Category Archives: विश्लेषण

अब जम्मू कश्मीर लेह लद्दाख में रोजगार पैदा करने की जरूरत

अनुच्छेद 370 खत्म और 35Aस्वत: खत्म, आजाद हुई हमारी ‘जन्नत’ इस हेडलाईन के साथ आज का समाचार पत्र आज सुबह मिला। वैसे तो कल ही सुगबुगाहट चल ही रही थी और जब सदन से यह ऐलान हो गया तो, बस दिल बागबाग हो गया, अच्छी खबर यह भी थी कि जम्मू कश्मीर से लद्दाख अलग कर दिया गया है व उन्हें अब अलग अलग केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया है। पूरी घाटी में पिछले 2-3 दिनों से भारी मात्रा में सुरक्षा बल तैनात हैं और पूरी दुनिया से अलग थलग कर दिया गया है, जिससे कोई भी अलगाववादी ताकतें घाटी में आतंक न फैला सकें।

इस खबर के साथ ही सोशल मीडिया में बहुत से स्टेटस आने लगे कोई कहता कि अब तो जम्मू कश्मीर, लेह लद्दाख में जमीन खरीदेंगे, घर खरीदेंगे, अब घाटी की सुँदर लड़कियों से शादी भी कर सकते हैं इत्यादि। अभी तक जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा था और करोड़ों रूपया भारत सरकार द्वारा बहाया जाता रहा है, जिसका कोई हिसाब किताब भी नहीं था, बस वह दो नंबर के जरिये कुछ राजनैतिक दलों और राजनैतिज्ञों की जेब में पहुँच जाता था। अब तक कोई भी विकास का कार्य नहीं हुआ और न ही कोई रोजगार पैदा हुए।

अब इस बात के आसार लग रहे हैं कि जम्मू कश्मीर में नये व्यवसाय लगेंगे, जिससे वहाँ रोजगार पैदा होंगे। जम्मू, श्रीनगर, लेह, लद्दाख इतनी प्यारी जगहें हैं, ये भारत के अपने खुद के स्विट्जरलेंड हैं, जहाँ हम चाहते हुए भी जाकर रह नहीं सकते हैं, जैसे यूरोप में कई बेहतरीन जगहों पर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सेंटर हैं, वैसे ही कुछ नये सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सेंटर खुलने चाहिये, जिससे IT वालों को भी भारत के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने का मौका मिले, साथ ही जब एक अच्छी नौकरी वहाँ शुरू होगी तो एक नौकरी से कम से कम 10रोजगार पैदा होते हैं, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सेंटर के लिये विशेष तरह के स्किल की जरूरत होती है, जो कि हो सकता है कि वहाँ के रहवासियों में अभी न हों, परंतु दैनिक जीवन के जरूरत वाले कई कार्यों के कारण वहाँ अन्य रोजगार पैदा होंगे।

जब जम्मू कश्मीर में रोजगार पैदा होंगे तो वहाँ के रहवासी, अलगाववादियों की बातों में नहीं आयेंगे और वे खुद ही अच्छे बुरे में फर्क पैदा कर पायेंगे, व 100 रूपये में पत्थर फेंकने को तैयार नहीं होंगे, साथ ही आतंकवादियों को समर्थन अपने आप ही कमी आ जायेगी। इस सबसे सबसे बड़ा अंतर भारत के खजाने पर पड़ने वाला बड़ा बोझ कम हो जायेगा। विश्व के पर्यटन मानचित्र पर जम्मू कश्मीर हीरे की तरह चमकेगा। रोजगार पैदा होने से सबसे बड़ा फायदा होगा कि पाकिस्तान पर जबरदस्त दबाब होगा, साथ ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों द्वारा भी पाकिस्तानी सरकार पर इसी तरह के व्यवसाय को स्थापित करने का दबाब होगा, अगर पाकिस्तानी सरकार द्वारा यह नहीं किया जाता है तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोग भारत में विलय होने के लिये दबाब बनायेंगे और जन आंदेलन की शुरूआत होगी।

