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Problem Soving Flowchart
चिकित्सा बीमा की श्रेणियाँ:
पिछले कुछ वर्षों में चिकित्सा खर्च कई गुना बढ़् गया है। इसलिये चिकित्सा बीमा लेना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। और कौन सी योजना ली जाये यह बहुत ही कठिन हो गया है। यहाँ कुछ प्रकार के स्वास्थ्या बीमा है, जो कि इस प्रकार हैं –
. व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा
. सामूहिक चिकित्सा बीमा
. विशेष योजनाएँ
. व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा
इस प्रकार के स्वास्थय बीमा योजनाएँ व्यक्तिगत आधार पर चिकित्सा में व्यय होने वाली राशि से रक्षा और उसकी रक्षापूर्ती को प्रस्तावित करती हैं। सामुहिक बीमा योजनाओं से व्यक्तिगत बीमा योजनाओं के लिये प्रीमियम ज्यादा होती है ।
. सामूहिक चिकित्सा बीमा
इस प्रकार की चिकित्सा बीमा योजना एक नियोक्ता या सोसाइटी या संघ के माध्यम से आमतौर पर उपलब्ध होती है, जिसमें एक ही मुख्य पॉलिसी के अन्तर्गत व्यक्तियों के नाम लिखे रहते हैं, जिन्हें बीमा का लाभ देना है।
. विशेष योजनाएँ
इस प्रकार की योजनाएँ विशेष रुप से बुजुर्ग व्यक्तियों, सैन्य सेवाओं के दिग्गजों की आवश्यकता का ध्यान रखती हैं।
स्वास्थ्य बीमा के प्रकार –
स्वास्थ्य देखभाल में होने वाले खर्चों में हाल के दिनों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इससे उपभोक्ता को खुद को ही नहीं बल्कि अपने परिवार को भी बीमा सुरक्षा देनी चाहिये। जो कि भविष्य में होने वाले चिकित्सा खर्च और अन्य संबंधित आवाश्यकताओं को कवर करता है। बीमा की आवश्यकता पुरानी पीढ़ी के लोगों को ज्यादा है जो या तो सेवानिवृत्त हो चुके हैं या फ़िर निकट भविष्य में सेवानिवृत्त होने वाले है। हम बाजार में उपलब्ध चिकित्सा बीमा के प्रकार देखते है, जो इस प्रकार हैं –
. चिकित्सा बीमा (Mediclaim Insurance)
. गंभीर बीमारी बीमा (Critical Illness Insurance)
. चिकित्सा बीमा (Mediclaim Insurance)
यह आमतौर पर अस्पताल में भर्ती होने, शल्य चिकित्सा में होने वाले खर्च को कवर करता है जो कि तब होते हैं जब बीमा धारक को कोई बीमारी या शल्य चिकित्सा की जरुरत होती है। बाजार में विभिन्न प्रकार के चिकित्सा बीमा उत्पाद उपलब्ध हैं जैसे व्यक्तिगत चिकित्सा बीमा, सामूहिक चिकित्सा बीमा और विदेश चिकित्सा बीमा। इस प्रकार की स्वास्थ्य बीमा से किसी भी बीमारी से आप अस्पताल में होने वाले वास्तविक खर्च जो कि वास्तविकता में होते हैं, आपको बीमा कंपनियाँ अदा कर देती हैं, और यह सुविधा केवल गैर जीवन बीमा (जनरल बीमा कंपनियाँ) ही देती हैं। इस तरह की योजनाओं को मेडिक्लेम नाम से जाना जाता है। अन्य प्रकार के स्वास्थ्य बीमा दोनों जीवन बीमा और गैर जीवन बीमा कंपनियों द्वारा उप्लब्ध करवाया जाता है।
गंभीर बीमारी बीमा (Critical Illness Insurance)
