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आई.आर.डी.ए. ने यूलिप के लिये नये नियम बनाये

आई.आर.डी.ए. ने यूलिप का बंधक समय ३ वर्ष से बड़ाकर ५ वर्ष कर दिया है। सभी यूलिप में मृत्यु और स्वास्थ्य का बीमा होगा, पेंशन स्कीम को छोड़कर। नये नियम १ सितंबर से प्रभावी होंगे।

अलग से उपलब्ध टॉप अप के अलावा, मूल बीमा किश्त में ही जीवन बीमा भी बीमित होना चाहिये।

पेंशन या वार्षिक उत्पादों में किसी भी तरह की आंशिक निकासी नहीं होगी। यूलिप पेंशन उत्पादों को वार्षिक उत्पादों में परिवर्तित किया जाना चाहिये।

यूलिप पेंशन और वार्षिक उत्पाद ४.५% की वापसी की गारंटी दे सकेंगे।

बीमित से लिये जाने वाले बीमा शुल्क बंधक अवधि में समान रुप से लिये जाने चाहिये।

एन.ए.वी. की ४०% तक का ॠण उपलब्ध होगा।

१० वर्ष से कम के बीमा पर ३% प्रतिवर्ष तक प्रभार लिया जा सकता है।

१० वर्ष से ज्यादा के बीमा पर २.२५% प्रतिवर्ष तक प्रभार लिया जा सकता है।

फ़्रंट लोडिंग शुल्कों को पहले चार वर्ष में ही लिया जा सकता है।

बीमा पॉलिसी के लिये केवल नामांकन ही नहीं वसीयत भी जरूरी है [Will is equally important with Nomination for Insurance Policy]

    क्या आपने कभी सोचा है कि बीमा दावा राशि का कानूनी रुप से लाभार्थी कौन है ? या उस राशि पर कौन कौन दावा कर सकता है ?

बीमा पॉलिसी के लिये केवल नामांकन ही नहीं वसीयत भी जरूरी है

    अधिकांश लोगों को लगता है कि बीमा दावा का पैसा उनके पति/पत्नी या बच्चे को मिल जायेगा और वे जीवन में आने वाली काठिनाईयों से बच पायेंगे । बहरहाल, यह थोड़ा सा सच है, या कहें आंशिक रुप से सही है । कानून के अनुसार हर संबंधित व्यक्ति जो कि आर्थिक रुप से बीमित व्यक्ति पर आश्रित है, बीमा दावा से मिलने वाले धन पर पर दावा कर सकता है।

    लगभग सभी लोग बीमा लेते समय पति/पत्नि को बीमा दावा के लिये नामित करते हैं, और यही समझते हैं कि अगर दुर्भाग्य से मृत्यु हो भी गई तो बीमाधन उनके पति/पत्नि को मिल जायेगा। यह भी आंशिक रुप से सही है, नामांकन का मतलब होता है कि वह नामित व्यक्ति बीमा धन का दावा कर सकता है, पर उसका उपयोग नहीं कर सकता । वह बीमा धन कानूनीतौर पर सभी आश्रितों में बांटी जानी चाहिये।

    तो अगर आप चाहते हैं कि बीमा धन किसी एक व्यक्ति विशेष के पास ही जाना चाहिये तो बीमा कागजातों पर नामांकन काफ़ी नहीं है। आपको एक वसीयत तैयार करवाना चाहिये जिस पर साफ़ शब्दों में लिखा हो कि बीमा धन से प्राप्त होने वाला धन नामित व्यक्ति/विशिष्ट व्यक्ति को ही दिया जाये, और कोई इस धन का अधिकारी नहीं है। कानूनी रुप से मान्य होने के लिये यह वसीयत पंजीकृत होनी चाहिये।

    इसलिये अगर आप ने अभी तक यह नहीं किया है, तो जल्दी से पहले अपने वकील के पास जाईये और सलाह लीजिये और वसीयत तैयार कीजिये।

    क्योंकि इसका सबसे बड़ा एक कारण तो ये है कि आप जिंदगी की परेशानियों से अपने परिवार को  बचाने के लिये  जैसे तैसे अपनी बीमा किश्त का भुगतान कर रहे हैं, कि जब अगर आप न हों उनके साथ, तो वे आर्थिक रुप से सक्षम हों, दुखी न हों। वसीयत करिये यह बहुत जरुरी है।

DNA मुंबई में छपा यह आलेख भी पढ़िये ।

टेलिकॉलर्स, टेलिवार्ता, ३७ लाख के लिये बीमा और रिलायंस फ़ार्मा फ़ंड का विश्लेषण [Telecallers, Call, Insurance for 37 lacs, Reliance Farma Fund ]

    आजकल लगभग हर रोज कहीं न कहीं से टेलीकालर्स के कॉल से परेशान हैं, DND चालू है तब भी लगता है कि इन लोगों पर सरकार का कोई डर नहीं है और बेधड़क फ़ोन खटका रहे हैं, फ़ोन आते हैं २ प्रकार की कंपनियों के, क्रेडिट कार्ड और इंश्योरेन्स कंपनी। और दोनों से कैसे निपटना है वो हमने सीख लिया है – आप भी देखिये।

१. क्रेडिट कार्ड –

कॉलर – “सर, मैं स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से बोल रही हूँ”

मैं – “ क्यों बोल रही हैं, मत बोलिये”

कॉलर – “सर यह फ़ोन क्रेडिट कार्ड के लिये किया गया है, क्या आप स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया का कार्ड उपयोग करते हैं”

मैं – “ जी हाँ करते हैं” [बिल्कुल नहीं करते हैं, और दूसरी तरफ़ से खुद ही फ़ोन कट हो जाता है :D]

२. इंश्योरेन्स कंपनी –

कॉलर – “सर, मैं टाटा ए.आई.जी. इंश्योरेन्स कंपनी से बोल रही हूँ”

मैं – “ क्यों बोल रही हैं, मत बोलिये”

कॉलर – “सर एक इन्वेस्टमेन्ट सेविंग स्कीम है जो कि आपको समझाना है, जो आपके लिये बहुत अच्छी है”

मैं – “नहीं समझना है, टाईम नहीं है”

कॉलर – [हावी होते हुए] “आप एक बार समझिये तो सही, केवल हर महीने २ हजार रुपये जमा करने हैं और २५ वर्ष के बाद आपको ३७ लाख रुपये मिलेंगे, कंपनी १% और २% का बोनस भी देती है” [ फ़िर कुछ गणना बताती है]

मैं – “३७ लाख रुपये !!! आप दे ही नहीं सकते हैं, झूठ बोल रही हैं आप, क्यों लोगों को गुमराह कर रही हैं”

कॉलर – “नहीं सर, ३७ लाख आपको मिलेंगे और साथ ही मिलेगा ५ लाख का बीमा और मेडीक्लेम भी”

मैं – “नहीं नहीं सब है मेरे पास”

कॉलर – “सर इतनी सुविधाएँ और किसी प्रोडक्ट में नहीं है और रिटर्न भी”

मैं – “चलिये अच्छा मैं आपकी पॉलिसी ले लेता हूँ,बशर्ते कंपनी मुझे यह लिख कर दे कि ३७ लाख रुपया मिलेगा, २५ वर्ष के बाद”

कॉलर – “नहीं सर, कोई भी कंपनी यह लिखकर नहीं दे सकती कि ३७ लाख मिलेगा, वैसे अगर ज्यादा मिला तो ?”

