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मोटापा कम करना और कमजोरी – समझिये

मोटापा कम करना इतना आसान भी नहीं है, जब आप मोटापा कम करेंगे तो मोटापा जायेगा और कमजोरी आयेगी। इसीलिये बहुत सारे तत्वों का समावेश मोटापा घटाने के घरेलू उपाय में किया गया है। हर दिन आपको यह उपाय शायद बहुत ही कठिन लगे, परंतु धीरे धीरे आप पायेंगे कि आपकी आदत बन चुकी है, और आप हर दिन अपना वजन कम पायेंगे जो कि बहुत ही जल्दी आपको विश्वास दिलाता है कि हाँ आप अपने मोटापे को घटाने की और अग्रसर हैं।

मोटापा कम करना
मोटापा कम करना

मोटापा कम करना के पहले के भाग – (आगे पढ़ने से पहले यह जरूर पढ़ें) –

मोटापा कम कैसे किया जाये – मेरा अनुभव 20 किलो कम करने का Continue reading मोटापा कम करना और कमजोरी – समझिये

मोटापा घटाने का घरेलू उपाय – मोटापा कम कैसे किया जाये

    हमने अभी तक बात की कि मोटापा कैसे कम किया जाये, खाने का सही तरीका क्या हो और पानी कैसे पिया जाये। अब मैं आपको मोटापा घटाने का घरेलू उपाय के बारे में बताऊँगा, जिसका शायद सबको ही इंतजार है, इस पोस्ट के बाद इस डाईट क्या फायदे आपको होंगे और मेरे अपने अनुभव भी साझा करूँगा, जिससे आप सबको भी बहुत सी बातें पता चलेंगी और आपके लिये वे बातें मददगार साबित होंगी। इस डाईट को शुरू करने के 15 दिनों बाद ही आप अपने डॉक्टर से अपना अवश्य ही मिलें क्योंकि इस डाईट से आपका शरीर बिल्कुल प्राकृतिक तरीके से शुद्ध होने लगेगा और जो भी दवाईयाँ आप ले रहे हों खासकर कि कोलोस्ट्रॉल, उच्च रक्ताचाप और मधुमेह की तो शायद आपकी दवाईयों के डोज की मात्रा आपके डॉक्टर कम करें। Continue reading मोटापा घटाने का घरेलू उपाय – मोटापा कम कैसे किया जाये

मोटापा कम कैसे किया जाये – पानी कैसे पिया जाये

    मोटापा कम कैसे किया जाये पर हमने अभी तक बात की कि मोटापा कम करने के प्रचलित तरीके क्या हैं और खाना कैसे खाना चाहिये, अब हम बात करेंगे कि पानी कैसे पिया जाये या पेय पदार्थों का सेवन कैसे किया जाये। जैसे हमारी पाचन क्रिया में भोजन को बत्तीस बार चबाना बहुत ही महत्वपूर्ण है वैसे ही पानी कैसे पिया जाये भी बहुत ही महत्वपूर्ण है।

पानी कैसे पिया जाये
पानी कैसे पिया जाये

 

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मोटापा कम कैसे किया जाये – खाने का सही तरीका

वजन कम कैसे करें के लिये अगली मुख्य बात है खान पान के तरीके में बदलाव करना याने कि खाने का सही तरीका सीखना। जब हम सही तरीके से खाना खायेंगे या पेय पदार्थ पियेंगे तभी शरीर को ज्यादा फायदा होगा। मैं यहाँ पर कोई बहुत ही ज्यादा आधुनिक बातों को आपसे साझा नहीं करने वाला हूँ, मैंने जो भी किया है वह सब वैज्ञानिक तरीके से सही है और हमारे पाचन तंत्र को सही तरीके से काम करने में सहायता करता है, जिससे हमारा शरीर सही तत्वों को पाता है।

खाने का सही तरीका
खाने का सही तरीका

पहला भाग – (आगे पढ़ने से पहले यह जरूर पढ़ें) –

मोटापा कम कैसे किया जाये – मेरा अनुभव 20 किलो कम करने का

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मोटापा कम कैसे किया जाये – मेरा अनुभव 20 किलो कम करने का

