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सोशल इन्फ्लूएँसर कैसे बनें How to become Social Influencer

सोशल इन्फ्लूएँसर Social Influencer के बारे में अभी एक पोस्ट लिखी थी, कि इससे भी अच्छा खासा पैसा बनाया जा सकता है, तो सभी की जिज्ञासा थी कि कैसे?

सोशल इन्फ्लूएँसर होता क्या है पहले यह समझ लें – जब एक या अधिक सोशन प्लेटफॉर्म पर आपके बहुत से फॉलोअर हों, फेसबुक पर कोई ज्यादा फायदा नहीं है, पर हाँ अगर ट्विटर, इंस्टाग्राम पर ज्यादा फॉलोअर हैं तो आपको फायदा होता है। सोशल इन्फ्लूएँसर अपनी बातों को समाज में पहुँचाते हैं, वे किसी एक मुद्दे की हो या विभिन्न मुद्दों पर, इससे लोग उनकी बातों को सपोर्ट करते हैं, समझते हैं व अपनी आवाज समझते हैं। समाज को लगता है कि वे इस व्यक्ति से कुछ सीख सकते हैं, यह अच्छा लिखता है या जरूरत के मुद्दों पर अपनी बात को सही प्रकार से कह सकता है।

बस इसी का फायदा ये सोशल इन्फ्लूएँसर उठाते हैं, जब इनके पास बहुत अधिक संख्या में फॉलोअर होते हैं, तो कई कंपनियाँ उनके पास अपने उत्पाद या अपने ब्रांड के प्रमोशन के लिये कंटेट मार्केटिंग कंपनियों के जरिये पहुँचती हैं, क्योंकि इनकी पहुँच सीधे कई फॉलोअर्स तक होती है यह अत्याधुनिक मार्केटिंग का तरीका मात्र है।

जितने ज्यादा आपके फॉलोअर्स होंगे, जितने ज्यादा उस कंटेट के व्यूज व लोगों का इन्वॉल्वमेंट होगा, उतनी ही ज्यादा आपकी क्रेडिटिबिलिटी होगी। यह सब रातोंरात हासिल नहीं किया जाता है, इसके लिये सिस्टमेटिक तरीके से आपको अपनी बातों को कई दिनों महीनों तक लगातार विभिन्न तरीकों से रखना होता है।

कमाई के अवसर बहुत ही अप्रितम हैं, निर्भर करता है कि आप किस प्रकार के कंटेट पर लिखते हैं, तो उसी प्रकार के कंटेट की मार्केटिंग के लिये आपके पास आयेंगे, हर ट्वीट या इंस्टाग्राम पोस्ट स्टोरी का अपना एक रेट होता है। जो कि आपकी सोशल इन्फ्लूएँसर की छवि पर निर्भर करता है। एक ट्वीट पर लोग 7० रूपये से लेकर 1 लाख तक चार्ज करते हैं, कई बार रकम इससे भी ज्यादा होती है, वैसे ही इंस्टाग्राम, यूट्यूब, ब्लॉग का मामला है। मैंने कई सोशल इन्फ्लूएँसर्स को देखा है कि वे कई मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं तो उनके पास कई प्रकार के एन्डोर्समेंट आते हैं और लगभग हर दूसरे दिन या हर दिन ही उनके पास कमाई के अवसर होते हैं।

अगर आपको लगता है कि आप भी सोशल इन्फ्लूएँसर बन सकते हैं तो कमाई को ध्यान में मत रखिये, पहले अपने आपको पहचानिये कि आप अच्छा क्या कर सकते हैं, और उस पर लिखकर अपने आपको सोशल इन्फ्लूएँसर के रूप में अपने आपको इस सोशन बाजार में स्थापित कीजिये।

