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शादी के १२ वर्ष और जीवन के अनुभव

आज शादी को १२ वर्ष बीत गये, कैसे ये १२ वर्ष पल में निकल गये पता ही नहीं चला, आज से हम फ़िर एक नई यात्रा की और अग्रसर हैं, जैसे हमने १२ वर्ष पूर्व एक नई यात्रा शुरू की थी, जब पहली यात्रा शुरू की थी तब पास कुछ नहीं था, बस कुछ ख्वाब थे और काम करने का हौंसला और अगर बैटर हॉफ़ याने कि जीवन संगिनी आपको समझने वाली मिल जाये, हर चीज में आपका साथ दे तो मंजिलें बहुत मुश्किल नहीं होती हैं।
शादी की १२ सालगिरह में से मुश्किल से आधी हमने साथ बिताई होंगी, हमेशा काम में व्यस्त होने के कारण बहुत कुछ जीवन में छूट सा गया, परंतु हमारी जीवन संगिनी ने कभी इसकी शिकायत नहीं की, हमने जब खुशियों का कारवाँ शुरू किया था, तब हम ये समझ लीजिये खाली हाथ थे और फ़िर जब हमारे आँगन में प्यारी सी किलकारी गूँजी, जिससे जीवन के यथार्थ का रूप समझ में आया।
जीवन यथार्थ रूप में बहुत ही कड़ुवा होता है और मेरे अनुभव से मैंने तो यही पाया है कि यह कड़ुवा दौर सभी की जिंदगी में आता है, बस इस दौर में हम कितनी शिद्दत से इससे लड़ाई करते हैं, यह हमारी सोच, संस्कार और जिद्द पर निर्भर करता है। जीवन के इस रास्ते पर चलते चलते हमने इतने थपेड़े खाये कि अब थपेड़े  अजीब नहीं लगते, यात्रा जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है।
बस जीवन से यही सीखा है कि कितनी भी मुश्किल हो अपने लक्ष्य पर अड़िग रहो, सीधे चलते रहो, मन में प्रसन्नता रखो, धीरज रखो । जीवन इतना भी कठिन नहीं है कि इससे पार ना पा सकें, और खासकर तब और आसान होता है जब हमारी अर्धांगनी उसमें पूर्ण सहयोग करे। जीवन के चार दिन में अगर साथी का सही सहयोग मिलता रहे तो और क्या चाहिये।

आखिरी बात हमेशा अपने वित्तीय निर्णय लेने के पहले अपने जीवनसाथी को अपने निर्णय के बारे में जरूर बतायें, कम से कम इस बहाने घरवाली को हमारे वित्तीय निर्णयों का आधारभूत कारण पता रहता है और उनके संज्ञान में भी रहता है, इससे शायद उनको भी अपने मित्रमंडली में मदद देने में आसानी हो। जीवन और निवेश सरल बनायें, दोनों सुखमय होंगे।

RBI का खुदरा मुद्रास्फ़ीति से जुड़ा बांड (RBI retail inflation-linked bonds December 2013)

    23 दिसंबर 2013 से भारतीय रिजर्व बैंक खुदरा मुद्रास्फ़ीति से जुड़ा बांड बाजार में उतार रही है और 31 दिसंबर 2013 यह बांड लेने की अंतिम तिथि है हालांकि केन्द्रीय बैंक बिना किसी सूचना के इस बांड को अंतिम तिथि के पहले भी बंद कर सकती है।
    प्रति व्यक्ति कम से कम ५,००० रूपये और अधिकतम वार्षिक ५ लाख रूपयों तक का निवेश इन बांडों में कर सकते हैं। इस बांडों पर अर्जित ब्याज करयोग्य होगा। मतलब कि ब्याज पर आयकर देना होगा।
    इन प्रतिभूतियों पर दी जाने वाली ब्याज दर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index CPI) से सीधी जुड़ी होगी। ब्याज दर दो भागों में विभक्त होगा –
1) निर्धारित दर (1.5% प्रति वर्ष)
2) मुद्रास्फ़ीति की दर जो कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से ली जायेगी
    छ:माही आधार पर ब्याज की गणना मूलधन पर की जायेगी और जिसका भुगतान बांड की परिपक्वता के समय ही किया जायेगा।
    अंतिम संयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का तीन महीने के अंतराल में उपयोग किया जायेगा। जैसे कि दिसंबर 2013 के सभी दिनों के लिये  ब्याज की गणना सितंबर 2013 के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर की जायेगी।
    परिपक्वता के पहले बांड से पैसा केवल दो ही परिस्थितियों में निकाला जा सकता है –
1) वरिष्ठ नागरिक (६५ वर्ष से अधिक) बांड जारी होने के एक वर्ष के पश्चात बांड से पैसे निकाल सकते हैं।
2) और बाकी अन्य नागरिक तीन वर्ष के पश्चात बांड से पैसे निकाल सकते हैं।
    अगर पैसे परिपक्वता के पहले निकाले जाते हैं तो आखिरी कूपन याने कि आखिरी छ:माही ब्याज का 50% दंड शुल्क के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक वसूल करेगी। हालांकि परिपक्वता के पहले केवल कूपन दिनांकों पर ही पैसा निकाला जा सकेगा।
    हालांकि ये बांड बाजार में ट्रेडिंग के लिये उपलब्ध नहीं होंगे, ये शुद्ध रूप से बचत के लिये हैं जिनको लंबे समय तक की बचत करनी है उनके लिये बांड बहुत अच्छा है। जैसे कि सावधि जमा खातों (Fixed Deposits) पर सामान्यत: लंबे समय की अवधि के लिये 9% ब्याज मिलता है और अभी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक लगभग 8.5% है तो इस बांड पर 10% ब्याज मिलेगा, लेकिन अगर भविष्य में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 4 % हो जाता है तो ब्याज 5.5 % मिलेगा, जबकि सावधि जमा खाते पर वही 9% ब्जाज मिलेगा। इन बांडों पर ब्याज दर कम ज्यादा होती रहेगी क्योंकि यह बांड उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से सीधा जुड़ा है। लेकिन इस बांड से यह जरूर सुनिश्चित किया जा सकता है कि आपको मुद्रास्फ़ीति से ज्यादा ब्याज मिलेगा। जो कि निवेशक के लिये राहत की बात है।
    बांड लेने वालों के लिये नामांकन सुविधा भी उपलब्ध है, जिसे जरूर उपयोग करना चाहिये।
 