    खुद पर भरोसा, आत्मनियंत्रण, आत्मसंयम, अनुशासन से क्या नहीं पाया जा सकता, मैं बरसों से बढ़े हुए वजन से परेशान था, पर कई वर्षों से जतन भी कर रहा था किसी भी तरह से मोटापा कम हो जाये, परंतु कभी किसी विधि में सफलता नहीं मिल पायी, कभी कमजोरी आ गई तो कभी थकान  ने परेशान किया। विश्व में 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग मोटापे से परेशान हैं और हर कोई मोटापा कम कैसे किया जाये के उपाय ढ़ूँढ़ता रहता है, हम भी कई बरसों से ऐसे ही मोटापा कम कैसे किया जाये के उपाय ढ़ूँढ़ रहे थे। Continue reading मोटापा कम कैसे किया जाये – मेरा अनुभव 20 किलो कम करने का

केलोग्स वाले गुप्ताजी का नाश्ता

दीपो भक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते |
यदन्नं भक्षयेन्नित्यं जायते तादृशी प्रजा ||

जैसे दीप का उजाला अँधेरे को खा जाता है, और काजल को उत्पन्न करता है, वैसे ही जिस तरह का भोजन हम ग्रहण करते हैं, वैसे ही हम उसी तरह का व्यवहार करते हैं।

 उपरोक्त श्लोक आज भी पुरातनकाल की बात को सत्य साबित करता है। अगर हम गैस्ट्रिक भोजन खायेंगे तो हमें पेट की समस्या होगी और अगर सात्विक भोजन करेंगे तो हम तन मन से प्रसन्न रहेंगे। हमें अपने दैनिक जीवन में दूध एवं दही का भरपूर उपयोग करना चाहिये, इससे हमारे शरीर की बहुत सारी जरूरतें पूरी हो जाती हैं।
केलोग्स वाले गुप्ताजी का नाश्ता बहुत ही प्रसिद्ध है, उनके घर का नाम गट्टू है, घरवाली यानी कि श्रीमती गुप्ता का नाम शालू है, बेटे का नाम रोहन जिसे प्यार से घर में रोहू बुलाते हैं और बेटी का नाम रितिका जिसे प्यार से रितु बुलाते हैं। गट्टू याने कि गुप्ताजी केलोग्स के डिस्ट्रीब्यूटर हैं और आम पति की तरह उनको भी भूलने की बीमारी है, हालांकि उनके भी दिल में पहुँचने का रास्ता एक ही है, वह है पेट जिसका रास्ता जबान के जरिये होता है और उनकी पत्नि शालू उनके ही केलोग्स से विभिन्न तरह के व्यंजन बनाकर उनको खिलाती रहती हैं, जो कि सामान्यत किसी को भी पता नहीं होते हैं। तो उनकी पत्नि शालू गट्टू याने कि अपने पति के दिल में ही रहती हैं।
बेटी रितु हरेक बात को शॉर्ट फॉर्म में ही कहती है, जिससे गट्टू याने कि रितु के पापा हमेशा ही नाराज से होते हैं और बेटा रोहू पापा और दीदी की बात की नकल करते हैं। रोहू तो मम्मी की नकल करने से भी नहीं चूकता है।  शालू याने कि मम्मी भी नकल उतारने में माहिर हैं, और किसी की भी नकल हुबहू उतारती हैं और परिवार हँसी खुशी रहता है।
केलोग्स केनाश्ते का पहले हमें तो केवल दूध में ही भिगोकर खाने का पता था, पर केलोग्स वाले गुप्ता जी के घर की तो बात ही और है, कभी चॉकलेट मिलाकर शेक बना कर परिवार का मूड ठीक रखना तो कभी जल्दी जल्दी अगर बेटे को स्कूल के लिये मिठाई बना कर देना है तो केलोग्स से कैसे लड्डू बनाने हैं या फिर दही मिलाकर भी केलोग्स के व्यंजन बनाये जा सकते हैं।
खैर मुझे तो सबसे बढ़िया बात लगी कि नाश्ते के प्रकारों की जैसे कि पार्सल वाला नाश्ता, नखरे वाला नाश्ता, फर्स्ट क्रश वाला नाश्ता, जगह बनाने वाला नाश्ता, मूवी वाला नाश्ता, होमवर्क वाला नाश्ता, बेस्ट फैमिली वाला नाश्ता, चुप कराने वाला नाश्ता, रिमोट वापिस लेने वाला नाश्ता जब इतने सारे प्रकार के नाश्ते उपलब्ध हों तो कौन केलोग्स वाले गुप्ताजी के यहाँ नाश्ता नहीं करना चाहेगा, सुबह ही अच्छा नाश्ता हो जाये तो दिनभर अच्छा जाये।
So,
Eat good, keep the body and generations healthy.
Be good, keep the mind and generations healthy.
Do good, keep the society and generations healthy.

