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आज श्रावण मास का स्वाति नक्षत्र है क्या आप इसके बारे में जानते हैं..

आज श्रावण मास का स्वाति नक्षत्र है और इसमें हुई वर्षा का जल ही चातक याने कि पपीहा पीता है जिसके विषय में प्रसिद्ध है कि यह पृथ्वी पर गिरे हुए जल को नहीं पीता है। जिसके बारे में कालिदास ने “मेघदूतम” के पूर्वमेघ में लिखा है –

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मन्दं-मन्दं नुदति पवनश्चानुकूलो यथा त्वां

वामश्चायं नदति मधुरं चातकस्ये सगन्ध:।

गर्भाधानक्षणपरिचयान्नून्माबद्धमाला:

सेविष्यन्ते नयनसुभगं खे भवन्तं बलाका:॥

यक्ष मेघ को अलका की ओर प्रस्थान के लिए शुभ शकुन का उल्लेख करते हुए कहता है –

“और जैसे कि अनुकूल वायु तुम्हें धीरे-धीरे प्रेरित कर रहा है तथा गर्व से भरा यह पपीहा तुम्हारे वाम भाग में स्थित होकर मधुर शब्द कर रहा है। निश्चय ही गर्भ धारण करने के आनन्द के अभ्यास के कारण पंक्तिबद्ध बगुलियाँ नेत्रों को सुन्दर लगने वाले आपकी आकाश में सेवा करेंगी॥”

माना जाता है कि जब कभी यात्रा पर निकलें तो बायीं ओर चातक का दिखायी देना शुभ माना जाता है। मोर, चातक आदि पक्षियों का तथा हरिणों का बायीं ओर होना शुभ माना जाता है। यह भी प्रसिद्ध है कि बगुलियां वर्षा में आकाश में पंक्तिबद्ध होकर मेघ के संयोग से गर्भ धारण करती है।

मंदिर क्यों जायें..

यदि आपमें आध्यात्म जीवित है, या आध्यात्मिक हो रहे हैं? तो आप इसे पसंद करेंगे!

यदि आपमें आध्यात्म मर गया हैं, तो आप इसे नहीं पढ़ना चाहेंगे।
यदि आप आध्यात्म में उत्सुक हैं तो वहाँ अभी भी आशा है!
कि मंदिर क्यों जायें? ?

एक ‘भक्त’ गोर ने  एक ? अखबार के संपादक को शिकायती पत्र लिखा कि मंदिर जाने का कोई मतलब नहीं।

‘मैं 30 साल से जा रहा हूँ  और आगे लिखा कि इतने समय में मैं कुछ 3000 मंत्र सुन चुका हूँ।

लेकिन अपने जीवन के लिए, मैं उनमें से एक भी याद नहीं कर  सकता हूँ।

इसलिये,  मुझे लगता है ये सब सेवाएँ देकर गुरु अपना समय बर्बाद कर रहे हैं और मैंने अपना समय बर्बाद किया?

इस पत्र को  “संपादक के नाम पत्र”  स्तम्भ में छापा गया और इससे असली विवाद शुरु हुआ, जिससे संपादक बहुत आनंदित हुआ।

ये सब ह्फ़्तों तक चलता रहा जब तक कि यह पक्की दलील नहीं दी गई –

मैं लगभग 30 साल से शादीशुदा हूँ और इस समय में मेरी पत्नी ने लगभग 32.000  बार भोजन पकाकर खिलाया होगा!

लेकिन जीवनभर खाना खाने के बाद भी मैं पूरी सूचि तो क्या ? मैं उनमें से कुछ एक भी याद नहीं कर सकता।

लेकिन मैं यह जानता हूँ … उस खाने से मुझे बल मिला और मुझे मेरा काम करने की जरूरत के लिये ताकत दी।

अगर मेरी पत्नी ने मुझे भोजन नहीं दिया होता, तो शायद आज मैं शारीरिक रूप से मर चुका होता ?

इसी तरह, अगर मैं मंदिर में पोषण के लिए नहीं गया होता तो मैं आज आध्यात्मिक रुप से मृत हो गया होता।

जब आपको कुछ भी समझ नहीं आता है …. तो भगवान ही कुछ करते हैं ! विश्वास दिखता है? अदृश्य, अविश्वसनीय को मानना ही पड़ता है और असंभव सी चीज भी प्राप्त हो जाती है!

