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केवल आपने खुद को ही सुरक्षित कर रखा है या परिवार को भी..

    अब आगे मित्र से बात जारी रही, हमने पूछा अब एक बात बताओ कि आपने आपातकाल के लिये क्या व्यवस्था कर रखी है, वह बोला अरे अपने एक इशारे पर सारे काम हो जाते हैं, हमने कहा भई हकीकत की धरातल पर उतर आओ और सीधे सीधे साफ़ शब्दों में बताओ, अगर बीमारी का क्षण आ गया या फ़िर मान लो बीमारी ऐसी है कि चिकित्सालय में भी ना रहना पड़े और चिकित्सक ने घर पर ५०  दिन का आराम बता दिया या मान लो बिस्तर पर एक वर्ष तक रहना पड़ा, उस दिशा में क्या करोगे, क्योंकि आपको वेतन के साथ तो ५० दिन की छुट्टी मिलना मुश्किल है, आप वेतन के साथ ज्यादा दिन की छुट्टी पर नहीं रह सकते, तब आप अपने परिवार का खर्च कैसे उठाओगे ?

family     मित्र ने कहना शुरू किया कि बीमारी के लिये हमने मेडिक्लेम ले रखा है और दूसरी स्थिति के लिये हमने कभी सोचा ही नहीं कि ऐसा भी हो सकता है या यह भी कह सकते हैं कि हमें इस स्थिति से कैसे निपटा जा सकता है हमें पता नहीं। वैसे हमें लगता है कि हमें इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। हमने कहा भाई परिस्थितियाँ कभी किसी को बताकर इंतजार करवाकर नहीं आतीं, बेहतर है कि हम उन परिस्थितियों का आकलन करके पहले से ही उसकी व्यवस्था करके रख लें, ताकि हम उन परिस्थितियों से बेहतर तरीके से निपट सकें।

     अब मित्र ने कहा कि अच्छा यह बताओ कि कैसे निपटा जा सकता है ? हमने उनसे पूछा कि ये बताओ तुमने मेडिक्लेम कितना ले रखा है, वे बोले हमने अपना मेडिक्लेम २ लाख रूपये का ले रखा है। हमने पूछा और परिवार का मेडिक्लेम, वे बोले नहीं परिवार का मेडिक्लेम नहीं ले रखा है, हमने उनसे कहा कि आपातकाल केवल तभी नहीं आता जब खुद बीमार हों, परिवार का कोई भी सदस्य बीमार हो सकता है तो बेहतर है कि परिवार के लिये एक मेडिक्लेम लो जिसमें सारे सदस्य बीमित हों।

     हमने कहा कि आप कम से कम ५ लाख का फ़ैमिली फ़्लोटरfamily-floaters मेडिक्लेम बीमा लो, आजकल वैसे ५ लाख भी कम पड़ते हैं, पर फ़िर भी आपात स्थिति से निपटने के लिये बहुत हैं, फ़ैमिली फ़्लोटर मेडिक्लेम का फ़ायदा यह है कि परिवार के चारों सदस्य ५ लाख से बीमित हैं और चारों में से कोई भी एक ५ लाख तक फ़ायदा उठा सकता है या फ़िर एक से ज्यादा सदस्य भी, बस चारों सदस्य मिलकर ५ लाख तक का ही चिकित्सकीय व्यय से बीमित हैं और उससे ज्यादा लेना है तो उसके लिये आजकल टॉप अप सुविधा भी उपलब्ध है, जो कि आप हर वर्ष अपने हिसाब से कम ज्यादा कर सकते हैं।

     अब आगे बतायेंगे कि कैसे दूसरी स्थिति से निपटा जाये “चिकित्सक ने घर पर ५० दिन का आराम बता दिया और करना भी जरूरी है, उस दिशा में क्या करोगे ?” क्या आपने भी कभी सोचा है ? तो बताइये ?

जीवन की कठिनाइयों में परिवार का साथी बीमा

    जीवन बहुत कठिन है और जीवन में कई तरह की कठिनाइयाँ पल familyपल पर आपका इंतजार करती हैं, जिससे जूझते हुए हम जीवन को सुखद एवं सफ़ल बनाते हैं। जीवन में कई आपातकाल भी आते हैं, जहाँ ना अपने काम आते हैं और ना ही पराये काम आते हैं। इसके लिये हमें खुद ही तैयारी करनी पड़ती है, सोचना पड़ता है, योजना बनानी पड़ती है।

    मनुष्य के जीवन के आपातकाल कौन से होते हैं, आपातकाल मुख्यत:money उसे कह सकते हैं, जब आप वाकई कठिनाई में हों और कोई रास्ता ना सूझ रहा हो और उस समय अपना / पराया कोई सहायता नहीं करने आता । सुख में तो सभी आपके साथ हैं परंतु दुख में कोई दूर दूर तक नहीं दिखता ।

