Tag Archives: मुंबई ब्लॉगर मीट

एक मुलाकात अलबेला खत्री जी के साथ मुंबई में

Albela Khatri & Vivek Rastogi    यह चेहरा आपने बुद्धु बक्से पर कई बार देखा होगा अरे मेरा नहीं जो मेरे साथ हैं, ये हैं अलबेला खत्री जी, प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवि और हास्य इंटरटेन्मेन्ट व्यक्तित्व।

Albela Khatri & Vivek Rastogi Mumbai प्लेट की तरफ़ मत देखिये उसका माल तो हम हजम कर चुके हैं। 🙂

    अलबेला जी से बहुत सारी बातें हुईं, भाषा के उपयोग पर भी बहुत सी चर्चा हुई, अगर आज के साहित्यकार आज से ६० वर्ष पहले उपयोग होने वाली हिन्दी लिखेंगे तो शायद ही आज की पीढ़ी पढ़ना पसंद करेगी और अगर करेंगे भी तो कुछ चुनिंदा लोग।

    भाषा वह होनी चाहिये जो कि सबको आसानी से समझ में आ जाये । भाषा ज्यादा क्लिष्ट होने पर पाठक या श्रोता कम या गायब हो जाते हैं।

    वहीं पर हमारी मुलाकात हुई शंभू शिखर जी से भी वे भी हिन्दी ब्लॉगर हैं और लॉफ़्टर ३ में आ चुके हैं।

    जितनी देर हम अलबेला जी के साथ रहे मुंबई में बारिश पुरजोर बरस रही थी, बाहर मुंबईवासी बारिश से तरबतर हो रहे थे और हम ब्लॉगरस में। साथ ही फ़ोन पर हमारी बात हुई पाबला जी से, और वे भी हमारी मुलाकात का हिस्सा बने।

छोटा सा इंटरनेशनल मुंबई ब्लॉगर मिलन, हिन्दी भाषा के विकास पर चिन्तन

    मेरा पन्ना ब्लॉग के जितेन्द्र चौधरी जी कुवैत से मुंबई निजी यात्रा पर आये हुए हैं, तो उनसे थोड़ा सा समय लेकर आज १३ जून २०१० को  एक छोटा सा इंटरनेशनल मुंबई ब्लॉगर मिलन आयोजित किया गया । आयोजन का स्थान था, गोरेगांव पूर्व में फ़िल्म सिटी के सामने जावा ग्राईंड कैफ़े शॉप।

    ब्लॉगर मीट में आमंत्रण तो सभी ब्लॉगर्स को भेजा गया था परंतु अपने निजी कार्यों के चलते और मिलन अलसुबह ९.३० बजे रखने से कुछ ही ब्लॉगर्स आ पाये।

    सबसे पहले देवकुमार झा जी, फ़िर हम विवेक रस्तोगी, फ़िर शशि सिंह जी, फ़िर जीतू भाई (जितेन्द्र चौधरी), अनिल रघुराज जी और अभय तिवारी जी पहुंचे।

फ़ोटो एलबम देखने के लिये फ़ोटो पर क्लिक करें ।  

शशि सिंह जी और जीतू भाई की बहुत पहले की दोस्ती है, ये दोनों हिन्दी ब्लॉग जगत के शुरुआती योद्धा हैं। देवाशीष को भी याद किया गया जो कि उनके उसी दौर के मित्र थे, जब कि हिन्दी चिठ्ठा लिखने वाले कुछ ५० ब्लॉगर्स ही होंगे।

    जीतू भाई ने अपने अनुभव साझा किये, हिन्दी ब्लॉगजगत के शुरुआती दिनों के, जब तकनीकी रुप से किसी को भी ज्यादा महारत हासिल नहीं थी और लोगों को चैटिंग कर करके उनकी समस्याएँ हल करके हिन्दी ब्लॉगिंग के लिये उत्साहित किया जाता था, आज तो फ़िर भी ब्लॉगर्स तकनीकी रुप से काफ़ी सक्षम हैं और हिन्दी के लिये बहुत ही ज्यादा तकनीकी समर्थन उपलब्ध है।

बीच में अलबेला खत्री जी का फ़ोन आया, वे मुंबई आये हुए हैं और हमसे मिलने की इच्छा जाहिर की तो हमने बताया कि अभी एक छोटी सी हिन्दी ब्लॉगर मीट हो रही है, और अगर हमें पहले से पता होता तो हम आपको भी सूचित कर देते। जल्दी ही अलबेला खत्री जी से भी मुलाकात होगी।

हिन्दी भाषा और उसके अवरोधों पर विशेष चर्चा की गई, कि हिन्दी भाषा का विकास कैसे हो ?

    हिन्दी के विकास के लिये क्षैत्रिय भाषाओं का विकास होना बहुत जरुरी है, अगर क्षैत्रिय भाषाओं का विकास होता है तो हिन्दी का विकास तो अपने आप ही हो जायेगा। नये शब्दों के लिये जो बोझ हिन्दी के कन्धे पर है वह भी बँट जायेगा, और विकास तीव्र गति से होगा।

    क्षैत्रिय भाषाएँ हिन्दी रुपी वृक्ष की टहनियाँ हैं। बोलियों और भाषाओं की बात की गई। अगर आजादी के समय प्रशासन की भाषा संस्कृत होती तो शायद आज हमारी सर्वमान्य भाषा अंग्रेजी की जगह संस्कृत होती। अंग्रेजी बोलना हमारा मजबूरी हो गया है। हिन्दी का सत्यानाश हिन्दी बोलने वालों ने ही किया है। अब जैसे फ़्रेंच लोगों को देखें तो उन्हें अंग्रेजी आती है परंतु वे फ़्रेंच में ही बात करते हैं, क्योंकि वे अपनी भाषा से प्यार करते हैं, भाषा का सम्मान करते हैं।

    आज अंग्रेजी के मामले में हम हिन्दुस्तानी अंग्रेजों को टक्कर दे रहे हैं, उनसे आगे निकल रहे हैं।

    जीतू भाई ने भाषा के संदर्भ में ही अपना एक यूरोप का मजेदार किस्सा सुनाया, वे अपने दोस्त के साथ ब्रिटिश म्यूजियम घूमने गये थे और एक स्टेच्यू के सामने खड़े होकर मजाक कर रहे थे और कुछ टिप्पणियाँ कर रहे थे, वहीं पास में एक वृद्ध अंग्रेज खड़ा हुआ था उसने अवधी में जबाब दिया, और अवधी के ऐसे शब्दों का उपयोग किया कि हम लोग भी चकरा गये कि अरे अवधी के ये शब्द कैसे बोल पा रहा है, जिन्हें हम भी अच्छॆ से नहीं जानते हैं। तो फ़िर उसने बताया कि मैं भारत में ही पैदा हुआ था और हिन्दी बहुत ही अच्छी भाषा है, हिन्दी बहुत ही मीठी भाषा है और मैं हिन्दी भाषा से बहुत प्रेम करता हूँ वह इतनी अच्छी तरह से हमारी भाषा में बात कर रहा था कि हम चकित थे क्योंकि इतनी अच्छी तरह से तो हमें भी अपनी भाषा पर अधिकार नहीं है। फ़िर तो उसे अंग्रेज से बहुत बातें हुईं।

    जीतू भाई ने एक और किस्सा बताया कि वे जर्मनी में थे और उनके एक मित्र फ़्रेंच और जर्मनी में ही बात करते थे, उन्हें अंग्रेजी भी अच्छी आती थी, पर वे हर जगह फ़्रेंच या जर्मनी में ही बात करते थे, उनसे पूछा तुम अंग्रेजी में बात क्यों नहीं करते हो, तो उसका जबाब सुनकर सन्न रह गया, कि यार ये मेरी भाषा है अगर मैं अपनी मातृभाषा की इज्जत नहीं करुँगा तो कौन करेगा।

    हमें यह महसूस हुआ कि हम लोग अपनी भाषा छोड़कर दूसरी भाषाएँ बोलना शुरु कर देते हैं, तो क्या हम लोग अपनी भाषा की इज्जत नहीं करते हैं। अगर विकल्प न हो तो ठीक है परंतु अगर विकल्प है तो हमें अपनी भाषा में ही बात करनी चाहिये।

    ज्यादा दूर जाने की जरुरत नहीं है, अगर चैन्नई में लोगों को देख लो वे अपनी तमिल भाषा में ही बात करते हैं, अगर आप हिन्दी या अंग्रेजी में बात करेंगे तो बोलेंगे नहीं आती है, परंतु अगर हिन्दी में गाली दे दो तो फ़िर जितनी अच्छी हिन्दी उन्हें आती है, उतनी हमें भी नहीं आती है। वे अपनी भाषा का सम्मान करते हैं।

   जीतू भाई ने मदुरै का अपना एक और किस्सा सुनाया, कि वहाँ ऑटो वाले सब रजनीकांत स्टाईल में गले में रुमाल बांधकर रहते हैं, और हिन्दी नहीं आती है ऐसा बताते हैं, उनकी बात कुछ पैसे को लेकर हुई, और झगड़ा बड़ता गया, पर जैसे ही इनके एक मित्र ने तैश में आकर गाली दी, तो उस ऑटो वाले की धाराप्रवाह हिन्दी सुनकर पसीने आ गये। बोला कि गाली दिया इसलिये हिन्दी में अब बोल रहे हैं, गाली क्यों दिया…।

    हिन्दीभाषी इलाका न होने पर भी इतनी अच्छी तरह से हिन्दी बोलना और समझना कैसे संभव है ? इसका सबसे बड़ा योगदान है, बॉलिवुड का, बॉलिवुड की हिन्दी फ़िल्मों के कारण सभी को हिन्दी अच्छॆ से आती है।

    दुबई में ही देख लीजिये वहाँ अरबी अल्पसंख्यक हैं, वहाँ का ट्रैफ़िक पुलिस वाला अगर गाड़ी को रोकेगा और अगर काला आदमी मिलेगा तो सीधे मलयाली में बात करना शुरु कर देगा, और अगर बोलो नहीं मलयाली नहीं तो हिन्दी में शुरु हो जायेगा, हिन्दी भी नहीं तो अंग्रेजी में बोलने लगेगा।

