आप कैसा व्यवहार करते हैं और कैसे दूसरे से बातें करते हैं, यह आपका खुद का आईना होता है। कभी यह परवरिश का नतीजा होता है तो कभी यह हमारे प्रोफेशन में होने वाली कठिनाईयों का नतीजा होता है। हम व्यवहार में सामने वाले से कैसे बातें करते हैं, उसकी कितनी इज्जत करते हैं, Continue reading आप कैसा व्यवहार करते हैं
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और दौड़ के लिये समय निकल ही आया
अक्टूबर से दौड़ना बंद था, कभी किसी काम में व्यस्त तो कभी किसी काम में और समय ही नहीं निकल पाया, दरअसल दौड़ हमारी पिछले वर्ष जुलाई से ही कम हो गई थी। पर खैर देर आयद दुरुस्त आये। आज से फिर दौड़ शुरू की है, सबसे बड़ी समस्या समय की है, समय उतना ही है और काम बहुत सारे करने हैं। तो सोचा कि चलो अब नींद के समय में से थोड़ा समय चुराया जाये, अभी 6 बजे उठ रहे थे, अब आज से सुबह 5 बजे उठना शुरु कर दिया, और दौड़ के लिये समय निकल ही आया और साथ ही आधा घंटा बोनस का अपने पढ़ने लिखने के लिये ओर मिल गया।
सबसे बड़ी समस्या केवल और केवल आलस है। आज जब सुबह तैयार होकर दौड़ने जा रहे थे, तो लग रहा था कि आज किसी बहुत बड़ी समस्या का हल निकल गया है और फिर जब धीरे धीरे दौड़ना शुरू किया तो सारी समस्या ही खत्म हो गई। एक किमी दौड़ने के बाद जब पसीना आना शुरु हुआ तो समझ आया कि यह अहसास कितना अच्छा है। सुबह दौड़ते समय ताजी हवा से फेफड़े भी प्रसन्न हो रहे थे। सुबह कोई शोरगुल नहीं, न कार न स्कूटर, यहाँ तक कि सड़क पर पैदल चलने वाले भी नहीं थे। बस दूध देने वाले, समाचार पत्र देने वाले या कार साफ करने वाले दिख रहे थे। सुरक्षाकर्मियों की सुबह की ड्यूटी बदल रही थी, वे अपने नियत स्थान पर जा रहे थे। हमने देखा कि अब सारे सुरक्षाकर्मी बदले हुए हैं, वो भी 2-4 दिन में हमें पहचान जायेंगे, वैसे भी जब कॉलोनी के गेट से निकलते हैं, तो पहचानते तो होंगे ही।
हर एक राऊँड के बाद में पानी जरूर पी लेता हूँ, मेरा एक राऊँड लगभग 1.5 किमी का होता है, सतीश सक्सेना जी से बात करते हुए हमें भी यह लगा था, कि जब रिक्शे वाला कितने ही किमी बिना कोई एनर्जी ड्रिंक लिये रिक्शा खींच लेता है, तो हम क्यों लें, वैसे ही खेत का मजदूर, या अनाज मंडी का हम्माल। अब हम भी केवल दौड़ते हुए केवल पानी पीते हैं, हाँ जब लंबी दूरी के लिये दौड़ना होगा तब कुछ न कुछ एनर्जी ड्रिंक लेना ही होगा, क्योंकि पसीने के साथ सारा नमक निकल जाता है।
घर आते ही जबरदस्त वाली भूख लगने लगी, तो रिलेक्स करने के बाद सबसे पहले एक केला खाया और फिर 5 मिनिट का आराम करने के बाद नहाने चल दिये। अब अपने रोज के कार्य करने के लिये तैयार हैं, तो सोचा कि उसके पहले 10-15 मिनिट में अपने अनुभव ब्लॉग पर लिखते चलें।
वैसे शेयर बाजार आज अच्छा करने की संभावना है, क्योंकि वैश्विक बाजारों ने मंदी से उबरने के संकेत दिये हैं। सुबह ही सुना कि हीरो मोटर्स के नतीजे अच्छे आये हैं और उन्होंने 55 रूपये का डिविडेंड दिया है, हीरो मोटर्स के शेयर का भाव लगभग 3500 रूपये है, उस हिसाब से डिविडेंड का प्रतिशत 2 भी नहीं आता है, इससे बेहतर है कि REC के शेयर खरीदे जायें, जहाँ कि डिविडेंड यील्ड़ बहुत अच्छी है।
सुबह के मन का आलस या जिद बहुत खतरनाक होते हैं।
