कुछ बातें कवि कालिदास और मेघदूतम़ के बारे में – २९

दिनकरहयस्पर्धिन: – (सूर्य के घोड़ों से प्रतिस्पर्धा करने वाले) अलकापुरी के घोड़े पत्तों के समान हरे वर्ण वाले हैं। क्योंकि सूर्य के घोड़े भी हरे वर्ण के माने जाते हैं, अत: अलकापुरी के घोड़े रंग में भी तथा वेग में भी सूर्य के घोड़ों से स्पर्धा करते हैं।

प्रत्यदिष्टाभरणरुचय: – आभूषणों की अभिलाषा छोड़े हुए । वीर योद्धाओं का आभूषण शक्तिशाली शत्रु के प्रहार से हुए घाव के निशान होते हैं, स्वर्ण आदि के आभूषण नहीं। अलका के योद्धा रावण की तलवार
के प्रहार सह चुके हैं, इसलिए उनकी आभूषणों की इच्छा समाप्त हो गयी है। पौराणिक आख्यान के अनुसार कुबेर विश्रवा का इडविडा से उत्पन्न पुत्र था। इस तरह वह रावण का अनुज था। कहा जाता है कि एक बार रावण ने कुबेर पर आक्रमण करके उसका पुष्पक विमान तथा कोष छीन लिया था, अत: उस युद्ध में अलकापुरी के योद्धा रावण की तलवार के प्रहार सह चुके थे।

चन्द्रहास – चन्द्रहास रावण की तलवार का नाम था, क्योंकि वह तलवार चन्द्र का उपहास करती थी अर्थात चन्द्र से अधिक चमकने वाली थी, इसलिए उसे चन्द्राहास कहते थे।

भयात़् – शिव पुराण की एक कथा के अनुसार भगवान शिव ने कामदेव को अपने तृतीय नेत्र से भस्म कर दिया था। तभी से उसे अनड़्ग: कहते है और वह भगवान शिव से भयभीत रहता है तथा उनके समक्ष अपने धनुष आदि को धारण नहीं करता। इसलिए अलका में शिव की उपस्थिती से उसे भस्म होने का निरन्तर भय बना रहता है।

वापी – बावड़ी, जिसमें उतरने के लिए सीढ़ियाँ बनी हों । काव्यों में धनिकों के गृहों में एवं राजभवनों में इस प्रकार की वापी का प्राय: उल्लेख मिलता है।

इन्द्रनीलै: – यह नीले रंग का एक बहुमूल्य पत्थर होता है। इसे नीलम भी कहते हैं।

3 thoughts on “कुछ बातें कवि कालिदास और मेघदूतम़ के बारे में – २९

  1. वापी – ऐसा शब्द जो अब तक व्यव्हृत और परिचित रहा है । यद्यपि अब इसका व्यवहार कम हो गया है ।
    जानकारी का आभार ।

  2. बहुत सुंदर जानकारी दी,
    धन्यवाद.आप ओर आप के परिवार को दुर्गा पूजा व विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं

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