शेयर बाजार में एक से एक गुरु हैं, पर कोई खुलकर नहीं सिखाता और जो सिखाता है और फेमस हो जाता है वो कहीं न कहीं किसी स्कैम में फंस जाता है या फंसा दिया जाता है। यह पैसा है ही ऐसी चीज। खुलकर सिखाने का मतलब बारीकी से एक एक चीज, कि कैसे चार्ट काम करता है, स्मार्ट मनी कैसे पोजिशन लेती है, और स्मार्ट मनी की तरह कैसे पोजिशन लेकर शेयर बाजार से फायदा उठाया जाये, मतलब कि कब खरीदना है ओर कब बेचना है।
इस मामले में मैं नीतीश कुमार NKStocktalk सर का फैन हूँ, प्यूर टेक्निकल बातें करते हैं, सिंपल फंडे समझाते हैं, 99% साइकोलॉजी ठीक करने की बात करते हैं। केवल 1% सिखाते हैं, क्योंकि सीखने के लिये होता ही उतना है। वे फालतू की बातें करते नहीं या ये कहें कि उनको करना नहीं आता तो ज्यादा बेहतर होगा।
मैं उनके बहुत से फंडे अपने ट्रेड्स में इस्तेमाल करता हूँ, और उन्होंने गांववालों की भाषा में अपनी शब्दावली रखी है, जैसे हवा चिप्स, हिलेगा मिलेगा, हिलेगा मिलेगा उनकी सबसे बेहतरीन स्ट्रेटेजी लगी, इस इंडिकेटर को आप अपने हिसाब से इम्प्रूव भी कर सकते हैं। cnbc में भी उनको कई बार बुलाया गया, पर उनकी भाषा व उदाहरण नहीं जमे तो उनको बैन कर दिया गया।
आजकल वे केवल बास्केट पर जोर देते हैं, बताते हैं कि कैसे बास्केट बनाई जाये, कैश स्टॉक से ही सालभर में 50% से ज्यादा कमाई कैसे की जाये, इत्यादि इत्यादि। NKStocktalk के नाम से ही सर का यूट्यूब चैनल और टेलीग्राम चैनल है।
कल fno वाली पोस्ट के बाद कई कमेंट व मैसेज आये कि उनको fno सीखना है, मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि रिस्क कैसे मैनेज करना है वो सीखना सबसे जरूरी है, बाजार के धुरंधर आपके पैसे पर निगाहें लगाये बैठे हैं। और वे चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा रिटेलर बिना सीखे बाजार में आये। वही उनका प्रॉफिट है।जब कोई लॉस लेगा, तभी किसी का प्रॉफिट होगा। मैं सिखाना नहीं जानता, क्योंकि मैंने भी सिस्टेमेटिक ढंग से नहीं, बल्कि over the time सीखा है। इसके लिये बहुत से यूट्यूब चैनल हैं जो निस्वार्थ भाव से सिखा रहे हैं, जब आप खुद थोड़ा बहुत सीख जायेंगे, तो आपको खुद समझ आ जायेगा कि कौन सिखा रहा है और कौन बेवकूफ बना रहा है।
यह किसी की भी मार्केटिंग नहीं है, आगे भी और इसी तरह की पोस्ट लिखते रहेंगे, बस इतना ही कहना चाहते हैं कि सीखने के लिये कम से कम 2 साल पेपर ट्रेड करिये, उसके बाद पैसों से ट्रेड करिये। बस आपको सीरियसनेस समझ आनी चाहिये।
हमारे एक बहुत बड़े सीनियर से कल बात हो रही थी, 4 वर्ष पहले वे रिटायर हुए और उनका अच्छा खासा पोर्टफोलियो था, मतलब की शेयर भी एक से एक थे, सब टॉप के शेयर बहुत ही सस्ते भाव के, यह समझ लीजिये कि उनका 80 लाख के लगभग का पोर्टफोलियो था, और उनकी इन्वेस्टमेंट लगभग 15 लाख रही होगी, वे कल बता रहे थे कि रिटायमेंट के बाद खर्च के लिये उसमें से लगभग 20 लाख निकाल लिये।
फिर कोविड के दौरान उन्हें लगा फ़्यूचर एंड ऑप्शन में ज्यादा तेजी से पैसा बनाया जा सकता है, तो उन्होंने fno को बिना सीखे समझे, इसमें काम शुरू कर दिया, जब कुछ लॉस हुआ, तब वे मुझसे कनेक्ट हुए, मैंने उन्हें fno की बहुत सी बारीकियों को समझाया व सलाह दी कि चूँकि आप रिटायर हो चुके हैं और fno में ट्रेडिंग के लिये बहुत अनुभव की आवश्यकता होती है और सिस्टमेटिक काम करना होता है, वरना जैसे पैसा आता है, उससे डबल स्पीड से पैसा वापिस चला जाता है।
जब नया पैसा बाजार में आता है, मतलब नया नवेला ट्रेडर, तो वो दुनिया में सलाह देनेवाले को बेवकूफ समझता है, और वो सोचता है कि उसे ही सब कुछ पता है, उसे समझ तब आता है जब उसका सब कुछ बर्बाद हो गया होता है। यही सर के साथ हुआ, वे बोले अरे विवेक अब तो मैं fno में एक्सपर्ट हूँ, तुम फालतू डराते हो, मैंने उन्हें तब भी बहुत समझाने की कोशिश करी थी, पर ये को नशा है न, जो मजा देता है, वो सोचने समझने की शक्ति खत्म कर देता है। शेयर बाजार में आने के पहले हमेशा अपना मनोविज्ञान ठीक कर लेना चाहिये। सर को बिना सीखे समझे, दूसरों की टिप पर या अपनी खुद की कोई स्ट्रेटेजी से पैसे बनाने थे, कितने बनाने थे, यह उन्हें क्लियर ही नहीं था।
यह बात तो समझ लीजिये कि शेयर बाजार पैसों का समुद्र है, तो आप समुद्र को लूट नहीं सकते, किनारे लहरों की आवाजें बहुत अच्छी लगती हैं पर जब आप किनारे से लहरों के पास जाते हैं तो लहरें आपको समुद्र में खींचने का प्रयास करती हैं, जो इस स्किल को नहीं जानते वे समुद्र में अपनी जान दे देते हैं। आपको कितना पानी इस समुद्र से निकालना है, यह निश्चय कर लेना चाहिये। आप लोटा भरेंगे तो समुद्र को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, पर अगर बाल्टी भरने जायेंगे तो निश्चित ही समुद्र आपकी बाल्टी अपने साथ ले जायेगा, या फिर बाल्टी से पानी निकालने की कला में सिद्धहस्त होना पड़ेगा।
हम लोटा भरने में विश्वास रखते हैं, हर महीने अपनी कैपिटल का 2 से 4% रिस्क मैनेजमेंट के साथ निकालते हैं। जो कि साल का एवरेज लगभग 40% से ऊपर होता है, 40% प्रॉफिट कम नहीं होता, बस संयम रखना पड़ता है।
fno में लॉस ही होता है ऐसा है, यह एक हैज़ इंस्ट्रूमेंट है और इसलिये इसे fno एक साथ कहा जाता है, फ्यूचर और ऑप्शन बहुत कमाल की चीज है, अगर बारीकियों को सीख लिया जाये, वरना तो यह ऐसी तलवार है किधर भी चलाओ, खून आपका ही बहेगा।
सर ने बस ऐसे ही अपना fno का सफर जारी रखा और कई बार या ये कहना बेहतर होगा कि लगभग रोज ही अगले दिन का प्रिडिक्शन पूछते थे, जो उनकी ट्रेड के रिलेटेड होते थे, मैंने उनको उनकी गलतियों के बारे में समझाने की कोशिश करी, और कहा कि मैं आपकी ट्रेड नहीं सुधार सकता क्योंकि मेरा ट्रेड लेने का माइंडसेट अलग है, आपका अलग, पर वही नशा उनको समझने ही नहीं देता था, लॉस से प्रॉफिट में ट्रेड जाने की संभावना हमेशा तलाशते थे। फिर कुछ दिनों बाद उन्होंने मेरे ग्रुप के कुछ और मित्रों को भी कॉल करना शुरू किया और ट्रेड पर बात करते थे, पर सबने यही समझाया कि ऐसे fno में काम नहीं किया जाता। पर उनको न समझना था, और न वे समझे।
कल जब मैंने उनका मैसेज व्हाट्सऐप पर देखा तो शाम को फोन किया और मैं यह जानकर शॉक्ड था कि उनका बचा हुआ सारा पैसा लगभग 60 लाख वे fno में गंवा चुके हैं। जबकि मैंने उन्हें कई बार कहा था कि सबसे पहले आप ये काम बंद करो, साइक्लोजी ठीक करिये, वे नहीं माने। अब उनके पास कैपिटल नहीं बचा और अपने रिटायरमेंट फंड, जो कि अलग से रखा है, उससे कुछ करना चाहते हैं, हमने कहा कि उस फ़ंड को हाथ ही न लगाना, नहीं तो आप सड़क पर आ जाओगे।
ये सब बताने का केवल यही मकसद है कि आप पहले सीखें, बाजार कहीं नहीं जा रहा, पर अगर नहीं सीखेंगे तो बर्बाद हो जायेंगे।
निफ्टी 50 भारतीय स्टॉक मार्केट में एक प्रमुख शेयर मार्केट इंडेक्स है जिसमें 50 सबसे बड़ी और विश्वसनीय भारतीय कंपनियों के स्टॉक शामिल होते हैं। यह इंडेक्स नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NSE) द्वारा निर्धारित किया जाता है और भारतीय स्टॉक मार्केट की स्थिरता और विकास को मापने के लिए उपयोग किया जाता है। निफ्टी 50 के स्टॉक मार्केट इंडेक्स में शामिल कंपनियों का चयन उनके बाजार कैपिटलीजेशन द्वारा किया जाता है, जो उनके वित्तीय आकार और मूल्य की मात्रा है। निफ्टी 50 एक प्रमुख शेयर मार्केट इंडेक्स होने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के संकेतक भी माना जाता है।
What is Nifty 50 Index?
Nifty 50 Index Overview.
What is nifty 50 index?
The Nifty 50 is the flagship stock market index of the National Stock Exchange of India (NSE). It is an index comprising of the 50 most actively traded stocks across various sectors of the Indian economy, including finance, technology, healthcare, energy, and more. The Nifty 50 index is widely used as a benchmark for the Indian stock market and is considered as one of the key indicators of the health of the Indian economy.
The index is calculated using a free-float market capitalization weighted methodology, which means that the weightage of each stock in the index is proportional to its free-float market capitalization (i.e., the market capitalization of the company’s shares that are available for trading in the stock market). The Nifty 50 is reviewed and rebalanced every six months to ensure that it remains representative of the Indian stock market.