    हिन्दी भाषा बोलने के तरीके से ही पता चल जाता है कि उस व्यक्ति को कितनी हिन्दी बोलनी आती है, जैसे कोई “भाईसाहब” बोलेगा तो सबके बोलने का तरीका अलग अलग होगा, उससे ही पता चल जायेगा कि हिन्दी कितनी गहराई से आती है।

    सब अपनी मातृभाषा से प्रेम करते हैं और वही बोलना चाहते हैं, पर जहाँ पेट की बात आती है, मजबूरी में दूसरी भाषा सीखनी पड़ती है, केरल में ही देख लीजिये सबको हिन्दी बहुत अच्छे से समझ में आती है। पेट के लिये दूसरी भाषा सीखनी ही पढ़ती है क्योंकि वह मजबूरी है। अंग्रेजी भी हम यहाँ पेट भरने के लिये ही सीखते हैं, न कि अपने शौक से।

    जीतू भाई ने कुवैत का एक उदाहरण बताया कि एक डिपार्टमेंटल स्टोर में गये तो अरबी सबको आती है किसी को नहीं भी आती है, वहाँ पर दुकानदार होगा अरबी, खरीदने वाला होगा हिन्दी,  बीच में सेल्समैन होगा फ़िलिपिनो, तीनों बोलेंगे अपनी अपनी भाषा पर समझा देंगे। शारीरिक भाषा, अगर आप कुछ बोलना चाहो कुछ चाहिये तो आप आराम से समझा सकते हैं, और वो भी समझेगा क्योंकि पेट का सवाल है। और कई बार नहीं भी समझ में आता है तो वहाँ पर सफ़ाई करने वाले होते हैं, अधिकतर बंगाली होते हैं, और उनको अधिकतर सारी भाषाएँ आती हैं, वे समझा देते हैं। लेकिन जहाँ तक की शारीरिक भाषा का सवाल है, सब समझा सकते हैं।

    भाषा से कहीं भी अवरोध नहीं होता है, शारीरिक भाषा से भी इसकी पूर्ती की जा सकती है। हम हमारी भाषा का कितना सम्मान करते हैं, ये हम पर और हमारे समाज पर निर्भर करते हैं।

पुरानी मुंबई ब्लॉगर मिलन की रिपोर्टिंग के लिये यहाँ चटका लगायें।

मुंबई ब्लॉगर्स मीट २५ अप्रैल २०१० – सबकुछ एक ही किश्त में, सबकी शिकायत के मद्देनजर.

