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क्या गजब के चोर हैं जो रुपये नहीं रुपये निकालने की मशीन ही ले उड़े…

 अभी अभी खबर लगी कि जबलपुर में मीरगंज में चोर ए.टी.एम. मशीन ही ले उड़े, अब उन्होंने सोचा होगा कि ये रोज रोज रुपये की चिकचिक से तो ये रुपये निकालने वाली मशीन ही ले जाते हैं बस घर पर बैठकर जितने चाहें उतने रुपये निकालते रहेंगे, पर शायद वे जानते नहीं होंगे कि ए.टी.एम. मशीन में जहाँ रुपये रखे जाते हैं वह बहुत ही सुरक्षित जगह होती है जिसे न आप काट सकते हैं न आग जला सकती है और न ही पासवर्ड और चाबी के बिना खुलता है।
बेचारे अनपढ़ चोर अपना कार्ड डाल कर थक गये होंगे कि रुपये निकल आयें और काम बन जाये। अब चोरी में भी तो अकल लगानी पड़ेगी। शायद सोच रहे हों कि चलो ए.टी.एम. चोर बाजार में बेच देंगे।
अब देखते हैं कि चोर कितने रुपये निकालने में कामयाब होते हैं इस चोरी करे हुए ए.टी.एम. मशीन से।

ये तो हम पतियों के साथ ज्यादती है वहाँ पत्नी मारे मोबाईल से, यहाँ बेलन से….

    अभी अखबार में खबर थी कि प्रसिद्ध गोल्फ़र टाईगर वुड्स को उनकी पत्नी एलीना ने मोबाईल फ़ेंक कर मारा, और वुड़्स का दांत टूट गया। ये तो हम पतियों के साथ बहुत ज्यादती है कि वहाँ पत्नी मारे मोबाईल से और यहाँ बेलन से।

     विवाहेतर संबंध पकड़े जाने के बाद टाईगर वुड्स के ऊपर उनकी पत्नी ने मोबाईल से हमला कर दिया। यहाँ अगर ऐसे संबंध पकड़ में आ जायें तो बेलन, लाठी, कटोरी, चम्मच, थाली, झाड़ू तक से पिटाई की जाती है और वहाँ मोबाईल से, अरे हमारा भी कोई स्तर है या नहीं।

     हम भी तो मोबाईल का हमला सहन कर सकते हैं, वैसे ये सोचने की बात है कि मोबाईल के हमले से दांत टूट गया, कितना मजबूत होगा वो मोबाईल और इतरा रहा होगा कि देखो आज मैंने सारी मोबाईल प्रजाति का नाम रोशन कर दिया। अब पत्नियाँ मोबाईल टेस्टिंग करके खरीदा करेंगी कि इसके फ़ेंकने से क्या क्या हो सकता है। ये तो ब्रह्मास्त्र जैसा कोई अस्त्र बन सकता है। मोबाईल ही फ़ेंक कर मार दो, किसी अस्त्र की जरुरत ही नहीं है।

    इधर बेचारा यहाँ का पति सोच रहा है कि ऐसी हमारी किस्मत कहाँ कि मोबाईल हम पर फ़ेंका जाये और हमारा दांत टूट जाये कि हम भी मुँह छिपाते फ़िरें। हमारा स्तर बेलन और झाड़ू से ऊपर कभी उठ ही नहीं पाया है। कहाँ मोबाईल और कहाँ हम। इतना मजबूत मोबाईल महंगा भी होगा, अब सस्ता वाला तो प्लास्टिक का होगा उसे फ़ेंककर मारा तो मुँह तो नहीं पर मोबाईल जरुर टूट जायेगा। इसके लिये तो मैटल का मोबाईल होना चाहिये, तभी तो वह मजबूत होगा और दांत तोड़ सकता है।

