झारखंड धनबाद का पहला दलित डॉन बन रहा है या यूँ भी कह सकते हैं कि बन चुका है।
परिचय है – धुलु महतो, उम्र ३५ वर्ष बाघमारा से विधायक हैं । धनबाद के कोयला क्षैत्र के उभरते हुए डॉन हैं। और इनकी कहानी भी किसी फ़िल्मी हीरो से कम नहीं है।
[फ़ोटो द वीक पत्रिका के ऑनलाईन एडीशन से लिया गया है]
धुलु महतो का अपनी कमाई को अपने साथ काम करने वालों के साथ साझा करने के कारण वे बहुत लोकप्रिय हैं, कहा जाता है कि लगभग आधी कमाई वे अपने साथ काम करने वालों में बाँटते हैं, और उनकी रोज की कमाई लगभग २० लाख रुपये बताई जाती है, धुलु महतो इस बात को मानने से इंकार करते हैं, और कहते हैं कि भगवान करे मेरी कमाई और बड़ती जाये और २० लाख हो जाये।
इंटर पास करने के बाद भारत कुकिंग कोल लिमिटेड के सिनिधि कोलिरि में सन १९९४ में मजदूरी से काम करना शुरू किया था और जल्दी ही धुलु महतो मजदूरों के लोकप्रिय नेता बन गये, वे मजदुर जो कि रेल्वे वेगनों और ट्रक में कोयले की खदान से कोयला ढ़ोते थे। सन २००० में राबड़ी सरकार के एक मंत्री समरेश सिंह ने उनका प्रभाव देखा और धुलु महतो को चीता फ़ोर्स का प्रमुख बना दिया। यह एक ऐसा ग्रुप था जो कि समरेश सिंह के लिये कोयला खदान क्षैत्र से “टैक्स” याने कि उगाही का काम करता था। और पुलिस जब भी चीता फ़ोर्स के लोगों को रंगदारी लेने के जुर्म में ले जाती तो धुलु महतो पुलिस पर दबाब बनाकर उनको छुड़ा लाता था।
सन २००५ में बाघमारा से धुलु महतो ने झारखंड वनांचल कांग्रेस से विधायक के लिये चुनाव लड़ा और हार का सामना करना पड़ा परंतु धुलु को मिले वोटों की संख्या जो कि २५,००० थी, से सब चकित थे। सन २००९ में ठीक चुनाव के पहले भूतपूर्व मुखयमंत्री बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा में आ गये और वापस से बाघमारा से चुनाव लड़ा और सरकार में मंत्री रहे और लगातार दो बार के विधायक रहे जलेश्वर महतो को लगभग ३०,००० वोटों से हरा दिया। जलेश्वर महतो का तो यह भी कहना है कि धुलु महतो स्थानीय प्रशासन और पुलिस के सहयोग से कोयला कंपनी को लूट कर कंगाल कर रहे हैं।
लेकिन लोग धुलु महतो को वहाँ का रॉबिनहुड कहते हैं, जब वे अपनी टोयोटो फ़ोर्चूनर में कहीं जाते हैं तो एक दर्जन से ज्यादा गाड़ीयाँ उनके आसपास रहती हैं। कहा जाता है कि जब उनकी पत्नी सावित्री देवी धनबाद के मेयर का पर्चा दाखिल करने गईं थीं तो लगभग ३०,००० बाईक सवार उनके समर्थन में उनके साथ गये थे, हालांकि सावित्री देवी का नामांकन ३० वर्ष से कम उम्र होने के कारण रद्द कर दिया गया था। पर इससे धुलु महतो के प्रभाव की झलक देखने को मिलती है।
जानकार बताते हैं कि अगर धुलु महतो का प्रभाव इसी तरह बड़ता रहा तो जल्दी ही सुरेश सिंह जो कि अभी धनबाद का डॉन है, का प्रभुत्व खत्म हो सकता है। धनबाद के ५० खदानों में से २५ खदानों पर धुलु महतो का राज चलता है, यह कहना है भाजपा के नेता कुमार अभिषेक का, उनका तो यह भी कहना है कि धुलु महतो ने एक दर्जन एके-४७ और एके-५७ कोलकाता से खरीदी हैं।
एक भा.कु.को.लि. के अधिकारी का कहना है कि हर माह धुलु महतो अपने विधानसभा क्षैत्र से लगभग २०,००० टन कोयला खदानों से फ़्लोर प्राईज पर लेते हैं, और यह लगभग पिछले दो वर्षों से चल रहा है, धुलु हर टन पर १,२०० रुपये बनाते हैं। धुलु महतो की शिकायत कई बार उच्च पुलिस अधिकारियों से की गई परंतु कोई कार्यवाही नहीं की गई, यह कहना है भाजपा सांसद पी.एन.सिंह का।
पुलिस का कहना है कि धुलु महतो बिल्कुल साफ़ हैं उनका कभी भी किसी भी खून, अपहरण या बलात्कार में हाथ नहीं रहा है। धुलु महतो एक ऐसे डॉन हैं या बन रहे हैं जो कि धनबाद के गरीबों के लिये काम कर रहे हैं और उनकी मदद कर रहे हैं। धुलु महतो भी कहते हैं कि मैं कोई अपराधी नहीं हूँ। मैं एक बहुत ही साधारण इंसान हूँ और मेरा धन बनाने वाली गतिविधियों से कोई सारोकार नहीं है, जबकि मेरे विरोधी कहते हैं कि मैं इन सबमें शामिल हूँ। यहाँ तक कि मेरी डॉन बनने की कोई इच्छा भी नहीं है। परंतु हाँ मैं यह कहता हूँ कि मेरी चीता फ़ोर्स उनको जरूर ठीक करेगी जो कि गरीबों को परेशान करते हैं।
सूत्रों के अनुसार धुलु महतो के बढ़ते प्रभाव ने उनके दुश्मनों को भी एक कर दिया है।
धुलु महतो का धनबाद और आसपास के क्षैत्र में प्रभाव बड़ता ही जा रहा है
[यह लेख द वीक में छपे लेख पर आधारित है, जो कि ३१ अक्टूबर को द वीक पत्रिका में छपा है]