Which all companies are part of nifty 50?
As of my knowledge cutoff in September 2021, the 50 companies that were part of the Nifty 50 index were:
Adani Ports and Special Economic Zone Ltd.
Asian Paints Ltd.
Axis Bank Ltd.
Bajaj Auto Ltd.
Bajaj Finserv Ltd.
Bajaj Finance Ltd.
Bharat Petroleum Corporation Ltd.
Bharti Airtel Ltd.
Britannia Industries Ltd.
Cipla Ltd.
Coal India Ltd.
Divi’s Laboratories Ltd.
Dr. Reddy’s Laboratories Ltd.
Eicher Motors Ltd.
HDFC Bank Ltd.
HDFC Life Insurance Company Ltd.
Hero MotoCorp Ltd.
Hindalco Industries Ltd.
Hindustan Unilever Ltd.
ICICI Bank Ltd.
Indian Oil Corporation Ltd.
IndusInd Bank Ltd.
Infosys Ltd.
ITC Ltd.
JSW Steel Ltd.
Kotak Mahindra Bank Ltd.
Larsen & Toubro Ltd.
Mahindra & Mahindra Ltd.
Maruti Suzuki India Ltd.
Nestle India Ltd.
NTPC Ltd.
Oil and Natural Gas Corporation Ltd.
Power Grid Corporation of India Ltd.
Reliance Industries Ltd.
SBI Life Insurance Company Ltd.
Shree Cement Ltd.
State Bank of India
Sun Pharmaceutical Industries Ltd.
Tata Consultancy Services Ltd.
Tata Consumer Products Ltd.
Tata Motors Ltd.
Tata Steel Ltd.
Tech Mahindra Ltd.
Titan Company Ltd.
UltraTech Cement Ltd.
United Breweries Ltd.
United Spirits Ltd.
Wipro Ltd.
Adani Enterprises Ltd.
JSW Cement Ltd.
It’s worth noting that the constituents of the Nifty 50 index may change over time, as companies may be added or removed from the index based on various criteria such as market capitalization, liquidity, and sector representation.
आज बड़ी परेशानी हुई, ऑफिस का लेपटॉप अचानक ही क्रेश हो गया, मतलब कि लेपटॉप चार्ज ही नहीं हो रहा था और कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट बनाने थे, जिस पर एक बड़ी मीटिंग शेड्यूल थी। डॉक्यूमेंट में आलमोस्ट सारी चीजें अपडेट कर चुके थे, और onedrive पर सिंक हो गई, यह एक बढ़िया बात रही। हमने क्रेश होने के बाद मोबाइल पर onedrive डाऊनलोड करा और अपने सहकर्मियों को शेयर कर दिया। जिससे फायदा यह हुआ कि मीटिंग री शेड्यूल नहीं करना पड़ी। हाँ अपने बॉस को जरूर अपडेट कर दिया था और कंपनी के IS टीम के साथ टिकट खोला और फिर पता चला कि वे कुछ नहीं कर सकते, लेपटॉप अभी वारंटी में है तो लेपटॉप कंपनी से टिकट ओपन किया गया और अब वो हमारे घर पर आकर कुछ पार्ट बदलेगा।
बाद में लेपटॉप कंपनी वालों का फोन आया, और उन्होंने बताया कि हम मोबाईल के सी टाइप चार्जर से भी चार्ज करके देख सकते हैं, हमने मोबाईल के चार्जर से चार्ज करके देखा तो थोड़ा बहुत चार्ज हो गया। पर चार्जिंग बहुत ही धीमी हो रही है। अब लेपटॉप कम्पनी वाला परसों आयेगा और लेपटॉप का चार्जिंग पोर्ट बदलेगा। तब तक मोबाईल के चार्जर से ही काम चलाना पड़ेगा। लेपटॉप का सी टाइप चार्जर मिल जाये, इसका जुगाड़ भी जारी है। वहीं अगर यह काम नहीं हुआ तो कंपनी डॉकिंग स्टेशन भेजेगी।
पर एक छोटी सी चीज खराब होने से बहुत ही समस्या हो जाती है, और दिनभर का शेड्यूल बिगड़ जाता है, बहुत सारा काम था, पर दिमाग में काम की बजाय यही चल रहा था कि अब काम कैसे चलेगा। ऐसी परेशानियों को झेलना मुश्किल होता है।
वहीं परसों मंथली एक्सपायरी है और एक डील गलत होने से अपना 4% का प्रॉफिट चला गया, फिर भी 1% प्रॉफिट इस महीने का रहेगा। अब शेयर बाजार में यह सब तो चलता ही रहता है। अब vix जब थोड़ी ज्यादा होगी तो ऑप्शन की प्रीमियम भी ज्यादा बेचने को मिलेगी। फेसबुक पर एक मित्र ने अपनी पोस्ट में ऑप्शन बेचने का लिखा था, हमने उनकी पोस्ट पर कमेंट किया कि You are on right track, just use 3 months support and resistance and sell strangle for safe side, vix is important factor. No need to learn from anywhere, just do your paper trade. And soon you will be able to earn minimum 3 to 6% monthly on your capital with risk management.
