Tag Archives: आमहित

स्पीकएशिया कैसे अपना उल्लू साध रहा है और कितना रुपया ये कमा चुके हैं सर्वे के नाम पर

    स्पीकएशिया वाले अभी भी जनता को उल्लू बना रहे हैं, अभी आज तारक बाजपेयी जो कि स्पीकएशिया के सी.ओ.ओ. हैं उन्होंने अपना वीडियो जारी किया है, और यह वीडियो गुप्त रूप से उनके खास बनाये गये शब्द स्पीकएशियन लोगों के लिये है। जिसमें तारक बाजपेयी अभी भी जनता को बरगलाने का काम कर रहे हैं और कह रहे हैं कि हम बिल्कुल नया कॉन्सेप्ट बाजार में लाये हैं और इसलिये कोई भी इसको पचा नहीं पा रहा है। और खासकर स्पीकएशियन लोगों से निवेदन किया गया है कि जो ११ हजार रुपये आपसे लिये जा रहे हैं, वह निवेश नहीं है इसके बारे में आप अपने जान पहचान और आसपास के लोगों को बताते जाईये कि यह निवेश नहीं है यह तो आपकी सदस्यता शुल्क है।
    अगर हम इतनी तेजी से बड़े हैं तो केवल इसलिये कि हमारा कॉन्सेप्ट बिल्कुल नया है, पहले सैंकड़ों और हजारों में थे और अब लाखों में हैं और इस वर्ष के अंत तक करोड़ हो जायेंगे।
    अब हम अगर हिसाब लगायें तो पता लगेगा कि इन लोगों ने कितना बड़ा घोटाला करने की ठानी है, क्या आप सोच सकते हैं कि कोई कंपनी महीने में कितने सर्वे करवायेगी और अगर करवायेगी भी तो क्या उस कंपनी को हर सप्ताह सर्वे के लिये इतने लाख या करोड़ लोग चाहियेंगे। अगर १९ लाख लोगों के हिसाब से ही देखा जाये तो हर सप्ताह दो सर्वे देते हैं और अगर मान लिया जाये कि एक कंपनी एक सर्वे देती है तो उस एक सर्वे की कीमत उस कंपनी को लगभग १० करोड़ रुपये चुकाना पड़ रही है।
    अब खुद ही सोचिये कि जैसे जैसे लोग बड़ते जायेंगे वैसे वैसे सर्वे की कीमत कंपनी के लिये बढ़ती जायेगी, तो ऐसी कितनी कंपनियाँ हैं जो हर सप्ताह सर्वे करवाना पसंद करेंगी, शायद एक भी नहीं।
   पहले तो यह जानते हैं कि सर्वे क्यों किया जाता है –
  • जब किसी कंपनी को अपना नया उत्पाद बाजार में उतारना होता है।
  • जब कंपनी को अपने जमा जमाये उत्पाद की बिक्री और बढ़ानी हो।
  • जब कंपनी को अपने प्रतियोगी उत्पाद से कड़ी टक्कर मिल रही हो।
  • जब कंपनी को अपने द्वारा दी जा रही सेवाओं से संतुष्टि ना हो।
    और भी ऐसे बहुत सारे कारण होते हैं, परंतु इनमें से कोई ऐसा कारण नहीं है कि कंपनी हर सप्ताह इतनी बड़ी संख्या में सर्वे करवाये। इस तरह के सर्वे होते भी हैं तो शायद वर्ष भर में एक या एक भी नहीं।
    स्पीकएशिया एक फ़ूलता गुब्बारा है जो कि तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा जनता को बरगलाकर उस गुब्बारे में भर रहा है, और जिस दिन ये बुद्धिजीवी वर्ग इसको उठा नहीं पायेगा, उस दिन करोड़ों रुपयों का चूना लगाकर गायब हो जायेगा।
    इसके प्रबंधन में जितने भी लोग हैं वे तो अपनी मलाई लेकर चट हो जायेंगे और बेचारा फ़ँसेगा वो बेचारा आम बेरोजगार आदमी जो इनके झोल में फ़ँसा हुआ है। प्रबंधन के लोगों ने तो आसानी से १० करोड़ से ज्यादा बना लिये होंगे और अब मजे करेंगे अगर कानून के खेल में फ़ँस भी गये तो आसानी से निकल लेंगे। सभी जानते हैं कि कानून व्यवस्था बनाये रखने में राजनैतिक स्वार्थ हैं और इच्छाशक्ति की कमी है।
    यह ईमेल जो कि स्पीकएशिया के लोगों द्वारा बाजार में फ़ैलाया जा रहा है।
खैर स्पीकएशिया के सी.ओ.ओ.तारक बाजपेयी का वीडियो इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं।

इकोनोमिक टॉइम्स (Economics Times) और टॉइम्स ऑफ़ इंडिया (Times of India) में वित्तीय प्रबंधन पर लिखी जाती है ब्लॉगों से चुराई हुई सामग्री ?