गंभीर बीमार योजनाएँ व्यक्ति को बीमित करती हैं गंभीर बीमारियों के जोखिम से, जिसका बीमा सुनिश्चित समय पर प्रदान करना होता है उसके एवज में बीमा कंपनी व्यक्ति को गंभीर बीमारी होने के जोखिम का बीमा प्रदान करती है। यह बीमा आपको देता है आपको नगद राशि अगर आपको कोई भी गंभीर बीमारी अनपेक्षित रुप से आ घेरती है, जो गंभीर बीमारियाँ इस बीमा में बीमित की गई हैं अगर कोई भी बीमारी उसमें से निकल जाती है तो बीमा कंपनी आपको तुरंत बीमा नगद दे देती हैं, जिसे आप अपने घर में होने वाले खर्च और उस गंभीर बीमारी के चिकित्सा खर्च में उपयोग कर सकते हैं। कभी कभी गंभीर बीमारी आपके परिवार की जीवन शैली बदल देता है तो यह बीमा उस जोखिम से भी रक्षा करता है। किसी भी गंभीर बीमारी जो कि इस बीमा में कवर होती है, बीमारी के पता लगते ही कुछ ही दिनों में इस तरह के स्वास्थ्य बीमा में बीमा धारक को बीमा की राशि एकमुश्त दे दी जाती है। आमतौर पर गंभीर बीमारियों की इस बीमा योजना में निम्न गंभीर बीमारियों को कवर किया जाता है –
कल सदी का सबसे लंबा सूर्य ग्रहण था, शायद वैसे जैसा कि महाभारत में हुआ था क्योंकि दोपहर को ही सन्ध्याकाल जैसी स्थिती निर्मित हो गई थी।
हम ग्रहण काल में घर से निकले ऑफ़िस जाने के लिये और बड़े इत्मिनान से ऑटो को हाथ देकर रोकने लगे। कई ऑटो रुके पर कोई उस तरफ़ जाने को तैयार ही नहीं था (ये तो रोज की बात है ), एक ऑटोवाले ने सहमति दी तो हम जैसे ही उसमें बैठने लगे पता नहीं कैसे हमारी शर्ट की ऊपरी जेब ऑटो के मीटर में उलझ कर फ़ट गयी, और हम हतप्रभ से अपनी शर्ट को देखने लगे।
वैसे भी मन तो शंकालू ही होता है सोचा कि चलो ग्रहण की शुरुआत हो चुकी है अपने ऊपर अब बेटा दिनभर के लिये तैयार हो जाओ, पता नहीं दिन कैसा जाने वाला है। फ़िर क्या था ऑटो से उतरे वापिस घर आये और शर्ट बदल कर वापस चल दिये। क्योंकि अपनी तो पहले की हिस्ट्री भी खराब है ग्रहण के दिनों की, हाँ यह पहला सूर्य ग्रहण था और अभी तक जितने भी बड़े बदलाव या नुक्सान हुए थे वो चंद्र ग्रहण से हुए थे। हो सकता है कि हम खुद ही उस समय लापरवाह हो गये हों और हमारी शर्ट फ़ट गयी हो।
पर हाँ दिनभर काफ़ी अच्छा गया, और तो और जिन कार्यों के न होने की उम्मीद थी वे कार्य भी हो गये। लगता है कि शनि शर्ट पर ही था। 🙂
यह तो सब जीवन में चलता ही रहता है, और जीवन इन्हीं उतार-चढ़ाव का नाम है, इनके बिना जीवन अधूरा है।
पर फ़िर भी मन में यह तसल्ली रही कि चलो इस बार ग्रहण से अपन बच लिये, कोई नई समस्या या जिंदगी में नई पेचिदगियाँ नहीं आईं और सब मस्त रहा। सब मुरलीवाले की माया है। इसलिये हम तो हमेशा “बांके बिहारी लाल की जय” कह लेते हैं।