हर रोज हम जो काम करते हैं, वह निरंतर करने की इच्छा कभी कभी नहीं होती है, हम उस क्रम को किसी न किसी बहाने तोड़ना चाहते हैं। सुबह के मन का आलस या जिद बहुत खतरनाक होते हैं। सुबह उठकर कई बार ऐसा लगता है कि आज फिर काम पर जाना है, खाना बनाना है या स्कूल जाना है। मतलब कि जो भी काम हम नियमित रूप से कर रहे हैं, उस क्रम को हम तोड़ना चाहते हैं। इसे आलस कहें या जिद कहें, पर यह होता सबको है। यकीन मानिये कि आपको अगर यह नहीं होता तो आप असाधारण मानव है। Continue reading सुबह के मन का आलस या जिद बहुत खतरनाक होते हैं।
बिटक्वाईन वाले करोड़पति (Millionaire by Bitcoin)
आज शाम के समय की बात है हमारे एक सहकर्मी ने अपने ऑफिशियल चैट प्रोग्राम पर पिंग किया और पूछा कि बिटक्वाईन में निवेश किया या नहीं? हमने रोज वाले अंदाज में ही कहा कि नहीं भई, अपने को बिटक्वाईन नहीं जमता और न ही अभी तक समझे हैं, तो बेहतर है कि ऐसी चीजों के निवेश से दूर ही रहें, जो समझ में न आती हों। तब वे बताने लगे कि एक उनके मित्र ने 8 लाख बिटक्वाईन में लगाये थे जो कि अब लगभग 48 लाख रूपये हो चुके हैं, और उन्होंने भी देखा देखी 4 लाख 3 सप्ताह पहले लगाये हैं जो अब 6.24 लाख रूपये हो चुके हैं। हमें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि जो बंदा म्यूचुअल फंड तक में पैसे लगाने से डरता था, केवल किसी और के पैसे बढ़ गये तो उसने अपने 4 लाख रूपये का रिस्क याने कि जोखिम ले लिया। हमें कहने लगे कि और 2-3 सप्ताह देखते हैं, अगर सब कुछ ठीक रहा तो पैसा दोगुना तो हो ही जायेगा। Continue reading बिटक्वाईन वाले करोड़पति (Millionaire by Bitcoin)
किसका झंडा (Flag) विश्न में सबसे ऊँचा फहराया जाता है? Which flag is hoisted long?
किसका झंडा (Flag) विश्न में सबसे ऊँचा फहराया जाता है? Which flag is hoisted long?
सारी लड़ाईयाँ केवल बंदूकों और तोपों से नहीं लड़ी जाती हैं, और खासकर जबकि यह भारत और पाकिस्तान के बीच की बात हो। पिछले कुछ महीनों से भारत और पाकिस्तान के बीच झंडे की ऊँचाई पर तनातनी चल रही है, भारत के बाघा अटारी सीमा पर झंडे की ऊँचाई इसका कारण है।
भारत के बाघा अटारी सीमा पर झंडा फहराने के 8 महीने बाद, पाकिस्तान ने अपने 70वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 14 अगस्त को भारत के झंडे से 50 फिट ऊँचा झंडा फहराया।
पाकिस्तान के इस झंडे को दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा झंडा माना जा रहा है, साथ ही विश्व में आठवाँ ऊँचा झंडा है। पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मध्यरात्रि में बाघा अटारी सीमा के पास यह झंडा फहराया।
8 मार्च 2017 को जब भारत ने 350 फिट ऊँचा झंडा बाघा सीमा पर फहराया, यह झंडा 20 किमी दूर लाहौर से भी देखा जा सकता था। पाकिस्तान ने ऊँचे झंडे पर भारत के बीएसएफ से आपत्ति दर्ज करवाई कि यह जासूसी करना का एक तरीका है और इस झंडे में जासूसी कैमरे लगे हैं, जो कोई देख नहीं सकता है। जिससे भारत पाकिस्तान की खुलाआम जासूसी करेगा। परंतु, भारत ने जबाब दिया कि हमने झंडा फहराने से कोई भी नियम नहीं तोड़ा है और पंजाब के मंत्री अनिल जोशी ने बड़ा बयान दिया कि यह हमारे भारत का झंडा है और अपनी सरजमीं पर हमें इसे फहराने से कोई नहीं रोक सकता।
