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Zoom, स्काईप, वेबेक्स और टीम्स पर एक बातचीत

2011 में माइक्रोसॉफ्ट ने स्काईप को 8.5 बिलियन डॉलर में खरीदा था, उसी वर्ष zoom की शुरुआत हुई थी। सोचिये अगर 2011 में महामारी हुई होती तो, उस समय सभी लोग स्काईप का ही उपयोग कर रहे होते, पर अब सभी लोग zoom का उपयोग कर रहे हैं, इसका मुख्य कारण माइक्रोसॉफ्ट का स्काईप को ढंग से मैनेज न किया जाना रहा।

स्काईप व्यक्तिगत उपयोग के लिये उपयोग में नहीं लाया जाता, बल्कि कॉरपोरेट मेसेजिंग एप्प बनकर रह गया है। zoom ने इसी कमी का फायदा उठाया और अब वे कॉरपोरेट के लिये लाँच करने जा रहे हैं।

अभी zoom का समय है और हर किसी को zoom का उपयोग करते देखा जा सकता है, भले ही वह योगा क्लास हो या स्कूल क्लास या फिर दोस्तों के साथ बीयर की चीयर्स, zoom का इंटरफेस आम उपयोगकर्ता के लिये बहुत सरल है, जबकि लगभग हर महीने स्काईप में बदलाव होते रहते हैं।

स्काईप के पास इस बार का यह फायदा उठाने का बहुत बढ़िया मौका था, पर उन्होंने ये मौका खो दिया। zoom के ऊपर अब गूगल की नजर है, हो सकता है कि जल्दी ही यह गूगल का उत्पाद हो जाये।

माइक्रोसॉफ्ट का टीम्स Teams भी उपलब्ध है, परन्तु यह बहुत भारीभरकम एप्प है। कुल मिलाकर zoom ने बाजी मार ली है।

इस पर फ़ेसबुक पर बहुत से कमेंट भी आये जो कि पठनीय हैं –

Prakash Yadav ज़ूम आम लोगों के लिए है। जिन्हें सिर्फ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग चाहिए। टीम कॉर्पोरेट के लिए आल-इन-वन अप्प है।

Abhishek Tripathi मुझे zoom के बारे में कुछ दिनों पहले तक भी पता नहीं था, अभी आजकल सबको देख रहा हूँ Zoom का उपयोग करते हुए तो इसके बारे में जानकारी इकठ्ठा करी! इसके पहले lync use karte the फिर Skype कुछ दिन और फिर Teams. वैसे teams थोड़ा भारी है पर app सही है!

Vimal Rastogi Team and Skype captured corporate

Neeraj Rohilla Microsoft Teams will prevail for corporates. It has some good features. Better than WebEx or Zoom

Vivek Rastogi Neeraj Rohilla Yes Teams is superb.

दिनेशराय द्विवेदी गूगल का ड्यूओ बढ़िया काम कर रहा है।

Prashant Priyadarshi टीम्स का जिक्र करना जल्दबाजी होगी, उसे समय दिया जाना चाहिए। लेकिन ज़ूम को लेकर मेरा अनुभव यह है कि विश्व की कई कंपनियाँ इसका इस्तेमाल पहले ही कर रही थी। पिछले दो साल में दुनिया भर की कम से कम 200 क्लाइंटस के साथ हुई मीटिंग को इसका मानक बना रहा हूँ। स्काइप और वेबेक्स महंगा तो था ही साथ ही यूजर फ्रेंडली भी नहीं था ज़ूम के मुकाबले।

Vivek Rastogi Prashant Priyadarshi मैं तो रोज ही टीम्स, वेबेक्स, स्काईप व जूम का उपयोग करता हूँ, पर जो क्वालिटी जूम में है वह अभी कहीं और नहीं मिलती, शायद अन्य एप्प्स की ट्यूनिंग पर लोगों का इतना ध्यान नहीं रह गया है, और जूम को हल्का फुल्का ही रखा गया है।
Shrish Benjwal Sharma स्काइप सभी वीडियो कॉलिंग या कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ्टवेयरों का भीष्म पितामह है। जहाँ तक मुझे याद है यह भारत में डायलअप इंटरनेट कनैक्शन के जमाने में भी था। बाद में ब्रॉडबैंड भी आ गया था पर आज की अपेक्षा स्पीड काफी कम थी।

उस समय मेरे विचार से केवल स्काइप में ही वीडियो चैट का विकल्प था। याहू मैसेंजर में केवल ऑडियो चैट का विकल्प था। नेट की ज्यादा स्पीड न होने से स्काइप में हम लोग ऑडियो चैट ही करके आनन्द लेते थे। दूसरा कारण यह भी था कि डैस्कटॉप पर वैबकेम न होता था। लैपटॉप लेने के बाद और नेट की स्पीड कुछ सुधरने के बाद पहली बार वीडियो चैट की थी तो बड़ा अद्भुत लगा था।

वैसे उस जमाने में चैट वगैरह में मेरे असल जिन्दगी के कोई परिचित, मित्र, रिश्तेदार वगैरह न मिलते थे। तब लोगों के पास नेट क्या कम्प्यूटर भी न होता था। याहू मैसेंजर, स्काइप वगैरह पर ब्लॉगर दोस्तों के साथ ही बतियाते थे। अब तो दुनिया बदल गयी है, स्मार्टफोन ने घर-घर ये सब तकनीक पहुँचा दी।

बाकी दुनिया बदलती रहती है जी। कभी याहू मैसेंजर बादशाह था, उसके बाद गूगल टॉक का जमाना आया, आज व्हॉट्सएप का है, कल किसका होगा पता नहीं।

ऐसे ही आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में जूम की धूम है। कल का पता नहीं।

Vivek Rastogi Shrish Benjwal Sharma आपने तो वाकई पुराने दिनों की याद दिला दी।
Nitish Ojha जिस जिस को माइर्कोसाफ्ट ने छुवा वो नष्ट ही कर के छोड़ा … बेकार कर देते हैं स्ट्रेटजी भी बहुत दीघकालिक नहीं है ….. मेरे पास स्काइप के इतने वर्जन है ॥ और सब मे कुछ न कुछ चेंज जो अनावश्यक था … इसका बहुत पुराना यूजर हूँ मैं ॥ शायद 2005 से चला रहा … लेकिन अब भी बहुत कमियाँ है …. पसंद तो ज़ूम भी नहीं आया लेकिन क्या कहा जाये ….स्काइप का एक फीचर था शेयर स्क्रीन ॥ उसे अनावश्यक रूप से अचानक किसी वर्जन मे देते हैं ॥ किसी मे बंद कर देते हैं … लेकिन मैंने अभी भी स्काइप छोड़ा नहीं है
Vivek Rastogi Nitish Ojha बेकार कर देने का हाल लगभग सभी बड़ी कंपनियों का रहा है, कुछ ही कम्पनियों ने उत्पाद की सार्थकता बनाये रखी।स्काईप का शेयर स्क्रीन फीचर अब भी है, हम तो रोज ही उपयोग करते हैं।
Mahfooz Ali जो चीज़ पैदा होती है तो मरती भी है
Vivek Rastogi Mahfooz Ali पर सबकी अपनी लाइफ होती है, कोई लंबे समय तक जिंदा रहता है, कोई बहुत कम समय के लिये।