मुंबई ब्लॉगर्स मीट हुई थी पिछले रविवार २५ अप्रैल २०१० को पर विवरण हम आज लिख पा रहे हैं, वैसे तो विभा रानी जी, रश्मि रविजा जी, जादू जी और हम अपनी एक तुरत फ़ुरत पोस्ट तो लिख ही चुके थे।
ब्लॉगर्स मीटिंग शाम ४ से ७ बजे तक एक स्कूल में रखी गई थी, और मीटिंग को ऊर्जावान बनाने का काम किया था विभा रानी जी, बोधिसत्व जी और आभा जी ने।
हम बिल्कुल ३.४५ दोपहर को अपने घर से निकले क्योंकि जहाँ मीटिंग थी वहाँ का रास्ता केवल हमारे लिये १० मिनिट का था, जब हम ब्लॉगर मीटिंग स्थल पर पहुँचे तो पाया कि जैसे ही हम ऑटो से उतर रहे हैं, विमल कुमार जी अपनी बाईक खड़ी करके हेलमेट उतार रहे थे और वही पहचान गये अरे भई क्या हालचाल हैं, पिछली मुंबई ब्लॉगर्स मीट में विमल कुमार जी से हमारी पहली मुलाकात हुई थी।
फ़िर मुलाकात हुई विभा रानी जी से और उनकी बिटिया कोशी से, कोशी भी ब्लॉगर हैं। विभा रानी जी से हमारा पहली बार परिचय हुआ, विमल कुमार जी ने बताया कि आपके ब्लॉग छम्मकछल्लोकहिस को अभी अवार्ड मिला है। हमने उन्हें बधाई दी।
इतने में ही बोधिसत्व जी और आभा जी भी आ गये, फ़िर हम बोधिसत्व जी और विमल कुमार जी थोड़ा पास ही घूमने चल दिये, तो आप दोनों के इलाहबादी किस्से सुनकर हम चकित हो रहे थे और मन ही मन उनके किस्से सुनकर आनंद भी आ रहा था, और कभी ऐसा लगा ही नहीं कि हम पहली या दूसरी बार मिल रहे हैं।
जब तक हम पहुँचे वापिस स्कूल की कक्षा में जहाँ कि ब्लॉगर्स मीट होनी निश्चित थी, तब तक अनिल रघुराज जी भी आ चुके थे, अनिल रघुराज जी से भी हमारी पहली मुलाकात थी। तभी बोधिसत्व जी के पास फ़ोन आया अभय तिवारी जी का, बस थोड़ी देर में ही अभय तिवारी जी भी आ गये। फ़िर आये अनिता कुमार जी और घुघुती बासुती जी, वैसे तो अनिता कुमार जी से चैट होती रहती है पर साक्षात दर्शन पाकर अच्छा लगा। इतने में रश्मि रविजा जी भी आ गईं, फ़िर आज राज सिंह जी और फ़िर ब्लॉगर फ़ैमिली जी हाँ यूनुस खान, ममता और जादू जी।
100_3744
विभा रानी जी, रश्मि रविजा जी, विमल कुमार जी, बोधिसत्व जी, अभय तिवारी जी
100_3745
विभा रानी जी, रश्मि रविजा जी, विमल कुमार जी, बोधिसत्व जी, अभय तिवारी जी
100_3746
विमल कुमार जी, बोधिसत्व जी, अभय तिवारी जी, अनिल रघुराज जी, अनीता कुमार जी
100_3747
अनिल रघुराज जी, अनीता कुमार जी
परिचय का दौर शुरु हुआ, विभा रानी जी ने अपना परिचय दिया उन्होंने बताया कि उनका एक ब्लॉग है बच्चों की कविताओं का जो कि हमें भी बहुत अच्छा लगा।
फ़िर परिचय हुआ हमारा याने कि विवेक रस्तोगी कल्पतरु का तो हमने बताया कि कुछ आध्यात्म पर लिखते हैं और कुछ वित्तीय और कुछ हल्के फ़ुल्के चिठ्ठे।
आभा मिश्रा जी ने अपने ब्लॉग अपना घर के बारे में बताया कि जो भी कुछ लिखने को होता है वह इस ब्लॉग पर लिखती हैं।
100_3748
आभा मिश्रा जी
रश्मि रविजा जी ने बताया कि वे दो ब्लॉग लिखती हैं जिसमें एक कहानियों के लिये समर्पित है और दूसरे पर जो भी इच्छा होती है लिखती हैं।
100_3756
घुघुती बासुती जी ने अपने ब्लॉग का परिचय दिया और बताया कि कैसे अपने मानस स्तर के लोगों से मेलजोल हुआ। ब्लॉग जगत में आकर सामाजिक वर्जनाओं के बीच अपनी पहचान बनाकर आज वे बहुत खुश हैं, आज उनको लोग उनके खुद की वजह से जानते हैं जो कि केवल उनकी अपनी पहचान हैं, और लोग मिलने के लिये ढूँढ़ते हुए घर तक पहुँच जाते हैं। घुघुती बासुती जी ने फ़ोटो लेने का मना कर दिया था तो हमने उनकी इच्छा का पूरा सम्मान किया और आशा है कि पूरा ब्लॉगजगत इस सम्मान को बनाये रखेगा।
