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बीमित राशि
(१००० रुपये के गुणज में) |
कम से कम – १०,००,००० रुपये
अधिकतम – कोई सीमा नहीं (जोखिम अंकन जरुरतों के अधीन) |
प्रवेश उम्र
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कम से कम – १८ वर्ष*
अधिकतम – ६० वर्ष |
परिपक्वता उम्र
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अधिकतम – ६५ वर्ष
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योजना अवधि
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कम से कम – ५ वर्ष
अधिकतम – २५ वर्ष |
प्रीमियम अदा करने की अवधि
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योजना अवधि के बराबर
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प्रीमियम अदा करने की आवृत्ति
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वार्षिक
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रपट आ चुकी है कुछ चीजें ठीक नहीं है पर अधिकतर चीजें ठीक हैं, मानवीय संवेदनाएँ मर चुकी हैं…. क्या ??
तबियत नासाज हो तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता, दो दिन की दास्तां बीमारी में हम और डॉक्टर के चक्कर..
होली के रंगबिरंगे त्यौहार पर परिवार को और अपने आप को दें आर्थिक सुरक्षा [स्वास्थ्य बीमा का महत्व] …[Importance of Mediclaim in your life….]
तुम्हारा इंतजार है …. कि तुम आओगे….मेरी कविता … विवेक रस्तोगी
तुम्हारा इंतजार है
अभी भी,
कि
कहीं से तुम आओगे,
और मुझसे मेरा सब कुछ,
चुरा कर ले जाओगे,
मेरी नींद,
मेरा चैन,
मेरा जीवन,
मुझे सुख दोगे,
मुझे ज्ञान दोगे,
मुझे प्यार दोगे,
मुझे अपने में समा लोगे,
अपने आगोश में,
ले लोगे,
हे बांके बिहारी !!,
इंतजार हे उस “क्षण” का,
जब तुम मुझे अपने यहाँ,
“फ़ाग” का मौका दोगे ।
हिन्दी ब्लॉगजगत की सदाबहार टिप्पणियां बतायें और कुछ यहाँ पायें।
हिन्दी ब्लॉगजगत की सदाबहार टिप्पणियां बतायें। कुछ मैं बताता हूं –
बधाई!
Nice
आपका लेखन अनुकरणीय है।
बहुत बढ़िया पोस्ट; धन्यवाद।
… !!!
Vivek Rastogi – बहुत सुंदर पंक्तियाँ…..
बहुत बढ़िया उम्दा रचना …
बढ़िया जानकारी.
आभार..
ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha…..
रोचक संस्मरण।
आभार जानकारी का
अच्छी जानकारी!!
जानकारी के लिए धन्यवाद।
बहुत सुंदर जानकारी
abhi to itni hi mili hai, ab baaki baad me batate hai..Edit4:38 pm
Sanjeet Tripathi – sehmat
;)4:50 pm
Pankaj Upadhyay – meri fav – ‘nice’ aapke blog par kaafi time dekhi hai…aur kavitayon mein Sanjay Bengani ji se agree…
‘aap bahut achha likhte hain..mere blog http://pupadhyay.blogspot.com par bhi padharen ;)10:18 pm
व्यक्तिगत वित्त प्रबंधन में “पापा कहते हैं” की समस्या (“Papa Kehte Hain” problem in Personal Finance)
तो मैं एक पाठक से बात कर रहा था और मुझे पता चला कि उसके पति की कमाई का निवेश उनके पापा द्वारा किया जाता है। इसका कारण जानने के लिये मैं बहुत उत्सुक था और जो सबसे बड़ा कारण मुझे पता चला वह यह कि उसके पति को निवेश और और व्यक्तिगत वित्त प्रबंधन में कोई रुचि नहीं है, और इसके लिये उसने अपने पापा को निवेश का निर्णय करने के लिये दे दिया है। तो इनके लिये इनके पापा म्यूचुअल फ़ंड, एलाआईसी, पीपीएफ़ और अन्य आयकर के लिये बचत वाले उत्पाद, साथ ही वह बचत भी जो आयकर बचत का हिस्सा नहीं है, ध्यान रखते हैं। उन्होंने कोई चाईल्ड यूलिप योजना भी ली है अपने पोते के भविष्य की “सुरक्षा” के लिये। हम देखते हैं ये बात कितनी गंभीर है और हमारे देश में कितनी गंभीरता से लिया जा रहा है।
