कल केड़ियानॉमिक्स वाले सुशील केड़िया जी को ट्विटर स्पेस पर सुन रहा था।
एक बहुत बढ़िया बात बताई, कि स्टॉक मार्केट में सब पैसा बनाने ही आते हैं पर उनका आत्मबल और पारिवारिक प्रेम इतना कम होता ही कि वे हमेशा घाटा ही खाते हैं। फिर कहते हैं कि अपने तो भाग्य में ही नहीं था।
टेक्निक की अपनी एक जगह है, और जो अनुशासन से अपनी टेक्नीक फॉलो करेगा, वो कभी पारिवारिक जीवन में भी गलत नहीं करेगा। हाँ यह अलग बात है कि एक टेक्नीक हर किसी के लिये काम नहीं करती, सबका मगज अलग अलग है, तो सबकी समझने की, निर्णय लेने की क्षमता भी अलग अलग है।
कहा जाता है कि बड़ा पैसा भाग्य वालों का बनता है, मैं भी इसी में विश्वास करता हूँ, जब आप पैसा कमाते हो, तो जो भी लोग उस पैसे का भोग करने वाले हैं, उनके प्रति आपका प्यार अनुराग कैसा है, उनके कर्म कैसे हैं, इन सब चीजों का अपना एक महत्व है और इस प्यार अनुराग से ही बड़ा पैसा बनता है।हम भले पैसा ज्यादा नहीं कमा सकते, परंतु अच्छा व्यवहार, प्यार, अनुराग ओर अच्छे कर्म करने से तो हमें कोई रोक नहीं सकता।
तो सबसे पहले अपने आपको अच्छा इंसान बनाइये। क्योंकि पैसा आता है बहुत सारी जिम्मेदारियों को भी साथ लाता है।यह सब छोटी छोटी बातें हैं, जिन्हें समझना सोचना शायद बहुत कठिन हो, क्योंकि इसमें कोई टेक्नीक नहीं लगती। इसमें अपना दिल साफ और निस्वार्थ भाव होना चाहिये।
अब मानना न मानना अपने अपने ऊपर निर्भर करता है। बस समस्या यही है कि कोई भी इस बात को मानना ही नहीं चाहता। कोई अच्छा बनना ही नहीं चाहता, कोई अपने मन को शांत रखना ही नहीं चाहता, सभी अपने आपको, अपने मन को हमेशा ही व्यस्त रखना चाहते हैं।
कोई भी कंपनी हो, हम हमेशा केवल price देखते हैं, कि price ऊपर जा रहा है या नीचे जा रहा है। हम कंपनी के बारे में कुछ जानने की कोशिश नहीं करते हैं। किसी भी स्टॉक को देखने के लिये Monthly, Weekly & Daily टाईमफ्रेम में सपोर्ट रेसिस्टेंस, ट्रेंड देखते हैं।
The master has failed more times, than the beginner has even tried.
हम लोग (Traders) निर्णय लेने के व्यवसाय में हैं, मतलब कि हमें रोज ही Buy ही Sell के लिये decision लेना होते हैं। Decision हमेशा ही सही नहीं हो सकते, परंतु अगर हम descpline follow करते हैं, किसी एक टेक्नीक को फॉलो करते हैं तो हमारे decision सही होने के chance ज्यादा हो जाते हैं, और गलत होने की probability कम हो जाती है।
The movement of the MARKET is the movement MASS Psychology.
किसी भी स्टॉक का Support & Resistance होता ही है।
इस दुनिया में रहने वाले हर प्राणी का एक pattern जरूर होता है। Trader
Charts are maps of collective human behavior.
Nothing gets plotted on a chart until people take action.
The art of Technical Analysis, is to identify a trend reversal at a relatively early stage and ride that trend, until the weight of the evidence shows or proves that the trend has reversed.
The farther back you can look, the farther forward you are likely to see. – Winston Churchill
इसलिये हमेशा हम किसी भी स्टॉक के price action को देखने के लिये historical data देखते हैं, हर स्टॉक का अपना अपना moving average, pattern होता है। अगर उस स्टॉक में काम करना है तो हमें उसे समझना जरूरी है। पर कोई तो ऐसा moving average होता ही होगा, जो हर स्टॉक के लिये काम करता ही होगा।
The index has corrected in every 2 year from the top.
These corrections are categorized –
11-17%
25-35%
40-60%
Historically, these corrections 13 to 21 months duration.