ब्लॉगिंग (Blogging) के 10 वर्ष पूर्ण.. बहुत सी बातें और बहुत सी यादें

    आज से ठीक पाँच वर्ष पूर्व हमने अपने पाँच वर्ष पूर्ण होने पर यह पोस्ट लिखी थी और अब हमें ब्लागिंग (Blogging) में दस वर्ष पूरे हो गये हैं, आज यह  1100 वीं पोस्ट है और हमारे लिये यह जादुई आँकड़ा है, और उससे कहीं ज्यादा प्रतिक्रियाएँ मिली हैं। ब्लॉगिंग जब शुरू की थी तब हिन्दी कंप्यूटर पर लिखना इतना मुश्किल नहीं था पर हाँ सीमित साधनों के चलते वेबसाईट पर लिखना बहुत ही कठिन था । पर आज ये देखकर खुशी होती है कि हिन्दी में लिखने के लिये बहुत सारे साधन उपलब्ध हैं यहाँ तक कि अब तो मोबाईल पर हिन्दी को बोलकर भी टाइप किया जा सकता है, तो जिसको टाइप करना न भी आता हो वह भी अब ब्लॉगिंग कर सकता है।
    समय की कमी बहुत ही तेजी से होती जा रही है, पहले हम कंप्यूटर पर इंटरनेट बंद रखते थे कि ब्लॉग लिखना है नहीं तो अपना दिमाग किसी और तरफ चला जायेगा, पर अब मोबाईल ने तो जीवन का अधिकतम समय ले लिया है, हम अपना अधिकतम समय मोबाईल को देते हैं और कई कार्यों को करने से छोड़ देते हैं, ब्लॉगिंग के लिये लेखन के लिये समर्पित होना पड़ता है और अपने तात्कालिक प्रतिक्रिया वाली मनोदशा से बाहर आना पड़ता है।
कुछ अनुभव जो हमने 2 वर्ष पहले ब्लॉगिंग के लिये लिखे थे, हालांकि ये भी अधूरे ही रहे –

ब्लॉगिंग (Blogging) की शुरूआत के अनुभव (भाग १)

ब्लॉगिंग (Blogging) की शुरूआत के अनुभव (भाग २)

ब्लॉगिंग की शुरूआत के अनुभव (भाग ३)