    इन बांडों को बैंकों में ऋण लेने के लिये जमानत के तौर पर भी रखा जा सकता है।

भारतीय स्टेट बैंक और उसकी सहयोगी बैंकें, राष्ट्रीयकृत बैंकें एवं तीन निजी बैंक एचडीएफ़सी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक और स्टॉक होल्डिंग कार्पोरेशन ऑफ़ इंडिया इन बांडों को बाजार में बेचेंगी।

क्रेडिट कार्ड हो या डेबिट कार्ड पिन जरूरी (Credit Card or Debit Card pin is mandatory now)

    भारतीय रिजर्व बैंक  ने क्रेडिट कार्ड(Credit Card) / डेबिट कार्ड (Debit Card) से खरीदारी करने पर पिन नंबर जरूरी कर दिया है।
    हम अधिकतर प्लास्टिक मनी याने कि क्रेडिट कार्ड / डेबिट कार्ड का उपयोग खरीदारी के लिये करते हैं, जब भी आपका कार्ड पोस (POS – Point of sale) मशीन पर स्वाईप होगा, तब आपको अपने डेबिट कार्ड का एटीएम पिन वहाँ डालना होगा और अगर क्रेडिट कार्ड का उपयोग कर रहे हैं तो आपको क्रेडिट कार्ड का पिन डालना होगा, अगर कार्ड का पिन आपके पास नहीं है तो अपने बैंक को आज ही पिन के लिये फ़ोन करें। नहीं तो आप अपने कार्ड से खरीदारी नहीं कर पायेंगे। अभी कुछ ही मशीनों पर बिना पिन के खरीदारी हो रही है जल्दी ही उन मशीनों को भी इस नियम के अंतर्गत कार्य करना होगा।
    फ़ायदा – अगर आपका कार्ड कहीं गुम हो जाता है तो कोई भी आपके कार्ड से खरीदारी नहीं कर सकेगा, भारतीय रिजर्व बैंक ने यह नियम ग्राहक की सुरक्षा के लिये बनाया है ।
    ध्यान रखने वाली बात – जब भी आप पोस मशीन पर अपना पिन डालते हैं तो हाथों से की पैड को छिपाकर पिन डालें, जिससे कोई आपके पिन को देख ना पाये।
   महत्वपूर्ण जानने वाली बात – जिन मशीनों पर बिना पिन के कार्ड से भुगतान स्वीकारे जा रहे हैं और ग्राहक अगर किसी भी भुगतान के विरूद्ध बैंक को शिकायत करता है तो बैंक को ७ दिनों के अंदर ग्राहक को रकम वापस करना होगी, इस तरीके से बैंक के ऊपर यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी का कार्य है कि वह अपनी तकनीक जल्दी से जल्दी तय किये गये मानकों पर लाये।

म्यूचयल फ़ंड में डाइरेक्ट या रेग्यूलर प्लॉन किसमें निवेश करें ?(Where to Invest Mutual fund Direct or Regular plan)

    म्यूचयल फ़ंड में डाइरेक्ट प्लॉन के जरिये निवेश करना एक अच्छा विकल्प है। पर डाइरेक्ट प्लॉन में तभी निवेश करें जब आपको म्यूचयल फ़ंड के बारे में अच्छी जानकारी है, अगर आपको म्यूचयल फ़ंड के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो बेहतर है कि आप डाइरेक्ट प्लॉन ना लें और किसी ब्रोकर, एजेन्ट या डिस्ट्रीब्यूटर से ही प्लॉन लें।
    डाइरेक्ट प्लॉन इसी वर्ष १ जनवरी २०१३ से शुरू हुआ है, और यह इस प्लॉन में निवेश करने वालों के लिये म्यूचयल फ़ंड हाऊस ने अपनी लागत कितनी कम की है और निवेशक को कितना फ़ायदा पहुँचाया है यह भी निकट भविष्य में पता चलेगा । फ़ंड हाऊस के हर म्यूचयल फ़ंड स्कीम में अब दो प्लॉन होंगे । एक तो वही पुराना रेग्यूलर प्लॉन और दूसरा डाइरेक्ट प्लॉन जिनकी एन.ए.वी. भी अलग अलग होंगी। डाइरेक्ट प्लॉन में निवेश करने वाले निवेशक को लंबी अवधि में अच्छा फ़ायदा होने की उम्मीद है, परंतु कितना अंतर होगा यह फ़ंड हाऊस कितनी लागत कम करता है और कितना अधिक फ़ायदा निवेशक को देता है।
    रेग्यूलर प्लॉन और डाइरेक्ट प्लॉन की एन.ए.वी. में अभी केवल .१०% से १.२५% तक का अंतर देखने को मिला है। पर यह अंतर पिछले ७-८ महीने का ही है, अगर फ़ंड हाऊस अपनी लागत कम कर डाइरेक्ट निवेशक को ज्यादा फ़ायदा देंगे तो लंबी अवधि में यह अंतर ३ से ५ प्रतिशत तक हो सकता है । हालांकि फ़ंड हाऊस डिस्ट्रीब्यूटर्स, ब्रोकर और एजेन्टों को खुश करने के लिये ज्यादा फ़ायदा भी डाइरेक्ट निवेशक को नहीं देने वाले हैं, अभी भी जिन निवेशकों ने किसी एजेन्ट के जरिये निवेश कर रखा है वे अपने निवेश को डाइरेक्ट प्लॉन में स्विच कर सकते हैं। निवेशक अधिकतर केवल यह कदम इसी दशा में करता है जब उसे डिस्ट्रीब्यूटर्स, ब्रोकर और एजेन्टों से मदद नहीं मिलती । खैर हमने तो अधिकतर यही देखा है कि अभी हमारे निवेशकों में इतनी जागरूकता नहीं है कि वे खुद जाकर फ़ंड के बारे में समझें, जो भी उनके आसपास उन्हें बेचने आ जाता है तो त्वरित निर्णय में म्यूचयल फ़ंडों की खरीदारी की जाती है।
    रेग्य़ूलर प्लॉन में म्यूचयल फ़ंड  लेने से डिस्ट्रीब्यूटर्स, ब्रोकर और एजेन्टों को उनका कमीशन मिलता है जो कि उनके लिये जरूरी भी है, क्योंकि वे उसी कमीशन की कमाई से निवेशक को सुविधाएँ भी देते हैं जैसे कि पता बदलना, बैंक का बदलना, निवेश को एक फ़ंड से दूसरे फ़ंड में स्विच करना, नामांकित करना, निवेश खाते में बदलाव, फ़ोन नंबर बदलना इत्यादि।
    डाइरेक्ट प्लॉन में म्यूचयल फ़ंड लेने पर निवेशक को खुद ही यह सारे कार्य करने पड़ते हैं, वैसे आजकल यह सुविधा बहुत अच्छी हो गई है, लगभग सभी म्यूचयल फ़ंडों में बहुत सारी सुविधाएँ ऑनलाईन / फ़ोन के द्वारा ही उपलब्ध हैं। अगर फ़िर भी परेशानी है तो इन म्यूचयल फ़ंडों के ग्राहक सेवा पर फ़ोन करके परेशानी सुलझायी जा सकती हैं।

रूपये की विनाशलीला देखने के लिये तैयार हैं ?

    आजकल सब और चर्चा में डॉलर और रूपया है और जब से रूपया १०० रूपया पौंड को पार किया है तब से पौंड भी चर्चा में है। कल ही एक परिचित से बात हो रही थी, तो वे कहने लगे कि हमारे भारत पर तो ब्रिटिश का शासन था फ़िर हमारे ऊपर यह डॉलर क्यों हावी है, हमारे विनिमय तो पौंड में होना चाहिये। हमने उन्हें समझाया कि डॉलर को विश्व में मानक मुद्रा का दर्जा मिला हुआ है, डॉलर से लड़ने के लिये यूरोपीय देशों ने यूरो मुद्रा की शुरूआत की थी, नहीं तो उन्हें सब जगह डॉलर से उस देश की मुद्रा का विनिमय करना पड़ता था। अब उन्हें यूरो मुद्रा का विनिमय यूरोपीय देशों में नहीं करना पड़ता है।

    डॉलर क्यों पटकनी दे रहा है रूपये को, यह समझने की कोशिश करें तो लुब्बा लुआब यह है कि हमने आयात ज्यादा किया और निर्यात कम किया, याने कि विदेशी मुद्रा जो कि मानक मुद्रा डॉलर है वह हमारे खजाने से ज्यादा गई और मानक मुद्रा डॉलर हमारे खजाने में कम आई, खैर इस बात का ज्यादा मायने भी नहीं है क्योंकि डॉलर हमारे रूपये के मुकाबले अभी ओवररेटेड है, अगर वाकई असली दाम इसका देखा जाये तो लगभग २० रूपये होना चाहिये। और डॉलर अभी तीन गुना ज्यादा दाम पर व्यापार कर रहा है।

Rupees vs USD

USD Vs INR

    हमारी जीडीपी याने कि सकल घरेलू उत्पाद लगातार कम होती जा रही है, हमने पिछले ९ वर्षों में  मान लो कि रत्न आभूषण ५०० अरब डॉलर के आयात किये और लगभग ३५० करोड़ के रत्न आभूषण हमने निर्यात किये तो हमें पिछले ९ वर्षों में लगभग १५० करोड़ का विशुद्ध घाटा हुआ है। इसी प्रकार पेट्रोलियम और गैस में जमकर घाटा हुआ है, कुछ अंदरूनी कलह के कारण और कुछ व्यापारिक प्रतिष्ठानों की जिद के कारण । भारत विश्व में उत्पादित सोने और पेट्रोल के बहुत बड़े भाग  का उपयोग करता है।

    स्वतंत्रता के बाद से भारत का रूपया कभी राजनैतिक कारणों से तो कभी व्यापारिक कारणों से तो कभी आर्थिक नीतियों से मात खाता आया है, हमारे भारत के पास बेहतरीन काम करने वाले लोग हैं, बेहतरीन वैज्ञानिक हैं, पर उन्हें भारत के लिये उपयोग करने के लिये ना ही राजनैतिक इच्छाशक्ति है और ना ही आर्थिक जगत की इच्छाशक्ति है। अगर कुछ और बड़ी कंपनियाँ भारत की बाहर व्यापार करने लगें तो डॉलर की नदियों का मुख भारत की और होगा।

    अधिकतर अंतर्राष्ट्रीय कंपनियाँ अपने लाभ का एक बड़ा हिस्सा मानक मुद्रा याने कि डॉलर में विनिमय कर भेज देती हैं। हम भारतवासियों को भी समझना होगा कि हमें घरेलू उत्पादों का ज्यादा उपयोग करना चाहिये, जिन उत्पादों से डॉलर बाहर जा रहा है, उन उत्पादों को उपयोग करने से बचना चाहिये।

    मुद्रा गिरने से हमारे भारत के आर्थिक हालात बेहद खराब हो सकते हैं, इसका सीधा असर बैंक में बड़े बड़े ऋण पर पड़ेगा, बाहर पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर पड़ेगा ये दो बड़े भार होंगे हमारी अर्थव्यवस्था पर, वैसे ही राष्ट्रीयकृत बैंकें ४ % से ज्यादा एन.पी.ए. याने कि जो ऋण डूब चुके हैं, से लड़ रही हैं, और अब यह व्यक्तिगत मुश्किलें बड़ाने वाला दौर होगा, अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा असर कुछ ही दिनों में दिखना शुरू हो जायेगा, जब पेट्रोलियम पदार्थों के भाव आसमान छूने लगेंगे तो इसका सीधा असर हमारी दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर पड़ते देर नहीं लगेगी। जब रूपया ३३% गिर चुका है तो अब पेट्रोलियम के भाव में ३३% की तेजी का अंदाजा लगा ही सकते हैं। सरकार भी कब तक राजनैतिक कारणों से रूपये के गिरने के कारण महँगाई से जनता को बचा पायेगी, और अगर यह भार जनता पर नहीं डाला गया तो भारत के खजाने पर सीधा असर पड़ेगा।

    हमारा कैश इन्फ़्लो तो उतना ही रहने वाला है वह तो डॉलर के महँगे होने से या रूपये के गिरने से ज्यादा नहीं होने वाला है, तो अब भविष्य के संकेत ठीक नहीं है, जितनी बचत अभी तक कर लेते थे, अब वह बचत भी बहुत कम होने वाली है। अभी भी अगर इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो रूपये की विनाशलीला देखने के लिये तैयार रहना होगा।

घर बैठे, शेयर बाजार से कमायें २५००० से ७५००० रूपये–क्या है यह !! (Earn 25000 to 75000 per month from Share Market, How ?)

    बाजार में कई वर्षों से देख रहे हैं, लोग / कंपनियाँ आती हैं और दावा करती हैं कि एस.एम.एस. और ईमेल के द्वारा हम दिन में इतने कॉल देंगे, और इससे आप शेयर बाजार से बहुत सारा धन कमा सकते हैं । शेयर बाजार में लोग इनके चंगुल में फ़ँस भी जाते हैं, क्योंकि सभी लोग जल्दी से जल्दी धन कमा लेना चाहते हैं। पर अगर किसी से पूछो कि धन कमाकर क्या करेंगे तो उनके पास केवल जबाब होता है कि ऐश करेंगे, ऐश में क्या करेंगे वे नहीं बता पाते हैं।
    हम अपने मुख्य बिंदु पर बात करते हैं, क्या वाकई एस.एम.एस. / ईमेल पर आई टिप्स से पैसा कमाया जा सकता है ? शायद हाँ भी और नहीं भी !! इसका जबाब वाकई बहुत मुश्किल है, बाजार में सबसे मुख्य होता है समय के साथ चलना, जिसने जरा सी भी चूक की, फ़िर भले ही वह एक मिनिट की ही हो, उसे भरपूर घाटा उठाना पड़ सकता है और हो सकता है कि इस गलती से उसे भरपूर फ़ायदा भी मिल जाये।
    एस.एम.एस. में मुख्यत: इक्विटि (Equity) के नाम के साथ खरीदने या बेचने का रेट भेजा जाता है, टार्गेट भेजा जाता है और स्टॉप लॉस भेजा जाता है। लोग केवल टार्गेट पर ध्यान देते हैं स्टॉप लॉस कभी भी नहीं लगाते हैं, कम से कम मैंने तो बहुत ही कम लोगों को स्टॉप लॉस का उपयोग करते देखा है। जो समझदार होते हैं वे इन एस.एम.एस. टिप्स को लेते जरूर हैं, परंतु अपने अनुभव से अपने पैसे को बाजार में लगाते हैं। क्योंकि ये एस.एम.एस. भेजने वाली कंपनियाँ बहुत छोटे छोटॆ अक्षरों में अपने दस्तावेजों में लिखती हैं, कि होने वाली लाभ या हानि की जिम्मेदारी कंपनी की नहीं होगी, यह निवेशक (Investor) का व्यक्तिगत निर्णय है। कंपनी लीगल तरीके से साफ़ बच निकलती हैं।
    आजकल कई कंपनियाँ ट्विटर और फ़ेसबुक पर भी अपडेट कर रही हैं, परंतु जरूरत है अपने अनुभव से ही निवेश करने की, ये कंपनियाँ तो निवेशक (Investor) से मोटी रकम (Charges) वसूलती हैं और अलग हो जाती हैं, परंतु निवेशक (Investor) इनके बिछाये जाल में फ़ँस जाता है। कई समाचार पत्रों में हमने विज्ञापन देखा है कि “घर बैठे, शेयर बाजार से कमायें २५००० से ७५००० रूपये” (Earn 25000 to 50000 per month from Share Market, How ?), परंतु यह इतना आसान भी नहीं है, जितना कि विज्ञापन पढ़ने के बाद लगता है।
    सेबी को अब इन कंपनियों के मोबाईल कॉल और एस.एम.एस. खंगालने की आजादी मिली है, अब देखते हैं कि सेबी कैसे बहुत सारी छद्मवेशी कंपनियों पर क्या कार्यवाही करती है, जो कि बिना किसी विश्लेषण (Analysis) के निवेशकों (Investors) को चूना लगा रही हैं, वैसे भी अगर इन कंपनियों को बाजार की इतनी जानकारी होती है तो खुद ही फ़्यूचर ऑप्शन (Future Options) में पैसा (Fund) लगाकर धन कमा लें, क्यों बाजार में जानकारी बेचें ? कुछ लोग फ़ँस जाते हैं और कुछ लोग इनके चंगुल से बचे रहते हैं ।
    आगे इस बारे में कोई भी कदम उठायें तो सोच समझ कर उठायें, किसी की कॉल १०० प्रतिशत सही नहीं हो सकती, क्योंकि वह बाजार में इतना सारा धन लगाकर किसी भी एक शेयर को ऊपर नीचे नहीं कर सकता है यह केवल और केवल व्यक्तिगत निवेशक (Investor) के लिये जोखिम (Risk) है।