जीवन की सबसे ज्यादा कठिनाई के क्षण होते हैं –

insurance१. मौत

२. बीमारी

३. दुर्घटना

    इन तीनों ही स्थिति में परिवार टूट जाता है और कहीं ना कहीं सहारा ढूँढ़ता है, और इन तीनों से परिवार को केवल बीमा से सुरक्षित किया जा सकता है ।

१. मौत

 

२. बीमारी

 

३. दुर्घटना

सावधि जीवन बीमा (Term Insurance)

Mediclaim Insurance / Critical Insurance

Personal Accidental Insurance

   इस प्रकार उपरोक्त कठिनाइयों से बीमा द्वारा परिवार को सुरक्षित किया जा सकता है। एवं साथ में परिवार को आपातकाल के लिये इनका उपयोग भी बताना चाहिये। जिससे परिवार बीमे का सही उपयोग कर पाये और उस आपातकाल वाले कठिन क्षणों में बीमे से उसे साहस बँधे, क्योंकि अधिकतर आपातकाल में धन की कमी बहुत महसूस होती है और आजकल महँगाई सर चढ़कर बोल रही है।

टीपीए क्या होता है, मेडिक्लेम में टीपीए के इंटिमेशन को लेकर नियामक की खामियाँ या उच्च स्तर की मिलीभगत (What is TPA ? Intimation related problem with TPA)

रमेश और टी.पी.ए. के बारे में पहले की पोस्ट यहाँ चटका लगाकर पढ़िये।

टीपीए कौन सा हो, यह जानना भी जरुरी है मेडिक्लेम लेते समय, बीमा नियामक की लगाम भी जरुरी है टीपीए पर (Choose right TPA for Claim Settelment)

इस लेख पर डॉ. महेश सिन्हाजी ने पूछा था कि टीपीए क्या होता है ?
    टीपीए याने कि थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर, जो कि बीमा कंपनियों से संबद्ध रहते हैं, और बीमा दावे से भुगतान तक की प्रक्रिया को निपटाते हैं। जैसे कि अगर किसी सरकारी या गैर सरकारी कंपनी से मेडिक्लेम लिया तो उसके दावे और भुगतान के लिये दो प्रक्रियाएँ हैं –
१. बीमा कंपनी का खुद का टीपीए हो, याने कि आंतरिक टीपीए, बीमा कंपनी खुद ही दावे और भुगतान की प्रक्रिया निपटाये।
२. बीमा कंपनी आईआरडीए से अधिकृत टीपीए को यह कार्य दे दे, जैसे ही मेडिक्लेम लिया तो पॉलिसी में ही टीपीए का नाम और उसके प्रधान कार्यालय का नाम पता आता है, साथ ही कैशलेस कार्ड के पीछे टीपीए का स्थानीय कार्यालय का पता, फ़ोन नं. और फ़ेक्स की जानकारी होती है।
    यानि कि जिस बीमा कंपनी से आपने मेडिक्लेम लिया उसकी जिम्मेदार पॉलिसी आपको देने के बाद खत्म और वह चाहकर भी बीमित की मदद नहीं कर सकती।
    आईआरडीए के अंतर्जाल पर टीपीए की सूची भी मिलती है, ज्यादा जानकारी के लिये आप टीपीए सूची पर चटका लगाकर देख सकते हैं।
 