आसुस का ऑल इन वन पीसी और ईबुक दोनों ही अच्छी लग रही हैं

    मैंने अपना पहला लेपटॉप लगभग 8 वर्ष पहले अमेरिका से मँगवाया था, फिर मुझे ऑफिस से लेपटॉप मिल गया तो हमारे लेपटॉप को बेटेलाल ने हथिया लिया और उस लेपटॉप की जो ऐसी तैसी करी है, कि उसका पहले तो कीबोर्ड तोड़ा, तभी बैटरी ने भी दम तोड़ दिया, और थोड़े दिनों बाद लेपटॉप की स्क्रीन भी मोड़ मोड़ कर उसकी स्क्रीन से भी दिखना बंद हो गया। अब वह लेपटॉप केवल डेस्कटॉप बन कर रह गया है, हमने स्क्रीन का आऊटपुट पुराने रखे मॉनिटर पर कर दिया और वायरलैस कीबोर्ड माउस अलग से दे दिया। अब लगभग एक वर्ष से हमारे बेटेलाल इसका ही उपयोग कर रहे हैं, जब हम उपयोग करते हैं तो लगता है कि अब नया ले ही लेना चाहिये, पर अब लेपटॉप नहीं डेस्कटॉप ।
    डेस्कटॉप वह भी ऐसा कि जिसमें सीपीयू न हो, केवल मॉनीटर हो और सारी सुविधाएँ जैसे कि 3.0 यू.एस.बी.,

लेपटॉप का डेस्कटॉपी जुगाड़

एच.डी.एम.आई. जिससे में अपने टीवी पर आराम से फिल्म देख सकूँ। स्कीन बड़ी हो कम से कम 21 इंच, टच सुविधा के साथ होनी चाहिये, उसमें अपने आप में ही बैटरी बैकअप हो, जिससे बिजली न होने पर कम से कम में काम तो कर सकूँगा। कैमरा हो, जिससे मैं जब भी बाहर होता हूँ तो मैं परिवार के साथ वीडियो चैट कर सकूँ, खुद में ही स्पीकर भी हों, और कीबोर्ड, माऊस अलग से लगा सकें। टच वाले सारे गेम्स खेले जा सकें और मोबाईल जैसा ही ऊँगलियों से पिक्चर कम या ज्यादा कर सकूँ। 3डी गेम्स खेल सकूँ, तो ये सब खासियत मुझे मिली

ASUS All In One PC ET2040 में, जिसमें ये सारी सुविधाएँ बेहतरीन तरीके से उपलब्ध हैं। इसकी एक खासियत यह अच्छी है कि इसमें पहली बार गैस्चर क्न्ट्रोल उपलब्ध है। तो मैं इस डेस्कटाप की स्कीन को किचन में गैस प्लैटफॉर्म के नीचे रखने की जगह बना सकता हूँ, जिससे हमारी श्रीमतीजी खाना बनाते समय किचन में भी इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकेंगी, फिर वह यूट्यूब पर वीडियो देखना हो या फिर इंटरनेट सर्फ करना हो।

