मेरा मानना है कि कोई भी ऐसी कला जो कि 64 कलाओं में से किसी एक में थोड़ा बहुत भी प्रवीण होता है, वह आज की इस आधुनिक दुनिया में बहुत अच्छा कर सकता है और सफलता दिलाता है। और ये 64 कलाओं की सूचि है –

1- गानविद्या
2- वाद्य – भांति-भांति के बाजे बजाना
3- नृत्य
4- नाट्य
5- चित्रकारी
6- बेल-बूटे बनाना
7- चावल और पुष्पादि से पूजा के उपहार की रचना करना
8- फूलों की सेज बनान
9- दांत, वस्त्र और अंगों को रंगना
10- मणियों की फर्श बनाना
11- शय्या-रचना (बिस्तर की सज्जा)
12- जल को बांध देना
13- विचित्र सिद्धियाँ दिखलाना
14- हार-माला आदि बनाना
15- कान और चोटी के फूलों के गहने बनाना
16- कपड़े और गहने बनाना
17- फूलों के आभूषणों से शृंगार करना
18- कानों के पत्तों की रचना करना
19- सुगंध वस्तुएं-इत्र, तैल आदि बनाना
20- इंद्रजाल-जादूगरी
21- चाहे जैसा वेष धारण कर लेना

22- हाथ की फुती के काम
23- तरह-तरह खाने की वस्तुएं बनाना
24- तरह-तरह पीने के पदार्थ बनाना
25- सूई का काम
26- कठपुतली बनाना, नाचना
27- पहली
28- प्रतिमा आदि बनाना
29- कूटनीति
30- ग्रंथों के पढ़ाने की चातुरी
31- नाटक आख्यायिका आदि की रचना करना
32- समस्यापूर्ति करना
33- पट्टी, बेंत, बाण आदि बनाना
34- गलीचे, दरी आदि बनाना
35- बढ़ई की कारीगरी
36- गृह आदि बनाने की कारीगरी
37- सोने, चांदी आदि धातु तथा हीरे-पन्ने आदि रत्नों की परीक्षा
38- सोना-चांदी आदि बना लेना
39- मणियों के रंग को पहचानना
40- खानों की पहचान
41- वृक्षों की चिकित्सा
42- भेड़ा, मुर्गा, बटेर आदि को लड़ाने की रीति

43- तोता-मैना आदि की बोलियां बोलना

44- उच्चाटनकी विधि

45- केशों की सफाई का कौशल

46- मुट्ठी की चीज या मनकी बात बता देना

47- म्लेच्छित-कुतर्क-विकल्प

48- विभिन्न देशों की भाषा का ज्ञान

49- शकुन-अपशकुन जानना, प्रश्नों उत्तर में शुभाशुभ बतलाना

50- नाना प्रकार के मातृकायन्त्र बनाना

51- रत्नों को नाना प्रकार के आकारों में काटना

52- सांकेतिक भाषा बनाना

53- मनमें कटकरचना करना

54- नयी-नयी बातें निकालना

55- छल से काम निकालना

56- समस्त कोशों का ज्ञान

57- समस्त छन्दों का ज्ञान

58- वस्त्रों को छिपाने या बदलने की विद्या

59- द्यू्त क्रीड़ा

60- दूरके मनुष्य या वस्तुओं का आकर्षण

61- बालकों के खेल

62- मन्त्रविद्या

63- विजय प्राप्त कराने वाली विद्या

64- बेताल आदि को वश में रखने की विद्या

One thought on “64 कलाओं में से एक में भी थोड़ा बहुत प्रवीण होना, सफलता दिलाता है।

  1. वाह। ६४ कलाएं कौन कौन सी है आज पता चला। धन्यवाद सर

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