अब पिछली पोस्ट से आगे –
    रमेश ने फ़िर सप्ताह भर इंतजार करने के बाद वापिस से टीपीए को फ़ोन लगाया कि हमारे स्वास्थ्य बीमा भुगतान का क्या हुआ और हमें चैक कब तक मिलेगा। टीपीए के कार्यालय से जबाब मिला कि आपने बीमार होने पर हमें याने कि टीपीए को इसकी जानकारी (Intimation) नहीं दी थी, इसलिये आपका दावा रिजेक्ट कर दिया गया है। तब टीपीए को बताया गया कि हमने आपके दिये हुए फ़ैक्स नंबर पर २४ घंटों के अंदर ही इंटीमेशन फ़ैक्स कर दी थी और बाद में आपके कार्यालय में इंटीमेशन की एक प्रति स्पीडपोस्ट से भी भेजी है, साथ ही सरकारी बीमा कंपनी को भी इंटीमेशन दी है।
    पर टीपीए कार्यालय से जबाब मिला कि हमें आपकी तरफ़ से कोई फ़ैक्स नहीं मिला और न ही कोई स्पीड पोस्ट, तो रमेश ने उन्हें बताया कि हमारे पास फ़ैक्स की ओके रिपोर्ट है, जो कि वापिस से आपको फ़ैक्स कर रहे हैं, तो पता चला कि टीपीए कार्यालय ने वह फ़ैक्स की ओके रिपोर्ट भी मानने से इंकार कर दिया क्योंकि उस ओके रिपोर्ट पर टीपीए कार्यालय का फ़ैक्स नंबर प्रिंट नहीं था, तो रमेश ने उनसे कहा कि अभी जो ओके रिपोर्ट की ओके रिपोर्ट आयी है उसमें भी आपका फ़ैक्स नंबर नहीं है। अब टीपीए ने बोला कि आप साबित कीजिये कि आपने हमें इंटीमेशन दी थी, तो रमेश ने अपनी बीमा कंपनी में बात की तो वहाँ से बताया गया कि उन्होंने भी इंटीमेशन फ़ैक्स की है और कभी भी टीपीए को किये गये फ़ैक्स की ओके रिपोर्ट में कभी भी उनका फ़ैक्स नंबर नहीं आता है,टीपीए ने फ़ैक्स मशीन में ही कोई गड़बड़ी कर रखी है, और साथ ही जो प्रति रमेश ने बीमा कंपनी को भेजी थी वो उनके आवक रजिस्टर में चढ़ी हुई है, और साथ ही बीमा कंपनी ने भी स्पीड पोस्ट से टीपीए को जानकारी (Intimation) भेजी है, जो कि उनके जावक रजिस्टर में चढ़ी हुई है।
    जब टीपीए कार्यालय को यह जानकारी दी गई तो वहाँ से कहा गया कि इंटिमेशन की कॉपी जो कि बीमा कंपनी ने प्राप्त की थी, उनके सील और साईन के साथ वाली इंटीमेशन की कॉपी फ़ैक्स करिये और एक फ़ोटोकॉपी स्पीडपोस्ट के द्वारा भेजिये। फ़ैक्स करने के बाद टीपीए कार्यालय से फ़ोन करके पक्का कर लिया कि फ़ैक्स मिल गया है और बीमा कंपनी द्वारा भी अधिकारी अधिकृत पत्र उनको भेजा जा रहा है।
    इसी बीच रमेश ने टीपीए को इंटिमेशन के बारे में टीपीए और आईआरडीए से जानकारी ली तो बहुत सी खामियाँ नजर आईं।
 
    टीपीए को इंटिमेशन – टीपीए के स्थानीय कार्यालय आपातकाल की स्थिती में २४ घंटों के अंदर इंटिमेशन फ़ैक्स करना होता है और फ़िर फ़ोन पर इस बाबद पक्का कर लिया जाये कि उन्हें इंटिमेशन मिल गई है। अगर पहले से ही किसी चिकित्सा को प्लॉन किया गया है तो भर्ती करने के पहले टीपीए को इंटिमेशन देकर स्वीकृति ले ली जाये।
 
    खामियाँ – जब रमेश ने टीपीए से पूछा कि हमने आपको इंटिमेशन दी पर हमें इसकी प्राप्ति रसीद नहीं मिली और फ़ैक्स की ओके रिपोर्ट पर भी आपका फ़ैक्स नंबर नहीं है, दो महीने बाद जब हम भुगतान के लिये दावा करेंगे तो आप इंटिमेशन न करने को लेकर हमारा केस रिजेक्ट कर सकते हैं और इंटिमेशन दिया है इसे साबित करने को कह सकते हैं। जब उनसे इस बाबत जबाब मांगा गया तो कार्यालय का जबाब था कि प्राप्ति की रसीद का कोई प्रावधान नहीं है। फ़िर रमेश ने उनसे टीपीए में उनसे संबद्ध उच्च अधिकारी का फ़ोन नंबर मांगा ताकि इस स्थिती को स्पष्ट किया जा सके परंतु टीपीए कार्यालय ने किसी भी उच्च अधिकारी का नंबर देने से मना कर दिया।
    रमेश ने हैदराबाद स्थित आईआरडीए कार्यालय को फ़ोन किया और उनके अधिकारियों से टीपीए को इंटीमेशन के संबंध में जानकारी चाही गई तो उनके भी हाथ बंधे हुए ही नजर आये, वहाँ से भी यही जबाब मिला कि आपके पास फ़ैक्स की ओके रिपोर्ट और कूरियर या स्पीड पोस्ट की रसीद रखना चाहिये। उन्हें कहा गया कि फ़ैक्स की ओके रिपोर्ट में टीपीए का फ़ैक्स नंबर नहीं आता है, तो आईआरडीए के अधिकारी कुछ भी कहने की स्थिती में नहीं थे। और कूरियर और स्पीडपोस्ट से इंटीमेशन में टीपीए यह कहकर क्लेम रिजेक्ट कर सकता है कि २४ घंटों के अंदर सूचित नहीं किया गया, इस पर भी आईआरडीए के अधिकारी कुछ भी कहने की स्थिती में नहीं थे, बस इतना ही कहा गया कि हम इसमें आपकी कोई सहायता नहीं कर सकते हैं, इसके लिये आपको संबद्ध बीमा लोकापाल से संपर्क करना होगा।
    मेडिक्लेम के लिये बीमा कंपनियाँ इतने रुपये लेती हैं परंतु टीपीए के लिये आईआरडीए का कोई भी दिशा निर्देश साफ़ नहीं है, या तो काफ़ी उच्च स्तर पर मिलीभगत है या फ़िर आईआरडीए और बीमा कंपनियों को यह साफ़ नहीं है कि टीपीए के लिये क्या दिशा निर्देश होना चाहिये। बीमा लोकापाल को या नियामक को टीपीए से संबंधित दिशा निर्देशों पर ध्यान देकर इन कमजोरियों को दूर किया जाना चाहिये।
    यहाँ पर टीपीए है हैरिटेज हैल्थ प्राईवेट लिमिटेड, कोलकाता और बीमा कंपनी है यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेन्स।
    अब भी अगर कुछ नहीं होता है तो रमेश इस गंदे सिस्टम से लड़ाई का मन बना चुका है, जिसके तहत पहले वह बीमा लोकापाल, भोपाल में शिकायत दर्ज करवायेगा और फ़िर एक इस संबद्ध में जनहित याचिका।