कुछ और पोस्टें मैंने ब्लॉगिंग पर लिखी हैं तो वे ब्लॉगर या ब्लॉग लेबल पर क्लिक करके पढ़ी जा सकती हैं।
हिन्दी ब्लॉगिंग के क्षैत्र में एक से एक धुरंधर ब्लॉगर थे पर मैंने देखा है कि अधिकतर पुराने ब्लॉगर अपने ब्लॉग से थोड़ी दूरी बना चुके हैं या फिर फेसबुक पर अपने तात्कालिक विचारों को रखकर ही इति कर लेते हैं, जैसे कि पहले ब्लॉग में चिंतन मनन करके लिखा जाता था, कुछ या बहुत कुछ तात्कालिक लेखन भी होता था, आजकल बहुत ही कम दिखता है, ब्लॉग पढ़ने वाले पहले केवल ब्लॉगर थे, और सोचते थे कि बहुत सारे पाठक गूगल या किसी और सर्च इंजिन से हमारे ब्लॉग पर कभी न कभी तो आयेंगे । अब ब्लॉग लिखो तो ब्लॉगरों के पास पढ़ने का समय नहीं है या उनकी रूचि खत्म हो चुकी है या फिर ब्लॉग पर टिप्पणी करना उनको ठीक नहीं लगता है, जैसे मानव सभ्यता का विकास हुआ है और हम प्रगति करते जा रहे हैं वैसे ही यहाँ की भी हालत हो गई होगी, हम यही सोचते हैं।
    हिन्दी ब्लॉगिंग ने दम तो नहीं तोड़ा है, हिन्दी ब्लॉग अच्छी खासी मात्रा में अब उपलब्ध हैं। एक और बात है कि हमारे हिन्दी ब्लॉगिंग में ब्लॉगर ऐसी कोई तकनीक का उपयोग नहीं करते हैं जिससे सर्च इंजिन को ढ़ूँढ़ने में आसानी हो, और ब्लॉग पढ़ने वाले पाठकों की आवृत्ति बढ़े। कुछ ही गिने चुने ब्लॉगर नई तकनीकों का उपयोग कर पा रहे हैं, या तो समय की उपलब्धता न होने के कारण या फिर कम तकनीकी ज्ञान । बहुत सारे ब्लॉगर किसी एस.ई.ओ. टूल का उपयोग नहीं करते हैं, शौक शौक में अपनी वेबसाईट तो हमने भी खरीद ली पर अभी तक अपने इस ब्लॉग को नहीं ले जा पाये हैं, कई बार कोशिश करी, कभी किसी तकनीकी उलझन में उलझ गये या फिर कभी हमारे ब्रॉडबैंड ने धोखा दे दिया। कई नये और पुराने ब्लॉगर अपनी अपनी वेबसाईट पर चले जरूर गये हैं पर बहुत ही कम ब्लॉगरों ने अपनी होस्टिंग अच्छे से की हुई है, जिससे उनका लिखा हुआ सर्च इंजिन में अवतरित हो। अधिकतर ने केवल अपने ब्लॉग रिडाइरेक्ट किये हुए हैं, जिससे केवल उनका पता बदला है पर अंदर से घर वही पुराना है।
हिन्दी में ब्लॉगिंग के बहुत सारे सितारे हैं और कई सितारों से या तो मैं मिल चुका हूँ या फिर फोन पर तो बात हो ही चुकी है। हिन्दी ब्लॉगिंग के कारण संसार के कई लोगों से इस आभासी और अप्रत्यक्ष दुनिया के माध्यम से मिल चुका हूँ, और हिन्दी माध्यम होने के कारण बहुत से ब्लॉगरों से आत्मीय संबंध भी स्थापित हुए और अभी तक हैं। अपने फेसबुक पर या गूगलप्लस पर अधिकतर मित्र ब्लॉगिंग क्षैत्र से ही हैं और शायद वे ही लिखी गई अधिकतर पोस्टों को लाईक करने वाले या फिर टीप देने वाले होते हैं।
    जब मैंने ब्लॉगिंग शुरू की थी तब मैं उज्जैन में था, फिर दिल्ली, मुँबई, बैंगलोर, चैन्नई, हैदराबाद और अब गुड़गाँव में हैं, मैंने इस दौरान लगभग सभी जगह ब्लॉगरों से मुलाकात भी की, कुछ ब्लॉगर बहुत ही मिलनसार होते हैं और कुछ नहीं मिलना चाहते हैं, यह व्यक्तिगत मामला है। खैर मैंने तो बहुत से ब्लॉगरों को अपने विचारों के साथ ही खड़ा पाया और जो नहीं भी थे उनसे भी प्यार और सम्मान पाया। पता नहीं इतना प्यार और सम्मान के लिये मैं कैसे आभार प्रकट करूँ।
    मैंने इस दौरान कई तरह के विषयों पर लेखन किया पर कभी अपने ब्लॉग को एक ही विषय का नहीं बना पाया, बस एक ही बात उल्लेखनीय है कि किसी भी विषय पर लिखा हिन्दी भाषा में लिखा। यह पोस्ट लिखते हुए भी बहुत सारे खलल हैं पर लिखना ही है तो भी जीवन के अशांतिपूर्ण वातावरण से थोड़ा सा समय शांतिपूर्वक ब्लॉग पोस्ट लिखने के लिये निकाल ही लिया। मैं जानता हूँ कि बहुत सी बातें यहाँ मैं करने से चूक रहा हूँ पर मैं वे सब बातें भी लिखना चाहता हूँ, अगर अगले कुछ दिनों में समय मिला तो जरूर इस पर बहुत कुछ लिखने की इच्छा रखता हूँ।