अनीता कुमार जी ने अपने ब्लॉग लेखन की शुरुआत अपने एक लेख से की थी जो लिखा तो किसी के कहने पर था पर उन्हें वह लेख पसंद नहीं आया तो अपना ब्लॉग बनाकर उन्होंने पोस्ट बना दी।
फ़िर यूनुस खान जी के ब्लॉग से आजकल वे वाद्ययंत्रों के बारे में सीख रही हैं, और उन्हीं के कारण गानों में ज्यादा रुचि जागृत हुई, कि गानों के साथ कौन से साज बज रहे हैं ये भी जानने को और सीखने को मिला।
100_3749
राज सिंह जी
राज सिंह जी अपना ब्लॉग चलाते हैं राजसिंहासन और वे एक फ़िल्म बना रहे हैं जो कि अगले २६ जनवरी को प्रदर्शित करने की इच्छा रखते हैं, आपने अपनी फ़िल्म के बारे में जानकारियाँ दी।
अनिल रघुराज जी ने अपने ब्लॉग के बारे में बताया और अपने नये वित्तीय हिन्दी पोर्टल अर्थकाम.कॉम [… क्योंकि जानकारी ही पैसा है!] के बारे में बताया कि भारत में धन का उपयोग कैसे करना है उसके जागृति नहीं है और वे अपना योगदान राष्ट्र को इस पोर्टल के माध्यम से दे रहे हैं।
ममता जी ने जादू और अपना परिचय दिया कि वे जादू के साथ इतनी व्यस्त रहती हैं कि जादू का ब्लॉग ही अब उनका ब्लॉग हो चला है, पर फ़िर भी कोशिश रहती है कि अपने ब्लॉग पर कुछ न कुछ पोस्ट करती रहें और नियमित रहें।
100_3751
जादू जी, ममता जी
100_3753
राज सिंह जी, अनिल रघुराज जी, जादू जी, ममता जी
100_3750
यूनुस खान जी, विमल कुमार जी
यूनुस खान जी ने अपने ब्लॉग के बारे में बताया रेडियोवाणी संगीत को समर्पित उनका ब्लॉग है और अभी हाल ही में तीन वर्ष पूर्ण किये हैं और अब वे वाद्ययंत्रों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
100_3755
अभय तिवारी जी और यूनुस खान जी
अभय तिवारी जी और बोधिसत्व जी ने अपने परिचय में ब्लॉग से संबंधित जानकारी दी और साथ में खानपान का दौर भी चलता रहा।
विमल कुमार जी ने बताया कि जो गाना उन्हें लगता है कि इस गाने में कुछ विशेष है या यह गाना सबको सुनाना चाहिये बस अपने ब्लॉग के माध्यम से सुना देते हैं।
वैसे तो रश्मि रविजा जी [मुंबई ब्लॉगर्स मिले कुछ ऐसे, बहुत पुरानी पहचान हो जैसे], अनीता कुमार जी [ ब्लोगर मीट और आलसीराम], जादू जी[‘जादू’ की पहली ब्‍लॉगर्स-मीट ] और विभा रानी जी [ मुंबई ब्लॉगर्स मीट- बोलती तस्वीरें!] ने मुंबई ब्लॉगर मीट पर विस्तार से चर्चा कर दी है उस विस्तार से चर्चा करना मेरे लिये अब मुश्किल हो रहा है क्योंकि समय ज्यादा बीत चुका है और बिल्कुल गजनी स्टाईल में अपने को शार्ट टर्म मेमोरी लोस हो गया है।
पंकज उपाध्याय जी और महावीर सेमलानी जी से हमारी बात हुई थी परंतु आप दोनों ब्लॉगर्स मुंबई के बाहर थे। नीरज गोस्वामी जी से क्षमा चाहेंगे कि हम जान बूझकर नहीं भूले थे, पर ये सबक था हमारे लिये कि अब नहीं भूलेंगे। देवकुमार झा जी आपका भी स्वागत है, मुंबई ब्लॉगर बिरादरी में, आगे से ध्यान रखेंगे । सतीश पंचम जी का जौनपुर जाने का कार्यक्रम निश्चित था, इसलिये वे भी सम्मिलित नहीं हो पाये।
और अंत में एक बात पहली बार हमने बिना किस्त के ये इतनी लंबी पोस्ट लगाई है, सब टिप्पणी पढ़कर हाँफ़ रहे हों परंतु आशा है कि  फ़ोटो देखकर सबकी थकान मिट गई होगी।

