मैंने बहुत पहले एक माचिस के पीछे यह वाक्य पढा था जो कि मुझे आज भी याद है और सभी को बताना चाहता हूँ।
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“Practice makes man perfect, but nobody is perfect then why practice.”
मैंने बहुत पहले एक माचिस के पीछे यह वाक्य पढा था जो कि मुझे आज भी याद है और सभी को बताना चाहता हूँ।
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“Practice makes man perfect, but nobody is perfect then why practice.”
वहां पर दो बड़े बड़े ग्राऊंड थे जहां पर लोग आपस में बर्फ़ से खेल रहे थे, स्कीईंग कर रहे थे, याक ओर घोड़ों की सवारी कर रहे थे, स्लेज भी चल रहे थे, बर्फ़ की मोटर साईकिल भी चल रही थीं। बस सब लोग बर्फ़ के इस अद्भुत लोक में आनंदित हो रहे थे।
थकान के बाद सोचा कि चलो अब कुछ खाने पीने का कार्यक्रम हो जाये, यहां टेन्ट में बहुत सारे छोटे छोटे ढाबे लगे हुए थे और खाने में गरम चीजों में मिल रहा था आमलेट और मैगी और चाय। खानपान के बाद करीबन १.३० बजे वापिस चल दिये मनाली के लिये क्योंकि मौसम खराब होने लगा था। और ठंडी हवा से हमें बहुत तकलीफ़ भी हो रही थी।
हम पिछले एक महीने से कमांडोज को पालिका बाजार के पास तैनात देख रहे हैं और सोचते हैं कि कितना मुश्किल काम करते हैं ये लोग। भरी दोपहर बुलेटप्रूफ़ पहनकर और भारी बंदूक लेकर अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं केवल इसलिये कि हम लोग सुरक्षित रहें। इनकी ड्यूटी २४ घंटे रहती है।
जब रात को हम अपने ओफ़िस से निकलते हैं और आटो वाले से भावताव करते हैं, आटो वाले हमेशा ज्यादा पैसा मांगते हैं तो हम उनसे कहते हैं कि भैया चाकू दिखाकर लूटो ऐसे जबान से क्यों लूट रहे हो इसमें तो ये कमांडो भी हमारी मदद नहीं कर पायेंगे अगर चाकू दिखाओगे तब ये लोग हमारी मदद करेंगे। इस तरह से हमारी तो आत्मियता बन गई है इन कमांडोज के साथ।
कमांडोज अपना बुलेटप्रूफ़ और हथियार अपने साथ रखकर हमेशा युद्ध के लिये तैयार रहते हैं सलाम है मेरा उनके जज्बे को और हिम्मत को और उनके परिवार को।
आजकल मैं मोबाईल हैण्डसेट ढूँढ रहा हूँ जिसमें अच्छी क्षमता वाल वेब ब्राऊजर हो, हिन्दी का समर्थन हो, जावा का पूर्ण समर्थन हो, पर सीडीएमए (cdma) हो। कल ही मैं अपने एक मित्र से बात कर रहा था तो उन्होंने अपना खुद का एक हैंडसेट दिखाया जिसमें सब कुछ उपलब्ध था पर वह जीएसएम (gsm) था और चाईना का मोबाईल था सिग्माटेल। उन्होंने तकरीबन ८ माह पहले खरीदा था और बहुत ही बढ़िया चल रहा है। २ जीएसएम की सिम एक साथ उपयोग कर सकते हैं और उन्होंने खरीदा था मात्र ३००० रुपयों में।
बैटरी भी अच्छी चल रही है। बस हिन्दी टाईप नहीं कर सकते, मैंने अपना ब्लाग खोलकर देखा तो बहुत ही अच्छी तरह से स्क्रीन पर प्रदर्शित हुआ। बस फ़िर हमने सोचा कि चलो चाईना सीडीएमए को खोजा जाये और निकल पड़े पालिका बाजार में वहाँ सीडीएमए का एकमात्र हैंडसेट था मेलबोन (melbon) का| जो कि सीडीएमए व जीएसएम दोनों को एक साथ समर्थन करता है मतलब आप दोनों की सिम एक साथ उपयोग कर सकते हैं। पर उसमें वो चाईनीज खूबियाँ नजर नहीं आईं जिसके लिये चाईनिज मोबाईल इतने प्रसिद्ध हो रहे हैं जैसे कि अच्छी क्वालिटी का कैमरा, ४-५ स्पीकर, टच स्क्रीन, बडी स्क्रीन और भी बहुत कुछ। भाव बताया गया ५८०० रुपये, इतना दाम सुनकर हमें उस दुकान पर रुका नहीं गया और हम पालिका बाजार से निकल लिये।
इंडियाटाईम्स शापिंग यह मोबाईल ५५०० रुपये में उपलब्ध करवा रही है और इस चाईनीज मेलबोन मोबाईल पर एक साल की वारंटी कंपनी दे रही है जो कि चाईना मोबाईल बाजार के इतिहास में पहली बार है।
मोबाईल हैंडसेट की ढूँढ जारी है।
वैसे तो यह साईट बहुत उपयोगी है, परंतु मैं इस साईट का उपयोग गाना सुनने के लिये करता हूँ। जब कभी जिस भी गाना सुनने की इच्छा होती है, in.com पर जाकर खोज के ऊपर म्यूजिक टैब दबाकर अपना मनपसंदीदा गाना लिखकर सर्च पर क्लिक कर दें, सामने उस गाने से संबंधित परिणाम होंगे। बस प्ले बटन दबाकर गाने का आनंद लीजिये। इसका बफ़रिंग बहुत ही बढ़िया है इसलिये ऐसा लगता है कि गाना लोकल ड्राईव से ही बज रहा है।
वैसे यहाँ कुछ हिन्दी रेडियो स्टेशन्स भी उपलब्ध हैं और आप अपनी पसंद की एलबम बनाकर उसे सुरक्षित भी कर सकते हैं।
मैं टाटा इंडिकाम सीडीएमए लगभग पिछले चार सालों से उपयोग कर रहा हूँ और कई बार मुझे परेशानी हुई परंतु हमने अपने ग्राहक अधिकार दिखाते हुए सारी परेशानियों को दूर करवाया। कौन सी परेशानियां कैसे दूर हुईं वो कभी और बताऊँगा।
जब हम कालेज में पढ़्ते थे तब जयशंकर प्रसाद की यह प्रसिद्ध रचना बहुत ही अच्छा लगती थी और यह गीत हमारी मित्र मंडली में सबको बहुत पसंद था। चूँकि हम सब मतलब हमारा समूह स्टेज आर्टिस्ट थे, कला से जुड़े थे तो हमारे नाटकों में हम कोशिश करते थे कि हम इसी प्रकार का कोई गीत सम्मिलित करें।
फ़िर जब “चाणक्य” धारावाहिक छोटे पर्दे पर शुरु हुआ तो हमें नई लय के साथ यह गीत मिल गया जो कि आज भी मेरा मनपसंद है और मेरे बेटे का भी।
स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिये उठाने वाले इस गीत को सुनते ही आज भी रगों में खून तेज गति से दौड़ने लगता है। प्रस्तुत है रचना –
हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती, स्वयम प्रभा समुज्जवला स्वतंत्रता पुकारती॥ कोरस
अमर्त्य वीर पुत्र हो दृढ़ प्रतिज्ञ सोच लो, प्रशस्त पुण्य पंथ है बढ़े चलो बढ़े चलो॥ कोरस
असंख्य कीर्ति रश्मियाँ विकिर्ण दिव्य दाह सी, सपूत मातृभूमि के रुको न शूर साहसी॥ कोरस
अराति सैन्य सिंधु में सुबाड्वाग्नि से जलो, प्रवीर हो जयी बनो बढ़े चलो बढ़े चलो॥ कोरस
जब मेरी शादी पक्की हुई थी, उस समय मोबाईल तो आ गये थे पर इनकमिंग पर भी चार्ज था और आऊटगोइंग बहुत महंगी थी। उस समय तो घर पर लेंडलाईन से भी आऊटगोइंग करने पर ज्यादा चार्ज था और आमदनी कम।
मेरी शादी पक्की होने के छ: महीने बाद हुई थी पर फ़ोन महंगा पड़ता था। खत का सहारा लेकर अपने दिल की बात एक दूसरे को पहुँचाते थे और उस समय ग्रीटिंग कार्ड को साथ में भेजने का फ़ैशन था। घंटों तक खत लिखते और फ़िर घंटों तक कार्ड गैलेरी में जाकर कार्ड चुनते और अपने दिलदार को भेजते। हम उनके खत का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करते थे और वो हमारे खत का। खत में अपने दिल के प्यार से भर देते और अपने दिलदार के खत को गुलाब के फ़ूल के साथ और कुछ अच्छे ग्रीटिंग कार्ड साथ में भेज देते। फ़िर वे खत हम बारबार पढ़कर कुछ नया पढ़ने की कोशिश करते थे।
आज की मोबाईल पीढ़ी खत के मिठास के बारे में क्या जाने वो तो बस दिन रात मोबाईल पर चिपके रहते हैं, और पल पल की जानकारी एक दूसरे से बांटते रहते हैं कि क्या कर रहे हो, ओफ़िस कैसे जा रहे हो, क्या खा रहे हो, क्या पी रहे हो इत्यादि इत्यादि। इन लोगों के पास इन यादों को सहेजने का कोई तरीका मौजूद नहीं है और हमारे पास आज भी वो यादें हमारे साथ हैं, जिसे कभी कभी हम आज भी पढ़ लेते हैं।