Category Archives: अनुभव

घी तेल में डूबा नाश्ता खाना आप भी खाते हैं, देखते हैं?

आजकल हम लोगों की ज़बान ज़्यादा ही ललचाने लगी है, हम घी तेल खाने पीने के मामले में बहुत ही ज़्यादा प्रयोगधर्मी हो गये हैं, हमें बहुत सी चीजें जो बाहर मिलती हैं वे घर में बनाना चाहते हैं। इस ललचाने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है हमारे सोशल नेटवर्किंग ने जैसे कि फ़ेसबुक, यूट्यूब इत्यादि वेबसाइट्स ने। जब भी आप भारतीय व्यंजनों को बनाने जाते हैं या कैसे बनाते हैं, देखते हैं तो हमेशा ही आपको उसमें घी या तेल का अधिकतर उपयोग देखने को मिलता है। इतना घी या तेल हमारी सेहत के लिये अच्छा नहीं होता है, एक प्रकार से यह भी कह सकते हैं कि हम लोग घी और तेल के मामले में मानसिक बीमार हो चुके हैं।

यह सब अब कहने की बात है कि घी और तेल के बिना कुछ अच्छा नहीं लगता, लोग दरअसल यह नहीं जानते हैं कि तेल घी और मसाला दोनों अलग अलग चीजें हैं, मसाले अधिकतर प्राकृतिक हैं और तेल घी को परिष्कृत करके निकाला जाता है, तथा इनसे हमारा कोलोस्ट्रोल व ट्राईग्लिसराईड बढ़ता है, जो कि आगे चलकर ह्रदयाघात के लिये महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर आपको भी घी तेल वाला फोबिया है तो कोई आपको कुछ नहीं कर सकता है। घी तेल के बिना भी आप खाना बना सकते हैं, बढ़िया से मसाले डालिये, मसालों का टेस्ट ज़बरदस्त होता है, व बिना घी तेल के मसालों का स्वाद ज़्यादा अच्छा आता है।

मैं भी कई बार बहुत से वीडियो देखता हूँ कि कोई नई चीज कैसे बनायी जाये, परंतु जैसे ही शुरूआत में कोई भी रसोइया घी तेल से शुरूआत करता है, मैं वीडियो बंद कर देता हूँ, ठीक है पहले लोगों को पता नहीं था, पर कम से कम अब तो लोगों को इनके नुक़सान पता है, पहले लोगों की उम्र ५०-६० से ज़्यादा नहीं होती थी, अब ७०-८० तो साधारण है, पहले लोग बिना तकलीफ़ के ही अपनी उम्र पूरी कर भगवान के पास चले जाते थे, क्योंकि चिकित्सकीय सुविधायें सर्वसुलभ नहीं थीं, पर अब लोग लंबा जीते ज़रूर हैं, परंतु बहुत सी तकलीफ़ें झेलकर, क्योंकि अब एक से एक चिकित्सकीय सुविधायें उपलब्ध हैं व सर्वसुलभ हैं।

तेल में डूबा नाश्ता खाना अगर आप भी खाते हैं, देखते हैं तो यह अपने आपके लिये एक बहुत ही कठिन घड़ी है, फ़ैसला लेने के लिये, अगर आप अब भी फ़ैसला नहीं ले पाये तो ध्यान रखिये कभी फ़ैसला नहीं ले पायेंगे। फ़ास्ट फ़ूड भी अच्छा नहीं है, खाने के लिये फल और सब्ज़ियाँ हैं, कच्चा खाने की आदत डालिये, नहीं खाते बने तो उनका रस बनाकर पीने की कोशिश करें, कोशिश करें कि रस ताज़ा ही पी लें, और हाँ एक बात और ध्यान रख लें, कि जैसा आप अपनी मशीन याने कि पेट को देंगे वह उतनी ही कुशलता से काम करेगी। अपनी जीवनशैली बदलिये व स्वस्थ्य जीवनशैली की और अग्रसर होइये, जिससे आपका परिवार आपको हँसी ख़ुशी देख सके। याद रखिये एक व्यक्ति घर में बीमार होता है तो पूरा घर ही बीमार हो जाता है। ऐसी घड़ी न आने दें, कम से कम अपनी तरफ़ से यह कोशिश तो कर ही सकते हैं।

यातायात नियमों को तोड़ने पर वाहन का बीमा प्रीमियम बढ़ सकता है

चौंकिये मत कि यातायात नियमों को तोड़ने पर बीमा प्रीमियम बढ़ सकता है, इसकी शुरूआत दिल्ली से होने जा रही है, अगर आप दिल्ली में रहते हैं और यातायात नियमों का पालन नहीं करते हैं तो आपके वाहन का बीमा प्रीमियम बढ़ सकता है। हालांकि अभी इसे लागू होने में समय है, पर यह निश्चित हो गया है कि थर्ड पार्टी बीमा पर प्रीमियम बढ़ जायेगा।इसमें यातायात नियम तोड़ने पर नेगेटिव प्वॉइंट्स दिये जायेंगे और यही प्वाईंट्स बीमा कंपनियों को बढ़ी हुई प्रीमियम के लिये बुनियादी होगा।

अभी तक बीमा प्रीमियम वाहन के इंजिन केपेसिटी व वाहन के प्रकार पर निर्भर करती है, वहीं अगर आपने कोई भी क्लेम नहीं किया है तो आपको अपने वाहन के बीमा प्रीमियम पर आकर्षक छूट भी मिलेगी। यह पायलट प्रोजेक्ट दिल्ली से शुरू हो रहे है, फिर सभी राज्यों में लागू किया जायेगा। बीमा कंपनियाँ लंबे समय से वाहन के ड्राईवरों को बीमा प्रीमियम से जोड़ने के लिये लंबे समय से लड़ाई कर रही हैं।

अगर आपने यातायात नियमों को तोड़ा तो यह मत सोचियेगा कि केवल बढ़ी हुई बीमा प्रीमियम ही देना होगी, बीमा प्रीमियम तो बढ़ी हुई देनी ही होगी साथ ही यातायात पुलिस आपका चालान भी बनायेगी व वह चालान की राशि भी भरना होगी। तो यातायात नियमों को तोड़ना अब बहुत ही महँगा होने वाला है, गाड़ी धीरे धीरे आराम से चलाईये, सारे यातायात नियमों का पालन करिये, किसी एक यातायात की लाल बत्ती पर रुकना आपके बहुत से पैसे बचा सकता है, और उससे भी अधिक कीमती किसी व्यक्ति की जान बचा सकता है।

यह सब आम जनता को परेशान करने के लिये नहीं किया जा रहा है, बल्कि बढ़ती हुई दुर्घटनाओं को कम करने के लिये किया जा रहा है। आपके 5-10 मिनिट से कीमती किसी की जिंदगी है, वहीं अगर आप पैदल यात्री हैं तो आपको भी तेज आते वाहन के सामने केवल हाथ देकर सड़क पार नहीं करनी चाहिये, नहीं तो आप अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं और अपने परिवार को बहुत बड़ी विपत्ती में डाल रहे हैं, अगर आपका जीवन बीमा है तो आपका परिवार फिर भी किसी प्रकार आपके बिना जी लेगा, परंतु अगर आपने जीवन बीमा भी नहीं ले रखा है तब सोचिये कि अगर कमाने वाले आप अकेले हैं तो आपके परिवार का क्या होगा। आपकी क्षति कितनी भी बड़ी रकम पूरी नहीं कर सकती।

नियमों को तोड़ने के पहले केवल एक बार अपने परिवार को अपनी आँखों के सामने रखियेगा, आप कभी भी नियम नहीं तोड़ पायेंगे। ध्यान रखें चार पहिये के वाहन चलाते समय हमेशा ही सीट बैल्ट बाँधें और दो पहिया वाहनों को चलाते समय हमेशा ही हेलमेट लगायें।

इंडियाबुल्स शुभ एप्प (Indiabulls Shubh App)

इंडियाबुल्स शुभ एप्प (Indiabulls Shubh App)

 

शेयर बाजार में ट्रेडिंग और ब्रोकरेज

जब हम शेयर बाजार में ट्रेडिंग शुरू करते हैं तो हम सब नये रंगरूट रहते हैं और आगे बढ़ने के लिये हमें हमेशा ही किसी न किसी को गुरू बनाना पड़ता हैव शेयर बाजार की बारीकियों को सीखना पड़ता है। इस सीखने के शुरूआती दौर की बात करें या अनुभवी ट्रेडर की बात करें, ब्रोकरेज देना सभी को बहुत महँगा लगता है। एक समय था जब ब्रोकरेज डिलिवरी और ट्रेडिंग के लिये अलग अलग होता था, पर आज ऑनलाईन डिस्काऊँटेड ब्रोकरेज आने से सब कुछ बदल गया है। अब समय यह आ गया है कि हमें ऑनलाईन डिस्काऊँटेड ब्रोकरेज के 20रूपये एक कॉन्ट्रेक्ट पर देना महँगा लगने लगा है। तकनीकी की बात करें तो सभी ब्रोकरेज हाऊसेस के पास एक से बढ़कर एक तकनीक है। यहाँ ऑनलाईन डिस्काऊँटेड ब्रोकरेज के साथ समस्या यह है कि हमें वहाँ से फंडामेंटल और टेक्नीकल कोई जानकारी नहीं मिल पाती है और न ही हमें वे गाईड करते हैं। यह एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। इसके लिये आज हम इंडियाबुल्स शुभ के बारे में बात करेंगे।

 

ट्रेडर और मार्जिन

ट्रेडर की बात करें तो उनके साथ समस्या मार्जिन की आती है, हमेशा ही हर ट्रेडर के लिये पूरा मार्जिन ब्रोकरेज हाऊस के साथ रखना संभव नहीं हो पाता है, तो कई बार हम सोचते हैं कि काश कोई ऐसा ब्रोकर होता जो हमारे से थोड़ा बहुत चार्ज लेकर हमें मार्जिन दे देता तो हम बड़े ट्रेड कर पाते। ट्रेडर के लिये ब्रोकरेज भी बड़ी रकम होती है, साथ ही अगर आप इंटराडे में इक्विटी ट्रेडिंग करते हैं तब भी ब्रोकरेज बहुत मायने रखती है।

 

कैसे करें अपने ब्रोकरेज में बचत

मैंने इस पर बहुत रिसर्च किया और यह रिसर्च मैं आपको यहाँ बताने जा रहा हूँ, मैंने शुरू में ट्रेडिशनल ब्रोकरेज के जरिये काम करना शुरू किया था तब फ्यूचर और ऑप्शन में 120 रूपये ब्रोकरेज एक कॉन्ट्रेक्ट के लिये लगता था, फिर मैंने ऑनलाईन डिस्काऊँटेड ब्रोकरेज के जरिये काम करना शुरू किया तो मेरे ट्रेड ही एक दिन के इतने हो जाते हैं कि मेरा रोज का ही ब्रोकरेज 1000 रूपये के ऊपर हो जाता है।अब जिस ब्रोकर की बात मैं यहाँ करने जा रहा हूँ वे महीने के मात्र 1000 रूपये लेते हैं और आप अनलिमिटेड फ्यूचर और ऑप्शन या इक्विटी में ट्रेड कर सकते हैं।

 

इंडियाबुल्स शुभ (इंडियाबुल्स वेंचर्स)

 

ब्रोकरेज हाऊस का नाम है इंडियाबुल्स वेंचर्स जो कि बाजार में लीडिंग ब्रोकर हैं और इक्विटी, डेरिवेटिव, कमोडिटी और करंसी ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करते हैं। 7 लाख से ज्यादा लोग इंडियाबुल्स के साथ शेयर कारोबार में ट्रेडिंग करते हैं।

 

इंडियाबुल्स शुभ एप्प(Indiabulls Shubh App)और ब्रोकरेज की गणना

इंडियाबुल्स शुभ

अभी हाल ही में इंडियाबुल्स ने शुभ एप्प लाँच किया है, और उसके साथ ही बहुत ही आकर्षक ब्रोकरेज प्लॉन भी बाजार में पहली बार दिये हैं, जैसा कि हमने अभी ब्रोकरेज की बात की तो आप अगर रोज के 5 ट्रेड करते हैं तो आपका ब्रोकरेज रोज का ही लगभग 300 रूपया हो जाता है, और महीने के 20 दिन का हिसाब लगायें तो लगभग 6000 रूपये हो जाता है। जबकि अगर आप इंडियाबुल्स शुभ एप्प से ट्रेड करते हैं तो आपको केवल महीने के 1000 रूपये ब्रोकरेज और जीएसटी के 180 रूपये मिलाकर 1180 रूपये ही देने हैं। तो आप केवल ब्रोकरेज में ही महीने के लगभग 5000 रूपये बचा सकते हैं। अगर आप ज्यादा ट्रेड करते हैं तो आप खुद ही अपने ब्रोकरेज की गणना कर लीजिये आपको अपनी ब्रोकरेज की बचत पता चल जायेगी। आप नीचे दी गये चित्र से ही ब्रोकरेज का अंदाजा लगा सकते हैं।

Brokerage Calculation

वैसे ही अगर आप ट्रेडिशनल ब्रोकर के जरिये अपने निवेश शेयर बाजार में करते हैं तो भी आप नीचे दिये गये चित्र से अपने लाभ को देख सकते हैं –

Traditional Brokerage

मार्जिन फंडिंग

वहीं अगर आप इक्विटी में अनलिमिटेड ट्रेडिंग प्लॉन  देखें तो मार्जिन फंडिंग की सुविधा शून्य ब्याज के साथ आपको मिल जाती है, इंडियाबुल्स शुभ के विभिन्न मार्जिन फंडिंग प्लॉन आप नीचे देख सकते हैं –

IndiaBulls Equity Unlimited Trading Plans

एक महीने का प्लॉन फ्री याने कि बिल्कुल मुफ्त

सबसे अच्छी बात यह है कि जब भी आप इंडियाबुल्स शुभ में रजिस्टर करते हैं तो आपको पहले एक महीने का प्लॉन फ्री है, याने कि आपको प्लॉन की फीस एक महीने के बाद ही देनी है। रजिस्टर करने के लिये 500 रूपये की फीस है, जो कि लगभग सभी ब्रोकरेज हाऊस लेते हैं।

Free for First 30 Days

इंडियाबुल्स शुभ के साथ रजिस्टर होने का सबसे बड़ा फायदा है कि ऑनलाईन डिस्काऊँटेड ब्रोकरेज आपको रिसर्च प्रदान नहीं करते हैं, और ट्रेडिशनल ब्रोकर आपसे बहुत ज्यादा ब्रोकरेज लेते हैं, पर यहाँ आपको रिसर्च भी इंडियाबुल्स शुभ के द्वारा आपको दी जायेगी। अगर आप ट्रेडिंग या इक्विटी में नये हैं तो आप वेबसाईट पर जाकर शुभ एकेडमी पर सीख भी सकते हैं।

इंडियाबुल्स शुभ एप्प तकनीकी रूप से भी तेज

सबसे बड़ी समस्या ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर स्टेबिलिटी की होती है, कई बार एप्प क्रेश हो जाती है परंतु इंडियाबुल्स शुभ एप्प में आपको यह समस्या नहीं आयेगी और इंडियाबुल्स शुभ एप्प बहुत तेज चलती है जिससे आपको कभी भी ट्रेड करने में कोई असुविधा नहीं होगी।

इंडियाबुल्स शुभ एप्प डाऊनलोड कर लिजिये और आप केवल एप्प के जरिये ही केवल 10 मिनिट में अपने सारे दस्तावेज अपलोड करके अपना एकाऊँट खोल सकते हैं। गूगल एप्प स्टोर पर सर्च करिये IndiaBulls Shubh App और डाऊनलोड कर लीजिये।

 

एप्प पर कैसे अपना एकाऊँट खोलेंगे उसके लिये आप नीचे दिये गये वीडियो को देख सकते हैं –

https://youtu.be/bJgwzGFUFL8

ट्रेडिंग का अनुभव लेने के लिये आप नीचे दिये गये वीडियो को देख सकते हैं –

https://youtu.be/bJgwzGFUFL8

अगर आपको कोई प्रश्न है तो आप टिप्पणी करके पूछ सकते हैं।

 

प्यार की बातें और नारी शक्ति

अभी कुछ दिन पहले मैं मुम्बई से बैगलोर फ्लाईट से वापिस आ रहा था, तो सिक्योरिटी के बाद अपने गेट पर फ्लाईट एनाऊँसमेंट का बैठकर इंतजार कर रहा था, तभी एक दिखने में वृद्ध परंतु चुस्त जोड़ा मेरे सामने आकर बैठा, उम्र लगभग 70 वर्ष के आसपास होगी। पति पत्नी दोनों के हाथ में एक एक बैग था, पत्नी को बैठाकर, अपने बैंग पत्नी के पास ही रखकर पति महोदय कहीं चले गये, और थोड़ी देर बाद एक अखबार लेकर वापिस आये।

जैसे ही पति महोदय वापिस पहुँचे, वैसे ही पत्नी उखड़ गईं, पिछले 50 वर्षों से देख रही हूँ, कि कहीं भी जाओ, मुझे समान के पास बैठाकर चौकीदार बनाकर टहलने निकल लेते हैं और पता नहीं कहाँ कहाँ क्या देखते रहते हैं, अरे हमको भी घूमने की इच्छा होती है, हम कौन से रोज रोज एयरपोर्ट पर आते हैं, आप अपना बैग साथ में लेकर जाया करो, देखो यहाँ कोई भी कहीं भी उठकर जाता है तो अपना बैग साथ में लेकर जाता है, मैं अपना बैग सँभाल रही हूँ, और अाप अपना बैग सँभालें, कोई बात हो तो मोबाईल तो है ही, फोन भी किया जा सकता है।

पत्नी महोदया अपना बैग उठाकर निकल लीं, और बेचार पति महोदय जो अखबार लेकर आये थे, वहीं अखबार पूरा खोलकर सबसे नजरें बचाने की कोशिश कर रहे थे, क्योंकि पत्नी महोदया न पति महोदय को इतनी तेज आवाज में यह सब बोला था, कि गेट के पास के कम से कम १०० लोग इस वाकये के गवाह बन चुके थे।

ऐसे ही हम लोग भी शायद कई बार जाने अनजाने में यही आदतें दोहराते हैं, तो हमें भी सुधर जाना चाहिये, नारी शक्ति की आवाज को कहीं भी नहीं दबाया जा सकता है, और बुलंद आवाज बुलंद दीवारों को भी गिरा सकती है। प्यार अपनी जगह और आजादी अपनी जगह।

#प्यार_की_बातें
#नारी_शक्ति

 

फेसबुक से कुछ स्टेटस –

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अध्यापाक – घर में नहीं हैं दाने और अम्मा चली भुनाने, इसको उदाहरण सहित समझाओ 

छात्र – प्रधानमंत्री जी भूटान की अर्थव्यवस्था सुधारेंगे।

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वैसे जी टीवी, रिपब्लिक टीवी, टाईम्स नाऊ, इंडिया टीवी और सुदर्शन टीवी को भी मर्ज कर देना चाहिये, जिससे कुछ कम बकवास होगी।

#RBI कहता है कि अपना पिन नंबर और ओटीपी किसी की को न बताएं। मैं तो कहता हूँ अपना सरप्लस और इमरजेंसी डिपॉज़िट भी किसी को नहीं बताना चाहिए

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सावधान, अगर आपके पास RBLबैंक के शेयर हैं तो अब भी बेच दें, वरना जब 2 अंकों में यस बैंक जैसा हाल हो, तब मत रोना, जिनका पैसा लगा था, वे अब इसमें से लगभग निकल ही लिये हैं, IPO ₹270 में आया था, अभी ₹327का भाव चल रहा है।
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डिस्क्लेमर- मैं सेबी रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार नहीं हूँ, इसलिये इस पर अमल लाने के पहले खुद विश्लेषण करें और अपने निवेश सलाहकार से सलाह जरूर कर लें।

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कुछ दिन पहले एक *बन्दी* आई थी जिसका नाम *नोटबन्दी* था

अब उसकी *बहन* आई है जिसका नाम *मंदी* है |

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हेज फंड्स ने सोने में $580 मिलियन की अभी खरीददारी की है, तो बस अब समझ लो कि बुरा समय आ ही गया है।

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अब अक्षय कुमार अपनी आने वाली फिल्म में 8%GDP के बारे में बतायेंगे।

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Jho Low पर लिखी गई किताब Billion dollar whaleपढ़नी शुरू की है, बन्दे के कारनामे शुरू के कुछ पन्नों पर पढ़कर ही उसके कौशल और बुद्धि की तारीफ ही निकल रही है, भले मलेशिया के प्रधानमंत्री का खास रहते उसने सारे स्कैम किये, किताब लगभग 12घन्टे में खत्म होगी, जल्दी ही पूरी खत्म करने का प्लॉन है, शातिर दिमाग कैसे चलाया गया, वह देखा जाये।

 

ब्लॉग में php का अपडेट, निवेश क्यों करना चाहिये वीडियो, पंजीर लड्डू और सरकारी बैंकें

जिन चीजों के बारे में जानकारी न हों वे बहुत सारा समय खा जाती हैं, पिछले सप्ताह से परेशान था कि php का नया वर्शन कैसे ब्लॉग के लिये अपडेट करना है, आज भी सुबह से ३ घंटे परेशान हो लिया, क्योंकि वर्डप्रेस का नया वर्शन php के अपडेट के बाद ही अपडेट होता, होस्टगेटर ने नया सॉफ्टवेयर बहुत ही साधारण वाला बना दिया, पर कहीं कोई जानकारी नहीं, खैर cpanel और blog में backup लेकर अपडेट कर ही दिया। अब अपनी वेबसाईट php 7.3 पर हैं।

इसी कारण से पिछले सप्ताह से कोई ब्लॉग भी पोस्ट नहीं कर पा रहे थे, अब कर पायेंगे। Continue reading ब्लॉग में php का अपडेट, निवेश क्यों करना चाहिये वीडियो, पंजीर लड्डू और सरकारी बैंकें

अब जम्मू कश्मीर लेह लद्दाख में रोजगार पैदा करने की जरूरत

अनुच्छेद 370 खत्म और 35Aस्वत: खत्म, आजाद हुई हमारी ‘जन्नत’ इस हेडलाईन के साथ आज का समाचार पत्र आज सुबह मिला। वैसे तो कल ही सुगबुगाहट चल ही रही थी और जब सदन से यह ऐलान हो गया तो, बस दिल बागबाग हो गया, अच्छी खबर यह भी थी कि जम्मू कश्मीर से लद्दाख अलग कर दिया गया है व उन्हें अब अलग अलग केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया है। पूरी घाटी में पिछले 2-3 दिनों से भारी मात्रा में सुरक्षा बल तैनात हैं और पूरी दुनिया से अलग थलग कर दिया गया है, जिससे कोई भी अलगाववादी ताकतें घाटी में आतंक न फैला सकें।

इस खबर के साथ ही सोशल मीडिया में बहुत से स्टेटस आने लगे कोई कहता कि अब तो जम्मू कश्मीर, लेह लद्दाख में जमीन खरीदेंगे, घर खरीदेंगे, अब घाटी की सुँदर लड़कियों से शादी भी कर सकते हैं इत्यादि। अभी तक जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा था और करोड़ों रूपया भारत सरकार द्वारा बहाया जाता रहा है, जिसका कोई हिसाब किताब भी नहीं था, बस वह दो नंबर के जरिये कुछ राजनैतिक दलों और राजनैतिज्ञों की जेब में पहुँच जाता था। अब तक कोई भी विकास का कार्य नहीं हुआ और न ही कोई रोजगार पैदा हुए।

अब इस बात के आसार लग रहे हैं कि जम्मू कश्मीर में नये व्यवसाय लगेंगे, जिससे वहाँ रोजगार पैदा होंगे। जम्मू, श्रीनगर, लेह, लद्दाख इतनी प्यारी जगहें हैं, ये भारत के अपने खुद के स्विट्जरलेंड हैं, जहाँ हम चाहते हुए भी जाकर रह नहीं सकते हैं, जैसे यूरोप में कई बेहतरीन जगहों पर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सेंटर हैं, वैसे ही कुछ नये सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सेंटर खुलने चाहिये, जिससे IT वालों को भी भारत के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने का मौका मिले, साथ ही जब एक अच्छी नौकरी वहाँ शुरू होगी तो एक नौकरी से कम से कम 10रोजगार पैदा होते हैं, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सेंटर के लिये विशेष तरह के स्किल की जरूरत होती है, जो कि हो सकता है कि वहाँ के रहवासियों में अभी न हों, परंतु दैनिक जीवन के जरूरत वाले कई कार्यों के कारण वहाँ अन्य रोजगार पैदा होंगे।

जब जम्मू कश्मीर में रोजगार पैदा होंगे तो वहाँ के रहवासी, अलगाववादियों की बातों में नहीं आयेंगे और वे खुद ही अच्छे बुरे में फर्क पैदा कर पायेंगे, व 100 रूपये में पत्थर फेंकने को तैयार नहीं होंगे, साथ ही आतंकवादियों को समर्थन अपने आप ही कमी आ जायेगी। इस सबसे सबसे बड़ा अंतर भारत के खजाने पर पड़ने वाला बड़ा बोझ कम हो जायेगा। विश्व के पर्यटन मानचित्र पर जम्मू कश्मीर हीरे की तरह चमकेगा। रोजगार पैदा होने से सबसे बड़ा फायदा होगा कि पाकिस्तान पर जबरदस्त दबाब होगा, साथ ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों द्वारा भी पाकिस्तानी सरकार पर इसी तरह के व्यवसाय को स्थापित करने का दबाब होगा, अगर पाकिस्तानी सरकार द्वारा यह नहीं किया जाता है तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोग भारत में विलय होने के लिये दबाब बनायेंगे और जन आंदेलन की शुरूआत होगी।

अब केवल जम्मू कश्मीर लेह लद्दाख में एक अच्छी बेहतर नीति की जरूरत है, जिससे हम वैश्विक पटल पर भारत की छवि को अच्छे से दिखा सकें व गर्व से कह सकें कि अखण्डता पुनप्रतिष्ठित हुई।

शेयर बाजार का यूँ गिरना और सरकार का कोई कदम न उठाना

शेयर बाजार का यूँ गिरना, सब बजट का कमाल है, बस यह अलग बात है कि कुछ लोग जो सरकार के सहयोग में खड़े रहते हैं, वे इसे मानने को तैयार नहीं हैं, जिनके ऊपर ज्यादा टैक्स थोपा गया है, वे लोग ज्यादा कमाई करते हैं और उनके पास निवेश करने के लिये बहुत से देशों में जाने के ऑप्शन हैं, मेरे कुछ जानकार तो बजट के पहले ही सिंगापुर जाने की तैयारी कर चुके थे और बजट के बाद उन्होंने कहा भी कि देखा यह सरकार केवल अपनी कमाई का सोच रही है, पर जनता की कमाई का और उनकी सुविधओं का नहीं सोच रही है, तो हम अपना पैसा भारत से ले जायेंगे और बहुत से ऐसे देश हैं जहाँ कम कर लगता है, वहाँ निवेश करेंगे।

खैर उनकी बात तो सही है, और बाजार बजट के बाद से लगातार ही गिरते जा रहा है, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने अभी हाल ही में ही पिछले 3दिनों में 10,000 करोड़ रूपयों की बिकवाली की है, और खरीददारी के लिये भारतीय संस्थागत निवेशकों में से कोई भी खड़ा नहीं दिखाई दिया, पहले LIC बाजार से खरीददारी करके शेयर बाजार को सँभाल लेती थी।बजट के बाद से रोज ही विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बिकवाली की है और निवेशकों को बजट के बाद से 10 लाख करोड़ का नुक्सान उठाना पड़ा है, यह राशि उस राशि से बहुत ज्यादा है जो कि सरकार कर के रूप में वसूलना चाहती है।

कुछ लोग कह रहे हैं कि ये नये बदलाव हैं और इस तरह के झटके तो लगने ही हैं, वहीं कई लोगों का कहना है कि अर्थव्यवस्था में गति कहाँ से आ रही है, कोई कुछ समझाने की कोशिश करेगा। वहीं सरकार सारे सरकारी उपक्रमों को बेचने पर तुली हुई है, हो सकता है कि यह समय की माँग है जैसे कभी सरकार उपक्रमों को सरकारी बनाने के लिये जद्दोजहद कर, भारत की अर्थव्यवस्था को ऊँचाई पर ले जाना चाहते थे, पर सरकारी कर्मचारियों की अकर्मण्यता और सरकारी तंत्र की जटिलता के कारण यह तरीका भी नाकाम साबित हुआ।

शेयर बाजार अभी भी अपने उच्च स्तरों पर टिका हुआ है, जिसका मुख्य कारण है कि कुछ कंपनियाँ, जो बहुत अच्छा कर रही हैं, यह जो दिन हम देख रहे हैं यह स्थिति 2008 के वैश्विक मंदी से भी ज्यादा खराब है, क्योंकि 2008 में जो मंदी आई थी, वह वैश्विक मंदी का कारण थी, और पूरा विश्व उस समय मंदी से गुजर रहा था, व जैसे ही मंदी से विश्व उबरा, भारत भी मंदी के संकट से बाहर आ गया था। इस बार यह वैश्विक मंदी नहीं है, यह भारत सरकार के बजट के कारण स्थिति उपजी है, और भारत सरकार इस बारे में कुछ भी करने के लिये प्रतिबद्ध नहीं दिख रही, जो कि खुदरा निवेशकों के लिये और भारत की अर्थव्यवस्था के लिये खराब बात है, क्योंकि यह जो मंदी है, यह कब खत्म होगी इसका कोई भी अंत समझ नहीं आ रहा है।

समस्या को तभी खत्म किया जा सकता है, जब आप समस्या को समझ पायें, अगर आप समझ रहे हैं कि कोई समस्या ही नहीं है तो समस्या का कोई भी समाधान निकालने की कोशिश ही नहीं करेगा। देखते हैं कि सरकार को शेयर बाजार की समस्य़ा गंभीर लगती है या वे इसे मंदी में ही चलने देंगे।

किताबें पढ़ना छोड़ो ऑडियोबुक सुनना शुरू करें

मेरी आदत बचपन से ही किताबें पढ़ने की थी, पापाजी शासकीय वाचनालय से हर सप्ताह ही दो तीन किताबें लाते थे और उनको पढ़ने के बाद फिर दूसरे सप्ताह वापिस से दे तीन किताबें घर में होती थीं, इस तरह से घर में हर महीने ही लगभग बारह से पंद्रह किताबें पढ़ी जाती थीं, और यही मुख्य कारण रहा मुझे किताबें पढ़ने का चस्का लगना का। लगभग सभी की आदत किताब पढ़ने की होती है किताबों में कहानियां लेख उपन्यास सब कुछ आता है जो कि मनोरंजन के लिए पढ़ी जाती हैं। 

किताब पढ़ने के लिए बहुत सारा समय हमें निकालना पड़ता है और कई बार हम किताब पढ़ते पढ़ते कुछ और सोचने लगते हैं कई बार शब्द बड़े बड़े होकर दिखने लगते हैं, तो कई बार शब्द दिखने ही बंद हो जाते हैं। पहले मैं बहुत किताबें पढ़ता था, अमेजॉन से फ्लिपकार्ट से बहुत सारी किताबें खरीदी और पढ़ीं,फिर किताबों के अंबार से परेशान हो गया और किंडल खरीद लिया। फिर किंडल पर किताबें पढ़ने लगा। किंडल एक आधुनिक यंत्र है, जिस पर किताबें पढ़ी जा सकती हैं और बहुत सारी किताबें एक साथ रखी जा सकती हैं तो उससे मेरी किताबें रखने की समस्या का समाधान तो हो गया, लेकिन कुछ सुविधायें भी मिलने लगीं जैसे कि अगर किसी शब्द का मतलब मुझे समझ में नहीं आ रहा है तो मैं उस पर क्लिक करके रखूँगा, तो उसका मतलब किंडल मुझे बता देगा तो इससे यह मुझे और ज्यादा सुविधाजनक लगने लगा। 

लेकिन सारी समस्या समय की थी कि इतना समय कहाँ से निकाला जाए कि रोज ही किताबों को पढ़ पाऊँ, फिर मैंने अमेजॉन ऑडिबल का सब्सक्रिप्शन लिया लेकिन वहाँ समस्या यह थी कि वहां पर हिंदी की किताबें कम हैं और अंग्रेजी की ज्यादा और हम ठहरे हिंदी मातृभाषा वाले। फिर हमने स्टोरी टेल एप्प का नाम सुना तो स्टोरी टेल में बहुत सी किताबें हिंदी ऑडियो बुक के रूप में उपलब्ध हैं। हमने पहले1 महीने का ट्रायल लिया और फिर उसके बाद में 1 महीने के लिए अब ₹299 का भुगतान कर रहे हैं और किताबों को सुन रहे हैं। तो किताबों को सुनने के लिए समय बहुत सारा निकल आता है। मैं लगभग रोज ही एक घंटा घूमने जाता हूँ, तो एक घंटा आराम से साथ में किताबें भी सुनता रहता हूँ। ऑफिस आने-जाने के समय में भी किताबें सुन लेता हूँ, तो इससे मुझे लगभग रोज 3 से 4 घंटे का समय किताबों को सुनने का मिल जाता है कई किताबें और कहानियां मुफ्त में भी उपलब्ध हैं, जिन्हें की पॉडकास्ट में सुना जा सकता है तो उसके लिए आपको गूगल पॉडकास्ट एप्प फोन में इंस्टॉल करना होगा और हिंदी कहानियों का पॉडकास्ट ढूँढना होगा इसके ऊपर मैं एक अलग से ब्लॉग लिखूँगा, जिसमें मैं पॉडकास्ट की खूबियों के बारे में बात करूँगा।