मुंबई ब्लॉगर मीट दिनांक २५ अप्रैल २०१० पहली रिपोर्ट – ब्रेकिंग न्यूज

आज मुंबई ब्लॉगर मीट की गई, जिसमें विभारानी, बोधिसत्व, आभा मिश्रा, विमल कुमार, अभय तिवारी, राज सिंह, अनिल रघुराज, यूनुस खान, अनीता कुमार, घुघुती बासुती, ममता, जादू, रश्मि रविजा, विवेक रस्तोगी ने शिरकत की। जल्दी ही रिपोर्ट प्रकाशित की जायेगी 🙂


अभी कुछ फ़ोटो से काम चलाइये –

क्रम से – विभरानी, रश्मि रविजा, विमल कुमार, बोधिसत्व, अभय तिवारी
क्रम से – विमल कुमार, बोधिसत्व, अभय तिवारी, अनिल रघुराज, अनीता कुमार, आभा मिश्र

ब्लॉगर मीट में शामिल ब्लॉगरों ने फ़िर मिलने के वादे के साथ शाम को अलविदा कहा – मुंबई ब्लॉगर मीट – रपट – २

पिछली रपट पढ़ने के लिये यहाँ चट्का लगाईये ।
शशि सिंह जी ने अपना परिचय दिया और बताया कि वे बहुत पुराने ब्लॉगर हैं परंतु अब समय कम होने के कारण नहीं लिख पाते हैं, वहीं अविनाश वाचस्पति जी ने सबकी तरफ़ से उनसे अनुरोध किया कि महीने में कम से कम एक पोस्ट तो जरुर लगाया करें, शशि सिंह जी ने कहा कि वैसे मेरी उपस्थिती टिप्पणी के माध्यम से ब्लॉग जगत में है, वहीं उन्होंने बताया कि वे कुछ न कुछ नया करने के प्रयास में हैं जैसे उन्होंने कुछ समय पहले ५ कवियों का मोबाईल अंतर्राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी की थी जो कि विश्व में इस प्रकार की पहली थी और अखबारों की सुर्खियों में थी।
महावीर बी. सेमलानी जी ने बताया कि उन्हें ब्लॉग बनाने के लिये उनकी दस साल की बेटी ने प्रेरित किया वे धर्म के बारे में ज्यादा पढ़ते हैं और उसी के बारे में लिखना पसंद करते हैं। उनका जैन धर्म के ऊपर एक ब्लॉग भी है हे प्रभू ये तेरापंथ । उनका कहना है कि धर्म की बातें समझने से व्यक्ति अपनी जिंदगी बदल सकता है। वे एक ओर ब्लॉग चलाते हैं मुन्ना भाई की ब्लॉग चर्चा और मुम्बई टाईगर
06122009170830
महावीर बी. सेमलानी जी
सतीश पंचम जी ने बताया कि उन्हें लगा कि साहित्य पढ़ना चाहिये तो उन्होंने फ़णीश्वरनाथ रेणू की “मैला आंचल” से शुरुआत की, और तब से सफ़र जारी है अपनी व्यस्त जिंदगी के बीच ब्लॉगिंग के लिये समय निकालना एक बीमारी का लक्षण जैसा है, जिसे ब्लॉगेरिया भी कह सकते हैं, ब्लॉगर के लिये कहा गया कि जो खाया, पिया अघाया हुआ है और बौद्धिक अय्याशी चाहता है, वह ब्लॉगर है। कहीं कहीं तक ये बात सच भी है।
06122009170813
एन.डी.एडम जी जिन्हें अविनाश वाचस्पति जी ने आमंत्रित किया और ब्लॉग मीट की शोभा बड़ाई, हमें लगा ही नहीं कि वे पहली बार मिले हैं, उनके रेखाचित्र ही शब्द बन गये थे। एडम जी ने बताया कि अविनाश वाचस्पति जी से मुलकात फ़िल्म फ़ेस्टिवल गोवा में हुई पर इस बार अच्छी जान पहचान हुई सो यहाँ पर भी आ गये। वे बड़ी बड़ी हस्तियों से मिलकर उनके पोट्रेट बना चुके हैं, पृथ्वीराज कपूर से लेकर जवाहरलाल नेहरु तक। नित नये लोगों से मिलना उनका शौक है और वे अभी तक व्यक्तिगत लोगों के ३०,००० से ज्यादा स्कैच बना चुके हैं।
06122009170701
आलोक नंदन जी और एन.डी.एडम जी
अविनाश वाचस्पति जी को वैसे तो सब जानते हैं फ़िर भी उनसे परिचय देने के लिये अनुरोध किया गया, तो उन्होंने बताया कि सबसे पहला ब्लॉग उनका तैताला था फ़िर बगीची  बाद में उन्होंने सोचा कि अपने नाम से भी ब्लॉग होना चाहिये तो उन्होंने अपने नाम से भी ब्लॉग शुरु किया फ़िर नुक्कड़ और विश्व के सभी पिताओं को समर्पित पिताजी। उन्होंने बताया कि वैसे तो ११ वर्ष की उम्र से ही लेखन में हैं और धीरे धीरे लिखते हुए भाषा मंजती गई।
इसी बीच चाय और बिस्किट का दौर चलता रहा। फ़िर लगभग छ: बजे नाश्ते की प्लेट लगाना शुरु की जिसमें कचोरी, समोसे, चिप्स और गुलाबजामुन थे साथ में थी चटनी। अविनाश वाचस्पति जी के लाये गये काजू का भी सबने जमकर लुफ़्त उठाया तो सूरजप्रकाश जी ने चुटकी भी ली कि फ़ैनी कहाँ है।
इसी बीच डॉ. रुपेश श्रीवास्तव और फ़रहीन भी आ चुके थे, मिलकर बड़ा अच्छा लगा, तभी राजसिंह जी का फ़ोन आया कि हम भी पहुंच रहे हैं ब्लॉगरों से मिलने की जीवटता थी सबकी जो कि नेशनल पार्क के मध्य में सभी को खींच लायी।
राजसिंह जी सभी के लिये पान की गिलोरियां बनवा कर लाये थे जिसका सबने बाद में आनन्द उठाया और अपनी नई फ़िल्म के गाने का प्रोमो भी दिया व सबको गाने की रिकार्डिंग देखने के लिये आमंत्रित भी किया। उनके साथ आईं थीं श्रीमती आशा अनिल आचरेकर जी।
शाम ढ़लने लगी थी पक्षी अपने नीड़ों की ओर लौटने लगे थे, ब्लॉगर बंधु जो दूर से मिलने आये थे जाने के लिये रास्ता तक रहे थे पर मन भरा नहीं था, ३-४ घंटे भी कम पड़ गये, पता ही नहीं चला कि समय कब पंख लगाकर उड़ गया और शब्दों से निकलकर सभी ब्लॉगर एक दूसरे के सामने थे। सभी लोगों ने एक दूसरे से मिलने का वादा किया और मुंबई ब्लॉगर मीट की उस शाम को अलविदा कहा।