मैं – “अगर लिखकर नहीं दे सकते तो दावा क्यों करते हो, और अगर ज्यादा मिले तो कंपनी रख ले मुझे तो केवल ३७ लाख से मतलब है”

कॉलर – “नहीं सर कंपनी ऐसा नहीं कर सकती”

मैं – “नहीं फ़िर मेरा कोई इंटरेस्ट नहीं है, अगर आप लिखकर दें कि ३७ लाख मिलेगा तो मेरा नंबर आपके पास है ही, आप फ़ोन करके अपना एजेन्ट मेरे पास भेज दीजियेगा, मैं हाथों हाथ पॉलिसी ले लूँगा”

कॉलर – [हताश होकर] “नहीं सर लिखकर नहीं दे सकते !” और फ़ोन काट देती है।

    यहाँ पर एक बात रखना चाहूँगा, अगर इश्योरेन्स कंपनियाँ जानती हैं कि अगले २५ वर्षों में इतना रिटर्न मिलेगा पर IRDA के नियम से वे लिखकर कुछ नहीं दे सकती हैं, तो क्यों हम ULIP और जमा वाले इश्योरेन्स उत्पाद लेते हैं, सीधे म्यूचयल फ़ंड में क्यों नहीं बचत करें।

    मैंने एक SIP शुरु की है रिलायंस फ़ार्मा बहुत ही अच्छा म्यूचयल फ़ंड है, और इसका प्रदर्शन बहुत ही जोरदार रहा है, और मेरा मानना है कि आने वाले समय में फ़ार्मा क्षैत्र की बिक्री बड़ने ही वाली है, तो मोनोपॉली जैसा सेक्टर है, सेक्टर फ़ंड में इससे अच्छा और कोई फ़ंड नहीं लगता। अगले ५ वर्षों में इसमें बहुत अच्छे रिटर्न्स की उम्मीद है और लंबी अवधि में तो और भी ज्यादा।

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निवेश पर अधिकतम रिटर्न की गारंटी, पर फ़िर भी अच्छे रिटर्न नहीं दे पातीं बीमा कंपनियाँ क्यों…? (Return guaranteed highest NAV, but why Insurance Companies not gives best returns.. )

सबसे पहले आपसे सवाल ?

    जब आप ऐसे किसी विज्ञापन को देखते हैं जो कि यूनिट लिंक्ड बीमा योजना निवेश पर अधिकतम रिटर्न की गारंटी देता है, अधिकतम शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (NAV) पर ? और हम में से अधिकतर यही सोचते हैं कि अधिक से अधिक रिटर्न अपने निवेश पर हमें मिलेगा वो भी बिना जोखिम के।
    पर जैसा कि आप सब जानते हैं कि कुछ भी फ़्री में नहीं मिलता है, किसी भी वित्तीय उत्पाद को देख लो जो कि अधिकतम रिटर्न की गारंटी देते हैं तो पता चलेगा कि लंबी अवधि में ६% से १५% तक का ही रिटर्न मिल रहा है। और अगर लगभग ३% और घटा लिया जाये जो कि ये बीमा कंपनियाँ शुल्क के नाम पर ले लेती हैं तो ये गारंटेड रिटर्न एकदम कम दिखने लगता है।
अवधारणा – 
    मूलत: यह मूलधन के ऊपर गारंटी देने वले उत्पाद यह निश्वित करते हैं कि निवेश की गई रकम का अवमूल्यन न हो और शेयर की ऊँची कीमत का रिटर्न मिलेगा।  यह सोचना गलत है कि बिना जोखिम के सेन्सेक्स आधारित रिटर्न मिलने वाले हैं।
चलिये देखते हैं कि ये फ़ंड कैसे कार्य करते हैं –

    इसमें से अधिकतर जिस निवेश रणनीति का उपयोग करते हैं जिसे डायनामिक हेजिंग या स्थिर अनुपात पोर्टफ़ोलियो बीमा कहते हैं। इसके अंतर्गत फ़ंड प्रबंधक निरंतर निवेश को डेब्ट और इक्विटी निवेश वर्गों के बीच में आवंटित करते रहते हैं जिससे पहले की अधिकतम एनएवी के प्रति निश्चिंतता रहे।
    पहले ही वर्ष में आपके निवेश को डेब्ट और इक्विटी के मध्य इस तरह से आवंटित कर दिया जाता है जिससे कम से कम गारंटेड एनएवी जो कि १० रुपये होती है वह १० वर्षों के बाद मिल सके। अगले वर्षों में अगर शेयर बाजार गिरने लगता है तो आपके निवेशित रकम का भाग डेब्ट में निवेशित कर दिया जाता है, जिससे निवेशित रकम उतनी ही बनी रहे और जब शेयर बाजार वापस से अच्छी स्थिती की ओर आने लगते हैं तो आप हमेशा देखते होंगे कि एनएवी बढ़ने लगती है। तो अगर मान लिया जाये कि एक साल बाद एनएवी १७ रुपये है पर शेयर बाजार १५% नीचे आ चुका है । तो फ़ंड प्रबंधक अधिकतम रिटर्ने की सुरक्षा के लिये इक्विटी बेचकर बांड्स (डेब्ट) खरीद लेगा।
    अगर बाजार में कोई उतार-चढ़ाव ही नहीं है, तो इस तरह के उत्पादों में कुछ खास बदलाव नहीं होते हैं, क्योंकि एनएवी बहुत ही कम ऊपर या नीचे होती है। जब भी बाजार गिरते हैं तो आपका निवेशित रकम का हिस्सा डेब्ट में बड़ता जाता है और जब बाजार में वापिस उछाल आता है तो वापिस से इक्विटी में वह निवेश नहीं हो पाता है । ध्यान रखें कि पोर्टफ़ोलियों के डेब्ट के हिस्से में बांड में निवेशित होता है, जो कि निवेश के अधिकतम रिटर्न को निश्चित करता है। तो लंबी अवधि में आपके पोर्टफ़ोलियो में इक्विटी का हिस्सा बहुत कम और डेब्ट फ़ंड में ज्यादा होता जाता है।
अधिक लागत – 
    इन उत्पादों के गारंटेड रिटर्न ही इन्हें बाचाज में सबसे ज्यादा महँगा कर देता है।  एक बात और गारंटी रिटर्न के लिये कुछ शुल्क भी लगा दिये गये हैं जो कि अभी अभी प्रत्यारोपित किये गये हैं।
    आपको हर वर्ष गारंटी का शुल्क देना होगा, जो कि फ़ंड प्रबंधन फ़ीस से अलग होता है। आईसीआईसीआई पहले सात वर्षों के अधिकतम एनएवी की निवेश पर रिटर्न की गारंटी देता है और १.३५% फ़ंड प्रबंधन शुल्क के ऊपर ०.१०% शुल्क लेता है। क्या हुआ ? अरे आपके रिटर्न में से ३% कम हो गया – १५% रिटर्न का मतलब हुआ कि १२%, नहीं।
    यह योजनाएँ एक तरह से निवेश उत्पाद ही हैं केवल बीमा योजनाओं का तो छद्म भेष धरा हुआ है। प्रीमियम की अधिकतम पाँच गुना बीमित राशि होगी ( ५० हजार रुपये के प्रीमियम पर अधिकतम बीमित राशी होगी २.५० लाख रुपये) और इस तरह की अधिकतर योजनाएँ मात्र १० वर्ष तक की अवधि की ही रहती हैं। सेवानिवृत्ति तक बीमा आम आदमी के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है (शाहरुख खान और सचिन तेंदुलकर से भी ज्यादा, जिन्हें बीमा की ज्यादा सख्त जरुरत है)। तो १० वर्ष की अवधि के लिये केवल २.५० लाख की बीमित राशि के साथ मात्र एक निवेश उत्पाद है जो कि बीमा योजना के नाम पर बेचा जाता है।
    और इससे भी बदतर, गारंटी केवल परिपक्वता अवधि पर ही उपलब्ध है, जो कि १० वर्ष होती है। अगर बीमित की मृत्यु बीमा अवधि के दौरान हो जाती है, तो आपके नॉमिनी को प्रचलित मूल्य से फ़ंड राशि का भुगतान कर दिया जायेगा, अधिकतम एनएवी की गारंटी केवल तभी है जबकि बीमित व्यक्ति सम्पूर्ण बीमा अवधि तक जीवित रहे।
क्या इसे खरीदना चाहिये ?
    गारंटी वाले निवेश उत्पाद केवल उन निवेशकों के लिये होते हैं जो कि अपने मूलधन को जोखिम में नहीं डालना चाहते हैं, लेकिन इक्विटी में निवेश से डरते हैं और उससे ज्यदा रिटर्न की उम्मीद करते हैं। अगर आप सेन्सेक्स आधारित रिटर्न चाहते हैं वो भी बिना जोखिम के तो होश में आईये ऐसा कोई भी उत्पाद बाजार में उपलब्ध नहीं है।
    अगर आप इक्विटी में निवेश करने का जोखिम ले सकते हैं तो और १० साल तक निवेशित रख सकते हैं तो इंडेक्स फ़ंड्स में निवेश कीजिये जो कि सेन्सेक्स और निफ़्टी के अच्छे प्रदर्शन पर अच्छा लाभ देंगे।

ऐगॉन रेलीगेयर का आईटर्म प्लॉन देखिये – (AEGON Religare iTerm Plan) –

    समय बहुत तेजी से भाग रहा है। बहुत सारी चीजें करने के लिये हैं पर समय बहुत कम है। आप कुछ भी करो जिससे बस यह सुनिश्चित हो जाये कि आपके परिवार को हमेशा सारी सुख सुविधाएँ उपलब्ध हों। पर फ़िर भी कुछ चीजों के ऊपर किसी का भी बस नहीं है। तो आप बताईये क्या जिस सुख सुविधाओं में आपने अपने परिवार को रखा है, आपकी अनुपस्थिती में भी वे इस सबके हकदार है या नहीं ? यहाँ बात केवल आपकी आपके परिवार के फ़िक्र की है, जो कि आपके परिवार को एक बेहतरीन जीवन देने के लिये निश्चिंतता दे।

    ऐगॉन रेलीगेयर का आईटर्म प्लॉन देखिये – (AEGON Religare iTerm Plan) –

    यह सावधि बीमा योजना आपको आपके परिवार के लिये भविष्य की निश्चिंतता देता है वह भी बहुत ही कम प्रीमियम में। यह बीमा सीधे बीमाधारक को उपलब्ध है ऑनलाईन, इसके लिये आपको किसी बीमा एजेन्ट को बुलाने की जरुरत नहीं है। यह योजना लेना केवल आसान ही नहीं है बल्कि आप अपने संगणक पर ही सारी प्रक्रियाएँ आसानी से पूरी कर सकते हैं।

ऐगॉन रेलीगेयर का आईटर्म प्लॉन के लिये कैसे आवेदन करें – (How to Apply AEGON Religare iTerm Plan) –

१. बीमा की रकम चुनिये, जिस रकम से आप अपने को बीमित करना चाहते हैं।
२. कितनी अवधि के लिये यह योजना लेना चाहते हैं।
३. सीधा संपर्क करें –
अ. अंतर्जाल से, buyonline.aegonreligare.com
ब. ग्राहक सेवा केन्द्र को फ़ोन कर सकते हैं 1800 209 9090
सुविधाएँ –

मृत्यु – दुर्भाग्यवश मृत्यु होने पर, बीमित राशि नामित व्यक्ति को भुगतान कर दिया जायेगा।

कर लाभ –  आयकर की  धारा ८० सी, १० (१०डी) के अंतर्गत, पहले आप अपने कर सलाहकार से जरुर सलाह ले लें।

पात्रता –
बीमित राशि
(
१००० रुपये के गुणज में)
कम से कम – १०,००,००० रुपये
अधिकतम – कोई सीमा नहीं (जोखिम अंकन जरुरतों के अधीन)
प्रवेश उम्र
कम से कम – १८ वर्ष*
अधिकतम – ६० वर्ष
परिपक्वता उम्र
अधिकतम – ६५ वर्ष
योजना अवधि
कम से कम – ५ वर्ष
अधिकतम – २५ वर्ष
प्रीमियम अदा करने की अवधि
योजना अवधि के बराबर
प्रीमियम अदा करने की आवृत्ति
वार्षिक
* अगर योजना अवधि १० वर्ष से कम है तो, कम से कम प्रवेश की उम्र ३० वर्ष होनी चाहिये।

अन्य विशेषताएँ –

पैसा वापसी – अगर, आप आईटर्म योजना से संतुष्ट नहीं हैं तो आप अपने बीमा को बीमा के कागज प्राप्त होने के १५ दिन के अंदर रद्द कर सकते हैं। रद्दीकरण की स्थिती में आपको आपकी प्रीमियम की राशि वापिस मिल जायेगी, परंतु उसमें स्टाम्प ड्यूटी की कीमत, चिकित्सा जाँच और उक्त अवधि का आनुपातिक प्रीमियम काट लिया जाता है।

नियम एवं शर्तें –

मोहलत – आप अपनी प्रीमियम देय तिथी से ३० दिन तक जमा कर सकते हैं। अगर देय तिथी तक प्रीमियम राशि अदा नहीं की जाती है तो बीमित राशि की सुरक्षा अपने आप खत्म हो जाती है।