    जब मैं लंबे सफर पर जाता हूँ तो पढ़ने के लिये टेबलेट या किताब अपने पास रखता हूँ, पर लेपटॉप की बैटरी जल्दी खत्म हो जाती है, तो फिर एयरपोर्ट पर चार्जिंग के लिये प्वाईंट ढ़ूँढ़ने में अच्छी खासी मशक्कत हो जाती है, उसके लिये एक ऐसे छोटे से लेपटॉप की जरूरत महसूस होती थी जिसमें कि बैटरी बैकअप जबरदस्त हो और बिल्कुल पतला, छोटा से हो, ज्यादा  हार्डडिस्क न भी हो तो भी चलेगा। जब मैंने ASUS EeeBook X205TA देखा तो लगा वाह यही तो मैं ढ़ूँढ़ रहा था, इसमें 32 जीबी की स्टेट हार्डडिस्क है और 128 जीबी तक का बाहर से एस.डी. कार्ड का उपयोग कर सकते हैं। 29.4 सेंटीमीटर की स्क्रीन लिखने के लिये बहुत होती है, और एयर क्रॉफ्ट की सीच के लिये उपयुक्त भी होती है।
    मैं जल्दी ही ASUS EeeBook X205TA and ASUS All In One PC ET2040 अपने उपयोग के लिये लेने की सोच रहा हूँ।

 

स्वस्थ बच्चा ही खुशियों से भरा घर बना सकता है (A healthy child makes a happy home!)

    मुझे मेरा बचपन की बहुत सारी चीजें याद नहीं, पर मम्मी और पापा मेरा बहुत ही ख्याल रखते थे, शायद दुनिया में कोई ऐसे माता पिता होंगे जो बच्चों का ध्यान नहीं रखते होंगे, टमाटर खाओगे तो खून बढ़ेगा, गाजर भी सेहत के लिये अच्छी होती है, आँवले से आँखों की रोशनी तेज होती है, आँवले की अच्छी बात यह है कि किसी भी तरह से खाओ, उसके गुण कम नहीं होते, और जीभ पर आँवले का मीठा स्वाद हमेशा ही अच्छा लगता है। रोज एक काली मिर्च खाने से कभी बीमारी नहीं घेरती, यह एक घरेलू उपाय है, जो कभी दादी माँ का नुस्खा था।
 
    खाने पीने में हम हमेशा मस्त रहे और हरेक सब्जी और फल खाते रहे, वैसे ही हमने अपने बेटेलाल को आदत डाली है, जिससे रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी बनी रहे और हमेशा रोगों से दूर बने रहें, हमारे बेटेलाल खाने के बहुत आलसी हैं, केवल मूड होता है तो खाते हैं नहीं तो कुछ नहीं खाते, अभी पिछले महीने ही तकरीबन 15 दिनों तक ढंग से खाना नहीं खाया तो मौसमी वाईरल ने पकड़ लिया, जिससे हम सभी लोग 13 दिन तक परेशान रहे, क्योंकि अगर घर में बच्चा बीमार है तो कुछ भी ठीक नहीं लगता है, बच्चा खेलता रहे, स्वस्थ रहे तो पूरा घर खुश रहता है।
    जैसे हमें पापाजी ने च्यवनप्राश खाने की आदत डाली थी, हमारे बेटेलाल पहले च्यवनप्राश नहीं खाते थे परंतु जब धीरे धीरे रोज मुझे और पापाजी को खाते देखते तो उत्सुकतावश रोज ही थोड़ा थोड़ा खा लेते थे, अब हमारे बेटेलाल ने च्यवनप्राश को अपनी रोज की दिनचर्यो में शुमार कर लिया है, रोज सुबह च्यवनप्राश की एक चम्मच और रात को सोने के पहले हल्दी वाले दूध के साथ एक चम्मच खाते हैं।
    हमने 1-2 आयुर्वेदिक चीजें और शुरू कर दी जो कि स्वास्थ्य के लिये बहुत ही लाभदायक है, रोज सुबह शाम तुलसी का अर्क 10 एम.एल. एक गिलास पानी में मिलाकर पी जाते हैं, और रोज सुबह उठते ही एक चम्मच शंखपुष्पी, ब्राह्मी, बादाम, मिश्री और सौंफ को पीसकर बनाया गया चूर्ण चबा चबा कर खाते हैं । इस मिश्रण के खाने से दिमाग को ताकत मिलती है और दिनभर ऊर्जा बनी रहती है, तुलसी के अर्क से तुलसी की प्रतिरोधक क्षमता मिल जाती है, आजकल फ्लेट सिस्टम में तुलसी प्रचुर मात्रा में तो होती नहीं कि रोज सुबह शाम 2 4 पत्ती तोड़कर खा लीं, इसलिये हमें तो तुलसी के अर्क बहुत अच्छा लगा।
    पहले कभी ऐसे ही हमने सोचा था कि च्यवनप्राश घर पर बनाकर खायेंगे पर फिर हमने कभी भी च्यवनप्राश बनाने की मेहनत को देखकर कभी भी बनाने की चेष्टा नहीं करी। बाजार से जाकर च्यवनप्राश खा लेते थे, वही हमें आज भी ठीक लगता है, बेटेलाल को जमकर सलाद और फल  खिलाते हैं और खुद भी खाते हैं, जिससे शरीर में प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता बरकरार रहे। और घर में बेटेलाला केवल मस्तियाँ करते नजर आयें, हमेशा उनके हँसने खिलखिलाने की आवाज आये।
       यह पोस्ट इंडीब्लॉगर्स के हैप्पी अवर्स के लिये लिखी गई है, च्यवनप्राश के प्रतिरोधक क्षमता के बारे में यहाँ से ज्यादा जानकारी ले सकते हैं – https://www.liveveda.com/daburchyawanprash/.

