महाशिवरात्रि पर उज्जैन का विश्व रिकॉर्ड

18 फरवरी वैसे तो हमेशा ही मेरे लिए बहुत विशेष दिन रहा है, क्योंकि मैं इसी दिन अपने वैवाहिक गठबंधन में बंधा था। कल देखते देखते इस गठबंधन को 21 वर्ष हो गये। जीवन के इस पड़ाव पर आते आते पता ही नहीं चला कि कब हम इतने अच्छे दोस्त बन गए और प्रगाढ़ता बढ़ती ही जा रही है।

राम घाट उज्जैन

हम बचपन से ही महाशिवरात्रि का व्रत रखते आए हैं। व्रत क्या हमारे लिए तो बहुत ही विशेष दिन होता है, क्योंकि इस दिन घर में व्रत की सामग्री से माल बनते हैं क्योंकि महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की शादी हुई है। भोले बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में रहते हुए महाकाल में आस्था कब इतनी गहरी हो गई पता ही नहीं चला। हालांकि कल महाकालेश्वर में भीड़ के चलते हम दर्शन करने नहीं गए लेकिन पूरे दिन मन वही अटका रहा। यूट्यूब पर महाकाल के लाइव दर्शन करते रहे और महादेव को मन में भजते रहे।

घर के पास ही मंदिरों में महाशिवरात्रि पर्व की छटा देखते ही बनती थी। मंदिरों को बहुत ही बढ़िया सजाया गया था, कुछ मंदिरों में शिव जी का भांग से श्रृंगार किया गया था और दूल्हा स्वरूप बनाया गया था। उज्जैन में दिनभर भक्तों के लिए भंडारे खुले हुए थे, जिसमें साबूदाने की खिचड़ी, ठंडाई, पोहे इत्यादि सड़क पर ही स्टाल लगाकर बांटे जा रहे थे। कई जगह सड़क पर ही स्टेज लगाकर भजन संध्या चल रही थी, जिसमें कई जगह स्टेज पर भगवान शिव को दूल्हा स्वरूप और मां पार्वती को दुल्हन स्वरूप सजाकर बैठाया गया था वही जनता भक्ति में सड़क पर नृत्य कर रही थी। लोगों ने खुद ही ट्रैफिक मैनेजमेंट संभाला हुआ था जिससे जाम की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई।

हमने दोपहर को घर के पास ही नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन करके साबूदाने की खिचड़ी का प्रसाद प्राप्त किया और वहीं बैठे पंडित जी ने जो कि बालक थे उन्होंने हमारे माथे पर तिलक लगाया।

नागचंद्रेश्वर महादेव के दर्शन के बाद
साबूदाने की खिचड़ी का प्रसाद

हम यूट्यूब पर लगातार खबर देख रहे थे और रामघाट का लाइव प्रसारण भी देख रहे थे। जहाँ मध्य प्रदेश शासन ने 21 लाख दिए प्रज्वलित कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की चेष्टा की थी। गिनीज बुक में द्रोन के माध्यम से चित्र खींचे व उनकी गणना की तथा 18 लाख 80 हजार दिए प्रज्वलित है इसका विश्व रिकॉर्ड कल उज्जैन के नाम हो गया। इसके पहले यह रिकॉर्ड 15 लाख से कुछ अधिक दियों का अयोध्या के नाम था। शाम को लगभग 9:00 बजे हम घर से निकले और रामघाट पहुंचे व इस ऐतिहासिक घटना के साक्षी बने। हर तरफ सिर ही सिर दिखाई दे रहे थे हर तरफ घाट पर दिए ही दिए दिखाई दे रहे थे।

रामघाट से हम मुंबई धर्मशाला होते हुए हरसिद्धि की तरफ पहुंचे और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के शिखर दर्शन किये। भक्तों का जोश देखते ही बनता था, कल महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए कम से कम 10 लाख लोगों का तांता उज्जैन में लगा हुआ था।

रामघाट और दत्त अखाड़ा क्षेत्र
रील जो बनाकर फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपलोड करी।

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