All posts by Vivek Rastogi

About Vivek Rastogi

मैं २००६ से हिन्दी ब्लॉगिंग कर रहा हूँ, और वित्त प्रबंधन मेरा प्रिय विषय है। मेरा एक यूट्यूब चैनल भी है जिसे आप https://youtube.com/financialbakwas देख सकते हैं।

Post Market Report 05-10-2021 Profit booked around 1k

वैश्विक बाजारों के नीचे बंद होने के बाद से आशंका यही थी कि आज भारत के बाजार भी नीचे ही खुलेंगे। सुबह Nifty 17661 पर खुले, निम्नतम स्तर 17640 रहा व उच्चतम स्तर 17833 रहा, Nifty 17822 पर बंद हुआ। आज निफ्टी 17800 के ऊपर बंद हुआ, इससे पता चलता है कि अब निफ्टी बुलिश है।

बैंकनिफ्टी 37499.80 पर खुले , निम्नतम स्तर 17364 रहा, उच्चतम स्तर 37786 व बंद हुआ 37741 पर। बैंकनिफ्टी आज कमजोरी के साथ खुले बहुत देर तक नीचे ऊपर होते रहे फिर बाजार रेंजबाऊँड हो गये, उस समय बढ़िया से ऑप्शन सैलर ऑप्शन का प्रीमियम खा रहे थे, परंतु आखिरी घंटे में थोड़ी तेजी आई और बाजर बंद होने तक तेजी बनी रही।

Nifty को बढ़ाने वाले मुख्य शेयर रहे – Reliance (2600++), TCS, Infy, ONGC, HDC Bank, अब यहाँ से रिलायंस मुख्य शेयर Nifty को अपने लाईफटाईम हाई पर ले जाने में मददगार रहेंगे।

Nifty में आज ICICI Bank, ITC, Shree Cements, Hindalco, Cipla की आज जबरदस्त पिटाई हुई।

बाजारों के रेंजबाऊँड होने के बावजूद हमने चार्ट देखकर कुछ Nifty & Bank NIfty कुछ Trades CE & PE में लिये, एक ट्रेड में अच्छा फायदा हुआ, दूसरी ट्रेड में भाव के भाव पर निकलना पड़ा, तीसरी ट्रेड उल्टी पड़ गई औऱ थोड़ा लॉस बुक करना पड़ा। यह सब ट्रेडिंग में चलता रहता है।

इसके अलावा हमने आज कोई ट्रेड नहीं ली, परंतु आज हमारे कई शेयर जो होल्डिंग में है, उन्होंने बढ़िया किया।

IRB @205 (for 250) looking good
IGL @530 (for 600) looking good
J K Cement @3365
Subex 50 DMA 53.95 रहा

M&M part qty can be booked, better to keep trailing stop loss, Target is 750-840++

आज की पेपर ट्रेड रही Airtel Buy Above 692.15 SL 688.60 Target 700, Risk Reward Ratio 2.27 रखा था, पर टार्गेट के बाद आज यह 703.45 तक गया व बंद हुआ 699.50 पर।

NSE Muhurat Trading is on Thursday 4th November 2021 at 18:15 (Diwali – Laxmi Pujan)

Muhurat Trading Session – 18:15 to 19:15

Post Closing: 19:25 to 19:35
Pre Open Session – 18:00 to 18:08

Call Auction: 18:20 to 19:05

दीवाली आ रही है तो टेक्सटाईल स्टॉक पर नजर रखना चाहिये – Siyaram, Rupa, Doller etc.

IRCON जल्दी ही 3 अंकों में होगा, बहुत अच्छा वॉल्यूम आ रहा है और आज 46.80 के आसपास ट्रेड कर रहा था।

Legal Declaimer – I am not SEBI Registered Research Analyst. All Posts, Views & Ideas are for Educational purpose only. I am not responsible for your Profit & Loss. Please consult your Financial Advisor before making any Investment / taking any trade position in market.

