Monthly Archives: February 2010

तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – ४ [जैसे देवलोक में आ गये हों..] (Hilarious Moment of Deity Darshan at Tirupati Balaji.. Part 4)

हम जैसे ही तिरुपति से तिरुमाला के लिये निकले तो बहुत ही ज्यादा ट्राफ़िक था मुंबई की भाषा में बोले तो गर्दी थी, ड्राईवर का नाम अब्दुल था, और अच्छी खासी हिन्दी बोलता और समझता है, उतना ही उसका तमिल और तेलुगू पर अधिकार है। अब्दुल ने हमें बताया कि आज रविवार है और इस कारण बहुत भीड़ है, लोग दूर दूर से आते हैं, सप्ताहांत पर तो बहुत ही ज्यादा भीड़ रहती है, याने कि भक्तों का सैलाब रहता है।

जब हम तिरुपति आ रहे थे, तब भी हमने बहुत सारे लोगों को सड़क के किनारे पैदल चलते हुए देखा था जो कि तिरुपति की ओर जा रहे थे, तब अब्दुल ने बताया कि ये सब लोग पैदल ही बालाजी के दर्शन करने जा रहे हैं। हमने उन सबकी भक्ति को दिल से नमन किया।

तिरुपति से निकलते हुए तिरुपति देवस्थानम की बहुत ही बड़ी इमारत देखी जिसमें वहाँ से आप बायोमेट्रिक वाले टिकट ले सकते हैं, और वहाँ रुक भी सकते हैं, यह देवस्थानम की तरफ़ से भक्तों के लिये तिरुपति में सुविधा है।

जैसे जैसे तिरुपति से बाहर निकल रहे थे, तिरुमाला की ओर बढ़ रहे थे, मनोहारी दृश्य आते जा रहे थे, और इतना साफ़ शहर देख रहे थे और आश्चर्य कर रहे थे कि भारत में भी इतना साफ़ शहर मौजूद है। बहुत ही अच्छा रखरखाव है प्रशासन का, यह देखकर अच्छा लगा। पैदल चलने वालों के लिये अलग से फ़ुटपाथ बना हुआ था, जिस पर पैदल यात्री जा रहे थे, हमारे दायीं तरफ़ पहाड़ियाँ थीं, हम वह नजारा देख ही रहे थे कि दूर से हमें भव्य द्वार नजर आया, हमें अब्दुल ने बताया कि यह यहाँ का टोल नाका है, जहाँ पर चैकिंग होती है कि आपके पास नशेयुक्त पदार्थ तो नहीं है जैसे कि बीड़ी, सिगरेट, शराब, गुटका इत्यादि। सघन तलाशी होती है पूरी टैक्सी की और हमारी भी, अच्छा लगा कि इतनी चैकिंग होती है जिससे कोई भी नशेयुक्त पदार्थ तो कम से कम नहीं ले जा पायेगा। वहाँ पर लगभग आठ टोल बने हुए थे, और २५ रुपये का टोल था।

सबसे अच्छी बात यह है कि तिरुपति से तिरुमाला जाने का मार्ग अलग और आने का मार्ग अलग है, क्योंकि बहुत ही घुमावदार सड़कें हैं और बहुत सारे घाट पार करना होते हैं।

थोड़ा सा आगे बड़े तो हम तिरुमाला के पर्वत श्रेणी में दाखिल हो चुके थे, बहुत सारी बसें एक के पीछे एक थीं सरकारी। बहुत ही ज्यादा घुमावदार सड़के हैं, मजा भी आ रहा था और पेट में गुदगुदी भी हो रही थी। जैसे जैसे हम तिरुमाला की ओर जा रहे थे, वैसे वैसे हम बादलों के बीच में होते जा रहे थे, पास के सारे नजारे बहुत ही अद्भुत लग रहे थे, ऐसा लग रहा था कि हम देवलोक में आ गये हैं। थोड़ा सा और ऊपर जाने पर दबाब महसूस हुआ जैसा कि हवाई यात्रा के दौरान महसूस होता है। हरियाली और बादलों के बीच हमारी यात्रा चल रही थी, सड़क पर हमेशा एक तरफ़ पहाड़ की दीवार और दूसरी तरफ़ खाई मिली, सुरक्षा की दृष्टि से खाई की तरफ़ बड़े पत्थरों की दीवार और लोहे की गर्डर लगायीं हुई थी।

जैसे जैसे हम बालाजी के नजदीक आते जा रहे थे वैसे वैसे प्राकृतिक दृश्य मनोरम होते जा रहे थे।

कुछ मनोरम दृश्य देखिये –

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तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – ३ [चैन्नई से निकले तड़के ३ बजे..] (Hilarious Moment of Deity Darshan at Tirupati Balaji.. Part 3) [Started from Chennai in early morning 3am..]

    हमने अपने होटल को बोल कर टैक्सी आरक्षित कर ली, शनिवार ६ फ़रवरी को, पहले ही हमें बहुत थकान हो रही थी, और फ़िर जब कार्यक्रम बनाया तो पता चला कि अगर तड़के निकलेंगे तो ठीक रहेगा और सब ठीक प्रकार से होगा। हमने सुबह ३ बजे निकलने का कार्यक्रम पक्का किया।

    रात को नींद भी पूरी न हो पाई और फ़िर सुबह उठने की चिंता अलग हमने सुबह ढ़ाई बजे का अलार्म अपने मोबाईल में लगाया और होटल के रिशेप्सन पर भी अलार्म लगवा दिया। कब सोये और कब होटल वाले का फ़ोन आ गया लगा कि उसने गलत टाईम का अलार्म लगा दिया है। जब घड़ी देखी तो पता चला कि समय सुबह के २.२२ हो रहा है और टैक्सी आ चुकी है। हम फ़टाफ़ट तैयार हुए, नहाये (जी हाँ हमारी आदत है कि अगर कहीं भी बाहर जायेंगे तो बिना नहाये हमसे जाते नहीं बनता, इसलिये तड़के नहाये।)।

    हमारे दो सहकर्मी भी हमारे साथ थे, जो कि हमारे सहयात्री भी थे इस यात्रा में। हालांकि हम ५-६ साल पहले एक बार दर्शन करके जा चुके थे इसलिये हमें कुछ कुछ याद था। चैन्नई से बाहर निकलते  ही हमने टैक्सी को मद्रासी ढ़ाबे पर रुकवाया और चाय पी, हमने अपने होटल वाले को विशेष रुप से कहा था कि ड्राईवर को हिन्दी आनी चाहिये और उसे सभी जगह का पता भी होना चाहिये।

    यहाँ चाय बनाने का ढ़ंग भी निराला है, और चाय हमेशा तैयार रहती है, पर हमेशा ताजी, बनी बनायी नहीं। चाय की पत्ती का बर्तन अलग होता है अपने मग्गे जैसा और उसमें एक लंबी से छलनी रखते हैं, जिसमें चाय पत्ती रहती है और मग्गे में पानी जो कि चाय का हो जाता है, अलग से गिलास में शक्कर डालकर थोड़ी से चाय का अर्क इस छलनी में से गिलास में डालते हैं, और फ़िर थोड़ा सा दूध डालकर उसे एक मग से अल्टी पल्टी करते हैं। बस हो गयी चाय तैयार। इतनी सुबह उस ढ़ाबे पर २-३ बड़े बड़े परात भरकर अलग अलग तरह की मिठाईयाँ रखी हुई थीं, हमें बहुत आश्चर्य हुआ कि रात को मिठाई कौन खाता होगा। पर वहाँ तो खाने वाले भी मौजूद थे, तब ड्राईवर बोला कि पास ही इंडस्ट्रियल एरिया है इसलिये यहाँ ये मिठाई है जो कि मजदूर खाते हैं, यहाँ मजदूर उड़ीसा और बिहार से आते हैं।

    खैर चाय पीकर हमने वापिस अपनी यात्रा शुरु की, थोड़ी देर में ही हमें नींद ने अपने आगोश में ले लिया और जब आँख खुली तो देखा कि रेनिगुंटा आ चुका है, जो कि रेल्वे से पहुँचने का स्थान है। सुबह के ६.३० बजे थे, यहाँ से तिरुपति १५ कि.मी. था, वहाँ लगे रास्ते के निर्देशों से पता चला कि यहीं पर २.५ कि.मी. पास ही तिरुपति का विमानतल है। हम आधे घंटे में ही तिरुपति पहुँच गये और फ़िर एक बार चाय पी, कड़क जिससे अपनी आँख पूरी खुल जाये। क्योंकि अब सप्तगिरी का सफ़र शुरु होने वाला था, तिरुमाला का सफ़र, बालाजी का सफ़र।

    तिरुपति में इन छ: सालों में बहुत ही बदलाव आ गया था, जगह जगह बड़ी बड़ी इमारतें, चौड़ी सड़कें, समय के साथ सब कुछ बदल गया। सब इतना व्यावसायिक हो गया है कि दिल बहुत बैचेन हो उठा। केवल इन छ: सालों में इतना कुछ बदल गया। वैसे यही हालत उज्जैन की भी हो गई है, सब व्यावसायिक हो गया है। परंतु हम तो बालाजी के दर्शन करने को आये थे, इसलिये “ऊँ वैंकटेश्वराय नम:” बोलकर आगे बढ़ चले।

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तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – 2 [कैसे जायें भारत के किसी भी हिस्से से..] (Hilarious Moment of Deity Darshan at Tirupati Balaji.. Part 2) [How to come from any part of india..]

    बालाजी दर्शन तिरुमाला पर होते हैं, जो कि तिरुपति से सात पहाड़ दूर है, तिरुपति रेल्वे से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। और अगर कहीं और से आ रहे हैं, तो रेनुगुंटा स्टेशन आपको पड़ेगा जहाँ से तिरुपति मात्र १५ कि.मी. है।
    तिरुपती चैन्नई से लगभग १४० कि.मी. है और बैगलोर से लगभग २६० कि.मी.। बैंगलोर से भी पैकेज टूर उपलब्ध हैं जैसे कि चैन्नई से, वहाँ से आन्ध्राप्रदेश टूरिज्म, कर्नाटक टूरिज्म और निजी ट्रेवल्स की सुविधाएँ ले सकते हैं, और अगर बड़ा ग्रुप है तो अपनी टैक्सी ज्यादा अच्छा विकल्प है।
    अगर तिरुपति में रुकना है तो आप ऑनलाईन कमरे का आरक्षण करवा सकते हैं, वैसे वहाँ नि:शुल्क कमरे भी उपलब्ध हैं और डोरमेट्री भी नि:शुल्क उपलब्ध है।
    तिरुपति से तिरुमाला तकरीबन १७ कि.मी. है, यहाँ वोल्वो बसों का जाना प्रतिबंधित है। तिरुपति से बस स्टैंड से तिरुमाला की बस पकड़ सकते हैं, टिकट है २८ रुपये जो कि हर दो मिनिट में उपलब्ध है। मंदिर देवस्थानम ट्रस्ट की ओर से भी एक बस चलती है जो कि फ़्री सर्विस है, वह हर आधे घंटे में उपलब्ध है। अगर आप अपनी टैक्सी या टैम्पो ट्रेवलर से जा रहे हैं तो तिरुमाला उसी से जा सकते हैं।
    अगर सुंदरसन दर्शन करना है तो उसके लिये आपको ५० रुपये का टिकिट तिरुपति रेल्वे स्टेशन के पास काऊँटर से मिलेगा, और अगर बैंगलोर या चैन्नई से आ रहे हैं, तो तिरुपति देवस्थानम के कार्यालयों से जाकर ले सकते हैं। ५० रुपये का टिकट तिरुमाला में नहीं मिलता है। वहाँ केवल ३०० रुपये का शीघ्रदर्शन टिकट ही मिलता है, जो कि केवल तिरुमाला में ही मिलता है, यह टिकट और किसी भी शहर में उपलब्ध नहीं है और न ही इस टिकट की ऑनलाईन बुकिंग होती है।
    निकट का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा चैन्नई है और घरेलू हवाई अड्डा तिरुपति है।
    तिरुमाला में किसी भी ठग का शिकार न बनें वहाँ पर तमिल, तेलेगु, हिन्दी और अंग्रेजी में सभी तरह के संदेश लिखे हुए हैं, किसी से कुछ भी पूछने की जरुरत नहीं पड़ती है।
    तिरुपति विश्व का दूसरा सबसे बड़ा धनी देवस्थान है, वहाँ पर भक्तों के लिये सभी सुविधाएँ मुफ़्त उपलब्ध हैं या फ़िर बहुत ही कम दामों पर। लूट तो हर जगह होती है, बस जरुरत है तो आपको ऐसे लोगों से बचने की। तिरुमाला में बसें लगातार चलती रहती हैं, जिससे आप एक स्थान से दूसरे स्थान जा सकते हैं, ये भी मुफ़्त हैं, और बसें भी विशेष प्रकार की हैं, जैसे भगवान का खुद का रथ हो।
    तिरुपति से तिरुमाला पैदल भी जा सकते हैं, यह तकरीबन १४ कि.मी. है, अगर आप के पास सामान है तो तिरुपति में जहाँ से पैदल यात्रा शुरु करते हैं, वहाँ देवस्थानम के लगेज काऊँटर पर आप अपना सामान जमा करवा सकते हैं, और जब आप तिरुमाला पहुँचेंगे तो वहाँ लगेज काऊँटर से अपना समान वापिस ले सकते हैं। यह दूरी तय करने में ४-५ घंटे लगते हैं। पैदलयात्रियों के लिये सभी तरह की सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जगह जगह पीने का पानी उपलब्ध है, शौचालय हैं, आराम करने के लिये शेड उपलब्ध हैं, सुरक्षा के लिये जगह जगह कर्मी तैनात हैं। जरुरी उदघोषणाएँ समय समय पर होती रहती हैं। पूरे रास्ते चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध हैं। नाश्ते के लिये केंटीन भी पूरे रास्ते में उपलब्ध हैं।