    इकोनोमिक टॉइम्स (Economics Times) और टॉइम्स ऑफ़ इंडिया (Times of India) बहुत सारे लोग पढ़ते होंगे। सोमवार को इकोनोमिक टॉइम्स में वेल्थ (Wealth) और ऐसे ही टॉइम्स ऑफ़ इंडिया (Times of India) में भी आता है, जिसमें वित्तीय प्रबंधन के बारे में बताया जाता है, पिछले दो महीनों से लगातार इन दोनों अखबारों को पढ़ रहा हूँ, तो देखा कि वित्तीय प्रबंधन पर लिखी गई सारी सामग्री वित्तीय ब्लॉगों से उठायी गई है, और ब्लॉगों पर लिखी गई सामग्री को फ़िर से नये रूप से लिखकर पाठकों को परोसा गया है।

    अखबार को सोचना चाहिये कि पाठक वर्ग बहुत समझदार हो गया है, और अगर उनके लेखक अपनी रिसर्च और अपने विश्लेषण के साथ नहीं लिख सकते तो उनकी जगह ब्लॉगरों को ही लेखक के तौर पर रख लेना चाहिये। शायद अखबार के मालिकों और उनके संपादकों को यह बात पता नहीं हो।

    पर यह कितना सही है कि मेहनत किसी और ने की और उसके दम पर इन अखबार के लेखक अपनी रोजीरोटी चलायें। कहानी को थोड़ा बहुत बदल दिया जाता है, पर जो सार होता है वह वही होता है जो कि असली लेख में होता है।

    जो पाठक वित्तीय ब्लॉग पढ़ते होंगे, वे इसे एकदम समझ जायेंगे। इस बारे में मेरी चैटिंग भी हुई एक वित्तीय ब्लॉगर से तो उनका कहना था कि “ब्लॉगर क्या करेगा, ये तो अखबार को सोचना चाहिये, विषय कोई मेरी उत्पत्ति तो है नहीं, कोई भी लिख सकता है, बस मेरी ही पोस्ट को अलग रूप से लिख देया है”।

    कुछ दिन पहले मेरी बात एक वित्तीय विशेषज्ञ और  वित्तीय अंतर्जाल चलाने वाले मित्र से हो रही थी, उनसे भी यही चर्चा हुई तो वो बोले कि उन्होंने मेरे ब्लॉग कल्पतरू पर जो लेख पढ़े थे और जिस तरह से लिखा था, बिल्कुल उसी तरह से अखबार ने लिखा था, और आपकी याद आ गई। तो मैंने उनसे कहा कि ब्लॉगर कर ही क्या सकता है, यह तो इन बेशरम अखबारों को सोचना चाहिये, और उन लेखकों को जो चुराई गई सामग्री से अपनी वाही वाही कर रहे हैं।

    पहले बिल्कुल मन नहीं था इस विषय पर पोस्ट लिखने का परंतु जब मेरी कई लोगों से बात हुई तो लगा कि कहीं से शुरूआत तो करनी ही होगी, नहीं तो न पाठक को पता चलेगा और ना ही अखबारों के मालिकों और संपादकों को, तो यह पोस्ट लिखी गई है उन अखबारों के लिये जो चुराई हुई सामग्री लिख रहे हैं और उनको पता रहना चाहिये कि पाठक प्रबुद्ध है और जागरूक भी।

अब स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com का क्या होगा ? लालच की पराकाष्ठा कर दी ।

पहली पोस्ट – स्पीक एशिया ऑनलाईन संभावित बड़ा घोटाला तो नहीं (Probable Scam SpeakAsiaOnline.com !!)

    मेरी पहली पोस्ट स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com पर १७ अप्रैल को थी, इससे पहले तो मैंने इस कंपनी के बारे में कुछ सुना भी नहीं था। खैर अब मछली मगरमच्छ हो गई है और अब सब उसका क्रेडिट लेने में लगे हैं।

    जबकि अक्टूबर में मनीलाईफ़ पत्रिका ने इनके व्यवसाय के बारे में आपत्ति जताते हुए लिखा था कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया, आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो क्या सो रहे हैं ?

    खैर अब तो सबके सामने सच आ ही गया है, १ महीने पहले इस कंपनी के पास ९ लाख लोग थे और १ महीने में ही १० लाख लोगों को जोड़ लिया है। सोचिये अब यह संख्या बढ़कर १९ लाख हो गई है।यह तो लालच और बिना कुछ करे कमाने की हम भारतियों की पराकाष्ठा है।

    कई ऐसे लोगों को देखा जो कि ४-५ हजार की निजी नौकरी कर रहे थे और जैसे तैसे अपना घर चला रहे थे, उन्होंने लाख रुपये स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com में लगाकर ४० हजार कमाने के ख्बाब देखे और अब कंपनी के ऊपर मीडिया और सरकार का दबाब पड़ने लगा है, अगर स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com गायब हो गई तो इन लोगों के लाख रुपये कौन लौटायेगा और सबसे बड़ी बात क्या इनको आसानी से वापिस नौकरी मिल पायेगी। आज यह घोटाला लगभग 1900 करोड़ रुपये का हो चुका है।

    और जो लोग इससे कमा रहे हैं, वे मीडिया और सरकार का विरोध कर रहे हैं, कि स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com एक तो भारत के बेरोजगारों को रोजगार दे रहा है और सभी लोग उसे बंद करवाने के पीछे पड़े हैं, और इन बेरोजगारों और लालची लोगों को क्या यह बात समझ में नहीं आती है,  कि ये मीडिया और सरकार केवल स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com के पीछे ही क्यों पड़े हैं, और किसी कंपनी के पीछे क्यों नहीं। अगर स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com बताये कि उनकी आमदनी का क्या जरिया है, और अपनी बैलेन्स शीट सबके सामने रखे तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।

    अगर नेट और सर्वे से पैसे कमाना इतना ही आसान होता तो शायद नेट का उपयोग करने वाले लोग करोड़पति अरबपति हो चुके होते।

    अभी कुछ दिन पहले २ लाख लोगों को स्टॉकगुरुइंडिया ५०० करोड़ का चूना लगाकर गायब हो चुकी है, उनका व्यापार भी कुछ इनकी तरह से ही था।

    वैसे भी हिन्दुस्तान टाईम्स सिंगापुर जाकर स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com के ऑफ़िस की पड़ताल आज कर चुका है, और वहाँ कुछ भी नहीं मिला है। और अब आयकर विभाग की भी आँख खुली है (चलो देर से ही सही, जब जागो तब सवेरा)।

खटमल को कैसे मारें, खटमल को कैसे खत्म करें..? सहायता करें !(How To remove Bed Bugs, How to finish Bed Bugs ? Help !)

    परजीवी खटमल महाराज पता नहीं कहाँ से हमारे फ़्लेट में घुस चुके हैं, पहले इक्का दुक्का थे तो हमने ध्यान नहीं दिया परंतु  कल रात को बिस्तर पर सोने गये तो देखा तकिये के किनारों पर लाईन से पैठ बना चुके थे, हमने तुरत फ़ुरत सारे तकियों और कुशन के गिलाफ़ उतारे और चादर भी हटाकर सब पर काकरोच वाला हिट छिड़का, फ़िर गद्दे पर भी हिट छिड़क दिया और बैडरूम का दरवाजा बन्द करके बाहर कमरे में सो गये।

    सुबह उठकर फ़िर देखा तो पता चला कि खटमलों को कुछ भी नहीं हुआ तो सभी गिलाफ़ों और चादर को वाशिंग मशीन में डालकर धो डाला तो खटमलों की फ़ौज का खात्मा हो चुका था। फ़िर गद्दे की तलाशी ली गई तो कुछ अण्डे दिखे तो वो पेंचकस से रगड़ कर खत्म कर दिये।

    अच्छी खासी मेहनत मशक्कत करवा दी खटमल महाराज ने, फ़िर गूगल पर ढूँढ़ा कि कोई घरेलू इलाज मिल जाये परंतु पता चला कि ये लाईलाज है, वैसे इनसे कोई नुक्सान नहीं है, परंतु सोते समय पूरे शरीर पर रेंगते रहते हैं और काटते रहते हैं, सात दिन में कम से कम इनको खून का भोजन चाहिये, खटमल की औसत उम्र ३०० दिन होती है और एक बार में खटमल ५० अण्डे देते हैं, और इनकी फ़ौज इतनी जल्दी तैयार होती है, कि इंसान को सोचने तक का मौका न मिले। तभी एक ब्लॉग पर भी नजर गई थी, उसमें बताया गया था कि मंदसौर के पास भानपुरा के पास किसी गाँव में एक जड़ी बूटी है, जिसको घर में लटकाने से  सात दिन में खटमल खत्म हो जाते हैं। एक और खबर पढी थी मुंबई की, कि घर में इतने खटमल हैं कि परिवार कार में सोने को मजबूर है।

    अब घरेलू इलाज को ढूँढ़ रहे हैं, क्यूँकि यह समस्या तो ऐसी है कि अब लगी ही रहेगी, क्यूँकि इमारत में फ़्लेट ज्यादा हैं और ये कमबख्त खटमल कहीं से भी रेंगते हुए आ जाते हैं, और इनकी चलने की गति भी बहुत तेज होती है, दीवार और टाईल्स पर भी बिना किसी मुश्किल के चढ़ लेते हैं।

    खैर फ़िलहाल हिट का असर तो कमरे में दिख रहा है, और खटमल भी नहीं दिख रहे हैं, थोड़ी राहत लग रही है, अब जब बिस्तर पर जायेंगे तभी पता चलेगा कि कितनी राहत है। अगर किसी पाठक के पास इन खटमलों को खत्म करने का कोई देसी इलाज हो तो जरूर बतायें, बहुत सारे लोगों का भला होगा।

व्यक्ति के दिमाग का फ़ितूर और कैसे छोटी छोटी चीजें हमारा जीवन हमारी आदत बदल देती हैं ।

    व्यक्ति के दिमाग में अगर कोई बात बैठ जाये तो उसे निकालना बहुत ही मुश्किल होती है, और हमें वह बात पता नहीं कहाँ से हर समय याद आ जाती है।

    मसलन थोड़े समय पहले हमने आयुर्वेद की एक किताब में पढ़ा था कि नहाते वक्त सीधे सर पर पानी नहीं डालना चाहिये पहले पैर पर फ़िर धड़ पर और फ़िर अंत में सिर पर पानी डालना चाहिये, इससे शरीर अनुकूल होता जाता है और बीमारियों से बचाव भी होता है। और कुछ हुआ हो या ना हुआ हो, आज तक वही याद रहता है और उसी तरह से नहा रहे हैं व कभी अगर गलती से भी गलती करने की कोशिश होती है तो फ़ौरन सुधार देते हैं, यह बात पता नहीं दिमाग में हमेशा याद रहती है कि कहीं कोई अनिष्ट ना हो जाये।

    ऐसे ही थोड़े दिन पहले एक ईमेल आया कि अगर बटुआ आप जेब में रखते हैं तो रीढ़ की हड्डी ९० डिग्री से कुछ डिग्री झुक जाती है, क्योंकि एक और बटुआ होने से व्यक्ति एक तरफ़ झुक जाता है, बात तो सही है, पता नहीं कितनी सही और कितनी गलत परंतु हाँ अब बटुआ पीछे से निकल जा चुका है, बटुआ रखने का स्थान बदल दिया गया है।

    अब अगर बटुआ पीछे पैंट की जेब में रखा भी हो तो एकदम से वह ईमेल याद आ जाता है, और अपनी रीढ़ की हड्डी की फ़िक्र में बटुए की जगह बदल देते हैं। हालांकि यह ईमेल खोजा परंतु मिला नहीं अगर कभी मिला तो जरूर पोस्ट पर लगाऊँगा।

    पहले मोबाईल शर्ट की ऊपर की जेब में रखते थे तो सबने मना कर दिया और न्यूज चैनल वालों ने तो हल्ला ही मचा दिया था, बस वह आदत जो छूटी है आज तक छूटी ही है, और अगर कभी गलती से कभी शर्ट में मोबाईल रख भी लिया तो जल्दी से निकाल कर हाथ में ले लेते हैं, नहीं तो ऐसा लगता है कि जिन लोगों ने मना किया था वे सब अपनी आँखें बस मुझ पर ही गड़ाये हुए हैं।

इस तरह की छोटी छोटी चीजें हमारा जीवन हमारी आदत बदल देती हैं।

असफ़ल एटीएम ट्रांजेक्शन पर अगर १२ दिन के अंदर रकम न लौटाये तो बैंकों को ग्राहक को १०० रुपये प्रतिदिन से हर्जाना देना होगा… (On every Failed ATM Transactions delay in reimbursement bank must pay Rs.100 a day penalty)

     शीर्षक देखकर चौंक गये ना ! जी हाँ यह रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने यह परिपत्र २००९ में जारी किया था परंतु बहुत ही कम लोगों को इसके बारे में पता है।

    एटीम असफ़ल ट्रांजेक्शन एटीएम पर कई बार हम रुपये निकालने जाते हैं और कभी कभी रुपये नहीं आते हैं और बैंक खाते में रकम कम हो जाती है, याने के बैंक की किताबों में आपके रुपयों की निकासी दर्ज हो जाती है, फ़िर आप बैंक की हेल्पलाईन पर फ़ोन करके इसकी शिकायत दर्ज करवाते हैं या फ़िर शिकायत पत्र के द्वारा करते हैं या बैंक की शाखा में शिकायत दर्ज करवाते हैं। परंतु कुछ होता नहीं है कई बार तो बैंक सुनते ही नहीं हैं और अपनी मनमर्जी की करते हैं।

    २००९ में रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने बैंको के लिये एक परिपत्र जारी किया थ कि अगर असफ़ल एटीएम ट्रांजेक्शन का निपटान १२ कार्यकारी दिवसों में नहीं किया जाता है तो बैंक को ग्राहक के बिना कहे १०० रुपये प्रतिदिन हर्जाने के रूप में दिना होंगे। परंतु अभी तक कोई बैंक इस बारे में गंभीर नहीं है।

    २ वर्ष पहले जब मैं गहने खरीदने बाजार गया था, तो लगभग २०,००० रुपयों की और जरूरत पड़ी, अब क्रेडिट या डॆबिट कार्ड से ट्रांजेक्शन करने पर २% अतिरिक्त शुल्क उज्जैन में उन दिनों लिया जाता था, क्योंकि बैंक उनसे शुल्क लेता था, अब धीरे धीरे चलन में आ गया है तो अब इतनी दिक्कत नहीं होती है। पहले मैं पास के दो-तीन ए.टी.एम. पर गया तो पता चला कि खराब हैं, और फ़िर जब महाकाल के पास लगे स्टेट बैंक के ए.टी.एम. पर गया तो रुपये निकले नहीं और बैलेन्स कम हो गया (यह हमें बाद में पता चला), खैर फ़िर भी हमने दूसरे ए.टी.एम. से रुपये निकालकर अपनी खरीददारी पूरी करी।

    जब वापिस मुंबई पहुँचे और तो पता चला कि २०,००० रुपये के दो ट्रांजेक्शन दर्ज हैं, हमने तत्काल अपने बैंक के ग्राहक सेवा को फ़ोन किया तो जानकारी मिली की १५ दिन के अंदर आपके रुपये खाते में जमा हो जायेंगे, हमने सात दिन बार फ़िर फ़ोन किया तो कहा गया कि स्टेट बैंक से अभी तक उत्तर नहीं आया है। खैर १० कार्यकारी दिवसों में हमारी रकम हमारे खाते में जमा कर दी गई।

    जब हमने अपने स्तर पर इसकी कार्यप्रणाली की छानबीन की कि आखिर कैसे पता लगाते हैं कि ग्राहक ने सही शिकायत की है या नहीं तो पता चला –

    जब ए.टी.एम. से रुपये निकलते हैं तो कितनी रकम निकाली गई और नोट डिस्पेन्सर से  कितने रुपये के कितने नोट बाहर गये हैं, यह एक अंदर गोपनीय रोल पर प्रिंट होता रहता है और इस तरह की शिकायत में इन रोलों की जाँच की जाती है और फ़िर रुपये वापिस जमा किये जाते हैं, और यह प्रिंट तभी होता है जब कि नोट डिस्पेन्सर से बाहर आते हैं, तो गलती की कोई जगह ही नहीं है। फ़िर जिस बैंक के ए.टी.एम. से ट्रांजेक्शन असफ़ल होता है वह संबंधित बैंक को बताता है कि रुपये नहीं निकले हैं और यह सत्यापित किया जाता है तब आपका बैंक आपके खाते में रूपये जमा करवा देता है, और इसके लिये १२ दिन का समय बहुत होता है।

तो अगली बार अगर आपके साथ ऐसा हो तो हर्जाने को लेना न भूलें।

खरीदने के लिये उकसाते विज्ञापन….

अभी बस हायपरसिटी से घर का एक सप्ताह का नाश्ते और खाने के लिये समान लेकर निकल ही रहा था कि ओलंपस के कुछ लोग खड़े थे, और एक लड़की जो कि बहुत ही उत्तेजक कपड़े पहने हुए थी और उसने रोककर पूछा कि क्या आप ओलंपस के कैमरे से फ़ोटो खींचकर देखना चाहेंगे और दस मिनिट आपको DSLR कैमरा दिया जायेगा और आप चाहे जितनी फ़ोटो ले सकते हैं, और फ़िर ओलंपस की फ़ोटो कांटेस्ट में हिस्सा ले सकते हैं। हमने सोचा चलो इसी बहाने DSLR कैमरे की विशेषताएँ भी देखने को मिल जायेंगी।

कैमरा अच्छा था पर खैर बाद में हमने उसके बारे में पढ़ा तो पाया वह सेमीप्रोफ़ेशनल कैमरा है, ना कि प्रोफ़ेशनल कैमरा पर हाँ इस कैमरे की सबसे अच्छी बात यह थी कि अगर वीडियो बना रहे हैं और बीच में फ़ोटो खींचना है तो जूम करके बीच में फ़ोटो भी ले सकते हैं और वीडियो तो बनता ही रहेगा। खैर हमें केवल एक बात समझ में नहीं आई क्या उत्तेजक कपड़े पहनकर ही कैमरे बेचे जा सकते हैं ?

घर पहुँचे टीवी पर एक विज्ञापन आ रहा था (हम टीवी कम ही देखते हैं, इसलिये विज्ञापन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रहती है), जिसमें एक परिवार को तैयार होते हुए दिखाया जा रहा था और पति अपनी पत्नी और बच्चों से कहता है कि जल्दी चलो फ़िल्म छूट जायेगी, अगर फ़िल्म छूट गई तो तुम्हीं लोगों से पैसे लूँगा। [हा हा कमाये पति और अपनी ही जेब के पैसे वसूँलेंगे पत्नी और बच्चों से ;-)]

तैयार होकर घर के बाहर पहले केवल पति बाहर आता है फ़िर पत्नी और फ़िर एक एक करके तीन बच्चे और फ़िर पति अपने स्कूटर की तरफ़ देखते हैं [हमें लगा कि बजाज स्कूटर का विज्ञापन है, और वापस से बाजार में आ रहा है 🙁 ], पति अपने एक बच्चे के साथ स्कूटर पर जाता है और पत्नी अपने दो बच्चों के साथ ठुमकते हुए पलटती है और कहती है, हम तो ऑटो से जायेंगे तुम्ही जाओ इससे !!

और पंचलाईन आती है “इसीलिये तो बैंक ऑफ़ इंडिया लाये हैं आपके लिये आसान कार लोन”।

अब इस विज्ञापन से विज्ञापनदाता ने एक साथ पूरे परिवार पर निशाना साधा है और फ़िर बच्चों और पत्नी की जिद के आगे पति को नतमस्तक होना ही पड़ता है, इस तरह से उस परिवार के पास कार तो आ जाती है, बैंक का व्यापार भी हो जाता है। परंतु उस परिवार का वित्तीय भविष्य कितना सुरक्षित हो पाता है यह तो वह पति ही जानता है क्योंकि उसे तो भविष्य के लिये वित्तीय प्रबंधन भी करना है। ऐसे विज्ञापन घर में झगड़ा करावाने के लिये बहुत हैं।

पासवर्ड को की-लोगर्स से कैसे बचायें… (How to safe your passwords from Key-Loggers)

पासवर्ड की कड़ी को पढ़ने के लिये यह लेख भी पढ़ें – आसानी से पासवर्ड कैसे बनायें, क्या रखें पासवर्ड (Simple Password!!, How to create Password)

kloggers की-लोगर्स शब्द शायद सबने पहले सुना होगा, की-लोगर्स एक छोटा सा गोपनीय प्रोग्राम होता है जो कि ओपरेटिंग सिस्टम शुरु होते ही अपने आप एक्टिव हो जाता है और वह ना तो ट्रे में दिखता है और ना ही टॉस्क मैनेजर में दिखता है। keyloggers लॉग देखने के लिये उसी प्रोग्राम में गोपनीय की-कॉम्बीनेशन बताना पड़ता है और उन्हीं की (keys) के संयोजन को दबाने पर की-लोगर्स अपने लॉग स्क्रीन दिखाता है। जैसे Ctrl+Shft+k, Shift+Alt+d

की-लोगर्स का उपयोग बहुत सारे लोगों द्वारा किया जाता है और अलग अलग तरीके से इसका उपयोग किया जाता है, जहाँ इसका उपयोग अच्छे कार्यों के लिये भी किया जाता है तो कहीं इसके द्वारा रिकार्ड की गई लॉग्स से दुरुपयोग भी किया जाता है।

जब भी किसी नये कंप्यूटर पर कुछ काम करें, तो सावधानी बरतें कि आप अपने ईमेल एकाऊँट में लॉगिन न करें, अपने बैंक एकाऊँट में लॉगिन न करें। जो भी पासवर्ड आप टाईप करेंगे वह की-लोगर्स में लॉग हो जायेगा और वह व्यक्ति आपकी गोपनीय  जानकारियों के बारे में जान सकता है और नुकसान भी पहुँचा सकता है, फ़िर वह व्यक्तिगत तौर पर हो या वित्तीय तौर पर, पर नुक्सान तो नुक्सान ही होता है।

Virtual Keyboard    की-लॉगर्स से बचने के लिये बैंको के लॉगिन पेज पर वर्चुअल कीबोर्ड रहता है, उसका उपयोग करें।  यहाँ पर आपको दो नये बटन (Keys) मिलेंगे होवरिंग और शफ़ल, इनका भी भरपूर उपयोग करें, कोई भले ही आपकी स्क्रीन पर नजर रखे हुए हो आपके पासवर्ड के लिये परंतु इस तकनीक का उपयोग करने से आप अपने बैंक एकाऊँट का पासवर्ड बचाने में सुरक्षित रहेंगे।

OnScreen Keyboard

वैसे ही विन्डोज में ऑन-स्क्रीन कीबोर्ड का भी उपयोग कर सकते हैं, जो कि आपको Run में OSK (OnScreen Keyboard) कमांड से मिल जाता है।

माऊस के मूवमेंट्स को की-लोगर्स पकड़ नहीं पाते हैं, इसलिये ऊपर बताये गये दोनों की-बोर्ड सुरक्षित हैं।

की-लोगर्स का उपयोग अभिभावक कर सकते हैं, कि उनके बच्चे कौन सी वेबसाईट पर जा रहे हैं, अगर उनके ईमेल का पासवर्ड उन्हें नहीं बता रखा हो तो उन पर नजर रखने के लिये उनके पासवर्ड पाने के लिये भी इसका उपयोग किया जा सकता है।

आसानी से पासवर्ड कैसे बनायें, क्या रखें पासवर्ड (Simple Password!!, How to create Password)

पासवर्ड १     पासवर्ड Password आज कंप्यूटर की दुनिया में सुरक्षा का पर्याय है और यह एक ऐसे अनदेखे ताले की चाबी  है जो कि बिना शब्दों के जाल के नहीं खुल सकता है, अगर यह कूटशब्द किसी को पता चल जाये तो पता नहीं क्या क्या हो जाये। बैंकों में बड़ी बड़ी डकैतियाँ हो जायें, निजी डाटा चोरी हो जाये और भी बहुत कुछ हो सकता है। हमें पता होना चाहिये कि पासवर्ड कैसे बनायें।

    सभी लोग कंप्यूटर का उपयोग करते हैं, और वर्षों से कर रहे हैं, परंतु कभी आपने अपने  पासवर्ड पर ध्यान दिया है, यह पता होना जितना उपयोगी है उतना ही लोगों को आलस्य वाला कार्य लगता है। हम तो पासवर्ड बिल्कुल साधारण रखते हैं जिससे याद करने में भी आसानी हो और पासवर्ड अंकन करने में भी और वैसे भी कौन हमारे पासवर्ड को तोड़ना चाहेगा, हमारे पासवर्ड को तोड़ भी लिया तो क्या होगा वगैरह वगैरह।

    अगर ऊपर कहीं गईं बातें, लगे कि यह तो हमारे लिये कहा जा रहा है तो आपको तुरंत पासवर्ड बदलने की जरुरत है।