टीपीए कौन सा हो, यह जानना भी जरुरी है मेडिक्लेम लेते समय, बीमा नियामक की लगाम भी जरुरी है टीपीए पर (Choose right TPA for Claim Settelment)

    रमेश ने मेडिक्लेम ले लिया और खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित महसूस करने लगा, टीपीए क्या होता है, कौन सा टीपीए होना चाहिये, यह सब न उनको उनके बीमा एजेन्ट ने बताया न उन्होंने जानने की कोशिश की, उन्हें लगा व्यक्तिगत मेडिक्लेम से अच्छा फ़ैमिली फ़्लोटर मेडिक्लेम पॉलिसी अच्छी है।

    रमेश का सोचना बिल्कुल सही है कि फ़ैमिली फ़्लोटर मेडिक्लेम पॉलिसी अच्छी है, क्योंकि उस बीमा राशि का उपयोग परिवार का कोई भी व्यक्ति कर सकता है। और फ़ैमिली फ़्लोटर में कैशलेस स्कीम ली जिसके लिये उन्होंने कुछ ज्यादा प्रीमियम भी दिया, कि जब भी आपात स्थिती आयेगी तो कम से कम उन्हें अपनी जेब से भुगतान नहीं करना होगा।

    एक दिन रमेश को कुछ समस्या हुई, और उन्हें आपात स्थिती मॆं अस्पताल में भर्ती करना पड़ा, रमेश ने अपने टीपीए को २४ घंटे के अंदर ही खबर कर दी परंतु उनके टीपीए ने कैशलेस का फ़ायदा देने से इंकार कर दिया, वह भी बिना कारण बताये। रमेश को कहा गया कि आप अभी अपने खर्चे पर इलाज करवाईये और बाद में क्लेम करिये, तब भुगतान कर दिया जायेगा। रमेश विकट परिस्थिती में फ़ँस चुका था, क्योंकि ये टीपीए  वाला झंझट उसे पता ही नहीं था, और उसके पास उतना नगद भी नहीं था, पर जैसे तैसे करके उसने इलाज के लिये नकद जुटा लिया और इलाज करवा लिया।

    पॉलिसी के नियमानुसार उन्होंने निर्धारित समय में सारे कागजात उन्होंने टीपीए को भेज दिये और अपने क्लेम के भुगतान का इंतजार करने लगे, पर उनकी राह शायद उतनी आसान नहीं थी। टीपीए से क्लेम का भुगतान १५ से ४५ दिन में हो जाना चाहिये जो कि आई.आर.डी.ए. का नियम है, परंतु बहुत ही कम क्लेम में ऐसा होता है। साधारणतया: टीपीए द्वारा बहुत परेशान किया जाता है या फ़िर क्लेम का भूगतान देने से मना कर दिया जाता है या फ़िर क्लेम भुगतान में बहुत सारी चीजों का भुगतान रोक दिया जाता है।

