Monthly Archives: January 2010

मेरी उज्जैन यात्रा में चाय-पान के दौरान एक चाय गुमटी का फ़ोटो.. अपनी मित्र मंडली के साथ चा-पान.. और गुमटी की विशेषता

मैं जब भी उज्जैन जाता हूँ तो अपने मित्रों के साथ दोपहर की चाय पीना वो भी गुमटी पर खड़े होकर नहीं भूलता हूँ, सबको फ़ोन करके बुला लेते हैं और चाय की गुमटी पर दोपहर के निश्चित समय पर सारे दोस्त इकट्ठे हो जाते हैं चा-पान के लिये।

इस दौरान मैंने गुमटी की एक विशेषता देखी थी जो मैं अपने ब्लॉग पर लगाना चाहता था, इस बार फ़ोटू खींच ही लाया, देखिये

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सोनू टी स्टॉल क्या स्टाईल में लिखा है।

और ये रहे सोनू जी स्टॉल चलाने वाले –

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इस फ़ोटो में एक और मजेदार बात देखिये कि दूध के तपेले को कैसे ढ़का गया है, अखबार के द्वारा। जब हमने बोला कि भई दूध में उबाल आ गया है अब इसको ढ़ंक दो तो उसने झट से अखबार हमारे हाथ से लिया और दूध के तपेले पर ढ़ंक दिया।

भाग २ – आपको यूलिप (ULIP) के बारे में क्या क्या पता होना चाहिए… ? यूलिप क्या होता है.. [What is ULIP.. Part 2]

यूलिप की विशेषताएँ –

   यूलिप बीमा और निवेश का संयोजन है। निवेशक के कुल निवेश में से एक भाग से जीवन की सुरक्षा प्रदान की जाती है और बची हुई पूरी राशी यूनिट फ़ंड में निवेश कर दी जाती है। यूलिप की राशि का यूनिट एक तत्व होती है। जैसे कि म्यूचयल फ़ंड में, वैसे ही बीमा कंपनियाँ यूलिप में निवेशकों को यूनिट आवंटित करती हैं और शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (NAV) की दैनिक आधार पर घोषणा की जाती है। यूलिप में निवेश की गई राशि का प्रदर्शन आपके द्वारा चुनी गये कोष के ऊपर निर्भर करता है।

   यूलिप की कुछ अद्वितीय विशेषताएँ भी हैं, जो अन्य किसी निवेश उत्पाद में उपल्ब्ध नहीं होती है। यूलिप की कुछ विशेषताएँ –

  • टॉप अप सुविधा
  • स्विचिंग सुविधा (कोष को इक्विटी या डेब्ट में स्विच करना)
  • बीमा अवधि के दौरान, सुरक्षा के स्तर को कम या ज्यादा कर सकते हैं।
  • बीमा सुरक्षा आवरण बनाये रखने का विकल्प
  • निवेश को समय पूर्व निकास (Surrender Option)
  • राइडर्स विकल्प जो कि आपकी मुख्य पॉलिसी के विशेषताओं के साथ मिल सकता है, जो कि अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है।

यूलिप में निवेश राशि को विभिन्न प्रकार के कोषों में रखने का विकल्प

   ज्यादातर बीमा कंपनियाँ विभिन्न प्रकार के कोषों में निवेश रखने का विकल्प देती हैं, जिससे निवेशक अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त कर सके और जिसमें कि समय और जोखिम आप खुद आपके निवेश के लिये तय कर सकते हैं। रिटर्न की राशि का सीधा संबंध आपकी जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करता है, क्योंकि यहाँ पर विभिन्न प्रकार के कोष हैं, जिसे निवेशक ही चुनता है। सामान्यत: जो कोष सबसे ज्यादा उपयोग किये जाते हैं वे इस प्रकार हैं –

  • इक्विटी कोष (Equity Funds)
  • संतुलित कोष(Balanced Funds)
  • फ़िक्स्ड ब्याज जौर बॉन्ड कोष(Income, Fixed Interest and Bond Funds)
  • नकद कोष(Cash Funds)