मृत्यु – मृत्यु लाभ, अगर मोहलत अवधि में बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो बीमित राशि में से देय प्रीमियम राशि को घटा कर दावा भुगतान कर दिया जायेगा।

चूक और बहाली – अगर ३० दिन की मोहलत अवधि में प्रीमियम राशि जमा नहीं की जाती है तो योजना अपने आप लेप्स हो जायेगी। अगर लगातार दो वर्षों तक प्रीमियम राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो बीमा खत्म कर दिया जाता है। बहाली के लिये, सभी बाकी के प्रीमियम बिना ब्याज के देय होंगी।

परिपक्वता  (Maturity / Surrender) – परिपक्वता अवधि पर पॉलिसी पर कोई भुगतान नहीं दिया जाता है।

सेवा कर – सेवा कर या कोई और कर अगर देय होगा तो जो भी कर होगा वह प्रीमियम पर देना होगा।

छूट – अगर बीमा लेने की अवधि के प्रथम वर्ष में या बीमा बहाली के प्रथम वर्ष में आत्महत्या से मृत्यु होती है तो कोई भी मृत्यु लाभ नहीं दिया जायेगा।

होली के रंगबिरंगे त्यौहार पर परिवार को और अपने आप को दें आर्थिक सुरक्षा [स्वास्थ्य बीमा का महत्व] …[Importance of Mediclaim in your life….]

   आप सोच रहे होंगे कि सुबह सुबह भांग खाकर फ़िर शुरु हो गया, परिवार की आर्थिक सुरक्षा पर हाँ इसे जरा सोचिये, देखिये और फ़िर अमल कीजिये।
   मैंने कोई भांग नहीं चढ़ाई है पर आपकी जिंदगी के रंग में भंग न पड़ जाये इसलिये बिना भांग छाने आज बता रहा हूँ, आप अपनी और परिवार की आर्थिक सुरक्षा कैसे करें।
    बड़ी बड़ी बीमारियों के नाम तो सुने ही होंगे, आप भी बोलेंगे कि त्यौहार के दिन क्या सुबह सुबह बड़ी बड़ी बीमारियों के नाम गिनाने में लगे हैं पर क्या करें जब बात स्वास्थ्य की हो तो कोई समझौता नहीं। मान लीजिये कि छोटा सा ह्रदयाघात हो गया तो क्या होगा, अगर आपके पास स्वास्थ्य बीमा याने कि मेडिक्लेम नहीं है। परिवार में किसी के साथ कुछ हो गया तो ? विपत्ति कभी निमंत्रण देकर नहीं आती है, इसलिये विपत्ति का ध्यान अच्छॆ समय में ही कर लेना चाहिये।
    अब सोचिये एक परिवार जो हँस खेल रहा है और अचानक परिवार के एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति को ह्रदयाघात आ गया, अब …. अब क्या होगा…. सोचिये अगर ये परिस्थितियाँ आपके साथ आ गईं तब क्या होगा, पहले तो अपने परिवार की चिंता कि क्या होगा, पता नहीं ठीक होने में कितने दिन लगेंगे, डॉक्टर और अस्पताल का कितना खर्चा होगा, वैसे भी आजकल के अस्पताल बहुत महँगे हो चुके हैं, और हर परिवार अपने सदस्य का अच्छे से अच्छे अस्पताल में और अच्छॆ से अच्छा इलाज करवाना चाहता है, जिससे परिवार में वापिस खुशियाँ लौट आयें। हाँ तो सोच लिया होगा अब तक तो कि कितना प्रभाव होगा आपके परिवार पर, नहीं दिमाग चलना बंद हो गया तो चलिये हम देखते हैं कि क्या हो सकता है…
    आम आदमी के हिसाब से यह विश्लेषण कर रहा हूँ, वैसे भी आजकल बीमारी की कोई उम्र नहीं होती है ।
सेविंग अकाऊँट में हैं ३०-३५ हजार रुपये
फ़िक्स्ड डिपोजिट – ४-५ लाख (भविष्य की बचत)
म्यूचयल फ़ंड – १-२ लाख (भविष्य की बचत)
अब छोटे से ह्रदयाघात पर होने वाला खर्चा देखें जो कि एक ठीक से अस्पताल में है –
५ दिन ICCU में – १ लाख से १.५० लाख
दवाईयाँ  – २०-३० हजार
३०-३५ दिन आराम – सैलेरी का नुक्सान लगभग ५० हजार रुपये
फ़िर डॉक्टर की फ़ीस और दवाईयाँ – २०-३० हजार रुपये 
तो ये हो गया लगभग २.५० लाख रुपये ओह घबरा गये तो ठीक है अगर नहीं घबराये मतलब कि आपके पास स्वास्थ्य बीमा (मेडिक्लेम) है।
    जी हाँ आपकी भविष्य की बचत में से सीधे २.५० लाख रुपये का खर्चा पर अगर आप मेडिक्लेम करवाते तो क्या यह आपकी बचत, बचत नहीं रहती। सोचिये आपके भचिष्य की योजनाओं पर जो आपने इसी बचत के भरोसे सोची थीं। क्या होगा…….?
    पर सोचिये अगर हर साल थोड़े से पैसे खर्च कर मेडिक्लेम करवा लिया होता तो आपके साथ साथ आपकी बचत का भी बीमा हो रहा है। अरे क्या सोच रहे हैं फ़िर वही थोड़े से रुपये के बारे में सोचने लगे।
अच्छा चलो अब मैं आपको बताता हूँ कि मेडिक्लेम परिवार के लिये कैसे मदद करता है –
    पारिवारिक बीमा लें तो हरेक सदस्य ज्यादा बीमित राशि से सुरक्षित होगा और आप चिंता मुक्त, जैसे कि ६ लाख का पारिवारिक बीमा जिसमें ३५ वर्ष का पारिवारिक मुखिया, ३४ वर्ष की पत्नी और एक ५ वर्ष का छोटा बच्चा बीमित हैं, यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेन्स कंपनी की मेडिक्लेम में इसका प्रीमियम है प्रतिवर्ष लगभग ९४३१ रुपये और वर्ष भर स्वास्थय पर होने वाले बड़े खर्चों की चिंता से मुक्ति। अगर ६ लाख कम लगता है कि आजकल अस्पताल बहुत महँगे हो गये हैं तो एक बीमा टॉप अप ले सकते हैं, जैसे कि ५.५ लाख का लगभग ४१३१ रुपये का है तो लगभग १३००० रुपये में आपके परिवार को सुरक्षा मिल गई ११.५० लाख के स्वास्थय बीमा की, जो कि परिवार की सुरक्षा तो है ही साथ ही आपकी बचत की भी सुरक्षा है जिसके लिये आपने निवेश किया है।
तो सोच क्या रहे है चिंता करना शुरु कीजिये अपने परिवार की और अपनी भविष्य की बचत की।
शुरुआत कभी भी की जाये हमेशा अच्छी होती है, और शुरुआत कभी देर से नहीं होती है। बस शुरुआत होनी चाहिये।
सोचिये और आज ही अपने बीमा एजेन्ट से कोई अच्छा से स्वास्थ्य बीमा योजना लें, परिवार में खुशियाँ लायें और हमेशा खुशियाँ रहें आपके जीवन में रंगों के त्यौहार होली की शुभकामनाएँ। 

जीवन बीमा को समझिये – कुछ सवाल खुद से पूछिये और खुद को जबाब दीजिये… (Simple questions for yourself on Life Insurance..)