फिर भी, तिरंगा याने कि भारत के झंडे को कई बार उतारना ही पड़ा, इसका कारण बाघा सीमा पर बहुत तेज चलने वाली हवायें हैं, जिससे एक महीने में 4 बार झंडा फट चुका था। कहा जा रहा है कि ऊँचा झंडा बनाने वालों ने बाघा सीमा पर चलने वाली तेज गति से चलने वाली हवाओं को ध्यान में रखकर झंडा नहीं बनाया था। बाद में जुलाई 2017 में पाकिस्तान ने कहा कि वह भी 400 फीट ऊँचा झंडा स्वतंत्रता दिवस पर फहरायेगा। अफवाह है कि इस झंडे को जिस टॉवर पर फहराया गया है, उस पर हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगे हैं जो कि भारतीय सीमा के अंदर तक जासूसी कर सकते हैं।
सुरक्षा सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है कि चीन ने इस झंडे को प्रायोजित किया है, जिसकी कीमत लगभग 7 करोड़ रूपये आई है। कहा यह भी जा रहा है कि इसके ऊपर हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगा रखे हैं जो कि न केवल अटारी तक जूम करके देख सकते हैं बल्कि अमृतसर के पास भारतीय सेना का खसास कैंट और बीएसएफ के हैडऑफिस तक जासूसी कर सकता है। इस टॉवर को इस तरह से बनाया गया है कि कम से कम एक दर्जन पाकिस्तानी जवान इस पर खड़े हो सकते हैं और भारतीय सीमा की जासूसी कर सकते हैं।
360 फीट ऊँचाई
लागत 2.43 करोड़ रूपये और 1.25 लाख रूपये प्रति झंडे की कीमत
मरम्मत का खर्च 15 लाख रूपये
400 फीट ऊँचाई
लागत 7 करोड़ रूपये
झंडे का आकार 120×80 फीट
सऊदी अरब के जेद्दाह में झंडा
जेद्दाह में झंडा फहराने के विश्व में सबसे ऊँचा बिना किसी सहारे के स्तम्भ है जो कि सन 2014 में बनाया गया था। इसकी ऊँचाई 171 मीटर (561 फीट) है। झंडा फहराने के स्तम्भ को बनाने में 500 टन स्टील का उपयोग हुआ है, केवल झंडे का वजन ही 570 किलो है। झंडे का आकार 162×108 फीट का है।
दुशान्बे का झंडा फहराने का स्तम्भ, तजाकिस्तान
दुशान्बे का झंडा फहराने का स्तम्भ विश्व का दूसरा ऊँचा स्तम्भ है। यह पैलेस ऑफ नेशन्स के ठीक सामने दुशान्बे में है। इसकी ऊँचाई 154 मीटर (541 फीट) है।
राष्ट्रीय ध्वज स्कवेयर, अजरबैजान
पहले यही ध्वज सबसे ऊँचा था और इसी के नाम पर सबसे ऊँचा ध्वज होने का कीर्तिमान था। इसकी ऊँचाई 162 मीटर है, और इसकी बनाने की शुरूआत 30 दिसंबर 2007 को अजरबैजान के राष्ट्रपति द्वारा की गई थी।
पन्मुनजोम का झंडा फहराने का स्तम्भ, उत्तर कोरिया
जब दक्षिण कोरिया ने दाइसोंग-डोंग में 323 फीट ऊँचा झंडा फहराने का स्तम्भ बनाया, तब उत्तर कोरिया ने जबाब में उससे ऊँचा स्तम्भ बनाया। पन्मुनजोम स्तम्भ उत्तर कोरिया के किजोंग-डोंग में 525 फीट ऊँचा है और लंबे समय तक इसे विश्व का सबसे ऊँचा झंडा होने का गौरव प्राप्त था।
अश्बागात का झंडा फहराने का स्तम्भ, तुर्कमेनिस्तान
अश्बागात का स्तम्भ बिना किसी सहारे के खड़ा हुआ विश्व का पाँचवे नंबर का स्तम्भ है। इसकी ऊँचाई 436 फीट है, यह तुर्कमेनिस्तान में 2008 में बनाया गया था।
राघदान का झंडा फहराने का स्तम्भ, जॉर्डन
राघदान का झंडा फहराने का स्तम्भ जॉर्डन के अम्मान में 416 फीट ऊँचाई का है, और यह स्टील से बना हुआ है। यह राघदान पैलेस के रॉयल घराने अल-मैक्वार में फहराया हुआ है। इसे 10 जून 2003 को फहराया गया था, और इसे राजधानी के 20 किमी दूर से भी देखा जा सकता है।
ऑफिस में टिफिन न खाया तो क्या करें? घर पर झगड़ा मोल लें? कैसे बचें?