    ऐसा मोबाईल तो बहुत महंगा आता है, अखबारों की सुर्खियों में आने के लिये सस्ता मोबाईल तो हम अफ़ोर्ड कर सकते हैं पर महंगा नहीं। अगर ऐसा हुआ तो महंगे मोबाईल की ही डिमांड होगी तो सरकार अखबारों में इस तरह की खबरें प्रतिबन्धित कर देगी, इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भार आयेगा। क्योंकि फ़िर पति मिलकर अपनी तन्खवाह बड़ाने की मांग करेंगे।

     सब देख लिया सोच लिया पर आखिरकार निष्कर्ष यही है कि यहाँ के पति की किस्मत में केवल बेलन और झाड़ू ही है।

हैकर्स ने गूगल क्रोम बनाकर लांच भी कर दिया और डाउनलोड के लिये भी उपलब्ध है.. (Download Google ChromiumOS Free)

     हैकर्स क्या क्या नहीं कर सकते। गूगल भले ही अपना ऑपरेटिंग सिस्टम गूगल क्रोम बनाने से सालों दूर हो पर हैकर्स ने गूगल क्रोम बनाकर लांच भी कर दिया।  १९ नवंबर २००९ को क्रोमियम ओएस के नाम से पहला बिल्ड आया था जो कि ४ जीबी की जगह लेता था स्थापित होने के लिये पर अब नया बिल्ड आया है जो कि ९५० एमबी की जगह स्थापित होने के लिये लेता है और इसकी स्थापित होने वाली फ़ाईले (Installation File) मात्र ३०० एमबी की है।

गूगल का क्रोम का वर्किंग एडीशन भी डाऊनलोड के लिये उपलब्ध है। यहाँ चटका लगाकर आप डाऊनलोड कर सकते हैं।

    यह एक ओपनसोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है और इसे यूएसबी स्टिक से भी चलाया जा सकता है, यह बूट होने में १० सेकंड से भी कम समय लेता है, गूगल की लगभग सभी सेवाओं के लिये इसमें बटन दिये गये हैं जिससे आप सीधे इन सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं जीमेल, पिकासा और यूट्यूब इसमें कुछ और वेब सेवाओं का भी लिंक दी गई है जैसे कि याहू मेल, हॉटमेल, पनडोरा, फ़ेसबुक और ट्विटर।
    इन लिंकों के अलावा आपको यहाँ मिलेगा एक कैलकुलेटर, एक घड़ी और नेटवर्क दिखाने वाला निशान। अगर आप ऑनलाईन नहीं हैं तो आपको नोटपैड भी उपयोग करने को नहीं मिलेगा अगर कुछ भी लिखकर सुरक्षित करना हो तो।
    सबसे बड़ी बात है कि यह एक फ़्री ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसके लिये आपको न लायसेंस खरीदना पड़ेगा और न ही एन्टीवायरस की जरुरत होगी। और भी बहुत सारे फ़ीचर्स उपलब्ध हैं इस फ़्री ऑपरेटिंग सिस्टम में।

बड़ी फ़ाईलें कैसे भेजें या ज्यादा डाटा नेट पर थोड़े समय तक कैसे सुरक्षित रखें..

      अगर कोई फ़ाईल बहुत बड़ी है जो कि जिप करने के बाद भी ईमेल पर अटैच नहीं कर पाते हैं पर जल्दी ही जरुरी में कहीं भेजनी है, क्योंकि ईमेल पर ज्यादा से ज्यादा १० एम.बी या २० एम.बी. की फ़ाईलें ही भेजी जा सकती हैं।

    इस प्रकार की सर्विसेस देनेवाली बहुत सारी साईटें हैं पर कुछ विश्वसनीय और तेज साईटें हैं जिनका उपयोग किया जा सकता है, इन साईटों पर बिना किसी लोगिन के आप फ़ाईल अपलोड कर सकते हैं और इसकी दो लिंक आपके बताये हुए ईमेल पते पर आ जाती हैं, एक तो डाउनलोड करने के लिये और दूसरी इस फ़ाईल को डिलीट करने के लिये (जब आपका काम हो जाये तो आप इस लिंक से डिलीट कर सकते हैं।) | निम्न साईटों पर बिना लोगिन फ़्री में आप कितना अपलोड कर सकते हैं वो आप देख सकते हैं –

१.मेगाअपलोड   – 100 mb free

२.रेपिडशेयर – 100 mb free

३.बिगअपलोड – 2000 mb

४.वीट्रांसफ़र – 2 gb आपको इसका पार्श्व भी अच्छा लगेगा जो समय समय पर अपने आप बदलता रहता है।

     अपलोड और डाउनलोड आपकी ब्राडबेन्ड की स्पीड पर निर्भर करता है जैसे कि मेरे पास २५६ केबीपीएस से १०० एमबी अपलोड करने में लगभग १ घंटा लगता है। अगर आपके पास इससे कम स्पीड है तो और ज्यादा समय लगेगा व और ज्यादा स्पीड वाला होगा तो कम समय लगेगा।

    पर जहाँ हम अपनी फ़ाईलें अपलोड कर रहे हैं वह भी सुरक्षित जगह होना चाहिये, इसके लिये हम कुछ उपाय कर सकते हैं कि जब फ़ाईल को जिप करें तो उसे एनक्रिप्टेड पासवर्ड से सुरक्षित कर दें। क्योंकि जब आप इन सर्विसेस वाली साईटों पर फ़ाईल अपलोड करेंगे तो ये सर्च इंजिन की नजर में भी आ जाता है। इसलिये इन फ़ाईलों को कुछ अजीब नाम दें जिससे आपकी फ़ाईल में क्या है वह फ़ाईल के नाम से पता न चले।

    अगर ये लिंक किसी को पता न हो तो कोई फ़ाईल डाउनलोड नहीं कर सकता है, और ये बिल्कुल यूनिक की (unique key) होती है।

    अब अगली बार जब आप अपना कम्पयूटर फ़ार्मेट कर रहे हों या फ़िर कहीं आपको फ़ाईल ले जानी हो पर साधन न हो या कुछ और बस अपनी फ़ाईल अपलोड कीजिये और बाद में डाउनलोड कर लीजिये, हो गया न आपका काम।

कोई आपके कार के शीशे पर अंडों से हमला कर दे तो ……

अभी आज ही एक ईमेल आया था कि अगर आप रात को कहीं जा रहे हों और कोई आपके कार के शीशे पर अंडों से हमला कर दे तो अंडे को साफ़ करने के लिये वाईपर न चलायें और न ही वाईपर चलाने के पहले पानी छिड़कें, ऐसा करने पर आपकी विंड स्क्रीन दूधिया हो जायेगी और आप ९२.५% तक देख नहीं पायेंगे। और मजबूरी में आपको अपनी कार रोकनी होगी जिससे आप लूट के शिकार हो सकते हैं।

यह नई तकनीकी लुटेरों द्वारा आजकल बहुत हो रही हैं सावधान रहें।

इस तरह की कई लूट की वारदातें राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा में हो चुकी हैं।

ब्लॉगर मीट में शामिल ब्लॉगरों ने फ़िर मिलने के वादे के साथ शाम को अलविदा कहा – मुंबई ब्लॉगर मीट – रपट – २

पिछली रपट पढ़ने के लिये यहाँ चट्का लगाईये ।
शशि सिंह जी ने अपना परिचय दिया और बताया कि वे बहुत पुराने ब्लॉगर हैं परंतु अब समय कम होने के कारण नहीं लिख पाते हैं, वहीं अविनाश वाचस्पति जी ने सबकी तरफ़ से उनसे अनुरोध किया कि महीने में कम से कम एक पोस्ट तो जरुर लगाया करें, शशि सिंह जी ने कहा कि वैसे मेरी उपस्थिती टिप्पणी के माध्यम से ब्लॉग जगत में है, वहीं उन्होंने बताया कि वे कुछ न कुछ नया करने के प्रयास में हैं जैसे उन्होंने कुछ समय पहले ५ कवियों का मोबाईल अंतर्राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी की थी जो कि विश्व में इस प्रकार की पहली थी और अखबारों की सुर्खियों में थी।
महावीर बी. सेमलानी जी ने बताया कि उन्हें ब्लॉग बनाने के लिये उनकी दस साल की बेटी ने प्रेरित किया वे धर्म के बारे में ज्यादा पढ़ते हैं और उसी के बारे में लिखना पसंद करते हैं। उनका जैन धर्म के ऊपर एक ब्लॉग भी है हे प्रभू ये तेरापंथ । उनका कहना है कि धर्म की बातें समझने से व्यक्ति अपनी जिंदगी बदल सकता है। वे एक ओर ब्लॉग चलाते हैं मुन्ना भाई की ब्लॉग चर्चा और मुम्बई टाईगर
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महावीर बी. सेमलानी जी
सतीश पंचम जी ने बताया कि उन्हें लगा कि साहित्य पढ़ना चाहिये तो उन्होंने फ़णीश्वरनाथ रेणू की “मैला आंचल” से शुरुआत की, और तब से सफ़र जारी है अपनी व्यस्त जिंदगी के बीच ब्लॉगिंग के लिये समय निकालना एक बीमारी का लक्षण जैसा है, जिसे ब्लॉगेरिया भी कह सकते हैं, ब्लॉगर के लिये कहा गया कि जो खाया, पिया अघाया हुआ है और बौद्धिक अय्याशी चाहता है, वह ब्लॉगर है। कहीं कहीं तक ये बात सच भी है।
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एन.डी.एडम जी जिन्हें अविनाश वाचस्पति जी ने आमंत्रित किया और ब्लॉग मीट की शोभा बड़ाई, हमें लगा ही नहीं कि वे पहली बार मिले हैं, उनके रेखाचित्र ही शब्द बन गये थे। एडम जी ने बताया कि अविनाश वाचस्पति जी से मुलकात फ़िल्म फ़ेस्टिवल गोवा में हुई पर इस बार अच्छी जान पहचान हुई सो यहाँ पर भी आ गये। वे बड़ी बड़ी हस्तियों से मिलकर उनके पोट्रेट बना चुके हैं, पृथ्वीराज कपूर से लेकर जवाहरलाल नेहरु तक। नित नये लोगों से मिलना उनका शौक है और वे अभी तक व्यक्तिगत लोगों के ३०,००० से ज्यादा स्कैच बना चुके हैं।
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आलोक नंदन जी और एन.डी.एडम जी
अविनाश वाचस्पति जी को वैसे तो सब जानते हैं फ़िर भी उनसे परिचय देने के लिये अनुरोध किया गया, तो उन्होंने बताया कि सबसे पहला ब्लॉग उनका तैताला था फ़िर बगीची  बाद में उन्होंने सोचा कि अपने नाम से भी ब्लॉग होना चाहिये तो उन्होंने अपने नाम से भी ब्लॉग शुरु किया फ़िर नुक्कड़ और विश्व के सभी पिताओं को समर्पित पिताजी। उन्होंने बताया कि वैसे तो ११ वर्ष की उम्र से ही लेखन में हैं और धीरे धीरे लिखते हुए भाषा मंजती गई।
इसी बीच चाय और बिस्किट का दौर चलता रहा। फ़िर लगभग छ: बजे नाश्ते की प्लेट लगाना शुरु की जिसमें कचोरी, समोसे, चिप्स और गुलाबजामुन थे साथ में थी चटनी। अविनाश वाचस्पति जी के लाये गये काजू का भी सबने जमकर लुफ़्त उठाया तो सूरजप्रकाश जी ने चुटकी भी ली कि फ़ैनी कहाँ है।
इसी बीच डॉ. रुपेश श्रीवास्तव और फ़रहीन भी आ चुके थे, मिलकर बड़ा अच्छा लगा, तभी राजसिंह जी का फ़ोन आया कि हम भी पहुंच रहे हैं ब्लॉगरों से मिलने की जीवटता थी सबकी जो कि नेशनल पार्क के मध्य में सभी को खींच लायी।
राजसिंह जी सभी के लिये पान की गिलोरियां बनवा कर लाये थे जिसका सबने बाद में आनन्द उठाया और अपनी नई फ़िल्म के गाने का प्रोमो भी दिया व सबको गाने की रिकार्डिंग देखने के लिये आमंत्रित भी किया। उनके साथ आईं थीं श्रीमती आशा अनिल आचरेकर जी।
शाम ढ़लने लगी थी पक्षी अपने नीड़ों की ओर लौटने लगे थे, ब्लॉगर बंधु जो दूर से मिलने आये थे जाने के लिये रास्ता तक रहे थे पर मन भरा नहीं था, ३-४ घंटे भी कम पड़ गये, पता ही नहीं चला कि समय कब पंख लगाकर उड़ गया और शब्दों से निकलकर सभी ब्लॉगर एक दूसरे के सामने थे। सभी लोगों ने एक दूसरे से मिलने का वादा किया और मुंबई ब्लॉगर मीट की उस शाम को अलविदा कहा।

मुंबई ब्लॉगर्स मीट – रपट – १

पिछली पोस्ट जो कि आज सुबह लिखी गई थी उस पर टिप्पणियां आई कि ये थोड़ा है बहुत कुछ पढ़ना है, तो पेश है पूरी रपट—-
     जैसा कि ब्लॉगर्स मीट के आयोजन के लिये लिखी पोस्ट में लिखा था मैंने २९९ नं. बस के लास्ट स्टॉप से चाल के बीच से जाते हुए रास्ते को चुना और केवल २-३ मिनिट चलने पर सीधे त्रिमूर्ति जैन मंदिर जा पहुंचा। चाल से निकलते हुए कई घरों के सामने महिलाएँ बैठकर पापड़ की लोईयां बना रही थीं, कुछ घरों में पापड़ बिले जा रहे थे और लगभग सभी घरों के आगे बड़ी टोकरी उल्टी करके उस पर पापड़ सुखाये जा रहे थे सभी एक ही साईज के पापड़ और लगभग एक ही मोटाई के देखने से ही महसूस होता था। शायद लिज्जत पापड़ वाले वहाँ से ले जाते होंगे। पर उन महिलाओं की मेहनत  पापड़ के लिये, गृहस्थी के  बीच बहुत ही जीवटता का काम है। उन्हें क्या पता कि ये ब्लॉगर मीट क्या है और एक ब्लॉगर उनके इस पापड़ कर्म को अपने ब्लॉग पर छाप देगा। हाँ बस हम फ़ोटो नहीं खींच पाये क्योंकि मुंबई की किसी भी अनजानी चाल में मतलब जहाँ आपको कोई नहीं जानता हो ये दुस्साहास जैसा है। भले ही ये लोग वहाँ शेरों के बीच रहते हैं परंतु आदमी से डरते हैं।
     हम अपने साथ नाश्ते का सामान बिस्किट्स, चिप्स और रसगुल्ले लिये हुए थे, जो कि भली भांति कवर किया हुआ था तथा साथ ही थे सभी ब्लॉगरों के स्वागत के लिये गुलाब के फ़ूल।
    सबसे पहले मैं पहुँचा और बाहर ही बैठकर अपने ब्लॉगर बंधुओं का इंतजार करने लगा। सबसे पहले पहुँचे सतीश पंचम जी, फ़िर आये आलोक नंदन जी, तभी अविनाश वाचस्पति जी का फ़ोन आया कि हम १०-१५ मिनिट में पहुंचने वाले हैं,  अविनाश वाचस्पति जी सूरजप्रकाश जी के साथ उनकी कार में पहुंचे, फ़िर तो धीरे धीरे सभी ब्लॉगर्स आने लगे।
    हाँ इधर रुपेश श्रीवास्तव जी, फ़रहीन के साथ पनवेल से निकल चुके थे चूँकि रविवार को हार्बर  लाईन पर मेगाब्लॉक होता है, तो हमने उनसे कहा कि वाशी डिपो से सीधे बस सेवा उपलब्ध है, और वे वहाँ से सानपाड़ा तक आ गये और बस स्टॉप पर बस का इंतजार करते हुए फ़ोन आया कि हमें पहुंचने में बिलंब होगा पर आप हमारा इंतजार करियेगा, हमसे मिले बिना नहीं जाईयेगा, हमें उनकी मिलने की इच्छा शक्ति बहुत ही अच्छी लगी।
    महावीर बी सेमलानी जी भी तब तक नाश्ता लेकर आ चुके थे। मुलाकात का दौर शुरु हुआ परिचय के साथ, सबसे पहले परिचय सूरजप्रकाश जी ने दिया। वे अपना परिचय पहले ही करवा चुके थे एक अनूठे तरीके से, उन्होंने अपना परिचय का ब्रोशर सबको दे दिया जिसमें उन्होंने अपने साहित्यिक और ब्लॉगर जीवन में हुई उपलब्धियों को बताया है। और उन्होंने बताया कि वे अब तक लगभग ९०० लोगों को ब्लॉग लेखन के लिये प्रेरित कर चुके हैं। पाठकों के ऊपर उनका कहना है कि उन्होंने चार्ली चैपलिन नामक किताब का हिन्दी अनुवाद किया तो उसकी ५०० प्रतियां भी नहीं बिकीं पर जैसे वह प्रति ब्लॉग के माध्यम से रचनाकार पर उपलब्ध करवाई गई लगभग ६००० लोगों ने वहाँ से डाउनलोड की है, ब्लॉग के माध्यम से लेखक पूरी दुनिया से जुड़ चुका है और पाठकों की त्वरित प्रतिक्रिया भी मिल जाती है। वहीं उन्होंने प्रोज़.कॉम के बारे में भी बताया कि वहाँ ब्लॉगर ट्रांसलेटर की सेवाएँ दे सकते हैं। और बताया कि २५० से ज्यादा भाषाएँ अब यूनिकोड में उपलब्ध हैं जो कि इंटरनेट पर भाषायी क्रांति है।
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    विमल वर्मा जी ने अपना परिचय दिया और बताया कि वे ठुमरी ब्लॉग लिखते हैं और अपने मनपसंद के गाने वहाँ अपने पाठकों को सुनवाते हैं।
   अजय कुमार जी ने बताया कि उन्हें ब्लॉगजगत में विमल वर्मा जी लेकर आये और वे गठरी नाम का ब्लॉग चलाते हैं। उन्हें ब्लॉग जगत के बारे में जानकर बहुत ही अच्छा लगा और वे इसी सितंबर से ब्लॉग जगत में आये हैं।
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विमल वर्मा जी और अजय कुमार जी
   शमा जी ने अपना परिचय दिया और बताया कि वे अकेली लगभग १६ ब्लॉगों की मालकिन हैं और सामुदायिक ब्लॉग अलग। जिनमें कुछ हैं बागवानी, संस्मरण, गृहसज्जा, धरोहर, एक सवाल तुम करो…।  शमा जी ब्लॉगर मिलने के लिये मुंबई में रुकी हुई थीं, उनका शुक्रवार दोपहर को फ़ोन आया था कि वे भी इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहती हैं। सभी ब्लॉगर्स को यह जानकर प्रसन्नता हुई के वे पूना की ब्लॉगर हैं ।
    रश्मि रविजा जी ने अपना परिचय दिया और बताया कि वे भी ब्लॉग जगत में अभी सितंबर से ही हैं और अपना ब्लॉग मन का पाखी के नाम से लिख रही हैं।
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विवेक रस्तोगी, अजय कुमार जी, शशि सिंह जी और महावीर बी. सेमलानी जी
    फ़िर मैंने अपना परिचय दिया कि मेरा उपनाम कल्पतरु अपने कालेज के जमाने में रखा था अब इसी नाम से ब्लॉग लिख रहा हूँ और तब कविता लिखने का बहुत शौक था, चूँकि शुरु से ही हिन्दी और संस्कृत साहित्य से लगाव है, व आई.टी. में होने के कारण शुरु से ही हिन्दी कम्प्यूटर पर लिखने की रुचि रही, पहले डोस पर अक्षर में लिखते थे, फ़िर कृतिदेव फ़ोंट में और बहुत सारी टेक्नालाजी जो तेजी से बदलती रही अब यूनिकोड में लेखन जारी है। चिंता यह है कि सभी केवल साहित्य और अपने बारे में लिख रहे हैं, पर ब्लॉगर अपने जिस कार्य में विशिष्ट हैं और दुनिया उसके बारे में नहीं जानती है, ऐसे जानकारीपरक ब्लॉगों की बहुत कमी है, मैंने एक ब्लॉग बनाया था बैंकज्ञान, उस पर बहुत कम पाठक संख्या के चलते लिखने में रुचि नहीं बनी। इसी तरह से सभी लोग अपने अपने पेशे से संबंधित कुछ सार्थक लेख लिखें तो यह निश्चित ही शिक्षा का साधन भी बनेगा।
     चूँकि रपट लम्बी होती दिख रही है इसलिये इसका बाकी का भाग आप बाद में पढ़ सकते हैं।

मुंबई ब्लॉगर मीट – पहली रपट

प्रकृति के आंचल में ६ दिसंबर २००९ को मुंबई में हिन्दी ब्लॉगर मिलन आयोजित हुआ। जिसमें लगभग १५ ब्लॉगर्स ने भाग लिया
इस ब्लॉगर मीट का उद्देश्य  एक दूसरे से परिचय था जिससे सब ब्लॉगर्स एक दूसरे से जुड़ें । सबने अपना अपना परिचय दिया, ब्लॉग जगत में कैसे आये और ब्लॉग पर क्या लिख रहे हैं और क्यों लिख रहे हैं इस पर चर्चा हुई। हिन्दी के पाठक हैं और उनमें जागृति फ़ैलायी जाये क्योंकि अभी तक बहुत से लोग जानते ही नहीं हैं कि ब्लॉग क्या होता है और हिन्दी में भी कम्प्य़ूटर पर लिखा जा सकता है। सभी ब्लॉगर्स अपने आसपास ये जागृति फ़ैलायें, और ज्यादा से ज्यादा हिन्दी ब्लॉग लिखने के लिये प्रेरित करें।
अगली मीट के लिये कोई विशेष रुपरेखा तय नहीं की गई परंतु इस बात पर जोर दिया गया कि नियमित अंतराल के बाद मुंबई में ब्लॉगर्स मीट आयोजित होना चाहिये। मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी है इसे शाब्दिक राजधानी भी होना चाहिये।
और भविष्य में अगर जरुरत महसूस होती है तो एक एसोसिएशन बनाया जा सकता है जो निश्चित तौर पर रुपरेखा बनाकर कार्य कर सकती है।
आज थोड़ा जल्दी है, मीट में हुई बातें बताना जारी रहेंगी।
महावीर बी. सेमलानी जी का स्वागत करते हुए –

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एक ग्रुप फ़ोटो –
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आगे का विवरण के लिये यहाँ चटका लगाईये।

मुंबई ब्लॉगर मीट

मुंबई ब्लॉगर मीट संजय गांधी नेशनल पार्क में त्रिमूर्ति जैन मंदिर में आयोजित हुई।
निम्न ब्लॉगरों ने भाग लिया –