स्वास्थ्य बीमा जो कि मेडीक्लेम या चिकित्सा बीमा के नाम से ज्यादा जाना जाता है। यह बीमा कंपनी और बीमा धारक के बीच एक प्रकार का अनुबंध होता है। आकस्मिक चिकित्सा की स्थिती में यह आपकी और आपके परिवार की आर्थिक रुप से सुरक्षा करता है। इसमें किसी किसी योजना में स्थायी अपंगता और लंबी चिकित्सा की जरुरतें भी शामिल होती हैं। मेडिक्लेम में आपको हर वर्ष प्रीमियम अदा करना होता है, जिसके एवज में आप पाते हैं बीमा कंपनी का वायदा, जितनी भी राशि आपकी खर्च होती है, उसे क्लेम के रुप में वापिस देने के लिये। स्वास्थ्य बीमा भारतीय बाजार में नया है और उपभोक्ताओं को धीरे धीरे इसका पता चल रहा है। उपभोक्ता को स्वास्थ्य बीमा का उद्देश्य पता होना चहिये और बीमा कंपनियाँ चिकित्सा में खर्च की गई राशि को बीमित करती हैं। आमतौर पर स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में अपंगता, लंबी चिकित्सा, या अस्पताल में भर्ती होना शामिल होता है। यह बीमा सरकारी कंपनियों के माध्यम से भी उपलब्ध है और् निजी बीमा कंपनियाँ भी यह सुविधा देती है।
स्वास्थ्या बीमा दोनों प्रकार से लिया जा सकता है व्यक्तिगत और समूह में (कंपनी अपने कर्मचारियों के लिये बीमा कवर दे सकती है)। प्रत्येक मामले में या तो वो समूह हो या फ़िर व्यक्तिगत हो, बीमा प्रीमियम का भुगतान आयकर बचाने के लिये और खुद को किसी अप्रत्याशित चिकित्सा सेवा की स्थिती में होने वाले खर्च से बचाता है। हालांकि व्यक्तिगत पॉलिसियँ, समूह पॉलिसी से मह्ँगी होती है। खुद बीमा धारक ही व्यक्तिगत पॉलिसी का मालिक होता है। जबकि सामूहिक प्लॉन्स में कंपनियाँ इसे प्रायोजित करती हैं और इसमें अपने कर्मचारियों को पंजीकृत करती हैं। अगर आपके पास सामूहिक बीमा है तो व्यक्तिगत स्वास्थ्या बीमा लेने की जरुरत ही नहीं होती है। कई लोग जो कि कोई बीमा नही खरीद पाते हैं या किसी वजह से बीमा नहीं करवा पाते हैं उन्हें सामूहिक योजना का अच्छा लाभ होता है।
स्वास्थ्य व्यय के कुल जोखिम का आकलन कर अपनी वित्तीय संरचना को अच्छे से विकसित कर सकते हैं, मासिक या वार्षिक प्रीमियम भरने के लिये यह आपको महत्वपूर्ण दिशा देगा। और वह प्रीमियम राशि हर वर्ष आपके पास होगी जिससे आप अपने बीम कंपनी से यह सुविधा ले पायेंगे और अपने को व अपने परिवार को स्वास्थ्य बीमा से बीमित कर पायेंगे। इस सुविधा को केन्द्रीय संगठन जैसे कि सरकारी एजेन्सी, निजी व्यवसायी या लाभ के लिये कार्य न करने वाली इकाई द्वारा प्रशासित किया जाता है। उस व्यक्ति को या बीमा धारक द्वारा बीमा कंपनी को नियमित शुल्क का भुगतान किया जाता है, जिसे प्रीमियम के रुप में जाना जाता है। इसके फ़लस्वरुप बीमा कंपनियाँ सभी या कुछ चिकित्सा खर्च जब भी बीमित को जरुरत होगी, भुगतान कर देगी, जब बीमित अगर घायल हो गया हो या बीमार हो जाता है या फ़िर अस्पताल में भर्ती होता है। तब बीमाधारक को चिकित्सा खर्च की कोई चिंता नहीं होती है।
मैंने अभी कुछ दिन पहले एक पोस्ट लिखी थी क्या आपने गूगल की इस अनुवाद सेवा के बारे में सुना है, देखिये….