रोज सुबह हमारी घरवालियाँ ऑफिस के लिये टिफिन तैयार करके देती हैं, वे सुबह जल्दी उठकर, सारी सब्जियाँ काटकर, पकाकर, अच्छे से सजाकर ऑफिस के लिये टिफिन तैयार करके देती हैं। परंतु कई बार होता है कि हमें या तो टिफिन का खाना अच्छा नहीं लगता है, टिफिन पास में होते हुए भी बाहर का खाना खाने की इच्छा होती है या फिर ऑफिस पहुँचने पर हमें पता चलता है कि आज ऑफिस में कोई सहकर्मी या ऑफिस की तरफ से दोपहर के भोजन का प्रबंध किया गया है। पर जब हमारे पास घर का खाना याने कि टिफिन होता है तो हमारा मन नहीं मानता है और इस प्रकार की स्थिती से सामना विभिन्न प्रकार से किया जाता है। मुझे पता है यह समस्य़ा बहुत से लोगों के साथ होती है। आज की भागती दौड़ती जिंदगी की समस्यायें कंपनियाँ भी समझती हैं और कई कंपनियाँ तो दोपहर का भोजन भी उपलब्ध करवाती हैं, कुछ कंपनियाँ अपने कर्मचारियों का भोजन प्रबंध अपना दायित्व समझती हैं तो कुछ किसी भोजन कांट्रेक्टर को ठेका दे देती हैं। कैसे इन परिस्थितियों को सामना किया जाये, यह महत्वपूर्ण है – Continue reading ऑफिस में टिफिन न खाया तो क्या करें? घर पर झगड़ा मोल लें? कैसे बचें?
पेट्या या नोटपेट्या एक रहस्य (Mystery of Petya or NOTPetya)
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने पिछले मंगलवार को हुए पेट्या रैनसमवेयर के हमले को वाइपर का हमला बताया है। यह वायरस पेट्या रैनसमवेयर Petya Ransomware जैसा लगता है, परंतु दरअसल यह वाइपर है, वाइपर मतलब कि वाइप कर देने वाला नोटपेट्या NOTPetya या उड़ा देने वाला।
जब पेट्या रैनसमवेयर का हमला होना शुरू हुआ और बहुत सारे देशों में कंप्यूटर बंद होना शुरू हुए। उस समय साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने यह नहीं सोचा था कि यह नये तरीके का मेलवेयर है, जो की रेन्सम नहीं मानता बल्कि कंप्यूटर का पूरा डाटा हमेशा के लिए खत्म कर देता है, मतलब की डाटा को करप्ट कर देता है।
इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि शोधकर्ताओं ने कहा है जो भी वायरस मंगलवार को आया वह रैनसमवेयर था ही नहीं, दरअसल इसका मुख्य उद्देश्य हार्डडिस्क को और जितने भी कंप्यूटर उस नेटवर्क पर हैं उन सबको संक्रमित करना था। एक बार कोई भी कंप्यूटर वाइपर मैलवेयर से संक्रमित हो गया तो उसे करप्ट होने से कोई नहीं बचा सकता था।
कास्पेरेस्की के विशेषज्ञों ने बताया है कि यह जो नया वाइरस आया है पेट्या रैनसमवेयर के अपने सारे पुराने वर्जन से बिल्कुल अलग है।
अभी तक इस वायरस को कोई नया नाम नहीं दिया गया है इसीलिए इसे नॉटपेट्या भी कहा जा रहा है। यह हमला बहुत ही सुनियोजित तरीके से किया गया था, वाइपर जिसे कि नॉटपेट्या भी कहा जा रहा है, उसका खुद का कोई इंस्टॉलेशन ID नहीं है मतलब कि जब कोई भी वायरस या सॉफ्टवेयर कहीं पर भी संस्थापित होता है तो अपनी कोई पहचान जरूर पीछे छोड़ देता है। पर यहाँ पर सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस वायरस से होने वाले एंक्रिप्शन का डिक्रिप्शन नहीं हो पा रहा है।