भगवान का शुक्र है हमारे भौतिक और हमारे आध्यात्मिक पोषण के लिये!

अनुवादित – सोर्स

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indiatrace.com इंडियाट्रेस.कॉम मोबाईल, वाहन, आई.पी एड्रेस कुछ भी खंगालिये केवल भारत के लिये

क्या कोई बारबार मोबाईल पर फ़ोन करके आपको परेशान कर रहा है और आपको उसकी जगह का पता लगाना है कि वह किस जगह का नंबर है और किस कंपनी का उपभोक्ता है।

किसी भी वाहन का नंबर डालिये और उसके बारे में जानकारी आपके सामने होगी।

पिनकोड किस शहर का है ट्रेस कर सकते हैं।

आई.पी. एड्रेस किस जगह का है ट्रेस कर सकते हैं।

कोई डोमैन किसका है और अगर उसका पूरा पता और फ़ोन नंबर चाहते हैं तो वो भी आप ट्रेस कर सकते हैं।

ये साईट केवल भारत के लिये है, और भी कई चीजें ट्रेस करती है, खंगालिये ।

ऑनलाईन मूवी टिकिट करने के लिये कुछ वेबसाईट्स

movieये कुछ वेबसाईट्स हैं जिससे आप सीधे ऑनलाईन टिकिट बुक करवा सकते हैं और अच्छे अच्छे ऑफ़र्स का लाभ भी उठा सकते हैं।

क्याजुँगा –  KyaZoonga.com    

फ़नसिनेमा -  FunCinemas.com

एडलेबसिनेमा -  AdlabsCinemas.com

बुकमायशो -  BookMyShow.com

इटझसिनेमा -  ITZcinema.com

आइनोक्स मूवी – InoxMovies.com

पीवीआर सिनेमा -  PVRcinemas.com

इसिमूवीइंडिया -  EasymoviesIndia.com

फ़ेमसिनेमा – Famecinemas.com

सत्यमसिनेप्लेक्स -  Satyamcineplexes.com

दसिनेमा -  TheCinema.in

तो भूल जाइये वो लंबी लाईनें और खरीदिये ऑनलाईन टिकिट अपने घर या दफ़्तर से ही, साथ ही टेन्शन भी खत्म कि टिकिट मिलेगी या नहीं, पिक्चर देख पायेंगे या नहीं।

“पिलाओ सांप को दूध..” और उज्जैन में प्रथम मंजिल पर नागचंद्रेश्वर का मंदिर की मेरी यादें

“पिलाओ सांप को दूध..” आवाज बहुत सुनाई देती थी जब हम अपने छोटे से शहर में रहते थे, आज यह बात इसलिये याद आ गई जब बहुत सारी पोस्टें नागपंचमी के उपर पढ़ीं तो पता चला कि आज नागपंचमी है।

अलसुबह आवाज आना शुरु हो जाती थीं “पिलाओ सांप को दूध..” सपेरों की और वे अपने कपड़े की झोली में बांस की टोपली में सांप लेकर उनके मुंह को पकड़कर उनसे जबरदस्ती दूध पिलवाया करते थे, फ़िर सांप को उसी टोपली में छोड़कर बीन बजाकर सांप को हमला करने के लिये आमादा करते थे, ऐसे दृश्य हमने बचपन में बहुत देखे हैं।

एक बार हमने भी बीन बजाने की कोशिश की थी पर जब तक बराबर अभ्यास न हो कोई बजा नहीं सकता, जैसे शंख, बहुत जान लगाकर फ़ूँक मारना पड़ती है। पेट की अंतड़िया तक दुखने लगती है इतनी ताकत लगाना पड़ती है।

जब स्कूल और कालेज में पढ़ते थे तब मजाक में कहते थे एक दूसरे को कि मैं तेरे घर आने वाला हूँ दूध पीने के लिये, और दोस्त के घर पहुंचकर आवाज देते “पिलाओ सांप को दूध..”

महाकालेश्वर, उज्जैन में प्रथम मंजिल पर नागचंद्रेश्वर का मंदिर है जो कि पूरे वर्ष में केवल एक बार नागपंचमी के दिन ही खुलता है, जब हम पढाई करते थे तो लगभग हर वर्ष हम दर्शन करने जाते थे, कहते हैं स्वयं साक्षात तक्षक विराजमान हैं। साल दर साल जनसैलाब में वृद्धि होते देखी है, आस्था का व्यापार बड़ने लगा है, पहले जब लगभग हम रोज महाकाल में संध्या आरती में जाते थे तब शायद महाकाल के इतने भक्त नहीं थे जितने कि सिंहस्थ के बाद आने लगे, और हम आसानी से आरती में सक्रिय भूमिका निभाते थे नंदी गृह में बड़े घंटे बजाकर। पर आज संध्या आरती में जाना उतना ही मुश्किल ।

फ़ाईलहिप्पो.कॉम (filehippo.com) सभी ओपनसोर्स सोफ़्टवेयरों के नये वर्शन डाउनलोड करने के लिये

फ़ाईलहिप्पो.कॉम (filehippo.com) यह एक ऐसी साईट है जहां आपको लगभग सभी ओपनसोर्स सोफ़्टवेयरों के नये वर्शन डाउनलोड करने के लिये मिलेंगे। सोफ़्टवेयर्स को अलग अलग सेक्शन में कर दिया गया है जिससे खोज में आसानी होती है।

सबसे ऊपर के सेक्शन में नये वर्शन किस ओपनसोर्स सोफ़्टवेयर के उपलब्ध हैं उसकी जानकारी दी गई है। इसके पास ही एक और सेक्शन दिया गया है जिसमें सबसे ज्यादा कौन से सोफ़्टवेयर डाउनलोड किये गये हैं उन्हें दिया गया है।

फ़ाईलहिप्पो की सबसे अच्छी एक नया वर्शन अपडेट चेकर दिया गया है जिसे डाउनलोड कर लें जब भी आपके पीसी पर किसी ओपनसोर्स सोफ़्टवेयर का नया वर्शन उपलब्ध होगा तुरंत ही यह आपको बता देगा।


फ़ाईलहिप्पो.कॉम के लिये यहाँ चटका लगाईये।

ब्लोगर्स के विचारों के इंतजार में – क्या नई बहू को थोड़े दिन ससुराल में रुकना चाहिये और नई व्यवस्था को समझना चाहिये ?

नई बहू को थोड़े दिन ससुराल में रुकना चाहिये और नई व्यवस्था समझना चाहिये। ससुराल में साथ में रहने से नये परिवार के प्रति अपनापन भी आयेगा और उनकी व्यवस्थाएं भी समझ में आयेंगी।

ज्यादातर ब्लागर्स इस बात से सहमत हैं कि नई बहू को ससुराल में कुछ वक्त गुजारना चाहिये और कुछ का कहना है कि आजकल नई बहू से सास ससुर ने कुछ उम्मीद लगाना ही छोड़ दिया है।

आपकी महत्वपूर्ण राय की प्रतीक्षा है इस पोस्ट पर –

नई बहू का कुछ समय ससुराल में रहना जरुरी है !!

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बारिश में अपना धंधा बहुत अच्छा चलता है।

रोज ऑफ़िस आना जाना हम ऑटो से करते हैं और ऑटो में बैठते ही अपनी हिन्दी की किताब पढ़ना शुरु कर देते हैं पूरा आधा घंटा मिल जाता है। रोज आधा घंटा या कभी ज्यादा कभी थोड़ा कम समय का सदुपयोग हम हिन्दी साहित्य पढ़ने में व्यतीत करते हैं, शाम को लौटते समय अँधेरा हो जाता है तो शाम का वक्त फ़ोन पर बतियाते हुए अपने रिलेशन मैन्टेन करने मैं व्यतीत करते हैं। इस आधे घंटे में हम शिवाजी सामंत का प्रसिद्ध उपन्यास “मृत्युंजय” पढ़ चुके हैं, जिसके बारे में कभी ओर चर्चा करेंगे। आजकल महाकवि कालिदास का प्रसिद्ध खण्डकाव्य “मेघदूतम” पढ़ रहे हैं।