    एलआईसी की एन्डोमेन्ट योजना और यहाँ तक की सारी योजनाएँ सचमुच बहुत अच्छी हैं ? और क्या वह सब कुछ आप पा रहे हैं जो आपको एक बीमा के रुप में किसी भी बीमा कंपनी से मिलना चाहिये ?

    सवाल है कि एलआईसी योजनाएँ जैसे कि जीवन आनंद जो कि जीवन का जोखिम प्रदान करती हैं जिंदगी भर और परिपक्वता के बाद एकमुश्त भुगतान मिलता है वह भी करमुक्त । क्या यह अच्छी योजना नहीं है ?

    क्या इस जीवन बीमा योजना को बीच में ही खत्म कर देना चाहिये और इसकी जगह सावधि जीवन बीमा योजना (Term Insurance) ले लेना चाहिये क्या यह समझदारी भरा निर्णय होगा ?

    इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि बीमा योजना का नाम क्या है, जीवन आनंद, जीवन मित्र, जीवन सुरभि, जीवन श्री, जीवन निधि, जीवन अमृत, जीवन साथी, जीवन तरंग, जीवन भारती या जीवन वर्षा। ये सब पारंपरिक जीवन बीमा योजनाएँ हैं, (चाहे वह एन्डोमेन्ट, मनीबैक, पूरी जिंदगी के लिये या इन सबको मिलाकर कोई ओर) ये सब सबसे खराब तरह की बीमा योजनाएँ हैं । जिनसे समाज और व्यक्ति को आर्थिक नुकसान ही हो रहा है।

फ़िर भी, इन प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करें –

१. बीमा और निवेश में क्या अंतर है ?

२. जीवन बीमा का एकमात्र उद्देश्य क्या है ?

३.क्या आपको अपने बुढ़ापे के लिये वाकई बीमे की आवश्यकता है ?

४. आपके जीवन बीमा की राशि आपकी आमदनी और आपके रहन सहन के अनुरुप है ? जीवन बीमा की राशि आपके परिवार की जरुरतें पूरा करने में समर्थ है ?

५. अगर आपको दुर्भाग्य से कुछ हो गया तो ? तो क्या ये तथाकथित भ्रमपूर्ण जीवन बीमा योजनाएँ निकट भविष्य में आपके परिवार की वित्तीय जरुरतों को पूर्ण करने में सक्षम होंगी ? जो दावा भुगतान राशि इन योजनाओं से मिलेगी क्या वह आपके परिवार के लिये काफ़ी होगी ?

६. वार्षिक प्रीमियम जो कि आप बीमित राशि पर भरते हैं कितना अनुपात में भरते हैं ? क्या आपने कभी सोचा है कि आप जितनी राशि अपने इन एलआईसी की बीमा के लिये भरते हैं, उससे आपको कितनी सुरक्षा मिल रही है, अगर आप निकट भविष्य में प्रीमियम भरने में असमर्थ होंगे तो फ़िर क्या होगा ? सोचा है कभी ?

७. क्या आपने कभी खुद बैठकर गणना की है कि किस दर से हमें बीमा कंपनी परिपक्वता पर पैसा देने वाली है ?

    मुझे उम्मीद है कि जब तक आप इन सवालों के उत्तर देंगे, तब तक आप अच्छी तरह से जीवन बीमा को समझ चुके होंगे और यह भी जान चुके होंगे कि जीवन बीमा कितना जरुरी है और क्यों जरुरी है ?

    इसके अलावा, कंपनियों के स्लोगन “कर मुक्त वापसी”, मैं आपको एक और आश्चर्यजनक बात बताता हूँ – कि वास्तव में कर रियायत की वास्तविक लाभ बीमा कंपनियाँ उठाती हैं, बीमित व्यक्ति नहीं। यह कर के रुप में दिये जाने वाले प्रोत्साहन का सरासर मजाक है। लेकिन मैं जानता हूँ कि आपको यह समझ में नहीं आयेगा क्योंकि हम केवल वही सुनते हैं, जो हम सुनना चाहते हैं। जिस तरह से हम सोचते हैं, वह बीमा कंपनियों का काम और आसान कर देता है।

    मेरे पास कोई बीमा एजेन्ट आता है तो अपने सिर पर पैर रखकर वापिस भाग जाता है या फ़िर बोलता है कि कृपया हमें बीमा के बारे में और जानकारी दीजिये।  कोई बड़ी बात नहीं है आप भी इन बीमा एजेन्टों की खटिया खड़ी कर सकते हैं अगर सही बीमा उत्पाद के बारे में पता होगा तो ।

    क्या हुआ उलझ गये ? कुछ उलझन हो तो जरुर बताईये टिप्पणी करके और समझ गये तो सहमति दीजिये टिप्पणी करके।

सावधि जीवन बीमा योजना – जीवन बीमा के बारे में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले तथ्य (Some Amazing Truths about Term Insurance..)

    यह बात बिल्कुल सही कही गई है कि आज कल की दुनिया में सामान्यबोध, बिल्कुल असामान्य हो चुका है। जी हाँ आज की दुनिया का यह एक कड़वा सच है। खैर इस पोस्ट में जीवन बीमा सावधि योजनाओं को मैं अच्छा साबित करने की कोशिश कर रहा हूँ।

    यहाँ दस बुनियादी सवालों की एक सूची में दे रहा हूँ, जो कि आपको जीवन बीमा में निवेश करते समय या खरीदते समय आपको इसके ऊपर सोचना चाहिये –

१. जीवन बीमा का सबसे सरल तरीका क्या है ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

२. जीवन बीमा लेने का सबसे सस्ता तरीका क्या है?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना 

३. जीवन बीमा का सबसे बुनियादी और विशुद्ध रुप क्या है ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना 

४. जीवन बीमा का सबसे अच्छा तरीका क्या है ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

५. कौन से जीवन बीमा योजना तुलना करने के लिये सबसे सरल हैं ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

६. जीवन बीमा योजना लेने का सबसे अच्छा तरीका क्या है जिसे आप आर्थिक रुप से वहन कर सकें ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

७. जीवन बीमा की कौन सी योजनाओं के बारे में आपका बीमा एजेन्ट या बीमा सलाहकार चर्चा करने को ही तैयार नहीं होता है, या आपको खरीदने के लिये हतोत्साहित करता है?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

८. कौन सी बीमा योजना की बिक्री सबसे कम होती है ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

९. कौन सा बीमा योजना है जो आप आसानी से समाप्त कर सकते हैं?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

१०. कौन सा सबसे अच्छा उपहार है जो आप अपने परिवार को दे सकते हैं ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना 

    क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है? जीवन बीमा  का सबसे अच्छा तईका होने के बाबजूद, सावधि जीवन बीमा  की बिक्री बहुत कम है। जबकि सावधि जीवन बीमा योजनाएँ, जीवन बीमा  करवाने का सबसे असरकारी, प्रभावी तरीका है, पर केवल कुछ ही लोग इसके बारे में जानते हैं।

    खैर, आपको कौन सा जीवन बीमा चुनना चाहिये ? आपको खुद ही तय करना है !

    अरे भाई !! अब किसका इंतजार करे रहे हो ? अभी फ़ोन उठाओ और अपने बीमा सलाहकार को बुलाओ और सावधि जीवन बीमा योजना खरीदने के लिये पूछो, कि कितने का है और कम से कम ४-५ विभिन्न बीमा कंपनियों के सावधि बीमा योजनाओं में तुलना कर लें इसके लिये आपको थोड़ी ओर मेहनत करनी होगी कि इन ४-५ बीमा कंपनियों के बीमा कितने के हैं, वो भी पता करना होगा तुलना करकर सबसे अच्छी और सस्ती योजना खरीद लीजिये। देर मत कीजिये, मैं सही कह रहा हूँ आप कभी भी अपने इस निर्णय के लिये नहीं पछताओगे।

    लेकिन इसे खरीदने के पहले, मैं आपको इस सावधि जीवन बीमा योजना  के बारे में यह बात बता दूँ कि जब यह बीमा खत्म होगा तो आपको कुछ भी मिलने वाला नहीं है। यह तथ्य ज्यादातर लोगों को पचने वाला नहीं है क्योंकि सबको अपने पैसे से बहुत ज्यादा प्यार होता है और इसी का फ़ायदा ये बीमा एजेन्ट उठाते हैं, इसी के फ़लस्वरुप जीवन बीमा के सही उद्देश्य से लोग भटक जाते हैं, और ये बीमा एजेन्ट लोगों को जीवन बीमा के सबसे मुख्य उद्देश्य से भटकाते हैं।

    अच्छा एक बात मुझे बताईये, जब आप अपने वाहन का बीमा करवाते हैं तो क्या उस रकम की वापसी की कोई उम्मीद करते हैं ? नहीं, इसी तरह यह विशुद्ध तरीका है जीवन बीमा का। अब तो इस तथ्य को समझिये कि जीवन बीमा का विशुद्ध रुप सावधि जीवन बीमा योजना (Term Life Insurance) है, और यह सुरक्षा देने के लिये सबसे महत्वपूर्ण उत्पाद है। परिवार को सुरक्षित रखने के लिये, अपने परिवार को विजेता बनाने के लिये, दुख से बचाने के लिये यह सावधि जीवन बीमा योजना  आपके पास होना ही चाहिये। मुझे उम्मीद है कि मैं सही तरीके से अपनी बात रख पा रहा हूँ, अगर समझ गये हैं तब भी और नहीं समझे हैं और भी कुछ प्रश्न हैं तो टिप्पणी करें।

सावधि (टर्म) जीवन बीमा योजनाओं के बारे में : कुछ तथ्य जिनके बारे में कम लोग जानते हैं.. (Something about Term Insurance…)

    मैंने अपनी पहली की पोस्टों में टर्म इंश्योरेन्स के बारे में बताया है, और उसमें सावधि जीवन बीमा योजना लेने की ही सलाह दी है ।

   उसी को जारे रखते हुए, इस पोस्ट में कुछ और चीजों को बता रहा हूँ जिसके बारे में निवेशकों और बीमाधारकों को कम जानकारी है, जिससे आप अपने जीवन में बीमा कौन सा लेना चाहिये और वह कितना महत्वपूर्ण है, इसका निर्णय अच्छे से ले पायेंगे।

सावधि (टर्म) जीवन बीमा योजनाओं के बारे में : कुछ तथ्य जिनके बारे में कम लोग जानते हैं

१. सावधि (टर्म) जीवन बीमा योजनाओं को जीवन बीमित करने का सबसे अच्छा साधन क्यों माना जाता है ?

    सावधि बीमा योजना को आपके परिवार की सुरक्षा के लिये बनाया गया है। यह जीवन बीमा का सबसे अच्छा तरीका है, क्योंकि इस जीवन बीमा का केवल और केवल एक ही उद्देश्य है आपके परिवार की वित्तीय सुरक्षा को सुनिश्चित करना, अगर दुर्भाग्य से कुछ हो जाता है तो। मौत के साथ ही परिवार का एक कमाने वाला सदस्य चला जाता है, जो कि घर चलाने के लिये आय करता था, अब घर चलाने के लिये आय तो नहीं आने वाली है, इस योजना से प्राप्त धन से आपका परिवार आपकी अनुपस्थिती में सम्मान के साथ अपना जीवन उसी रहन सहन के स्तर पर व्यतीत कर सकता है।

    जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूँ, कि टर्म बीमा योजनाओं से उच्च बीमा कवरेज ले सकते हैं वो भी बहुत ही कम कीमतों पर। यह एक बहुत ही आश्चर्यजनक तथ्य है, परंतु इस पर कोई ध्यान नहीं देता है।

२. शुद्ध जोखिम बीमा योजनाओं को टर्म बीमा क्यों कहा जाता है ?

    बहुत ही दिलचस्प सवाल है, इस तरह की योजनाओं को सावधि बीमा योजना कहा जाता है क्योंकि ये एक “निश्चित / निर्धारित अवधि” के लिये होता है। परंतु यह योजनाएँ पूरी जिंदगी के लिये क्यों नहीं होती हैं ? क्योंकि बीमा का उद्देश्य है कि बीमाधारक की मृत्यु की स्थिति में परिवार को सुरक्षा देना। लेकिन जैसा कि आप सब जानते हैं कि इस दुनिया में दो ही चीजें निश्चित हैं, “मृत्यु और टैक्स”। तो सावधि जीवन बीमा शुद्ध जीवन बीमा है जो कि पूरी जिंदगी के लिये उपलब्ध है। जब तक कि आपको इसकी जरुरत है। एक निश्चित समय के बाद तो आपके पास इतना धन हो ही जाता है कि दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में भी आपका परिवार अपना जीवन व्यतीत कर सकता है।

३. बीमा कंपनियों के एजेंट सावधि बीमा योजनाओं को बेचने में संकोच क्यों करते हैं ?