अब केवल जम्मू कश्मीर लेह लद्दाख में एक अच्छी बेहतर नीति की जरूरत है, जिससे हम वैश्विक पटल पर भारत की छवि को अच्छे से दिखा सकें व गर्व से कह सकें कि अखण्डता पुनप्रतिष्ठित हुई।

शेयर बाजार का यूँ गिरना और सरकार का कोई कदम न उठाना

शेयर बाजार का यूँ गिरना, सब बजट का कमाल है, बस यह अलग बात है कि कुछ लोग जो सरकार के सहयोग में खड़े रहते हैं, वे इसे मानने को तैयार नहीं हैं, जिनके ऊपर ज्यादा टैक्स थोपा गया है, वे लोग ज्यादा कमाई करते हैं और उनके पास निवेश करने के लिये बहुत से देशों में जाने के ऑप्शन हैं, मेरे कुछ जानकार तो बजट के पहले ही सिंगापुर जाने की तैयारी कर चुके थे और बजट के बाद उन्होंने कहा भी कि देखा यह सरकार केवल अपनी कमाई का सोच रही है, पर जनता की कमाई का और उनकी सुविधओं का नहीं सोच रही है, तो हम अपना पैसा भारत से ले जायेंगे और बहुत से ऐसे देश हैं जहाँ कम कर लगता है, वहाँ निवेश करेंगे।

खैर उनकी बात तो सही है, और बाजार बजट के बाद से लगातार ही गिरते जा रहा है, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने अभी हाल ही में ही पिछले 3दिनों में 10,000 करोड़ रूपयों की बिकवाली की है, और खरीददारी के लिये भारतीय संस्थागत निवेशकों में से कोई भी खड़ा नहीं दिखाई दिया, पहले LIC बाजार से खरीददारी करके शेयर बाजार को सँभाल लेती थी।बजट के बाद से रोज ही विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बिकवाली की है और निवेशकों को बजट के बाद से 10 लाख करोड़ का नुक्सान उठाना पड़ा है, यह राशि उस राशि से बहुत ज्यादा है जो कि सरकार कर के रूप में वसूलना चाहती है।

कुछ लोग कह रहे हैं कि ये नये बदलाव हैं और इस तरह के झटके तो लगने ही हैं, वहीं कई लोगों का कहना है कि अर्थव्यवस्था में गति कहाँ से आ रही है, कोई कुछ समझाने की कोशिश करेगा। वहीं सरकार सारे सरकारी उपक्रमों को बेचने पर तुली हुई है, हो सकता है कि यह समय की माँग है जैसे कभी सरकार उपक्रमों को सरकारी बनाने के लिये जद्दोजहद कर, भारत की अर्थव्यवस्था को ऊँचाई पर ले जाना चाहते थे, पर सरकारी कर्मचारियों की अकर्मण्यता और सरकारी तंत्र की जटिलता के कारण यह तरीका भी नाकाम साबित हुआ।

शेयर बाजार अभी भी अपने उच्च स्तरों पर टिका हुआ है, जिसका मुख्य कारण है कि कुछ कंपनियाँ, जो बहुत अच्छा कर रही हैं, यह जो दिन हम देख रहे हैं यह स्थिति 2008 के वैश्विक मंदी से भी ज्यादा खराब है, क्योंकि 2008 में जो मंदी आई थी, वह वैश्विक मंदी का कारण थी, और पूरा विश्व उस समय मंदी से गुजर रहा था, व जैसे ही मंदी से विश्व उबरा, भारत भी मंदी के संकट से बाहर आ गया था। इस बार यह वैश्विक मंदी नहीं है, यह भारत सरकार के बजट के कारण स्थिति उपजी है, और भारत सरकार इस बारे में कुछ भी करने के लिये प्रतिबद्ध नहीं दिख रही, जो कि खुदरा निवेशकों के लिये और भारत की अर्थव्यवस्था के लिये खराब बात है, क्योंकि यह जो मंदी है, यह कब खत्म होगी इसका कोई भी अंत समझ नहीं आ रहा है।