पिछले 20 वर्षों का data बताता है –
अक्टूबर नवंबर दिसंबर बाजार के लिये बढ़िया रहते हैं।
जनवरी, फरवरी, मार्च हमेशा ही bearish रहता है।
जब भी बाजार correct होता है तब वह उतनी ही तेजी से अपना high बनाता है।
जैसे कि मार्च 2020 – अक्टूबर 2020 के दौरान 39.57% correction हुआ था, परंतु केवल 18 महीनों में ही निफ्टी 147.69% बढ़ चुका था।
Rule of the Game –
Buy the strength and Exit the weakness
The stronger stocks always lead the market and forms new highs.
अगर benchmark स्टॉक 1% बढ़ता है तो Index 3-5% बढ़ता है, यह नियम 70% स्टॉक follow करते हैं। वहीं अगर Index 5% गिरता है तो benchmark स्टॉक 10% तक गिर जाते हैं।
Identify the stock which never made a lower low (1 low is ok) on a monthly chart / weekly for short term.
Every time, buy a stock only at life time highs.
कभी बाजार में आप अपना पैसा नहीं loss करेंगे You never lost money in market.
Exit –
जब भी स्टॉक अपने पिछले weekly average से नीचे आये तो partially profit बुक कर लें।
पिछले monthly average से नीचे आये तो 100% exit कर लें।
अगर अपने top से 5-8% correct होता है तो exit कर लें।
Intraday or Short term Exit Rules
Exit is Stop loss – You are a professional trader
Trailing Stop loss (Small or Big profit)
Booking profit at Target – You are GOD.
You buy high sell higher, you will never loose the money in market.
Stage 2 – Markup (Where retailers get in) – Termination
Stage 3 – Distribution – Holding
Stage 4 – Mark Down – Break Out – Consolidation / Pull Back – Continuation
हमेशा कोशिश करना है कि हम Stage 2 में ऐसे स्टॉक में Entry करें।
Step one –
Identify 3 most popular patterns –
Flat Base
Cup with handle or without handle
Double Bottom
When a market is in sideways (At high) or in a Downtrend – (Where to buy)
Fall at least 60% from the top – If 70-80% then very good to invest.
Longer the Base sharper the move – If consolidating for 6-9 months then move very sharp for up side.
Low Volume
Oscillates around 40/30 week average, several months.
Price makes higher low
Before the breakout 40/30 WMA truns up.
Tata Motors as an example corrected till 90% then see the move in 20 weeks.
Deepak Niterate –
Step Two –
A Breakout
Look for volume confirmation
Above – Average Volume (40-50%)
Better Relative Strength (RS) 60
Ashok Leyland
Atul – Moving Higher & Higher
Aarti Drugs
Step Three –
Post Breakout
Failed Breakout / below the Breakout level
Breakout Retest / Run Up
Buy at 1-5% above the Breakout level
BalkrisInd
Step Four –
The Run up
Sharp Run Up – Longer the base / consolidation.
50DMA / 10WMA, below the price (Exit)
Stronger Stocks always above this line.
A dip below this line with lower volume ignore. (Some big distribution is happening)
NavineFlour
Step Five –
The Toping
Slicing the 50DMA / 10WMA
50DMA / 10WMA with volume / distribution day.
7-8% from the top
Partial exit @25% gains, if closes above then previous month then exit fully.
अगर 50 DMA से नीचे आ जाता है तो इसका मतलब होता है कि अब correction stage में हैं।
The Setup – (Interaday / Positional) Moving Average Ribbon
Use 3 same period averages
Use 34 EMA of close
Use 34 EMA of high
Use 34 EMA of LOW
On bottom – Apply MACD line only.
जब भी आपको अपने ऐसे स्टॉक में 25% का profit हो रहा हो तो, अपना profit निकाल लें और वह profit ऐसे किसी और स्टॉक में invest कर दें। इस प्रकार से long term का portfolio बना पायेंगे।
निफ्टी नीचे जा रहा है तो इसका मतलब यह नहीं कि सारे स्टॉक्स भी उसके साथ correct होंगे, 30% स्टॉक्स हमेशा benchmark के opposite काम करेंगे।
Target निकालने के लिये Fibonacci retracements का उपयोग करें।
Swift से रशिया को हटाना कोई नई बात नहीं, यह 2014 में क्रीमिया के समय भी हुआ था, और मॉस्को को हमेशा से यह अंदेशा था। Swift पेमेंट सिस्टम नहीं है, यह एक प्रकार से बैंकिंग कम्युनिकेशन की अंतर्राष्ट्रीय भाषा है, जो कि विभिन्न देशों के बैंक आपस में उपयोग करते हैं। कानूनन यह केवल बैंकिंग इन्फॉर्मेशन एक्सचेंज के ट्रांसमिशन सिस्टम को कंट्रोल करती है। Swift ब्रुसेल्स में है और G-10 सेंट्रल बैंकों द्वारा नियंत्रित होते हैं या देखे जाते हैं।
डॉक्यूमेंट Swift से भेजे जाते हैं, वे xml file format में होते हैं, जो कि सुविधाजनक होते हैं और पढ़ने में आसान होते हैं। Swift को हटाने के लिये 2014 में सेंट्रल बैंक ऑफ रशिया ने खुद का मेसेजिंग सिस्टम तैयार किया System for Transfer of Financial Message (SPFS).
तो अब असली प्रश्न – अगर किसी देश को Swift network से हटा दें तो क्या होगा?
वित्तीय लेनदेन और पेमेंट्स होंगे, पर थोड़ी देरी के साथ delayed. परंतु बैंकों को मैसेज नहीं मिलेंगे और उनसे संबंधित जानकारी मतलब अंतर्राष्ट्रीय भुगतान किसने या किसे भेजा, पता नहीं चलेगा। तो इस समस्या से निपटने के लिये विदेशी बैंक व संस्थान जो कि रशिया बैंकों से व्यापार करना चाहते हैं वे SPFS ज्वाइन कर लेंगे। यहाँ एक बात और कि swift एक कमर्शियल प्रोडक्ट है और यहाँ व्यापार ही प्रथमिकता है और इसमें जो पार्टिसिपेंट होते हैं उनका उद्देश्य व्यावसायिक हितों की रक्षा करना होता है न कि राजनीतिक उद्देश्यों के हितों की।
अगर किसी कारणवश SPFS काम न कर पाया तो, चीन ने खुद का मैसेजिंग सिस्टम CIPS (Chinese Interbank Payment System) बना रखा है, तो CIPS alternate है।और CIPS यूरेशिया के रीजन में Swift के alternate काम कर ही रहा है।
इसी तरह 2018 में अमेरिका के ईरान पर प्रतिबंधों के चलते EU ने INSTEX (Instrument for supporting Trade Exchange) Swift का alternative बनाया, जिससे ईरान से ट्रेड हो सके। इसका मतलब यह है कि ट्रेड और पेमेंट्स Swift के बिना भी हो सकते हैं।
अब असली खतरा क्या है? रशिया की हालत केवल सबसे ज्यादा तभी खराब होगी, जब सारे विदेशी बैंक रशियन बैंकों के सारे विदेशी मुद्रा खाते ब्लॉक कर दें, जैसा कि ईरान के साथ हुआ था।
तो इससे रशिया कैसे निपटेगा?सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी या डिजिटल रूबल (क्रिप्टोकरन्सी) से सेंट्रल बैंक अपनी मुद्रा बिना किसी कोरोस्पॉन्डेन्ट बैंकिंग या मेसेजिंग सिस्टम नेटवर्क के बिना भी आपस में मूव कर सकते हैं।
इससे डॉलर के वैश्विक प्रभुत्व को ज्यादा नुकसान होगा।
2021 में डिजिटल रूबल का प्रोटोटाइप रशिया ने तैयार कर लिया था, और इस वर्ष क्रीमिया में भी पायलट लांच की तैयारी है। एक बार सेंट्रल बैंक ऑफ डिजिटल करंसी (CDBC) रशिया में पूर्ण तरीके से शुरू हो जायेगी, तो Swift की जरूरत ही नहीं रह जायेगी।
तो यह समझ लीजिये की पुतिन जो भी कर रहे हैं, वो जानते हैं कि क्या कर रहे हैं और उसकी पूरी तैयारी करी हुई है।
नववर्ष पर पहली ब्लॉग पोस्ट है, सोचा तो था कि जल्दी पोस्ट करेंगे, परंतु लगातार व्यस्तता के चलते यह रह ही गया। नववर्ष पर किताबें पढ़ने का प्रण लिया है, तो अभी तक हम नववर्ष में १० किताबें पढ़ चुके हैं –
नाम हैं –
Trading Nifty and BankNifty Options
टोपी शुक्ला
राहुल सांकृत्यायन विविध प्रसंग
Mastering Options Short Strangles Trading
How to find a Jackpot call in Option
More profit from Nifty options
Nifty BankNifty Interaday Options Buying Single Successful Strategy
Trend Trading with Nifty & Bank Nifty
The Secret of Trading Bank Nifty Future
Secret No Loss BankNifty Options Strategy
कुछ पॉडकास्ट भी सुने जिसमें सबसे बेहतरीन लगे 2 जो कि पढ़ाकू नितिन पॉडकास्ट से हैं
किताबों के सैकडों पन्नों से अपने काम की चीज कैसे निकाली जाये – Episode 22
बादशाहों के दरबार से निकली ‘किस्सागोई’ की दिलचस्प कहानी – Episode 20
आप ये गूगल करके सुन सकते हैं, किताबें हमने अमेजन किंडल पर पढ़ी हैं, व हमारे पास किंडल अनलिमिटेड सब्सक्रिप्शन है, तो आप वहाँ पर भी पढ़ सकते हैं।
आजकल मैं वीकली स्ट्रेटेजी बना रहा हूँ, स्विंग ट्रेडिंग की, देख लीजिये अगर समझ आये तो, नहीं तो कमेंट करके पूछ लीजियेगा –
कई लोगों का मेरे INBOX में हमेशा यही मैसेज रहता है कि क्या टिप है, कुछ शेयर के नाम बता दीजीये, और कम ही लोग यह पूछते हैं कि शेयर बाज़ार को कैसे सीखें, समझें।
टिप पूछने वाले तो खैर अपने पैर पर ख़ुद ही कुल्हाड़ी मार रहे होते हैं, क्योंकि उनको ही नहीं पता है कि वे क्या ख़रीदने वाले हैं अपनी उस रक़म से जो कि उन्होंने दिन रात काम करके, परिवार के समय के साथ समझौता करके, किसी न किसी अपनी इच्छा को मारकर, किसी ऐसे व्यक्ति के कहने पर कहीं भी पैसा लगाने को तैयार रहते हैं जिन्हें वे मार्केट एक्सपर्ट समझते हैं। यहाँ शेयर बाज़ार में ऐसा कोई नहीं जो कि हमेशा ही लाभ में होता हो, सभी को घाटा होता है, यह भी एक व्यापार ही है।
बस हमें अपने लाभ को घाटे से ज़्यादा रखना होता है, तो हम शेयर बाज़ार में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। नहीं तो जो रक़म गाढ़ी कमाई की है उसे बाज़ार में आकर गँवा देंगे। बाज़ार में कोई भी एक्सपर्ट नहीं है, शेयर बाज़ार सर्वोपरि है, भगवान है, कब क्या हो जाये कोई भी प्रिडिक्ट नहीं कर सकता है।
मैं ख़ुद उतने वर्षों से बाज़ार में रहते हुए, सीखने के लिये लालायित रहता हूँ, जो तरकीबें आज से १० साल पहले काम करती थीं, वे अब काम नहीं करती, बाज़ार में काम करने का तरीक़ा, बाज़ार का ट्रेंड बदलता रहता है, और जब सीखेंगे तभी कुछ अच्छा कर पायेंगे।
बाज़ार को सीखने के लिये रोज़ समय देना होता है, मैं आज भी लगभग रोज़ २ घंटे बाज़ार को सीखने के विश्लेषण करने के देता हूँ, तभी आज थोड़ा बहुत सफल हो पाता हूँ। बाज़ार ऐसी जगह है जहाँ सभी तरह के लोग हैं कोई ट्रेडर है तो कोई निवेशक, सबकी अपनी अपनी ज़रूरत और सीखने की अपनी प्रक्रिया होती है। सीखना एक लंबी प्रक्रिया है, फिर उसे प्रेक्टिस करके, बैकटेस्ट करके ही कुछ सफलता हाथ लग सकती है।
अब तो यूट्यूब चैनल हैं सीखने के लिये, मैं अमूमन जब सीखता हूँ, तो मुझे १ घंटे के वीडियो को ख़त्म करने में ही ४ घंटे से ज़्यादा वक़्त लग जाता है, क्योंकि मैं साथ ही प्रैक्टिस भी करता जाता हूँ। शेयर बाज़ार जितना आसान है, उतना ही मुश्किल। बस एक बात अपनी जोखिम क्षमता को ज़रूर परख लें, और शेयर बाज़ार लत है, रोज़ ट्रेड नहीं करने की आदत भी डालनी चाहिये, मार्केट ट्रेंड के साथ कभी कभी ट्रेड करके अपने पैसे को मात्र ४-५ घंटे में १०-११ गुना भी बनाया जा सकता है, बस आपकी स्टडी अच्छी होनी चाहिये, और सबसे बड़ी बात कि अपनी स्टडी पर ख़ुद को ही कॉन्फ़िडेंस होना चाहिये।
शेयर बाज़ार में लोगों का interest जब से lockdown लगा है, तब से कुछ ज्यादा ही हुआ है। इसी कारण से कोई भी ब्रोकर हो उनके यहाँ रिकार्डतोड़ DMAT account खुल रहे हैं। पर समस्या यह है कि लोगों को पैसा बनाने के लिये टिप चाहिये होती है, सीखने वाले न के बराबर हैं। टिप बहुत बुरी बीमारी है, टिप से व्यक्ति को अपनी risk ही पता नहीं रहती। किसी और के कहने पर अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा अंधी दौड़ के लिये लगाता जाता है।
खैर ज़्यादा भाषण नहीं, तो मुख्य बात यह है कि शेयर बाज़ार में रोज़ नई चीजें कैसे सीखें, यहाँ तक कि बुनियादी बातें, Share market terms कैसे जानें। उसके लिये बहुत ही बढ़िया तरीका है कि आप यूट्यूब पर जाकर आपको जो सीखना है वह सीखना शुरू करें, फिर जो terms आपको समझ न आती हों तो उन terms को लिखकर सर्च करें, इस प्रकार कड़ी से कड़ी जोड़कर आप बहुत सी चीजों को सीख सकते हैं।
मुझे शेयर बाज़ार में काम करते हुए 20 वर्ष से ज़्यादा हो गये, पर अब भी बहुत सी नई चीजें उनके बीच के co-relation पता चलते हैं, तो बच्चे जैसा सीखने के लिये मचल जाता हूँ, और फिर पागलों की तरह की वीडियो देखता रहता हूँ, ब्लॉग पढ़ता हूँ, ट्विटर पर ढूँढता हूँ, साथ ही अपनी कॉपी रखता हूँ, और जो भी महत्वपूर्ण बिंदु होते हैं, उन्हें लिखता जाता हूँ, अगर data उपलब्ध होता है तो हाथों हाथ उन सबकी back testing भी कर लेता हूँ, तथा अगले दिन से paper trade में शामिल कर लेता हूँ।
केवल इसी हैबिट के कारण मुझे पिछले एक महीने से इतना फ़ायदा हुआ कि अब एक डील में weekly expiry के दिन लेता हूँ और Friday बाजार बंद होने के पहले या Monday morning में ही मुझे मेरी लगायी मार्जिन रकम का 1.5 – 2% का रिटर्न मिल जाता है, जिसके लिये मुझे बारबार बाजार भी नहीं देखना होता है। मैं अपना ऑफिस के काम में व्यस्त रहता हूँ, बस किसी एक ब्रेक में डील देख लेता हूँ, जब भी मुझे 1.5-2% के आसपास का फायदा होता है, मैं निकल लेता हूँ। महीने का 8% जो कि साल का 96% याने कि लगभग पैसा दोगुना एक साल में हो जायेगा। अभी तक मेरा profit 2% हर सप्ताह के हिसाब से पिछले 3 सप्ताह से हो रहा है, जिसकी पेपर ट्रेडिंग मैंने लगभग 1 महीना की, फिर मुझे confidence आ गया, क्योंकि मैं बहुत सारे ifs and buts जानता था, अगर trade गलत हो गई तो उसके adjustments भी करना जानता हूँ।
आज कुछ नई बातें MACD, Elliot Waves पर सीखीं, back testing भी करी, अब कल से paper trade करेंगे, अगर यह समझ आ गया तो बस मजा ही आ जायेगा।
शेयर बाज़ार जुआँ सट्टा नहीं है, बहुत सी चीजें technicals पर चलती हैं, बहुत सी नहीं, इसलिये सीखना बहुत है, मेरा तो यही मानना है कि शेयर बाज़ार में आकर मुनाफ़ा कमाना दूर की बात है, पहले आप जो पैसा बाज़ार में लगाने के लिये लाये हैं, पहले उसे बचाना सीख लें, अगर वह सीख लिया तो profit तो झक मारकर आयेगा।
कल कन्नड़ अभिनेता पुनीत राजकुमार की ह्रदयाघात से मृत्यु हो गई, उनकी उम्र केवल 46 वर्ष थी, मतलब कि बिल्कुल मेरी उम्र के थे। हालाँकि मैंने शायद उनकी एक ही फ़िल्म देखी थी, उनके भाई शिवा राजकुमार के साथ हमने बेटेलाल की एक फ़ोटो बैंगलोर एयरपोर्ट पर ली थी। कन्नड़ फ़िल्में न देखने के कारण हमें बहुत ज़्यादा कुछ पता नहीं हैं, परंतु एक बात देखी है कि दक्षिण भारत में अपने नेताओं के लिये ज़बरदस्त प्यार देखने को मिलता है, जिसकी मिसाल इसी बात से है कि कई अभिनेताओं व अभिनेत्रियों को राजगद्दी पर वर्षों तक बैठाये रखा।
कल जब बैंगलोर के फेसुबक पेज पर जहाँ कि पुनीत राजकुमार के बारे में जानकारी दी जा रही थी वहीँ कमेंट पढ़ रहा था, कई लोगों ने कमेंट में लिखा था कि वैक्सीन के बाद के साइड इफ़ेक्ट हैं, और वैक्सीन के बाद बहुत सी गंभीर बीमारियों का लोगों को सामना करना पड़ रहा है।वहीं मेरा मत भी यही है कि वैक्सीन लगने के बाद मेरे अपने ही कई परिचितों को मैंने खोया, इससे मैं कई दिनों तक टूटा रहा। वैक्सीन के इन साइड इफेक्टों की सरकार को या किसी स्वतंत्र एजेंसी को जाँच करनी चाहिये।
कल शाम को बाज़ार गये थे, तो वहाँ चौक पर पुनीत राजकुमार की फ़ोटो और कर्नाटक का झंडा शोक स्वरूप झुका रखा था। बैंगलोर में लगभग हर क्षैत्र में किसी एक चौक पर इवेंट के लिये जगह है, जहाँ लोकल लोग इकठ्ठे होकर कन्नड़ त्योहार मनाते हैं। वहीं आसपास अच्छे से सजाया भी जाता है। अब दो दिन बाद १ नवंबर को कर्नाटक राज्योत्सव है, जिसकी लगभग हर कंपनी में छुट्टी होती है उस दिन हर चौक पर सजाया जाता है, ऑटो टैक्सी पर फूलों की मालायें व उन पर कर्नाटक राज्य का झंडा लगाकर रैली भी निकालते हैं, साथ ही दिनभर ऐसे ही घूमते हैं। हमें भी अच्छा लगता है, क्योंकि इस तरह से त्योहारों को जब आनंददायक बनाया जायेगा, तब ही लोग इस तरह के इवेंट से जुड़ेंगे।
पुनीत राजकुमार की इस असामयिक मृत्यु पर हमें भी बहुत दुख हुआ, वे बहुत से ऐसे सामाजिक कार्यों में मदद करते थे, कई जगह चंदा देते थे, उनकी मदद से कई लोगों के जीवन चल रहे थे, वे अब अपने आपको अनाथ मान रहे हैं।
ज़िंदगी कितनी भी हो, छोटी या बड़ी बस उसका इंपेक्ट लोगों पर लंबे समय तक रहना चाहिये, वह भी अच्छे स्वरूप में, ऐसी कोशिश हर किसी को करनी चाहिये।
मन में हमेशा ही ऐसा कुछ चलता रहता है कि वैसे भी किसी के होने या न होने का बहुत ज़्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ता, बस जब तक कोई हमारे आसपास है, तब तक सब ठीक है, परंतु जब वह व्यक्ति हमारे जीवन में नहीं है तो हम उसके बिना रहना सीख लेते हैं। धीरे धीरे हमें आदत पड़ जाती है, और दरअसल होता भी इसलिये है कि जब तक वह व्यक्ति हमारे आसपास रहता है, हमें उसकी अहमियत पता नहीं होती, न ही उस व्यक्ति का महत्व पता लगता है। परंतु अचानक ही अगर वह व्यक्ति हमेशा के लिये हमारे से दूर हो जाये तो बहुत तकलीफ़ होती है, क्योंकि तब हमें अचानक ही लगता है, कि अब बहुत से कार्य जो बन जाते थे, वे अब बहुत मुश्किल होंगे। साथ रहने से हमारे मन में जुड़ाव तो रहता ही है।
कई बार सोचता हूँ कि अगर मान लो कि दुनिया ही ख़त्म हो गई तो क्या होगा, और ख़ासकर तब क्या होगा जब सब ख़त्म हो जायें और कोई 1-2 लोग ही इस पृथ्वी पर जीवित बचें, तो वे लोग कैसे अपना भरण पोषण करेंगे, क्योंकि इस धरती पर जो कुछ था, सब कुछ ख़त्म, याने कि बिजली, इंटरनेट, घर कुछ भी नहीं। जरा दो मिनिट सोचकर देखिये जहाँ आप अभी यह पोस्ट पढ़ रहे हैं, तो या तो आप सोफ़े पर हैं, या बिस्तर पर या कहीं बैठे हुए हैं, कुल मिलाकर मतलब आराम में हैं, वहीं एकदम से आप कहीं जंगल या पहाड़ या मैदान में अकेले हैं, दूर दूर तक दुनिया में कोई नहीं है। तब कैसे अपने महत्वपूर्ण कार्य भी कर पायेंगे।