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तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – १ [कैसे जायें चैन्नई से..] (Hilarious Moment of Deity Darshan at Tirupati Balaji.. Part 1) [How to go from Chennai..]

तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – १ [कैसे जायें चैन्नई से..] (Hilarious Moment of Deity Darshan at Tirupati Balaji.. Part 1) [How to go from Chennai..]

    पिछले १५-२० दिनों से बालाजी जाने का कार्यक्रम बना रहे थे, परंतु बना ही नहीं पा रहे थे, काम का जोर इतना है कि कार्यक्रम बनाने का मौका ही नहीं मिल पा  रहा था, फ़िर इस शुक्रवार को तिरुपति बालाजी के दर्शन करने के सभी संभावनाओं की खोज की। वैसे हमारी आदत है कि हम जब कभी कहीं घूमने का कार्यक्रम बनाते हैं, तो सारी जानकारी पहले से ही एकत्रित कर लेते हैं, कब कौन सी जानकारी काम आ जाये, पता नहीं होता पर हाँ जब घूमने जाते हैं, तब लगता है कि अच्छा किया जो सारी जानकारी जुटा ली थी।

    गूगल महाराज को याद किया तो बहुत सारी जानकारी मिल गई, चैन्नई से बहुत सारे पैकेज टूर उपलब्ध हैं। जिसमें वोल्वो एसीबस, एसीबस, साधारण बस और आईआरसीटीसी व टैक्सी के विकल्प मिले।

    हम अपने कार्य में फ़िर व्यस्त हो गये और फ़िर शनिवार को इस बारे में चिंता हो गई कि कार्यक्रम तय करना पड़ेगा, हमने सभी विकल्पों को देखा और फ़ोन लगाना शुरु कर दिया।

    सबसे अच्छा पैकेज टूर आंध्रप्रदेश टूरिज्म का है, जिसमें वे शाम ६.३० बजे चैन्नई से चलते हैं और तकरीबन रात ११ बजे तिरुपति पहुँज जाते हैं, फ़िर एक शेयरिंग रुम दे देते हैं, जिसमें २-३ लोग रुक सकते हैं, अगर आप समूह में हैं तो कोई समस्या ही नहीं है, आपको अपने समूह के लोगों के साथ ही कमरा मिल जायेगा। सुबह जल्दी उठना होगा क्योंकि तड़के ४ बजे बस से तिरुमाला की ओर रवाना होना होता है, तकरीबन सुबह ५.१५ बजे तक आप तिरुमाला पहुँच जायेंगे और फ़िर अगर आपको बाल देना है तो बाल देकर आप नहाकर तैयार हो जायें, और फ़िर ३०० रुपये का शीघ्र दर्शन टिकट जो कि इस पैकेज में ही शामिल है, से बालाजी के दर्शन जल्दी से मतलब १-२ घंटे में कर पायेंगे। बालाजी के दर्शन के पश्चात इस टूर में तिरुपति में पद्मावती मंदिर और शिवजी के प्रसिद्ध मंदिर श्रीकालाहस्ती भी दर्शन करवाते हैं। और शाम ६ बजे के तकरीबन वापिस चैन्नई पहुँच जाते हैं। इस टूर की कीमत १३०० रुपये है। इसमें रात का खाना, सुबह का नाश्ता, ३०० रुपये का शीघ्रदर्शनम टिकट और रात को ठहरने की व्यवस्था शामिल है। यहाँ २-३ दिन पहले तक टिकट आरक्षण आसानी से मिल जाता है, उसके बाद मिलना मुश्किल होता है। यहाँ चैन्नई में इनका ऑफ़िस है, टी.नगर में कैनरा बैंक के पास, फ़ोन नंबर है – o44-65439987, यह पैकेज ऑनलाईन आरक्षण में उपलब्ध नहीं है। आपको यहाँ जाकर ही आरक्षण करवाना होगा।