साफ शब्दों में अगर कहा जाए तो इसका सार यह है कि जो भी इस वायरस का शिकार हुआ है उनका डाटा रिकवर नहीं किया जा सकता है। सन 2016 के लेटेस्ट वर्जन में इंस्टालेशन ID में रिकवरी की Recovery Key के लिए जरूरी जानकारी रहती थी। परंतु मंगलवार को हुए हमले के वायरस में इस तरह की जो इंस्टालेशन key मिली है उसका कोई लिंक नहीं है।
एसोसिएटेड प्रेस का कहना है कि यह जो साइबर आक्रमण हुआ है, उसका मुख्य मकसद पूरे विश्व को आर्थिक तौर पर नुकसान पहुँचाना है। वाइपर मैलवेयर का उपयोग रशिया और उसके पड़ोसी यूक्रेन पर किया गया था और इसके पहले हुए आक्रमण में जो कि वानाक्राई था, वह रैनसमवेयर था जिसमें वह पैसे उगाहते थे।
इस नए मैलवेयर के आक्रमण से यह तो साफ हो गया कि इस बार का निशाना यूक्रेन के व्यापारी, यूक्रेन का व्यापार, और यूक्रेन की सरकार थी। किसी भी वायरस में रैनसमवेयर का मेन कंपोनेंट स्मोक स्क्रीन होता है।
इस वायरस से बहुत बड़ा नुकसान हुआ है और उस नुकसान का अनुमान अभी भी लगाया जा रहा है। कुछ ATM वापस से शुरू हो चुके हैं और कुछ बैंकों ने अपना कार्य सीमित रूप में करना शुरू किया है। जो नुकसान लगाया गया है वह करोड़ों रुपए का नहीं, बल्कि अरबों रुपए का है। यह नुकसान केवल यूक्रेन का लगाया गया है। माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार लगभग 64 देशों में इस मैलवेयर ने आक्रमण किया है जिसमें रशिया, जर्मनी और अमेरिका भी शामिल है। आने वाले दिनों में हम मैलवेयर वायरस, रैनसमवेयर वायरस और नए तरह के वायरस के द्वारा आक्रमण होने की पूरी संभावना है।
https://mykalptaru.com/petya-ransomware-attack/
https://mykalptaru.com/risk-from-cyber-crime/
साइबर क्राइम (Cyber Crime) से होने वाले खतरे
अधिकतर संगठित साइबर क्राइम (Cyber Crime) धन के लिए ही किए जाते हैं जिसमें सबसे ज्यादा फ्रॉड बैंकिंग में होते हैं। जब हैकर कारपोरेट खातों पर अटैक करते हैं, जिससे बहुत ही कठिन सुरक्षा चक्रों को तोड़कर वह सारी सुरक्षा को धता बता देते हैं। लेकिन अगर हैकिंग के पीछे बड़े कारण देखें तो वह है धन, याने कि पैसा जल्दी से जल्दी पैसा कमाना। धन के लिए हैकिंग करना व किसी और चीज के लिए हैकिंग करने में दोनों का अनुपात 99 और 1 का है। हैकिंग में जिन टूलों की मदद ली जाती है वे हमेशा साइबर पर ही गुप्त तरीके से रखे जाते हैं, जो सबसे खतरनाक बात है। यही टूल और वायरस साइबर और कंप्यूटर दोनों के लिए समान रूप से खतरनाक है, इसके लिए वायरस से निपटने वाली कंपनियाँ और हैकिंग से निपटने वाली कंपनियों को दोनों ही प्रकार के खतरों से निपटना आना चाहिये। नॉर्थ कोरिया की स्पेशल फोर्सेस ने साइबर हथियार विकसित कर लिया है, इसका एक बेहतरीन उदाहरण बैंक ऑफ बांग्लादेश का है। 81 मिलियन डॉलर की लूट में रशिया की साइबर सिक्योरिटी कंपनी का दावा है कि यह लूट नार्थ कोरिया की स्पेशल फोर्स का कारनामा है।
हमारे पास इस तरह के विशेषज्ञ होना चाहिए जो कि डिजिटल क्राइम इंवेस्टिगेशन कर सकें, डिजिटल फॉरेंसिक इंवेस्टिगेशन कर सकें। हमारे पास आधुनिक फॉरेंसिक लैब होनी चाहिये, जहां पर क्लासिक डिजिटल और मैलवेयर फॉरेंसिक दोनों सुविधाएं उपलब्ध हों और यह फॉरेंसिक लैब हमारे देश के कंप्यूटरों को सुरक्षा भी प्रदान कर सके। इस तरह की फॉरेंसिक लैब में हमारे बहुत सारे हैकर्स होने चाहिए जो की एक क्लोज ग्रुप के जैसा काम करें। यह फॉरेंसिक लैब हमारे भारतीय इन्फ्रास्ट्रक्चर की भी सुरक्षा करने में सक्षम होने चाहिए। जब तक आप साइबर क्रिमिनल को पहचानोगे नहीं, तब तक आप उन्हें पकड़ भी नहीं पाओगे। तो इंफ्रास्ट्रक्चर और ह्यूमन इंटेलिजेंस स्केल बहुत जरूरी है इस फॉरेंसिक लैब में कम से कम 500 लोग होना चाहिए और इन फॉरेंसिक लैब को आईटी कंपनियाँ, बीएफएसआई सेक्टर यूनिट्स, सरकारी एजेंसियाँ और कंपनियाँ जिनके ब्रांड प्रसिद्ध हैं, उन सबको सेवाएं देनी चाहिए
हमें बहुत ही मजबूत साइबर क्राइम सेल चाहिए जिससे कि यह हम सुनिश्चित कर सकें कि जो भी हमारा क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर है, उसके ऊपर हैकर आक्रमण ना कर सकें। साधारणतया हैकर उन्हीं क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को हैक करने की कोशिश करते हैं, जहाँ से उन्हें बहुत सारे पैसे मिलने की उम्मीद होती है। अगर क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर जो कि सुरक्षित है, वह इसलिए क्योंकि बहुत सारे लोग उस पर एक साथ आक्रमण नहीं कर रहे हैं। अगर बहुत सारे हैकर एक साथ इन क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर आक्रमण करें तो वह इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित नहीं रहेगा
इन फॉरेंसिक लैब्स के लिए बड़े क्लाइंट हो सकते हैं बैंक फाइनेंशियल सर्विसेस कंपनियाँ, बीमा कंपनियाँ, मिलिट्री सरकारी कंपनियाँ, स्टॉक मार्केट।
जापान और जर्मनी अपने कंप्यूटर नेटवर्क और इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुरक्षित करने में सबसे आगे हैं, और सब जगह जब तक कोई घटना नहीं हो जाती तब तक कोई कार्यवाही नहीं की जाती। तभी इस तरह की घटनाओं को रोकने की कोशिश की जाती है जब कोई हमला होता है। इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है कि जब तबियत खराब होगी तभी हम उसे ठीक करने की सोचेंगे।
रैनसमवेयर वानाक्राई WannaCry Ransomware एंटरप्राइज यूजर्स के लिए इस साल की सबसे बड़ी शिक्षा है, अब 2017 के बाद वाले भविष्य में आप सुनिश्चित कर लें या तो आपके पास बैकअप हो हमेशा या फिर आप इंटरनेट या कंप्यूटर को उपयोग करना बंद कर दें।
उक्तियाँ हमारे जीवन को नई दिशा देती हैं
आज सुबह जब मैं सोकर उठा तो मेरे लिए एक उदासी भरे दिन की शुरुआत थी। मैं किसी परेशानी को लेकर असमंजस की स्थिति में था। सुबह उठने के बाद नित्य कर्म से निवृत्त होकर रोज ही उक्तियाँ लिखता था, पर आज बेटेलाल को स्कूल भेजने की तैयारी में जुट गया। मैं अपने आपको कहीं व्यस्त रखना चाह रहा था । बहुत ही धीमी गति से वक्त व्यतीत हो रहा था। मैं किसी चीज को अपने से परे धकेलना चाह रहा था, पर वह चीज धकेली ही नहीं जा रही थी। Continue reading उक्तियाँ हमारे जीवन को नई दिशा देती हैं
अच्छी नींद का कारोबार
कौन कितना दौलतमंद है, ताकतमंद है, इसे जानने के लिए उसकी नींद पर गौर करें। आजकल नींद का कारोबार प्रगति पर है और तरह तरह के शोध और प्रयोग हो रहे हैं।
क्या कभी ऐसा भी हो सकता है कोई आवाज़ लगाता हुआ आये, नींद ले लो नींद, इतने रुपए किलो नींद ले लो। तो क्या आप कभी नींद खरीद पाएंगे। या बाजार जाएं और बाजार से अपने लिए कुछ घंटों की आरामदायक नींद खरीद कर ला पाएं। हो सकता है कि तकनीक के कारण भविष्य में यह भी संभव हो।
इस बारे में बहुत शोध हुए हैं जिसमें नींद को केंद्र में रखा गया है, और पता लगाने की कोशिश की गई कि नींद गहरी आने के लिए या कितने समय सोना चाहिए, उसके लिए किन तत्वों का ध्यान रखना चाहिए। लेकिन शोध भी तभी काम आते हैं जब हम उनके बताए गए रास्तों को बहुत ही गंभीरता से अपने जीवन में उतारें।
नींद ना आने के कारण सबसे बड़ी समस्या होती है हमारा दिन, हमारी दिनचर्या पूरी तरह से हमारी नींद पर निर्भर करती है क्योंकि नींद ना आने से हम हमेशा ही कहीं ना कहीं नींद के नशे में कुछ प्रतिशत हमेशा रहते हैं। जिससे हम हमारे दिमाग को पूर्णतया अपने किसी काम में नहीं लगा पाते हैं, और हम कई बार कुछ चाहे-अनचाहे गलतियाँ कर ही देते हैं।
केवल नींद लेना ही महत्वपूर्ण नहीं है। अच्छी नींद लेना महत्वपूर्ण है।अच्छी नींद के लिए अपने दिमाग को शांत रखना जरूरी है। नींद के लिए जो वातावरण चाहिए वह जरूरी है, जिसमें बिस्तर की गर्मी, सिर के नीचे लगाने वाला तकिया, ओढ़ने के लिए चादर और आप क्या पहन कर सो रहे हैं, इन सब की भी बहुत अहम भूमिका है। हमें समय से सोने के अलावा, हमारी नींद भी गहरी हो अच्छी हो, इस पर भी ध्यान देना चाहिए। अभी स्वीडिश ब्रांड होस्टन ने विविड्स नाम का 96 लाख रुपए का गद्दा बनाया है। जिसे वह कहते हैं कि यह सही तरह से नींद पूरी करने के लिए बनाया गया है, जिसके अंदर कोई भी गर्म करने वाली रबर या प्लास्टिक मटेरियल का उपयोग नहीं किया गया है और वह गद्दा केवल ऑर्डर पर बनाते हैं। कंपनी इस गद्दे को विश्व का सबसे बेहतरीन बिस्तर बता रही है।
आजकल ऐसी बहुत सी मशीनें आ रही हैं जो आपकी नींद को रिकॉर्ड करती है, जो बैंड आप हाथ में पहन लेते हैं या फिर कई ऐप है जो स्मार्टफोन में उपलब्ध हैं, जिससे पता चलता है कि आप किस प्रकार की नींद ले रहे हैं। लेकिन यह सारे गेजेट्स नींद अच्छी बनाने में सहायक नहीं हैं। अभी सिलिकॉन वैली में एक गैजेट डिजाइन हुआ है जो कि लगभग $400 में प्री ऑर्डर पर उपलब्ध है और उनका दावा है कि ड्रीम हेडसेट लगाने से आप बहुत गहरी नींद में सो पायेंगे। वैसे कई लोगों का मानना है कि सिल्क के तकिए के कवर हैं तो उससे नींद बहुत अच्छी आती है।
यह कहना वाकई बड़ा मुश्किल है कि नींद का गणित क्या है? नींद के कारोबार में हमें किस चीज का ध्यान रखना चाहिए? क्या हमें बराबर थकान होनी चाहिए या फिर हमें हमारे विचारों के ऊपर नियंत्रण करना चाहिए या जो हम पहनकर सोते हैं, ओढ़ते हैं बिछाते हैं, उनमें बदलाव किया जाना चाहिए। यह शायद बेहद निजी और गोपनीय अनुभव होते हैं और सब के लिए अलग अलग अनुभव होते हैं।