आज सुबह जब मैं  ऑटो से अपने ऑफ़िस जा रहा था, तो बहुत धुआंधार हवा के साथ बारिश हो रही थी। आटो में दोनों तरफ़ प्लास्टिक का पर्दा गिराने के बाद भी कुछ बूँदे हमें छू ही रही थीं। हम बारिश का मजा ले रहे थे तभी ऑटोवाला बोला कि आप किधर से जायेंगे “मलाड सबवे” से या कांदिवली के नये “फ़्लायओवर” से, हमने कहा कि हमारा रास्ता तो “फ़्लायओवर” वाला ही है क्योंकि यह रास्ता बारिश में सबसे सुरक्षित है, कहीं भी पानी नहीं भरता है। “मलाड सबवे” में तो थोड़ा बारिश होने पर ३-४ फ़ीट पानी भर जाना मामूली बात है।

 

फ़िर ऑटो वाला बोला कि साहब ये बारिश में अपना धंधा बहुत अच्छा चलता है क्योंकि हर आदमी ऑटो में आता जाता है, पैदल चलने वाला भी ऑटो में सवारी करता है। बस की सवारी भी ऑटो में यात्रा करती है  वह भी यह सोचती है कि कहां बस में भीगते हुए जायेंगे। लोकल ट्रेन में पास के स्टेशन पर जाने वाले भी ऑटो में ही यात्रा करते हैं तो कुल मिलाकर यात्री ज्यादा हो जाते हैं और ऑटो कम। अमूमन आधे ऑटो वाले ही बारिश में ऑटो बाहर निकालते हैं क्योंकि बारिश में ऑटो खराब होने का डर ज्यादा रहता है। वह ऑटोवाला शुद्ध हिन्दी भाषा में बात कर रहा था और जौनपुर टच टोन लग रही थी। वैसे यहाँ पर ज्यादातर ऑटो वाले यूपी या बिहार से ही हैं और उनसे ही शुद्ध हिन्दी सुनने को मिलती है, नहीं तो यहां हिन्दी भाषा का विकृत रुप ही बोला जाता है।

नई बहू का कुछ समय ससुराल में रहना जरुरी है !!

जब कोई भी माता पिता अपने लड़के की शादी करते हैं तो मन में कहीं न कहीं ये आस होती है कि नई बहू आयेगी और हमारी सेवा करेगी और हम उसे बेटी मानकर प्यार देंगे।

 

अक्सर लड़का घर से दूर होता है तो शादी के तुरंत बाद ही वह उनकी नई बहू को अपने साथ ले जाता है और अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करता है। परंतु छोटी छोटी बातों पर झगड़ा या मनमुटाव होता है या फ़िर दोनों में से किसी एक को दूसरे की आदतों के साथ समझौता करना पड़ता है। हमेशा आशा ये की जाती है कि बहू घर में आयी है तो घर सम्भालेगी, और अपने नये घरवालों की हर छोटी बड़ी बातों का ध्यान रखेगी

 

ससुराल में बहू को कुछ समय इसीलिये ही बिताना चाहिये कि वह सभी घरवालों को भली भांति समझ लें और घरवाले अपनी नई बहू को जान लें और अपने अनुकूल ढाल लें, जो संस्कार और जिन नियमों में उन्होंने अपने लड़के को पाला है बहू उन नियमों से भली प्रकार परिचित हो जाये जिससे नई दंपत्ति को असुविधा न हो। लड़के को क्या क्या चीजें खाने में पसंद हैं क्या नापसंद हैं। कैसे मूड में उससे कैसा व्यवहार करना है यह तो केवल ससुरालवाले ही बता सकते हैं। ससुराल में रहने से उसका घरवालों के प्रति अपनापन पैदा होता है, नहीं तो अगर वो कुछ दिनों के लिये ही ससुराल जायेगी तो केवल मेहमान बनकर मेजबानी करवाकर आ जायेगी,  अपनेपन से सेवा नहीं कर पायेगी।

 

आप अपनी राय से जरुर अवगत करायें।

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बैंकज्ञान ब्लोग का नया बैनर मेरे ब्लोग कल्पतरु पर

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आज बहुत ढ़ूँढ़ने के बाद मैं अपने बैंकज्ञान ब्लोग का बैनर बना पाया हूँ, जरा देखिये ओर बताईये कैसा है।

अगर किसी को पता हो तो बतायें कि आसान तरीके से बैनर कैसे बना सकते हैं।

वैसे यह सलाह मुझे कुवैत वाले जीतू भाई ने दी थी, उनका धन्यवाद।