Post Market Report 04-10-2021 Profit booked more than 30k

आज जैसे कि उम्मीद थी भारत के शेयर बाजार ऊपर खुलेंगे, तो Nifty & Bank Nifty दोनों ने Gapup opening दी। निफ्टी 16615 पर खुला और आज का उच्चतम स्तर 17,750 रहा, वहीं आज का निम्नतम स्तर 17,581 रहा। बाजार में पहले Half में निफ्टी में अच्छी तेजी रही पर बाद में एक रेंज में ही घूमने लगा।

बैंकनिफ्टी में भी आज काफी उठापटक हुई और 37392 पर खुलने के बाद 37355 के निम्नतम स्तर पर गया तथा 37,670 का हाई बनाया।

सुबह के विश्लेषण में पाया कि एयर टेल का पैटर्न बहुत अच्छा बन रहा है, तो हमने पेपर ट्रेड किया Entry at 678.20 SL 672.10 Target 687.20 यहाँ हमने 1.5 का रिस्क रिवार्ड रेशो रखा था, परंतु अधिकतम यह 686.20 तक ही जा पाया।

Andhra Sugar में ध्यान रखें कि इनका शक्कर का व्यापार केवल 12.5% ही है, बाकी पूरी कंपनी रसायन (Chemical) की है, तो यह बहुत तेजी से भाग सकता है।

Dye Stuff Chemicals Akshar, Bodal, Bhageria, Pushkar, Kiri, Sudharshan, Ashi Songwon जैसी कंपनियों में तेजी देखने को मिलेगी।

Cupid 234 पर खरीद सकते हैं, SL 210-15, Target 270, समय सीमा – 1-3 महीने

Metropolis 2790-95, Target 3200++ SL 2700 Positional Call

Tata Steel 1340-1370+++ के लिये तैयार है, SL 1260

Adani Port 740 है, 900++ Target, SL around 675

Kesoram CMP 67, 62 तक खरीद सकते हैं, 57 का स्टॉप लॉस रहेगा, टार्गेट – 72-82-90-101-110….. समय सीमा – 1 से 3 महीने

आज हमने टाटा स्टील का 1200पीई का ऑप्शन जो कि 48 में बेचा था, आज उसे खरीद लिया 20 में, प्रति लॉट हमें प्रॉफिट हुआ 28 पॉइंट्स का।

प्रीमियर एक्सप्लोरर हमने 88 में खरीदा हुआ है, लॉंग टर्म 19-06-2020 को लिया था, आज 259.10 था।

LICHSGFIN का 400PE ऑप्शन हमने 7.80 पर बेचा था, जो कि हमने आज 4.20 में वापिस से खरीद लिया, हमें प्रति लॉट लगभग 3.60 पॉइंट्स मिले।

आज बाजार ने कई अच्छे मौके दिये, परंतु निफ्टी में ट्रेड करने का मौका ही नहीं मिला, पर बैंकनिफ्टी में हमने लगभग 200 पॉइंटस पीई और सीई दोनों में कमाये।

आज हमने टाटास्टील का 1320 पीई 58.70 में बेच दिया, उम्मीद है कि यहाँ हमें लगभग 40 पॉइंट्स मिलेंगे।

बाजार में बहुत तेजी या बहुत मंदी आने की संभावना हालांकि लगती नहीं, तो बाजार रेंज बाउंड ही रहेगा।

Legal Declaimer – I am not SEBI Registered Research Analyst. All Posts, Views & Ideas are for Educational purpose only. I am not responsible for your Profit & Loss. Please consult your Financial Advisor before making any Investment / taking any trade position in market.

04-10-2021 pre opening note शेयर बाजार खुलने के पहले के नोट्स

भारत के शेयर बाजार खुलने के पहले आज हम मुख्यत: ग्लोबल बाजारों पर नजर डालें तो SGX NIFTY +0.50% 17618, Nasdaq +0.82% 14566.70 पर बंद हुए हैं। वहीं ADR’s को देखें तो बैंक, पॉवर, फार्मा, आई.टी., आटो सब बढ़िया तेजी में बंद हुए हैं। पिछले सप्ताह के बड़े इवेंट रहे Inflation Data Announcement, Treasury Yields, Merck की कोरोना के लिये ओरल टेबलेट, जिसके चलते वैक्सीन बनाने वाली फार्मा कंपनियों के शेयर तेजी से गिरे। आज भारतीय बाजारों में भी फार्मा कंपनियों पर इसका असर देखा जा सकता है, परंतु जब तेजी होती है तो कुछ नकारात्मक खबरों को बाजार उतना महत्व नहीं देता।

भारत के शेयर बाजार आज भी बढ़िया उतार चढ़ाव देखेंगे, Nifty 17650-17750 के लेवल के बीच ही रहने की संभावना है और Nifty में resistance level भी यही होंगे, वहीं , ट्रेडर्स के लिये 17400-17300 positional support के लेवल रहेंगे। वहीं BankNifty में बिकवाली हावी रहने की संभावना है और Resistance levels 37400, 37560 रहेंगे, Support Levels 36970, 36710 रहेंगे।

आज 4 अक्टूबर को कोई भी स्टॉक F&O Ban में नहीं है।

Tata Motors के ऑफिशियल आज ICICI Prudential MF के साथ मिलेंगे।

आज के शेयर जिन पर ध्यान रखना चाहिये –
CSB BANK, HERO MOTOCORP, KPI GLOBAL, JSW STEEL, NIIT, TECH MAHINDRA, EICHER MOTORS, TVS MOTORS.

शुक्रवार के Top gainers Abott India, GMR Infra, Delta Corp, Manappuram, Dixcon, Nippon, Bata पर भी ध्यान देना चाहिये।
Top Loosers Cummins, Oberoi Reality, Idea, IEX, Gujrat Gas, Bajaj Finserv, Maruti, Zeel, CanfinHome, Asian Paints, Bajaj Finance पर भी ध्यान देना चाहिये।

L&T Finance को 1-6 महीने के लिये खरीद सकते हैं, यहाँ से टार्गेट लगभग 50% का रहेगा।

Legal Declaimer – I am not SEBI Registered Research Analyst. All Posts, Views & Ideas are for Educational purpose only. I am not responsible for your Profit & Loss. Please consult your Financial Advisor before making any Investment / taking any trade position in market.

पूर्वाग्रह होना अच्छा या बुरा

पूर्वाग्रह होना अच्छा या बुरा कैसा होता है, यह सभी लोग सोचते हैं क्योंकि यह एक बहुत अच्छी आदत नहीं, बल्कि बुरी आदत है। पहले अगर यह समझ लें कि पूर्वाग्रह क्या होता है तो बेहतर होगा, हम किसी के बारे में पहले से ही उसके आचरण, व्यवहार या कार्य के प्रति कोई भावना बना लें, वह पूर्वाग्रह कहलाता है। कई बार हम बिना मिले ही किसी के बारे में पढ़कर उसके बारे में सोच समझ लेते हैं, परंतु जब हम बात करते हैं, या मिलते हैं तो पूर्वाग्रह से ग्रसित होते हैं और कई बार हमारा पूर्वाग्रह गलत साबित होता है।

पूर्वाग्रह को हम घर में ही देख सकते हैं, अगर घर में दो बच्चे हैं एक अगर जल्दी समझ जाता है और ढंग से काम भी कर लेता है तो हम उसे होशियार की उपाधि दे देते हैं वहीं दूसरा बच्चा अगर उसी कार्य को देरी से समझकर करता है तो हमें उसे बेवकूफ या देर से समझनेवाले की उपाधि दे देते हैं। अगली बार कोई भी कार्य हो तो हम पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर पहले बच्चे को ही कहेंगे, जबकि हर व्यक्ति की अपनी विशेषता होती है, हो सकता है कि वह दूसरा बच्चा किसी ओर चीज में अच्छा हो जहाँ पहला बच्चा अच्छा न कर पाये।

पूर्वाग्रह हम लगभग हर रिश्ते में देख सकते हैं अपनी प्रोफेशनल लाईफ़ में भी देख सकते हैं, कई बार पूर्वाग्रह हम किसी की एक बात को पकड़कर बैठ जाते हैं और उसके आधार पर हम किसी भी व्यक्ति के साथ एक अजीब तरह का व्यवहार करने लगते हैं। यह भी तो हो सकता है कि जो आपको पूर्वाग्रह हो वह सही न हो, और उस व्यक्ति ने कार्य सीख लिया हो या फिर अपना व्यवहार ठीक कर लिया हो। परंतु हम मौक़ा ही नहीं देते, और हमेशा इस तरह के संवाद सुनने को मिलते हैं –

“मैंने तो पहले ही कहा था कि इसके बस की बात नहीं”

“मैंने तो पहले ही कहा था कि ये कुछ कर ही नहीं सकता”

“मुझे लगा ही था कि ये कुछ गड़बड़ कर सकता है”

“सोच ही रहा था कि अगर यह कार्य उसको देता तो सही प्रकार से हो जाता”

“काम देने के पहले ही लग रहा था कि तुम बहुत ढीले हो”

“तुम तो बेवकूफ हो बेवकूफ ही रहोगे, पता नहीं कब काम करना सीखोगे”

और भी पता नहीं क्या क्या संवाद हम अपने दैनिक जीवन में सुनते ही रहते हैं, कुछ संवाद शायद आपको अपनी याददाश्त में भी आ जायें और आप अपनी यादों में खो जायें।

कहने का मतलब केवल इतना ही है कि पूर्वाग्रह से ग्रसित न होकर हम एक बार ग़लत करने पर, उन्हें समझायें कि कैसे इस कार्य को अच्छे से कर सकते थे, या क्या गलती कर दी। और हमेशा ही दूसरा, तीसरा, चौथा …. मौक़ा देते रहें। नहीं तो सभी लोग वह कार्य कर ही नहीं पायेंगे, भले यह निजी जीवन की बात हो या प्रोफेशनल जीवन की।

आप भी टिप्पणी करके अपने विचार रखिये।

दुनिया ही ख़त्म हो गई तो क्या होगा

मन में हमेशा ही ऐसा कुछ चलता रहता है कि वैसे भी किसी के होने या न होने का बहुत ज़्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ता, बस जब तक कोई हमारे आसपास है, तब तक सब ठीक है, परंतु जब वह व्यक्ति हमारे जीवन में नहीं है तो हम उसके बिना रहना सीख लेते हैं। धीरे धीरे हमें आदत पड़ जाती है, और दरअसल होता भी इसलिये है कि जब तक वह व्यक्ति हमारे आसपास रहता है, हमें उसकी अहमियत पता नहीं होती, न ही उस व्यक्ति का महत्व पता लगता है। परंतु अचानक ही अगर वह व्यक्ति हमेशा के लिये हमारे से दूर हो जाये तो बहुत तकलीफ़ होती है, क्योंकि तब हमें अचानक ही लगता है, कि अब बहुत से कार्य जो बन जाते थे, वे अब बहुत मुश्किल होंगे। साथ रहने से हमारे मन में जुड़ाव तो रहता ही है।

कई बार सोचता हूँ कि अगर मान लो कि दुनिया ही ख़त्म हो गई तो क्या होगा, और ख़ासकर तब क्या होगा जब सब ख़त्म हो जायें और कोई 1-2 लोग ही इस पृथ्वी पर जीवित बचें, तो वे लोग कैसे अपना भरण पोषण करेंगे, क्योंकि इस धरती पर जो कुछ था, सब कुछ ख़त्म, याने कि बिजली, इंटरनेट, घर कुछ भी नहीं। जरा दो मिनिट सोचकर देखिये जहाँ आप अभी यह पोस्ट पढ़ रहे हैं, तो या तो आप सोफ़े पर हैं, या बिस्तर पर या कहीं बैठे हुए हैं, कुल मिलाकर मतलब आराम में हैं, वहीं एकदम से आप कहीं जंगल या पहाड़ या मैदान में अकेले हैं, दूर दूर तक दुनिया में कोई नहीं है। तब कैसे अपने महत्वपूर्ण कार्य भी कर पायेंगे।

आग कैसे लगायेंगे, खाना कैसे बनायेंगे, पॉटी कहाँ जायेंगे, कैसे नहायेंगे, न आपको पास गूगल होगा ढूँढने के लिये न यूट्यूब होगा वीडियो देखकर सीखने के लिये, न कोई कार होगी कहीं जाने के लिये, न कोई रेस्टोरेंट होगा। यह दुनिया अचानक ही भयावह लगने लगेगी, आपको बस ऐसा लगेगा कि यह दुःस्वप्न जितना जल्दी ख़त्म हो, उतना अच्छा है, बस सोचकर देखिये और बस अपने रोंगटे न खड़े होने दें।

जीवन बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिये हर चीज, हर व्यक्ति को सम्मान दें, भले आपको चीजें पसंद हो या नापसंद परंतु आपके कहना का ढंग सलीके भरा होना चाहिये। कई मुश्किल बातें केवल अपने व्यवहार के कारण बहुत ही आसान हो जाती हैं। यह सोचकर इस धरती पर न रहें, कि आप अहसान कर रहे हैं, बल्कि यह धरती आप पर अहसान कर रही है, ऐसा सोचेंगे तो यह आपके फ़ायदे के लिये ही होगा।

मूल स्वभाव का निर्माण

ललित जी की टिप्पणी थी पिछली पोस्ट – स्वभाव परिवर्तन में –

मूल स्वभाव का निर्माण कैसे होता है और कब तक होता है? क्या हमारे स्वभाव के निर्माण में दूसरे लोगों का भी प्रभाव होता है? माता पिता परिवार और परिवेश हमारे स्वभाव के लिए कुछ उत्तरदायी होते है? ये प्रश्न पढ़ने के बाद पैदा हुए सो उनुत्तरित रह गये । फिर कभी इनपर भी प्रकाश डालिएगा। धन्यवाद ।

मैं इतना तो विद्वान नहीं और न ही इतनी समझ परंतु फिर भी हमने जो आज तक पढ़ा, लिखा, देखा, सुना उसके आधार पर कुछ बातें रख सकते हैं –

मूल स्वभाव वस्तुतः हमारे सामाजिक परिवेश से बनता है, वैसे यह कहना भी ग़लत है कि सामाजिक परिवेश से बनता है क्योंकि जिनका परिवेश अच्छा होता है उनका भी मूल स्वभाव कई बार देखने में आता है कि क्रोध वाला या ख़राब आदतों वाला होता है। सामाजिक परिवेश से व्यक्ति केवल आचार विचार, रहन सहन के तौर तरीक़े सीखता है, भले सामाजिक परिवेश बढ़िया हो, परंतु जिस चीज या आदतों को उससे छुपाकर रखा जाता है वह अंततः कहीं न कहीं व्यक्ति explore कर ही लेता है।

स्वभाव के निर्माण में बहुत हद तक हमारे परिवार याने कि जो हमेशा ही साथ रहते हैं, मतलब माता पिता भाई बहन या कोई और रिश्ता हो, ज़िम्मेदार होते हैं, किसी को ज़्यादा प्यार मिलने से वह उद्दंड हो जाता है, वहीं अगर किसी एक बच्चे को वो सब न मिले जो घर के अन्य बच्चों को मिल रहा हो, याने कि उपेक्षित हो, तो उसका मूल स्वभाव अलग तरह से बनेगा, यहाँ किसी की त्रुटि नहीं है, वरन यह मानवीय स्वभाव है, हम किसी को पसंद ओर किसी को नापसंद करते हैं। परंतु इससे जो चीजें हमारे अंदर विकसित होती हैं, वे धीरे धीरे ढलती जाती हैं, जिससे वह हमारे मूल स्वभाव में आ जाता है।

एक उदाहरण से समझने की कोशिश करें कि अगर किसी व्यक्ति को हम हमेशा ही उपेक्षित करें, ढंग से बात न करें, उस पर हमेशा ही हर कोई क्रोध करता रहे तो उसका मूल स्वभाव या तो बहुत उग्र होगा, जिससे वह अपने को बचा सके, दरअसल वह अपने बचाव के लिये ढाल बनायेगा, तब दुनिया उसे बदतमीज़ या उद्दंड कहेगी। वहीं अगर वह विपरीत दूसरे स्वभाव को अपना ले, कि चुपचाप लोगों की बातें सुन ले, हमेशा सिर झुकाकर सारी बातें सुन ले, और सोच ले कि उसकी क़िस्मत में यही है कि लोग उसे सुनायेंगे, तो उसका मूल स्वभाव ही हमेशा ही दब्बू वाला रहेगा। वह किसी भी बात का विरोध नहीं करेगा।

बस यही जरा सी बात हमें जुदा करती है, मूल स्वभाव को समझना बेहद दुश्कर कार्य है, पर मुझे लगता है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने मूल स्वभाव के लिये ख़ुद ज़िम्मेदार होता है, कोई किसी को मूल स्वभाव बना नहीं सकता है, सबको अपना भला बुरा समझ आता है। यह अलग बात है कि किसी को भला भी बुरा लगता है और किसी को बुरा भी भला लगता है। कहीं न कहीं कोई बहुत ही महीन रेखा इस छोटी सी बात को बहुत बड़ी बनाती है। हम हमेशा ही किसी न किसी से कोई न कोई चीज सीखाकर अपने अंदर वह पनपने देते हैं, भले वह आदत हो या कुछ और, भले वह बुरी बात हो या अच्छी। बस हमें अच्छी लगनी चाहिये।

मानोगे तो परेशानी है, नहीं तो सब सामान्य है

परेशानी ऐसी चीज है, अगर किसी समस्या को बड़ी मानोगे तो बड़ी होगी, छोटी मानोगे तो छोटी, और न मानोगे तो न होगी। बस यह हमारा दिमाग़ है जो किसी भी कठिनाई को समस्या मान लेता है और फिर उस समस्या का समाधान न मिलने पर उसे परेशानी का नाम देकर अपने दिमाग़ में चिंता रूपी कीड़ा पाल लेता है। फिर वह कीड़ा दिन रात दिमाग़ में घूमता रहता है और बिना किसी बात के वह छोटी सी कठिनाई जो लगती है, पर दरअसल कई बार होती भी नहीं है, कीड़ा दिमाग़ में अपना भौकाल बनाये रखता है।

हमें वह कीड़ा उस कठिनाई से निपटने के लिये कोई समाधान न सुझाता है, परंतु उसकी जगह हमें वह कीड़ा नकारात्मक विचार हमारे ज़हन में भर देता है, कि अगर ऐसा हो गया तो, वैसा हो जायेगा, फिर वैसा और फ़लां को पता चल गया तो बस हो गया काम। इस तरह से हम अपनी कोई छोटी सी कठिनाई को पहले समस्या फिर परेशानी बना लेते हैं। कई बार हम अगर किसी बात को इग्नोर कर दें तो बहुत सी बातें कठिनाई नहीं बनतीं, जब कठिनाई नहीं होगी तो न समस्या होगी न परेशानी होगी।

कई कठिनाइयाँ समय के साथ अपने आप ही लुप्त हो जाती हैं और कई समय के साथ बढ़ती हैं, तो हमें पहले कठिनाई का प्रकार समझकर विश्लेषण कर लेना चाहिये, वह भी साफ़ मन व दिमाग़ से, पहली बात तो यह कि कठिनाई को कठिनाई न मानें, जीवन है तो कठिन तो होगा ही, कठिन होगा तो समस्या व परेशानी भी आनी ही हैं। इसलिये बेहतर है कि अपने दिमाग़ व मन को साफ़ रखें तथा जीवन की सोच को साधारण रखें।

दरअसल 99% समय होता यह है कि हम फ़ालतू की कोई बात दिल या दिमाग़ में धर लेते हैं और ख़ुद ही परेशानी बना लेते हैं। क्यों? क्योंकि हमारा दिमाग़ वाक़ई बहुत फ़ालतू होता है, एक साथ हज़ारों चीजें सोच सकता है और जिस चीज में उसे मज़ा आता है, वही बातें दिमाग़ के कोनों से टकराकर लौटकर वापिस आती है, तो इस फ़ालतू दिमाग़ को सबसे पहले आराम दें, अपने मन को तटस्थ रखें, इसके लिये थोड़ा सा ध्यान लगाकर बहुत जल्दी सफलता पाई जा सकती है। फ़ालतू की चीजों में अपना समय न गँवायें, कुछ अच्छा देखें, कुछ अच्छा पढ़ें, नई चीजें सीखें, देखें, भले न समझ आयें परंतु जब एक बार कुछ करने की इच्छा पर आपने विजय पा लिया तो, आप अपने एक नये रूप को जल्दी ही धरातल पर देखेंगे।

बातों को ख़त्म करना सीखें

किस बात पर हमें कितना ध्यान देना है, यह हमें पता होना चाहिये, नहीं तो हम केवल फ़ालतू की बातों में ही अपने आपको लगाये रहेंगे और जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पलों को ऐसे ही निकाल देंगे, अगर हमें प्राथमिकता पता होगी तो ही हमें किसी बात का महत्व भी पता होगा। कई बार हम किसी बात से बहुत ही परेशान होते हैं, और बाद में पता चलता है कि उस बात का उतना importance था ही नहीं, या उतनी चिंता करने की कोई बता ही नहीं थी। हम अगर किसी बात से परेशान हैं तो सबसे पहले हमें यह ठोक बजाकर पता कर लेना चाहिये कि उस बात से हमारा कितना सारोकार है।

चिंतित होना मानवीय स्वभाव है और कई बार हम छोटी छोटी बातों को ही अपने दिल दिमाग़ में पाल लेते हैं जिससे वह बात या समस्या हमें बहुत बड़ी लगने लगती है, हम फिर हर चीज को बड़ा करके देखने लगते हैं, जिससे हम अपना सुकून खो देते हैं, रातों की नींद ग़ायब हो जाती है, दिन का आराम ग़ायब हो जाता है, हम काम तो कर रहे होते हैं परंतु काम में मन नहीं लगता है, बस वे कुछ दिन या कुछ सप्ताह ऐसे ही बीत जाते हैं, और फिर यकायक ही वह बात अपने आप ही ख़त्म हो जाती है या उसकी Importance हमारे जीवन से ख़त्म हो जाती है, परंतु बाद में हम कभी इस बात का विश्लेषण नहीं करते कि हमें किन बातों का चिंतन करना चाहिये, और किन बातों को दिमाग़ में बैठने देना चाहिये।

मैंने इसके लिये अपने जीवन में सिंपलीकरण किया हुआ है, जब भी कोई बाद दिलो दिमाग़ को परेशान करे, तो उसके बारे में विस्तार से सोचो, कि उससे कितना बुरा हो सकता है या कितना अच्छा हो सकता है, खैर अच्छी वाली बातों से तो हम परेशान होते ही नहीं उससे तो हम खुश भी नहीं होते, क्योंकि कोई ऐसी बात भी है जो परेशान कर रही होती है। मुझे सोचने के बाद पता चलता है कि इस बात पर अपने आपको परेशान करने का कोई औचित्य ही नहीं है। बस उसके बाद हम उन बातों को सोचने से मुक्त हो जाते हैं।

काम में मन भी तब लगेंगे, जब आप लगाना चाहेंगे, अगर फ़ालतू की बातों में अपने आपको फँसाकर रखेंगे तो जीवन बहुत मुश्किल है। अगर आपने कोई निर्णय एक बार ले लिया तो उसमें ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं कि इसका आगे क्या प्रभाव होगा, कितना नुक़सान होगा, किसको कितना बुरा लगेगा, यह सब तो जीवन में चलता ही रहेगा। इन सब बातों से ज़्यादा महत्वपूर्ण आपका अपना स्वास्थ्य है, जो इससे प्रभावित होगा।

बुनियादी सुविधाओं में स्वास्थ्य, शिक्षा व भोजन

अब जब हम ख़बरें पढ़ते हैं तो विश्वास ही नहीं होता है कि सरकार हमारे लिये याने जनता के लिये क्या इतना सा नहीं कर सकतीं, जहाँ इतना सारा पैसा पता नहीं कैसी कैसी योजनाओं में खर्च किया जाता है वहीं कुछ पैसा क्या जनता के लिये नहीं लगाया जा सकता था। कुछ बुनियादी सुविधायें जो कि हर जन को मिलनी ही चाहिये वे भी उपलब्ध नहीं है, हम बहुत ही निम्नतम स्तर पर जी रहें हैं। बुनियादी सुविधाओं में स्वास्थ्य, शिक्षा व भोजन ही आता है।

स्वास्थ्य के लिये तो एक बढ़िया सी स्वास्थ्य पॉलिसी को रोल आउट किया जा सकता है, किया भी था, परंतु इस कोरोना के काल में उनके बारे में जानने पर पता चला कि जो बीमा लिया भी गया था, वह किसी काम का नहीं था, बीमा कंपनियों ने यह कहकर टरका दिया कि इसके लिये अस्पताल जाने की ज़रूरत ही नहीं थी, इसके लिये आपका इलाज घर पर ही हो जाता, तो बीमा कंपनियों ने बड़े सवाल खड़े कर दिये हैं डॉक्टरों के निर्णय पर, अस्पताल में भर्ती होना या न होना, हमारे नहीं डॉक्टर के कहने पर निर्भर होता है। क्यों सरकार इसका जबाब नहीं दे रही। और यह समस्या केवल सरकारी अस्पतालों के बीमा निराकरण केसों में ही है, जैसा कि रिपोर्ट में बताया जा रहा है, वहीं निजी अस्पतालों के बीमा केस पास हो रहे हैं।

शिक्षा का स्वरूप ही बदल गया है, कहाँ कक्षा में शिक्षा होती थी, और अब कहाँ ऑनलाइन, पहले जो शिक्षक बच्चों व अभिभावकों को कहते थे कि मोबाईल व लेपटॉप से बच्चों को दूर रखें, आँखें ख़राब होती हैं, दिमाग़ ठिकाने नहीं रहता। अब वही शिक्षक ऑनलाइन पढ़ने के लिये प्रेरित कर रहे हैं। जो अभिभावक मोबाईल या लेपटॉप की क़ीमत ही अफोर्ड नहीं कर सकते हैं, उनके लिये बहुत कठिन समय है, अब हर किसी के लिये तो सोनू सूद आ नहीं सकता और न ही हर किसी की कहानी वाईरल हो सकती है।

इस कोरोनो काल में सरकारों को ह्रदय द्रवित होना चाहिये, व समझना चाहिये कि सरकार जनकल्याण के लिये होती है व कि किसी कंपनी की तरह प्रॉफिट में लाने के लिये। सरकार को तो इस समय चीजों को सस्ता कर देना चाहिये, हर जगह जहाँ लोगों की सुविधाओं के लिये काम हो रहा है, वहाँ त्वरित निर्णय लेते हुए कठोर नियम लागू कर देना चाहिये, जिससे जनता को न स्वास्थ्य के लिये परेशान होना होगा, न शिक्षा के लिये भागना होगा न ही भोजन के बिना रहना होगा। ऐसा नहीं है कि काम नहीं हो रहा, परंतु जितना हो रहा है वह नाकाम है, यह वक़्त मीटिंग करने का नहीं है, सरकारी अमले को सड़क पर उतर कर एक्शन लेने का वक़्त है।

इतिहास जब लिखा जाता है तब इतिहासकार की कलम किसी को नहीं छोड़ती, यह सत्य हमेशा ही देखा जा सकता है, तो दंभ करने की ज़रूरत नहीं।

स्वभाव परिवर्तन

स्वभाव परिवर्तन क्यों होता है, यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, और यह निर्भर करता है हमारे भाव पर, कि हम उस समय किस भाव में जी रहे हैं, ग़ुस्से में हैं या प्यार में हैं या अनमने हैं। हम इन भावों पर नियंत्रण भी तभी सीखते हैं जब हम दोस्तों, परिवार और समाज के बीच रहते हैं। हमें अपने भाव पर नियंत्रण रखना होता है, भले कोई परिस्थिती हो। कुछ लोग बहुत ही ज़्यादा मारपीट या ऊँची आवाज़ में बात करने लगते हैं या एक ही परिस्थिती में रहकर, उनका मूल स्वभाव ही बदल जाता है।

दरअसल बहुत से लोग परिवर्तन स्वीकार ही नहीं कर पाते, स्वभाव हमेशा ही भाव से बनता है, अगर हम वातावरण को देखकर अपने आपको उसके अनुकूल बना लें तो शायद जीवन बहुत आसान होता है, परंतु अगर हम प्रतिकूल परिस्थितियों में ही रहने की आदत डाल लेते हैं, और हमेशा ही अपने दिमाग़ को विषम परिस्थितियों में रखते हैं तो हम अपने मूल स्वभाव को बदल नहीं सकते।स्वभाव हमेशा ही ध्यान रखें कि आपकी मानसिक मूल भावनाओं को प्रदर्शित करते हैं। जिससे कोई भी एकदम पता लगा सकता है कि ये किन परिस्थितियों में रह रहे हैं।

हर व्यक्ति में हमेशा ही कई तरह के स्वभाव होते हैं, जैसे कि मूल स्वभाव और एक दिखाने वाला स्वभाव। मूल स्वभाव की बात करें तो वह कहीं बदलता ही नहीं, हमेशा आप उसी भाव से प्रक्रिया देते हैं, यदि ग़ुस्से वाला स्वभाव है तो हमेशा ही आपका ग़ुस्से वाला रूप ही दिखेगा, वहीं अगर आपका मूल स्वभाव ही प्यार का है, तो भी आप चाहकर भी बहुत ग़ुस्से में भी अपने प्यार वाले स्वभाव को बदल नहीं पायेंगे, आपने कई लोगों को देखा होगा कि बहुत ग़ुस्से में भी चाहकर भी ग़ुस्सा नहीं कर पाते, और बातों को सहज ढंग से रखते हैं, वहीं कुछ लोग छोटी सी बात पर भी सबकुछ बिगाड़ लेते हैं, बहुत ग़ुस्सा करते हैं।दिखाने वाला स्वभाव वह है जब आपको वाक़ई किसी को कोई ओर रूप दिखाना है तो आपको एक नया चेहरा ओढ़कर अपना ग़ुस्सा या प्यार दिखाना पड़ता है, यह केवल समाज के लिये होता है, परिवार में हमेशा ही आप व्यक्ति के मूल स्वभाव को देखेंगे, अगर किसी का मूल स्वभाव पता करना हो तो, उसका पारिवारिक रूप देखना चाहिये।

मूल स्वभाव के उलट व्यक्ति बहुत दिनों तक अपने नये चेहरे वाले स्वभाव को ओढ़कर नहीं रख सकता, क्योंकि वह स्वभाव उसका है ही नहीं।

स्वभाव कैसे बदलें –

अपने स्वभाव पर ध्यान दें, अपने आपको तोलें और पूछें कि क्या मेरा कहने का भाव या व्यवहार दूसरों के प्रति सही है, अगर न समझ आये तो सोचिये कि अगर जैसा आपका मूल स्वभाव है, वही दूसरों का आपके प्रति हो तो आपको कैसा लगेगा, मेहनत का काम है, परंतु इसी प्रकार से आप अपने अंदर प्रगति ला सकते हैं। स्वभाव को बदलना बेहद दुश्कर कार्य है, क्योंकि यह आपकी मूल पहचान छीन लेगा।