भारत की आधारभूत समस्याएँ और उसके समाधान.. सैनिटरी नैपकीन और पानी

    बहुत दिनों से सोच रहा हूँ रिवर्स माइग्रेशन के लिये, रिवर्स माइग्रेशन मतलब कि अपने आधार पर लौटना, जहाँ आप पले बढ़े जहाँ आपके बचपन के साथीगण हैं,  देशांतर गमन शायद ठीक शब्द हो। लौटकर जाना बहुत बड़ा फ़ैसला नहीं है, पर लौटकर वापिस वहाँ अपना समय किस तरह से समाज के लिये लगायें, यह एक कठिन फ़ैसला है। अभी पिछले दिनों जब मैं अपने कुछ व्यावसायिक मित्रों से अपने गृहनिवास में बात कर रहा था, जब मैंने उनको अपना मन्तव्य बनाया तो एक मित्र ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा “बोस सब उज्जैन वापिस आकर समाज सेवा ही करना चाहते हैं, एक दिन ऐसा आयेगा कि सब समाजसेवक ही होंगे, सेवा करवाने वाले कम”, उस मित्र की बात वाकई बहुत दिलचस्प लगी, अगर इतने लोग सेवा करने वाले उपलब्ध हैं पर कर नहीं पा रहे हैं तो उनको बस एक नई दिशा देने की जरूरत है।
    कुछ समय बाद ही इंडीब्लॉगर ने फ़्रेंकलिन टेंपलटन इन्वेस्टमेन्ट्स के साथ “द इंडिया काँरवा” प्रस्तुत किया जिसमें अपने विचार उन वक्ताओं के लिये देने थे जिन्होंने बिल्कुल सतही तौर पर समाज के साथ काम किया और टेडेक्स गेटवे मुंबई दिसम्बर २०१२ में उन्होंने अपने विचार रखे। उनके विचार सुनकर अपने तो दिमाग के सारे दरवाजे खुल गये, हम सोच रहे थे कि करें क्या ? परंतु यहाँ तो लोग आधारभूत समस्याओं से ही सामना कर रहे हैं, उनके लिये कुछ बड़ा करने से पहले, उनकी आधारभूत समस्याओं को समझा जाये और उस पर कार्य किया जाये।
    अरुनाचलम मुरुगनाथम मेरे लिये नया नाम था, परंतु जब मैंने इनकी कहानी सुनना शुरू कि जो इतनी दिलचस्प थी, कि मैं इनके कार्य करने और कुछ करने की जिद से बहुत प्रभावित हुआ, अरुनाचलम में शुरू से ही कुछ करने की इच्छा थी, जिस तरह से उन्होंने महिलाओं के लिये सैनिटरी नैपकीन का अविष्कार किया, जिससे महिलाएँ अपने खुद के लिये यह आधारभूत सुविधा पा सकें, जिस तरह से उनके किये गये अविष्कार से जितनी बड़ी आबादी को यह लाभ मिल सकेगा, कितने ही लोगों को रोजगार मिल सकेगा, सैनिटरी नैपकीन की बात महिलाएँ तो क्या पुरूष भी दबे शब्दों में बात करते हैं पर अरुनाचलम नें यही बात मंच तक लाई और इसके लिये कार्य कर इतनी महँगी चीज को बिल्कुल ही पहुँच वाले दामों में भारत की महिलाओं को उपलब्ध करवाया।
अरुनाचलम मुरुगनाथम की दिलचस्प यात्रा आप यहाँ सुन सकते हैं।
सिन्थिया कोनिग ने भारत की सबसे आधारभूत समस्या और सबसे भारी समस्या को समझा और उसका एक अच्छा, हल्का सा समाधान भी दिया। जैसा कि हम सब लोग जानते हैं भारत की सबसे बड़ी समस्या है पानी, जो कि सहजता से उपलब्ध नहीं है और जहाँ उपलब्ध है वहाँ से घर लाने में कितने श्रम की जरूरत होती है, आज भी गाँवों में महिलाएँ सिर पर पानी ढो़कर लाती हैं, और पानी बहुत भारी होता है। इसके लिये सिन्थिया कोनिग ने एक रोलर का अविष्कार किया जो कि ड्रम के आकार का है और पानी भरने के बाद उसे आसानी से खींचा जा सकता है, पानी अधिक मात्रा में लाया जा सकता है और सबसे बड़ी बात कि इसकी कीमत गाँव वालों की पहुँच में है मात्र ९७५ – १००० रूपये।