    एक और अच्छा सवाल, नहीं! जीवन बीमा कंपनियाँ दूसरे व्यापारों की तरह तेजी से पैसा बनाना चाहती हैं। उनका स्वार्थ (जो कि पैसा बनाना है) ग्राहकों के हित के पहले आता है। अब जैसे कि यूलिप योजनाएँ जो कि एक ऐसा उत्पाद है जिसमें निवेश ज्यादा और जोखिम कम कवर किया जाता है, जिससे बीमा कंपनियों को ज्यादा मुनाफ़ा होता है, सावधि (टर्म) बीमा के बनिस्बत, ये उत्पाद (यूलिप) सामने दिखाते हैं कि निवेश से पैसा भी बनाओ और बीमित भी हो जाओ, और जोर शोर से विज्ञापनबाजी करते हैं। दूसरी ओर, सावधि बीमा योजना को निवेशक से छिपाकर रखते हैं, कि कहीं निवेशक की नजर इन शुद्ध बीमा योजनाओं पर न पड़ जाये, जिसमें आम आदमी का हित भी है।

    इसी प्रकार, बीमा एजेंट का आदर्श होता है पैसा बनाना (ग्राहक जाये भाड़ में, उसे क्या फ़र्क पड़ता है)। उसे तो ज्यादा कमीशन मिलता है ऐसे उत्पादों से जो कि निवेश ज्यादा बीमा कम (यूलिप) प्रकृति के होते हैं, जबकि सावधि बीमा योजना में उसे बहुत कम कमीशन मिलता है।

४.  लेकिन क्या वाकई लोग समझदार नहीं हैं, जानते नहीं हैं, कि उनके लिये कौन सी बीमा योजना सबसे उपयुक्त है ?

    असल में, यह युग है हाई फ़ाई विज्ञापनबाजी का, जीवन बीमा कंपनियाँ अपने उच्च बिक्री विज्ञापनों में दिखाकर लोगों को आसानी से विचलित कर देती हैं, और अपने नरक तुल्य उत्पादों को आसानी से बेच लेते हैं।

    इसके अलावा, ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि जीवन बीमा उत्पाद केवल कर बचत और निवेश के लिये होते हैं, जो कि बीमा कंपनियों का काम बहुत ही आसान कर देता है। मुझे समझ में नहीं आता कि सरकार लोगों को जीवन बीमा में पैसे निवेश करने की छूट आयकर में देकर प्रोत्साहित क्यों करती है, इसकी संभावित वजह केवल एक ही हो सकती है, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के हितों की रक्षा, जो कि भारत सरकार का बनाया गया संस्थान है।

    एक और कारण यह भी है कि हम भारतियों की गहरी धारणा है कि हमें परिपक्वता पर कुछ न कुछ वापस प्राप्त होना चाहिये। और इससे ऊपर, कोई भी आसामयिक मौत के बारे में सोचना ही नहीं चाहता है, और उसके लिये कोई योजना भी नहीं बनाना चाहता है। साधारणतया बोलकर निकल जाते हैं “मौत आये मेरे दुश्मनों को” ।

    यद्यपि जीवन बीमा वास्तव में “मृत्युपर्यन्त लाभ” के लिये होता है परंतु लोग इसे खरीदते हैं “जीवनपर्यन्त लाभ” के लिये।

    मैंने यह पोस्ट जीवन बीमा उद्योग द्वारा अपने वित्तीय स्वास्थ्य को बेहतर करने के प्रयासों के विरुद्ध लिखी है, ये कंपनियाँ बिल्कुल उसी तरह से लोगों को नुक्सान पहुँचा रही हैं जैसे कि पैकेजिंग फ़ूड उद्योग हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को पहुँचा रहे हैं।

    मुझे उम्मीद है कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप में से कुछ लोग बुद्धिमानी से शुद्ध जीवन बीमा खरीदेंगे, निवेश वाले उत्पाद नहीं। पोस्ट पढ़ने के बाद शायद लोगों को जीवन बीमा का उद्देश्य समझ में आ जायेगा और शुद्ध जीवन बीमा खरीदेंगे।

    आगे आने वाली पोस्टों में आप और सावधि बीमा योजनाओं के बारे में और जानेंगे। तब भी अगर आप सावधि जीवन बीमा योजना के महत्व को नहीं समझ रहे हैं और इसे अपनी व्यक्तिगत वित्तीय योजना के भाग के रुप में शामिल नहीं कर रहे हैं, और अगर करने वाले हैं तब भी टिप्पणी कर बतायें।

आयकर की धारा ८० सी के तहत मिलने वाली छूट कौन से वित्तीय उत्पादों से मिलती है – एक सम्पूर्ण जानकारी (A Complete guide for Income Tax instruments covered under section 80 C)

    धारा ८० सी, एक आम आदमी जिसे आयकर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है वह भी इसके बारे में जानता है| आयकर अधिनियम ८० सी के तहत सरकार कुछ वित्तीय उत्पादों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है| इन वित्तीय उत्पादों में निवेश करने पर १ लाख रुपये तक की छूट ८० सी के अंतर्गत ले सकते हैं, यदि आपकी वार्षिक आय ५ लाख से अधिक है तो आप १ लाख रुपये का निवेश ८० सी में करने के बाद ३३ हजार रुपये का टेक्स बचा सकते हैं| चिंता का विषय यह है की कितने लोग यह जानते हैं कि ८० सी धारा के अंतर्गत कौन से वित्तीय उत्पाद आते हैं | लोग केवल यूलिप के बारे में जानते हैं; वह इसलिए क्योंकि बीमा कंपनियाँ अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए व्यापक रूप से अभियान चला रही हैं जिससे उनकी बिक्री में वृद्धि हो| लेकिन केवल यूलिप ही एक वित्तीय उत्पाद नहीं है जो कि ८० सी के अंतर्गत छूट दिलवाता है|  इस आलेख में सभी वित्तीय उत्पादों के बारे में जानकारी आप पायेंगे जो धारा ८० सी के अंतर्गत आते हैं –
    आमतौर पर लोग ८० सी के अंतर्गत निवेश के लिए फरवरी या मार्च में ही सोचते हैं क्योंकि उन्हें केवल टेक्स बचाने की चिंता होती है, वे कभी भी उस निवेश की उत्पादकता के बारे में नहीं सोचते हैं | इस स्थिती में आप अपने देय टेक्स से ज्यादा धन को गँवा सकते हैं|