अब उनको सीखने में मदद भी कर रहा हूँ, देखते हैं कि हम कितना सिखा पाते हैं और वे कितना सीख पाते हैं। मुझे ऐसे लोग पसंद आते हैं जो सीखने की कोशिश करते हैं, न कि टिप्स के पीछे भागते हैं। कल ही एक मित्र को कह रहा था कि कोई अगर 10 लाख से यह काम शुरू करे तो 30 हजार रुपये हर महीने के आराम से रिस्क मैनेज करके कमा सकता है, बस सीखना पड़ेगा और बाजार स्व कमाने की जल्दीबाजी न करे। वहीं इससे ज्यादा कमाई का सोचा तो रिस्क मैनेज नहीं कर पायेंगे। साल का 40% रिटर्न अपने कैपिटल पर बहुत बढ़िया होता है। पर पब्लिक को तो रातों रात अमीर बनना होता है, और फिर शेयर बाजार को सट्टा बाजार कहते हैं, उन पर तरस आता है।
कल केड़ियानॉमिक्स वाले सुशील केड़िया जी को ट्विटर स्पेस पर सुन रहा था।
एक बहुत बढ़िया बात बताई, कि स्टॉक मार्केट में सब पैसा बनाने ही आते हैं पर उनका आत्मबल और पारिवारिक प्रेम इतना कम होता ही कि वे हमेशा घाटा ही खाते हैं। फिर कहते हैं कि अपने तो भाग्य में ही नहीं था।
टेक्निक की अपनी एक जगह है, और जो अनुशासन से अपनी टेक्नीक फॉलो करेगा, वो कभी पारिवारिक जीवन में भी गलत नहीं करेगा। हाँ यह अलग बात है कि एक टेक्नीक हर किसी के लिये काम नहीं करती, सबका मगज अलग अलग है, तो सबकी समझने की, निर्णय लेने की क्षमता भी अलग अलग है।
कहा जाता है कि बड़ा पैसा भाग्य वालों का बनता है, मैं भी इसी में विश्वास करता हूँ, जब आप पैसा कमाते हो, तो जो भी लोग उस पैसे का भोग करने वाले हैं, उनके प्रति आपका प्यार अनुराग कैसा है, उनके कर्म कैसे हैं, इन सब चीजों का अपना एक महत्व है और इस प्यार अनुराग से ही बड़ा पैसा बनता है।हम भले पैसा ज्यादा नहीं कमा सकते, परंतु अच्छा व्यवहार, प्यार, अनुराग ओर अच्छे कर्म करने से तो हमें कोई रोक नहीं सकता।
तो सबसे पहले अपने आपको अच्छा इंसान बनाइये। क्योंकि पैसा आता है बहुत सारी जिम्मेदारियों को भी साथ लाता है।यह सब छोटी छोटी बातें हैं, जिन्हें समझना सोचना शायद बहुत कठिन हो, क्योंकि इसमें कोई टेक्नीक नहीं लगती। इसमें अपना दिल साफ और निस्वार्थ भाव होना चाहिये।
अब मानना न मानना अपने अपने ऊपर निर्भर करता है। बस समस्या यही है कि कोई भी इस बात को मानना ही नहीं चाहता। कोई अच्छा बनना ही नहीं चाहता, कोई अपने मन को शांत रखना ही नहीं चाहता, सभी अपने आपको, अपने मन को हमेशा ही व्यस्त रखना चाहते हैं।
कई लोगों का मेरे INBOX में हमेशा यही मैसेज रहता है कि क्या टिप है, कुछ शेयर के नाम बता दीजीये, और कम ही लोग यह पूछते हैं कि शेयर बाज़ार को कैसे सीखें, समझें।
टिप पूछने वाले तो खैर अपने पैर पर ख़ुद ही कुल्हाड़ी मार रहे होते हैं, क्योंकि उनको ही नहीं पता है कि वे क्या ख़रीदने वाले हैं अपनी उस रक़म से जो कि उन्होंने दिन रात काम करके, परिवार के समय के साथ समझौता करके, किसी न किसी अपनी इच्छा को मारकर, किसी ऐसे व्यक्ति के कहने पर कहीं भी पैसा लगाने को तैयार रहते हैं जिन्हें वे मार्केट एक्सपर्ट समझते हैं। यहाँ शेयर बाज़ार में ऐसा कोई नहीं जो कि हमेशा ही लाभ में होता हो, सभी को घाटा होता है, यह भी एक व्यापार ही है।
बस हमें अपने लाभ को घाटे से ज़्यादा रखना होता है, तो हम शेयर बाज़ार में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। नहीं तो जो रक़म गाढ़ी कमाई की है उसे बाज़ार में आकर गँवा देंगे। बाज़ार में कोई भी एक्सपर्ट नहीं है, शेयर बाज़ार सर्वोपरि है, भगवान है, कब क्या हो जाये कोई भी प्रिडिक्ट नहीं कर सकता है।
मैं ख़ुद उतने वर्षों से बाज़ार में रहते हुए, सीखने के लिये लालायित रहता हूँ, जो तरकीबें आज से १० साल पहले काम करती थीं, वे अब काम नहीं करती, बाज़ार में काम करने का तरीक़ा, बाज़ार का ट्रेंड बदलता रहता है, और जब सीखेंगे तभी कुछ अच्छा कर पायेंगे।
बाज़ार को सीखने के लिये रोज़ समय देना होता है, मैं आज भी लगभग रोज़ २ घंटे बाज़ार को सीखने के विश्लेषण करने के देता हूँ, तभी आज थोड़ा बहुत सफल हो पाता हूँ। बाज़ार ऐसी जगह है जहाँ सभी तरह के लोग हैं कोई ट्रेडर है तो कोई निवेशक, सबकी अपनी अपनी ज़रूरत और सीखने की अपनी प्रक्रिया होती है। सीखना एक लंबी प्रक्रिया है, फिर उसे प्रेक्टिस करके, बैकटेस्ट करके ही कुछ सफलता हाथ लग सकती है।
अब तो यूट्यूब चैनल हैं सीखने के लिये, मैं अमूमन जब सीखता हूँ, तो मुझे १ घंटे के वीडियो को ख़त्म करने में ही ४ घंटे से ज़्यादा वक़्त लग जाता है, क्योंकि मैं साथ ही प्रैक्टिस भी करता जाता हूँ। शेयर बाज़ार जितना आसान है, उतना ही मुश्किल। बस एक बात अपनी जोखिम क्षमता को ज़रूर परख लें, और शेयर बाज़ार लत है, रोज़ ट्रेड नहीं करने की आदत भी डालनी चाहिये, मार्केट ट्रेंड के साथ कभी कभी ट्रेड करके अपने पैसे को मात्र ४-५ घंटे में १०-११ गुना भी बनाया जा सकता है, बस आपकी स्टडी अच्छी होनी चाहिये, और सबसे बड़ी बात कि अपनी स्टडी पर ख़ुद को ही कॉन्फ़िडेंस होना चाहिये।
शेयर बाज़ार में लोगों का interest जब से lockdown लगा है, तब से कुछ ज्यादा ही हुआ है। इसी कारण से कोई भी ब्रोकर हो उनके यहाँ रिकार्डतोड़ DMAT account खुल रहे हैं। पर समस्या यह है कि लोगों को पैसा बनाने के लिये टिप चाहिये होती है, सीखने वाले न के बराबर हैं। टिप बहुत बुरी बीमारी है, टिप से व्यक्ति को अपनी risk ही पता नहीं रहती। किसी और के कहने पर अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा अंधी दौड़ के लिये लगाता जाता है।
खैर ज़्यादा भाषण नहीं, तो मुख्य बात यह है कि शेयर बाज़ार में रोज़ नई चीजें कैसे सीखें, यहाँ तक कि बुनियादी बातें, Share market terms कैसे जानें। उसके लिये बहुत ही बढ़िया तरीका है कि आप यूट्यूब पर जाकर आपको जो सीखना है वह सीखना शुरू करें, फिर जो terms आपको समझ न आती हों तो उन terms को लिखकर सर्च करें, इस प्रकार कड़ी से कड़ी जोड़कर आप बहुत सी चीजों को सीख सकते हैं।
मुझे शेयर बाज़ार में काम करते हुए 20 वर्ष से ज़्यादा हो गये, पर अब भी बहुत सी नई चीजें उनके बीच के co-relation पता चलते हैं, तो बच्चे जैसा सीखने के लिये मचल जाता हूँ, और फिर पागलों की तरह की वीडियो देखता रहता हूँ, ब्लॉग पढ़ता हूँ, ट्विटर पर ढूँढता हूँ, साथ ही अपनी कॉपी रखता हूँ, और जो भी महत्वपूर्ण बिंदु होते हैं, उन्हें लिखता जाता हूँ, अगर data उपलब्ध होता है तो हाथों हाथ उन सबकी back testing भी कर लेता हूँ, तथा अगले दिन से paper trade में शामिल कर लेता हूँ।
केवल इसी हैबिट के कारण मुझे पिछले एक महीने से इतना फ़ायदा हुआ कि अब एक डील में weekly expiry के दिन लेता हूँ और Friday बाजार बंद होने के पहले या Monday morning में ही मुझे मेरी लगायी मार्जिन रकम का 1.5 – 2% का रिटर्न मिल जाता है, जिसके लिये मुझे बारबार बाजार भी नहीं देखना होता है। मैं अपना ऑफिस के काम में व्यस्त रहता हूँ, बस किसी एक ब्रेक में डील देख लेता हूँ, जब भी मुझे 1.5-2% के आसपास का फायदा होता है, मैं निकल लेता हूँ। महीने का 8% जो कि साल का 96% याने कि लगभग पैसा दोगुना एक साल में हो जायेगा। अभी तक मेरा profit 2% हर सप्ताह के हिसाब से पिछले 3 सप्ताह से हो रहा है, जिसकी पेपर ट्रेडिंग मैंने लगभग 1 महीना की, फिर मुझे confidence आ गया, क्योंकि मैं बहुत सारे ifs and buts जानता था, अगर trade गलत हो गई तो उसके adjustments भी करना जानता हूँ।
आज कुछ नई बातें MACD, Elliot Waves पर सीखीं, back testing भी करी, अब कल से paper trade करेंगे, अगर यह समझ आ गया तो बस मजा ही आ जायेगा।
शेयर बाज़ार जुआँ सट्टा नहीं है, बहुत सी चीजें technicals पर चलती हैं, बहुत सी नहीं, इसलिये सीखना बहुत है, मेरा तो यही मानना है कि शेयर बाज़ार में आकर मुनाफ़ा कमाना दूर की बात है, पहले आप जो पैसा बाज़ार में लगाने के लिये लाये हैं, पहले उसे बचाना सीख लें, अगर वह सीख लिया तो profit तो झक मारकर आयेगा।
शेयर बाज़ार में हमेशा ही उठापटक होती रहती है, जहाँ निवेशक अनिश्चित रहते हैं कि कौन से स्टॉक में अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा लगायें। क्योंकि आपने भी यह लाईन जरुर पढ़ी होगी – शेयर बाज़ार में निवेश जोखिमों के अधीन है। पर क्या जोखिम है, यह कोई नहीं बताता, किस प्रकार से उन जोखिमों से बचा जाये, यह भी कोई नहीं बताता। इसलिये हम कहते हैं कि हर बढ़ने वाला स्टॉक क्वालिटी स्टॉक नहीं होता।