मैंने अपने ब्लॉग टेम्पलेट में कुछ बदलाव किये हैं, अब कैसा लग रहा है, आप भी सुझाव दें

   कल मैंने अपने ब्लॉग टेम्पलेट में कुछ बदलाव किये हैं, जैसे कि हेडर में “कल्पतरु” का लोगो लगाया है। मुख्य पोस्ट की जगह की चौड़ाई बढ़ाई है, साईड बार की चौड़ाई बढ़ाई है।
   मैं तीन कॉलम का टेम्पलेट लगाना चाहता था पर उसमें कुछ मुश्किलें आ रही थीं, फ़िर मैंने इसी एचटीएमएल में कुछ बदलाव कर इतना कर लिया। फ़िर लेफ़्ट याने कि उल्टे हाथ की तरफ़ भी एक छोटा सा साईडबार लगाना चाहता था, तो वह भी कर रहा था पर html स्क्रिप्ट में कुछ गड़बड़ी होने से वह नहीं हो पाया। कोई अगर मेरी सहायता कर पाये तो मुझे बहुत राहत मिल जायेगी।
   संगीता पुरी जी ने भी एक कमेंट किया था इस पोस्ट पर कि यह पोस्ट में नहीं साईड बार में होना चाहिये उसके लिये मैं एक विजेट ढूँढ़ रहा हूँ, जिससे यह कार्य भी आसान हो जाये।

भाग १ – आपको यूलिप (ULIP) के बारे में क्या क्या पता होना चाहिए… ? यूलिप क्या होता है.. [What is ULIP.. Part 1]

    यूलिप लेने पर बीमा धारक को प्रारंभिक वर्षों में ज्यादा पॉलिसी शूल्क देने पड़ते हैं। आबंटन प्रभार, फ़ंड प्रबंधन शुल्क, मोर्टेलिटि चार्जेस इत्यादि शुल्क यूलिप को महँगा बना देते हैं।  इसके अलावा बाजार में उतार चढ़ाव के कारण इसमें किये गये निवेश के शुरु के वर्षों में अपेक्षाकृत कम रिटर्न मिलता है। लेकिन धीरे धीरे शुल्क की संरचना से शूल्क कम होते जाते हैं, पहले तीन वर्षों में शुल्क ज्यादा कटते हैं। आईआरडीए ने यूलिप की फ़ीस का जो नया तरीका बनाया है जिससे यह और अधिक आकर्षक हो गई है। इसके अंतर्गत बीमा कंपनियाँ १० वर्ष से कम के बीमा निवेश पर ३% से ज्यादा, और १० वर्ष से ज्यादा के बीमा निवेश पर २.२५% से ज्यादा शुल्क नहीं ले सकती हैं। लंबी अवधि के बाद यूलिप से आप अपने निवेश पर अधिक से अधिक राजस्व प्राप्त करते हैं।

   जैसा कि हम सब लोग जानते हैं कि बाजार में निवेश के लिये वित्तीय उत्पाद आते ही जा रहे हैं। इन उत्पादों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है, १. जिससे उपभोक्ता को लाभ मिलता हो और २. जिससे एजेंट को लाभ मिलता हो। जैसे जैसे  वित्तीय उत्पादों की संख्या बाजार में बढ़ती जा रही है, वित्तीय उत्पाद खरीदना उतना ही जटिल होता जा रहा है, क्योंकि यह समझना बहुत मुश्किल होता जा रहा है कि कौन सा वित्तीय उत्पाद अच्छा है और कौन सा बुरा।