बस किताबों को सुनते वक्त आपको यह ध्यान रखना है कि अगर आप कहीं और व्यस्त हैं तो किताबों को सुनना रोक दें, नहीं तो कुछ हिस्सा कहानी को छूट जाता है, अगर किताब सुनते सुनते ही कुछ सोचने के लिये, ठहरने के लिये समय चाहिये तो अपनी किताब को थोड़ा रोक दें, क्योंकि यह स्वाभाविक प्रक्रिया है, जब भी हम किताब पढ़ते हैं तब भी हम उसे अपने से संबद्ध करके कुछ न कुछ सोचते ही हैं, या कोई नया प्लान बनाने लगते हैं। केवल किताब ग्रहण करने का माध्यम बदला है, पर प्रक्रिया तो वही चलेगी।आप भी देखिये कि अगर आपको किताबें सुनना अच्छा लगे। बस असुविधा यह है कि अभी ऑडियोबुक के तौर पर बहुत बड़ी संख्या में किताबें उपलब्ध नहीं हैं, पर उम्मीद है कि जल्दी ही बहुत सी किताबें ऑडियोबुक के तौर पर भी बाजार में आने लगेंगी, जैसे की अभी नई किताब आई थी ‘ओघड़’, लेखक ने ही इस किताब की ऑडियोबुक में आवाज दी है, तो यह किताब और भी जबरदस्त बन गई है।

बरसात में ऑफिस कैसे जायें? बाइक की फ्लोट सीट से कमर दर्द में आराम।

रोज ऑफिस जाना तो वैसे भी बहुत कठिन काम है, कुछ नया तो करना नहीं होता, बस वही घिसा पिटा करते रहो, पर अब रोज भी ऑफिस में नया करने को क्या मिलेगा, पर फिर भी ऑफिस जाना जरूरी होता है, खैर ब्लॉग का विषय यह नहीं है कि ऑफिस क्यों जायें, विषय है कि बरसात में ऑफिस कैसे जायें?

बैगलोर वैसे तो भारत में IT की राजधानी है, परंतु सड़क और ट्रॉफिक के मामले में हाल बेहाल है, जैसा कि सब जगह होता है, सड़के टूटी फूटी हैं, जगह जगह गड्डे हैं, सड़कों पर गड्डे हम भारतीयों की दुर्गती करते हैं। बैंगलोर में कुछ जगहों पर तो यातायात की रफ्तार इतनी धीमी है कि 3किमी कार से जाने में लगभग एक घंटा लग जाता है, और पैदल चलने की जगह नहीं है, फुटपाथ या तो हैं नहीं या फिर टूटे हुए हैं, अगर ठीक भी हैं तो दोपहिया वाहन कब फुटपाथ पर आकर टक्कर मार जाये कोई भरोसा नहीं।

पिछले वर्ष बारिश के दौरान मैं कार से ही ऑफिस जाता था, पर समस्या समय की ही थी, कि ऑफिस की दूरी घर से लगभग 17 किमी है और कार से जाने से लगभग एक तरफ के 2 घंटे लगते थे, तो रोज ही लगभग 4घंटे सड़क पर बिताने पड़ते थे, फिर ऑफिस जाने के अन्य साधनों को भी परखा गया, एक दिन बस से गये तो बस में आने जाने का समय 2 घंटे और बढ़ गया, फिर शेयर कैब से जाकर देखा गया तो भी समस्या जस की तस थी और रोज फिर से 4घंटे की ड्राईविंग करने लगे, अगर कार ऑटोमैटिक हो तो थोड़ी राहत है, वरना तो हाथ गियर बदलने में और पैर क्लच, ब्रेक और एक्सलीरेटर दबाने में ही थक जाते हैं।

दोपहिया वाहन से जाना थोड़ा कम थकाने वाला और कम समय में ऑफिस पहुँचने में कारगार साबित हुआ, बाईक से पूरा आधा समय कम हो गया, अब ऑफिस के लिये 4 घंटों की जगह 2 घंटों की ड्राईव करने लगे। अब ऑफिस बाईक से जाते हैं, नया रेनकोट लिया गया, जिससे बारिश में पहना जा सके, बाईक में एक बैग नुमा डिक्की भी लगवाई गई, और घिसे हुए टायर बदलवा लिये गये, फिर भी रोज कमर दर्द से परेशान थे, तो उसका इलाज कुछ मिल नहीं रहा था, सभी बाईक की सीटें एक ही बनावट की होती हैं और एक्टिवा टाईप के स्कूटर को रोज इतनी दूरी के लिये चलाने संभव नहीं क्योंकि उसके टायर छोटे होने से गड्ड़ों में बैलेन्स नहीं बन पाता। सोचा कि बुलेट खरीद ली जाये पर फिर यह भी देखा कि केवल बुलेट की सीट ज्यादा अच्छी होना ही खरीदने के लिये पर्याप्त नहीं, बुलेट भारी भी होती है और इतनी भीड़ भाड़ वाली सड़क पर संभालना थोड़ ज्यादा कठिनाई वाला काम है, तो अपनी पीठ को आराम देने के लिये और भी तरीके ढ़ूँढ़ने लगे।

फ्लोट सीट
फ्लोट सीट
फ्लोट सीट मेरी बाईक पर

बाईक से ऑफिस जाना हो तो बहुत सी सावधानियाँ बरतनी पड़ती हैं, क्योंकि तेज बारिश में कारों से भी कम दिखाई देता है और दुर्घटना की संभावना ज्यादा होती है, तो रेडियम वाली विंडचिटर ली और जूतों पर भी रेडियम रहे इस बात का ध्यान रखा गया।पर पीठ के दर्द का निवारण नहीं मिल रहा था, एक दिन हमने जिस वेबसाईट से विंडचिटर लिया था, उसी पर सर्फिंग करते हुए पाया कि कुछ फ्लोट सीट है, जिसमें हवा भरी जा सकती है और इससे बाईक चलाते हुए कमर में दर्द भी नहीं होता, साथ ही गड्डों के जर्क भी नहीं लगते, व सीट बुलेट जैसी भी है। हमने फ्लोट सीट मँगा ली, और इसमें हवा भरकर बाईक की सीट पर फिक्स कर ली, तो अब थोड़ा आराम है, कमर में ज्यादा दर्द नहीं होता। बरसात में ऑफिस जाना थोड़ा आरामदायक हो गया है, अतिरिक्त सावधानी यह रखते हैं कि बाईक की रफ्तार 40 से ज्यादा नहीं रखते, क्योंकि समय तो ट्रॉफिक के कारण बराबर ही लगता है।

लेखन और ब्लॉगिंग

पता है लिखना बहुतों के लिये बहुत दुश्कर कार्य होता है, और बहुतों के लिये बहुत ही आसान, कुछ लोग तो जब भी लिखना चाहते हैं, लिख ही लेते हैं, और वहीं कुछ लोगों को लिखने के लिये बहुत जोर लगाना पड़ता है, अंग्रेजी में कहे गये शब्द राईटर्स ब्लॉक को भी कई लोग आजकल उपयोग करने लगे हैं। मेरा तो खैर मानना यह है कि जब शब्द अंदर से निकलते हैं, आप तभी लिख सकते हैं, नहीं तो लिखना नामुमकिन ही है।

लेखन भी कई प्रकार के होते हैं, कोई लेख अच्छा लिख सकता है तो कोई कहानी, नाटक या उपन्यास, अब अपनी विधा के महारती होते हैं, बस जैसे जैसे लिखते जाते हैं तो उस विधा में उनका अनुभव गहराता जाता है और उसे लिखना उनके लिये बाँयें हाथ का खेल हो जाता है, दूसरे लोग सोचते ही रहते हैं कि यह लेखक कैसे इतना गहरा लिख लेता होगा, पर सही बताऊँ तो शायद लेखक भी इस सवाल का जवाब न दे पाये।

कुछ लोग अपने आपको लिखते हैं तो कुछ लोग अनुभव लिखते हैं, और वहीं कुछ लोग दूसरों को लिख देते हैं। मैं पता नहीं कैसे कहाँ कब से लिखने लगा, मुझे अब लिखना अच्छा लगता है, बचपन से ही टेपरिकॉर्डर पर कवितायें सुनते हुए बड़ा हुआ और फिर महाविद्यालयीन काल में कुछ कविताओं, नाटकों और रचनात्मक लेखन ने शायद मुझे लेखन के लिये प्रोत्साहित किया। परंतु असली लेखन तो मेरा ब्लॉगिंग से शुरू हुआ, जब ब्लॉग आये तो मैंने फिर से लिखना शुरू किया, पता नहीं लेखन में वो धार तब भी थी या नहीं, यही बात आज भी सोचता हूँ कि वह लेखन की धार आज भी है या नहीं।

पहले सीधे कम्पयूटर पर लिखा नहीं जाता था, तो पहले कॉपी पर लिखता था और फिर कम्प्यूटर पर टाईप करता था, परंतु धीरे धीरे आदत ऐसी बनी कि अब सीधे ही कीबोर्ड से लिखने में आनंद आने लगा और आदत भी पड़ गई, अब कागज पर लिखना बहुत कम हो गया है, अब तो लिखने के लिये टाईप करना भी जरूरी नहीं है, मोबाईल में बोलकर लिखा जा सकता है, वहीं अब तो लेपटॉप में भी बोलकर लिखा जा सकता है, और सबसे बड़ी बात इसके लिये किसी प्रोग्राम को पहले की तरह ट्रेंड नहीं करना पड़ता है, अब तो प्रोग्राम ट्रेंड होते हैं और बढ़िया से टाईप करते हैं।

अब जिस विषय पर अच्छी पकड़ होती है, खासकर वित्त पर, उसमें तो मैं कई लेख केवल बोलकर ही लिख लेता हूँ, परंतु जैसे यह ब्लॉग लिख रहा हूँ तो इसे तो मुझे टाईप ही करना पड़ रहा है, क्योंकि यह भावनायें सीधे दिल से निकल रही हैं, यह लिखने के लिये मुझे कुछ सोचना नहीं पड़ रहा है, यहाँ तो बस उँगलियाँ अपने आप ही लिखे जा रही हैं। आप भी कैसे लिख पाते हैं, इस पर टिप्पणी करके जरूर बताईयेगा। हालांकि यह जरूर बता दूँ कि ब्लॉगर लेखक नहीं होता है, केवल ब्ल़ॉगर ही होता है, और मैं भी अपने आपको लेखक नहीं ब्लॉगर ही मानता हूँ, लेखन एक अलग विधा है और ब्लॉगिंग एक अलग विधा है।