    रमेश को कागजात जमा करवाये लगभग डेढ़ महीना गुजर गया परंतु क्लेम का भुगतान नहीं आया और न ही टीपीए की तरफ़ से कोई जानकारी का पत्र कि उन्हें कोई जानकारी चाहिये या देरी होने की वजह । रमेश ने अपने एजेन्ट से बात की तो उसने भी हाथ खड़े कर दिये, क्योंकि एजेन्ट के हाथ में भी कुछ नहीं था, क्लेम तो टीपीए को पास करना था। रमेश ने टीपीए के फ़ोन नंबर हासिल किये और संपर्क साधा, तो पता चला कि फ़ाईल अभी डॉक्टर के पास से ही नहीं आयी है, उन्हें एक सप्ताह का इंतजार करने को कहा गया, और बताया गया कि अगर उन्हें किसी कागजात की जरुरत होगी तो बता दिया जायेगा।

    टी.पी.ए. से ४५ दिन बाद रमेश को यह जबाब मिला है, उनकी मुश्किलों का दौर अभी खत्म नहीं हुआ है, परंतु उन्होंने इस विषय में बीमा कंपनी के प्रबंधक से बात की, तो प्रबंधक ने उन्हें बताया कि व्यक्तिगत मेडिक्लेम में इनहाऊस टीपीए होता है तो क्लेम का भुगतान १५-३० दिन में ही हो जाता है और चूँकि यह लोकल होता है तो बीमाधारक बीमा कंपनी में जाकर पूछताछ कर सकता है और प्रगति की जानकारी ले सकता है।

    आईआरडीए ने बहुत सारी कंपनियों को टीपीए का लाईसेंस दिये हैं और आप अपना बीमा करवाने से पहले यह जान लें कि कौन सी टीपीए अच्छा है जो कि क्लेम का भुगतान समय पर करता है, तो आप अपना टीपीए खुद भी चुन सकते हैं, पर अच्छा यही होगा कि बीमा कंपनी और बीमा प्लॉन चुनते समय  देख लें अगर इनहाऊस टीपीए है तो बहुत ही अच्छा है, इनहाऊस टीपीए वाली कुछ कंपनियाँ आईसीआईसीआई लोम्बार्ड, स्टार हेल्थकेयर इत्यादि। जिससे आप मेडिक्लेम से सुरक्षित भी रहें और क्लेम का भुगतान भी समय पर मिले।

    अब अगली बार जब भी मेडिक्लेम का नवीनीकरण करवायें तब इस संदर्भ में पूरी जानकारी प्राप्त करें और उचित बीमा कंपनी से उचित बीमा लें, कौन सा बीमा लेना है यह सबकी अपनी अपनी परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

    वैसे सरकारी बीमा कंपनियाँ टीपीए का विरोध कर रही हैं, क्योंकि बीमा कंपनियाँ केवल बीमा जारी करने तक की प्रक्रिया में ही शामिल होती हैं, कब क्लेम किया गया और कब उसका भुगतान कर दिया गया यह उनको पता बाद में चलता है जब टीपीए से क्लेम भुगतान का पत्र बीमा कंपनियों के पास पहुँचता है। ये टीपीए कंपनियाँ, इसके पीछे बहुत बड़ा खेल चला रही हैं, और बीमा कंपनियों को करोड़ों का चूना भी लगा रही हैं, मेडिक्लेम बीमा के क्षेत्र में बीमा कंपनियाँ इसी कारण से ३००% की हानि में हैं, बीमा नियामकों को इस तरफ़ ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है, नहीं तो जल्दी ही बीमा कंपनियाँ मेडिक्लेम करने से कतराने लगेंगी।

होली के रंगबिरंगे त्यौहार पर परिवार को और अपने आप को दें आर्थिक सुरक्षा [स्वास्थ्य बीमा का महत्व] …[Importance of Mediclaim in your life….]

   आप सोच रहे होंगे कि सुबह सुबह भांग खाकर फ़िर शुरु हो गया, परिवार की आर्थिक सुरक्षा पर हाँ इसे जरा सोचिये, देखिये और फ़िर अमल कीजिये।
   मैंने कोई भांग नहीं चढ़ाई है पर आपकी जिंदगी के रंग में भंग न पड़ जाये इसलिये बिना भांग छाने आज बता रहा हूँ, आप अपनी और परिवार की आर्थिक सुरक्षा कैसे करें।
    बड़ी बड़ी बीमारियों के नाम तो सुने ही होंगे, आप भी बोलेंगे कि त्यौहार के दिन क्या सुबह सुबह बड़ी बड़ी बीमारियों के नाम गिनाने में लगे हैं पर क्या करें जब बात स्वास्थ्य की हो तो कोई समझौता नहीं। मान लीजिये कि छोटा सा ह्रदयाघात हो गया तो क्या होगा, अगर आपके पास स्वास्थ्य बीमा याने कि मेडिक्लेम नहीं है। परिवार में किसी के साथ कुछ हो गया तो ? विपत्ति कभी निमंत्रण देकर नहीं आती है, इसलिये विपत्ति का ध्यान अच्छॆ समय में ही कर लेना चाहिये।
    अब सोचिये एक परिवार जो हँस खेल रहा है और अचानक परिवार के एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति को ह्रदयाघात आ गया, अब …. अब क्या होगा…. सोचिये अगर ये परिस्थितियाँ आपके साथ आ गईं तब क्या होगा, पहले तो अपने परिवार की चिंता कि क्या होगा, पता नहीं ठीक होने में कितने दिन लगेंगे, डॉक्टर और अस्पताल का कितना खर्चा होगा, वैसे भी आजकल के अस्पताल बहुत महँगे हो चुके हैं, और हर परिवार अपने सदस्य का अच्छे से अच्छे अस्पताल में और अच्छॆ से अच्छा इलाज करवाना चाहता है, जिससे परिवार में वापिस खुशियाँ लौट आयें। हाँ तो सोच लिया होगा अब तक तो कि कितना प्रभाव होगा आपके परिवार पर, नहीं दिमाग चलना बंद हो गया तो चलिये हम देखते हैं कि क्या हो सकता है…
    आम आदमी के हिसाब से यह विश्लेषण कर रहा हूँ, वैसे भी आजकल बीमारी की कोई उम्र नहीं होती है ।
सेविंग अकाऊँट में हैं ३०-३५ हजार रुपये
फ़िक्स्ड डिपोजिट – ४-५ लाख (भविष्य की बचत)
म्यूचयल फ़ंड – १-२ लाख (भविष्य की बचत)
अब छोटे से ह्रदयाघात पर होने वाला खर्चा देखें जो कि एक ठीक से अस्पताल में है –
५ दिन ICCU में – १ लाख से १.५० लाख
दवाईयाँ  – २०-३० हजार
३०-३५ दिन आराम – सैलेरी का नुक्सान लगभग ५० हजार रुपये
फ़िर डॉक्टर की फ़ीस और दवाईयाँ – २०-३० हजार रुपये 
तो ये हो गया लगभग २.५० लाख रुपये ओह घबरा गये तो ठीक है अगर नहीं घबराये मतलब कि आपके पास स्वास्थ्य बीमा (मेडिक्लेम) है।
    जी हाँ आपकी भविष्य की बचत में से सीधे २.५० लाख रुपये का खर्चा पर अगर आप मेडिक्लेम करवाते तो क्या यह आपकी बचत, बचत नहीं रहती। सोचिये आपके भचिष्य की योजनाओं पर जो आपने इसी बचत के भरोसे सोची थीं। क्या होगा…….?
    पर सोचिये अगर हर साल थोड़े से पैसे खर्च कर मेडिक्लेम करवा लिया होता तो आपके साथ साथ आपकी बचत का भी बीमा हो रहा है। अरे क्या सोच रहे हैं फ़िर वही थोड़े से रुपये के बारे में सोचने लगे।
अच्छा चलो अब मैं आपको बताता हूँ कि मेडिक्लेम परिवार के लिये कैसे मदद करता है –
    पारिवारिक बीमा लें तो हरेक सदस्य ज्यादा बीमित राशि से सुरक्षित होगा और आप चिंता मुक्त, जैसे कि ६ लाख का पारिवारिक बीमा जिसमें ३५ वर्ष का पारिवारिक मुखिया, ३४ वर्ष की पत्नी और एक ५ वर्ष का छोटा बच्चा बीमित हैं, यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेन्स कंपनी की मेडिक्लेम में इसका प्रीमियम है प्रतिवर्ष लगभग ९४३१ रुपये और वर्ष भर स्वास्थय पर होने वाले बड़े खर्चों की चिंता से मुक्ति। अगर ६ लाख कम लगता है कि आजकल अस्पताल बहुत महँगे हो गये हैं तो एक बीमा टॉप अप ले सकते हैं, जैसे कि ५.५ लाख का लगभग ४१३१ रुपये का है तो लगभग १३००० रुपये में आपके परिवार को सुरक्षा मिल गई ११.५० लाख के स्वास्थय बीमा की, जो कि परिवार की सुरक्षा तो है ही साथ ही आपकी बचत की भी सुरक्षा है जिसके लिये आपने निवेश किया है।
तो सोच क्या रहे है चिंता करना शुरु कीजिये अपने परिवार की और अपनी भविष्य की बचत की।
शुरुआत कभी भी की जाये हमेशा अच्छी होती है, और शुरुआत कभी देर से नहीं होती है। बस शुरुआत होनी चाहिये।
सोचिये और आज ही अपने बीमा एजेन्ट से कोई अच्छा से स्वास्थ्य बीमा योजना लें, परिवार में खुशियाँ लायें और हमेशा खुशियाँ रहें आपके जीवन में रंगों के त्यौहार होली की शुभकामनाएँ। 

भाग ९ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 9) आयकर में ३५,००० रुपये तक की छूट धारा 80 D के तहत…

आयकर में छूट –

    आप शायद जानते होंगे कि स्वास्थ्य बीमा की जो प्रीमियम अदा की जाती है उस पर आयकर अधिनियम १९६१ के अंतर्गत आयकर की धारा ८० डी में छूट मिलती है। २००८ के बजट आने के पहले ८० डी के अंतर्गत १५,००० रुपये की छूट खुद के लिये मिलती थी। इसमें व्यक्तिगत, जीवनसाथी, आश्रित बच्चे और अभिभावक अगर बीमाधारक की शादी न हुई हो शामिल थे। जिसके तहत आप स्वास्थ्य बीमा की छूट ८० डी में ले सकते हैं।

    आयकर बचत के लिये २००८ का बजट बहुत ही विशिष्टता लेकर आया,  जिससे आप अपने परिवार को और अपने अभिभावकों    को अच्छी सुरक्षा प्रदान कर सकें। इसमें १५,००० रुपये की स्वास्थ्य बीमा की छूट आप अपने परिवार याने कि अपनी पत्नी बच्चों के लिये ले सकते हैं, और २०,००० रुपये तक की छूट आप अपने माता पिता के लिये भी ले सकते हैं, ८० डी के तहत मतलब कि पूरी ३५,००० रुपये की छूट आप ले सकते हैं। जो कि एक लाख रुपये जो कि आप ८० सी के तहत आयकर के लिये बचा रहे हैं, उसके अतिरिक्त है।

तो ऐसा नहीं है कि आप अपने परिवार और माता पिता के लिये पर्याप्त स्वास्थ्य लाभ के लिये खर्च कर रहे हैं, अपितु आप जो भी प्रीमियम भुगतान कर रहे हैं उस पर अपना आयकर भी बचा रहे हैं।

पहले की कड़ियाँ –

भाग १ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 1)
भाग २ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 2)
भाग ३ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 3)
भाग ४ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 4) स्वास्थय बीमा योजना चुनने के लिये कुछ सुझाव
भाग ५ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 5) स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम राशि को कम कैसे करें….
भाग ६ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 6) बाजार में उपलब्ध स्वास्थ्य बीमा उत्पाद
भाग ७ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part ७) किन सुविधाओं पर ज्यादा ध्यान देना चाहिये..

भाग ८ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 8) स्वास्थ्य बीमा दावा दायर करने की प्रक्रिया ..

स्वास्थ्य बीमा दावा दायर करने की प्रक्रिया –

    स्वास्थ्य बीमा कौन सा लेना चाहिये और कितना प्रीमियम भरना चाहिये यह सब एक अलग बात है और स्वास्थ्य बीमा के दावे की प्रक्रिया बिल्कुल अलग। बीमा सुविधाओं का दावा करते समय आपको दावा दायर करने का फ़ार्म भरते समय होशियारी और सावधानी दिखानी होती है। स्वास्थ्य बीमा का दावा करते समय आपको निम्न चीजें तैयार रखनी होती हैं।

  • दावा फ़ॉर्म सही तरीके से भरा गया हो और दावेदार द्वारा हस्ताक्षर किया गया हो।
  • अस्पताल से छुट्टी प्रमाणपत्र (Discharge Certificate from Hospital)
  • सभी दस्तावेज जब से आपने डॉक्टरी परामर्श चालू किया था जब बीमारी उजागर हुई थी, जैसे – डॉक्टर परामर्श पत्र/ हिस्ट्री (Doctro consultation reports/history)
  • बिल, रसीदें, कैश मेमो जो कि अस्पताल द्वारा दिया गया हो डॉक्टर के परामर्श पत्र के साथ।
  • रसीद एवं नैदानिक परीक्षण रिपोर्ट जो चिकित्सक  आपको देख रहा था उसका समर्थन पत्र जो कि हमेशा हिस्ट्री या परामर्श पत्र पर उपलब्ध होता है। जिसे बीमारी को सिद्ध किया जा सके।
  • कौन से चिकित्सक ने आपरेशन किया उसका प्रमाणपत्र कि किस बीमारी के लिये आपका आपरेशन किया गया है। बिल, रसीदें, जिन परमार्शदाताओं / विशेषज्ञों / एनीस्थीशिया विशेषज्ञो ने देखा उनकी बिल और रसीदें और बीमारी (रोग,मर्ज) का प्रमाणपत्र।
  • प्रमाणपत्र उस चिकित्सक / सर्जन से जो कि आपकी देखभाल कर रहा है कि मरीज बिल्कुल ठीक हो चुका है।
  • पुरानी पॉलिसीयों की जानकारी अगर यही TPA पहले से नहीं है या उसके पास पहले की पॉलिसियों की जानकारी नहीं है, दुर्घटनाओं के मामले को छोड़कर।