मुंबई ब्लॉगर्स मीट – रपट – १

पिछली पोस्ट जो कि आज सुबह लिखी गई थी उस पर टिप्पणियां आई कि ये थोड़ा है बहुत कुछ पढ़ना है, तो पेश है पूरी रपट—-
     जैसा कि ब्लॉगर्स मीट के आयोजन के लिये लिखी पोस्ट में लिखा था मैंने २९९ नं. बस के लास्ट स्टॉप से चाल के बीच से जाते हुए रास्ते को चुना और केवल २-३ मिनिट चलने पर सीधे त्रिमूर्ति जैन मंदिर जा पहुंचा। चाल से निकलते हुए कई घरों के सामने महिलाएँ बैठकर पापड़ की लोईयां बना रही थीं, कुछ घरों में पापड़ बिले जा रहे थे और लगभग सभी घरों के आगे बड़ी टोकरी उल्टी करके उस पर पापड़ सुखाये जा रहे थे सभी एक ही साईज के पापड़ और लगभग एक ही मोटाई के देखने से ही महसूस होता था। शायद लिज्जत पापड़ वाले वहाँ से ले जाते होंगे। पर उन महिलाओं की मेहनत  पापड़ के लिये, गृहस्थी के  बीच बहुत ही जीवटता का काम है। उन्हें क्या पता कि ये ब्लॉगर मीट क्या है और एक ब्लॉगर उनके इस पापड़ कर्म को अपने ब्लॉग पर छाप देगा। हाँ बस हम फ़ोटो नहीं खींच पाये क्योंकि मुंबई की किसी भी अनजानी चाल में मतलब जहाँ आपको कोई नहीं जानता हो ये दुस्साहास जैसा है। भले ही ये लोग वहाँ शेरों के बीच रहते हैं परंतु आदमी से डरते हैं।
     हम अपने साथ नाश्ते का सामान बिस्किट्स, चिप्स और रसगुल्ले लिये हुए थे, जो कि भली भांति कवर किया हुआ था तथा साथ ही थे सभी ब्लॉगरों के स्वागत के लिये गुलाब के फ़ूल।
    सबसे पहले मैं पहुँचा और बाहर ही बैठकर अपने ब्लॉगर बंधुओं का इंतजार करने लगा। सबसे पहले पहुँचे सतीश पंचम जी, फ़िर आये आलोक नंदन जी, तभी अविनाश वाचस्पति जी का फ़ोन आया कि हम १०-१५ मिनिट में पहुंचने वाले हैं,  अविनाश वाचस्पति जी सूरजप्रकाश जी के साथ उनकी कार में पहुंचे, फ़िर तो धीरे धीरे सभी ब्लॉगर्स आने लगे।
    हाँ इधर रुपेश श्रीवास्तव जी, फ़रहीन के साथ पनवेल से निकल चुके थे चूँकि रविवार को हार्बर  लाईन पर मेगाब्लॉक होता है, तो हमने उनसे कहा कि वाशी डिपो से सीधे बस सेवा उपलब्ध है, और वे वहाँ से सानपाड़ा तक आ गये और बस स्टॉप पर बस का इंतजार करते हुए फ़ोन आया कि हमें पहुंचने में बिलंब होगा पर आप हमारा इंतजार करियेगा, हमसे मिले बिना नहीं जाईयेगा, हमें उनकी मिलने की इच्छा शक्ति बहुत ही अच्छी लगी।
    महावीर बी सेमलानी जी भी तब तक नाश्ता लेकर आ चुके थे। मुलाकात का दौर शुरु हुआ परिचय के साथ, सबसे पहले परिचय सूरजप्रकाश जी ने दिया। वे अपना परिचय पहले ही करवा चुके थे एक अनूठे तरीके से, उन्होंने अपना परिचय का ब्रोशर सबको दे दिया जिसमें उन्होंने अपने साहित्यिक और ब्लॉगर जीवन में हुई उपलब्धियों को बताया है। और उन्होंने बताया कि वे अब तक लगभग ९०० लोगों को ब्लॉग लेखन के लिये प्रेरित कर चुके हैं। पाठकों के ऊपर उनका कहना है कि उन्होंने चार्ली चैपलिन नामक किताब का हिन्दी अनुवाद किया तो उसकी ५०० प्रतियां भी नहीं बिकीं पर जैसे वह प्रति ब्लॉग के माध्यम से रचनाकार पर उपलब्ध करवाई गई लगभग ६००० लोगों ने वहाँ से डाउनलोड की है, ब्लॉग के माध्यम से लेखक पूरी दुनिया से जुड़ चुका है और पाठकों की त्वरित प्रतिक्रिया भी मिल जाती है। वहीं उन्होंने प्रोज़.कॉम के बारे में भी बताया कि वहाँ ब्लॉगर ट्रांसलेटर की सेवाएँ दे सकते हैं। और बताया कि २५० से ज्यादा भाषाएँ अब यूनिकोड में उपलब्ध हैं जो कि इंटरनेट पर भाषायी क्रांति है।
1
    विमल वर्मा जी ने अपना परिचय दिया और बताया कि वे ठुमरी ब्लॉग लिखते हैं और अपने मनपसंद के गाने वहाँ अपने पाठकों को सुनवाते हैं।
   अजय कुमार जी ने बताया कि उन्हें ब्लॉगजगत में विमल वर्मा जी लेकर आये और वे गठरी नाम का ब्लॉग चलाते हैं। उन्हें ब्लॉग जगत के बारे में जानकर बहुत ही अच्छा लगा और वे इसी सितंबर से ब्लॉग जगत में आये हैं।
2
विमल वर्मा जी और अजय कुमार जी
   शमा जी ने अपना परिचय दिया और बताया कि वे अकेली लगभग १६ ब्लॉगों की मालकिन हैं और सामुदायिक ब्लॉग अलग। जिनमें कुछ हैं बागवानी, संस्मरण, गृहसज्जा, धरोहर, एक सवाल तुम करो…।  शमा जी ब्लॉगर मिलने के लिये मुंबई में रुकी हुई थीं, उनका शुक्रवार दोपहर को फ़ोन आया था कि वे भी इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहती हैं। सभी ब्लॉगर्स को यह जानकर प्रसन्नता हुई के वे पूना की ब्लॉगर हैं ।
    रश्मि रविजा जी ने अपना परिचय दिया और बताया कि वे भी ब्लॉग जगत में अभी सितंबर से ही हैं और अपना ब्लॉग मन का पाखी के नाम से लिख रही हैं।
4
विवेक रस्तोगी, अजय कुमार जी, शशि सिंह जी और महावीर बी. सेमलानी जी
    फ़िर मैंने अपना परिचय दिया कि मेरा उपनाम कल्पतरु अपने कालेज के जमाने में रखा था अब इसी नाम से ब्लॉग लिख रहा हूँ और तब कविता लिखने का बहुत शौक था, चूँकि शुरु से ही हिन्दी और संस्कृत साहित्य से लगाव है, व आई.टी. में होने के कारण शुरु से ही हिन्दी कम्प्यूटर पर लिखने की रुचि रही, पहले डोस पर अक्षर में लिखते थे, फ़िर कृतिदेव फ़ोंट में और बहुत सारी टेक्नालाजी जो तेजी से बदलती रही अब यूनिकोड में लेखन जारी है। चिंता यह है कि सभी केवल साहित्य और अपने बारे में लिख रहे हैं, पर ब्लॉगर अपने जिस कार्य में विशिष्ट हैं और दुनिया उसके बारे में नहीं जानती है, ऐसे जानकारीपरक ब्लॉगों की बहुत कमी है, मैंने एक ब्लॉग बनाया था बैंकज्ञान, उस पर बहुत कम पाठक संख्या के चलते लिखने में रुचि नहीं बनी। इसी तरह से सभी लोग अपने अपने पेशे से संबंधित कुछ सार्थक लेख लिखें तो यह निश्चित ही शिक्षा का साधन भी बनेगा।
     चूँकि रपट लम्बी होती दिख रही है इसलिये इसका बाकी का भाग आप बाद में पढ़ सकते हैं।

मुंबई ब्लॉगर मीट – पहली रपट

प्रकृति के आंचल में ६ दिसंबर २००९ को मुंबई में हिन्दी ब्लॉगर मिलन आयोजित हुआ। जिसमें लगभग १५ ब्लॉगर्स ने भाग लिया
इस ब्लॉगर मीट का उद्देश्य  एक दूसरे से परिचय था जिससे सब ब्लॉगर्स एक दूसरे से जुड़ें । सबने अपना अपना परिचय दिया, ब्लॉग जगत में कैसे आये और ब्लॉग पर क्या लिख रहे हैं और क्यों लिख रहे हैं इस पर चर्चा हुई। हिन्दी के पाठक हैं और उनमें जागृति फ़ैलायी जाये क्योंकि अभी तक बहुत से लोग जानते ही नहीं हैं कि ब्लॉग क्या होता है और हिन्दी में भी कम्प्य़ूटर पर लिखा जा सकता है। सभी ब्लॉगर्स अपने आसपास ये जागृति फ़ैलायें, और ज्यादा से ज्यादा हिन्दी ब्लॉग लिखने के लिये प्रेरित करें।
अगली मीट के लिये कोई विशेष रुपरेखा तय नहीं की गई परंतु इस बात पर जोर दिया गया कि नियमित अंतराल के बाद मुंबई में ब्लॉगर्स मीट आयोजित होना चाहिये। मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी है इसे शाब्दिक राजधानी भी होना चाहिये।
और भविष्य में अगर जरुरत महसूस होती है तो एक एसोसिएशन बनाया जा सकता है जो निश्चित तौर पर रुपरेखा बनाकर कार्य कर सकती है।
आज थोड़ा जल्दी है, मीट में हुई बातें बताना जारी रहेंगी।
महावीर बी. सेमलानी जी का स्वागत करते हुए –

image1

एक ग्रुप फ़ोटो –
image2
आगे का विवरण के लिये यहाँ चटका लगाईये।

मुंबई ब्लॉगर मीट

मुंबई ब्लॉगर मीट संजय गांधी नेशनल पार्क में त्रिमूर्ति जैन मंदिर में आयोजित हुई।
निम्न ब्लॉगरों ने भाग लिया –

अविनाश वाचस्पति http://avinashvachaspati.blogspot.com
विवेक रस्तोगी http://kalptaru.blogspot.com
महावीर बी सेमलानी http://ctup.bhikshu.blogspot.com
शशि सिंह www.shashisingh.in
रश्मि रविजा http://www.mankapakhi.blogspot.com
शमा http://shamasansmaran.blogspot.com/
अजय कुमार http://gatharee.blogspot.com
विमल वर्मा http://thumri.blogspot.com
सूरज प्रकाश http://kathaakar.blogspot.com/
आलोक नंदन
राजकुमार सिंह http://rajsinhasan.blogspot.com
’श्रीमती आशा अनिल आचरेकर
सतीश पंचम http://safedghar.blogspot.com
डॉ. रुपेश श्रीवास्तव http://bharhaas.blogspot.com/
फ़रहीन http://bharhaas.blogspot.com/

बाकी की रिपोर्ट कल सुबह…

जाते जाते अविनाश जी का स्वागत करते हुए फ़ोटो..
avinashji