    उदाहरण के लिए : कुमार की वार्षिक आय ३,००,००० रुपये है और कुल कर देयता आयकर के लिए १४,००० रुपये है | १ लाख रुपये का निवेश जो कि ८० सी के अंतर्गत वित्तीय उत्पाद में किया जिससे कुमार का १०,००० रुपये आयकर बचता है | लेकिन गलत वित्तीय उत्पाद में निवेश करने पर उसे २०,००० रुपये तक का नुक्सान भी हो सकता है| 
जब आप किसी वित्तीय उत्पाद को निवेश के लिए चुनते हैं, उसके लिए आपको बहुत सावधानी बरतना चाहिये, आप प्रभावी निवेश केवल तभी कर सकते हैं जब आपको पता हो कि निवेश कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि उसका उद्देश्य क्या है, उम्र कितनी है, कितना जोखिम ले सकते हैं, आर्थिक स्थिति कैसी है इत्यादि |
    निवेश जो धारा ८० सी के अंतर्गत आते हैं उनकी सूची नीचे दी जा रही है, ये वित्तीय उत्पाद आपकी आवश्यकता अनुसार आपको उत्पाद चुनने में आपकी मदद करेगा –
  • जीवन बीमा योजनाएँ
  • यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाएँ (यूलिप)
  • इक्विटी लिंक्ड बचत योजनाएँ (इएल एस एस)
  • सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ)
  • भविष्य निधि (कर्मचारी का अंशदान) 
  • राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (एन एस सी)
  • पंचवर्षीय जमा खाता (फिक्स्ड डिपोजिट)
  • गृह ऋण वापसी (मूलधन)
  • स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क
  • शिक्षण शुल्क भुगतान
  • डाकघर सावधि जमा खाता
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड
  • वरिष्ठ नागरिक बचत योजना
जीवन बीमा योजनाएँ – 
    जीवन बीमा जीवन में बहुत महत्त्व रखता है और यह जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू भी है, यह जीवन की अनिश्चितताओं को कवर करता है | हरेक व्यक्ति जो की कमाता है और उसके ऊपर परिवार आश्रित हो तो आश्रितों के लिए पर्याप्त जीवन बीमा होना चाहिये | किसी भी जीवन बीमा योजना प्रीमियम के निवेश को आयकर की धारा ८० सी के तहत छुट मिलती है | यदि बीमा आप अपने लिए या अपनी पत्नी के लिए या अपने बच्चे के लिए करवाते हैं तब भी आयकर की धारा ८० सी के तहत आपको उस प्रीमियम की छूट मिलती है| अगर पति पत्नी दोनों ही नौकरीपेशा हैं और अगर पत्नी की आय आयकर योग्य नहीं है तो पति दोनों बीमा प्रीमियम पर छूट ले सकता है, ऐसा उल्टा भी हो सकता है | 
यूलिप – 
    यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाओं (यूलिप) में जीवन बीमा और म्यूचुअल फंड में निवेश संयोजित होता है| यूलिप में निवेशित रकम धारा ८० सी के तहत कटौती के लिए पात्र हैं| यूलिप आपको जीवन के जोखिम का कवर देता साथ ही शेयर बाजार में आपकी रकम निवेश करता है| 

ईएलएसएस – 
    इक्विटी लिंक्ड बचत योजना (ईएलएसएस), खास तौर पर ऐसे म्युचुअल फंड तैयार किये गए हैं जो कर बचत की पेशकश करते हैं | ईएलएसएस में किया गया निवेश धारा ८० सी के तहत छूट के हकदार हैं| याद रखे है कि सभी म्युचुअल फंड निवेश ८० सी के तहत छूट के हकदार नहीं होते हैं| सभी ईएलएसएस निवेश 3 वर्ष की अवधि में आप निकाल नहीं सकते हैं |  ईएलएसएस कर बचाने वाले  म्युचुअल फंड रूप में जाना जाता है| 
भविष्य निधि (पीएफ) – 
    भविष्य निधि नियोक्ता द्वारा काटी गयी वह राशि है जो कि आपके भविष्य निधि कोष में जमा होती है और उतना ही योगदान नियोक्ता द्वारा किया जाता है | पीएफ वेतन के प्रतिशत के रूप में गणना करके काटा जाता है,  जैसे कि 12% और ब्याज के साथ सेवानिवृत्ति पर उसे लौटा दिया जाता है| 
सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ)– 
    आप सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) खाता खोल सकते हैं और  आप पीपीएफ खाते में ७०,००० रुपये तक की राशि का निवेश धारा ८० सी के तहत कर सकते हैं| ५०० रुपये के न्यूनतम निवेश के साथ पीपीएफ खाते आप बैंकों में या पोस्ट ऑफिस में खोल सकते हैं| 
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) – 
    जितनी भी राशि आप नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) में निवेश करते हैं उस राशि पर  धारा ८० सी के तहत छूट मिलेगी| नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में किए गए निवेश 6 वर्ष की अवधि के लिए निकाल नहीं सकते हैं|  इस योजना के प्रारंभिक निवेशों से कुल अर्जित ब्याज पर भी छूट ले सकते हैं| 
सावधि जमा –
    सावधि जमा में जमा की गई  राशि अगर ५ वर्ष के लिए आयकर स्कीम में बैंक में रखी जाती है तो वह राशि धारा ८० सी के तहत कर में छूट के लिए पात्र है| यह एक ताजा संशोधन है जिसमे आपकी राशि सुरक्षित भी रहती है और आपको धारा ८० सी के तहत लाभ भी मिलता है | 
गृह ऋण चुकौती (मूलधन) – 
    गृह ऋण की मूलधन चुकौती धारा ८० सी के तहत छूट के लिए पात्र है| यदि आपने एक नया घर खरीदा है और उस के लिए आवास ऋण लिया है, तो आप धारा ८० सी में उसका लाभ ले सकते हैं | यहाँ पर ध्यान देने वाली बात है कि आवास ऋण की सामान मासिक किश्त (EMI) में दो घटक होते हैं – “मूलधन” और “ब्याज”| आपको केवल मूलधन वाले हिस्से की राशि की ही धारा ८० सी के तहत छूट मिलेगी| ब्याज वाला हिस्सा भी आयकर की छूट के लिए पात्र है पर ८० सी के तहत नहीं, वह है धारा २४ के तहत| 
स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क – 
    स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क जब नया घर खरीदते समय देते हैं उस राशि का धारा ८० सी के तहत लाभ मिलता है | 
शिक्षण शुल्क – 
    एक या दो बच्चों की शिक्षा के लिए शिक्षण फीस के रूप में भुगतान राशि आयकर से मुक्त होती है और आप धारा ८० सी के तहत इसका लाभ ले सकते हैं | 
डाकघर सावधि जमा खाता – 
   डाकघर सावधि जमा खाता विभाग द्वारा बैंकिंग की पेशकश है जो की बैंक सावधि जमा के समान सेवा है|  आप किसी भी पोस्ट ऑफिस में अपना खाता खुलवा सकते हैं| डाकघर सावधि जमा खाते पर मिलने वाला ब्याज कर से मुक्त होता है| 
इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड – 
   इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड इन्फ्रा बांड के नाम से लोकप्रिय हैं | यह इंफ़्रास्ट्रक्चर कम्पनियों द्वारा जारी किये जाते हैं, इसे सरकार जारी नहीं करती है | जितनी भी राशि है आप इन बांडों में निवेश करते हैं, उतनी राशि पर धारा ८० सी के तहत कर से छूट ले सकते हैं | 
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना – 
    वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) भारत सरकार का उत्पाद है|  यह सबसे सुरक्षित निवेश विकल्पों में से एक है|  60 वर्ष से ज्यादा आयु वाले व्यक्ति इस खाते खोल सकते हैं| इस योजना के तहत 5 वर्ष के लिए निवेश निकला नहीं जा सकता है| जमाकर्ता यह जमा और 3 साल के लिए बढ़ा सकता है| इस योजना में जमाकर्ताओं को 9% ब्याज मिलता है| निवेश से अर्जित ब्याज कर से मुक्त नहीं है|