कुछ बातें कवि कालिदास और मेघदूतम़ के बारे में – २८

गत्युत्कम्पात़् – कमिनियाँ अपने प्रियतमों के पास अभिसार के लिये शीघ्रतापूर्वक जाती हैं, क्योंकि एक तो रात्रि का भय दूसरे किसी को उनके जाने का पता न चल जाये। इसलिये शरीर के हिलने-डुलने से उनके केशपाश में लगे अलंकरण आदि मार्ग में गिर जाते हैं, जिससे यह सूचित हो जाता है कि अभिसारिकाएँ इस मार्ग से गयी हैं।

पत्रच्छेदै: – पत्तों के टुकड़ों से – इससे सिद्ध होता है कि स्त्रियाँ प्राचीन काल में अपने श्रंगार प्रसाधन में फ़ूल-पत्तियों का उपयोग करती थीं।

कामिनीनाम़् – साधारणत: तरुणी और सुन्दर स्त्री को कामिनी कहते हैं। किन्तु यहाँ पर अतिशय काम से पीड़ित स्त्री अर्थ ग्राह्य है, क्योंकि कामश्चाष्टगुण: स्मृत: स्त्रियों का काम वेग पुरुषों की अपेक्षा आठ गुना होता है, चाणक्य की इस उक्ति के अनुसार स्त्रियों को कामिनी कहते हैं। इसलिए इसका अर्थ यहाँ अभिसारिकायें हैं। अभिसारिका दो प्रकार की होती हैं, अपने पास प्रियतम को बुलाने वाली और दूसरी स्वयं प्रियतम के पास जाने वाली, यहाँ पर दूसरी प्रकार की अभिसारिका दृष्टिगोचर होती है।

सकलमबलामण्डनम़् – (सम्पूर्ण स्त्रियों की प्रसाधन सामग्री को) भाव यह है कि अकेला कल्पवृक्ष ही वहाँ की स्त्रियों के लिये समस्त प्रसाधन सामग्री प्रस्तुत कर देता है। यह प्रसाधन सामग्री चार प्रकार की बतायी है। रसाकर के अनुसार –
कचधार्यं देहधार्यं परिधेयं विलेपनम़्।
चतुर्धा भूषणं प्राहु: स्त्रीणां मन्मथदैशिकम़्॥
अर्थात कचधार्य, देहधार्य, परिधेय और विलेपन – ये चार प्रकार की है। पुष्पोद़्भेदम़् (कचधार्य) [केशों में धारण करने योग्य], मधु तथा भूषणानां विकल्पान (देहधार्य) [शरीर पर धारण करने योग्य], चित्रं वास: (परिधेय) [पहने जाने वाला], लाक्षारागम़् (विलेपन) [लेप किया जाने वाला]। इस प्रकार ये स्त्रियों के काम के उपदेशक चार प्रकार के अलंकार होते हैं।

3 thoughts on “कुछ बातें कवि कालिदास और मेघदूतम़ के बारे में – २८

  1. बहुत सुंदर, ओर आप ने एक एक शव्द का अर्थ अलग अलग समझाया है, यह बहुत सुंदर लगा जेसे ..कामिनीनाम़्
    आप का धन्यवाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *