तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – ९ [आन्ध्रा भोजन, माँ पद्मावती के दर्शन, लड्डू ..] (Hilarious Moment of Deity Darshan at Tirupati Balaji.. Part 9)[Andhra Food, Maa Padmavati Darshan and laddu…]

जैसे ही तिरुपति पहुंचे एक सुन्दर सी मूर्ति ने हमारा स्वागत किया।

07022010140912

    फ़िर हमने अपने ड्राईवर अब्दुल को कहा कि चलो अब कुछ अच्छा सा खाना खिलवा दो, तो वो एक विशुद्ध आन्ध्रा स्टाईल थाली वाले होटल में लेकर गया। जहाँ पर केले के पत्ते पर खाना परोसा गया। जिसमें चावल मुख्य भोजन और साथ में सांभर, दाल, दो तरह की सब्जी और एक चटनी थीं, साथ में पापड़ था। हम भी बिल्कुल ठॆठ देसी श्टाईल में शुरु हो गये मतलब हाथ से, वाह क्या स्वाद था। वैसे हमारा मानना है कि जहाँ जाओ वहाँ का खाना खाओ तो ज्यादा अच्छा मिलेगा बनिस्बत कि हर जगह नार्थ का खाना ढ़ूंढ़ते रहो, और अगर मिले भी तो टेस्ट ऐसा कि बाद में सोचो कि इससे अच्छा तो चावल ही खा लेते।

    फ़िर वहाँ से चल दिये पद्मावती मंदिर, जो कि लक्ष्मी माता का मंदिर है, मान्यता है कि बालाजी के दर्शन करने के बाद माँ लक्ष्मी के दर्शन पद्मावती मंदिर में करने चाहिये।  यह मंदिर तिरुपति में थोड़ा बाहर की ओर बना है, लगभग ६ किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ पर लूट मची हुई थी, पार्किंग जो कि सड़क के किनारे ही बनी हुई थी, उसके भी ३० रुपये वसूल लिये गये। खैर यह तो आजकल लगभग सभी धार्मिक स्थलों पर होता है।

    फ़िर देखा कि यहाँ भी स्पेशल दर्शन वाली व्यवस्था है, टिकट १० के स्पॆशल दर्शन, ४० में शीघ्र दर्शनम, २०० रुपये में २ व्यक्ति तत्काल दर्शन। मंदिर के काऊँटर पर ही एक व्यक्ति मिल गया जो हमसे बोला कि मैं आपको २०० वाले दर्शन करवा देता हूँ, अगर आप काऊँटर से टिकट लोगे तो ४०० रुपये लगेंगे, पर मुझे आप ३०० ही देना। मैंने उससे पूछा कि हमें टिकट तो मिलेगा न, और टिकट के पैसे कौन रखेगा, तो वो ठग महाधूर्त हँसकर बोला कि टिकट के पैसे तो मेरी जेब में ही जायेंगे और आपके सौ रुपये भी बचेंगे। यह सब बातें मंदिर के सुरक्षाकर्मियों के सामने हो रही थीं, उन्हें भी सब पता है, शायद इसमें उनका भी हिस्सा रहता होगा। मन भर आया भगवान के यहाँ इतना भ्रष्टाचार देखकर, कि इंसान जिससे अपनी रोजी रोटी चला रहा है, उसको भी धोखा खाने से बाज नहीं आ रहा है।

    हमने ४० वाले टिकट लिये और दर्शन के लिये चल दिये, उसमें भी फ़टाफ़ट दर्शन हो गये और माँ पद्मावती के दिव्य दर्शन मिले। वहाँ पर भी पुजारी का ध्यान प्रसाद और फ़ूलमालाओं में नहीं भक्तों से नोट बटोरने में था, अगर भक्त नोट दानपेटी में डालने जा रहा होता तो पुजारी हाथ लगाकर उसे अपनी मुठ्ठी में कर लेते, कितना बड़ा धोखा कर रहे हैं ये लोग हमारे साथ भी, और उनके नाम पर भी जिनके नाम की ये माला जप करते हैं, जिन देवी की आराधना करते हैं।

    फ़िर हमने अपने २ लड्डू प्राप्त किये और चल दिये वापिस अपनी टैक्सी की और। मन खिन्न हो आया इतना पाखंड और इतना भ्रष्टाचार देखकर।

    अब हम चल दिये श्रीकालाहस्ती की ओर, जो कि राहु-केतु की विशेष पूजा और कालसर्पयोग पूजा के लिये प्रसिद्ध है।

ये भी पढ़ें –

3 thoughts on “तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – ९ [आन्ध्रा भोजन, माँ पद्मावती के दर्शन, लड्डू ..] (Hilarious Moment of Deity Darshan at Tirupati Balaji.. Part 9)[Andhra Food, Maa Padmavati Darshan and laddu…]

  1. लोगों की अंधश्रद्धा का पंडित हर जगह नाजायज फायदा उठा रहे हैं .. और अंधविश्‍वास रख रहे लोग इसका विरोध भी नहीं कर पाते .. इसकी चिंता न करें और नए स्‍थान के भ्रमण का आनंद लें !!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *