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विद्वान सभी को समभाव से देखते हैं

विद्याविनयसम्पन्ने ब्राह्मणे कवि हस्तिनि।
शुनि चैट श्वपाके च पण्डिता: समदर्शिन:।।५.१८।।


श्रीमद्भागवदगीता के अध्याय ५ श्लोक १८ में भगवान कह रहे हैं, विनम्र साधुपुरुष अपने वास्तविक ज्ञान के कारण एक विद्वान तथा विनीत ब्राह्मण, गाय, हाथी, कुत्ता तथा चाण्डाल को समान दृष्टि (समभाव) से देखते हैं।


जो भगवान में अपनी भावना व आस्था रखते हैं वे योनि या जाति में भेद नहीं करते हैं। सामाजिक दृष्टि से ब्राह्मण तथा चाण्डाल भिन्न-भिन्न हो सकते हैं या योनि के अनुसार कुत्ता, गाय तथा हाथी भिन्न हो सकते हैं, किंतु विद्वान योगी या पुरूष की दृष्टि में ये शारीरिक भेद अर्थहीन होते हैं। इसका मुख्य कारण परमेश्वर से उनका सीधा संबंध है और परमेश्वर परमात्मा रूप में हर एक के ह्रदय में स्थित हैं। परमसत्य का यही ज्ञान यथार्थ है।

भगवान सभी पर समान रूप से दयालु है भले वह किसी भी योनि का हो या किसी जाति का हो। शरीर के भीतर आत्मा और परमात्मा समान आध्यात्मिक गुण वाले हैं।

आत्मा तथा परमात्मा के लक्षण समान हैं क्योंकि दोनों चेतन, शाश्वत तथा आनन्दमय हैं। किंतु अंतर इतना ही है कि आत्मा शरीर की सीमा के भीतर सचेतन रहता है जबकि परमात्मा सभी शरीरों में सचेतन है। परमात्मा बिना किसी भेदभाव के सभी शरीरों में विद्यमान है।

64 कलाओं में से एक में भी थोड़ा बहुत प्रवीण होना, सफलता दिलाता है।

ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं जो लोग बनना चाहते हैं वही बनते हैं, जो करना चाहते हैं वह करते हैं। ऐसा क्यों कभी सोचा नहीं न, क्योंकि हमें अपनी ख़ुद की प्रतिभा का पता नहीं होता है, हमें पता ही नहीं होता है कि हम किस चीज में अच्छे हैं। किसी न किसी केस में अगर पता भी होता है तो वे उसे पढ़ नहीं पाते, उसके लिये कई विघ्न उपस्थित हो जाते हैं कि उस विषय के कोर्स ही बहुत महँगे हैं और उन पर पहुँच नहीं हो पाती।

मेरा मानना है कि कोई भी ऐसी कला जो कि 64 कलाओं में से किसी एक में थोड़ा बहुत भी प्रवीण होता है, वह आज की इस आधुनिक दुनिया में बहुत अच्छा कर सकता है और सफलता दिलाता है। और ये 64 कलाओं की सूचि है –

1- गानविद्या
2- वाद्य – भांति-भांति के बाजे बजाना
3- नृत्य
4- नाट्य
5- चित्रकारी
6- बेल-बूटे बनाना
7- चावल और पुष्पादि से पूजा के उपहार की रचना करना
8- फूलों की सेज बनान
9- दांत, वस्त्र और अंगों को रंगना
10- मणियों की फर्श बनाना
11- शय्या-रचना (बिस्तर की सज्जा)
12- जल को बांध देना
13- विचित्र सिद्धियाँ दिखलाना
14- हार-माला आदि बनाना
15- कान और चोटी के फूलों के गहने बनाना
16- कपड़े और गहने बनाना
17- फूलों के आभूषणों से शृंगार करना
18- कानों के पत्तों की रचना करना
19- सुगंध वस्तुएं-इत्र, तैल आदि बनाना
20- इंद्रजाल-जादूगरी
21- चाहे जैसा वेष धारण कर लेना

22- हाथ की फुती के काम
23- तरह-तरह खाने की वस्तुएं बनाना
24- तरह-तरह पीने के पदार्थ बनाना
25- सूई का काम
26- कठपुतली बनाना, नाचना
27- पहली
28- प्रतिमा आदि बनाना
29- कूटनीति
30- ग्रंथों के पढ़ाने की चातुरी
31- नाटक आख्यायिका आदि की रचना करना
32- समस्यापूर्ति करना
33- पट्टी, बेंत, बाण आदि बनाना
34- गलीचे, दरी आदि बनाना
35- बढ़ई की कारीगरी
36- गृह आदि बनाने की कारीगरी
37- सोने, चांदी आदि धातु तथा हीरे-पन्ने आदि रत्नों की परीक्षा
38- सोना-चांदी आदि बना लेना
39- मणियों के रंग को पहचानना
40- खानों की पहचान
41- वृक्षों की चिकित्सा
42- भेड़ा, मुर्गा, बटेर आदि को लड़ाने की रीति

43- तोता-मैना आदि की बोलियां बोलना

44- उच्चाटनकी विधि

45- केशों की सफाई का कौशल

46- मुट्ठी की चीज या मनकी बात बता देना

47- म्लेच्छित-कुतर्क-विकल्प

48- विभिन्न देशों की भाषा का ज्ञान

49- शकुन-अपशकुन जानना, प्रश्नों उत्तर में शुभाशुभ बतलाना

50- नाना प्रकार के मातृकायन्त्र बनाना

51- रत्नों को नाना प्रकार के आकारों में काटना

52- सांकेतिक भाषा बनाना

53- मनमें कटकरचना करना

54- नयी-नयी बातें निकालना

55- छल से काम निकालना

56- समस्त कोशों का ज्ञान

57- समस्त छन्दों का ज्ञान

58- वस्त्रों को छिपाने या बदलने की विद्या

59- द्यू्त क्रीड़ा

60- दूरके मनुष्य या वस्तुओं का आकर्षण

61- बालकों के खेल

62- मन्त्रविद्या

63- विजय प्राप्त कराने वाली विद्या

64- बेताल आदि को वश में रखने की विद्या

श्रीमद्भागवदगीता 5.13 नौ द्वार

श्रीमद्भागवदगीता जी से –

सर्वकर्माणि मनसा संन्यस्यास्ते सुखं वशी।

नवद्वारे पुरे देही नैव कुर्वन्न कारयन्।।5.13।।

जिसकी इन्द्रियाँ और मन वशमें हैं, ऐसा देहधारी पुरुष नौ द्वारोंवाले शरीररूपी पुरमें सम्पूर्ण कर्मोंका विवेकपूर्वक मनसे त्याग करके निःसन्देह न करता हुआ और न करवाता हुआ सुखपूर्वक (अपने स्वरूपमें) स्थित रहता है।

नौ द्वारों के प्रकार श्वेताश्व्तर उपनिषद 3.18 में इस प्रकार बताया गया है –

नवद्वारे पुरे देही हंसो लेलायते बहिः।

वशी सर्वस्य लोकस्य स्थावरस्य चरस्य च॥

नवद्वार की पुरी में उसी हंस या आत्मा का निवास है। वह आत्मा के रूप में बाह्य जगत में लीला करता है। वह सम्पूर्ण विश्व, समस्त चर-अचर जगत का विधाता है।

नौ द्वार – दो आँखें, दो नथुने, दो कान, एक मुँह, गुदा तथा उपस्थ

आम का अचार

आम का अचार

आम का अचार डालने का बहुत दिनों से नहीं वर्षों से सोच रहे थे, परंतु हो ही नहीं पाया, जब गुड़गाँव में थे तो वहाँ अचार का मसाला रेडीमेड बाज़ार से ही मिल जाता था, जहाँ पुराने गुड़गाँव की सब्जीमंडी में सब्ज़ी लेने जाते थे, वहीं से कैरी कटवाकर ले आते थे, और दीदी को दे देते थे, दीदी अचार डालकर रख देती थीं, बस फिर हम उनके यहाँ से ले आते थे। एक बार रेडीमेड अचार के मसाले से भी अचार डाला, बढ़िया लगा, परंतु दीदी के हाथ के अचार की बात ही कुछ ओर थी। उस अचार के मसाले का अचार डालने से ज़्यादा हमें उस मसाले के पराँठे खाने बढ़िया लगते थे।

जब से बैंगलोर आये हैं, तो यहाँ अचार या तो मोल ही लेना पड़ता है। फिर गुड़गाँव वाली दीदी भी थोड़े समय के लिये बैंगलोर आ गई थीं, तो बस फिर से उनसे ही अचार डलवा लेते थे, या उनसे ही ले आते थे। अब यहाँ बैंगलोर में अचार का मसाला रेडीमेड वाला नहीं मिलता है। तो अब सारे मसालों का अनुपात ख़ुद ही पता होना चाहिये। अब दिल्ली में ट्विटर वाली दी से हमने लिया और इस बार आम का अचार डाला। जी हाँ हमने सोशल मीडिया से भी कई रिश्ते कमाये हैं। केवल ब्लॉगर कम्यूनिटी ही नहीं, बल्कि फ़ेसबुक और ट्विटर से भी। दी की माँ अच्छा अचार डालती थीं, फिर उन्होंने अपनी छोटी भाभी से पूछकर सारे मसाले की सूचि भेजी।

आम का अचार डालने का तरीक़ा –

पहले कैरी अचार के लिये काट लें और सुखा लें।

25 कैरी के लिये यह मसाला बताया है, अगर कैरी ज़्यादा या कम लें तो उसी अनुपात में मसाले बढ़ा लें या कम कर लें।

आम का अचार का मसाला –

मिर्च75 Gram
हल्दी60-70 Gram
सौंफ100-125 Gram
मैथी50 Gram
हींगअंदाज से एक डली
राईदाल (छोटी वाली)750 Gram
लौंग10 Gram
कालीमिर्च10 Gram
तेल1 Liter
नमक125 Gram
आम का अचार का मसाला

पहले तेल को खूब गर्म कर लें (जब धुआँ जैसा छोड़ने लगे) और फिर इतना ठंडा कर लें कि उसमें मसाले भुन जायें।

एक बड़ी थाली में सब मसाले अलग अलग रख लेना है फिर उस तेल को ( उतना गर्म होना चाहिए जिससे मसाले सिक पाएं )

थाली में सबसे पहले मेंथी लौंग और कालीमिर्च पर तेल डालने की शुरआत करिये, इसके बाद हल्दी मिर्च सौंफ और राई पर तेल डालना तेल गर्म इतना रहे कि ये मसाले सभी सिकते जाएं और सबको मिलाते जाना चम्मच से। सबसे आख़िरी में नमक डालिये ( जब मसाले ठंडे हो जाएं तब )

अब इन मसालों में कटी हुई कैरी मिलाकर, एक डब्बे में रख दीजिये, धूप में न रखें, छाँव में ही पकाना है। तेल कम लगे तो फिर से तेल गर्म करके ठंडा होने पर मिला दें।

हमने तो कल अचार डाला था, और आज से ही खाना शुरू कर दिया, बढ़िया स्वाद है। फ़ोटो भी वही लगा दे रहे हैं जो दी ने हमें भेजा था।

आप भी अगर अचार डालें तो स्वाद कैसा आया, ज़रूर बतायें। और अपने मित्रों तक भी इस लिंक को ज़रूर पहुँचायें।

old mon rum

किचन में रम की फुल बोतल रखें

व्यस्तता के चलते और घर वाला लेपटॉप बेटेलाल की पढ़ाई में बराबर व्यस्त था, तो ब्लॉग लिखने का समय ही नहीं मिल पाया। ऑफिस के लेपटॉप पर अधिकतर चीजें ब्लॉक होती हैं, सिक्योरिटी होना भी बहुत ज़रूरी है।

Trading लगातार चल रही है, पर लिख नहीं पा रहे, दिनचर्या बहुत व्यस्त हो गई है, घर पर ही रहते हुए भी समय निकालना बेहद कठिन प्रतीत होने लगा है।

समय कठिन है इस पर हमने कुछ फ़ेसबुक स्टेट लिखे थे – यहाँ भी लिख दे रहे हैं, जिससे सनद रहे – साथ ही दोस्तों के कमेंट भी कॉपी कर देते हैं –

इच्छाओं के रहते प्राण चले जायें तो वह हुई मृत्यु

ओर प्राण के रहते इच्छाएँ चली जाएं तो वह हुई मुक्ति।

किसी ने कहा है

कल मैं चालाक था इसलिये दुनिया बदलना चाहता था

आज मैं बुद्धिमान हूँ इसलिये अपनेआप को बदल रहा हूँ।

किचन में रम की फुल बोतल रखें, हम नहीं रख पाये अब तक लॉक डाउन लग गया।एक ढक्कन खुद पियें, एक ढक्कन सब्जी में मसाला पकने के बाद डालें, स्वाद बहुत बढ़िया आयेगा।सर्दी जुकाम हो तो एक ढक्कन रम को थोड़े गर्म पानी में मिलाकर पी लें।रम Old Monk ही उपयोग में लें, मिलिट्री वाली xxx मिल जाये तो बल्ले बल्ले।

  • AradhanaExactly…बेकिंग में भी यूज होती है
  • Aradhanaऔर यहाँ तो ठंड के कारण बराबर रखनी पड़ती है

Indu Puri Goswamiअरे वाह! पहले क्यों नही बताया? आज चार पांच पैग लगा ही लेती हूं , इतना काफ़ी है? या एक दो और चलेगा? 😜😜😜😜

  • Vivek RastogiIndu Puri Goswami एक ढक्कन बस, पैग तक नहीं जाना है
  • Indu Puri GoswamiVivek Rastogi Babu! डर गए?😀
  • Ali M SyedVivek Rastogi अब ढक्कन वाली लिमिट से क्या ? वो हर दिन चार पांच लगाने से इंकार तो नहीं कर रही हैं 
  • Ali M SyedIndu Puri Goswami नमस्कार , काहे डरेंगे कौन सा आप उनके कोटे की पीने वाले हो 
  • Indu Puri GoswamiAli M Syed सर जी! प्रणाम 🙏 कैसे हैं आप?
  • Ali M Syedजी। ठीक हूं । आपको अक्सर याद करता हूं । आज के गुनाहगार विवेक रस्तोगी माने जायें 😁

Indu Puri GoswamiAli M Syed sir! आप जैसा शख्स मुझे याद करे यह मेरे लिए सम्मान की बात है,🙏

Ashish Shrivastavaकितने ढक्कन से एक पैग बनता है

  • Prashant PriyadarshiAshish Shrivastava एक ढक्कन यूँ तो ढक्कन ही होता है, लेकिन 5 ml आता है उसमें अमूमन। एक पेग 30 ml का। 😁
  • Anurag Pandeyशायद तीन 😜
  • Anurag PandeyPrashant Priyadarshi हम 10ml समझ रहे थे। 😁
  • Prashant Priyadarshiअब जो गर दुनिया का सबसे बड़ा ढक्कन हो तो कुछ नहीं कह सकते।
  • Ashish ShrivastavaAnurag Pandey तुमने कितने ढक्कन लगा लिए ?
  • Prashant PriyadarshiAnurag Pandey इरू को दवा पिलाने के चक्कर में थोड़ा आइडिया लग गया है। 🙂
  • Anurag Pandeyहम सब जानते हैं। 😁
  • Ashish Shrivastavaहमारी संगत में अखण्ड बेवड़े रहे है। वो पैग नही, पौवा , अद्धा और खम्बे में गिनते थे
  • Prashant Priyadarshiकिसी जमाने में एक पौवा में आधा बोतल बीयर मिला कर हम भी पिये हुए हैं। 😅😅
  • ActiveAnurag PandeyTVF का एक वीडियो था first drink with father… उसी में ये 30ml 60ml स्माल पैग लार्ज पैग जाने थे। बाकी हम भी दवा वाले ढक्कन से नापकर गणित लगाए थे।
  • Prashant PriyadarshiAnurag Pandey बाप के सामने वो कैसे सहम कर पीता है। 😂😂😂
  • Ashish Shrivastavaवैसे पैग वाले ग्लास मस्त लगते है, कई बार खरीदने का मूड भी बना लेकिन
  • Prashant PriyadarshiAshish Shrivastava हम बीयर वाला एकदम शानदार मग खरीद कर रखे हुए हैं। बीयर बस एक बार पिये हैं उससे, बाकी टाइम बटर मिल्क के लिए यूज में आता है। 😅😅
  • Ashish Shrivastavaबियर मग तो बहुउपयोगी है।
  • Prashant Priyadarshiहाँ। बीच में पापा को नारियल पानी भी बियर मग में पिलाते थे। 😂😂वैसे मेरे पास जो मग है उसकी कीमत तकरीबन 750 की एक पड़ी थी।
  • Prashant Priyadarshiऔर है वो एकदम परफेक्ट। 650 ml ही आता है उसमें 🙂
  • ActiveVivek RastogiPrashant Priyadarshi लो उतने में तो 5 बीयर आ जातीं
  • Madhavi Pandeyमेरे पतिदेव रोज़ 200-400 ₹ मांगते हैं बियर के लिए, शर्त ये कि मैं भी साथ दूँ। इसी चक्कर में बेचारे आज तक शुरू भी नहीं कर पाए 😆
  • ActiveVivek RastogiMadhavi Pandey साथ दीजिये, ये तो गलत बात है
  • Madhavi PandeyVivek Rastogi बेचारे भले मानस ने आज तक इसी उम्मीद में हाथ नहीं लगाई इन चीजों को कि बीवी के साथ ही शुरू करना है और बीवी को सुकून कि एक टास्क कम है जीवन में 

सूखे का अचार (आम)

सूखे का अचार

100 कैरी में 10 कैरी बराबर नमक लें। पहले काटकर अचार की फाँक जैसा काट लें फिर नमक लगाकर दो दिन के लिये सूखने दें। फिर कैरी को निचोड़कर धूप में फैला दें।

नमक वाला पानी कटी हुई कैरी एकदम सोख लें ( एक टब में नमक लगा कर रखना चाहिए और उसको थोड़ा बहुत हिलाना चाहिए )

मसाले –

सरसों का तेल – 2 चम्मच (Table Spoon) पहले गर्म करें, और ठंडा होने के बाद मिलायें।

हल्दी – 250 ग्राम

लाल मिर्च – 100 या 200 ग्राम जितना तीखा चाहिये।

सौंप – 250 ग्राम

धनिया – 250 ग्राम

अजवायन, मैथी इन चारों को सेंक लेना है मतलब कि भून लेना है।

राई – 200 ग्राम

सरसों हर्र, बहेड़ा, आंवला, जावित्री, जायफल, तेजपत्ता, काली मिर्च 50 ग्राम, बड़ी इलायची 50 ग्राम, दखिनि मिर्च 50 ग्राम, काला नमक, सादा नमक, सेंधा नमक, लौंग नग 50, छोटी हरड़, बड़ी हरड़ ये सब मसाले पीसकर मिलाकर अचार में मिलाकर धूप में रख दें।

अचार की रेसिपी ट्विटर मित्र @giri1pra द्वारा शेयर की गई है।

सोनू सूद

काश हमारा हर अभिनेता सोनू सूद होता

हम लोग बचपन से फ़िल्में देखकर बड़े हुए, फिर टीवी के धारावाहिक देखे, फ़िल्मों और धारावाहिकों से हमारे मन और व्यवहार पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इतने अभिेनेता अभिनेत्री हमारे फ़िल्म जगत में हैं, टीवी जगत में हैं, उनसे कई बार हम लोग इतनी चीजें सीखे। परंतु असल ज़िंदगी में वे लोग हमें सिखाने में असफल रहे। काश कि हमारा हर अभिनेता अभिनेत्री सोनू सूद जैसा बल रखता, मदद करने की इच्छा अंदर से होती है। अगर अभिनेता लोग अपने सेलिब्रिटी स्टेटस का उपयोग करते हैं तो बहुत से संसाधनों को जुटाना बहुत आसान हो जाता है।

दरअसल एक बात ओर है कि मदद करने की इच्छा सभी की नहीं होती, पर बस केवल एक ही अभिनेता सोनू सूद ही क्यों आगे आया, यह समझ से परे है, अभिनेता जो कि फ़िल्म स्क्रीन पर विलेन की भूमिका निभाता है, विलेन जो कि हमारे जीवन में बुरा कार्य करते हैं, पर असल जीवन में वही विलेन वाक़ई हीरो है, और बाक़ी के सारे हीरो, हीरोईन असल ज़िंदगी में विलेन लगने लगे हैं।

ये जो पर्दे के हीरो हैं वे केवल सरकार के पक्ष में ही हमेशा ट्विटर हो या समाचार का माध्यम हो, बोलते हैं। आज जब जनता के लिये बात करोगे तभी जनता को ख़ुशी होगी, केवल सरकार का पक्ष हमेशा रखने से तो किसी समस्या का समाधान नहीं होने वाला, इस तरह से असल में आप हीरो हीरोईन लोग विलेन का रोल अदा कर रहे हैं। देखते हुए लग रहा है कि आप जनता को प्यार नहीं करते, अपने चाहने वालों को नहीं चाहते, आपके लिये केवल पॉवर और पैसा ही सबकुछ है। आपके पास जो कुछ है वह चला न जाये उससे डरते हैं।

बस यही चाहत थी कि काश हमारा हर अभिनेता सोनू सूद होता, वह तो किसी फ़िल्मी ख़ानदान से भी नहीं है, अपने दम पर फ़िल्मों में अपना कैरियर बनाया, शायद सोनू सूद ही खरा सोना है। काश कि हमारे भारत में ऐसी आपदा के समय में हर क्षैत्र से सोनू सूद आते और सरकार की इस कमी को पूरा करते।

सोनू सूद के ट्वीट छोटे होते हैं परंतु ऊर्जा से भरे होते हैं, जिस तरह से वे लोगों की मदद करते हैं, उससे बहुत आशा बंधती है –

कुछ ट्वीट यहाँ बताता हूँ –

sonu sood@SonuSood·दिल टूटा है .. हौंसला नहीं।

Can’t sleep.. In the middle of night when my phone rings, all I can hear is a desperate voice pleading to save his/her loved ones. We are living in tough times but tomorrow is going to be better, just hold your reigns tight. Together we will win. Just we need some more hands.

