बहुत से काम कठिन होते हैं, परंतु सीखने और फिर रोज उसे अभ्यास करने से वे काम कब कठिन से बेहद सरल हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता। बस हमारे अंदर सीखने की आकांक्षा और रोज अभ्यास करने का बल होना चाहिये। यही कठिन कार्यों को सीखने की कला है।
Tag Archives: अनुभव

लखनवी समोसे

जब से लॉकडाऊन लगा है, तब से हम यूट्यूब पर ज्यादातर वीडियो खाने पीने व ट्रेवलिंग के वीडियो बहुत देखने लगे हैं। खाने पीने के वीडियो ज्यादा देखने का एक मूल कारण यह भी है कि लॉकडाऊन के चलते बाहर का खाना लगभग बिल्कुल ही बंद है। बेटेलाल अपनी परीक्षा के बाद बोर होने लगे थे, तो खाना बनाने में रूचि जागृत हुई, हम उन्हें रसोई में जाने की इजाजत नहीं देते थे, परंतु सोचा कि चलो अब लॉकडाऊन के चलते अपनी देखरेख में रसोई में काम करने की इजाजत दे देते हैं।
दिल का दौरा
सौरव गाँगुली को दिल का दौरा 2 जनवरी 2021 को पड़ा, और उन्हें तत्काल ही अस्पताल में ले जाया गया, तथा अब एन्जियोप्लास्टी भी की गई है, हमने यह अखबारों में व सोशल मीडिया में पढ़ा। दादा जल्दी स्वस्थ हों, हमारी शुभकामनायें उनके साथ हैं।
मानसिक परेशानी
कुछ बातें जो हमें परेशान करती हैं, हमेशा ही दिमाग में घूमती ही रहती हैं। और हम उनके अपने दिमाग में घूमते रहने से ओर ज्यादा परेशान हो जाते हैं। दिन हो या रात हो, जाग रहे हों या सो रहे हों, बस वही बातें दिमाग में कहीं न कहीं घूमती रहती हैं। कई बार यह बड़ी मानसिक परेशानी की वजह हो जाती है। हम चाहे कुछ भी कर रहे हों, पर हमेशा ही वह परेशानी हमारे दिमाग में घूमती ही रहती है। दिमाग शांत नहीं रहता, हमेशा ही अशांत रहता है। दिमाग में जैसे कोई फितूर घुस गया हो।
लॉकडाउन में बेटेलाल
लॉकडाउन में बेटेलाल ने जमकर खाना बनाने का लुत्फ उठाया है, केवल वीडियो देखकर, थोड़ी अपनी अक्ल लगाकर जो पारंगत हुए हैं, काबिले तारीफ है।
खाना बनाना बहुत आसान नहीं है, इसमें सबसे मुश्किल है खाना बनाने के लिये अपने आप को तैयार करना। खाना बनाना दरअसल केवल महिलाओं का ही काम समझा जाता है, पर बेटेलाल कहते हैं कि जो स्वाद मेरे हाथ का होगा, वह किसी और के हाथ में नहीं, ध्यान रखना। वाकई स्वाद तो है।
आटा गूँथना भी रख स्किल है, रोटी, पराँठे, पूरी, बाटी, बाफले, मैदा सबको अलग अलग तरह से गूँथा जाता है। पर बेटेलाल अब इन सबमें परफेक्ट हो चुके हैं। उन्हें नान बहुत पसंद है, जिस दिन खाने की इच्छा होती है सबसे पूछ लेते हैं, फिर नान और पनीर की सब्जी बनाते हैं।
यही हाल इनका गेमिंग में है, पब्जी में पता नहीं कौन सी रैंकिंग हो गई है,चेस खेलने का शौक है तो पता नहीं कहाँ कहाँ के चेस के मैच देखते रहते हैं, फिर यूट्यूब के वीडियो, मूवीज और वेबसिरिज में लगे रहते हैं। पढाई जिस दिन मूड होता है किसी एक विषय का पूरा चेप्टर निपटा देते हैं। वीडियो में भी कुछ अलग ही देखते हैं, जैसे शार्क टैंक और भी कई एंटरप्रेन्योरशिप के कुछ अलग अलग।
रोको टोको मत बस, जो करना चाहते हैं करने दो, हम कहे, करो भई करो, इन सबका भी कुछ विधान ही होगा।
लॉकडाऊन में बैंगलोर से कोझिकोड 400 किमी मित्र की यात्रा बाईक से
दिल्ली पुलिस के पास दंगों से निपटने के लिये क्या बढ़िया रणनीति नहीं थी?