    एक और टूर पैकेज आंध्रप्रदेश टूरिज्म का है जिसमॆं वे सुबह ५ बजे निकलते हैं और ५० रुपये का स्पेशल दर्शन का टिकट से दर्शन करवाते हैं, लौटते समय पद्मावती मंदिर के दर्शन करवाते हुए रात ११ बजे तक चैन्नई वापिस आते हैं। इस टूर की कीमत १०५० रुपये है। इसमें सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना और ५० रुपये का विशेष दर्शन टिकट शामिल है।

    और भी बहुत सारे निजी ट्रेवल कंपनियाँ पैकेज टूर उपलब्ध करवाती हैं, जिसमें अधिकतर का पैकेज १२०० रुपये का है जो कि टेम्पो ट्रेवलर में लेकर जाते हैं और सुबह ५ बजे निकलते हैं रात ११ बजे तक वापिस आते हैं, इसमें सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना और ३०० रुपये का शीघ्र दर्शन टिकट शामिल होता है। पर ये केवल तिरुपति बालाजी और पद्मावती मंदिर ले जाते हैं।

     परंतु आंध्रप्रदेश टूरिज्म का पैकेज सबसे अच्छा है और सुविधाएँ भी। अगर आप इतनी दूर आ रहे हैं तो श्रीकालाहस्ती मंदिर जरुर जायें, मेरा यह दावा है कि आपने ऐसा मंदिर शायद ही कभी देखा होगा, विशाल, भव्य और प्राचीन।

    साधारण बस से भी जा सकते हैं जिससे ४-५ घंटे लगते हैं और अपने आप यह सब व्यवस्था कर सकते हैं, जिसमें अच्छी खासी बचत की संभावना है, क्योंकि बस का टिकिट भी ज्यादा नहीं है और सब कुछ बहुत ही कम दामों पर उपलब्ध है।

    ट्रेन से भी जा सकते हैं, आईआरसीटीसी का पैकेज टूर भी उपलब्ध है १ दिन का जिसमें वे सप्तगिरी एक्सप्रेस से सुबह ले जाते हैं और तिरुपति बालाजी और पद्मावती मंदिर के दर्शन करवाकर रात ९ बजे तक चैन्नई पहुँच जाते हैं। यह पैकेज रेल टूरिज्म की साईट पर उपलब्ध है, पर अगर सप्ताहांत पर जाने का कार्यक्रम है तो पहले से ही आरक्षण करवाना होगा, क्योंकि बहुत ही जल्दी इसका आरक्षण खत्म हो जाता है। इसमें इसमें सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना और ५० रुपये का विशेष दर्शन टिकट शामिल है। और इसकी कीमत है ९०० रुपये।

    पर हम बहुत देर कर चुके थे हमें किसी भी पैकेज टूर में टिकट नहीं मिला तो हमने कार्यक्रम बनाया कि हम टैक्सी करके जाते हैं, और हम टैक्सी करके तड़के ३ बजे चैन्नई से निकल गये, तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिये। हमने इतनी जानकारी जुटा ली थी कि हमें कोई तकलीफ़ न हो। हमारा कार्यक्रम  था, तिरुपति बालाजी, पद्मावती मंदिर और श्रीकालाहस्ती के दर्शन और रात तक वापसी।

ताजा खबर यह है कि हम तिरुमाला हो आये हैं, तिरुपति बालाजी, पद्मावती और काला हस्ती के दर्शन

आज की ताजा खबर बस यही है कि हम तिरुपति बालाजी, पद्मावती और काला हस्ती (वायु शिवलिंग) के दर्शन कर आये हैं।

वैसे मैं एक बार पहले जा चुका हूँ, परंतु यह सब जानकारी मुझे देने के लिये मैं अपने मित्र राम को विशेष धन्यवाद देता हूँ।

जल्दी ही बहुत सारी जानकारी आपको पढ़ने को मिलेगी, इस सब के बारे में।

आयकर की धारा ८० सी के तहत मिलने वाली छूट कौन से वित्तीय उत्पादों से मिलती है – एक सम्पूर्ण जानकारी (A Complete guide for Income Tax instruments covered under section 80 C)

    धारा ८० सी, एक आम आदमी जिसे आयकर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है वह भी इसके बारे में जानता है| आयकर अधिनियम ८० सी के तहत सरकार कुछ वित्तीय उत्पादों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है| इन वित्तीय उत्पादों में निवेश करने पर १ लाख रुपये तक की छूट ८० सी के अंतर्गत ले सकते हैं, यदि आपकी वार्षिक आय ५ लाख से अधिक है तो आप १ लाख रुपये का निवेश ८० सी में करने के बाद ३३ हजार रुपये का टेक्स बचा सकते हैं| चिंता का विषय यह है की कितने लोग यह जानते हैं कि ८० सी धारा के अंतर्गत कौन से वित्तीय उत्पाद आते हैं | लोग केवल यूलिप के बारे में जानते हैं; वह इसलिए क्योंकि बीमा कंपनियाँ अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए व्यापक रूप से अभियान चला रही हैं जिससे उनकी बिक्री में वृद्धि हो| लेकिन केवल यूलिप ही एक वित्तीय उत्पाद नहीं है जो कि ८० सी के अंतर्गत छूट दिलवाता है|  इस आलेख में सभी वित्तीय उत्पादों के बारे में जानकारी आप पायेंगे जो धारा ८० सी के अंतर्गत आते हैं –
    आमतौर पर लोग ८० सी के अंतर्गत निवेश के लिए फरवरी या मार्च में ही सोचते हैं क्योंकि उन्हें केवल टेक्स बचाने की चिंता होती है, वे कभी भी उस निवेश की उत्पादकता के बारे में नहीं सोचते हैं | इस स्थिती में आप अपने देय टेक्स से ज्यादा धन को गँवा सकते हैं|