Will be done. Your baby is our responsibility. – इस तरह की ट्वीट से विश्वास ओर बढ़ता है।

15 अगस्त को देशभक्ति दिखाने वालों के लिए संदेश ; देश के लिए कुछ करने और देशभक्ति दिखाने का इससे ज़रूरी समय कभी नहीं आएगा

सिनेमा हाल में टिकट्स की ब्लैक होते हुए देखा था। अब जान बचाने के लिए दवाइयों और ऑक्सीजन की ब्लैक होते देख रहा हूं।

मुट्ठी खोल के तो देख.. शायद तेरी हाथ की लकीरों में किसी की जान बचाना लिखा हो।

प्लेटफार्म पर राजनीति होती है। और जमीन पर काम

मोटापा कम कैसे करें

मोटापा कम कैसे करें

जब पिछला ब्लॉग लिखा तो बहुत से मित्रों का आग्रह था कि मोटापा कम कैसे करें, इस पर भी लिखें। दरअसल मैं अपने ही मोटापे से बहुत परेशान हूँ, शायद यह मेरे शरीर की प्रकृति है कि थोड़ी सी खानपान में ढ़ील दो और मोटापा वापिस से शरीर पर हावी होने लगता है। जब मोटापा शरीर पर चढ़ता है तो बहुत सारी तकलीफ़ें भी साथ में लेकर आता है, जैसे कि उच्चरक्ताचाप, मधुमेह, मुझे उच्चारक्ताचाप है, जब मैं अपनी ज़बान पर कंट्रोल रखता हूँ तब कई बार तो डॉक्टर ने ख़ुद ही मेरी बीपी की दवाई बंद कर दी थी। पर वजन बढ़ने पर फिर से बीपी की दवाई शुरू हो जाती है। खर्राटे शुरू हो जाते हैं। दिनभर अपना पेट ऐसा लगता है कि फूले ही जा रहा है, कुल मिलाकर कोई बहुत अच्छा नहीं लगता है।

मोटापा कंट्रोल करना इतना मुश्किल भी नहीं पर उतना आसान भी नहीं। मैं अपना तरीक़ा बता सकता हूँ कि मैंने कैसे मोटापे को कंट्रोल किया था।

खानपान पर संयम –

क्या नहीं खाना है – डेयरी उत्पाद बिल्कुल भी नहीं लेने हैं, दूध, दही, घी, पनीर।

डब्बाबंद पोलीथीन वाली चीजें नहीं खानी है – चिप्स, नमकीन, मिठाई, बिस्कुट

खाना क्या है – सलाद, फल, अंकुरित खाने में 70% कच्चा याने कि सलाद 30% पका हुआ।

पेट को साफ़ करने के लिये – एक महीने तक तीन समय पानी से एनिमा लेना है।

शरीर को हल्का रखने के लिये – दिन में कम से कम दो बार यानि कि सुबह और शाम नहाना है, हो सके तो तीन बार याने कि दोपहर में भी नहाना है।

16 घंटे का व्रत रोज़ रखना है, जिसमें पानी भी नहीं पीना है, कुछ खाना भी नहीं है। मतलब अगर शाम 8 बजे खाना खा लिया फिर उसके बाद अगले दिन दोपहर 12 बजे तक कुछ नहीं खाना पीना है। इसे आजकल की आधुनिक भाषा में इंटरमिटेंट फास्टिंग भी कहा जाता है।

दोपहर 12 बजे पहले थोड़ा थोड़ा पानी पियें, फिर अगर हो सके तो हरी पत्तियों के रस का सेवन करें लगभग 300ml, उसमें पालक, धनिया, पुदीना, एक नींबू, 4 आँवले डालना है, इस रस में आप हर वो पत्ती डाल सकते हैं जिसका फल हम खा सकते हैं, जैसे कि आम, अमरूद, चीकू, सहजन फली की पत्तियाँ इत्यादि।

फिर जब भी भूख लगे आप फलों का सेवन करें, मौसमी फलों का उपयोग करें, जो भी बाज़ार में सबसे सस्ते मिलते हैं वही मौसमी फल होते हैं। जैसे अभी खरबूज, तरबूज़ का मौसम है, फिर आम का मौसम आ रहा है। फल जितना खा सकते हैं उतना खायें कोई रोक टोक नहीं, केवल केले व चीकू पर संयम रखें क्योंकि इनमें शक्कर की मात्रा ज़्यादा होती है और 12 महीने उपलब्ध होते हैं।

दोपहर को फलों के बाद आप भरपूर मात्रा में सलाद का सेवन करें, जैसे ककड़ी, गाजर, टमाटर (टमाटर के बीज निकाल दें), शिमला मिर्च इत्यादि।स्वाद न आये तो हरी चटनी बनाकर रखें और उसके साथ खायें। नींबू निचोड़े सकते हैं।

शाम को फिर से फल या सलाद खा सकते हैं, रात्रि भोजन में 70% सलाद और 30% पका हुआ, उस 30% में भी आधे से अधिक भाग आपका पकी हुई सब्ज़ी व दाल का होना चाहिये, केवल एक या दो रोटी या फिर थोड़े से चावल साथ में लें।

दिनभर पानी पीते रहें, कम से कम 3 लीटर पानी पीना है।

शुरू में आपको कच्चे फलों व सलाद में स्वाद नहीं आयेगा, क्योंकि हमें हर चीज में शक्कर या नमक या मसाले डालकर खाने की आदत हो गई है।पर धीरे धीरे स्वाद ग्रंथियों को अपना ओरिजनल स्वाद याद आ जायेगा। हमने अपनी ज़बान को तला गला मसाले वाला खिलाखिलाकर इतना ख़राब कर दिया है कि हमें फल व सब्ज़ियों में स्वाद ही नहीं आता। जब आप यह शुरू के 15 दिन करेंगे तो आपको ख़ुद ही सब्ज़ियों के स्वाद का पता चलने लगेगा। आपको सलाद व फल अच्छे लगने लगेंगे। पेट कम खाने में ही भर जायेगा।

इससे वजन तो आश्चर्यजनक रूप से कम होगा ही, साथ ही आप अपनी नींद की क्वालिटी में सुधार देखेंगे, दिनभर इतनी ऊर्जा आपके पास आ जायेगी कि आपको ख़ुद ही आश्चर्य होगा। आपका मन अपने कार्य में अच्छे से लगेगा।

इन सबका लाभ लेते हुए अगर सुबह 30 मिनिट का ध्यान करें तो वह सोने पर सुहागा होगा।

यह पढ़ना जितना आसान है, इसे करना उतना ही कठिन। कुछ प्रश्न हों तो कमेंट में पूछियेगा।

कोरोना काल में मदद केवल धन से ही नहीं, अपने समय से भी कर सकते हैं

कोरोना के इस काल में अगर आप दान देना ही चाहते हैं, तो केवल किसी को सही राह दिखाकर सहायता को भी दान समझ सकते हैं, दवाइयाँ, ऑक्सीजन, अस्पताल में बिस्तर सबकी अपनी एक सीमित मात्रा है, अगर हम थोड़ा समय निकालकर फ़ोन करके, ट्वीटर के ज़रिये भी कुछ मदद कर पायें तो वह भी एक बड़ी मदद होगी। नकारात्मकता को हटाना ही होगा, कोरोना मरीज़ों से फ़ोन पर बात करके उनकी जीवटता को बढ़ाना भी मदद ही होगी, कहने का अर्थ यही है कि जितनी मदद अपनी जगह से कर सकते हों, करें। पीछे न हटें, और जो यह मदद रूपी दान आप कर रहे हैं, उसके लिये किसी को कुछ बताने की ज़रूरत नहीं। बस आप मदद करते चलें।

हमारे लगभग हर पुरातन ग्रंथों में कहा गया है कि कोई भी कार्य स्वार्थवश व भौतिक लाभ से प्रेरित की आकांक्षा से किया जाता है तो वह सात्विक नहीं होता, रजोगुणी हो जाता है। कार्य तो सभी करते हैं परंतु केवल करने का हेतु जो भी मन में होता है, अगर उसमें कुछ लालच होता है, तो ही उसका गुण बदल जाता है। इसलिये हमें सिखाया जाता है कि अपना मन भी शुद्ध रखना है। अपने मन को भटकने नहीं देना है, अपने किसी भी कार्य को दंभपूर्वक न करें, न ही उसमें किसी सम्मान, सत्कार व पूजा की आकांक्षा रखें। वहीं अगर कोई कार्य आप बहुत अच्छा कर रहे हैं, परंतु उसका मंतव्य किसी को पीड़ा पहुँचाना, किसी को नीचा दिखाना या किसी को हानि पहुँचाना है तो आपकी इच्छा तामसी हो जाती है। केवल इच्छा मात्र से ही परिणाम बदल जाता है, गुण बदल जाता है।

अगर कोई भी कार्य आप कर रहे हैं तो कोशिश करें कि अपना मन साफ़ रखें, अपने मन में किसी के लिये बुराई न हो, न ही किसी के बारे में अहित सोचें, तभी वह कार्य सात्विक हो पायेगा। जहाँ दंभ, सम्मान, सत्कार व पूजा कराने की प्रवृत्ति आ जाती है, तो यह राजसी गुण हो जाता है। जिसे रजोगुण भी कहा जाता है।

आजकल दान देना कोई बहुत आसान कार्य नहीं है, क्योंकि यह सभी को भारी पड़ता है। ध्यान रखें कि जब दान देते हैं तो परोपकार की मंशा से, कर्तव्य समझकर, बिना किसी लाभ की भावना के, सही जगह व सही स्थान और सही व योग्य व्यक्ति को दिया जाता है, वही दान सात्विक माना जाता है। वैदिक साहित्य में अविचारपूर्ण दान की संस्तुति नहीं है। वहीं जो दान लाभ की भावना से, कर्मफल की इच्छा से या अनिच्छापूर्वक किया जाता है, दान का गुण बदल जाता है, ऐसा दान रजोगुणी कहलाता है। दान कभी स्वर्ग जाने के लिये दिया जाता है, तो कभी अत्यंत कष्ट से तथा कभी इस पश्चात्ताप के साथ कि मैंने इतना व्यय क्यों किया, कभी कभी अपने वरिष्ठजनों के दबाव में आकर भी दान दे देते हैं। तो ऐसे दान राजस गुण युक्त होते हैं।

वहीं जो दान किसी अपवित्र स्थान, अनुचित समय में, किसी अयोग्य व्यक्ति को या बिना समुचित ध्यान व आदर के साथ दिया जाता है, ऐसा दान तामसीगुण से प्रभावित माना जाता है।किसी ऐसे व्यक्ति या संस्था को दिया गया दान, जो कि मद्यपान व द्यूतक्रीड़ा में संलग्न हो, उन्हें दान नहीं देना चाहिये।इससे ग़लत कार्यों को प्रोत्साहन मिलता है।

क्रूरता का काल

यह क्रूरता का काल चल रहा है, इतने परिचितों की मौत की ख़बर ने अंदर तक हिलाकर रख दिया है, दिल मायूस है, लगता है कि कैसे अब उनका परिवार बिना उनके रहेगा। परंतु सत्य तो यही है कि किसी के बिना दुनिया रुकती नहीं है। कलियुग का सबसे बड़ा फ़ायदा ही यह है कि हम ज़्यादा दिन किसी बात को ध्यान नहीं रख पायेंगे, काल हमारी बुद्धि हर लेगा, हमारी याददाश्त कमजोर कर देगा। हमेशा ही कई लोगों से जीवन में ऊर्जा मिलती है, परंतु जब वे चले जाते हैं तो एक प्रकार सा मन में नकारात्मकता तो आ ही जाती है।

अब समय आ गया है कि जब हम अपना मोह त्यागें, और मज़बूत बनें क्योंकि कोई भरोसा ही नहीं कब कौन चला जायेगा, पता नहीं कौन इस वक़्त अपनी ज़िंदगी के लिये साँसों को थामे मौत से लड़ रहा होगा। पता नहीं मौत को इतना क़रीब से देखकर व्यक्ति अंतिम पल में कैसा महसूस करता होगा, सारे रिश्तेनाते, घरबार, पैसे, गहने सब यहीं छूट जायेगा। जिस पल व्यक्ति इस शरीर को छोड़ेगा, और उस पल जो उसके पास होंगे, वे लोग शायद ही उस पल को आजीवन भूल पायेंगे।

मुझे याद है जब एक मित्र के भाई की मृत्यु के बाद हम श्मशान में थे, तो एक मित्र ने मुझसे कहा था देख भई क्या है ये संसार, जब तक उन भैया के अंदर जान थी, साँसें ले रहे थे, तब तक वे इस दुनिया के लिये कुछ थे, पर अब कुछ नहीं, थोड़े समय बाद राख में बदल जायेंगे, कहने को वे अपने जीवन में बहुत कुछ थे, पर मरते समय कुछ काम न आया। मरने के बाद कोई तो ऐसा शहर होगा जहाँ आत्माओं को बसाया जाता होगा, शायद ये आत्मा कहीं अपने ही घर में किसी फूल की ख़ुशबू बन जाती है, या फिर किसी फूल का रूप ले लेती हो, पता ही नहीं चलता, यह एक अनसुलझी पहेली है।

बेहतर यह है कि हम अपने जीवन को ऐसे जियें कि जिसमें हम दूसरे को अपने स्वार्थवश कोई परेशानी में न डालें। जब हम मुसीबत में होते हैं तो कोई एक मदद का हाथ कहीं अनजाने में आता है, वह कोई परोपकारी आत्मा होती है। हम बस इतना ही ध्यान रखें कि इन सीमित संसाधनों में दूसरों की भी परेशानी समझें और निःस्वार्थ भाव से जितना हो सके उतनी एक दूसरे की मदद करें। मदद न कर सकें तो रोने के लिये कम से कम अपना कंधा तो आगे बढ़ा ही सकते हैं।