मुझे तो लगता था कि पुलिस कर पास दंगों से निपटने की बढ़िया रणनीति होती है, और समय समय और उन रणनीतियों का रिव्यू भी होता है, तो पुलिस को इस स्थिति को बहुत अच्छे से निपट लेना चाहिये था। वैश्विक पटल पर दिल्ली पुलिस भी अपने आपमें एक ब्रांड है।
मैं जब दिल्ली में था तब fm पर कई बार लय में सुना था, दिल्ली पुलिस दिल्ली पुलिस आपकी सुरक्षा में।
समझ ही नहीं आया, भरोसा भी न हुआ कि जिस दिल्ली पुलिस के पास राजधानी की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वे अपनी रणनीति में फेल हो गयी? सही बताऊँ तो मानने को दिल ही नहीं करता।
पुलिस के वे सारे वीडियो जो दिख रहे हैं, जिनमें वे दंगाईयो का साथ दे रहे हैं, दिल मानता ही नहीं कि वे पुलिस के लोग हैं। आख़िर पुलिस दंगाईयों का साथ कैसे दे सकती है? हो ही नहीं सकता, खैर यह भी जाँच का विषय है।
अब अगर कोर्ट को आकर दिल्ली पुलिस को कार्यवाही करने को कहा जा रहा है, तो भई सही बात तो यही अब लगती है कि दिल्ली पुलिस से बदला लेना है तो दिल्ली सरकार के अधीन कर दो, सारी दिल्ली पुलिस सुधर जायेगी। क्यों लोग दिल्ली सरकार को कोस रहे थे, जबकि सबको पता है दिल्ली पुलिस केन्द्र सरकार के अधीन है, और अंतत: गृह मंत्री को ही मामला अपने हाथ में लेना पड़ा, वह भी यह कहकर कि दिल्ली पुलिस व्यवस्था को ढंग से सँभाल नहीं पाई, यह ख़ुद दिल्ली पुलिस पर एक दाग़ है।
अगर ऐसी पुलिस के हाथों दिल्ली याने देश की राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था है तो खुद ही समझ जायें कि भारत सुरक्षित नहीं है, क्योंकि राजनैतिक सत्ता दिल्ली से ही चलती है, और लंबे दौर इस तरह के चलते रहे तो यही सब नासूर बनकर अर्थव्यवस्था पर गम्भीर संकट बनकर आयेंगे।
किसी को तो ठीक होना जरूरी है, कौन ठीक होगा यह तो भविष्य ही बतायेगा।
अब जम्मू कश्मीर लेह लद्दाख में रोजगार पैदा करने की जरूरत
अनुच्छेद 370 खत्म और 35Aस्वत: खत्म, आजाद हुई हमारी ‘जन्नत’ इस हेडलाईन के साथ आज का समाचार पत्र आज सुबह मिला। वैसे तो कल ही सुगबुगाहट चल ही रही थी और जब सदन से यह ऐलान हो गया तो, बस दिल बागबाग हो गया, अच्छी खबर यह भी थी कि जम्मू कश्मीर से लद्दाख अलग कर दिया गया है व उन्हें अब अलग अलग केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया है। पूरी घाटी में पिछले 2-3 दिनों से भारी मात्रा में सुरक्षा बल तैनात हैं और पूरी दुनिया से अलग थलग कर दिया गया है, जिससे कोई भी अलगाववादी ताकतें घाटी में आतंक न फैला सकें।
इस खबर के साथ ही सोशल मीडिया में बहुत से स्टेटस आने लगे कोई कहता कि अब तो जम्मू कश्मीर, लेह लद्दाख में जमीन खरीदेंगे, घर खरीदेंगे, अब घाटी की सुँदर लड़कियों से शादी भी कर सकते हैं इत्यादि। अभी तक जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा था और करोड़ों रूपया भारत सरकार द्वारा बहाया जाता रहा है, जिसका कोई हिसाब किताब भी नहीं था, बस वह दो नंबर के जरिये कुछ राजनैतिक दलों और राजनैतिज्ञों की जेब में पहुँच जाता था। अब तक कोई भी विकास का कार्य नहीं हुआ और न ही कोई रोजगार पैदा हुए।
अब इस बात के आसार लग रहे हैं कि जम्मू कश्मीर में नये व्यवसाय लगेंगे, जिससे वहाँ रोजगार पैदा होंगे। जम्मू, श्रीनगर, लेह, लद्दाख इतनी प्यारी जगहें हैं, ये भारत के अपने खुद के स्विट्जरलेंड हैं, जहाँ हम चाहते हुए भी जाकर रह नहीं सकते हैं, जैसे यूरोप में कई बेहतरीन जगहों पर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सेंटर हैं, वैसे ही कुछ नये सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सेंटर खुलने चाहिये, जिससे IT वालों को भी भारत के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने का मौका मिले, साथ ही जब एक अच्छी नौकरी वहाँ शुरू होगी तो एक नौकरी से कम से कम 10रोजगार पैदा होते हैं, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सेंटर के लिये विशेष तरह के स्किल की जरूरत होती है, जो कि हो सकता है कि वहाँ के रहवासियों में अभी न हों, परंतु दैनिक जीवन के जरूरत वाले कई कार्यों के कारण वहाँ अन्य रोजगार पैदा होंगे।
जब जम्मू कश्मीर में रोजगार पैदा होंगे तो वहाँ के रहवासी, अलगाववादियों की बातों में नहीं आयेंगे और वे खुद ही अच्छे बुरे में फर्क पैदा कर पायेंगे, व 100 रूपये में पत्थर फेंकने को तैयार नहीं होंगे, साथ ही आतंकवादियों को समर्थन अपने आप ही कमी आ जायेगी। इस सबसे सबसे बड़ा अंतर भारत के खजाने पर पड़ने वाला बड़ा बोझ कम हो जायेगा। विश्व के पर्यटन मानचित्र पर जम्मू कश्मीर हीरे की तरह चमकेगा। रोजगार पैदा होने से सबसे बड़ा फायदा होगा कि पाकिस्तान पर जबरदस्त दबाब होगा, साथ ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों द्वारा भी पाकिस्तानी सरकार पर इसी तरह के व्यवसाय को स्थापित करने का दबाब होगा, अगर पाकिस्तानी सरकार द्वारा यह नहीं किया जाता है तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोग भारत में विलय होने के लिये दबाब बनायेंगे और जन आंदेलन की शुरूआत होगी।
अब केवल जम्मू कश्मीर लेह लद्दाख में एक अच्छी बेहतर नीति की जरूरत है, जिससे हम वैश्विक पटल पर भारत की छवि को अच्छे से दिखा सकें व गर्व से कह सकें कि अखण्डता पुनप्रतिष्ठित हुई।
लोग आत्महत्या क्यों करते हैं
आत्महत्या क्यों करते हैं और हम उन्हें कैसे बचा सकते हैं, इसके लिए समाज को अथक प्रयास करना होंगे। अब हम किसी भी मुख्य समाचार को ऐसे ही पढ़कर नहीं जाने देंगे। पहले एक जवान लड़का जिसके लिए कहा गया कि उसने UPSC एग्जाम में फेल होने पर आत्महत्या कर ली, फिर उसके बाद एक फैशन डिजाइनर। हमें पता नहीं है कि आत्महत्या करने के पीछे किस तरह की मानसिकता काम करती है, जैसे कि एक व्यक्ति जिसको व्यापार में बहुत घाटा हो गया हो, शराब पीने की भी लंबी आदत रही हो, अपनी पत्नी से समस्या हो, तो जब वे लोग ज्यादा सोचते हैं, तो वह अपनी जिंदगी खत्म करने के बारे में सबसे पहले सोचते हैं। Continue reading लोग आत्महत्या क्यों करते हैं
मन का मैल काटने में लगा हूँ
कुछ दिनों पहले तक बहुत अजीब हालात से गुजर रहा था, बैचेनी रहती थी, पता नहीं कैसे कैसे ख्याल आते थे, पुरानी बातें बहुत परेशान करती थीं, कभी कुछ अच्छा याद नहीं आता था, हमेशा ही बुरा ही याद आता था। ऐसा नहीं कि जीवन में अच्छा हुआ ही नहीं, या बुरा भी नहीं हुआ, परंतु होता क्या है कि हम हमारी याददाश्त में अच्छी चीजें कम सँभालकर रखते हैं और बुरी यादें हमेशा ही ज्यादा सँभालकर रखते हैं। हमारे जीवन की यही सबसे बड़ी परेशानी और समस्या है। ऐसा होना ही हमें मानव की श्रैणी में खड़ा करता है, हमें कहीं न कहीं मानसिक स्तर पर मजबूत भी करता है और हमें चालाक बनने में मदद भी करता है। Continue reading मन का मैल काटने में लगा हूँ