अब इसमें आंग्ल भाषा से हिन्दी का बोट भी जुड़ गया है जिससे आपको कोई भी अन्य विन्डो खोलना ही नहीं पड़ेगी जब भी किसी शब्द का हिन्दी में अर्थ चाहिये सीधे चैट कीजिये और हिन्दी में अर्थ पाईये। इस बोट का एड्रेस है – [email protected]
जल्दी से यह जोड़ लीजिये अपने जीमेल में और किसी भी शब्द का अनुवाद आप करवा पायेंगे केवल एक चैटिंग विन्डो से।
हम बहुत दिनों से देख रहे हैं कि सारे चिट्ठाचर्चा वाले चर्चाकार शायद हमसे नाराज हैं क्यों, क्योंकि हमें लगता है कि सब हमसे नाराज हैं, क्योंकि हमारे ब्लॉग की लिंक ही नहीं दी जा रही है। हमें लगता है कि यह हमें नहीं कहना चाहिये पर फ़िर भी आज पता नहीं क्यों फ़िर भी कह ही रहे हैं। हाँ भई हम कोई प्रसिद्ध ब्लॉगर तो नहीं फ़िर भी ब्लॉगर तो हैं, कुछ हमारे रोज के पाठक तो हैं ही जो कि हमें ब्लॉग लिखने के लिये प्रेरित करता है, अब देखते हैं कि आखिर हमें ये चर्चाकार कब तक इग्नोर करते हैं।
ब्लॉगर भले ही उम्र में बढ़े होते हैं पर फ़िर भी हमेशा यही मन करता है कि हमारी चर्चा कहीं न कहीं हो, क्योंकि कहीं न कहीं मन बालसुलभ या हठी होता है। सोचा था कि कभी भी यह बात न बोलेंगे और चुपचाप ब्लॉगरी करते रहेंगे। पर पता नहीं आज जब विन्डोज लाईव राईटर खोला ब्लॉग लिखने के लिये तो अपने आप ही कीबोर्ड पर ऊँगलियाँ चलने लगीं और यह सब लिख दिया।
यूलिप के नुकसान
यूलिप के बड़े नुकसान इस प्रकार हैं –
यूलिप लंबी अवधि के लिये अच्छा निवेश है ?
यूलिप उन लोगों के लिये बेहतर निवेश का साधन है जो कि दीर्घकालिक निवेश करना चाहते हैं। प्रारंभिक तीन वर्षों की उच्च शुल्क संरचना यूलिप को प्रारंभिक वर्षों के लिये महँगा कर देती है। जैसा कि पहले भी बताया है कि प्रारंभिक वर्षों में यूलिप में उच्च शुल्क संरचना होती है। इसके अलावा, बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिती में निवेश की राशि कम भी हो सकती है या बहुत कम रिटर्न देती है। हालांकि, धीरे धीरे शुल्क संरचना में कमी आती जाती है और फ़लस्वरुप लंबी अवधि में आपकी प्रीमियम राशि से ज्यादा राशि आपके चुने हुए कोषों में निवेश होती है।
यूलिप के तहत आयकर पर छूट
य़ुलिप में निवेश की गई राशी आपको आयकर के तहत छूट भी प्रदान करते हैं। यूलिप में किया गया निवेश आयकर की धारा 80 C के तहत ज्यादा से ज्यादा १,००,००० तक के निवेश को आयकर में छूट मिलती है।निवेशक द्वारा चुनी गई योजनाओं से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है।
आज मैं BG 15-5 जो कि गोपीनाथ चंद्र प्रभू ने इस्कॉन गिरगाँव चौपाटी पर १ जनवरी २०१० को यह वक्तृता दिया था, सुन रहा था। जिसमॆं उन्होंने समय प्रबंधन के लिये Tripple “S” फ़ॉर्मुला बताया जो मुझे बहुत अच्छा लगा।