आग कैसे लगायेंगे, खाना कैसे बनायेंगे, पॉटी कहाँ जायेंगे, कैसे नहायेंगे, न आपको पास गूगल होगा ढूँढने के लिये न यूट्यूब होगा वीडियो देखकर सीखने के लिये, न कोई कार होगी कहीं जाने के लिये, न कोई रेस्टोरेंट होगा। यह दुनिया अचानक ही भयावह लगने लगेगी, आपको बस ऐसा लगेगा कि यह दुःस्वप्न जितना जल्दी ख़त्म हो, उतना अच्छा है, बस सोचकर देखिये और बस अपने रोंगटे न खड़े होने दें।
जीवन बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिये हर चीज, हर व्यक्ति को सम्मान दें, भले आपको चीजें पसंद हो या नापसंद परंतु आपके कहना का ढंग सलीके भरा होना चाहिये। कई मुश्किल बातें केवल अपने व्यवहार के कारण बहुत ही आसान हो जाती हैं। यह सोचकर इस धरती पर न रहें, कि आप अहसान कर रहे हैं, बल्कि यह धरती आप पर अहसान कर रही है, ऐसा सोचेंगे तो यह आपके फ़ायदे के लिये ही होगा।
मूल स्वभाव का निर्माण कैसे होता है और कब तक होता है? क्या हमारे स्वभाव के निर्माण में दूसरे लोगों का भी प्रभाव होता है? माता पिता परिवार और परिवेश हमारे स्वभाव के लिए कुछ उत्तरदायी होते है? ये प्रश्न पढ़ने के बाद पैदा हुए सो उनुत्तरित रह गये । फिर कभी इनपर भी प्रकाश डालिएगा। धन्यवाद ।
मैं इतना तो विद्वान नहीं और न ही इतनी समझ परंतु फिर भी हमने जो आज तक पढ़ा, लिखा, देखा, सुना उसके आधार पर कुछ बातें रख सकते हैं –
मूल स्वभाव वस्तुतः हमारे सामाजिक परिवेश से बनता है, वैसे यह कहना भी ग़लत है कि सामाजिक परिवेश से बनता है क्योंकि जिनका परिवेश अच्छा होता है उनका भी मूल स्वभाव कई बार देखने में आता है कि क्रोध वाला या ख़राब आदतों वाला होता है। सामाजिक परिवेश से व्यक्ति केवल आचार विचार, रहन सहन के तौर तरीक़े सीखता है, भले सामाजिक परिवेश बढ़िया हो, परंतु जिस चीज या आदतों को उससे छुपाकर रखा जाता है वह अंततः कहीं न कहीं व्यक्ति explore कर ही लेता है।
स्वभाव के निर्माण में बहुत हद तक हमारे परिवार याने कि जो हमेशा ही साथ रहते हैं, मतलब माता पिता भाई बहन या कोई और रिश्ता हो, ज़िम्मेदार होते हैं, किसी को ज़्यादा प्यार मिलने से वह उद्दंड हो जाता है, वहीं अगर किसी एक बच्चे को वो सब न मिले जो घर के अन्य बच्चों को मिल रहा हो, याने कि उपेक्षित हो, तो उसका मूल स्वभाव अलग तरह से बनेगा, यहाँ किसी की त्रुटि नहीं है, वरन यह मानवीय स्वभाव है, हम किसी को पसंद ओर किसी को नापसंद करते हैं। परंतु इससे जो चीजें हमारे अंदर विकसित होती हैं, वे धीरे धीरे ढलती जाती हैं, जिससे वह हमारे मूल स्वभाव में आ जाता है।
एक उदाहरण से समझने की कोशिश करें कि अगर किसी व्यक्ति को हम हमेशा ही उपेक्षित करें, ढंग से बात न करें, उस पर हमेशा ही हर कोई क्रोध करता रहे तो उसका मूल स्वभाव या तो बहुत उग्र होगा, जिससे वह अपने को बचा सके, दरअसल वह अपने बचाव के लिये ढाल बनायेगा, तब दुनिया उसे बदतमीज़ या उद्दंड कहेगी। वहीं अगर वह विपरीत दूसरे स्वभाव को अपना ले, कि चुपचाप लोगों की बातें सुन ले, हमेशा सिर झुकाकर सारी बातें सुन ले, और सोच ले कि उसकी क़िस्मत में यही है कि लोग उसे सुनायेंगे, तो उसका मूल स्वभाव ही हमेशा ही दब्बू वाला रहेगा। वह किसी भी बात का विरोध नहीं करेगा।
बस यही जरा सी बात हमें जुदा करती है, मूल स्वभाव को समझना बेहद दुश्कर कार्य है, पर मुझे लगता है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने मूल स्वभाव के लिये ख़ुद ज़िम्मेदार होता है, कोई किसी को मूल स्वभाव बना नहीं सकता है, सबको अपना भला बुरा समझ आता है। यह अलग बात है कि किसी को भला भी बुरा लगता है और किसी को बुरा भी भला लगता है। कहीं न कहीं कोई बहुत ही महीन रेखा इस छोटी सी बात को बहुत बड़ी बनाती है। हम हमेशा ही किसी न किसी से कोई न कोई चीज सीखाकर अपने अंदर वह पनपने देते हैं, भले वह आदत हो या कुछ और, भले वह बुरी बात हो या अच्छी। बस हमें अच्छी लगनी चाहिये।
परेशानी ऐसी चीज है, अगर किसी समस्या को बड़ी मानोगे तो बड़ी होगी, छोटी मानोगे तो छोटी, और न मानोगे तो न होगी। बस यह हमारा दिमाग़ है जो किसी भी कठिनाई को समस्या मान लेता है और फिर उस समस्या का समाधान न मिलने पर उसे परेशानी का नाम देकर अपने दिमाग़ में चिंता रूपी कीड़ा पाल लेता है। फिर वह कीड़ा दिन रात दिमाग़ में घूमता रहता है और बिना किसी बात के वह छोटी सी कठिनाई जो लगती है, पर दरअसल कई बार होती भी नहीं है, कीड़ा दिमाग़ में अपना भौकाल बनाये रखता है।
हमें वह कीड़ा उस कठिनाई से निपटने के लिये कोई समाधान न सुझाता है, परंतु उसकी जगह हमें वह कीड़ा नकारात्मक विचार हमारे ज़हन में भर देता है, कि अगर ऐसा हो गया तो, वैसा हो जायेगा, फिर वैसा और फ़लां को पता चल गया तो बस हो गया काम। इस तरह से हम अपनी कोई छोटी सी कठिनाई को पहले समस्या फिर परेशानी बना लेते हैं। कई बार हम अगर किसी बात को इग्नोर कर दें तो बहुत सी बातें कठिनाई नहीं बनतीं, जब कठिनाई नहीं होगी तो न समस्या होगी न परेशानी होगी।
कई कठिनाइयाँ समय के साथ अपने आप ही लुप्त हो जाती हैं और कई समय के साथ बढ़ती हैं, तो हमें पहले कठिनाई का प्रकार समझकर विश्लेषण कर लेना चाहिये, वह भी साफ़ मन व दिमाग़ से, पहली बात तो यह कि कठिनाई को कठिनाई न मानें, जीवन है तो कठिन तो होगा ही, कठिन होगा तो समस्या व परेशानी भी आनी ही हैं। इसलिये बेहतर है कि अपने दिमाग़ व मन को साफ़ रखें तथा जीवन की सोच को साधारण रखें।
दरअसल 99% समय होता यह है कि हम फ़ालतू की कोई बात दिल या दिमाग़ में धर लेते हैं और ख़ुद ही परेशानी बना लेते हैं। क्यों? क्योंकि हमारा दिमाग़ वाक़ई बहुत फ़ालतू होता है, एक साथ हज़ारों चीजें सोच सकता है और जिस चीज में उसे मज़ा आता है, वही बातें दिमाग़ के कोनों से टकराकर लौटकर वापिस आती है, तो इस फ़ालतू दिमाग़ को सबसे पहले आराम दें, अपने मन को तटस्थ रखें, इसके लिये थोड़ा सा ध्यान लगाकर बहुत जल्दी सफलता पाई जा सकती है। फ़ालतू की चीजों में अपना समय न गँवायें, कुछ अच्छा देखें, कुछ अच्छा पढ़ें, नई चीजें सीखें, देखें, भले न समझ आयें परंतु जब एक बार कुछ करने की इच्छा पर आपने विजय पा लिया तो, आप अपने एक नये रूप को जल्दी ही धरातल पर देखेंगे।