अविनाश वाचस्पति http://avinashvachaspati.blogspot.com
विवेक रस्तोगी http://kalptaru.blogspot.com
महावीर बी सेमलानी http://ctup.bhikshu.blogspot.com
शशि सिंह www.shashisingh.in
रश्मि रविजा http://www.mankapakhi.blogspot.com
शमा http://shamasansmaran.blogspot.com/
अजय कुमार http://gatharee.blogspot.com
विमल वर्मा http://thumri.blogspot.com
सूरज प्रकाश http://kathaakar.blogspot.com/
आलोक नंदन
राजकुमार सिंह http://rajsinhasan.blogspot.com
’श्रीमती आशा अनिल आचरेकर
सतीश पंचम http://safedghar.blogspot.com
डॉ. रुपेश श्रीवास्तव http://bharhaas.blogspot.com/
फ़रहीन http://bharhaas.blogspot.com/

बाकी की रिपोर्ट कल सुबह…

जाते जाते अविनाश जी का स्वागत करते हुए फ़ोटो..
avinashji

मुंबई हिन्दी ब्लॉगर मीट त्रिमूर्ती जैन मंदिर, संजय गांधी नेशनल पार्क, बोरीवली में सायं ३.३० बजे रविवार ६ दिसंबर को आयोजित की गई है

मुंबई ब्लॉगर मीट के लिये मेरी बहुत से ब्लॉगरों से बात हुई पर ऐसा लगा ही नहीं कि मैं उनसे पहली बार बात कर रहा हूँ ऐसा लगा कि हम लोग जाने कब से एक दूसरे को जानते हैं और बहुत अच्छी तरह से जानते हैं।

कुछ ब्लॉगर्स को मैंने फ़ोन लगाये कुछ ने मुझे फ़ोन किये कुछ ब्लॉगर्स से चेटिंग हुई। सबको अपने बेहद करीब पाया।

मुंबई ब्लॉगर्स मीट त्रिमूर्ती जैन मंदिर, संजय गांधी नेशनल पार्क बोरीवली में सायं ३.३० बजे रविवार ६ दिसंबर को आयोजित की गई है, जो कि वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर बोरिवली ईस्ट में है। आप यहाँ सीधे लोकल रेल्वे स्टेशन से २९९ नंबर बस से टाटा स्टील से भी सीधे आ सकते हैं नहीं तो मुख्य द्वार जो कि वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर है वहाँ से सीधे आ सकते हैं, प्रति व्यक्ति नेशनल पार्क का टिकिट २० रुपये है।

लगभग १४ ब्लॉगर्स की मंजूरी मिल चुकी है। अविनाश जी दिल्ली वाले मुंबई पहुंच चुके हैं और उनका भी ब्लॉगर्स से मिलने का बहुत व्यस्त कार्यक्रम है।

इस मीट का उद्देश्य एक दूसरे को जानना और वास्तविक दुनिया में मिलना है, हम सब एक दूसरे को आभासी दुनिया में बहुत अच्छी तरह से परिचित हैं, जब वास्तविकता में मिलेंगे तो बात ही कुछ ओर होगी। इस मीट में सभी ब्लॉगर्स के मानस मंथन से जो भी मुद्दे निकलेंगे वही अगली ब्लॉगर्स मीट का उद्देश्य होगा। यह मीट केवल एक गेट टुगेदर है जिसमें सब एक दूसरे को जान पायेंगे।

इस मीट के लिये ताऊ जी और समीर लाल जी ने विशेष सहयोग दिया है, और मुंबई टाईगर महावीर जी सेमलानी जी का भी विशेष सहयोग है। अविनाश वाचस्पति जी जो कि हमारे दिल्ली से आये हुए मुख्य अतिथि हैं, उनका भी भरपूर सहयोग है,  कृप्या अपने आने की स्वीकृती दें जिससे व्यवस्था में सहयोग मिलेगा।