समस्या को तभी खत्म किया जा सकता है, जब आप समस्या को समझ पायें, अगर आप समझ रहे हैं कि कोई समस्या ही नहीं है तो समस्या का कोई भी समाधान निकालने की कोशिश ही नहीं करेगा। देखते हैं कि सरकार को शेयर बाजार की समस्य़ा गंभीर लगती है या वे इसे मंदी में ही चलने देंगे।

बरसात में ऑफिस कैसे जायें? बाइक की फ्लोट सीट से कमर दर्द में आराम।

रोज ऑफिस जाना तो वैसे भी बहुत कठिन काम है, कुछ नया तो करना नहीं होता, बस वही घिसा पिटा करते रहो, पर अब रोज भी ऑफिस में नया करने को क्या मिलेगा, पर फिर भी ऑफिस जाना जरूरी होता है, खैर ब्लॉग का विषय यह नहीं है कि ऑफिस क्यों जायें, विषय है कि बरसात में ऑफिस कैसे जायें?

बैगलोर वैसे तो भारत में IT की राजधानी है, परंतु सड़क और ट्रॉफिक के मामले में हाल बेहाल है, जैसा कि सब जगह होता है, सड़के टूटी फूटी हैं, जगह जगह गड्डे हैं, सड़कों पर गड्डे हम भारतीयों की दुर्गती करते हैं। बैंगलोर में कुछ जगहों पर तो यातायात की रफ्तार इतनी धीमी है कि 3किमी कार से जाने में लगभग एक घंटा लग जाता है, और पैदल चलने की जगह नहीं है, फुटपाथ या तो हैं नहीं या फिर टूटे हुए हैं, अगर ठीक भी हैं तो दोपहिया वाहन कब फुटपाथ पर आकर टक्कर मार जाये कोई भरोसा नहीं।

पिछले वर्ष बारिश के दौरान मैं कार से ही ऑफिस जाता था, पर समस्या समय की ही थी, कि ऑफिस की दूरी घर से लगभग 17 किमी है और कार से जाने से लगभग एक तरफ के 2 घंटे लगते थे, तो रोज ही लगभग 4घंटे सड़क पर बिताने पड़ते थे, फिर ऑफिस जाने के अन्य साधनों को भी परखा गया, एक दिन बस से गये तो बस में आने जाने का समय 2 घंटे और बढ़ गया, फिर शेयर कैब से जाकर देखा गया तो भी समस्या जस की तस थी और रोज फिर से 4घंटे की ड्राईविंग करने लगे, अगर कार ऑटोमैटिक हो तो थोड़ी राहत है, वरना तो हाथ गियर बदलने में और पैर क्लच, ब्रेक और एक्सलीरेटर दबाने में ही थक जाते हैं।

दोपहिया वाहन से जाना थोड़ा कम थकाने वाला और कम समय में ऑफिस पहुँचने में कारगार साबित हुआ, बाईक से पूरा आधा समय कम हो गया, अब ऑफिस के लिये 4 घंटों की जगह 2 घंटों की ड्राईव करने लगे। अब ऑफिस बाईक से जाते हैं, नया रेनकोट लिया गया, जिससे बारिश में पहना जा सके, बाईक में एक बैग नुमा डिक्की भी लगवाई गई, और घिसे हुए टायर बदलवा लिये गये, फिर भी रोज कमर दर्द से परेशान थे, तो उसका इलाज कुछ मिल नहीं रहा था, सभी बाईक की सीटें एक ही बनावट की होती हैं और एक्टिवा टाईप के स्कूटर को रोज इतनी दूरी के लिये चलाने संभव नहीं क्योंकि उसके टायर छोटे होने से गड्ड़ों में बैलेन्स नहीं बन पाता। सोचा कि बुलेट खरीद ली जाये पर फिर यह भी देखा कि केवल बुलेट की सीट ज्यादा अच्छी होना ही खरीदने के लिये पर्याप्त नहीं, बुलेट भारी भी होती है और इतनी भीड़ भाड़ वाली सड़क पर संभालना थोड़ ज्यादा कठिनाई वाला काम है, तो अपनी पीठ को आराम देने के लिये और भी तरीके ढ़ूँढ़ने लगे।

फ्लोट सीट
फ्लोट सीट
फ्लोट सीट मेरी बाईक पर

बाईक से ऑफिस जाना हो तो बहुत सी सावधानियाँ बरतनी पड़ती हैं, क्योंकि तेज बारिश में कारों से भी कम दिखाई देता है और दुर्घटना की संभावना ज्यादा होती है, तो रेडियम वाली विंडचिटर ली और जूतों पर भी रेडियम रहे इस बात का ध्यान रखा गया।पर पीठ के दर्द का निवारण नहीं मिल रहा था, एक दिन हमने जिस वेबसाईट से विंडचिटर लिया था, उसी पर सर्फिंग करते हुए पाया कि कुछ फ्लोट सीट है, जिसमें हवा भरी जा सकती है और इससे बाईक चलाते हुए कमर में दर्द भी नहीं होता, साथ ही गड्डों के जर्क भी नहीं लगते, व सीट बुलेट जैसी भी है। हमने फ्लोट सीट मँगा ली, और इसमें हवा भरकर बाईक की सीट पर फिक्स कर ली, तो अब थोड़ा आराम है, कमर में ज्यादा दर्द नहीं होता। बरसात में ऑफिस जाना थोड़ा आरामदायक हो गया है, अतिरिक्त सावधानी यह रखते हैं कि बाईक की रफ्तार 40 से ज्यादा नहीं रखते, क्योंकि समय तो ट्रॉफिक के कारण बराबर ही लगता है।

परीक्षा में असफल होना भी ठीक है

अभी दसवीं और बारहवीं के परीक्षा परिणाम आ चुके हैं और जिन बच्चों के 99% या उससे ज्यादा हैं, हम उनके परीक्षा परिणामों पर उत्सव भी मना चुके हैं। उनकी सफलता के लिए उनको बधाई का हक तो है ही, पर ऐसे बहुत सारे बच्चे भी हैं जो इतने नंबर नहीं ला सके और कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिन्हें उम्मीद से कम नंबर मिले, और कुछ बच्चे परीक्षा में असफल भी हुए हैं। परीक्षा परिणाम कुछ भी रहा हो, परंतु यह समय है अपने दिमाग को शांत और स्थिर रखने का और आगे बढ़ने के लिए तैयार होने का। Continue reading परीक्षा में असफल होना भी ठीक है

अपनी उम्र बढ़ने से रोकने के उपाय

उम्र बढ़ती जाती है और यह जीवन चक्र का निश्चित क्रम है। लेकिन मुख्य प्रश्न यह है कि हम अपनी उम्र के साथ बढ़ते हुए कैसे कम से कम दवाइयों और डॉक्टरी सुख सुविधाओं को लेते हुए आगे बढ़ें। हममें से अधिकतर लोग स्वास्थ्य बीमा में बहुत सा पैसा खर्च करते हैं, लेकिन हममें से ऐसे कितने लोग हैं जो स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए पैसा खर्च करते हैं। हम लोगों ने यह मान लिया है और यह समझ लिया है कि उम्र बढ़ने के साथ में बीमारियाँ और दर्द आते जायेंगे। तो यहाँ हम बात करेंगे कि किस प्रकार से अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और जब उम्र बढ़ती है तो अपने जीवन चक्र में क्या क्या ध्यान रखें। ऐसे ही अपनी उम्र बढ़ने से रोकने के उपाय पर हम बात करते हैं। Continue reading अपनी उम्र बढ़ने से रोकने के उपाय

CBSE ने OTBA को बंद करने की घोषणा कर दी है।

OTBA याने कि Open Text Based Assessment जो कि Central Board of Secondary Education (CBSE) ने दो वर्ष पूर्व शुरू किया था। अब इस सत्र से CBSE ने OTBA को बंद करने की घोषणा कर दी है।

OTBA को 9 व 11 वीं के छात्रों के लिये शुरू किया गया था, OTBA के बारे में जानकारी इस प्रकार है – Continue reading CBSE ने OTBA को बंद करने की घोषणा कर दी है।

रोजमर्रा की 5 चीजें जिनका उपयोग हमें तुरंत बंद कर देना चाहिये।

रोजमर्रा की 5 चीजें जिनका उपयोग हमें तुरंत बंद कर देना चाहिये।

ऐसी 5 चीजें जिनका उपयोग हम रोज करते हैं, हमें उनका उपयोग बंद कर देना चाहिये।

  1. प्लास्टिक स्ट्रॉ एवं चम्मच – अभी तक प्राप्त जानकारी से पता चलता है कि समुद्र में प्राप्त 80 प्रतिशत कबाड़ा प्लास्टिक का होता है, जिसमें प्लास्टिक स्ट्रॉ भी शामिल है। प्लास्टिक स्ट्रॉ की जगह काँच की स्ट्रॉ का उपयोग करें, काँच की स्ट्रॉ खरीदें, उपयोग करें, धोयें और वापिस से उपयोग करें, इससे आप कार्बन फुटप्रिट्स में को कम करने में मदद ही करेंगे। साथ ही अपने घर में बड़े लोगों को समझायें कि मसालदानी वगैराह में प्लास्टिक की चम्मच की जगह, लकड़ी की चम्मच का उपयोग करें, लकड़ी की चम्मच ज्यादा दिन भी चलेगी।

    प्लास्टिक स्ट्रॉ एवं चम्मच
    प्लास्टिक स्ट्रॉ एवं चम्मच

  2. माईक्रोबीड्स वाले टूथपेस्ट या त्वचा की रक्षा करने वाले उत्पाद – अधिकतर टूथपेस्ट वाली कंपनियाँ अपनी पैकिंग में माईक्रोबीड्स वाले ऐसे तत्वों का उपयोग करती हैं जिन्हें प्राकृतिक तरीके से नहीं सड़ाया जा सकता या नष्ट नहीं किया जा सकता है। इससे ही लगभग 8 टन कचरा समुद्र में पहुँचता है। इस तरह के उत्पाद को खरीदने के पहले उनकी सामग्री को पढ़ लें और पर्यावरण अनुकूल उत्पाद ही उपयोग करें।

    माईक्रोबीड्स वाले टूथपेस्ट
    माईक्रोबीड्स वाले टूथपेस्ट

  3. स्टीरोफोम उत्पाद – पॉलीस्टीरीन से बनने वाले ये उत्पाद, पेट्रोलियम आधारित प्लास्टिक जो का नॉन बॉयोडिग्रेडेबल है और उसके स्वास्थ्य पर नुक्सान ज्यादा हैं। स्टीरोफोम आधारित उत्पाद कटोरी, प्लेटों का उपयोग हम लोग अपनी पार्टियों में करते हैं। इसकी जगह हमें पर्यावरण अनुकूल उत्पादों याने कि बाँस, पेड़ की छाल या फिर पत्तों का उपयोग करना चाहिये।

    स्टीरोफोम
    स्टीरोफोम

  4. लकड़ी की चॉपस्टिक – खाना खाने के आनंद के लिये हम लोग लकड़ी की चॉपस्टिक का उपयोग करते हैं, परंतु हर साल लगभग 5.70 करोड़ (ग्रीनपीस के अनुसार आँकड़े) चॉप्स्टिक का उपयोग किया जाता है, सोचिये कि कितने सारे पेड़ इसके लिये काटने पड़ते हैं। इन चॉप्सिटकों का उपयोग न करें और इसकी जगह स्टील के काँटे या चम्मच का ही उपयोग करें।

    लकड़ी की चॉपस्टिक
    लकड़ी की चॉपस्टिक

  5. पॉलीथीन के थैले – प्लास्टिक के ये थैले नष्ट नहीं होते हैं, उनको ऐसे ही कचरे के साथ कचरा क्षैत्र में जमीन में दबा दिया जाता है और जब कचरे को नष्ट करने के लिये जलाया जाता है तो इससे जहरीली गैसें निकलती हैं और जो कि प्रदूषण भी बड़ाती हैं। कपड़े या जूट का थैला खरीदें जिसे कि बार बार उपयोग किया जा सके और प्लॉस्टिक थैले के लिये मना कर दें। इससे कम से कम थोड़ी बहुत तो हमारे फेफड़ों और धरती को राहत मिलेगी।

    पॉलीथीन के थैले
    पॉलीथीन के थैले

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पॉकीमोन गो Pokémon Go

Pokémon Go
Pokémon Go

पॉकीमोन गो Pokémon Go एक खेल है जो कि मोबाईल फोन पर खेला जाता है, पिछले कुछ समय से उस खेल में मोबाईल गेमिंग की दुनिया में तहलका मचा रखा है। आधिकारिक तौर पर भारत में भी अब गूगल प्ले स्टोर पर पॉकीमोन गो खेल उपलब्ध है। इस खेल को नियान्टिक इनकार्पोरेशन नाम की कंपनी ने बनाया है और इस खेल को ऑफिशियली 6 जुलाई 2016 को रिलीज किया गया था।

पॉकीमोन गो Pokémon Go को एन्ड्रॉयड और एप्पल दोनों पर खेला जा सकता है, यह खेल फ्री है आप इसे डाऊनलोड कर सकते हैं यह 84.4 एम.बी. का है। इस खेल को खेलने के लिये आपको जीपीएस और डाटा कनेक्शन दोनों ही चाहिये होता है और कई बार यह खेल आपका कैमरा भी उपयोग करता है। यह खेल लोकेशन बेस होने के कारण रियल फीलिंग देता है।

इस खेल को खेलने के पहले आपको अपने आपको रजिस्टर करना होता है, आप अपने जीमेल खाते से भी लॉगिन कर सकते हैं। उसके बाद आपको पॉकीमोन स्टॉप पर से बॉल और अंडे लेने होते हैं और जब भी आप पैदल घूमते हैं तो आपको मोबाईल पर पॉकीमोन दिखते हैं तो आपको उन पॉकीमोन को बॉल फेंककर पकड़ना होता है और कई जगहों पर इनके जिम भी होते हैं।

इसमें कई तरह के पॉकीमोन होते हैं जो कि आपको पकड़ने होते हैं और इस खेल में कई लेवल हैं, जो कि आपको पॉइंट्स और पॉकीमोन के आधार पर बढ़ते हैं। जितना आप पैदल चलेंगे उतने ज्यादा पॉइंट्स आपको मिलते जायेंगे और आपके पॉकीमोन शक्तिशाली होते जायेंगे।

Gameplay screenshots of Pokémon Go
Gameplay screenshots of Pokémon Go

तो यह तो आप समझ ही गये होंगे कि पॉकीमोन खेल में चलना बहुत पड़ता है, अगर आप वाहन पर हैं तो एकदम से आपको चेतावनी मिल जायेगी कि आप वाहन चलाते समय पॉकीमोन गो नहीं खेलें, और अपने आस पास का ध्यान रखें। बेहतर है कि जब भी आप इस खेल को खेलें अपने आसपास भी ध्यान रखें और सावधानी पूर्वक खेलें।

विदेश में कई तरह की दुर्घटनायें हो चुकी हैं कि पॉकीमोन गो खेलते खेलते ही हाईवे और सड़कों पर आ गये और भयानक दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं। कई लोग आपस में टकरा चुके हैं और कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। ध्यान रखें कि खेल मनोरंजन के लिये बनाया गया है, परंतु मनोरंजन जान से ज्यादा कीमती नहीं है।

कई देश पॉकीमोन गो Pokémon Go को खेलने के लिये अपने नागरिकों के लिये चेतावनी जारी कर चुके हैं और कई शहरों में इस खेल को खेलने के लिये प्रतिबंध की भी बात की गई है। कई सार्वजनिक स्थानों पर पॉकीमोन गो खेलने के प्रतिबंध के बोर्ड लगाये गये हैं।

इस खेल के बारे में वर्ष 2014 में पहली बार सोचा गया था और 2016 में जब पॉकीमोन गो को रिलीज किया गया तो केवल कुछ ही देशों में इस खेल को डाऊनलोड के लिये दिया गया, धीरे धीरे जब कंपनी अपने सर्वरों को स्टेबल करने लगी तो उन्होंने अपना विस्तार बढ़ाना शुरू किया, 7 जुलाई 2016 को जब पॉकीमोन गो को बाजार में उतारा गया तो निन्टेन्डो कंपनी के शेयर 10 प्रतिशत बढ़ गये थे और 14 जुलाई तक तो शेयरों के भाव में 50 प्रतिशत का उछाल देखा गया, क्योंकि यह खेल रातोंरात प्रसिद्ध हो चुका था। इस तरह का कोई और खेल मोबाईल गेमिंग की दुनिया में पहली बार उतारा गया था।

जब हाईवे पर एक सफेद वर्दी वाले ने हमें हाथ दिया

कल बैंगलोर में यातायात के सफेद वर्दीधारी कुछ ज्यादा ही मुस्तैद नजर आ रहे थे, पहले लगा कि कोई बड़ा अफसर या मंत्री आ रहा होगा। परंतु हर जगह दोपहिया वाहनों और टैक्सी वालों को रोककर उगाही करते देख समझ आ गया कि इनको दिसंबर का टार्गेट पूरा करना होगा, नोटबंदी के चलते इनको नवंबर में भारी नुक्सान हुआ है। भले ही चालान क्रेडिट कार्ड या ऑनलाईन भरने की सुविधा हो, परंतु हर चालान तो एक नंबर में न ये काटेंगे और न ही पकड़ाये जाने वाला कटवायेगा। जब 500 या 1000 की जगह 100 या 200 में ही काम चल जायेगा तो कौन इतनी माथापच्ची करेगा। आजकल तो हालत यह है कि इनके पास भी जो क्रेडिट कार्ड मशीन होती है, उसकी भी टांय टांय फिस्स हुई होती है, या तो नेटवर्क फैलियर का मैसेज आता है या फिर सर्वर लोड का मैसेज या टाईम आऊट। Continue reading जब हाईवे पर एक सफेद वर्दी वाले ने हमें हाथ दिया

हानिकारक बापू

हानिकारक बापू – यह गाना है आमिर खान की फिल्म दंगल का, जबसे हमारे बेटेलाल ने यह गाना सुना है, तब से वे इसे कई बार सुन चुके हैं और लगभग याद ही कर लिया है। अब आलम यह है कि जब भी हम या घरवाली कुछ कहने को होते हैं तो बस इस गाने को गाना शुरू कर देते हैं। हमें भी उत्सुकता हुई कि आखिर यह गाना बना ही क्यों ?

फिल्म की कहानी और ट्रेलर से इतना पता चला कि मुख्य अभिनेता आमिर खान जो कि एक पहलवान की भूमिका में हैं और घर में बेटे होने का इंतजार कर रहे होते हैं, परंतु उनके घर में केवल लड़कियाँ ही पैदा हो रही होती हैं, और ये स्वर्ण पदक जीतने में नाकामयाब रहे तो अपना यह सपना अपने बेटे से पूरा करवाना चाहते हैं। पर एक दिन उनकी दो लड़कियों नें दो गाँव के छोरों को धो दिया तो पहलवान पिता ने सोचा कि पदक तो बेटी भी ला सके है और बस पहलवान पिता दोनों बेटियों के पीछे लग गया कि अब तो ये छोरियाँ ही स्वर्ण पदक लायेंगी। Continue reading हानिकारक बापू