सिन्थिया कोनिक का दिलचस्प व्याख्यान यहाँ सुन सकते हैं, कैसे उन्होंने भारी पानी को हल्का कर दिया।
सुप्रियो दास, अच्छे खासे इंजीनियर थे, परंतु कुछ करने की इच्छाशक्ति ने उन्हें अपने खुद के लिये काम करने के लिये प्रेरित किया, और उन्होंने बहुत सारे अविष्कार भी किये, जिसमें उनका सबसे अच्छा और अधिकतर जनता को फ़ायदा पहुँचाने वाला है, जिम्बा !! जब सुप्रियो दास ने देखा कि हमारे यहाँ केवल अच्छा पीने लायक साफ़ पानी ना मिलने के कारण ही हजारों मौतें रोज हो रही हैं, उन्होंने इसके लिये बहुत शोध किया और पाया कि पर्याप्त मात्रा में क्लोरीन नहीं मिलाया जा रहा है या बहुत ही सस्ता क्लोरीन उपलब्ध ही नहीं है और अगर है भी तो कम या ज्यादा होने से नुकसानदायक है, तब उन्होंने जिम्बा उत्पाद बनाया जो कि पानी के स्रोत पर ही लगा दिया जाता है तो जहाँ से लोग पानी लेते हैं, उन्हें पर्याप्त मात्रा में क्लोरीन मिला हुआ पानी मिल रहा है, जिससे आश्चर्यजनक तरीके से जहाँ भी प्रयोग हुए अच्छे नतीजे मिले और सबसे बड़ी बात कि इस यंत्र में कोई भी ऐसी चीज नहीं लगी कि वह खराब हो सके।
सुप्रियो दास की क्लोरीन की कहानी, कैसे पानी को पीने लायक बनाया
    इन तीन अविष्कारों से मैं बहुत प्रभावित हुआ, अगर कुछ करने की ठान लो तो कुछ भी असंभव नहीं है, बस काम करना है यह सोच हमारी दृढ़ होनी चाहिये।
    यह पोस्ट फ़्रेंकलिन टेंपलटन द्वारा आयोजित टेडेक्स गेटवे मुंबई २०१२ में आयोजित “द इंडिया काँरवा” में कुछ महत्वपूर्ण सामाजिक और आधारभूत समस्यों से प्रेरित होकर लिखी गई है। Franklin Templeton Investments partnered the TEDxGateway Mumbai in December 2012.

केवल आपने खुद को ही सुरक्षित कर रखा है या परिवार को भी..

    अब आगे मित्र से बात जारी रही, हमने पूछा अब एक बात बताओ कि आपने आपातकाल के लिये क्या व्यवस्था कर रखी है, वह बोला अरे अपने एक इशारे पर सारे काम हो जाते हैं, हमने कहा भई हकीकत की धरातल पर उतर आओ और सीधे सीधे साफ़ शब्दों में बताओ, अगर बीमारी का क्षण आ गया या फ़िर मान लो बीमारी ऐसी है कि चिकित्सालय में भी ना रहना पड़े और चिकित्सक ने घर पर ५०  दिन का आराम बता दिया या मान लो बिस्तर पर एक वर्ष तक रहना पड़ा, उस दिशा में क्या करोगे, क्योंकि आपको वेतन के साथ तो ५० दिन की छुट्टी मिलना मुश्किल है, आप वेतन के साथ ज्यादा दिन की छुट्टी पर नहीं रह सकते, तब आप अपने परिवार का खर्च कैसे उठाओगे ?

family     मित्र ने कहना शुरू किया कि बीमारी के लिये हमने मेडिक्लेम ले रखा है और दूसरी स्थिति के लिये हमने कभी सोचा ही नहीं कि ऐसा भी हो सकता है या यह भी कह सकते हैं कि हमें इस स्थिति से कैसे निपटा जा सकता है हमें पता नहीं। वैसे हमें लगता है कि हमें इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। हमने कहा भाई परिस्थितियाँ कभी किसी को बताकर इंतजार करवाकर नहीं आतीं, बेहतर है कि हम उन परिस्थितियों का आकलन करके पहले से ही उसकी व्यवस्था करके रख लें, ताकि हम उन परिस्थितियों से बेहतर तरीके से निपट सकें।

     अब मित्र ने कहा कि अच्छा यह बताओ कि कैसे निपटा जा सकता है ? हमने उनसे पूछा कि ये बताओ तुमने मेडिक्लेम कितना ले रखा है, वे बोले हमने अपना मेडिक्लेम २ लाख रूपये का ले रखा है। हमने पूछा और परिवार का मेडिक्लेम, वे बोले नहीं परिवार का मेडिक्लेम नहीं ले रखा है, हमने उनसे कहा कि आपातकाल केवल तभी नहीं आता जब खुद बीमार हों, परिवार का कोई भी सदस्य बीमार हो सकता है तो बेहतर है कि परिवार के लिये एक मेडिक्लेम लो जिसमें सारे सदस्य बीमित हों।

     हमने कहा कि आप कम से कम ५ लाख का फ़ैमिली फ़्लोटरfamily-floaters मेडिक्लेम बीमा लो, आजकल वैसे ५ लाख भी कम पड़ते हैं, पर फ़िर भी आपात स्थिति से निपटने के लिये बहुत हैं, फ़ैमिली फ़्लोटर मेडिक्लेम का फ़ायदा यह है कि परिवार के चारों सदस्य ५ लाख से बीमित हैं और चारों में से कोई भी एक ५ लाख तक फ़ायदा उठा सकता है या फ़िर एक से ज्यादा सदस्य भी, बस चारों सदस्य मिलकर ५ लाख तक का ही चिकित्सकीय व्यय से बीमित हैं और उससे ज्यादा लेना है तो उसके लिये आजकल टॉप अप सुविधा भी उपलब्ध है, जो कि आप हर वर्ष अपने हिसाब से कम ज्यादा कर सकते हैं।

     अब आगे बतायेंगे कि कैसे दूसरी स्थिति से निपटा जाये “चिकित्सक ने घर पर ५० दिन का आराम बता दिया और करना भी जरूरी है, उस दिशा में क्या करोगे ?” क्या आपने भी कभी सोचा है ? तो बताइये ?

यूलिप मिस सेलिंग, ५ वर्ष में पैसे दोगुने हो जायेंगे

    अब हमारे मित्र ने कहा – “एक पुराने दोस्त हैं उन्होंने हमे एल आई सी का एक यूलिप (ULIP)  का प्लॉन बेचा था और हमसे कहा था कि भाई इसमें तुम ३ लाख ५० हजार निवेश करो और तुमको पाँच वर्ष बाद इसके ७ लाख रूपये मिल जायेंगे, अब उस प्लॉन को लिये हुए ३ वर्ष से ज्यादा हो गये हैं और मेरे फ़ंड की आज की कीमत जो है वह २ लाख ६८ लाख रूपये हो गई है, अब हमारे मित्र कहते हैं कि तुम इस पैसे को यहाँ से निकाल लो और कहीं और लगा लो। मैंने तो उसको बहुत गाली दी कि तुमने तो बहुत विश्वास से कहा था कि ५ वर्ष में पैसे दोगुने हो जायेंगे, पर हुए नहीं और कम ही हो गये, अब तो जितने रूपये मैंने निवेश किये थे उतने भी नहीं बचे।

    हमने कहा तुम्हारे साथ भी मिस-सेलिंग का केस हुआ है, और अधिकतर ऐसा अपने परिचित ही करते हैं जो कि तुम्हें आराम से बरगला कर ऐसी पॉलिसियाँ बेच देते हैं, ऐसे लोग हमारे पास भी आये थे, हमने उनसे इस पॉलिसी पर ऐसे ऐसे सवाल पूछे कि वे अपने बगलें झाँकते नजर आये। और हमने उनको यह भी समझा दिया कि आप लोग केवल अपने फ़ायदे के लिये यह पॉलिसी बेच रहे हो, ना कि हमारे फ़ायदे के लिये।

    अगर आप वाकई हमारे हितैषी होते तो हमें यूलिप लेने की सलाह ही नहीं देते और बताते कि आप सावधी बीमा (Terma Insurance) लें और बाकी के पैसे जो कि आप यूलिप में प्रीमियम के रूप में जमा कर रहे हैं वह कहीं और निवेश करें, आप बताते कि निवेश और बीमे को आपस में मिलायें नहीं। क्योंकि निवेश और बीमा अगर दोनों एक साथ हों तो दोनों ही काम ठीक से नहीं होते।

    हमने अपने मित्र से पूछा कि बताओ कि तुम्हारा परिवार को तुमने कितने रूपये से सुरक्षित कर रखा है, मतलब कि तुमने अपने अपना कितना बीमा करवा रखा है, हमारे मित्र ने कहा हमने लगभग ४० लाख रूपये का बीमा करवा रखा है, हमने कुछ कहा नहीं क्योंकि हमें पता है कि उन्होंने वाकई में अपने बीमा की कोई गणना की ही नहीं है, क्योंकि अगर २ लाख का बीमा आप लगभग २८ वर्ष की आयु में एल आई सी में लेते हैं तो अंदाजन उसकी किश्त ही १५ हजार के आसपास आती है, जिसमें केवल २ लाख का बीमा मिलता है, और वे हमें ४० लाख का बीमा बता रहे हैं तो २८ वर्ष की आयु के हिसाब से भी गणना की जाये तो उनकी प्रीमियम ही लगभग ३ लाख रूपया सालाना होनी चाहिये। जो कि व्यवहारिक रूप से संभव ही नहीं है।

    हमने फ़िर उन्हें अपनी एक पुरानी पोस्ट पढ़वाई –

बीमा और निवेश अलग अलग हैं, समझिये.. | जब उन्होंने यह पोस्ट पढ़ी तो बोले अरे भाई यही तो हमारी समस्या है, और तुमने कितने आसान रूप से इसका हल बता दिया।

    हमने कहा कि अगर तुम १५००० रूपये का सावधि बीमा (Term Insurance) ले लो तो यह मान लो कि तुम अपने परिवार को लगभग ५० लाख की सुरक्षा दे सकते हो, और बाकी का पैसा वाकई में निवेश करें।

अपने भविष्य के लिये अपने वित्तीय पक्ष को कैसे मजबूर करें.. एक दिलचस्प वार्ता अपने परम मित्र के साथ..

   अभी दो दिन के लिये हम सप्ताहांत में उज्जैन आये तो हमने अपने बहुत पुराने सुख के साथी (मित्र के वाक्य) को याद किया और वो एकदम हमारे पास आ गये। वे हमारे उन मित्रों में से हैं जिनके साथ हमने अपनी जिंदगी के बहुत से यादगार पल गुजारे हैं।

   जब बात ऐसे ही चलने लगी तो कहने लगे यार कुछ समझ नहीं आता कि निवेश कैसे किया जाये, कहाँ किया जाये, किस तरह से किया जाये। हमने कहा आजकल तो सारी चीजें ऑनलाईन उपलब्ध हैं, क्यों नहीं तुम ऑनलाईन ले लेते, मित्र ने कहा कि ये सब तुम्हारे लिये बहुत आसान है, अपने लिये नहीं, और नेट पर वित्तीय लेनदेन (Financial Transactions) हमें ठीक नहीं लगता है। हमने कहा कि हम तो अधिकतर यही कोशिश करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा ऑनलाईन लेनदेन कर लें, जिससे इधर उधर आने जाने की असुविधा से बच सकें।

    अब आई मुद्दे की बात, किस कैसे निवेश करें, हमने कहा सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि आपकी जरूरतें क्या हैं, आपके क्या गोल हैं, जिसके लिये आपको निवेश करना है, तो वह अपने पूरे भोलेपन से बोले – “अरे भाई यह सब तो हम पहली बार सुन रहे हैं, अपना तो दिमाग सुनकर ही चकरा रहा है, जरा खुलकर समझाओ” ।

    हमने कहा देखो व्यक्ति के जीवन में कुछ गोल्स होते हैं जिन्हें उसे अपने वित्तीय जीवन में पा लेना चाहिये अगर निवेश में थोड़ा अनुशासन और नियमितता हो तो यह सारे गोल्स पाना बहुत ही आसान हैं । हमने कहा आमतौर पर व्यक्ति के जीवन में ५ गोल्स होते हैं –

१. कार

२. घर

३. बच्चों की पढ़ाई

४. बच्चों की शादी

५. सेवानिवृत्ति

    आप अपने लिये और भी गोल्स बना सकते हैं, अपनी जरूरतों के अनुसार और बचत को नियमित रूप से बढ़ाते जायें, जैसे कि अगर आप अपने वित्तीय जीवन की शुरूआत में २ हजार रूपये बचत कर रहे हैं, तो कोशिश करें कि हर वर्ष याद हर दूसरे वर्ष उस बचत में वृद्धि करें और अपने गोल्स को जल्दी से जल्दी पा लें।

    अब हमारे मित्र बोले कि चलो अब यह तो समझ में आया, अब हमें यह भी बताओ कि हम हमारी बेटी के लिये १५ वर्ष बाद १५ लाख रूपया चाहते हैं जो कि उसे पढ़ाई में काम आयें, तो कितना और कैसे निवेश करें ?

    हमने कहा भाई तुमको लगभग ३५०० रूपये हर महीने १५ वर्ष तक जमा करने होंगे, यह हम तुमको तब बता रहे हैं जबकि तुम अगर सिप के द्वारा म्यूचयल फ़ंड में जमा करते हो, और हम औसतन ११% के रिटर्न के हिसाब से बता रहे हैं, परंतु बाजार के प्रदर्शन से हम इतना तो कहते हैं कि कम से कम तुमको १५% रिटर्न मिलेगा जो कि लगभग २४ लाख रूपया होता है। अगर जोखिम नहीं लेना है तो थोड़ा ज्यादा निवेश हर माह करना होगा और उसे रिकरिंग डिपोजिट में जमा करते जाओ।

    अब हमारे मित्र बोले कि चलो हम ३५०० रूपया हर माह जमा करेंगे, कैसे करें यह और बताओ, हमने कहा कि जिस भी बैंक में तुम्हारा बचत खाता है उसे बैंक में चले जाओ और उनसे कहो कि मुझे २ म्यूचयल फ़ंड की सिप लेनी है –

१. २००० रूपये प्रतिमाह की IDFC Premium Fund – Growth – Direct

२. १५०० रूपये प्रतिमाह की HDFC Top 200 – Growth – Direct

    अब तुम पहली बार म्यूचयल फ़ंड में निवेश कर रहे हो तो पहली बार बैंक तुमसे KYC का फ़ॉर्म भरवायेगा और फ़िर म्यूचयल फ़ंड की सिप शुरू हो जायेगी।

    और भी बहुत सी बातें हुईं, जानकारियों पर बहुत ही अच्छी बातें हुईं.. जो अगली कुछ और पोस्टों में..