माँ की जिंदगी में माइक्रोवेव से आया बदलाव और माइक्रोवेव में वेज बिरयानी

    सब्जी तो बचपन से माँ के हाथ की खाते आ रहे हैं, पहले चूल्हे में लकङी और कोयला जलाकर माँ ताँबे के बर्तन में हाथ में लोहे की गोल फूँकनी से फूँक मारकर धुएं के बीच मेरी मनपसंद सब्जी तरकारी बनाती थी, मेरे बालमन को पहले उस धुएं में बहुत मजा आता था पर जब भी माँ धुएं के कारण खाँसती तो मन खिन्न हो जाता था और मैं खुद वो लोहे की फूँकनी लेकर लकङी और कोयले की आँच को तेज करने में माँ की मदद करता था ।
    कुछ वर्षों बाद स्टोव के साथ माँ की जिंदगी में बदलाव आया, केरोसिन वाला पीतल का स्टोव जिसमें हवा का दबाव बनाकर माचिस से जलाया करते थे, पर चूल्हा रोटी के लिये चलता रहा, सब्जी का स्वाद बदल गया, पहले जो खुश्बू सब्जी में आती थी वो खुश्बू स्टोव की सब्जी में नहीं आती थी, माँ इस नये स्वाद के लिये बेबस थी, कभी शिकायत होती कि केरोसिन की महक खाने में आ जाती है, या कभी कोई स्वाद ही नहीं, माँ ने कई स्टोव बदलवाये पर इतना ज्यादा फर्क नहीं पङा । जीवन अपनी गति से चल रहा था, भाग इसलिये नहीं रहा था क्योंकि सब्जी का स्वाद नहीं बदल रहा था ।
    कुछ समय बाद केरोसिन की जगह एल.पी.जी. ने ले ली, अब माँ के चौके में से चूल्हे की विदाई तय हो चुकी थी, क्योंकि अब गैस के चूल्हे में माँ को दो बर्नर मिल गये थे, अब माँ का चौके में काम कुछ ज्यादा आसान हो गया था, बिना धुएं और केरोसिन की गंध की तकलीफ के बिना खाना बनाना बेहद आसान हो गया था, पर अब चौके के बदलाव ने फिर परेशानी खङा कर दी, चौके में ऊपर तक तेल की चिकनाई पहुँचने
लगी, स्टोव तो घर के बाहर रख देते पर गैस के चूल्हे में यह सुविधा मिलने से रही, तो चिमनी के बारे में समझा गया और चौके में चिमनी लगवा दी गई, सब्जी में सभी ने पहले से ज्यादा स्वाद पाया, रोटी भी चूल्हे के मुकाबले थोङी ठीक थीं, पर धीरे धीरे आदत पङ गई। गैस में भी सब्जी बनाते समय माँ को हमेशा खङी रहना होता था, माँ के पैरों के दर्द ने भी मुझे एहसास दिलवाया।
    और एक दीपावली पर मैं और पापा जाकर माँ के लिये एक माइक्रोवेव ले आये, माँ ने  माइक्रोवेव के बारे में सुन रखा था, पर फिर भी घर में देखकर विस्मित हुई, माइक्रोवेव को घर की डाइनिंग टेबल पर रख लिया गया, माइक्रोवेव के साथ कुछ प्लास्टिक के बर्तन भी आये थे जो कि माइक्रोवेव में खाना पकाने में सक्षम थे, परंतु माँ ने कहा कि अगर सब्जी बनानी है तो प्लास्टिक के बर्तन में तो नहीं बनायेंगे, अब चूँकि स्टील के बर्तन माइक्रोवेव में उपयोग नहीं हो सकते थे तो माँ को बोरोसिल के काँच के बर्तन बेहद पसंद आये, जिन्हें माइक्रोवेव में भी उपयोग में लाया जा सकता था और फ्रिज में भी रखा जा सकता था। माइक्रोवेव में सब्जी बनाने में कम तेल मसालों में भी सब्जी का बेहतरीन स्वाद निखर आया था, सभी को यह स्वाद पसंद आया क्योंकि सब्जी का मौलिक स्वाद अद्भुत था, माँ को अब चौके में खङे रहने की जरूरत खत्म हो चकी थी, अब माँ  डाइनिंग टेबल के सामने कुर्सी पर बैठकर आराम से सब्जी बनाती है। बोरोसिल के बर्तनों के बारे में http://www.myborosil.com/ से ज्यादा जाना जा सकता है ।
    सबसे बेहतरीन स्वादिष्ट व्यंजन है वेज बिरयानी  बोरोसिल का 1.5 ली. वाला गोल काँच का कैसरोल (Round Casserole) , गहरा वाला गोल काँच (Deep Round Casserole) का 2.5 ली. वाला कैसरोल और 1.5 ली. वाला इजी ग्रिप वाला गोल कैसरोल (Easy Grip Round Casserole) की मदद से बिरयानी बनाई जाती है।
    पहले प्याज और लहसुन को बारीक लंबा काटकर गोल काँच के कैसरोल बिना तेल के 5-7 मिनट के लिये माइक्रो करें, प्याज और लहसुन क्रिस्प और सुनहरे रंग के हो जायेंगे। गहरा वाले गोल काँच के कैसरोल में बासमती चावल और पानी 1:2 के अनुपात में कर लें, और लगभग 15 मिनट माइक्रो करें, चावल को अधपका ही रखें, अब इजी ग्रिप वाले गोल कैसरोल में कटी हुई बीन्स, मटर, पनीर, गाजर, शिमला मिर्च थोङे तेल के साथ नमक और मनपसंदीदा बिरयानी मसाला मिला लें, अब लगभग 100 ग्राम पानी डाल लें और लगभग 10 मिनट के लिये माइक्रो करें । गहरे वाले गोल काँच के कैसरोल में से चावल किसी और बर्तन में निकाल लें और अब इसमें क्रिस्प प्याज और लहसुन की परत बिछा लें और चावल का एक तिहाई हिस्सा दूसरी परत के रूप में डाल दें, तीसरी परत के लिये आधी सब्जी की परत बनायें और अब चावल का एक तिहाई हिस्सा चौथी परत के रूप में डाल दें, बची हुई आधी सब्जी की पाँचवी परत बना लें और आखिरी परत के रूप में बचा हुआ एक तिहाई चावल बिछा लें, ऊपर थोङे कच्चे काजू से सजा दें । अब गहरे वाले गोल काँच के कैसरोल को लगभग 10 मिनट के लिये माइक्रो करें । लगभग 40 मिनट में चार लोगों के लिये बिरयानी तैयार है ।

तश्तरी में खाना ना छोड़ क्या पेट पर अत्याचार कर लें ?

    आज सुबह नाश्ता करने गये थे तो ऐसे ही बात चल रही थी, एक मित्र ने कहा कि फ़लाना व्यक्ति नाश्ते में या खाने की तश्तरी में कुछ भी छोड़ना पसंद नहीं करते और यहाँ तक कि अपने टिफ़िन में भी कुछ छोड़ते नहीं हैं। वैसे हमने इस प्रकार के कई लोग देखे हैं जो इन साहब की तरह ही होते हैं जो कि अपने तश्तरी में कुछ छोड़ना पसंद नहीं करते। शायद कुछ लोग अपनी लुगाई के डर से नहीं छोड़ते, नहीं तो घर में महासंग्राम हो जायेगा, “अच्छा तो अब हमारे हाथ का खाना भी ठीक नहीं लगता जो तश्तरी में खाना छोड़ा जा रहा है।”

    हमारा मत थोड़ा अलग है, हम सोचते हैं कि तश्तरी में खाना छोड़ना, न छोड़ना अपने अपने व्यक्तिगत विचार हैं, जिस पर किसी और व्यक्ति का अपने विचार थोपना ठीक नहीं है। अब अगर कोई किसी होटल में खा रहा है और खाने का समान ज्यादा है तो इसका मतलब यह तो नहीं कि खाते नहीं बने फ़िर भी बस भकोस लिया जाये । छोड़ने से होटल वाला किसी गरीब को भी नहीं देने वाला है, क्योंकि वह तो फ़ेंकेगा ही।

    जो लोग ऐसे उपदेश देते हैं, वे कहते हैं कि हम अन्न की कीमत जानते हैं, भई अन्न की कीमत तो हम भी जानते हैं, परंतु वे खुद ही सोचें क्या व्यवहारिकता में यह संभव है। हम तो सोचते हैं कि रोजमर्रा के व्यवहार में यह संभव नहीं है। आदमी कितना ही गरीब हो वह इज्जत की रोटी खाना चाहता है, जो आदमी ये खाना खाता भी होगा, क्या कभी उसके मन को पढ़ने की कोशिश की है, कि वो किस दर्द से गुजर रहा होगा। अगर पढ़ने की कोशिश की होती और आपका मन उसकी मदद करने को होगा तो आप कम से कम उसे खाना नहीं देंगे उसे किसी और तरह से मदद कर देंगे, जैसे कि कोई छोटा काम दे दें, मेहनत के पैसे कमाने से उसे भी खुशी होगी।

    हाँ कुछ ढीट होते हैं जो कि काम करना ही नहीं चाहते और मुफ़्त में ही माल खाना चाहते हैं, तो मैं कहता हूँ कि अगर हम ऐसे ही उन लोगों के लिये सोचते रहेंगे तो वो लोग भी कभी सुधरने वाले नहीं हैं। बल्कि हम उन लोगों को बढ़ावा ही दे रहे हैं।

    हाँ आप अगर बफ़ेट में खा रहे हैं तो आप खाना उतना ले सकते हैं जितना आप खा सकते हैं, परंतु अगर कहीं पूरी प्लेट ही आपको ऑर्डर करनी है तो यह संभव नहीं है कि आप पूरा खा लें और अपने पेट पर अत्याचार करें। मैं तो खाने की तश्तरी में छोड़ना या ना छोड़ने के बारे में ज्यादा सोचता नहीं, क्योंकि यह निजता है और हम अपनी निजता का उल्लंघन नहीं होने देना चाहते, सबके अपने व्यक्तिगत विचार होते हैं, उनका सम्मान करना चाहिये।

    पेट पर अत्याचार (हमारे मित्र विनित जी द्वारा बहुतायत में उपयोग किया जाने वाला वाक्य है ।)