अब यही समझ लिया जाये कि क्वालिटी स्टॉक क्या होता है – क्वालिटी स्टॉक मतलब कि अच्छी कंपनी, जिसके उत्पाद बढ़िया हों, बाज़ार में आपको दिखते हों, या बाज़ार में उपयोग होने वाले उत्पादों में उनका रॉ मटेरियल के रूप में उनका प्रयोग होता हो। बहुत सी ऐसी कंपनियाँ भी होती हैं जहाँ आपको यह सब नहीं दिखेगा, परंतु वे क्वालिटी स्टॉक होते हैं, तो उसके लिये आपको बहुत पढ़ना होगा, समझना होगा। तभी आप पता लगा पायेंगे कि हाँ यह कंपनी वाक़ई काम क्या करती है। ये जो पढ़ाई का काम है, बहुत ज़रूरी है क्योंकि जितना ज़्यादा समय आप देंगे उतना ही ज़्यादा आपको कंपनी के कार्यों व भविष्य में यह कैसा प्रतिसाद देगी, पर आप कोई राय बना पायेंगे। बस समस्या यही है कि भारत में इसकी कोई औपचारिक पढ़ाई नहीं है, ख़ाली समय में टीवी या टाइमपास करने की जगह सीखने की जिज्ञासा रखना होगी।
स्टॉक का भाव बढ़ता कब है, यह भी समझना होगा, इसमें कई प्रकार की ख़बरें काम करती हैं। जैसे कंपनी को कोई बड़ा ऑर्डर मिला, जिससे कंपनी की वैल्युएशन १-२ वर्ष में अच्छी खासी बढ़ जायेगी या फिर कंपनी ने कोई ऐसा नया उत्पाद निकाला जिसकी बाज़ार में बहुत ज़रूरत है और बाज़ार उस उत्पाद को हाथोंहाथ लेगा, इससे भी कंपनी को बहुत फ़ायदा होगा। तो आपको हमेशा ही बिज़नेस न्यूज़ पर अपनी पैनी नज़र रखनी होगी। साथ ही यह भी सीखना होगा कि क्या वाक़ई इस ख़बर का कोई मतलब भी है या नहीं, या यह ख़बर ही झूठी है, जो कि कुछ ऐसे तत्त्वों के द्वारा फैलायी जा रही है जो इस कंपनी का भाव शेयर बाज़ार में कुछ समय के लिये बढ़ाना चाहते हैं।
किसी भी कंपनी का भाव बढ़ाने वाले लोग ऑपरेटर कहलाते हैं, जहाँ कोई ऐसी कंपनी जिसका न उत्पाद ही अच्छा है, और न ही प्रबंधन, परंतु अचानक ही बाज़ार में उससे संबंधित ख़बरें आपको हर तरफ़ दिखाई देने लगती हैं। धीरे धीरे वह कंपनी का नाम आपके लिये जाना पहचाना हो जाता है, तो आपको उस कंपनी के इर्दगिर्द बनाई कहानी वाली ख़बरों पर विश्वास होने लगता है। ऑपरेटर ये गेम बड़ा पैसा बनाने के लिये करते हैं, ऑपरेटर जब भी ये काम करते हैं तो वे कंपनी के प्रमोटरों के साथ मिले होते हैं, क्योंकि बिना प्रमोटरों की मिलीभगत के ऐसा होना बहुत मुश्किल है। प्रमोटर ऐसी स्थिति में अपना स्टैक बाज़ार से ख़रीदकर बढ़ा लेगा, या फिर दोस्तों के नाम या छद्म कंपनियों के नाम से शेयर ख़रीद लेगा, यही ऑपरेटर करेगा। जब वे अच्छी खासी मात्रा में शेयर ख़रीद लेंगे तब बाज़ार में ख़बरों को फैलाने का काम शुरू करेंगे। जब शेयर अपने उच्चतम स्तर पर होगा, तब प्रमोटर और ऑपरेटर अपने शेयर आम निवेशकों को बेचकर बाहर हो जायेंगे। अब चूँकि उस कंपनी में दम ही नहीं है और बाज़ार में वॉल्यूम अचानक से कम हो जायेगा तो शेयरों का भाव टूटना लाज़मी है।
मैं किसी कंपनी का नाम नहीं लूँगा, परंतु एक उदाहरण से समझाता हूँ किसी कंपनी का भाव 30 रूपये चल रहा है, और ऑपरेटरों ने प्रमोटरों के साथ साँठगाँठ करके बाज़ार में शेयरों का भाव बढ़ाने की बात की, कुछ ही दिनों में कंपनी का भाव 150 रूपयों तक चला गया, फिर 175 रुपये भी हो गया, यह भाव बढ़ने का कार्यकाल 6 महीने से 60 महीने या कुछ ओर भी बड़ा हो सकता है, जब कंपनी के प्रमोटरों और ऑपरेटरों ने देखा कि हाँ अब आम निवेशक उनकी फैलाई ख़बरों पर यक़ीन करने लगा है, तब वे बेचना शुरू करती हैं और जिस तेज़ी से शेयर का भाव ऊपर गया था, उससे ज़्यादा तेज़ी से नीचे आ जाता है, 175 रूपयों से 30 रूपयों तक वापिस शेयर का भाव आने में कुछ ही महीने लगेंगे। और हमारा आम निवेशक इतना भोला होता है कि वह उच्चतम क़ीमत पर शेयरों को ख़ुशी ख़ुशी ख़रीद लेता है, और कभी भी लॉस बुक करने की नहीं सोचता है, जब शेयर वापिस से 30 रूपये हो जाता है तो वह उस शेयर में लंबी अवधि का निवेशक बन जाता है, अपने आप का दिलासा देता है कि कभी न कभी तो इस कंपनी का भाव वापिस से 175 रूपये आयेगा, तब उसे बेच देगा।