यूलिप क्या है –

   यूलिप का मतलब है यूनिट लिंक्ड बीमा योजना। यूलिप प्लॉन एक ऐसा वित्तीय उत्पाद है जो कि बीमे के द्वारा आपको सुरक्षा तो प्रदान करता ही है साथ में आपको निवेश का सुनहरा अवसर भी प्रदान भी करता है। यह एक अनूठा उत्पाद है जो कि आपकी बीमा और निवेश की आवश्यकताओं को एकीकृत रुप में उपलब्ध करवाता है। इसकी संरचना म्यूचयल फ़ंड के समान है, देखिये यह कैसे कार्य करता है –

  • आप बीमा कंपनी एक निश्चित आवधिक प्रीमियम भुगतान करते हैं।
  • प्रीमियम के एक हिस्से से आपको बीमा कवर दिया जाता है।
  • और बचा हुआ प्रीमियम इक्विटी या सुरक्षित बांड(Debt Market) में निवेश कर दिया जाता है।
  • बीमा धारक की मृत्यु की स्थिती में, बीमा राशि का भुगतान नोमिनी को कर दिया जाता है।
  • पॉलिसी की परिपक्वता पर पॉलिसी की परिपक्वता राशि बीमा धारक को प्रदान कर दी जाती है।

आज हमारे बेटे के लिये नया संगणक (PC) आ गया, आज तक केवल नमकीन, अचार ही उज्जैन से मंगाते थे पर आज संगणक भी वहीं से मँगवा लिया।

वैसे तो हम रह रहे हैं मुंबई में परंतु फ़िर भी कोई चीज लेनी होती है तो पहली कोशिश यही होती है कि उज्जैन से मँगवा लें, और अगर हम न जा पायें तो भी कोई सामान लाने की कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि हमारे उज्जैन के मित्र आते जाते रहते हैं, तो आराम से अपना सामान आ जाता है, वैसे तो मुंबई से सामान लेने में कोई परेशानी नहीं है परंतु पहली बात बस यही मन में आती है कि यहाँ हर चीज बहुत महँगी है, जबकि अपने उज्जैन में सस्ती।

बस इसीलिये अपने बेटे के लिये पहले सोच रहे थे कि अपना लेपटॉप उसे देकर अपने लिये नया लेपटॉप ले लेंगे पर फ़िर परिवार वाले और मित्रगण बोले कि यह तो बड़ी अच्छी बात है पर अभी बेटा छोटा है इसलिये लेपटॉप देना ठीक नहीं, वैसे ही वह बहुत बड़ा इंजीनियर है। क्योंकि उसके लिये कोई भी खिलौना लेकर आओ तो सबसे पहले पलटकर कितने स्क्रू लगे हैं, और वो किधर से खुल सकता है यही देखता है। तो लेपटॉप का भी तिया पाँचा कर डालेगा इससे अच्छा है कि अपना लेपटॉप अपने पास रखो और उसे नया संगणक दिलवा दो।

फ़िर हमने संगणक की पड़ताल की, कि सस्ता कौन सा पड़ेगा तो हमारे बेटे को तो केवल पढ़ाई और गेम्स के लिये संगणक चाहिये था, इसलिये हमने अपने परम मित्र अंकल चित्तरंजन से मशविरा किया, ये हमारे मित्र हैं परंतु हम इन्हें अंकल ही बोलते हैं। वे बोले कि कॉन्फ़िगरेशन मैं बता देता हूँ आप वहीं से ले लो य फ़िर यहाँ से हम भी भेज सकते हैं, यहाँ पर भाव पता किये तो जो भाव हमें उज्जैन से अंकल ने दिये थे उससे कम से कम २५% ज्यादा भाव यहाँ मिल रहा था, तो आखिरकार हमने सोचा कि अब तो उज्जैन से ही मँगवाते हैं। तो बस हमने उन्हें बोल दिया और आज हमारे बेटे के लिये नया संगणक आ गया।

कल शाम को उज्जैन से हमारे मित्र नितिन अपने परिवार के साथ मुंबई आ रहे थे तो हमने उनके साथ बुलवा लिया और यहाँ पर बोरिवली जाकर अवन्तिका एक्सप्रेस से ले लिया। घर आकर सबसे पहले हमने संगणक को खोला और दर्शन किये कि हाँ कैसा दिखता है, जल्दी ही फ़ोटू भी डालेंगे।

वैसे हम उज्जैन से आमतौर पर नमकीन, अचार इत्यादि मंगवाते ही रहते हैं। क्योंकि हमें तो बस उज्जैन की नमकीन ही अच्छी लगती है, और कभी इंदौर से कोई मित्र आ रहा होता है तो प्याज के सेंव मँगा लेते हैं। आखिरकार अपना स्वाद तो वहीं का है, तो फ़िर कुछ भी हो अपने को तो बस उज्जैन की ही चीज अच्छी लगती है।

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग ७ (What is Term Insurance…) Part 7

टर्म जीवन बीमा योजना लेने के लिये जो राशि आपने खर्च की है उस राशि पर आपको आयकर की धारा ८०(सी) के तहत छूट मिल जायेगी।

और बची हुई राशि जो कि आमतौर पर हम लोग इंश्योरेन्स के लिये निवेश करते हैं, उसे अच्छे म्यूचयल फ़ंड में या अच्छे शेयर में निवेश करें, तो आपको लंबे समय में बेहतर रिटर्न मिलेंगे।

टर्म इंश्योरेन्स के बारे में पूरा पढ़ने के लिये पिछली पोस्टें देखें, पोस्टों पर जाने के लिये नीचे लिंक दी गई है, चटका लगाईये –

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग १ (What is Term Insurance…) Part 1

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग २ (What is Term Insurance…) Part 2

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग ३ (What is Term Insurance…) Part 3

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग ४ (What is Term Insurance…) Part 4

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग ५ (What is Term Insurance…) Part 5

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग ६ (What is Term Insurance…) Part 6

 

संबंधित चिट्ठे पढ़ें –

कभी आपकी भी इच्छा होती है कि अगर यह मेल हिन्दी में होती तो बात ही कुछ और थी, जीमेल के ट्रांसलिशन टूल से अब यह भी संभव है किसी भी भाषा में अनुवाद करॆं…

मैं कई बार मेल पढ़ता हूँ तो आंग्ल भाषा के कुछ शब्दों का अर्थ समझ में नहीं आता है तो फ़िर अलग से विन्डो खोलकर या तो गूगल ट्रांसलेशन सेवा में जाना पड़ता है या फ़िर शब्दकोश में। पर अब हमारी इस समस्या का समाधान गूगल ने जीमेल में ही एक लैब फ़ीचर से दे दिया है, किसी भी भाषा से किसी भी भाषा में अनुवाद। देखिये कैसे होता है यह –

१. मेरे पास आंग्लभाषा में मेल आया –

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यहाँ पर जो गोला बना हुआ आपको दिख रहा है English to Hindi और उसके आगे लिखा है View Translated Message बस इस पर क्लिक कीजिये और हिन्दी में मेल का अनुवाद आ जाता है।

२. अनुवादित मेल देखिये –

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अगर आप यहाँ पर वापस से आंग्लभाषा में मेल चाहते हैं तो View original message पर क्लिक करें, मेल आंग्लभाषा में उपलब्ध होगा।

३. इस अनुवाद सेवा के फ़ीचर को शुरु कैसे करें –

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जीमेल की विन्डो में सीधी तरफ़ कोने में Settings के पास हरे रंग का जो जार दिखाई दे रहा है यह है जीमेल लेब का बटन उस पर क्ल्कि करें और फ़िर आपको बहुत सारे लेब फ़ीचर्स दिखाई देंगे, अनुवाद सेवा को शुरु करने के लिये निम्न लेब फ़ीचर को Enable करें और सबसे नीचे जाकर Save Changes पर क्लिक करें।

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तो पढ़ते रहिये अपनी भाषा में मेल।

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग ६ (What is Term Insurance…) Part 6

जब टर्म जीवन बीमा योजना का चुनाव करें तो इन बातों का ध्यान रखना चाहिये –

१. सबसे पहले यह समझ लेना चाहिये कि टर्म जीवन बीमा योजना क्या होती है, इसके क्या लाभ होते हैं, यह कैसे कार्य करती है वगैरहा।

२. सभी जीवन बीमा कंपनियाँ एक जैसी नहीं होती हैं सबकी वित्तीय स्थिती अलग अलग होती हैं, जिस भी कंपनी का जीवन बीमा लेने जा रहे हैं पहले बाजार में उसकी वित्तीय स्थिती का आकलन कर लें, उसकी बाजार में प्रतिष्ठा कैसी है, वह किस समूह से ताल्लुक रखती है इत्यादि।

३.  आम जीवन बीमा से टर्म जीवन बीमा बहुत सस्ता होता है। यह सस्ता इसलिये होता है कि ये योजनाएँ इस तरह से तैयार की गई हैं कि आप एक निश्चित अवधि के लिये ही बीमित होते हैं। अगर आप अपनी पूरी जिंदगी अपने जीवन का बीमा चाहते हैं और भुलक्कड़ हैं तो टर्म जीवन बीमा योजना आपके लिये नहीं है, आप साधारण जीवन बीमा ही लें।

४. टर्म जीवन बीमा योजना बहुत बढ़िया है अगर आप अपने परिवार और घर के लिए मृत्यु के बाद की सुरक्षा चाहते हैं। अगर आप के पास गृह ऋण है तो आप केवल ऋण राशि का भी टर्म जीवन बीमा करवा सकते हैं। जिससे अगर समय के पहले गृह स्वामी की मौत की स्थिती में बीमित के परिवार को अपना घर नहीं गँवाना पड़ेगा। बीमा कंपनी बीमित की मौत की स्थिती में पूरा गृह ऋण चुका देगी।

५. हमेशा ऐसी योजना देखे जिसमें नवीनीकरण की गारंटी हो, मतलब कि अगर भविष्य स्वास्थ्य संबंधी समस्या अगर हो जाये तो बीमा कंपनी नवीनीकरण के लिये इंकार न कर दे। अगर आप इस तरह की गारंटीकृत नवीनीकरण वाली योजना खरीदते हैं तो अगर भाविष्य में स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर भी आपका बीमा नवीनीकरण किया जा सकेगा।

६. परिवर्तनीय योजनाओं वाला जीवन बीमा खरीदें, अगर भविष्य में कोई और अच्छी योजना आती है तो आप अपनी इस जीवन बीमा योजना को उस योजना के लिये स्विच कर पायें, अगर किसी टर्म जीवन बीमा योजना में यह सुविधा उपलब्ध होती है तो वही लेना चाहिये, नहीं तो आपको वही योजना पूरी बीमा अवधि  रखनी होगी।

पतंगबाजी की हमारी कुछ पुरानी यादें, और धागा को सूतकर मांझा बनाना जिसे धार में गुँडे कहते हैं… मकर संक्रांति की याद में… अपना बचपन..

कल अपने ऑफ़िस जाते समय बीच में मलाड़ में एक पतंग की सजी हुई दुकान दिख गई, एक नजर में तो हमारा मन ललचा गया पतंग देखकर, और साथ में मांझा और चकरी भी था।

images तो बस हमें अपने पुराने दिन याद आ गये जब नौकरी की कोई चिंता नहीं थी, अपने स्कूल में पढ़ते थे और मजे में दिनभर पतंग उडाते थे। तब हम लोग राजा भोज की नगरी धार में रहते थे, जहाँ पर विवादित भोजशाला भी है, एक समय था जब धारा में  दंगे होना तो आम बात थी।

हम रहते थे गुरुनानक मार्ग पर बिल्कुल वैंकट बिहारी के मंदिर के पीछे, और् हमारे मोहल्ले के लगभग सभी लोग वहीं से पतंगबाजी करते थे। मकर संक्रांति के पहले से पतंगबाजी की तैयारी जोरशोर से शुरु हो जाती थी, हमारे पास भी एक बड़ा लकड़ी का चकरा था, जो कि हमने स्पेशली बनवाया था।

पतंगबाजी की तैयारी शुरु होती थी मांझा सूतने से, धार में मांझे को गुंडा कहा जाता है, धागा सूतने की प्रक्रिया भी कम दिलचस्प नहीं होती थी, बहुत मेहनत लगती है धागा सूतने में, ये बरेली वाला मांझा भी कहाँ लगता, हमारे सूते हुए मांझे के सामने।

मांझा सूतने की तैयारी शुरु होती थी काँच पीसने से, घर की पुरानी ट्यूबलाईट और् बल्ब के काँच को सावधानी से तोड़कर एक बड़े कपड़े में रखकर्, उसकी पोटली बनाकर् उसे कूट लेते थे जिससे वो काँच के टुकड़े छोटे छोटे हो जायें, और हाथ में भी न लगें,  फ़िर अपने लोहे के मूसल में कूटकर काँच को और बारीक कर लिया जाता था, फ़िर काँच को साड़ी के कपड़े से छानकर उसे अलग रख लेते थे। यह तो पहली चीज तैयार हो गई मांझा सूतने की।

अब और सामग्री होती थी, सरेस, रंग, छोटे छोटे कॉटन के कपड़े और एक छेद वाली डंडी।

सरेस को उबालकर उसमें रंग मिला दो और उसे एक बर्तन में कर लो, बर्तन खराब ही लें क्योंकि बर्तन सरेस डालने के बाद अच्छा नहीं रह जाता है। मांझा और चिकना करना हो तो साबुदाना भी डाल सकते हैं, सामग्री तैयार हो चुकी है, अब धागे और काँच के साथ तैयार हो जाते थे, धागा सूतने के लिये।

पीछे धागे की गिट्टी को इस प्रकार पकड़ा जाता है कि धागा आसानी से तेजी से निकले, फ़िर धागे को उस छेद वाली डंडी में से निकाल कर जो कि सरेस के बर्तन में डुबा कर रखी जाती है, और अब वो कॉटन के कपड़े को तह कर के उसके बीच में काँच भरकर उसे अपनी दो ऊँगलियों से पकड़ लें ध्यान रहे कि धागा इसके बीच में से जाना चाहिये, और अगर ज्यादा पतंग काटनी हो तो उसके बाद थोड़ी दूरी पर ही वापिस से एक और काँच चाला कपड़ा किसी को पकड़ा दें और फ़िर अपनी चकरी में लपेटते जायें। इससे काँच धागे में चिपकता जायेगा रंग के साथ जिससे आप ज्यादा पतंग काट पायेंगे।

ये तो धागा सूत लिया और् अब ये मांझे में बदल गया अभी तो ये गीला है, अब इसे किसी दूसरी चकरी में लपेट लें धीरे धीरे जिससे ये सूख जाये और ये प्रक्रिया तब तक दोहरायें जब तक कि मांझा पूरी तरह से सूख नहीं जाये।

बस फ़िर क्या है मांझा तैयार और पतंगें काटने को तैयार हो जाईये, वैसे हम मांझा इतना कांच वाला सूतते थे कि किसी पतंग को टिकने नहीं देते थे और अपने आसपास का आसमान साफ़ कर देते थे, कांच ज्यादा होता था हमारे गुंडों में इसलिये हमने कभी भी मांझा अपनी ऊँगलियों से नहीं पकड़ा और सीधे चकरी से ही पतंग उडाते थे,  उस समय अपना लोगों में बहुत डर था और् जब हम पतंग उड़ाने जाते थे तो आसपास वाले अपनी पतंगे उतार लेते थे। और आज भी हम सीधे चकरी से ही पतंग उड़ाते हैं, इससे फ़ायदा यह है कि किसी दूसरे पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है कि कोई अपनी चकरी पकड़े और हम हाथ से उड़ायें।

संक्रांति पर तो लगभग हर छत पर रेडियो, टेप, डेक, माईक और बड़े बड़े स्पीकर लगाकर लोग दूसरे की पतंग काटने पर "काटा हैं" या अपनी पतंग कटने पर "कटवाई है" चिल्लाते थे। और जोर जोर से गाने बजते थे, सारे आसमान में पतंगे ही पतंगे दिखती थीं।

सुबह पतंग उड़ाने जाते थे तो घर तो तभी लौटते थे जब शाम को पतंग दिखनी बंद हो जाती थी, या फ़िर हमारे माताजी या पिताजी में से कोई एक डंडा लेकर आता दिखता था।

इतनी ऊँची पतंग उड़ाते थे कि शाम को पतंग उतारने की हिम्मत ही नहीं होती थी, इसलिये अपने हाथ से धागा तोड़कर या तो किसी को दे देते थे या फ़िर वहीं कहीं बाँधकर घर चले जाते थे।

बहुत मधुर यादें हैं पतंगबाजी की, ऐसा लगा कि यह पोस्ट लिखते लिखते मैं अपने पुराने दिनों में चला गया। आप भी अपने पतंगबाजी के अनुभव बताईयेगा जरुर।

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग ५ (What is Term Insurance…) Part 5

टर्म जीवन बीमा योजना की कमियाँ –

१. आयु के साथ प्रीमियम भी बड़ जाती है।

२. अस्थायी सुरक्षा ।

१. आयु के साथ प्रीमियम भी बड़ जाती है।

टर्म जीवन बीमा योजना  में बीमा धारक को ज्यादा प्रीमियम अदा करना होती है, जैसे जैसे उसकी उम्र ज्यादा होती है, इसीलिये यह योजना जितनी जल्दी हो सके ले लेना चाहिये। और ज्यादा उम्र में टर्म जीवन बीमा योजना लेने पर परेशानी हो सकती है कि आप हर वर्ष ज्यादा प्रीमियम अदा न कर पायें। इसके साथ ही बीमा धारक को अपनी कुछ और भी प्रतिबद्धताएँ पूरी करनी हो या फ़िर अप्रत्याशित रुप से भी धन की जरुरत पड़ सकती है। इसलिये सस्ती प्रीमियम केवल एक मिथक है ज्यादा उम्र वाले व्यक्तियों के लिये क्योंकि हो सकता है कि व्यक्ति इतनी प्रीमियम देने में सक्षम ही न हो वो भी हर वर्ष।

२. अस्थायी सुरक्षा –

टर्म जीवन बीमा योजना में बीमा धारक को स्थायी जीवन बीमा योजना जैसी सुरक्षा नहीं है, यह जीवन बीमा मृत्यु का जोखिम केवल बीमा अवधि के लिये ही कवर करती है। इस टर्म जीवन बीमा योजना में अगर बीमा धारक समय पर अपना बीमे का नवीनीकरण नहीं करवा पाया और फ़िर उसे नई टर्म जीवन बीमा योजना महँगी प्रीमियम पर खरीदनी पड़ेगी। और अगर बीमा धारक की मृत्यु उस बीमित अवधि में नहीं होती है तो बीमा कंपनी प्रीमियम का भरा हुआ पैसा वापिस नहीं करेगी।

इस तरह के बीमा बहुत अच्छे होते हैं, विशेषकर तब जब बीमा धारक प्रीमियम के लिये उस बड़ी राशि का इंतजाम न कर पाये पर उसे बड़े बीमा की बहुत ज्यादा जरुरत होती है। टर्म बीमा योजना के लिये कोई उपयुक्त समय नहीं होता है, वह १, ५, १० या १५ और ३० साल तक के लिये हो सकता है। बीमा धारक को उसकी बीमा अवधि चुननी होती है जितने भी समय के लिये वो बीमित रहकर अपने परिवार को सुरक्षा प्रदान करना चाहता है।