     साधारणतया: पासवर्ड क्या रखा जाता है, माता,पिता,पत्नी,पति,बच्चे का पासवर्ड ३नाम, घर के पालतू पशुओं के नाम, गाड़ी का ब्रांड या नंबर, मोबाईल नंबर फ़ोन नंबर, ईष्ट देवता देवी का नाम या पसंदीदा अभिनेता अभिनेत्री का नाम। यह सारे शब्द और नंबर ऐसे हैं जो कि हमें याद नहीं रखना पड़ते हैं, और यह हमारे जहन में हमेशा रहते हैं, तो मानव मन हमेशा ऐसे ही शब्दों से पासवर्ड बनाता है। ऐसे पासवर्डों को तोड़ना बहुत मुश्किल नहीं होता और उनके लिये तो बिल्कुल भी नहीं जो कि आपके करीबी हैं, और एक बात बता दूँ कि करीबी लोग ही सबसे ज्यादा पासवर्ड चुराने की कोशिश करते हैं, और आपकी निजी गोपनीय जानकारी को पढ़ना चाहते हैं, उसमें वे एक अलग ही तरह का आनंद महसूस करते हैं।

फ़िर पासवर्ड कैसे बनाया जाये ?

    एक अच्छा पासवर्ड कम से कम आठ 8 अक्षरों का होना चाहिये जिसमें नंबर, कैपिटल लैटर और स्पेशल अक्षरों को शामिल करना चाहिये। अगर नाम पासवर्ड में हैं तो देखिये कि कौन से अक्षर को आप स्पेशल अक्षर में बदल सकते हैं या नंबर में बदल सकते हैं, अगर नहीं हो रहा है तो पासवर्ड के पहले या आखिरी में जन्मदिन की तारीख और शिफ़्ट के साथ उसी तारीख का स्पेशल अक्षर को भी पासवर्ड में इस्तेमाल कर सकते हैं।

पासवर्ड जितना जटिल होगा उतना ही सुरक्षित होगा।

उदाहरण देखिये –

शब्द जिसका पासवर्ड बनाना है पासवर्ड
Vivek v!V9k
Praveen Pr@v99n
Abhishek @6h!sh9k
Om Namah Shivay (Zero)0Mn@m@hsh!v@7
Bangalore b@n8@l0(Zero)r9

    इस प्रकार साधारण शब्दों से भी जटिल पासवर्ड बना सकते हैं, और एक बार आप इस प्रकार के पासवर्ड का उपयोग करना शुरु करेंगे तो फ़िर यह धीरे धीरे आपको आसान लगने लगेगा।

पासवर्ड के बारे और जानकारी आगे की पोस्ट में पढ़ियेगा –

पासवर्ड को की-लोगर्स से कैसे बचायें… (How to safe your passwords from Key-Loggers)

पायलट के बराबर का लेवल करना बहुत जरूरी है.. (Level Should be equivalent … Pilot)

  मदिरा  बीते दिनों में हमारे एक मित्र मुंबई से बैंगलोर आये, वे मुंबई के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से अंतर्देशीय हवाई अड्डे की और ऑटो से आ रहे थे, तो बीच में ही उनकी मदिरा पीने की इच्छा  जोर मारने लगी, और एक बोतल व्हिस्की की निपटा दी और फ़िर चले मुंबई से बैंगलोर की अंतर्देशीय उड़ान के लिये वापिस ऑटो से अंतर्देशीय हवाई अड्डे की ओर।

    जब वे मदिरापान कर रहे थे तो उन्होंने हमें फ़ुनियाया कि अभी हम मदिरालय में बैठे हैं और उड़ाने वाले पायलट की बराबरी कर रहे हैं, कि हम दोनों का लेवल बराबर रहे, मतलब कि हमारे दोस्त का और पायलट का । हमें ज्यादा सूझा नहीं।

    जब यहाँ बैंगलोर पहुँचे, तो हमने पूछा ये लेवल बराबर रहेगा “इसका क्या मतलब है ?”, मित्र बोले देखो भई हम जिंदगी में पहली बार हवाई जहाज में बैठे हैं और सुना है, पढ़ा है कि जैसेप्लेन लोग कार “पीकर” चलाते हैं, वैसे ही ये पायलट “पीकर” उड़ाते हैं, अरे रोड पर तो पुलिस वाले झट से पकड़ लेते हैं, पर हवा में इनको पकड़ने वाला कोई नहीं है। इसलिये अपन भी “पीकर” टुन्न हैं और पायलट भी, अगर कुछ होगा भी तो अपना और पायलट का लेवल बराबर रहेगा, जैसे न उसको डर लगता है “उड़ाने” से वैसे ही हमको भी “उड़ने” से डर नहीं लगेगा।

    हम अपने मित्र को साष्टांग दंडवत प्रणाम किया और हम बोले “प्रभू !! यह इलाज तो उन सभी यात्रियों को बताना पड़ेगा जो कि पियक्कड़ी हवाई कंपनी में बैठते हैं”, जय हो !!