इसलिये मैं कहता हूँ कि शेयर बाज़ार में एक्शन कम करना चाहिये, एक्शन के मुक़ाबले पढ़ाई कम से कम एक लाख गुना होनी चाहिये, तभी आपको अच्छे और ऐसे बुरे शेयर जो कि ऑपरेटर व प्रमोटर मिलकर चलाते हैं, समझ में आयेगा।
इनसाईडर ट्रेडिंग शेयर बाज़ार में अनुचित व अवैध प्रेक्टिस है, जहाँ अधिकतर शेयर निवेशकों को बेहद घाटा है क्योंकि उनके पास वह जानकारी नहीं है जो कि कंपनी के लोगों के पास होती है।
इसका मतलब यह है कि कंपनी के अंदर की किसी महत्वपूर्ण जानकारी से बहुत सारा पैसा बनाया जा सकता है जिससे शेयर बाज़ार में हो रहे शेयर के कारोबार में सही नहीं ठहराया जा सकता है।
इनसाईडर ट्रेडिंग क्या है?
भारत में सेबी जो कि शेयर बाज़ार की नियामक संस्था है के द्वारा इनसाईडर ट्रेडिंग को हतोत्साहित किया जाता है क्योंकि इस प्रकार की ट्रेडिंग प्रेक्टिस अनुचित है, और साधारण निवेशकों के साथ यह बेईमानी है।
शेयर बाज़ार में सूचिबद्ध शेयरों, प्रतिभूतियों (जैसे बांड, शेयर, स्टॉक ऑप्शन्स) में होने वाले कारोबार वाली कंपनियों में कोई भी ऐसी ख़बर जिससे कंपनी की कार्यप्रणाली, किसी बड़े निर्णय की पहले से जानकारी होना, व उससे फ़ायदे या नुक़सान का आँकलन कर उसमें ट्रेडिंग करना इनसाईडर ट्रेडिंग कहलाता है। इस जानकारी को नॉन-पब्लिक इंफर्मेशन कहा जाता है। जिससे कंपनी के अंदर का कोई भी व्यक्ति जिसे उन नॉन-पब्लिक इंफर्मेंशन की जानकारी होती है वह फ़ायदा होने की स्थिति में शेयर बाज़ार से ख़रीद लेता है, घाटा होने की स्थिति में शेयर पहले बेच देता है।
साधारण से शब्दों में अगर कहा जाये तो यह समझिये कि जिस जानकार व्यक्ति के पास कंपनी की अंदरूनी जानकारी है वह फ़ायदे में है और साधारण शेयरधारकों के पास वह जानकारी नहीं है। वह जानकार व्यक्ति कार्पोरेट ऑफ़िसर, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर, एम्पलोई या वह जिसे इस नॉन-पब्लिक इंफर्मेंशन तक पहुँच है, हो सकता है।
इनसाईडर ट्रेडिंग के उदाहरण –
हम यहाँ तीन प्रकार के उदाहरण से समझेंगे –
१. किसी कंपनी के CEO के वकील को एक गोपनीय मीटिंग में यह पता चलता है कि अगले कुछ दिनों में ही CEO एकाऊँटिंग फ़्रॉड के कारण पकड़ा जायेगा।
इस परिस्थिती में वकील उस कंपनी के शेयरों को बाज़ार में बेच देगा, क्योंकि उसे पता है कि CEO के पकड़े जाने की ख़बर आने के बाद कंपनी के शेयर का भाव गिरेगा।
२. मान लीजिये कि मेरा कोई दोस्त किसी कंपनी में महत्वपूर्ण पद पर है और उसके पास बेहद महत्वपूर्ण जानकारी है कि उसकी कंपनी को बहुत बड़ा फ़ायदा होने वाला है, वह यह जानकारी मुझसे साझा करता है।
तो मैं उस कंपनी के शेयर उस समय बाज़ार भाव से बहुत ज़्यादा मात्रा में ख़रीद लेता हूँ, जब दो दिन के बाद वह ख़बर आम जनता को पता चलेगी तो उस शेयर का भाव बहुत बढ़ जायेगा।
मान लीजिये कि शेयर का भाव उस समय 400 रुपये चल रहा है और मैं उस कंपनी के 1000 शेयर ख़रीद लेता हूँ, तो मेरा निवेश 4,00,000 रूपये का हो जाता है।
अब उस कंपनी की ख़बर बाज़ार में आ जाती है और उस ख़बर से जो कि नये उत्पाद लाँच की ख़बर है, और उस तरह का उत्पाद बाज़ार में था ही नहीं, और उस उत्पाद की ज़रूरत भारत में लंबे समय से है तो कंपनी के शेयरों का भाव तेज़ी से बढ़ने लगेगा।
2-3 सप्ताह में ही कंपनी के शेयर का भाव 600 रुपये हो जाता है और मैं उन शेयरों को बेच देता हूँ, जो कि 600 रुपये के हिसाब से 1000 शेयरों का 6,00,000 रूपये हो जाता है। मेरा लाभ मात्र 2-3 सप्ताह में 40% हो जाता है, जो कि 2,00,000 रूपये होता है।
३. कोई व्यक्ति सरकारी अफ़सर है और उसे किसी नये क़ानून व नियम के बारे में पहले ही पता चल जाता है और उस नियम से ऑटो कंपनियों को बहुत फ़ायदा होने वाला है, और वह गोपनीय तरीक़े से ऑटो कंपनियों के बहुत सारे शेयर ख़रीद लेता है, क्योंकि उसे पता है कि जैसे ही यह क़ानून व नियम लागू होंगे, शेयर के भाव बहुत बढ़ जायेंगे।
इनसाईडर ट्रेंडिंग Illegal क्यों है?
अधिकतर देशों में इनसाईडर ट्रेडिंग मतलब कि गोपनीय जानकारी के आधार पर लाभ कमाने वाली गतिविधियों को Illegal माना जाता है और इस प्रकार की ट्रेडिंग को आपराधिक कृत्य के तौर पर देखा जाता है।
१. आम निवेशकों के साथ धोखा –
यह वाक़ई उन आम निवेशकों के साथ धोखा है जिन्हें इस गोपनीय जानकारी का पता नहीं होता है और वे घाटा में रहते हैं। वहीं जिनके पास वह गोपनीय जानकारी होती है वे लोग उस जानकारी से बहुत से पैसा बना लेते हैं।
२. नैतिक रूप से ग़लत है
इनसाईडर ट्रेडिंग को नैतिक रूप से ग़लत कार्य माना जाता है और शेयर बाज़ार में इस तरह के कार्य को अनैतिक माना जाता है, क्योंकि उस कंपनी के सभी शेयरधारकों को ट्रेडिंग में बराबर का अवसर नहीं मिल पाता। वह जानकारी उनके पास बाद में आती है।
३. लोगों का विश्वास डगमगाता है
इनसाईडर ट्रेडिंग से शेयर बाज़ार में कंपनी के प्रति विश्वास डगमगाता है, कम हो जाता है।
क्या आप किसी ऐसे खेल को खेलना पसंद करोगे जहाँ धोखेबाज़ी है, नहीं न, क्योंकि आपको पता है कि इस कंपनी के लोग धोखेबाज़ हैं और गोपनीय जानकारी के आधार पर अपना फ़ायदा बना लेते हैं, जिससे आम निवेशक को हमेशा ही फ़ायदा नहीं होता है, उल्टा नुक़सान ही होता है तो आम निवेश इस तरह की कंपनियों के शेयरों से दूर ही रहता है। जिससे कंपनी की छवि ख़राब होती है।
इनसाईडर ट्रेडिंग एक जुर्म है और इस पर सज़ा के साथ साथ ही जुर्माने का भी प्रावधान है।
कई लोगों को शेयर बाजार केसिनो लगता है, कि रातों रात वहाँ पर पासे फेंककर या नम्बर गेम में किस्मत आजमाकर करोड़ों कमाना चाहते हैं। पर यह बाजार उन्हीं जैसे लोगों का इंतजार करता है, थोड़ा सा जिताकर लालच देता है कि तुम केवल जीत ही रहे हो, और फिर वे लोग इस दलदल से बाहर निकल ही नहीं पाते, धन तो जाता ही है, अगर मानसिक कमजोर होते हैं तो जान भी दे देते हैं आत्महत्या करके।
हम स्टॉक मार्केट में करोड़ों कमाने नहीं आये, हमें बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज कम लगता था, और हमें चाहिये था दोगुना ब्याज, बस इस चक्कर में यहाँ आये, कई बार लालच में फँसे पर अपने लक्ष्य पर कायम रहे।
ध्यान रखिये वॉरेन बफेट का वार्षिक रिटर्न 23% है तो कैसे ये नए खिलाड़ी सोचते हैं कि वे 200 या 500% का रिटर्न बाजार से कमा लेंगे। क्योंकि यहाँ भी सपने बेचने वाले लोग हैं, जो बताते हैं कि अगर इतना पैसा लगाओगे तो साल का इतना पैसा तो चुटकी बजाते ही कमा लोगे, और जब पैसे की बात होती है तो आदमी लालच में अंधा हो जाता है। जब कोई समझाता है तो उसे लगता है कि यही है वो जो उसे करोड़पति बनने से रोक रहा है। ऐसे लोगों के चक्कर में न पड़ें जो कहते हैं कि महीने के इतने रूपये लेंगे और श्यूर साट कॉल देंगे, अगर ऐसा ही है तो उनको कॉल बेचने की क्या ज़रूरत वे बाज़ार से सीधे ही कमा सकते हैं।
लालच करिये पर सीमा में रहकर, देखिये एक साधारण सा गणित है, अगर आप कोई शेयर खरीदते हैं और अगर कुछ ही दिनों में आपको मान लीजिये 4-5% का प्रॉफिट होता है, तो बेचकर निकल लीजिये, हाँ पैसा कमाना है तो सीखना भी पड़ेगा, अगर ऐसा आपने वर्ष में 2-3 या 4 बार भी कर लिया तो आपने बैंक से दोगुना या तीन गुना ब्याज अर्जित कर लिया। छोटे मुनाफे पर लालची बनिये और मजा करिये।