कार्य हमारी जिंदगी में चार प्रकार के होते हैं –
१. अत्यावश्यक और महत्वपूर्ण
२. अत्यावश्यक नहीं किंतु महत्वपूर्ण
३. अत्यावश्यक किंतु महत्वपूर्ण नहीं
४. न ही अत्यावश्यक और न ही महत्वपूर्ण
१. अत्यावश्यक और महत्वपूर्ण – जैसे कि छात्र अपनी परीक्षा की तैयारी करता है, क्योंकि छात्र को परीक्षा के समय पढ़ाई से ज्यादा अत्यावश्यक और महत्वपूर्ण कार्य कुछ और नहीं होता है।
२. अत्यावश्यक नहीं किंतु महत्वपूर्ण – जैसे कि पढ़ाई अगर सतत की जाये तो निश्चित ही परीक्षा में अच्छॆ अंक आयेंगे और परीक्षा के समय पढ़ाई अत्यावश्यक नहीं रहेगी। जैसे अपने स्वास्थ्य के लिये अगर रोज व्यायाम करेंगे तो यह भी अत्यावश्यक नहीं है परंतु महत्वपूर्ण है।
३. अत्यावश्यक किंतु महत्वपूर्ण नहीं – जैसे कि फ़ोन कॉल अत्यावश्यक है परंतु महत्वपूर्ण नहीं, हो सकता है कि केवल टाईम पास करने के लिये किसी मित्र ने ऐसे ही फ़ोन लगाया हो। किसी को सिगरेट पीना है तो उसके लिये यह अत्यावश्यक है परंतु महत्वपूर्ण नहीं। नई फ़िल्म जैसे ही टॉकीज में लगती है दौड़ पड़ते हैं देखने के लिये, क्या यह तीन महीने बाद नहीं देखी जा सकती, क्या है यह, यह अत्यावश्यक कार्य है परंतु महत्वपूर्ण नहीं। जिन विचारों पर मन का नियंत्रण नहीं होता।
४. न ही अत्यावश्यक और न ही महत्वपूर्ण – जैसे की फ़ालतू में सोते रहना, टाईम पास करना, ओर्कुट या फ़ेसबुक पर रहना, ऐसे ही सर्फ़िंग करते रहना।
समय प्रबंधन का Tripple “S” फ़ॉर्मुला है –
पहला “S” – पहले प्रकार के कार्यों की कमी (अत्यावश्यक और महत्वपूर्ण) करना जिससे हमें कभी गुस्सा नहीं आये । जो लोग दूसरे प्रकार के कार्य नहीं करते हैं वे ही पहले प्रकार को आने की दावत देते हैं, अगर समय पर सब कार्य कर लिया जाये तो पहले प्रकार (अत्यावश्यक और महत्वपूर्ण) की नौबत ही नहीं आयेगी।
दूसरा “S” – तीसरे प्रकार के कार्यों (अत्यावश्यक किंतु महत्वपूर्ण नहीं) को मना करना, जो कि केवल हम मन को खुश करने के लिये करते हैं या कुछ क्षणों के सुख के लिये करते हैं, हमे हमेशा दूसरे प्रकार के कार्यों में व्यस्त रहना चाहिये।
तीसरा “S” – चौथे प्रकार के कार्यों से हमेशा बचना चाहिये, केवल दूसरे प्रकार (अत्यावश्यक नहीं किंतु महत्वपूर्ण) के कार्य में व्यस्त रहना चाहिये।
यूलिप लेते समय कौन सी बातों पर ध्यान देना चाहिये
जब भी आप कोई भी ब्रोशर देख रहे हों यूलिप बीमा खरीदने के लिये, हमेशा कुछ चीजों को ध्यान से देखना चाहिये जो कि निम्न हैं –
यूलिप के लाभ
यूलिप के प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं –