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डॉक्टर इतना नगदी कैसे मैनेज करते होंगे ? बेटा अस्पताल से वापिस घर आया, फ़िर कुछ अनुभव, [Back to Home, My experience]

   २९ जून को रात १० बजे बेटे को अस्पताल में भर्ती करवाने के बाद फ़िर अस्पताल के अनुभव, ओह मन कड़वा हो जाता है।
    बेटा बिना मम्मी के सोता नहीं है, मम्मी से ज्यादा लगाव है तो मम्मी को ही रुकना था हम अस्पताल की कार्यवाही करके घर आकर सो गये। पर बेटा अस्पताल में और हम घर में सो रहे थे तो हमें भी नींद नहीं आयी, सुबह ५ बजे ही नींद खुली हम तैयार होकर फ़िर अस्पताल की ओर दौड़ पड़े। अस्पताल पहुँचकर पता चला कि बेटा और बेटे की मम्मी दोनों ही रातभर सो नहीं पाये, रात को सिलाईन चढ़ने के कारण, हाथ सीधा ही पकड़कर रखना था और बेटे को सिलाईन की आदत तो थी नहीं, तो उसे अजीब सा लग रहा था।
    हमने कहा जाओ तुम घर जाओ और बेटे को मैं देख लूँगा, सो जाओ नहीं तो तबियत खराब हो जायेगी। बेटे की मम्मी भी घर गयी थोड़ी देर सोयी भीं पर ज्यादा नींद नहीं आयी और खाना बनाकर लौट आयीं। हमने कहा कि चलो कोई बात नहीं, इधर ही बेटे के पास सो जाओ।
    किसी तरह दूसरा दिन खत्म हुआ ३ सिलाईन और ४ इंजेक्शन एँटीबायोटिक्स के लग चुके थे। दिन खत्म होते होते तो हमारे बेटेलाल ने चिल्लाना शुरु कर दिया कि हाथ में दर्द हो रहा है जहाँ सिलाईन लगी थी, पर सूजन कहीं भी नहीं थी, हमने कहा कि नाटक मत करो, ये तो होगा ही। घर पर खाना नहीं खाओगे तो सिलाईन से ऊर्जा मिलेगी। अब सोच लो कि घर पर खाना खाना है या ये सिलाईन चढ़वानी है।
    बस कल रात १ जुलाई को अस्पताल से छुट्टी मिल गई, एँटीबायोटिक्स का पूरा कोर्स भी हो गया। उम्मीद है कि अब यह ठीक रहेगा।
    पिछले चिठ्ठे में जो बातें उठायीं थीं वह सब सही निकलीं, हमने ये अनुभव किया कि डॉक्टर इलाज बहुत अच्छा करता है पर जहाँ मरीज को भर्ती करवाने की बात आती है, वह राक्षस जैसा हो जाता है, अब हमने यह निर्णय लिया है कि इलाज तो इन्हीं डॉक्टर के यहाँ करवायेंगे पर अगर कभी फ़िर से भर्ती करने के लिये बोला तो दूसरे डॉक्टर के पास ले जायेंगे। शायद भर्ती करने की जरुरत ही न हो, पर उसकी भूख को शांत करने के लिये केवल हम ही क्यों शिकार बनें ? और जितने भी आसपास के बच्चे के अभिभावक हैं और जिन्हें हम जानते हैं कि ये सब उसी डॉक्टर से इलाज करवाते हैं। उनहें भी जागरुक करने का जिम्मा हमने लिया है, कि जिससे हम थर्ड ओपिनियन नहीं ले पाये पर वो लोग ले पायें।
    जी हाँ थर्ड ओपिनियन, मैंने सबकी टिप्पणियों को पढ़ा और मैं सभी को धन्यवाद ज्ञापित करना चाहूँगा मेरा हौसला अफ़जाई करने के लिये और बेटे के स्वास्थय लाभ के लिये। ये जो था ये सेकंड ओपिनियन ही था और अब आगे से निश्चय किया है कि थोड़ा सा अपना ज्ञान चिकित्सा के क्षैत्र में भी होना चाहिये जिससे कोई बेबकूफ़ न बना सके, क्योंकि जितनी भी डॉक्टरों की दुकान लगी हैं, सब लूटने की ही दुकानें हैं। मैं यह एक जनर्लाइज स्टेटमेंट दे रहा हूँ क्योंकि गेहूँ के साथ तो घुन भी पिसता है।
   अब एक सवाल जो तीन दिन के मंथन के बाद मेरे वित्तीय प्रबंधन वाले मस्तिष्क में घूमड़ रहा है, कि डॉक्टर के पास इतना नगदी आता है, तो यह कैसे मैनेज करते होंगे और अगर इस प्रोफ़ेशनल फ़ीस को आयकर में नहीं दिखाते होंगे तो यह तो काला धन हो गया। फ़िर इसे सफ़ेद कैसे करते होंगे। क्या हमारी सरकार का ऐसा कोई नियंत्रण है जिससे यह काला धन ज्यादा होने से रोका जा सके ?

हमने थोड़े से अतिरिक्त समय में लाभ उठाया और सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला” जी की कविश्री की कविताओं का आनंद लिया।

वित्तीय स्वतंत्रता पाने के लिये ७ महत्वपूर्ण विशेष बातें [Important things to get financial freedom…]

क्या आपने कभी सोचा है कि “अगर मैं वित्तीय स्वतंत्र हो जाऊँ तो ?” अगर ऐसा हो जाये तो कितना अच्छा हो…

१) बुनियादी जरुरतों के लिये काम ना करना पड़े, केवल अपने मासिक बिलों और ऋण के  भुगतान के लिये कमाना पड़े, बाकी के अपने बचे हुए कैरियर में… नहीं !!

२) और् नहीं !! वो अंतहीन काम करने का समय !! केवल अपने आपको इस अंतहीन चूहा दौड़ में श्रेष्ठ साबित करने के लिये, क्योंकि अगर आप जीत् भी गये तब भी आप है तो चूहे ही ना ….

३) जीवन को भरपूर आन्ंद से जीने की इच्छा और् क्षमता, अपने परिवार के साथ और ज्यादा वक्त गुजारना, अपने परिवार को छुट्टियों पर ले जाना या फ़िर किसी अच्छे रेस्त्रां में कभी भी ले जाना जब आपकी इच्छा हो …

४) आप जो भी अपने मन का नहीं कर पा रहे थे, उसे अपने पूरे मन से कर पायें ..

अच्छे विचार, लेकिन आप शायद सोच रहे होंगे कि मैं दिन् मैं भी सपने देखता हूँ ?  तो कह सकते हैं हाँ भी और ना भी …

हाँ – क्योंकि दिन के सपने मुझे अच्छे विचारों की और् प्रेरित करते हैं, कि मैं कैसे और अच्छे से अपनी जिंदगी में र्ंग भरूँ । आखिरकार हमें एक बार ही जीवन मिला है, तो हम् इसे और सार्थक बनाते हैं।

नहीं – क्योंकि नय विचारों के साथ, हम नये मिलने वाले अवसरों का विश्लेषण कर सकते हैं, और् सबसे प्रभावी दृष्टिकोण को अपना सकते हैं। विचारों के साथ ही अवसर आते हैं, अवसर के साथ कार्य और कार्य के होने से परिणाम आता है !!

तो मैं आपको जो कुछ आगे बताने वाला हूँ उससे आपको अपने वित्तीय स्वतंत्रता को पाने के लिये आप अभी जहाँ अभी खड़े हैं उससे एक् कदम आगे होंगे।

७ जरुरी वित्तीय बातें, जो कि सभी लोगों को पता होना चाहिये –
१) धन का महत्व् समझना
२) धन पर् नियंत्रण रखना
३) धन को बचाना
४) धन को निवेश करना
५) धन कमाना
६) धन को बचाना
७) धन को बांटना सीखना

१) धन का महत्व् समझना – क्या आप धन का महत्व् समझते हैं और् उसकी इज्जत करते हैं ? अगर आज आपको वित्तीय हानि होती है तो क्या आप उसका बर्तमान और भविष्य में होने वाले परिणाम को जानते हैं।

क्या आप अपनी पूरी मासिक आय खर्च कर देते हैं, और् कुछ भी बचा नहीं पा रहे हैं, शर्मिन्दा होने की क्या बात् है, केवल आप अकेले ही ऐसे नहीं हैं, ऐसे बहुत् से लोग् हैं ।

जब तक हम धन का महत्व समझना शुरू नहीं करेंगे, तब तक हम अपने कार्य के महत्व को, बचत की जरुरतों को, और अपनी जबाबदेही को भी नहीं समझ पायेंगे ।

आप कितना खर्चा कर रहे हैं, कितना कमा रहे हैं, अपना धन कहाँ और् कैसे रख रहे हैं, यह सबसे जरूरी है, तो इससे आपको पता चल जायेगा कि केवल अपनी जीवन की आवश्यकताओं को ही पूरा कर रहे हैं या फ़िर् कुछ अपने  लिये अतिरिक्त धन बचा भी सकते हैं।

२) धन पर् नियंत्रण रखना – मुझे लगता है कि अधिकतर लोगों की कमाई का केवल एक ही जरिया होता है नौकरी । इसी से आपके और आपके परिवार के जरुरी खर्चे चलते हैं, और यहीं इसी एक कमाई के सधन के लिये आप दिनरात काम करते हैं, । अगर आप ल्ंबे समय के लिये बीमार पड़् जायेंगे तो ??  घरखर्चा कैसे चलेगा ।

इस परेशानी से बचने का एकमात्र उपाय है कि आपकी नौकरी के साथ साथ आपकी विविध तरह से  दूसरी कमाई भी हो, केवल जब आप ये लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे तभी आप अपने आप को वित्तीय स्वत्ंत्र बना सकते हैं, और मस्ती में जिंदगी निकाल सकते हैं।

३) धन को बचाना – अगर आपके पास बहुत सारा धन है, और आप उसे बचाते नहीं हैं, आपके पास उससे ज्यादा धन नही आयेगा, आप और धन नहीं जोड़् पायेंगे। इसे “नकदी प्रवाह प्रब्ंधन” कहा जाता है। आपको अपनी आमदनी बढ़ाकर् खर्चों में कटौटी करना होगी, यही धन वृद्धि का मूल म्ंत्र है। अगर आपके पास अतिरिक्त धन होगा, तो बाजार में बहुत सारे नये वित्तीय उत्पाद हैं निवेश करने के लिये, जिनसे आपके धन में अच्छी वृद्धि हो सकती है।

४) धन का निवेश करना – कुछ आम उत्पाद जो कि आजकल बाजार में उपलब्ध हैं, शेयर, म्यूचयल फ़्ंड्, बांडस, मकान इत्यादि। इतनी सारे विकल्पों के होने के कारण, किसी अनुभवी वित्तीय प्रब्ंधक के साथ सलाह करके उस वित्तीय उत्पाद का विवरण प्राप्त करके निवेश करना उचित होगा, और आप अपने धन को समझदारी से अच्छी जगह निवेश कर पायेंगे। ऐसे वित्तीय उत्पाद बेचने वालों से बच कर रहें जो कि ज्यादा कमीशन वाले उत्पाद बेचने के लिये उत्साहित करते हैं, जो कि आपके ल्ंबी अवधि के योजना के लिये अच्छे न हों ।

५) धन कमाना – एक् बार आपने अपने धन को निवेशित करने के लिये अच्छा रास्ता चुन लिया, फ़िर स्ंयम के साथ अपने धन को बढ़्ते हुए देखें।  “धन स्ंयम के पेड़ पर बड़ा होता है”।

६) धन को बचाना – जब आपके पास धन होता है, तो आपको पता होता है कि धन आसानी से नही आया है, तो अगला कदम है मेहनत से कमाये हुए धन को बचाना। बुरे समय से निपटने के लिये अपने धन को सुरक्षित रखें या फ़िर् वापिस निवेश कर दें। आपको हमेशा अपने पास किसी भी आपात स्थिती से निपटने के लिये कम से कम ६ महीने का खर्चा नकद (बैंक् एकाऊँट) में रखना चहिये।

७) धन को बांटना सीखना – ज्यादा धन आपके पास होने पर्, आप वो सब कर सकते हैं जो करना चहते हैं, जिन सबका मैंने शूरु में उल्लेख किया है। अपने परिवार को सुख सुविधाओं के साथ ज्यादा समय दे सकते हैं, परिवार को छुट्टियों पर घुमाने ले जा सकते हैं, या जब भी आप चाहें किसी अच्छे रेस्त्रां में ले जा सकते हैं। आप अपने परिवार को ज्यादा लाड़ प्यार, सम्मान, समय दे सकते हैं जो पहले नहीं दे पा रहे थे। आप अपनी नौकरी छोड़कर कुछ अपने मन का, जो आपको पसंद है, कर सकते हैं। सही नहीं है क्या ये कि मैं और शायद आप भी हमेशा यही सोचते हैं कि कब अपना मनपसंदीदा काम करने को मिलेगा।

मुझे विश्वास है कि आप भी मेरी तरह वित्तीय स्वतंत्रता पाने के लिये रास्ता खोज रहे होंगे। “समय और ज्वार-भाटा किसी का इंतजार नहीं करते हैं” इसलिये यह बहुत जरुरी और महत्वपूर्ण है कि वित्तीय योजना आज से ही बनायी जाये और उस पर अमल भी किया जाये। और इन ७ महत्वपूर्ण विशेष बातों को रोज ध्यान में रखें।

शीघ्र सेवानिवृत्ति क्यों ? कब ? और कैसे ? [Early Retirement why ? when ? and how ?]

    शीघ्र सेवानिवृत्ति एक ऐसा विषय है जो आजकल के युवाओं की पहली पसंद है, आज का युवा जल्दी से जल्दी अपनी वित्तीय स्थिती मजबूत कर अपने इच्छा अनुरुप कार्य करना चाहता है।

    हम अभी उज्जैन गये थे तो अपने मित्र से पूछा कि अगर आज वापिस उज्जैन आना हो और शीघ्र सेवानिवृत्ति का विचार हो तो कम से कम अपने पास कितना पैसा होना चाहिये। तो उसका एकदम से जबाब मिला १ करोड़ रुपया, हम फ़क्क उसका चेहरा देखते ही रह गये, और हम उससे उस १ करोड़ की गणना का गणित पूछने लगे तो वह गणित बताने में अक्षम रहा, और बोला कि ऐसा लगा कि अगर १ करोड़ हो तो जिंदगी अच्छी कटेगी। क्या आप भी ऐसा सोचते हैं ? और ये भी बतायें कि १ करोड़ को कैसे निवेश करेंगे ?



    शीघ्र सेवानिवृत्ति पर हमने अपने लेपटॉप पर बहुत कुछ लिख रखा है, पर इस पर मौत की काली स्क्रीन का साया है, हमें आशा है कि हम उसे जल्दी ही ठीक कर अपने लेख जो कि विन्डोज लाईव राईटर पर लिखे हैं, प्राप्त कर लेंगे। तब तक हम बात करते हैं शीघ्र सेवानिवृत्ति के लिये आवश्यक धन की, आगे हम विस्तृत चर्चा करेंगे कि शीघ्र सेवानिवृत्ति क्यों ? कब ? और कैसे ?

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आयकर बचाने के लिये इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड्स में २०,००० रुपये का निवेश करना चाहिये क्या ?

    २०१० के बजट में आयकर में जो राहत दी गई हैं, उनमें से एक है इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड्स में २०,००० रुपये तक के निवेश की अनुमति दी गई है।

    इस राहत के बाद लगभग सभी लेखों में और वित्त मंत्री जी ने भी यही कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है। लेकिन एक ही बात हरेक आदमी के लिये कैसे सकारात्मक हो सकती है ? अगर नकारात्मक भी नहीं है तो भी कम से कम कई लोगों को तो कोई फ़र्क ही नहीं पड़ने वाला है।

    हम यहाँ पर कर बचाने के लिये इन बांडों में निवेश करना कितना सही है यह देखेंगे और यह विश्लेषण २०१० की नई कर नीति के दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर कर रहे हैं जो कि इस प्रकार है –

१. आय १.६ लाख रुपये से ५ लाख रुपये तक
२. आय ५ लाख रुपये से ८ लाख रुपये तक
३. आय ८ लाख रुपये या उससे ज्यादा

    किसी भी करबचत उत्पाद को समझने के लिये हमें चार प्रमुख मानकों को समझना चाहिये –

वास्तविक कर बचत (सबसे ज्यादा बचत मान लीजिये जितनी संभव हो)
निवेश से मुनाफ़ा वापसी (कम से कम जितने समय निवेश बंधक रहने वाला है)
अवसरित कीमत (अगर यही रकम किसी और उत्पाद में निवेश की जाये तो कितना मुनाफ़ा वापसी होगा)
उत्पाद पर होने वाले मुनाफ़ा वापसी पर मुद्रास्फ़ीति का प्रभाव
(आपके निवेश की क्या कीमत होगी जब आप इस उत्पाद को भुनायेंगे ?)

धारणाएँ –

    हम दो मानदंड मान लेते हैं, हमें अपनी ही कुछ धारणा बनानी पड़ेगी बंधक समय (Lock-In Period) के लिये, क्योंकि अभी तक वित्त मंत्री ने अभी तक इस बारे में कोई घोषणा नहीं की है। आमतौर पर अगर हम दूसरे कर बचत वित्तीय उत्पादों को देखें तो हम दो परिदृश्य ले सकते हैं तीन वर्षीय और पांच वर्षीय।

    मान लेते हैं कि इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड की वापसी दर होगी लगभग ५.५ % प्रतिवर्ष।

और साथ ही मुद्रास्फ़ीति की समग्र दर हम ८% मान लेते हैं।

१.६ – ५ लाख रुपये के कर समूह में आने वाले लोगों को १०% आयकर देना होगा।

१. वास्तविक कर बचत – २०,००० रुपये का १०% याने कि २,००० रुपये (अगर आप २०,००० रुपये का निवेश इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड में करते हैं, तो आपकी करयोग्य आय २०.००० रुपये से कम हो जायेगी और आपको आयकर में १०% का फ़ायदा होगा)।

२. आपको कितनी रकम वापिस मिलेगी अपने बंधक समय (Lock-in Period) के बाद ? अगर ३ वर्ष का बंधक समय है तो २०,००० रुपये के निवेश से जो आय होगी वह होगी लगभग ३४८५ रुपये। जब आप इसे अपनी निवेश की गई रकम में जोड़ेगे तो आपको निवेश की जो वापसी होगी वह है २५,४८५ रुपयों की (२०,००० रुपये + ३,४८५ रुपये + २,००० रुपये)।

३. अगर इसी राशि को बाजार में किसी और उत्पाद में निवेश करते तो वह आपको लगभग १५-१८% की वापसी देता। सेंसेक्स और म्यूचुअल फ़्ंड में लंबी अवधि के निवेश के बाद यह दर बहुत कम है पर हम गणना में १५% लेते हैं। इस निवेश से आपको २७,३७६ रुपये मिलेंगे जो कि इस प्रकार है – २०,००० रुपये – २,००० रुपये = १८,००० रुपये @१५% की दर से ३ वर्ष के लिये निवेश की गणना की गई है।

४. ८% मुद्रास्फ़ीति का मुकाबला करने के लिये कम से कम आपकी राशि ३ वर्ष के बाद कितनी होनी चाहिये ? राशि होना चाहिये लगभग २५,१९४ रुपये।

    इस प्रकार हम देखते हैं कि १.६ से ५ लाख रुपये वाले कर समूह में आने वाले व्यक्तियों के लिये इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड जो कि एक कर बचत उत्पाद है, से केवल २९१ रुपये का ही फ़ायदा होता है (२५,४८५ रुपये – २५,१९४ रुपये)। जबकि आयकर देने के बाद बची हुई राशि को किसी बाजार के किसी अच्छे उत्पाद में लगाने से १८९१ रुपये का फ़ायदा है।

    पर अगर आप के आयकर में २,००० रुपये से ज्यादा का फ़ायदा हो रहा है, और वो तब होगा जब आप ५ लाख से ऊपर वाले कर समूह में आते हैं, उन लोगों को इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड में ही निवेश करना चाहिये, ना कि दूसरे वित्तीय उत्पादों में।

    यह सलाह केवल उन्हीं लोगों के लिये है जो कि १.६ से ५ लाख के कर समूह में आते हैं।

तनख्वाह बड़ी है ? अच्छे तरीके से कैसे उपयोग करें … ? कहाँ निवेश करें ?

    पिछला वर्ष २००८ नौकरीपेशा वर्ग के लिये बहुत मंदी वाला था, जहाँ एक तरफ़ तो अपने खर्चे कम करने पड़े और अपनी बचत में से भी पैसा निकालना पड़ा, और साथ ही कंपनियों द्वारा बाहर निकाले जाने का डर भी।

    कंपनियाँ बड़ी हुई तनख्वाह और बोनस बड़ाने में सक्षम नही थीं और सबने बहुत ही बुरा समय देखा है। खैर, अब ये मंदी का दौर खत्म हो गया है, और समय बदल रहा है और कंपनियाँ भी मंदी के दौर से निकल चुकी हैं।

अंदाजन बढ़ने वाली तनख्वाह के सर्वेक्षण नतीजे –
    सर्वेक्षणों से पता चलता है कि इस वर्ष सबसे ज्यादा वेतन बढ़ौत्तरी होने वाली है। भारत में वर्ष २०१० में वेतन वृद्धि लगभग १०.६ प्रतिशत होने का अनुमान है, जो कि एशिया महाद्वीप में सबसे ज्यादा है और वर्ष २००९ की ६.६ प्रतिशत की वृद्धि से ६० प्रतिशत ज्यादा है। भारतीय कंपनियों के मुकाबले बहुराष्ट्रीय कंपनियों की वेतन वृद्धि लग्भग ११.४ प्रतिशत होगी।

    ऊर्जा, दूरसंचार, दवाई उद्योग, यांत्रिकी, सेवा और निर्माण, तकनीक और ऑटोमोबाइल कुछ ऐसे क्षैत्र है, जहाँ पर वेतन वृद्धि ११.६ प्रतिशत से १२.८ प्रतिशत तक होने का अनुमान है।

    तकनीक और् आऊटसोर्सिंग क्षैत्र में २००९ के बाद जबरदस्त तरीके से व्यापार में उछाल देखा गया है, लेकिन ये बेहद डरी हुई हैं और इकाई के अंक में ही वेतन वृद्धि देने का अनुमान है जो कि ८.५ प्रतिशत से ८.९ प्रतिशत हो सकता है।

ज्यादा आमदनी: क्या करें ?
    मंदी ने भारतियों को धन की महत्ता सिखाई। तो धन का कैसे अच्छे तरीके से प्रबंधन करें / वेतनवृद्धि को कैसे बेहतर तरीके से उपयोग करें जिससे भविष्य में हमें ज्यादा मुनाफ़ा हो ? यह समय धन को उड़ाने का है या फ़िर उसे बचाने का ? या फ़िर जो मितव्ययिता के उपाय हमने इस मंदी के दौरान सीखे उन्हीं को जारी रखने में समझदारी है ?

    क्या यह बिल्कुल उपयुक्त समय है घर का सामान खरीदने के लिये ? आज लेपटॉप या टीवी जिसकी कीमत ४०,००० है वह शायद छ: महीने बाद ३५,००० हो जायेगी, और कुछ अच्छे ऑफ़र्स भी मिल सकते हैं। मोबाईल फोन या आईपोड के दाम एक तिमाही में ३० प्रतिशत तक कम हो जाते हैं। तो वास्तव में उपभोक्ता वस्तुओं पर बड़ी राशि खर्च करने का उपयुक्त समय नहीं है, लेकिन अगर बिल्कुल ही जरुरत हो तो आपको लेना ही चहिये, बस अच्छी तरह से मोलभाव कर लीजिये जिससे आपको अच्छे ऑफ़र मिल पायें ।

मौजूदा ऋणों की ई.एम.आई. बड़ा दें –
    अगर आपके ऊपर किसी भी तरह का लोन (गृह, शिक्षा, ऑटो, क्रेडिट कार्ड) है तो वेतनवृद्धि के धन से आंशिक पूर्व भुगतान या आप अपने लोन की ई.एम.आई. को बड़ाकर निर्धारित अवधि के पहले चुका सकते हैं, जिससे आपको राहत मिलेगी। (“अधिकतर व्यक्तिगत ऋणों में आंशिक पूर्व भुगतान की सुविधा नही होती है।" )

    हर बार जब भी आप अपनी किस्त का भुगतान करते हैं तो उसका एक हिस्सा लोन के ब्याज में चला जाता है और बाकी का बचा हुआ ऋण की रकम में। ऋण लेने के बाद आमतौर पर पहली किस्त जो भरी जाती है वह आप ब्याज भर रहे होते हैं जो कि आपको पता भी नहीं होता है, और ऋण की किस्त के आखिरी हिस्से को जब भर रहे होते हैं वह ऋण की रकम का हिस्सा होती है। उदाहरण के लिये – अगर आपने ६०,००० रुपये का ऋण लिया है और उसकी मासिक किस्त ई.एम.आई. १५०० रुपये जा रही है तो आप उसे बड़ाकर २००० रुपये करवा लीजिये जिससे बड़े हुए ५०० रुपये आपकी ऋण की रकम कम करने में सहायक होंगे और आपको ब्याज कम भरना पड़ेगा।

    तो जल्दी से ऋण चुकाने में अपनी रकम बड़ाईये और ब्याज में अपना पैसा जाने से बचायें।

निवेश और बचत बढ़ायें –

    अगर आपने ॠण नहीं ले रखा है तो आप अपने धन को म्यूचयल फ़ंड, यूलिप, बांड, शेयर इत्यादि में निवेश कर सकते हैं। म्यूचयल फ़ंड नये निवेशकों के लिये सबसे अच्छा वित्तीय उत्पाद है, जबकि आज के बाजार में निवेश के बहुत सारे विकल्प उपलब्ध हैं।

    मैं आपको एस.आई.पी. लेने की सलाह दूँगा, जहाँ आप पूर्व निर्धारित मासिक राशि अपने पसंद के म्यूचयल फ़ंड में निवेश कर सकते हैं। एस.आई.पी. आवर्ती जमा जैसा ही वित्तीय उत्पाद है बस एस.आई.पी. (SIP) बाजार के रिटर्न देने की क्षमता रखता है और आवर्ती जमा (Recurring Deposit) एक निश्चित ब्याज राशि।

    एस.आई.पी. की प्रत्येक मासिक राशि को एक ईंट के तौर पर देखें तो भविष्य में इससे आपको बिल्डिंग बनती नजर आयेगी। नियमित बचत के लिये यह बिल्कुल सही समाधान है।

    ५००० रुपये का एस.आई.पी. अगर १५ वर्षों तक जमा करते हैं, तो १५% के हिसाब से लगभग ३३ लाख रुपये हो जाता है। १५% बहुत कम लगाया है जबकि कई फ़ंडों में यह ६०% तक गया है।

    बहुत सारे फ़ंड हाऊस के फ़ंड अच्छॆ हैं तो आज ही चुनें और निवेश शुरु करें।

    इस वर्ष अच्छे वेतन वृद्धि की उम्मीद है और आप अपने बड़े हुए वेतन को अपने भविष्य के लिये निवेशित करें, क्योंकि पिछले दो वर्षों में आप लोग सीख ही गये होंगे कि खर्चों में कटौती कैसे करना है।

    कुछ तरीके वेतन वृद्धि के लिये मैंने बताये हैं, बाजार में और भी वित्तीय उत्पाद उपलब्ध हैं, जिनमें आप निवेश कर सकते हैं, और अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई को अपने परिवार के भविष्य के लिये सुरक्षित रख सकते हैं। आप पैसा कमाने के लिये कार्य करते हैं और ये वित्तीय उत्पाद आपके पैसे को भविष्य में अच्छे रिटर्न देने के लिये कार्य करते हैं।

निवेश पर अधिकतम रिटर्न की गारंटी, पर फ़िर भी अच्छे रिटर्न नहीं दे पातीं बीमा कंपनियाँ क्यों…? (Return guaranteed highest NAV, but why Insurance Companies not gives best returns.. )

सबसे पहले आपसे सवाल ?

    जब आप ऐसे किसी विज्ञापन को देखते हैं जो कि यूनिट लिंक्ड बीमा योजना निवेश पर अधिकतम रिटर्न की गारंटी देता है, अधिकतम शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (NAV) पर ? और हम में से अधिकतर यही सोचते हैं कि अधिक से अधिक रिटर्न अपने निवेश पर हमें मिलेगा वो भी बिना जोखिम के।
    पर जैसा कि आप सब जानते हैं कि कुछ भी फ़्री में नहीं मिलता है, किसी भी वित्तीय उत्पाद को देख लो जो कि अधिकतम रिटर्न की गारंटी देते हैं तो पता चलेगा कि लंबी अवधि में ६% से १५% तक का ही रिटर्न मिल रहा है। और अगर लगभग ३% और घटा लिया जाये जो कि ये बीमा कंपनियाँ शुल्क के नाम पर ले लेती हैं तो ये गारंटेड रिटर्न एकदम कम दिखने लगता है।
अवधारणा – 
    मूलत: यह मूलधन के ऊपर गारंटी देने वले उत्पाद यह निश्वित करते हैं कि निवेश की गई रकम का अवमूल्यन न हो और शेयर की ऊँची कीमत का रिटर्न मिलेगा।  यह सोचना गलत है कि बिना जोखिम के सेन्सेक्स आधारित रिटर्न मिलने वाले हैं।
चलिये देखते हैं कि ये फ़ंड कैसे कार्य करते हैं –

    इसमें से अधिकतर जिस निवेश रणनीति का उपयोग करते हैं जिसे डायनामिक हेजिंग या स्थिर अनुपात पोर्टफ़ोलियो बीमा कहते हैं। इसके अंतर्गत फ़ंड प्रबंधक निरंतर निवेश को डेब्ट और इक्विटी निवेश वर्गों के बीच में आवंटित करते रहते हैं जिससे पहले की अधिकतम एनएवी के प्रति निश्चिंतता रहे।
    पहले ही वर्ष में आपके निवेश को डेब्ट और इक्विटी के मध्य इस तरह से आवंटित कर दिया जाता है जिससे कम से कम गारंटेड एनएवी जो कि १० रुपये होती है वह १० वर्षों के बाद मिल सके। अगले वर्षों में अगर शेयर बाजार गिरने लगता है तो आपके निवेशित रकम का भाग डेब्ट में निवेशित कर दिया जाता है, जिससे निवेशित रकम उतनी ही बनी रहे और जब शेयर बाजार वापस से अच्छी स्थिती की ओर आने लगते हैं तो आप हमेशा देखते होंगे कि एनएवी बढ़ने लगती है। तो अगर मान लिया जाये कि एक साल बाद एनएवी १७ रुपये है पर शेयर बाजार १५% नीचे आ चुका है । तो फ़ंड प्रबंधक अधिकतम रिटर्ने की सुरक्षा के लिये इक्विटी बेचकर बांड्स (डेब्ट) खरीद लेगा।
    अगर बाजार में कोई उतार-चढ़ाव ही नहीं है, तो इस तरह के उत्पादों में कुछ खास बदलाव नहीं होते हैं, क्योंकि एनएवी बहुत ही कम ऊपर या नीचे होती है। जब भी बाजार गिरते हैं तो आपका निवेशित रकम का हिस्सा डेब्ट में बड़ता जाता है और जब बाजार में वापिस उछाल आता है तो वापिस से इक्विटी में वह निवेश नहीं हो पाता है । ध्यान रखें कि पोर्टफ़ोलियों के डेब्ट के हिस्से में बांड में निवेशित होता है, जो कि निवेश के अधिकतम रिटर्न को निश्चित करता है। तो लंबी अवधि में आपके पोर्टफ़ोलियो में इक्विटी का हिस्सा बहुत कम और डेब्ट फ़ंड में ज्यादा होता जाता है।
अधिक लागत – 
    इन उत्पादों के गारंटेड रिटर्न ही इन्हें बाचाज में सबसे ज्यादा महँगा कर देता है।  एक बात और गारंटी रिटर्न के लिये कुछ शुल्क भी लगा दिये गये हैं जो कि अभी अभी प्रत्यारोपित किये गये हैं।
    आपको हर वर्ष गारंटी का शुल्क देना होगा, जो कि फ़ंड प्रबंधन फ़ीस से अलग होता है। आईसीआईसीआई पहले सात वर्षों के अधिकतम एनएवी की निवेश पर रिटर्न की गारंटी देता है और १.३५% फ़ंड प्रबंधन शुल्क के ऊपर ०.१०% शुल्क लेता है। क्या हुआ ? अरे आपके रिटर्न में से ३% कम हो गया – १५% रिटर्न का मतलब हुआ कि १२%, नहीं।
    यह योजनाएँ एक तरह से निवेश उत्पाद ही हैं केवल बीमा योजनाओं का तो छद्म भेष धरा हुआ है। प्रीमियम की अधिकतम पाँच गुना बीमित राशि होगी ( ५० हजार रुपये के प्रीमियम पर अधिकतम बीमित राशी होगी २.५० लाख रुपये) और इस तरह की अधिकतर योजनाएँ मात्र १० वर्ष तक की अवधि की ही रहती हैं। सेवानिवृत्ति तक बीमा आम आदमी के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है (शाहरुख खान और सचिन तेंदुलकर से भी ज्यादा, जिन्हें बीमा की ज्यादा सख्त जरुरत है)। तो १० वर्ष की अवधि के लिये केवल २.५० लाख की बीमित राशि के साथ मात्र एक निवेश उत्पाद है जो कि बीमा योजना के नाम पर बेचा जाता है।
    और इससे भी बदतर, गारंटी केवल परिपक्वता अवधि पर ही उपलब्ध है, जो कि १० वर्ष होती है। अगर बीमित की मृत्यु बीमा अवधि के दौरान हो जाती है, तो आपके नॉमिनी को प्रचलित मूल्य से फ़ंड राशि का भुगतान कर दिया जायेगा, अधिकतम एनएवी की गारंटी केवल तभी है जबकि बीमित व्यक्ति सम्पूर्ण बीमा अवधि तक जीवित रहे।
क्या इसे खरीदना चाहिये ?
    गारंटी वाले निवेश उत्पाद केवल उन निवेशकों के लिये होते हैं जो कि अपने मूलधन को जोखिम में नहीं डालना चाहते हैं, लेकिन इक्विटी में निवेश से डरते हैं और उससे ज्यदा रिटर्न की उम्मीद करते हैं। अगर आप सेन्सेक्स आधारित रिटर्न चाहते हैं वो भी बिना जोखिम के तो होश में आईये ऐसा कोई भी उत्पाद बाजार में उपलब्ध नहीं है।
    अगर आप इक्विटी में निवेश करने का जोखिम ले सकते हैं तो और १० साल तक निवेशित रख सकते हैं तो इंडेक्स फ़ंड्स में निवेश कीजिये जो कि सेन्सेक्स और निफ़्टी के अच्छे प्रदर्शन पर अच्छा लाभ देंगे।

होली के रंगबिरंगे त्यौहार पर परिवार को और अपने आप को दें आर्थिक सुरक्षा [स्वास्थ्य बीमा का महत्व] …[Importance of Mediclaim in your life….]

   आप सोच रहे होंगे कि सुबह सुबह भांग खाकर फ़िर शुरु हो गया, परिवार की आर्थिक सुरक्षा पर हाँ इसे जरा सोचिये, देखिये और फ़िर अमल कीजिये।
   मैंने कोई भांग नहीं चढ़ाई है पर आपकी जिंदगी के रंग में भंग न पड़ जाये इसलिये बिना भांग छाने आज बता रहा हूँ, आप अपनी और परिवार की आर्थिक सुरक्षा कैसे करें।
    बड़ी बड़ी बीमारियों के नाम तो सुने ही होंगे, आप भी बोलेंगे कि त्यौहार के दिन क्या सुबह सुबह बड़ी बड़ी बीमारियों के नाम गिनाने में लगे हैं पर क्या करें जब बात स्वास्थ्य की हो तो कोई समझौता नहीं। मान लीजिये कि छोटा सा ह्रदयाघात हो गया तो क्या होगा, अगर आपके पास स्वास्थ्य बीमा याने कि मेडिक्लेम नहीं है। परिवार में किसी के साथ कुछ हो गया तो ? विपत्ति कभी निमंत्रण देकर नहीं आती है, इसलिये विपत्ति का ध्यान अच्छॆ समय में ही कर लेना चाहिये।
    अब सोचिये एक परिवार जो हँस खेल रहा है और अचानक परिवार के एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति को ह्रदयाघात आ गया, अब …. अब क्या होगा…. सोचिये अगर ये परिस्थितियाँ आपके साथ आ गईं तब क्या होगा, पहले तो अपने परिवार की चिंता कि क्या होगा, पता नहीं ठीक होने में कितने दिन लगेंगे, डॉक्टर और अस्पताल का कितना खर्चा होगा, वैसे भी आजकल के अस्पताल बहुत महँगे हो चुके हैं, और हर परिवार अपने सदस्य का अच्छे से अच्छे अस्पताल में और अच्छॆ से अच्छा इलाज करवाना चाहता है, जिससे परिवार में वापिस खुशियाँ लौट आयें। हाँ तो सोच लिया होगा अब तक तो कि कितना प्रभाव होगा आपके परिवार पर, नहीं दिमाग चलना बंद हो गया तो चलिये हम देखते हैं कि क्या हो सकता है…
    आम आदमी के हिसाब से यह विश्लेषण कर रहा हूँ, वैसे भी आजकल बीमारी की कोई उम्र नहीं होती है ।
सेविंग अकाऊँट में हैं ३०-३५ हजार रुपये
फ़िक्स्ड डिपोजिट – ४-५ लाख (भविष्य की बचत)
म्यूचयल फ़ंड – १-२ लाख (भविष्य की बचत)
अब छोटे से ह्रदयाघात पर होने वाला खर्चा देखें जो कि एक ठीक से अस्पताल में है –
५ दिन ICCU में – १ लाख से १.५० लाख
दवाईयाँ  – २०-३० हजार
३०-३५ दिन आराम – सैलेरी का नुक्सान लगभग ५० हजार रुपये
फ़िर डॉक्टर की फ़ीस और दवाईयाँ – २०-३० हजार रुपये 
तो ये हो गया लगभग २.५० लाख रुपये ओह घबरा गये तो ठीक है अगर नहीं घबराये मतलब कि आपके पास स्वास्थ्य बीमा (मेडिक्लेम) है।
    जी हाँ आपकी भविष्य की बचत में से सीधे २.५० लाख रुपये का खर्चा पर अगर आप मेडिक्लेम करवाते तो क्या यह आपकी बचत, बचत नहीं रहती। सोचिये आपके भचिष्य की योजनाओं पर जो आपने इसी बचत के भरोसे सोची थीं। क्या होगा…….?
    पर सोचिये अगर हर साल थोड़े से पैसे खर्च कर मेडिक्लेम करवा लिया होता तो आपके साथ साथ आपकी बचत का भी बीमा हो रहा है। अरे क्या सोच रहे हैं फ़िर वही थोड़े से रुपये के बारे में सोचने लगे।
अच्छा चलो अब मैं आपको बताता हूँ कि मेडिक्लेम परिवार के लिये कैसे मदद करता है –
    पारिवारिक बीमा लें तो हरेक सदस्य ज्यादा बीमित राशि से सुरक्षित होगा और आप चिंता मुक्त, जैसे कि ६ लाख का पारिवारिक बीमा जिसमें ३५ वर्ष का पारिवारिक मुखिया, ३४ वर्ष की पत्नी और एक ५ वर्ष का छोटा बच्चा बीमित हैं, यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेन्स कंपनी की मेडिक्लेम में इसका प्रीमियम है प्रतिवर्ष लगभग ९४३१ रुपये और वर्ष भर स्वास्थय पर होने वाले बड़े खर्चों की चिंता से मुक्ति। अगर ६ लाख कम लगता है कि आजकल अस्पताल बहुत महँगे हो गये हैं तो एक बीमा टॉप अप ले सकते हैं, जैसे कि ५.५ लाख का लगभग ४१३१ रुपये का है तो लगभग १३००० रुपये में आपके परिवार को सुरक्षा मिल गई ११.५० लाख के स्वास्थय बीमा की, जो कि परिवार की सुरक्षा तो है ही साथ ही आपकी बचत की भी सुरक्षा है जिसके लिये आपने निवेश किया है।
तो सोच क्या रहे है चिंता करना शुरु कीजिये अपने परिवार की और अपनी भविष्य की बचत की।
शुरुआत कभी भी की जाये हमेशा अच्छी होती है, और शुरुआत कभी देर से नहीं होती है। बस शुरुआत होनी चाहिये।
सोचिये और आज ही अपने बीमा एजेन्ट से कोई अच्छा से स्वास्थ्य बीमा योजना लें, परिवार में खुशियाँ लायें और हमेशा खुशियाँ रहें आपके जीवन में रंगों के त्यौहार होली की शुभकामनाएँ। 

व्यक्तिगत वित्त प्रबंधन में “पापा कहते हैं” की समस्या (“Papa Kehte Hain” problem in Personal Finance)

    तो मैं एक पाठक से बात कर रहा था और मुझे पता चला कि उसके पति की कमाई का निवेश उनके पापा द्वारा किया जाता है। इसका कारण जानने के लिये मैं बहुत उत्सुक था और जो सबसे बड़ा कारण मुझे पता चला वह यह कि उसके पति को निवेश और और व्यक्तिगत वित्त प्रबंधन में कोई रुचि नहीं है, और इसके लिये उसने अपने पापा को निवेश का निर्णय करने के लिये दे दिया है। तो इनके लिये इनके पापा म्यूचुअल फ़ंड, एलाआईसी, पीपीएफ़ और अन्य आयकर के लिये बचत वाले उत्पाद, साथ ही वह बचत भी जो आयकर बचत का हिस्सा नहीं है, ध्यान रखते हैं। उन्होंने कोई चाईल्ड यूलिप योजना भी ली है अपने पोते के भविष्य की “सुरक्षा” के लिये। हम देखते हैं ये बात कितनी गंभीर है और हमारे देश में कितनी गंभीरता से लिया जा रहा है।

“पापा कहते हैं” के कारण उत्पन्न होने वाली समस्यायें

  • अनुपयुक्त मनोविज्ञान: जैसे कि हमने पहले चर्चा की, आज की दुनिया में निवेश के निर्णय बेहतर तरीके से लें और उसके लिये बेहतर सोच बनानी होगी। पापा के तरीकों के दिनों की तुलना में, आप को ज्यादा बेहतर तरीके से नये वित्तीय उत्पादों के बारे में जानकारी प्राप्त करते रहना चाहिये। तो आजकल पापा साधारणतया: अच्छे से पैसे का प्रबंधन सही तरीके से नहीं कर पाते हैं, क्योंकि उन्हें आजकल के बेहतर वित्तीय उत्पादों का पता नहीं होता है, और उनका निवेश का दृष्टिकोण वही पुराना होगा।

 

  • निवेश और दस्तावेजों के बारे में जानकारी न होना: शायद यह आपको भी पता नहीं होता होगा कि आपके माता पिता आपके लिये कहाँ निवेश कर रहे हैं, और वे आपको इस बारे में बता नहीं रहे हों, या आपको बताना भूल गये हों कि निवेश के दस्तावेज कहाँ रखे हैं, जब किसी वित्तीय उत्पाद की परिपक्वता होती है, और ये सब होता है, दिखने में तो छोटी सी समस्या लगती है लेकिन यही बहुत बड़ी समस्या हो सकती है जब कुछ बुरा होता है।

 

  • स्वनिर्भरता न होना और इसलिए निवेश की जानकारी का अभाव होना: यह शब्द बहुत अच्छे नहीं लगेंगे परंतु मेरा विश्वास कीजिये, आपके माता पिता एक दिन चले जायेंगे और एक दिन सब कुछ आपको ही देखना पड़ेगा और उस समय आपके पास कोई जानकारी नहीं होगी, आपके लिये वह बहुत ही भयानक स्थिती होगी। आपको पता ही नहीं होगा कि निवेश कैसे करना है, आपको केवल यह पता है कि निवेश किया है पर यह नहीं कि बीमा कहाँ से खरीदा है, और वह कब परिपक्व हो रहा है इत्यादि। आपके लिये एक तरह से नयी शुरुआत होगी। तब आपको बहुत दुख होगा कि आप क्यों हमेशा अपने मातापिता के ऊपर निर्भर रहे। यह अच्छी बात नहीं है।

एक महत्वपूर्ण सवाल जो आपको पूछना है

    आज की दुनिया में ज्यादातर पापाओं या बुजुर्गों को निवेश कैसे किया जाये कहाँ किया जाये, इसका निर्णय करना ही नहीं आता है। उनके दौर की तुलना में अब ये बिल्कुल नई वित्तीय उत्पादों की दुनिया है। उन्हें बहुत ज्यादा कुछ पता नहीं होता है कि कौन सा वित्तीय उत्पाद का उपयोग करना चाहिये। हमारे पापा, दादा और बुजुर्ग के समय वित्तीय बाजार बिल्कुल अलग था, उस समय उन लोगों के पास एलआईसी पोलिसी और सावधि जमा (FD) के अलावा ओर कोई विकल्प ही नहीं था। शिक्षा बहुत ही सस्ती थी, और हमारी इच्छाएँ भी सीमित थीं, और लोग अपनी सीमित दुनिया में खुश रहते थे। अब सब बदल गया है और हम आज बिल्कुल ही अलग दुनिया में हैं जिससे हम पर दबाब बड़ता जा रहा है, जिंदगी से अधिक उम्मीदें हैं, शिक्षा के लिये लाखों चाहिये, सबसे महँगा है बच्चे की शिक्षा, बड़ों को तो भूल ही जाइये। लोग अब बाहर होटल में ज्यादा खा रहे हैं, लोग ज्यादा खर्च कर रहे हैं, और ज्यादा चीजें चाहिये और यह सब प्राप्त करने के लिये हमें बहुत ही बुद्धिमानी से काम लेने की जरुरत है। सावधि जमा और एन्डोमेन्ट पोलिसी एक दिन आपको वित्तीय रुप से धोखा देंगी और आपको पता भी नहीं चलेगा।

    ज्यादातर अभिभावकों को आजकल समझ में ही नहीं आता है कि इस नई वित्तीय दुनिया में कहाँ निवेश करें, उनके लिये यह निर्णय लेना बहुत ही दुश्कर हो गया है। उनके निर्णय के ऊपर निवेश करना आज की वित्तीय दुनिया में बहुत महँगा पड़ सकता है। स्पष्टत: वे जो भी निवेश कर रहे हैं, उनसे पूछ लेना चाहिये और उसका मूल्यांकन कर लेना चाहिये।

    वैसे आप अपने निवेश का निर्णय लेने का अधिकार पापा को क्यों दे रहे हैं ? इसका क्या कारण है ? केवल इसलिये कि आप उनका सम्मान करते हैं और क्योंकि वह आपके परिवार में वे सबसे बड़े हैं और उन्होंने आप से ज्यादा दुनिया देखी है ? तो आप क्या सोचते हैं कि इससे वे आपसे या किसी ओर से ज्यादा अच्छे से निवेश के निर्णय ले सकते हैं ? यह सही है न !! हो सकता है कि यह पूरी तरह से उचित नहीं हो, सम्मान और अनुभव अपनी जगह है, लेकिन केवल इन दो मानदंडों के कारण उनको अपने निवेशों का निर्णय करने का अधिकार देना बिल्कुल ठीक नहीं है । यह खतरनाक भी हो सकता है।

आखिरी परिदृश्य

   दूसरी ओर, हम में से कई के पापा और बुजुर्ग रिश्तेदार वास्तव में बहुत ही अच्छे हैं, जो कि सीधे शेयर निवेश के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं, वित्तीय योजनाओं को आज के परिवेश के मुताबिक समझते हैं, जानते हैं और आज के परिवेश के मुताबिक काफ़ी अच्छा अनुभव भी है, हमेशा उचित यही है कि निवेश के पहले उनकी मदद लें या कम से कम उनका मार्गदर्शन तो ले ही लें। अंत में आपको निर्णय लेना है कि आपके अभिभावक आपके निवेश के लिये सही निर्णय ले रहे हैं या नहीं ? इसक व्यक्तिगत तौर से मूल्यांकन करना ही चाहिये।

क्या आपके साथ ऐसा हुआ है ? क्या आपके पास ऐसा कोई है जो इस तरह की समस्याओं से गुजर रहा हो, कृपया अपने व्यक्तिगत अनुभव और विचारों को बतायें।

यह आलेख मूलत: http://www.jagoinvestor.com पर मनीष चौहान द्वारा लिखा गया है, और यह इस आलेख का हिन्दी में अनुवाद है।

वित्तीय उत्पादों (ऋण) के साथ जबरदस्ती अन्य वित्तीय उत्पादों को बेचा जाना (Force Selling combined with other financial products)

वित्तीय उत्पादों (ऋण) के साथ जबरदस्ती अन्य वित्तीय उत्पादों को बेचा जाना (Force Selling combined with other financial products)

    ऋण या गृह ऋण के साथ क्या कभी आपको किसी ने यूलिप खरीदने पर मजबूर किया है ? आजकल भारत के वित्तीय बाजार में यह अनैतिक बिक्री जोरों पर है। आजकल बहुत सारे लोग ये शिकायत करते हैं कि कई कंपनियाँ बड़े ऋण के साथ या कुछ और बड़ा ऋण लेने पर उनके कबाड़ा उत्पाद जैसे कि एन्डोमेन्ट योजना या यूलिप (जिसमें ज्यादा कमीशन मिलता है) बेचती हैं, जहाँ यूलिप की छोटी सी रकम के लिये कहा जाता है “ठीक है, इतनी बड़ा ऋण लिया है फ़िर छोटी सी चीज के लिये क्यों सोच रहे हैं”। पर यह सही नहीं है, इससे आम आदमी का विश्वास टूट रहा है, और यह सब नियमों के खिलाफ़ हो रहा है। चलो कुछ वास्तविक जीवन के मामले देखते हैं –

जबरदस्ती अन्य वित्तीय उत्पादों को ऋण स्वीकृति के साथ बेचना
    मुझे एक योजना लेनी थी, वो भी बिना जानकारी के, कि उस योजना में क्या है और वह क्या योजना है, जैसा कि बार्कलेज फ़ायनेंस कंपनी ने कहा कि कर्ज के अनुमोदन के लिये यह योजना लेना अनिवार्य है, पता नहीं कि यह सब कितना सही है। लेकिन मेरे पास समय नहीं था, मैं पहले ही काफ़ी देरी कर चुका था, इसलिये मैंने चुपचाप ले लिया।

जबरदस्ती अन्य वित्तीय उत्पादों को गृह ऋण के साथ बेचना
    मैंने सोचा कि भारतीय स्टेट बैंक जैसे बैंक अपने नियमों पर सीधे अमल करेंगे। पर यहाँ से ऋण लेने पर मुझे बहुत ही मुश्किलात का अनुभव हुआ।

ऋण अनुमोदन करने के पहले के सपने –
    लोन दिलाने वाला एजेंट (हिन्दी में दलाल, शायद सुनने में अच्छा न लगता हो) जो मेरे कार्यालय में ही कार्य करता है, उसे ऋण के नियम और शर्तों के बारे में कुछ पता ही नहीं है। वह एसबीआई का सेवानिवृत्त अधिकारी है और अपनी पहचान का भरपूर फ़ायदा उठाते हुए ऋण दिलवा देता है। एक दिन वह मुझसे बोला कि मैंने जो ऋण दिलाने के लिये सेवाएँ दी मुझे उसका भुगतान(Service Charges) तो कीजिये (मैं तो स्तब्ध रह गया)| शायद उसके द्वारा मेरे ऋण लेने पर बैंक ने कुछ न कुछ फ़ीस का भुगतान किया ही होगा। मैंने उसे कुछ जरुरी जमानती (Gurantor) संबंधी कागजात दिये थे, जो कि फ़ाईल में नहीं थे। शायद उसने खो दिये थे, जितनी राशि के लिये मैंने ऋण का आवेदन किया था, ऋण अनुमोदन के दौरान ही मैंने अपनी ऋण राशि कम कर दी। जब मेरा ऋण अनुमोदित हुआ तो मैंने पाया कि १.९ लाख का अतिरिक्त ऋण मुझे मंजूर किया गया है और ऋण राशि बड़ा दी गई है। मैंने उनके द्वारा प्रस्तावित बीमा सुरक्षा ऋण के लिये लेने से मना कर दिया क्योंकि मैंने प्रतिवर्ष के आधार पर कवर करने की योजना बनाई थी। मैंने इसके लिये प्रबंधक से चर्चा की और वह इसको हटाने पर राजी भी हो गये।
    जरुरी बात, जब आप ऋण के कागज पर हस्ताक्षर कर रहे हों तो जमानती को हमेशा वहाँ होना चाहिये। मैंने अपने जमानती को सुबह के समय में अपने साथ लेकर यह कार्य सफ़लतापूर्वक किया।

जबरन भारतीय स्टेट बैंक का ऋण के साथ बीमा बेचना
    मैंने देखा कि बीमा सुरक्षा को हटाया नहीं गया है और एसबीआई अधिकारी उसे हटाने को सहमत भी नहीं थे जबकि मैंने उनसे यह भी कहा कि मैं एसबीआई का बीमा खरीद लूँगा। मुझे बताया गया कि फ़िर मुझे वापस से उसी शाखा में जाना पड़ेगा जहाँ ऋण का अनुमोदन किया गया था और फ़िर बैंक प्रबंधक से स्वीकृत करवाना पड़ेगा और फ़िर स्वीकृति के लिये वापिस से बैंक के ऋण प्रोसेसिंग केन्द्र पर जाना होगा। और मैंने स्वीकृत करने वाले अधिकारी और मुख्य प्रबंधक को बहुत मनाया, और केवल एक साल का बीमा सुरक्षा तभी उसी समय खरीदने को तैयार हो जाने पर मैं उनको मनाने में कामयाब हो गया।
    इसके अलावा, मुझे बताया गया था कि इस वर्ष मेरे ऋण का ब्याज ८ प्रतिशत रहेगा (मैं खुश था कि मैंने भारतीय स्टेट बैंक से ऋण लिया था), लेकिन बाद में मुझे बताया गया कि मेरा ऋण अगले ४ वर्षों के लिये ९.७५ प्रतिशत की दर से स्वीकृत हुआ है। किसी ने मुझे इस नियम के बारे में बताया तक नहीं था कि ८ प्रतिशत वाली योजना के लिये मुझे अलग से अनुमोदन करना होगा। मैंने इस बारे में क्लर्क से लेकर प्रबंधक तक सबसे पूछा पर किसी को इस नियम के बारे में संपूर्ण जानकारी नहीं थी कि इसके लिये अलग से अनुमोदन कर स्वीकृति लेनी थी, पर अब मेरे पास हस्ताक्षर करने के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं था। इन विषम परिस्थितियों में, मैंने सोचा कि ब्याजदर कुछ ज्यादा है पर फ़िर भी मैं अगले ४ वर्ष के लिये ९.७५ प्रतिशत ब्याज दर पर फ़ँस चुका था।
    खैर, मुझे बैंक अधिकारियों की कार्य करने की गति और अपने पेशे के प्रति जानकारी से संतुष्टि तो थी, पर फ़िर भी मुझे महसूस हो रहा था कि ऋण के नियम और शर्तों में और पारदर्शिता लानी चाहिये।
    क्या शिक्षा मिलती है इस घटनाक्रम से – ऋण के कागजात पर हस्ताक्षर करने के पहले सभी नियमों और शर्तों को ध्यान से पढ़ लो और अगर किसी भी नियम या शर्त समझ में नहीं आ रहा तो वहीं अधिकारी से उसके बारे में पूछ लें और अगर जब तक जबाब नहीं मिलता तब तक संतुष्ट भी नहीं होना चाहिये। निजी एवं सरकारी बैंकें सभी के अपने अपने नियम और शर्तें होती हैं, और वहाँ उनको बताने वाला कोई नहीं होता है।

एक और मामला जबरन अपने वित्तीय उत्पाद बेचने का, ऋण हस्तांतरण के साथ
    मैंने एक और मामला देखा है जिसमें एक आदमी अपना गृहऋण (आईसीआईसी बैंक) पूना से दिल्ली स्थानान्तरित करवाना चाहता था, और केवल इसके लिये उसे जबरदस्ती बैंक के अधिकारियों द्वारा यूलिप योजना लेने को मजबूर किया जा रहा था, जिससे उसके कागजी कार्यवाही में मदद मिलती मतलब जल्दी कर दिया जाता, नहीं तो उसका काम अटक जाता। आखिरकार, उसने दिल्ली ब्रांच में आग्रह किया, तो उसका काम आसानी से हो गया। तो इस मामले में बैंक अधिकारी ऋणी पर अनुपयुक्त वित्तीय उत्पाद लेने के लिये दबाब डाल रहे थे।

निष्कर्ष
    इन दिनों वित्तीय संस्थाओं में यह कृत्य हो रहे हैं, ये सब भ्रष्टाचार का ही एक रुप है। ॠण देने वाले सोच रहे हैं कि ऋण एक बहुत ही महत्वपूर्ण और संकट की बात होती है आम आदमी के लिये, इसको आसानी से देने के लिये वे लोग अपने घटिया वित्तीय उत्पाद जबरन लेने को मजबूर करते हैं, वैसे भी बैंक वाले ये सोचते हैं कि भारत में लोग अन्य बातों से पहले ही बहुत दुखी और परेशान हैं, उसमें वे कुछ नहीं कर सकते हैं। आमजन पहले थोड़ा बहुत पूछेगा फ़िर आखिरी में अपना सब्र खोकर उनका घटिया वित्तीय उत्पाद जो कि जबरन ॠण के साथ बेचा जा रहा है ले लेगा, और यही होता भी है। लेकिन अपने साथ ऐसा मत होने दीजिये । अपनी आवाज उठाईये, सफ़ाई मांगिये, नियम में ऐसा कहाँ लिखा है देखिये, उन्हें शिकायत करने की धमकी देकर डराईये और अपनी आवाज को बैंकिग ओम्बड्समैन एवं उपभोक्ता अदालत तक ले जाईये, और भी बहुत कुछ कर सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि थोड़े समय के पश्चात जो जतन आपने किये हैं उससे सुधर जायेंगे ।
    यहाँ तक कि भारतीय स्टेट बैंक में या किसी और बैंक में पीपीएफ़ खाता खोलने के लिये अगर आप जायेंगे तो पायेंगे कि वो जबरन में आपका बचत खाता खोलने की कोशिश करेंगे । यह भी अपने वित्तीय उत्पाद जबरदस्ती बेचने की श्रेणी में आता है।

टिप्पणी – ऐसे ही कुछ उदाहरण जो आप जानते हों, आपके साथ हुए हों या किसी ओर के साथ और इन मामलों को कैसे हल किया जा सकता है। आईये एकजुट होकर आप अपने विचार साझा कीजिये। हम ये सब बदल सकते हैं !! 
यह आलेख मूलत: http://www.jagoinvestor.com पर मनीष चौहान द्वारा लिखा गया है, और
यह इस आलेख का हिन्दी में अनुवाद है।