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टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग ४ (What is Term Insurance…) Part 4

टर्म जीवन बीमा के फ़ायदे सामान्य बीमा से ज्यादा हैं।

टर्म जीवन बीमा के के निम्नलिखित फ़ायदे हैं –

१. ऋण को खत्म करने में मदद करता है

२. लचीली अवधि

३. सस्ती

४. निवेश

५. विशेष आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिये उपयुक्त एवं संतोषजनक

१. ऋण को खत्म करने में मदद करता है –

आमतौर पर ऋण लम्बी अवधि में देय होते हैं। जब एक बीमा धारक कार या घर या अन्य किसी चल या अचल संपत्ती के लिये ऋण लेता है तो उसके लिये  ऋण को एक निश्चित अवधि में चुकाने की जिम्मेदारी होती है । इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि सावधि ऋण को चुकाने के लिये उसके आश्रितों के पास पर्याप्त नगद होगा, बीमा धारक की अप्रत्याशित मौत अगर उस बीमा अवधि में  हो जाती है तो उसके आश्रितों को डरने वाली बात नहीं है बीमा कंपनी उस ऋण को चुका देगी।

२. लचीली अवधि –

केवल यही एक इस तरह की जीवन बीमा योजना है जिसमें कि बीमा धारक एक वर्ष जैसी छोटी अवधि के लिये भी बीमा करवा सकता है। इस प्रकार के बीमे से बीमा धारक को समुचित योजना बनाने और भुगतान करने के लायक आवश्यक राशि की योजना बनाने में सहायता भी मिलती है। इस लचीलेपन के अभाव में बीमा धारक कंपनी के निर्धारित समय सीमा की बीमा अवधि को मानने के लिये मजबूर होगा।

३. सस्ती –

हालांकि टर्म बीमा के प्रीमियम पिछले सालों में बहुत बड़ गये हैं फ़िर भी यह अन्य योजनाओं से बहुत सस्ती हैं। सस्ती टर्म जीवन बीमा योजना का मतलब यह नहीं है कि उपभोक्ता को कम लाभ या कम गुणवत्ता मिलेगी। यह योजना उपभोक्ताओं की प्रारंभिक अवधि में अन्य किसी योजना में अधिक प्रीमियम भुगतान में करने से बचाता है और पैसे बचाने में मदद करता है। इसके विपरीत जब बीमा की प्रीमियम बड़ती है तो बीमा धारक बचायी गई राशि द्वारा उस प्रीमियम का भुगतान कर सकता है। इसी बीच जो भी राशि पहले बचायी है उस पर उसे ब्याज भी अर्जित हो जाता है। इससे व्यक्ति कम प्रीमियम में ज्यादा राशि का बीमा पा सकता है जो कि सस्ता होता है।

४. निवेश –

अन्य किसी जीवन बीमा योजना से तुलना करेंगे तो पायेंगे कि टर्म बीमा जीवन योजना की लागत बहुत सस्ती है। इससे आप अपनी बची हुई राशि को कहीं किसी और अच्छी जगह निवेश कर सकते हैं। इसका मतलब यह है कि आप अपनी राशि का निवेश खुद कर रहे हैं, इसके लिये आप बीमा कंपनी के ऊपर निर्भर नहीं हैं। बीमा कंपनियाँ आमतौर पर बीमा धारक की राशि  निवेश में बहुत ही सुरक्षित और प्राचीन  तरीके अपनाती हैं, तो टर्म जीवन बीमा योजना का चयन करने से आप अपनी बची हुई राशि के साथ अपनी मर्जी से निवेश करने के लिये स्वतंत्र हैं।

५. विशेष आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिये उपयुक्त एवं संतोषजनक –

टर्म जीवन बीमा योजना केवल ऋण की अदायगी को बीमित करने के लिये ही नहीं बल्कि और भी आवश्यकताओं के लिये उपयोगी है। मान लीजिये एक व्यक्ति घर बनाना चाहता है या अपने बच्चे के बड़े होने पर उसे महँगी पढ़ाई कराना चाहता है तो उस अवधि के लिये वह टर्म जीवन बीमा योजना लेकर आम प्रीमियम से बची हुई राशि को लंबी अवधि के लिये निवेश कर सकता है। इससे भविष्य में किसी भी मुश्किल से बचने में आसानी होती है।

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग ३ (What is Term Insurance…) Part 3

सिंगल प्रीमियम टर्म पॉलिसी

सिंगल प्रीमियम टर्म पॉलिसी के अंतर्गत एक मुश्त प्रीमियम का भुगतान करना होता है। इस पॉलिसी के अंतर्गत पूर्वनिर्धारित अवधि के लिये जीवन का जोखिम कवर किया जाता है। केवल एक बार प्रीमियम भर देने से आपको प्रीमियम का भूगतान हर वर्ष नहीं करना पड़ता है और हर वर्ष आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ता है, केवल एक बार प्रीमियम भरो और भूल जाओ, ये आपके जीवन का जोखिम पूर्वनिर्धारित अवधि के लिये कवर करता है। नियमित रुप से प्रीमियम भरने वाले प्लॉन से इस प्लॉन की प्रीमियम ज्यादा जरुर है क्योंकि केवल एक बार प्रीमियम देना है, जबकि नियमित प्रीमियम प्लॉन्स में यह हर वर्ष  देना होती है।

नियमित प्रीमियम टर्म पॉलिसी

नियमित प्रीमियम टर्म पॉलिसी आपको वार्षिक आधार पर प्रीमियम भुगतान करने का विकल्प प्रदान करता है, अगर आप एक साथ ज्यादा बड़ा प्रीमियम भूगतान करने के इच्छुक नहीं है तो यह प्लॉन ले सकते हैं। आपको हर वर्ष बीमा अवधि के अंत तक  प्रीमियम भरनी होगी।

प्रीमियम की वापसी के साथ टर्म पॉलिसी

आमतौर पर टर्म योजनाओं में अगर बीमा धारक को बीमा अवधि में कुछ नहीं होता है तो उसे कुछ भी रिटर्न नहीं मिलता है। आपने जो भी प्रीमियम भरी है वह नहीं मिलेगी। पर इस प्लॉन में आप वो प्रीमियम राशि प्राप्त कर सकते हैं जो कि आपने भरी हैं, जो कि बिना ब्याज के भी हो सकता है और ब्याज के साथ भी। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि अगर बीमा धारक जीवित रहता है तो उसने जितनी भी प्रीमियम भरी है, वह बीमा अवधि समाप्त होने के बाद परिपक्वता पर मिल जाती है, इसमें बीमा धारक को भरी गई प्रीमियम का नुकसान नहीं उठाना पड़ता है। लेकिन इसकी प्रीमियम नियमित प्रीमियम टर्म पॉलिसी से ज्यादा होती है।

टर्म पॉलिसी जो ऋण भी कवर करती हो

यह पॉलिसी खास उन लोगों के लिये बनायी गई है जिन लोगों ने गृह ऋण ले रखा है। बीमा राशि बकाया ऋण राशि के बराबर होगी। और यह धीरे धीरे उसी अनुपात में घटती जाती है, जैसे जैसे ऋण का भूगतान होता जाता है। यहाँ पर प्रीमियम की गणना बिल्कुल वैसे ही होती है जैसे कि गृह ॠण की मासिक किस्त की गणना। और यह पूरी बीमा अवधि में एक समान रहती है। इस पॉलिसी का लाभ यह है कि यह परिवार को बीमा धारक की मृत्यु के समय अतिरिक्त सुरक्षा देता है, बीमा धारक की मृत्यु की स्थिती में परिवार को इतने भारी ऋण का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा।

व्यक्ति को भगवान का वरदान और व्यक्ति की सांसारिक चाहत से भगवान भी परेशान… पर फ़िर भी दे दी वो चाहत – कैसे देखिये.. एक रोचक किस्सा…

एक आदमी मुंबई के समुद्र तट के किनारे अपनी हार्ले डेविडसन बुलेट पर चला जा रहा था तभी अचानक आकाश में बादल छा गये और गूँजती हुई आवाज में भगवान बोले, “तुम मेरे प्रति बहुत ईमानदार रहे हो और तुमने मेरी बहुत पूजा की है, मैं तुम्हें एक वरदान देना चाहता हूँ, मांगो..”

उसने झट से बुलेट रोकी और बोला “यहाँ से हवाई द्वीप तक के लिये एक पुल बना दो” तो जब भी मेरी इच्छा होगी मैं अपनी बुलेट से जा सकता हूँ। भगवान बोले – “तुम्हारी इच्छा भौतिकतावादी है, जरा सोचो इस पुल को बनाने में कितनी भारी चुनौतियाँ हैं, फ़िर इसके लिये समुद्र की तह से कांक्रीट और इस्पात के पिलर बनाने होंगे, और कई प्राकृतिक संसाधन तो लगभग समाप्त ही हो जायेंगे। मैं यह कर सकता हूँ लेकिन मेरे लिये बहुत कठिन है तुम्हारी यह सांसारिक बात पूर्ण करना, और बहुत कठिन होगा मेरे लिये इसका औचित्य बताना। तुम सोचने के लिये थोड़ा और समय लो संभवत: इससे मानव जाति की मदद हो पायेगी।”

उस आदमी ने बहुत देर तक सोचा और फ़िर अंत में उसने कहा “भगवान, मैं और सभी पुरुष महिलाओं को समझ सकें; मैं जानना चाहता हूँ कि वो अपने अंदर कैसा महसूस करती हैं, वो क्या सोचती हैं जब वे मेरे सामने चुप होती हैं, वो रोती क्यों हैं, उनका क्या मतलब होता है जब वे कहती हैं “कुछ गलत नहीं है”, जब भी मैं उनकी मदद करने की कोशिश करता हूँ तो मुझे गलत क्यों समझती हैं और मेरी शिकायत क्यों करती हैं, और मैं औरत को वास्तव में कैसे सही मायने में खुश रख सकता हूँ…”

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भगवान ने कहा, “तुम्हें दो लेन का पुल चाहिये या चार लेन का ?”

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग २ (What is Term Insurance…) Part 2

    जीवन बीमा की शब्दावली में, एन्डोमेन्ट प्लान्स को “लाभ के साथ योजना” कहा जाता है। वे व्यक्तियों के जीवन को सुरक्षित करते हैं अगर कुछ हो जाता है, और अगर उस व्यक्ति को बीमा अवधिकाल के बाद जीवित रहता है तो उसे परिपक्वता राशि (Maturity Amount) मिल जाता है। और अगर बीमाधारक व्यक्ति की मौत बीमा अवधिकाल में ही हो जाती है तो उसके नॉमिनी को बीमा राशि और जितना भी निवेश किया गया है बोनस के साथ दे दिया जाता है। और अगर व्यक्ति अपने बीमा के अवधिकाल के बाद भी जीवित रहता है तो वह बीमा राशि और उस पर प्राप्त लाभ या बोनस परिपक्वता राशि के तौर पर पाता है।

    जीवन बीमा अपने आप में एक शक्तिशाली बीमा है जो कि आपको अनपेक्षित जोखिम से बचाता है और आपकी अनुपस्थिती में होनेवाली परेशानी से बचाता है। इसे एक बचत के तौर पर भी देख सकते हैं, जिससे आपके बच्चों की शिक्षा, शादी, पेंशन, सेवानिवृत्ति के लाभ या किसी अन्य उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं। टर्म बीमा खरीदने के पहले आपको इन कारकों पर विचार करना चाहिये –

1. पर्याप्त बीमा राशि

2. राईडर लाभ

3. आप जिस बीमा कंपनी से बीमा खरीदने जा रहे हैं उनका क्लेम दावा का इतिहास

4. प्रतिस्पर्धी बीमा मूल्य

5. प्रशासनिक लागत.

टर्म बीमा पॉलिसियों के प्रकार –

टर्म बीमा पॉलिसी को विभिन्न प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिसमें कुछ प्रमुख नीचे दिये गये हैं ;

· सिंगल प्रीमियम टर्म पॉलिसी

· नियमित प्रीमियम टर्म पॉलिसी

· प्रीमियम की वापसी के साथ टर्म पॉलिसी

· टर्म पॉलिसी जो ऋण भी कवर करती हो

3 idiots ( मुंबई लोकल के कैटल क्लास में एक विचारात्मक एवं रोचक वार्तालाप.. ) अतिथि पोस्ट

लेखक अपूर्व रस्तोगी मेरे छोटे भाई हैं और अभी ही उन्होंने अपना बी.टेक. (इलेक्ट्रानिक्स एन्ड इन्स्ट्रूमेन्टेशन) में किया है, और मरीन इंजीनियरिंग का कोर्स किया है, और अब मुँबई में नौकरी की तलाश कर रहे हैं। आजकल नौकरी की तलाश के साथ साथ वे इस्कॉन में गीता का सात दिन का कोर्स कर रहे हैं।

ये विचित्र घटना मेरे साथ मुंबई की लोकल ट्रेन मे हुई । समय था रात के १० बजे । मेरे बाई ओर दो सज्जन बैठे हुए थे  । और मेरे दाई ओर एक वृद्ध पुरुष बडे चाव से बिस्कुट का आनंद ले रहे थे । जो दो लोग मेरे बाई तरफ़ बैठे हुए थे उन्मे से एक सज्जन कहते हैं आजकल सर्दी मे भी बहुत गर्मी हो रही हैं, मैं अभी पूना से आ रहा हूँ और वहाँ भी बहुत गर्मी है इस बार । तो इस पर दूसरे सज्जन उनसे कहते है पर पूना में तो अच्छी ठंड पड़ती है भई, तो इस बार क्या हो गया । सज्जन का उत्तर आया “’ग्लोबल वार्मिंग’  मैने हाल ही मै एक फ़िल्म देखी जिसमे दिखाया गया है कि आने वाले समय मे इस धरती पर से सब कुछ समाप्त हो जायेगा, सिर्फ़ एक टापू बचता है अफ़्रीका मे” । मैने बडी उतसुकता भरी नजरों से उनकी तरफ़ मुड़ के देखा और सुनने लगा ।

पहले सज्जन (जो की एक मुस्लिम धर्म के अधेड उम्र के व्यक्ति हैं) कहते है “ये सब इंसान का ही करा- धरा है।  आज इंसान ने इतनी तरक्की कर ली है कि वो  अपने नैतिक मुल्यों एवं जिम्मेदरियों को  भूल चुका है। आज इंसान तभी अल्लाह को याद करता है जब उस पर कोई मुसीबत/परेशानी हो या उसे किसी चीज कि सख्त जरुरत हो। पर वो भूल जाता है कि अल्लाह सब देख रहा है, वो आपके हर कर्म का हिसाब रखता है, चाहे आप कहीं भी छुप जाये उसकी नजरो से नही बच सकते। आज लोग हज़ारो/ लाखों रुपया खर्चा करके हज़ को जाते है, पर किसी की मदद करने से कतराते है। पहले कोई भी व्यक्ति हमारे दर पे आता था, हम उसका हालचाल पूछ्ते थे, हो सके तो उसकी मदद भी कर देते थे , परंतु आज कोई अपने पडोसी से वास्त्ता नही रखता, बाहर के आदमी को तो भूल ही जाओ। अगर सड़क पर कोई दुर्घटना हो जाये तो लोग भीड़ का हिस्सा तो बन जाते हैं , पर कोई मदद को आगे नही आता।”

दूसरे सज्जन ( जो कि लगभग उन्ही कि उम्र के मराठी हिंदू हैं) कहते है “आप सच कह रहे है आज कल के लोग समझना ही नही चाहते हैं इस बात को।”

वृद्ध पुरुष जो मेरी दाईं ओर बैठे थे, अपना बिस्कुट का पैकिट समाप्त करने के बाद बोले “आजकल लोगों का अपने आप पर नियंत्रण नहीं है। वो अपने दौलत के नशे में चूर हो कर दूसरो का मजाक उडा रहा है। उदाहरण के तौर पर आप “विधु विनोद चोपड़आ” को ही ले लीजिये, एक दिन पहले खुद मीडिया के सामने खडे होकर बदतमीजी से बात करते है और जब उनहे लगता है कि मीडिया उन्हें या उनकी फ़िल्म की छवि को हानि पहुँचा सकती है तो चुपचाप आकर माफ़ी भी मांग ली। उनकी इस पब्लिसिटी स्टंट के कारण वो लेखक ’चेतन भगत’ अपने ही काम के लिये सम्मानित नही किया जा रहा है। हम सब लोग जानते है कि फ़िल्मी दुनिया कितना बडा छ्लावा है। आजकल ये लोग छोटी से छोटी बात को जनता के सामने इस तरह से रखते है ताकि इन की मार्केट वैल्यू बढ़ सके, ये कुछ भी करेंगे बस जनता इनकी तरफ़ खीची चली आये। ” “इसी तरह ’डीजीपी राठोड़’ को ले लीजिये ।” (उनकी बात पूरी भी नहीं हो पाई थी कि पीछे से पहले सज्जन बोले 

“पुलिस वालों की तो बात ही मत कीजिये जनाब। उनसे बडा रिश्वतखोर कोई नहीं। एक काम के लिये किसी को कैसे चक्कर लगवाने हैं ये कोई उनसे सीखे । एक हवलदार से लेकर ऊपर तक सभी भ्रष्ट हो चुके हैं। ये जितने भी बडे अफ़सर पकड़े जाते हैं  उनमें से कितनो को सजा हुई है आज तक। सब पैसे ले देकर मामला रफ़ा दफ़ा कर देते हैं। आज कल तो जज भी खरीद लिये जाते हैं, जनता जाये तो जाये कहाँ।”

तभी वो मराठी सज्जन बोलते हैं “हर जगह कुछ अच्छे लोग होते हैं और कुछ बुरे पर हमारे यहां भ्रष्टाचार बहुत तेजी से अपनी जड़े फ़ैला रहा है। पर हम लोग ये क्यों नही सोचते कि ऐसा होता क्यों है। क्या आपको पता है कि एक हवलदार की कितनी पगार है ४ हजार, ५ हजार ज्यादा से ज्यादा ६ हजार और इसमें हम चाहते है कि वो अपने परिवार का सारा गुजारा करे और लोगो के सारे काम भी पूरी ईमानदारी से करे। अरे उन लोगो से ज्यादा तो वो वेटर कमा लेता है, जो बार में काम करता है, जब लोग उसे टिप देते हैं तब तो कोई उससे ये नही पूछ्ता कि वो रिश्वत क्यों ले रहा है, पर लोग उसे खुशी खुशी पैसा देते है।” “क्यो हम इस समाज मे रहकर भी लोगो में  भेदभाव करना नही भूलते ?” “क्या होगा अगर हम पुलिस वालों की पगार बढ़ा दें तो ?” (कहीं न कहीं तो हम भी यही सोचते हैं।)

उनके इस प्रश्न के संदर्भ मे वो वृद्ध पुरुष मुस्करा के बोलते है कि “क्या आप जानते हो कि उनहे पगार कहाँ से मिलती है, हम जो टैक्स जमा करते है उससे, अगर आज की तारीख में हम इतना सारा पैसा सिर्फ़ टैक्स मे ही दे देंगे तो आदमी खुद कैसे खायेगा ?” “पैसा तो उन नेताओं से लेना चाहिये जो इसे स्विस बैंकों के लॉकरों मे दबाये बैठे हैं।”

तो क्या ये तीन लोग सही मायनो मे idiots हैं। क्या इन के द्वारा की गई मांगे गलत हैं?क्या आजकल लोगो मे ईमानदारी और जिम्मेदारी विलुप्त नहीं होती जा रही है ? सोचिये और इसकी गहराई को समझिये कि हम अपने आने वाली पीढ़ी को क्या दे रहे हैं ?                                          

“एक बेह्तर आज या अंधकार में डूबा कल”

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग १ (What is Term Insurance…) Part 1

   जीवन बीमा का प्राथमिक उद्देश्य बीमा धारक की मौत के बाद परिवार को वित्तिय सुरक्षा प्रदान करना है। यह आपकी मदद करता है यह सुनिश्चित करने के लिये कि आपके परिवार और प्रियजनों के पास पर्याप्त पैसे हों जिससे आपकी अनुपस्थिती में भी उनकी जरुरतें पूरी होती रहें।

   टर्म योजना जीवन बीमा का शुद्ध रुप है, हम दूसरे शब्दों में कह सकते हैं यह एक शुद्ध जीवन बीमा है जो कि जोखिम को कवर करता है जिसमें बीमा धारक कम प्रीमियम अदा करता है और उसे मिलता है एक बड़ी राशि का बीमा। टर्म योजना (Term Insurance) जीवन बीमा के अन्य योजनाओं से सबसे सस्ता है। यह बीमाधारक के लिये बड़ी राशि को खुद के बीमे के लिए अपेक्षाकृत कम प्रीमियम होने से उसकी मदद करता है। बीमा अपने निवेश करने का स्थान नहीं है, बीमा का मुख्य उद्देश्य, आपकी अनुपस्थिती में आपके परिवार के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करना है।  बहुत कम प्रीमियम पर टर्म बीमा (Term Insurance) का मुख्य कार्य आपके जीवन के जोखिम को कवर प्रदान करना है, जिससे आप अपनी बचत के एक बड़े हिस्से को अच्छे बचत उत्पादों में निवेश कर सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने निवेशों की वापसी के प्रति बहुत ही  संवेदनशील है, या अपने हर निवेश में वह लाभ देखता है, तो यह टर्म बीमा (Term Insurance) उनके लिये उपयुक्त नहीं है। अधिकांश टर्म बीमा (Term Insurance) कोई भी लाभ निवेश पर नहीं देते हैं अगर बीमा धारक को कुछ भी नहीं होता है। और कुछ टर्म बीमा (Term Insurance) हैं जो भी आपने प्रीमियम अदा किये हैं और अगर आपको कुछ नहीं होता है तो वे ये प्रीमियम आपको वापिस कर देते हैं।

   कम लागत के ढ़ांचे के कारण टर्म बीमा (Term Insurance) सभी तरह के बीमे में सबसे सस्ता है। टर्म बीमा के प्रीमियम में केवल प्रशासन खर्च और मोर्टेलिटी चार्जेस होते हैं। इसकी प्रीमियम राशि में कोई भी बचत नहीं होती है जो कि बीमा धारक से वसूल की जा रही है। इसी कारण से, बीमा की अवधि के बाद अगर बीमाधारक जीवित रहता है तो उसे कुछ रिटर्न नहीं मिलता है। और प्रीमियम राशि जो कि इस प्लान के अंतर्गत आती है वह written off कर दिया जाता है,अगर बीमा अवधि में कोई बीमा क्लेम करने की स्थिती नहीं आती है। अगर बीमा क्लेम करने की स्थिती आती है तो वह नॉमिनी को बीमा राशि मिलेगी। और अगर आप बीमा को निवेश के साधन से देखते हैं तो एन्डोमेन्ट या यूलिप प्लान लेना चाहिये। लेकिन इनमें शुल्क बहुत ज्यादा होता है, क्योंकि इन योजनाओं में मोर्टेलिटि एवं प्रशासनिक चार्जेस के अलावा एलोकेशन चार्जेस, निधि प्रबंधन प्रभार (Fund Management Charges) इत्यादि होते हैं।

भगवान और गूगल – रिश्ते इंटरनेट युग में (God & Google – Relationships in Internet Age)..

बहुत दिनों बाद मुझे कल मुंबई लोकल से सफ़र करने का सुअवसर मिला, मौका था एक सेमिनार में जाने का “God & Google – Relationships in Internet Age”, जो इस्कॉन चौपाटी राधा गोपीनाथ मंदिर में था और वक्ता थे इडाहो (idaho, USA) से आये  राधिका रमण प्रभु याने कि डॉ. रवि गुप्ता। वो पूरी दुनिया में सबसे युवा भारतीय विद्वान हैं जिन्होंने मात्र २१ वर्ष की उम्र में डॉक्टरेट पूरा किया, हैं, जिन्हें मानव मनोविज्ञान और व्यवहार का बहुत गहरा ज्ञान है।

सेमिनार में भगवान और गूगल में अंतर बताया गया क्योंकि आज दोनों ही सर्वव्यापी हैं, जैसे भगवान सब जगह है वैसे ही गूगल भी सभी जगह है, परंतु फ़िर भी गूगल भगवान क्यों नहीं है और इस इंटरनेट युग में अपने सामाजिक संबंधों को कैसे मजबूत बनायें, कैसे अपनी भावनाओं को व्यक्त करें।

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अगर आपको भी इस सेमिनार का आडियो सुनना है तो यहाँ चटका लगाईये।

गंभीर बीमारियों का बीमा भी उतना ही जरुरी है जितना कि जीवन बीमा (Critical Illness Insurance is equal imprtant as Life…)

टर्म इंश्योरेन्स और मेडिक्लेम इंश्योरेन्स का जितना महत्व है उतना ही महत्व है क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेन्स का याने कि गंभीर बीमारियों के लिये बीमा।

हमारी मानसिकता है कि हम केवल अपनी गाढ़ी कमाई खर्च ही कर रहे हैं पर हमें उसका कोई प्रतिफ़ल या रिटर्न नहीं मिल रहा है, तो मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि पहले इन बातों का मनन करें और फ़िर इस बारे में सोचें। जितना आपका आपके परिवार से भावनात्मक लगाव है कि कोई भी किसी भी परेशानी में हो तो आपको बहुत तकलीफ़ होती है, वैसे ही इस बारे में भी सोचना चाहिये। यह बहुत ही चिंतन और मनन का विषय है।

अब अगर टर्म इंश्योरेन्स और मेडिक्लेम इंश्योरेन्स ले लिया पर अगर कोई गंभीर बीमारी हो गई तो क्या, इस पर मेडिक्लेम से आपको इलाज पर होने वाला खर्च तो मिल जायेगा पर अगर गंभीर बीमारी को ठीक होने में ज्यादा समय लग जाता है तो जो घर के नियमित खर्च हैं वो कैसे चलायेंगे, नियोक्ता तो तन्ख्वाह नहीं देने वाला, सरकारी का तो पता नहीं पर प्राईवेट में तो बिल्कुल नहीं देने वाला। तब क्या करेंगे, सोचिये सोचिये…?

घबरा गये, अरे घबराने की कोई बात नहीं है, इसीलिए तो क्रिटिकल इलनेस प्लान बनाया गया है, जो कि ९ से लेकर १४ गंभीर बीमारियों के होने पर आपको आर्थिक रुप से सुरक्षित करता है। जो कि निम्न हैं –

कैंसर
पैरालिसिस
कोरोनरी आरट्री बाइपास सर्जी
मेजर आर्गन ट्रांसप्लांट
प्राइमरी पलमोनरी आरटेरियल हाइपरटेंशन
फस्ट हार्ट अटैक
स्ट्रोक
किडनी फेलियर
अरोटा ग्राफ्ट सर्जी

और भी बीमारियाँ हैं जिससे आप आर्थिक रुप से सुरक्षित हो सकते हैं, पर ये हर बीमा कंपनी के पालिसी पर निर्भर करता है।

यह क्रिटिकल इलनेस पालिसी जीवन बीमा कंपनियों के साथ साथ कुछ साधारण बीमा करने वाली कंपनियों के पास भी उपलब्ध हैं जैसे कि बजाज एलायंज और आईसीआईसीआई लोम्बार्ड।

केवल क्रिटिकल इलनेस पालिसी लेने पर बीमा १,३ और ५ वर्ष के लिये उपलब्ध होता है, जिसका प्रीमियम सुरक्षा की तुलना में बेहद कम होता है, अगर ३५ वर्ष की उम्र के व्यक्ति के लिये देखा जाये तो लगभग ६ लाख की बीमा राशि के लिये एकमुश्त प्रीमियम होता है १३-१४ हजार रुपये, पाँच साल की सुरक्षा के लिये।

यह क्रिटिकल इलनेस प्लान आप टर्म इंश्योरेन्स के साथ भी ले सकते हैं।

सोचिये और बताईये आप क्या सोचते हैं –

हेल्थ इंश्योरेन्स (मेडिक्लेम) लेकर खुद को आर्थिक रुप से सुरक्षित करें… [Secure yourself financially, by Family Mediclaim..]

कल की पोस्ट नववर्ष में परिवार को सुरक्षित करें और परिवार को तोहफ़ा दें आज ही, जल्दी सोचिये और अमल करें [Secure your family, Think fast ….] में मैंने केवल टर्म इंश्योरेन्स की ही बात की थी, परिवार को सुरक्षित करने के लिए और भी इंश्योरेन्स की जरुरत होती है, जैसे कि हेल्थ और गंभीर बीमारियों के लिये।

अगर आप ऑफ़िस से आ रहे हैं और किसी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं या फ़िर कोई बीमारी हो गई जैसे कि पीलिया या कोई और बीमारी जिससे आपको अस्पताल में रहना पड़े, तो मानसिक दबाब के साथ साथ आप आर्थिक दबाब में भी आ जायेंगे, क्योंकि आजकल अस्पताल में जाना मतलब बहुत अधिक मात्रा में धन खर्च होना, क्योंकि आजकल इलाज का खर्च बहुत अधिक हो गया है और अस्पताल भी पाँच सितारा जैसे महंगे हो गये हैं, अगर सामन्य बीमारी है तो कम से कम दो हजार रोजाना और ज्यादा की तो कोई सीमा ही नहीं है।

कब धन को पंख लग जाते हैं अस्पताल में जाते ही पता ही नहीं चलता है। सबसे पहले ये सोचिये क्या आप इस आकस्मिक आपदा खर्च को वहन कर पायेंगे, अगर आप इसका इंश्योरेन्स करवा लेते हैं तो कोई घबराने वाली बात ही नहीं है। थोड़ी प्रीमियम में आप बड़ी राशि का इंश्योरेन्स करवा सकते हैं, जिससे आप आर्थिक रुप से दीवालिया होने से बच सकते हैं। कि अपनी तो सारी बचत एक बीमारी में ही चली गई, सोचिये सोचिये !!

आप अपना खुद का और परिवार का दोनों का हेल्थ इंश्योरेन्स करवा सकते हैं, अगर आपका हेल्थ इंश्योरेन्स आपका नियोक्ता करवा रहा है तब तो आपके लिये कोई चिंता की कोई बात नहीं है, परंतु परिवार का क्या ?

बीमारी कोई दस्तक देकर तो नहीं आती और न ही आकस्मिक राशि के साथ कोई तैयार रहता है, इसके लिये बहुत जरुरी है हेल्थ इंश्योरेन्स। जितना भी खर्चा होगा अस्पताल में ले जाने के पहले, अस्पताल में, अस्पताल से घर जाने के बाद होने वाला इलाज का खर्च, दवाईयों का खर्च सब कुछ हेल्थ इंश्योरेन्स  (मेडिक्लेम) में सम्मिलित होता है।

सामयिक परिवार (फ़ैमिली फ़्लोटर) हेल्थ इंश्योरेन्स लेने से यह फ़ायदा होता है कि पूरी या कुछ बीमित राशि का उपयोग परिवार का किसी भी व्यक्ति के लिये किया जा सकता है।

सोचिये सोचिये और जल्दी से ले लीजिए मेडिक्लेम इंश्योरेन्स । अरे नहीं इसकी प्रीमियम भरने के बाद आप सुरक्षित हैं पर आपको यह रकम वापिस नहीं मिलेगी बस हाँ आप उस बीमित राशि से वर्षभर के लिये सुरक्षित रहेंगे।

नववर्ष में परिवार को सुरक्षित करें और परिवार को तोहफ़ा दें आज ही, जल्दी सोचिये और अमल करें [Secure your family, Think fast ….]

नववर्ष में परिवार को सुरक्षित करें अगर आप ने अभी तक अपने परिवार को सुरक्षित करने की नहीं सोची है तो अब तत्परता से सोचिये और नये साल का तोहफ़ा दीजिये।

परिवार को सुरक्षित कैसे करेंगे इंश्योरेन्स से, जी हाँ आपने बिल्कुल सही पढ़ा है इंश्योरेन्स से। केवल इतना सोचिये अगर कल आप अपने परिवार के साथ न रह पायें तो परिवार कैसे अपना गुजारा करेगा, नहीं ९९% लोगों ने कभी इस बारे में नहीं सोचा है, केवल १% लोगों ने ही इस बारे में सोचा है। जी हाँ बिल्कुल कटु सत्य है यह, जबाब आपको अपने आप से या आसपास के लोगों से पूछ्कर ही पता चल जायेगा कि आप कितने जागरुक हैं अपने परिवार की सुरक्षा के लिये।

अब बहुत से लोग बोलेंगे कि हमने इंश्योरेन्स करवा रखा है तो अब हम इस बारे में बात करते हैं, अगर आपने LIC का इंश्योरेन्स करवा रखा है तो आपके परिवार को कितनी सुरक्षा मिल रही है, अरे देखिये भई पाँच लाख या उससे भी कम या थोड़ी सी ज्यादा, क्यों ?

क्योंकि हम भारतीय जब भी जहाँ भी पैसे लगाते हैं तो यह सोचते हैं कि इससे कितना पैसा वापिस मिलेगा, पर हम मौत जैसे कटु सत्य के बारे में नहीं सोचते हैं, क्योंकि जाने क्यों हम मौत के बारे में सोचना या बात करना पसंद नहीं करते हैं, हम अपने आप को भगवान समझने लगते हैं, कि मैं कोई इतनी जल्दी थोड़े ही मरने वाला हूँ, मेरा प्रश्न है अगर मर गये तो ?

इसके बाद आप अपने परिवार को किस स्थिती में पाते हैं, सोचिये अरे सोचिये, सोचा ?

घबरा गये न कि कुल जमा पूँजी, और इंश्योरेन्स के केवल इतने ही पैसे मिल पायेंगे, जी हाँ, केवल इतने ही कि कुछ २-३ साल का खर्च ही चल पायेगा, पर उसके बाद क्या ?

बच्चों की फ़ीस कौन भरेगा, किराना कौन लायेगा, और ऊपर से ये महँगाई जो कि कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। अगर आपके पास कोई सपोर्ट नहीं है जैसे कि घरवाली घर संभालती हो, तो एकदम उसे भी तो मार्केट में एकदम नौकरी नहीं मिलेगी और अगर मिलेगी भी तो कितनी तन्ख्वाह की उम्मीद करेंगे। सोचिये सोचिये ?

जी हाँ, इस नववर्ष के अवसर पर अपने परिवार को अपना इंश्योरेन्स करवाकर उनका भविष्य सुरक्षित कर नववर्ष का तोहफ़ा दीजिये। अरे नहीं मैं कोई बीमा एजेन्ट नहीं हूँ, मैं तो केवल बता रहा हूँ । 🙂

आपकी वार्षिक सैलेरी से कम से कम दस गुना आपका टर्म इंश्योरेन्स होना चाहिये, अगर ५ लाख सालाना सैलेरी है तो कम से कम ५० लाख का इंश्योरेन्स होना चाहिये, कि आपके परिवार के साथ न रहने की स्थिती में कम से कम परिवार ठीक प्रकार से अपना जीवन यापन कर पाये।

ओहो, अब आप भी बोल रहे होंगे कि प्रीमियम तो बतायी ही नहीं ५० लाख की २५ वर्ष की अवधि के  लिये और ३५ वर्ष की उम्र के व्यक्ति के लिये प्रीमियम बनती है सलाना लगभग १५,००० और अभी एगोन रेलीगेयर ने एक नया प्लान बाजार में उतारा है जो कि केवल ओनलाईन ही उपलब्ध है, आई टर्म । जिसकी प्रीमियम लगभग ८५०० रुपये है।

अब भी सोच रहे हैं अरे अपने बीमा एजेन्ट को बुलाईये और उसके झांसे में न आयें कि ulip प्लान ले लें या कोई और जिसमें पैसा वापिस मिले, बोलिये कि मुझे केवल टर्म इश्योरेन्स ही चाहिये, मुझे पैसा वापिस नहीं चाहिये, परिवार को सुरक्षित करिये।

कोई सवाल हो तो टिप्पणी कीजिये, जबाब देने की कोशिश करुँगा।