“पापा कहते हैं” के कारण उत्पन्न होने वाली समस्यायें
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अनुपयुक्त मनोविज्ञान: जैसे कि हमने पहले चर्चा की, आज की दुनिया में निवेश के निर्णय बेहतर तरीके से लें और उसके लिये बेहतर सोच बनानी होगी। पापा के तरीकों के दिनों की तुलना में, आप को ज्यादा बेहतर तरीके से नये वित्तीय उत्पादों के बारे में जानकारी प्राप्त करते रहना चाहिये। तो आजकल पापा साधारणतया: अच्छे से पैसे का प्रबंधन सही तरीके से नहीं कर पाते हैं, क्योंकि उन्हें आजकल के बेहतर वित्तीय उत्पादों का पता नहीं होता है, और उनका निवेश का दृष्टिकोण वही पुराना होगा।
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निवेश और दस्तावेजों के बारे में जानकारी न होना: शायद यह आपको भी पता नहीं होता होगा कि आपके माता पिता आपके लिये कहाँ निवेश कर रहे हैं, और वे आपको इस बारे में बता नहीं रहे हों, या आपको बताना भूल गये हों कि निवेश के दस्तावेज कहाँ रखे हैं, जब किसी वित्तीय उत्पाद की परिपक्वता होती है, और ये सब होता है, दिखने में तो छोटी सी समस्या लगती है लेकिन यही बहुत बड़ी समस्या हो सकती है जब कुछ बुरा होता है।
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स्वनिर्भरता न होना और इसलिए निवेश की जानकारी का अभाव होना: यह शब्द बहुत अच्छे नहीं लगेंगे परंतु मेरा विश्वास कीजिये, आपके माता पिता एक दिन चले जायेंगे और एक दिन सब कुछ आपको ही देखना पड़ेगा और उस समय आपके पास कोई जानकारी नहीं होगी, आपके लिये वह बहुत ही भयानक स्थिती होगी। आपको पता ही नहीं होगा कि निवेश कैसे करना है, आपको केवल यह पता है कि निवेश किया है पर यह नहीं कि बीमा कहाँ से खरीदा है, और वह कब परिपक्व हो रहा है इत्यादि। आपके लिये एक तरह से नयी शुरुआत होगी। तब आपको बहुत दुख होगा कि आप क्यों हमेशा अपने मातापिता के ऊपर निर्भर रहे। यह अच्छी बात नहीं है।
एक महत्वपूर्ण सवाल जो आपको पूछना है
आज की दुनिया में ज्यादातर पापाओं या बुजुर्गों को निवेश कैसे किया जाये कहाँ किया जाये, इसका निर्णय करना ही नहीं आता है। उनके दौर की तुलना में अब ये बिल्कुल नई वित्तीय उत्पादों की दुनिया है। उन्हें बहुत ज्यादा कुछ पता नहीं होता है कि कौन सा वित्तीय उत्पाद का उपयोग करना चाहिये। हमारे पापा, दादा और बुजुर्ग के समय वित्तीय बाजार बिल्कुल अलग था, उस समय उन लोगों के पास एलआईसी पोलिसी और सावधि जमा (FD) के अलावा ओर कोई विकल्प ही नहीं था। शिक्षा बहुत ही सस्ती थी, और हमारी इच्छाएँ भी सीमित थीं, और लोग अपनी सीमित दुनिया में खुश रहते थे। अब सब बदल गया है और हम आज बिल्कुल ही अलग दुनिया में हैं जिससे हम पर दबाब बड़ता जा रहा है, जिंदगी से अधिक उम्मीदें हैं, शिक्षा के लिये लाखों चाहिये, सबसे महँगा है बच्चे की शिक्षा, बड़ों को तो भूल ही जाइये। लोग अब बाहर होटल में ज्यादा खा रहे हैं, लोग ज्यादा खर्च कर रहे हैं, और ज्यादा चीजें चाहिये और यह सब प्राप्त करने के लिये हमें बहुत ही बुद्धिमानी से काम लेने की जरुरत है। सावधि जमा और एन्डोमेन्ट पोलिसी एक दिन आपको वित्तीय रुप से धोखा देंगी और आपको पता भी नहीं चलेगा।
ज्यादातर अभिभावकों को आजकल समझ में ही नहीं आता है कि इस नई वित्तीय दुनिया में कहाँ निवेश करें, उनके लिये यह निर्णय लेना बहुत ही दुश्कर हो गया है। उनके निर्णय के ऊपर निवेश करना आज की वित्तीय दुनिया में बहुत महँगा पड़ सकता है। स्पष्टत: वे जो भी निवेश कर रहे हैं, उनसे पूछ लेना चाहिये और उसका मूल्यांकन कर लेना चाहिये।
वैसे आप अपने निवेश का निर्णय लेने का अधिकार पापा को क्यों दे रहे हैं ? इसका क्या कारण है ? केवल इसलिये कि आप उनका सम्मान करते हैं और क्योंकि वह आपके परिवार में वे सबसे बड़े हैं और उन्होंने आप से ज्यादा दुनिया देखी है ? तो आप क्या सोचते हैं कि इससे वे आपसे या किसी ओर से ज्यादा अच्छे से निवेश के निर्णय ले सकते हैं ? यह सही है न !! हो सकता है कि यह पूरी तरह से उचित नहीं हो, सम्मान और अनुभव अपनी जगह है, लेकिन केवल इन दो मानदंडों के कारण उनको अपने निवेशों का निर्णय करने का अधिकार देना बिल्कुल ठीक नहीं है । यह खतरनाक भी हो सकता है।
आखिरी परिदृश्य
दूसरी ओर, हम में से कई के पापा और बुजुर्ग रिश्तेदार वास्तव में बहुत ही अच्छे हैं, जो कि सीधे शेयर निवेश के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं, वित्तीय योजनाओं को आज के परिवेश के मुताबिक समझते हैं, जानते हैं और आज के परिवेश के मुताबिक काफ़ी अच्छा अनुभव भी है, हमेशा उचित यही है कि निवेश के पहले उनकी मदद लें या कम से कम उनका मार्गदर्शन तो ले ही लें। अंत में आपको निर्णय लेना है कि आपके अभिभावक आपके निवेश के लिये सही निर्णय ले रहे हैं या नहीं ? इसक व्यक्तिगत तौर से मूल्यांकन करना ही चाहिये।
क्या आपके साथ ऐसा हुआ है ? क्या आपके पास ऐसा कोई है जो इस तरह की समस्याओं से गुजर रहा हो, कृपया अपने व्यक्तिगत अनुभव और विचारों को बतायें।
यह आलेख मूलत: http://www.jagoinvestor.com पर मनीष चौहान द्वारा लिखा गया है, और यह इस आलेख का हिन्दी में अनुवाद है। |
उलझनें जिंदगी की बढ़ती जा रही हैं …. मेरी कविता … विवेक रस्तोगी
इन उलझनों से निकलना चाहता हूँ,
तुम्हारे पास आकर तुम्हें महसूस करना चाहता हूँ,
उलझनें जिंदगी की बढ़ती जा रही हैं,
उलझनों में जिंदगी फ़ँसती जा रही है,
ये तो बिल्कुल मकड़जालों सी हैं,
जितना निकलने की कोशिश करो,
उतने ही जाल कसते जा रहा हैं,
जहर की तासीर बढ़ती जा रही है,
जलन महसूस कर रहा हूँ,
पर इससे निकलने की राह,
कठिन नजर आ रही है,
ऐसे दौर जीवन में आयेंगे ही,
और आते ही रहेंगे,
इन दौरों से सब अपने अपने तरीके से,
निपटते ही रहेंगे,
पर उलझनें कभी कम न होंगी,
जहर की तासीर कम न होगी,
बड़ती हुई तपन कम न होगी,
जीवन की कठिनाई कम न होगी,
उलझनों से उलझ कर ही सुलझा जा सकता है,
जहर के तासीर को कम किया जा सकता है,
तपन को शीतलता में बदला जा सकता है,
कठिनाईयाँ जीवन की सरल हो सकती हैं,
बस अगर तुम पास हो तो,
ये सब अपने आप सुलझ सकता है।
वित्तीय उत्पादों (ऋण) के साथ जबरदस्ती अन्य वित्तीय उत्पादों को बेचा जाना (Force Selling combined with other financial products)
यह आलेख मूलत: http://www.jagoinvestor.com पर मनीष चौहान द्वारा लिखा गया है, और यह इस आलेख का हिन्दी में अनुवाद है। |