    उदाहरण के लिए : कुमार की वार्षिक आय ३,००,००० रुपये है और कुल कर देयता आयकर के लिए १४,००० रुपये है | १ लाख रुपये का निवेश जो कि ८० सी के अंतर्गत वित्तीय उत्पाद में किया जिससे कुमार का १०,००० रुपये आयकर बचता है | लेकिन गलत वित्तीय उत्पाद में निवेश करने पर उसे २०,००० रुपये तक का नुक्सान भी हो सकता है| 
जब आप किसी वित्तीय उत्पाद को निवेश के लिए चुनते हैं, उसके लिए आपको बहुत सावधानी बरतना चाहिये, आप प्रभावी निवेश केवल तभी कर सकते हैं जब आपको पता हो कि निवेश कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि उसका उद्देश्य क्या है, उम्र कितनी है, कितना जोखिम ले सकते हैं, आर्थिक स्थिति कैसी है इत्यादि |
    निवेश जो धारा ८० सी के अंतर्गत आते हैं उनकी सूची नीचे दी जा रही है, ये वित्तीय उत्पाद आपकी आवश्यकता अनुसार आपको उत्पाद चुनने में आपकी मदद करेगा –
  • जीवन बीमा योजनाएँ
  • यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाएँ (यूलिप)
  • इक्विटी लिंक्ड बचत योजनाएँ (इएल एस एस)
  • सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ)
  • भविष्य निधि (कर्मचारी का अंशदान) 
  • राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (एन एस सी)
  • पंचवर्षीय जमा खाता (फिक्स्ड डिपोजिट)
  • गृह ऋण वापसी (मूलधन)
  • स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क
  • शिक्षण शुल्क भुगतान
  • डाकघर सावधि जमा खाता
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड
  • वरिष्ठ नागरिक बचत योजना
जीवन बीमा योजनाएँ – 
    जीवन बीमा जीवन में बहुत महत्त्व रखता है और यह जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू भी है, यह जीवन की अनिश्चितताओं को कवर करता है | हरेक व्यक्ति जो की कमाता है और उसके ऊपर परिवार आश्रित हो तो आश्रितों के लिए पर्याप्त जीवन बीमा होना चाहिये | किसी भी जीवन बीमा योजना प्रीमियम के निवेश को आयकर की धारा ८० सी के तहत छुट मिलती है | यदि बीमा आप अपने लिए या अपनी पत्नी के लिए या अपने बच्चे के लिए करवाते हैं तब भी आयकर की धारा ८० सी के तहत आपको उस प्रीमियम की छूट मिलती है| अगर पति पत्नी दोनों ही नौकरीपेशा हैं और अगर पत्नी की आय आयकर योग्य नहीं है तो पति दोनों बीमा प्रीमियम पर छूट ले सकता है, ऐसा उल्टा भी हो सकता है | 
यूलिप – 
    यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाओं (यूलिप) में जीवन बीमा और म्यूचुअल फंड में निवेश संयोजित होता है| यूलिप में निवेशित रकम धारा ८० सी के तहत कटौती के लिए पात्र हैं| यूलिप आपको जीवन के जोखिम का कवर देता साथ ही शेयर बाजार में आपकी रकम निवेश करता है| 

ईएलएसएस – 
    इक्विटी लिंक्ड बचत योजना (ईएलएसएस), खास तौर पर ऐसे म्युचुअल फंड तैयार किये गए हैं जो कर बचत की पेशकश करते हैं | ईएलएसएस में किया गया निवेश धारा ८० सी के तहत छूट के हकदार हैं| याद रखे है कि सभी म्युचुअल फंड निवेश ८० सी के तहत छूट के हकदार नहीं होते हैं| सभी ईएलएसएस निवेश 3 वर्ष की अवधि में आप निकाल नहीं सकते हैं |  ईएलएसएस कर बचाने वाले  म्युचुअल फंड रूप में जाना जाता है| 
भविष्य निधि (पीएफ) – 
    भविष्य निधि नियोक्ता द्वारा काटी गयी वह राशि है जो कि आपके भविष्य निधि कोष में जमा होती है और उतना ही योगदान नियोक्ता द्वारा किया जाता है | पीएफ वेतन के प्रतिशत के रूप में गणना करके काटा जाता है,  जैसे कि 12% और ब्याज के साथ सेवानिवृत्ति पर उसे लौटा दिया जाता है| 
सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ)– 
    आप सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) खाता खोल सकते हैं और  आप पीपीएफ खाते में ७०,००० रुपये तक की राशि का निवेश धारा ८० सी के तहत कर सकते हैं| ५०० रुपये के न्यूनतम निवेश के साथ पीपीएफ खाते आप बैंकों में या पोस्ट ऑफिस में खोल सकते हैं| 
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) – 
    जितनी भी राशि आप नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) में निवेश करते हैं उस राशि पर  धारा ८० सी के तहत छूट मिलेगी| नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में किए गए निवेश 6 वर्ष की अवधि के लिए निकाल नहीं सकते हैं|  इस योजना के प्रारंभिक निवेशों से कुल अर्जित ब्याज पर भी छूट ले सकते हैं| 
सावधि जमा –
    सावधि जमा में जमा की गई  राशि अगर ५ वर्ष के लिए आयकर स्कीम में बैंक में रखी जाती है तो वह राशि धारा ८० सी के तहत कर में छूट के लिए पात्र है| यह एक ताजा संशोधन है जिसमे आपकी राशि सुरक्षित भी रहती है और आपको धारा ८० सी के तहत लाभ भी मिलता है | 
गृह ऋण चुकौती (मूलधन) – 
    गृह ऋण की मूलधन चुकौती धारा ८० सी के तहत छूट के लिए पात्र है| यदि आपने एक नया घर खरीदा है और उस के लिए आवास ऋण लिया है, तो आप धारा ८० सी में उसका लाभ ले सकते हैं | यहाँ पर ध्यान देने वाली बात है कि आवास ऋण की सामान मासिक किश्त (EMI) में दो घटक होते हैं – “मूलधन” और “ब्याज”| आपको केवल मूलधन वाले हिस्से की राशि की ही धारा ८० सी के तहत छूट मिलेगी| ब्याज वाला हिस्सा भी आयकर की छूट के लिए पात्र है पर ८० सी के तहत नहीं, वह है धारा २४ के तहत| 
स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क – 
    स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क जब नया घर खरीदते समय देते हैं उस राशि का धारा ८० सी के तहत लाभ मिलता है | 
शिक्षण शुल्क – 
    एक या दो बच्चों की शिक्षा के लिए शिक्षण फीस के रूप में भुगतान राशि आयकर से मुक्त होती है और आप धारा ८० सी के तहत इसका लाभ ले सकते हैं | 
डाकघर सावधि जमा खाता – 
   डाकघर सावधि जमा खाता विभाग द्वारा बैंकिंग की पेशकश है जो की बैंक सावधि जमा के समान सेवा है|  आप किसी भी पोस्ट ऑफिस में अपना खाता खुलवा सकते हैं| डाकघर सावधि जमा खाते पर मिलने वाला ब्याज कर से मुक्त होता है| 
इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड – 
   इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड इन्फ्रा बांड के नाम से लोकप्रिय हैं | यह इंफ़्रास्ट्रक्चर कम्पनियों द्वारा जारी किये जाते हैं, इसे सरकार जारी नहीं करती है | जितनी भी राशि है आप इन बांडों में निवेश करते हैं, उतनी राशि पर धारा ८० सी के तहत कर से छूट ले सकते हैं | 
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना – 
    वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) भारत सरकार का उत्पाद है|  यह सबसे सुरक्षित निवेश विकल्पों में से एक है|  60 वर्ष से ज्यादा आयु वाले व्यक्ति इस खाते खोल सकते हैं| इस योजना के तहत 5 वर्ष के लिए निवेश निकला नहीं जा सकता है| जमाकर्ता यह जमा और 3 साल के लिए बढ़ा सकता है| इस योजना में जमाकर्ताओं को 9% ब्याज मिलता है| निवेश से अर्जित ब्याज कर से मुक्त नहीं है|

चैन्नई में कल का रात्रि भोजन और आसपास के वातावरण के कुछ चित्र से अपने जहन में बीती जिंदगी का कोलाज बन गया…

    कल का रात्रि भोजन जो कि फ़िर हमने सरवाना भवन में किया, माफ़ कीजियेगा बहुत से ब्लॉगर्स को हमने इसका नाम याद करवा दिया है, और केवल इसके लिये ही वो चैन्नई आने को तैयार हैं।

    जब हम पहुँचे तो पहले से ही इंतजार की लाईन लगी थी क्योंकि बैठने की जगह बिल्कुल नहीं थी, हमने लिखवा दिया कि भई हमारा भी नंबर लगा दो। पीछे वेटिंग में पाँच लोगों का बहुत बड़ा परिवार (बड़ा इसलिये कि आजकल तो हम दो हमारा एक का कान्सेप्ट है।) और उनके पीछे दो लड़के हमारी ही उम्र के होंगे और साथ में उनके साथ एक वृद्धा थीं। पहला हमारा ही नंबर था, जैसे ही एक टेबल खाली होने वाली थी वैसे ही वेटर ने हमें उस टेबल का अधिकार हमें इशारा करके दे दिया। जो उस टेबल पर बैठे थे वो भाईसाहब हाथ धोने गये थे तब तक वेटर उनका बिल लेकर आ गया और उनको खड़े खड़े ही पेमेन्ट भी देना पड़ा और वापस छुट्टे आने का इंतजार भी करना पड़ा।

    पर हम अपनी कुर्सी पर ऐसे धँस गये थे बिल्कुल बेशर्म बनकर कि हमें कोई मतलब ही नहीं है, हालांकि अगर ये हमारे साथ होता तो बहुत गुस्सा आता और शायद इस बात पर हंगामा खड़ा कर देते। जब हम इंतजार की लाईन में खड़े थे तभी मेन्यू कार्ड लेकर क्या खाना है वो देख लिया था जिससे बैठकर सोचने में समय खराब न हो क्योंकि बहुत जोर से भूख लगी थी।

    आर्डर दे दिया गया, जहाँ हम बैठे थे उसी हाल के पास में ही खड़े होकर खाने की व्यवस्था थी, सेल्फ़ सर्विस वाली। हमारी टेबल के पास ही एक टेबल पर एक लड़की पानी बताशे खा रही थी, तो बताशा उसने जैसे ही मुँह में रखा, तो मुँह खुला ही रह गया, क्योंकि बताशा एक बार के खाने के चक्कर में उसके मुँह में फ़ँस गया था, उसने कोशिश की पर कुछ नहीं हुआ फ़िर अंतत: अपने हाथ से बताशा मुँह के अंदर करना पड़ा ये सब देखकर हमें अपने पुराने दिन याद आ गये, जब हम अपने उज्जैन में चौराहे पर पानी बताशे वाले के यहाँ खड़े होकर बड़े बड़े बताशे निकालने को कहते थे कि मुँह में फ़ँस जाये। और हम सारे मित्र लोग बहुत हँसते थे।

    तभी हमारे सहकर्मी जो कि हमारे साथ थे कहा कि देखो उधर सिलेंडर देखो, तो उधर हमने देखा तो पाया कि एक सुंदर सी लड़की खड़ी थी, हमारा सहकर्मी बोलता है कि हमने सिलेंडर देखने को बोला है, लड़की नहीं। किसी जमाने में हम भी अपने दोस्तों के साथ यही किया करते थे, और बहुत मजा किया करते थे। अपने स्कूल कॉलेज के दिनों की बातें याद आ गईं।

    अगली टेबल पर एक छोटा परिवार (छोटा इसलिये कि वो हम दो हमारा एक कॉन्सेप्ट के थे) था जो कि खड़ा होकर खा रहा था। और अपने प्यारे दुलारे बेटे को गोल टेबल पर बैठा रखा था, और उसकी मम्मी पापा बड़े प्यार दुलार से अपने बेटे को अपने हाथों से खिला रहे थे। और साथ में प्यार भी करते जा रहे थे। हमें हमारे बेटे की याद आ गई, क्योंकि वो भी लगभग इतनी ही उम्र का है, और शैतानियों में तो नंबर वन है। कहीं भी चला जाये तो पता चल जाता है कि हर्षवर्धन आ गये हैं। होटल में तो बस पूछिये ही मत पूरा होटल सर पर रख लेंगे, होटल वाला अपने आप एक आदमी उसके पीछे छोड़ देता है, कि यह पता नहीं क्या शैतानी करने वाला है, और हम लोग अपना खाना मजे में खाकर बेटे को साथ में लेकर चल देते हैं, बेचारा होटल वाला भी मन में सोचता होगा कि ये हमारे यहाँ क्यों खाने आये हैं।

    आज हमें कुछ ज्यादा ही मोटे लोग नजर आये, तो समीर भाई “उड़नतश्तरी जी” की टिप्पणी याद आ गई, कि हमें तो खाने का फ़ोटू देखते ही वजन दो किलो बड़ गया, ध्यान रखें। मोटे लोगों को देखकर अनायास ही मुँह से निकल जाता है, ये देखिये अपना भविष्य। पर क्या करें बेशर्म बनकर उनको देखते रहते हैं।

    शाम को ही एक बिहारी की दुकान पर समोसा खा रहे थे, तो वहाँ पर एक बेहद मोटा व्यक्ति जलेबियाँ खा रहा था, कपड़े ब्रांडेड पहने हुआ था, और मजे में जलेबियाँ खाये जा रहा था, हम सोचने लगे कि ये तो हमसे लगभग तिगुना है फ़िर भी क्या जलेबियाँ सूत रहा है, तो बसे हम समोसे पर ही रुक गये और जलेबियों की ओर देखा भी नहीं, केवल उस मोटे व्यक्ति की ओर एक नजर देखकर चुपचाप सरक लिये।

    जब सरवाना भवन से खाकर निकले तो बिल्कुल पास में ही एक पान वाले भैया खोका लगाकर बैठते हैं, ५ दिन से हम इनके पर्मानेंट ग्राहक हैं, भैया जी इलाहाबाद के हैं और बहुत रसभरी प्यारी प्यारी बातें करते हैं पर तमिल पर भी उतना ही अधिकार है, जितना कि अपनी मातृभाषा पर, पर उनका टोन बिल्कुल नहीं बदला है, अभी भी ऐसा ही लगता है कि छोरा गंगा किनारे वाला ही बोल रहा है। उनसे हम अपना पान लगवाकर थोड़ी सी हिन्दी में मसखरी करके अपने रास्ते निकल लेते हैं। आज वे भी प्यार से बोले “बाबू आप भी हमारे मुल्क से लगते हो” हम भी बोल ही दिये “भई हम तो इलाहाबाद के दामाद हैं।” और चल दिये अपने ठिकाने की ओर…

तुम्हारे पास क्या है…

एक वरिष्ठ प्रबंधक जो कि बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत थे, रोज की तरह दोपहर के भोजन के बाद कॉफ़ी पीने के लिये कैफ़ेटेरिया में गये।

वह कैंटीन में थोड़ा आराम कर रहा था, तो उसने देखा कि एक लड़का कैंटीन की टेबल साफ़ कर रहा है।

उसने अपना समय बिताने के लिये उसके साथ थोड़ा मजा करने का सोचा, और उसे बुलाया….

वरिष्ठ प्रबंधक ने उस लड़के (रवि पुजारी) से पूछा: कितना कमा लेते हो ?

वह लड़का थोड़ा मुस्कराया…

वरिष्ठ प्रबंधक – अपने भविष्य के लिये क्या योजनाएँ हैं ?

वह लड़का चुप रहा कुछ बोला नहीं..

वरिष्ठ प्रबंधक – आज से १० वर्ष बाद तुम अपने को किस जगह देखते हो ?

वह लड़का उसे घूरता रहा पर कुछ बोला नहीं.

वरिष्ठ प्रबंधक – जब मैं बैंगलोर आया था तब मेरे पास भी कुछ नहीं था।

आज मेरे पास क्या नहीं है…

नाम है……

शोहरत है…….

पैसा है……

इज्जत है……

तुम्हारे पास क्या है ……. ?

उस लड़के का उत्तर क्या रहा होगा आगे देखिये….

अरे नहीं ऐसा मत सोचिये कि उसने दीवार वाले शशि कपूर वाला डॉयलाग मारा होगा “मेरे पास माँ है…”

लड़का – साब मेरे पास बहुत काम है….. जो तुम्हारे पास नहीं है !!!!!!!!

और वरिष्ठ प्रबंधक चुपचाप कैंटीन से चल दिया।

राजनीति से प्रेरित कुछ चुटकुले.. अगर सारे पाकिस्तानी चाँद पर चले जायें तो क्या कहोगे ?

पेंटागन पर हमले के तुरंत बाद सांत्वना के लिये चीन के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति बुश को फ़ोन किया :

“हमें हमले के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ, और हम इस कृत्य की घोर निंदा करते हैं, लेकिन अगर पेंटागन से कोई जरुरी दस्तावेज गुम हो गये हों, तो बता दें हमारे पास सभी की प्रति उपलब्ध है।”

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मुशर्रफ़ ने बुश को ११ सितंबर को फ़ोन किया –

मुशर्रफ़ – “राष्ट्रपति महोदय, मैं अपनी गहन संवेदनाएँ व्यक्त करना चाहता हूँ, यह घोर निंदनीय कृत्य है…यह भयानक त्रासदी है.. इतनी प्रसिद्ध इमारत…इतने सारे लोग.. लेकिन मैं आपको भरोसा दिलाता हूँ कि हमारा इस सबसे कोई संबंध नहीं है…”

बुश – कौन सी इमारत ? कौन से लोग ?

मुशर्रफ़ – ओह, अभी अमेरिका में समय क्या हुआ है ?

बुश – अभी सुबह के आठ बज रहे हैं।

मुशर्रफ़ – ओहो, मैं आपको एक घंटे बाद फ़ोन करता हूँ !

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बाजपेयी और बुश एक बार में बैठे हुए थे, एक आदमी वहाँ आया और बारमैन से बोला “ये बुश और बाजपेयी हैं क्या ?”

बारमैन बोला “ हाँ वही हैं..” तो वो उनके पास गया

और बोला “नमस्कार, आप लोग यहाँ क्या कर रहे हैं ?”

बुश बोले “हम लोग तीसरे विश्वयुद्ध की योजना बना रहे हैं”

तो वह आदमी बोला, “सच्ची, तो क्या क्या होने वाला है ?”

तो बाजपेयी बोले, “हम १४लाख पाकिस्तानियों और एक साईकिल सुधारने वाले को मारने वाले हैं ।”

उस आदमी ने चिल्लाते हुए कहा, “एक साईकिल सुधारने वाला ?!!”

बाजपेयी बुश की ओर मुड़े और कहा, “देखा, मैंने कहा था न कि कोई भी १४ लाख पाकिस्तानियों की चिंता नहीं करेगा !”

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पाकिस्तानी चाँद पर –

प्रश्न – अगर एक पाकिस्तानी चाँद पर चला गया तो क्या कहोगे ?

उत्तर – समस्या…

प्रश्न – अगर दस पाकिस्तानी चाँद पर चले जायें तो क्या कहोगे ?

उत्तर – समस्या…

प्रश्न – अगर सौ पाकिस्तानी चाँद पर चले जायें तो क्या कहोगे ?

उत्तर – समस्या…

प्रश्न – अगर सारे पाकिस्तानी चाँद पर चले जायें तो क्या कहोगे ?

उत्तर – ….समस्या खत्म !!!

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एक आदमी न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क में शाम के समय टहल रहा था, तभी उसने देखा कि एक बड़े से कुत्ते ने एक छोटी सी बच्ची पर हमला कर दिया।

वह दौड़ा और उस कुत्ते से उसे बचाने लगा और आखिरकार कुत्ते को मारने में उसे सफ़लता मिल ही गई और वह उस छोटी सी बच्ची को बचा पाया।

एक पुलिसवाला जो यह सब देख रहा था वह उस आदमी के पास आया और बोला – “तुम बहुत बहादुर हो”

कल तुम सारे अखबारों में यह खबर देखोगे – “बहादुर न्यूयॉर्कवासी ने छोटी सी बच्ची की जान बचाई”

वह आदमी बोला, “लेकिन मैं न्यूयॉर्क का रहने वाला नहीं हूँ !”

ठीक है, तो सुबह की खबर सारे अखबारों में इस प्रकार होगी –

“बहादुर अमेरिकी ने एक छोटी बच्ची की जान बचाई” वह पुलिसवाला बोला।

वह आदमी बोला-“मैं पाकिस्तानी हूँ !”

अगले दिन के अखबारों में खबर छपी, “उग्रवादी ने निर्दोष अमेरिकी कुत्ते को मारा”

कोलकाता के बंगाली डॉन क्यों नहीं होते…… ?

यह संस्मरण किसी भाषा या किसी क्षेत्र की बुराई नहीं करता है, और न ही इस मकसद से लिखा गया है, यह हमारे मित्र के साथ हुई एक सुखद याद है, संस्मरण है, किसी विवाद का विषय न बनायें, कोई बंगाली भाई बुरा न माने।

    हम पहले जिस कंपनी में कार्यरत थे उसी में एक लड़का कोलकाता से आया था, और हमारे ही कमरे में ठहरा था, उसे उसका मामा छोड़ने आया था, बंगालियों में प्रथा होती है कि अगर लड़का पहली बार बाहर जा रहा होता है तो कोई बड़ा छोड़ने जाता है। ऐसा उसने हमें बताया। हमने उससे कहा कि भई ये कंपनी का गेस्ट हाऊस है यहाँ तुम्हारे अंकल नहीं रुक सकते हैं। तो वो ऐसे ही हमसे बहस करने लगा। हमने उसे समझा दिया बेटा न तुम रह पाओगे और न तुम्हारे साथ तुम्हारे मामा। चुपचाप रह लो और इनको जल्दी से घर भेज दो, तुम्हारे घर वाले इनके लिये परेशान हो रहे होंगे।

    जब उसके मामा चले गये तब तो उसने बहुत ही परेशान कर दिया, बोलता क्या था और हमें समझता क्या था, वो बंगाली बाबू कहता था, हम रोटी खाता है और चाय भी खाता है, बस हमारे तो दिमाग की दही कर रखी थी।

    एक दिन ऐसे ही शाम को किसी बात पर गुस्सा आ गया अरे भई हमें नहीं उसे वो भी हमारे ऊपर। अंट शंट बोलने लगा, अब बेचारे को थोड़ी बहुत हिन्दी आती थी और अंग्रेजी भी ज्यादा नहीं आती थी। वैसे भी जब इंसान को गुस्सा आता है तो अपनी मातृभाषा में या जिस भाषा पर उसका ज्यादा अधिकार होता है, उसी में गाली बकने लगता है, अंट शंट बकने लगता है। बस हमें भी गुस्सा आ गया। हम उस समय ११वें माले पर रहते थे, कह अब एक भी शब्द निकाला तो “जहीं से नीचे फ़ेंक देंगे, चिल्लाता हुआ नीचे जायेगा और धप की आवाज आयेगी”। तो बस इतना हमारा कहना था कि वह तो और आगबबूला हो उठा, बोलता है कि हम भी ऐसा ही कुछ कर सकता हूँ।

     तो मैंने उससे मसखरी में ही पूछ लिया अच्छा बता तेरे बंगाल से आज तक कितने डॉन हुए हैं, मैं जहाँ का रहने वाला हूँ वहाँ के मैं गिनाता हूँ, क्योंकि अपनी तो अकल ही घुटने में है (समझ गये न कि मैं कहाँ का रहने वाला हूँ)। बोल अब बोलती बंद क्यों हो गयी, अबे बंगाली तो होते ही सीधे हैं, केवल जबान चलानी आती है परंतु हाथ चलाने में दम गुर्दे चहिये होते हैं, बस बंगाली बाबू बिल्कुल शांत।

    हमारे बंगाली मित्र बोलते हैं कि यह तो हमें भी नहीं पता कि कोलकाता के बंगाली डॉन क्यों नहीं होते….?