पहले की कड़ियाँ –

भाग १ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 1)
भाग २ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 2)
भाग ३ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 3)
भाग ४ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 4) स्वास्थय बीमा योजना चुनने के लिये कुछ सुझाव
भाग ५ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 5) स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम राशि को कम कैसे करें….
भाग ६ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 6) बाजार में उपलब्ध स्वास्थ्य बीमा उत्पाद
भाग ७ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part ७) किन सुविधाओं पर ज्यादा ध्यान देना चाहिये..

भाग ५ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 5) स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम राशि को कम कैसे करें….

स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम राशि को कम कैसे करें –

    कोई भी कीमत से ज्यादा भुगतान देना पसंद नहीं करता है। सबसे उपयुक्त और उचित दामों पर स्वास्थ्य बीमा कुछ पहलुओं पर आधारित होते हैं। यह आपकी पसंद पर भी निर्भर करता है कि आप कौन सी योजना लेते हैं, और पॉलिसी खरीददार का स्वास्थ्य कैसा है। लेकिन कुछ निम्न बातों से आप अपनी स्वास्थ्य बीमा की राशि को काफ़ी हद तक कम कर सकते हैं।
  • धूम्रपान करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य हमेशा खतरे में रहता है और धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को गैर धूम्रपान करने वाले व्यक्ति से ज्यादा प्रीमियम राशि का भुगतान करना पड़ता है। तो प्रीमियम राशि कम अदा करने के लिये आपको धूम्रपान छोड़ देना चाहिये।
  • उच्च रक्ताचाप होना स्वास्थ्य के लिये अच्छे संकेत नहीं हैं, और इसे नियंत्रण में रखना समझदारी है। उच्च रक्ताचाप को नियंत्रण में रखने से भी आपको कम प्रीमियम राशि का भुगतान करना पड़ता है।
  • अगर आपका स्वास्थ्य अच्छा है तो अपने आप ही आपकी प्रीमियम राशि कम हो जाती है, उन लोगों से जिन लोगों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है। क्योंकि इससे बीमा कंपनी को आप पर ज्यादा जोखिम नहीं लगता है।
  • अगर आप अपने पॉलिसी पर कोई दावा नहीं करते हैं, तो आपको दावा न करने का लाभ मिलता है, दावामुक्त अवधि नवीनीकरण के समय आपको प्रीमियम राशि कम करने में मदद करता है।
  • विभिन्न बीमा कंपनियों के प्रीमियम राशि और सुविधाओं की तुलना करने पर भी आप प्रीमियम राशि में बचत कर सकते हैं। बस जरुरत इस बात की है कि जब आप स्वास्थ्य बीमा खरीदने जा रहे हों तो आपको गहरा अनुसंधान करना होता है। और आपको ऑनलाईन सस्ता स्वास्थ्य बीमा भी मिल सकता है।
  • ऑनलाईन बीमा एग्रीगेटर से भी आप स्वास्थ्य बीमा की  प्रीमियम राशि की तुलना कर सकते हैं। और आप पता भी कर सकते हैं कि विभिन्न पॉलिसियों पर क्या क्या छूट मिल रही है।
  • स्वास्थ्य बीमा लेने से पहले यह जरुर तय कर लें कि मिलने वाली सुविधा जो कि बीमा कंपनी आपके द्वारा प्रीमियम राशि के भुगतान के बाद देने वाली है, उसका कवरेज आपकी सारी आवश्यकताओं को पूर्ण करता है।
  • केवल स्वास्थ्य बीमा लेना है यह सोचकर कोई सी भी पॉलिसी लेने पर हो सकता है कि उसमें सारी सुविधाएँ उपलब्ध न हों, और हो सकता है कि जितनी सुविधाएँ कंपनी दे रही हो उससे ज्यादा राशि प्रिमियम की ले रही हों, आपको बहुत सावधानी से अपना निर्णय लेना चाहिये। जो कि बहुत महत्वपूर्ण है|

पहले की कड़ियाँ –

भाग १ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 1)
भाग २ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 2)
भाग ३ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 3)

भाग ४ – स्वास्थ्य बीमा के बारे में आवश्यक बातें जो सभी को पता होना चाहिये। (What You Should know about Mediclaim Part 4) स्वास्थय बीमा योजना चुनने के लिये कुछ सुझाव